बुधवार, मार्च 02, 2011

युगपुरुष

उस रात किसी बड़ी किताब का भव्य विमोचन समारोह था. यूँ भी हिन्दी में किताबों के बड़े या छोटे होने का आंकलन उसके लेखक के बड़े या छोटे होने से होता है और लेखक के बड़े या छोटे होने का आंकलन उसके संपर्कों के आधार पर.

बड़े लेखक की बड़ी किताब का विमोचन हो तो विमोचनकर्ता का बड़ा होना भी जाहिर सी बात है. अतः इस समारोह के विमोचनकर्ता भी बहुत बड़े और नामी साहित्यकार थे. वह इतना अच्छा लिखते हैं कि वर्षों से इसी चक्कर में कुछ लिखा ही नहीं (शायद भीतर ही भीतर यह भय सताता हो कि कहीं कमतर न आंक लिए जाये) मगर फिर भी, नाम तो चल ही रहा है.

अधिकतर अच्छा लिखने वालों के साथ यही विडंबना है कि वो इतना उत्कृष्ट लिखते हैं, इतना अच्छा लिखते हैं कि कुछ लिख ही नहीं पाते. बरसों बरस बीत जाते हैं उनका अच्छा लिखा पढ़ने को. बस, उनसे दूसरों के बारे में सुनने और पढ़ने के लिए यही मिलता चला जाता है कि फलाने ने अच्छा लिखा और ढिकाने ने खराब. सलाह भी उन्हीं की ओर से लगातार बरसती है कि अच्छा लिखने की कोशिश होना चाहिये साहित्य को धनी बनाने के लिए. वे बिना अपना योगदान देखे, हर वक्त दुखी नजर आते हैं कि आजकल अच्छा नहीं लिखा जा रहा है और यह चिन्ता का विषय है.

मंचासीन श्रृद्धास्पद विभूतियों में एक तो लेखक स्वयं, फिर मुख्य अतिथी की आसंदी को सुशोभित करते ’सुकलम सम्मान’, २००८ से सम्मानित वरिष्ठ साहित्यकार, कविमना, उपन्यासकार, आलोचक माननीय श्रद्धेय आचार्य श्री चंडिका दत्त शास्त्री, किताब के प्रकाशक एवं कार्यक्रम के संचालक स्थानीय साहित्यकार एवं कवि श्री विराट स्तंभी जी.

सस्वर सरस्वती पूजन, माल्यार्पण आदि के बाद संचालक महोदय ने माईक संभाला और मुख्य अतिथि का परिचय प्रदान करते हुए स्तुति गान में ऐसा रमे कि यह कह कर मुस्कराने लगे कि माननीय मुख्य अतिथी श्रद्धेय आचार्य श्री चंडिका दत्त शास्त्री पुरुष नहीं हैं.

इतना कह वह मौन हो गये और मुस्कराते हुए मंच से लोगों के हावभाव देखते रहे. पूरे हॉल में इस सनसनीखेज खुलासे की वजह से सन्नाटा छा गया. सब छिपी आँख एक दूसरे को देखने लगे. संपूर्ण मंच भी असहज सा नजर आने लगा तब श्री विराट स्तंभी जी आगे बोले कि माननीय मुख्य अतिथी श्रद्धेय आचार्य श्री चंडिका दत्त शास्त्री जी पुरुष नहीं, महापुरुष हैं. तब जाकर सभागृह में जान लौटी. श्री विराट स्तंभी जी के इस बयान से उनके सहज हास्य बोध का परिचय मिला जबकि कर्म एवं नाम से वह वीर रस हेतु प्रख्यात हैं. पूरे सभागृह में करतल ध्वनि की गुंजार उठ खड़ी हुई.

विचार आया कि यदि दो वाक्यों के बीच मौन के दौरान बिजली महारानी की कोप दृष्टि पड़ जाती, तब क्या होता?

अपनी बात आगे बढ़ाते हुए श्री विराट स्तंभी जी नें अन्य बातों के अलावा यह भी बताया कि माननीय मुख्य अतिथी श्रद्धेय आचार्य श्री चंडिका दत्त शास्त्री  एक व्यक्ति नहीं, अपने आप में संपूर्ण संस्था हैं.

संस्था का नाम सुनते ही मेरी रीढ़ की हड्ड़ी में न जाने क्यूँ एक अरसे से एक सुरसुरी सी दौड़ जाती है. एक चित्र खींच आता है मानस पटल पर किसी संस्था का, जिसे अपने पापों, घोटालों को अंजाम देने के लिए सबसे मुफीद और पावन उपाय मान व्यक्ति, व्यक्ति न रह संस्था में बदल जाता है. फिर गोपनीय वार्षिक बैठक, बेनामी पदाधिकरी और स्वयंभू अध्यक्ष की आसंदी पर विराजमान स्वयं वह.

देश में आजतक जितना संस्थाओं के नाम पर घोटालों को अंजाम दिया गया है, उतना शायद ही कहीं और हुआ हो किन्तु फिर भी यह प्रचलन हर जगह और खास तौर पर ऐसे समारोहों में मुख्य अतिथि के लिए लगातार देखने मिलता रहता है कि वह व्यक्ति नहीं, एक संस्था हो गये हैं.

शायद संस्था ही वह वजह हो जिससे उनका स्टेटस बिना बरसों तक लिखे भी बहुत ऊँचा लिखने वाले का बरकरार रहा आया हो, कौन जाने? संस्था के भीतर की बात जानना तो सरकारी ऑडीटर के लिए भी टेढ़ी खीर ही रहा है अतः भीतर जाने की बजाय वो बाहर के बाहर पैसे लेकर निपटारा करना सदा से सरल उपाय मानता रहा है. यह पुराणों में भी संस्था और ऑडीटर दोनों के लिए ही सहूलियत का मार्ग माना गया है. 

खैर, समारोह बहुत भव्य रहा. उतना ही भव्य मुख्य अतिथि का उदबोधन जिसमें उन्होंने पुनः साहित्य और लेखन के गिरते स्तर पर गहरी चिन्ता जतलाई और इस पुस्तक को इस दिशा में सुधार लाने का एक ऐतिहासिक कदम निरुपित किया.

इस कार्यक्रम के बाद एक और वरिष्ट साहित्यकार की श्रद्धांजलि सभा में जाना था. वहाँ भी श्रद्धांजलियों के दौर में अनेक संदेशों में मृतात्मा को एक व्यक्ति नहीं, युग बताया गया और उनके अवसान को एक युग का पटाक्षेप.

एक युग के भीतर समाप्त होते अनेक युग, हर वरिष्ठ, हर गरिष्ठ के प्रस्थान के साथ एक युग का पटाक्षेप, और एक ऐसे रिक्त का निर्माण, जिसकी भरपाई कभी संभव नहीं. शुरु से आजतक ऐसे रिक्त स्थानों की जिनकी भरपाई संभव न थी, एक एक बिन्दी के आकार का भी गिन लें तो शीघ्र ही, या कौन जाने पूर्व में ही, शायद ही कोई स्थान बचे जो रिक्त न हो.

 

literature

कैसी ये
भीषण त्रासदि
न गरीब बचे,
न अमीर

भाषा
संवेदनशीलता
इन्सानियत
सब जाते रहे....

एक उम्मीद थी जिनसे
लिखेंगे शोकगीत इनपर
उनका भी यूँ गुजर जाना

एक युग की समाप्ति नहीं
तो और क्या है?

-समीर लाल ’समीर’

<< आज उड़न तश्तरी के ५ साल पूरे हुए. इस बीच आपसे प्राप्त स्नेह और उत्साहवर्धन के लिए हृदय से आभारी. कृपया अपना स्नेह बनाये रखें>>

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93 टिप्‍पणियां:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

सुबह सुबह आनन्द आ गया... बधाइयां पांच वर्ष पूरे होने पर...

Smart Indian ने कहा…

इस पांच-साला अचीवमैंट के लिये दिली मुबारकबाद! उडनतश्तरी यूँ ही उडान भरती रहे।

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

बहुत बधाई ,व्यक्ति और संस्था पर गंभीर चिंतन के लिए आभार.

Arvind Mishra ने कहा…

पंचवर्षीय महोत्सव पर बहुत बहुत बधाई-आगे भी ऐसे ही सहज हास्य व्यंग का सिलसिला चलता रहे .
हाँ हम स्नेह भी बनाएं रखेगें बस वही श्रृद्धांजलि को श्रद्धांजलि लिखा करें -बहुत दिनों से टोकने का मन था ...
इन दिनों हम टोका टोंकी पर्व मना रहे हैं -बड़े लोगों के साथ ....

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

हम तो अच्छा न लिख पाने की कसक में और लिखते जाते हैं। पाँच वर्ष में युग प्रारम्भ होते हैं, अन्त नहीं। अतिशय बधाई हो।

Rahul Singh ने कहा…

युगबोध समाई पोस्‍ट.

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

बहुत,बहुत बधाई -पाँच वर्ष पूरे होने की .उड़नतश्तरी की पहुँच और व्यापक हो !
अच्छा ध्यान दिला दिया आपने इस पोस़्ट द्वारा कि अच्छा होने के लिए लेखन का परिमाण कम होना ज़रूरी है .वाह !
आज के (हिन्दी)साहित्यिक वातावरण का बढ़िया निरूपण !

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

पाँच वर्ष पूर्ण होने पर शुभकामनाएं। इस खुशी के अवसर पर मंगल ग्रह की उड़ान के लिए यात्री किराए में छूट मिलनी चाहिए।:)

Sushil Bakliwal ने कहा…

सभी ज्ञात-अज्ञात युगपुरुषों व महापुरुषों को नमन के साथ, उडन-तश्तरी के ब्लाग लेखन की पंचवर्षीय उडान के समापन समारोह की भी हार्दिक बधाईयां...

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

उड़नतश्तरी के पाँच वर्ष मुबारक हों।
मौन अनेक बार बहुत से संदेह उपजाता है।

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

भाई समीर जी
पांचवे अंतर्जालीय सोपान की हार्दिक बधाई.......

आलेख प्रखर एवं संवेदी कविता के लिए साधुवाद स्वीकारे....

Khushdeep Sehgal ने कहा…

आप गुरुदेव नहीं हैं...

...

...

...

...

आप गुरुओं के भी गुरुदेव हैं...


ये पंचवर्षीय योजनाएं जन्म-जन्म तक चलती रहें...

जय हिंद...

Satish Saxena ने कहा…

विराट स्तंभी के लिए तालियाँ !
बढ़िया लेख है ,अगर लम्बा मौन खलता है ...डॉ दिनेश राय द्विवेदी जी की सलाह अवश्य नोट करें ! उड़न तश्तरी की शानदार उड़ान के लिए हार्दिक शुभकामनायें !

वाणी गीत ने कहा…

इन रिक्त स्थानों की पूर्ति भला कैसे संभव हो ...
पंचवर्षीय योजना पूर्ण होने की बधाई , आगामी पंचवर्षीय योजना के लिए अग्रिम शुभकामनायें !

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

sabse pahle to sameer bhaiya paanch saal pure karne ke liye bahut bahut badhai...:)

sach me aap bade pyare dhang se aise vyangya karte ho ki ek dum se halki si muskan aa jati hai...:)

aap purush nahi hai........ab light kat gayee........aage nahi bolna:D

Girish Kumar Billore ने कहा…

sanchalak koun the hazoor

Deepak Saini ने कहा…

पांच वर्ष पूरे होने पर...बधाइयां

रूप ने कहा…

'यूँ भी हिन्दी में किताबों के बड़े या छोटे होने का आंकलन उसके लेखक के बड़े या छोटे होने से होता है और लेखक के बड़े या छोटे होने का आंकलन उसके संपर्कों के आधार पर.'
बिलकुल सच है, प्रतिभा का कोई मोल नहीं है यहाँ. शब्दों के आधे -तिरछे ,टेढ़े-मेढ़े रूप भी गुटबाजी और पहुँच से सफल और सर्वप्रिय बनाये जाते हैं.

ZEAL ने कहा…

Congratulations for completing five successful years in blogging .

स्वाति ने कहा…

पांच वर्ष पूरे होने पर बधाइयां ...

किलर झपाटा ने कहा…

बाप रे इतनी हाई लेवल बातें। आई कांट अण्डरस्टैंड अंकल। सॉरी। बट आप रियली ग्रेट हो। कभी कभी आपसे मजाक कर लेता हूँ बट अपने इस भतीजे को माफ कर दिया करिये। आज ही किसी लेख में आपने नॉनवेज खाने को खराब कहा था, तो वहाँ मैं आपसे कट्टी लेकर भाग गया था। ही ही। डोंट माइंड ओ.के.।

अंकल कभी हाँग-काँग आइये ना। आप तो हमेशा फ़ॉरेन टूर करते ही रहते हैं।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत उम्दा!
आप पुरष नहीं हैं
महापुरुष हैं!

Arun sathi ने कहा…

सरजी बहुत बारीकी से सबकुछ बयां कर दिया। यह की आदमी जम संस्था हो जाता है और तब जब किसी का जाना एक युग का जाना होता है। बहुत गंभीर पर कड़वी सच्चाई।

हमेशा की तरह आपकी रचना उद्वेलित कर जाती है और आदमी सोंचने पर विवश हो जाता है। एक सलाह यह कि आप वैसे साहित्कारों से पंगा ले रहे है जो सोंचते है कि कुछ साहित्कि लिखा जाय जिससे साहित्य का उत्थान हो पर लिखते कुछ नहीं की कहीं खराब न लिखा जाय....

Creative Manch ने कहा…

वो इतना उत्कृष्ट लिखते हैं, इतना अच्छा लिखते हैं कि कुछ लिख ही नहीं पाते. बरसों बरस बीत जाते हैं उनका अच्छा लिखा पढ़ने को :))
-
-
सुन्दर शालीन व्यंग
पढ़कर बरबस मुस्करा उठे
-
ब्लागिंग में पांच वर्ष गरिमापूर्ण तरह से
पूरे करने और शिखर पर टिके रहने के लिए आपको हार्दिक बधाई एवं शुभ कामनाएं

Shahroz ने कहा…

बेहतरीन लिखते हैं आप..मुबारकवाद स्वीकारें.

सोमेश सक्सेना ने कहा…

साहित्य जगत पर आपका यह व्यंग्य अच्छा लगा।
पाँच वर्ष पूर्ण होने पर बधाई।

Shah Nawaz ने कहा…

उड़नतश्तरी की यह पांच साला उड़ान तो ज़बरदस्त रही... उम्मीद है यह उड़नतश्तरी आगे भी ब्लोगिंग के अन्तरिक्ष में इसी मस्ती के साथ उडती रहेगी और नए ब्लोगर्स के लिए प्रेरणा बनती रहेगी...

बहुत-बहुत मुबारकबाद!

सदा ने कहा…

पंचवर्षीय योजना पूर्ण होने की बधाई , आभार इस बेहतरीन प्रस्‍तुति का।

anju ने कहा…

उड़न तश्तरी के पांच वर्ष पूरे होने पर आपको हार्दिक बधाई.ईश्वर से यही दुआ है कि आप ऐसे ही लिखते रहें और हम सब पर आपका स्नेह बना रहे ..

mridula pradhan ने कहा…

भाषा
संवेदनशीलता
इन्सानियत
सब जाते रहे....
bemisaal hain kavita bhi lekh bhi.
paanch varsh pure hone ki badhyee.

anoop joshi ने कहा…

Is udantastri me kainsa ''alian'' hai jo likh kar hume bahuk kar deta hai.

दीपक 'मशाल' ने कहा…

कविता करना कोई खेल नहीं, ये पूछो उन फनकारों से,
फौलाद जिन्होंने चीरा है, इन कागज़ की तलवारों से.

बहुत खूब व्यंग्य सर.. पंचम वर्ष में पहुँचने पर बधाई.. अब गुरुकुल जाने की उम्र हो गई.. :)

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

शानदार तरीके से पंचवर्षिय योजना पूर्ण करने के लिये हार्दिक बधाई और अगली पंचवर्षीय योजना के लिये अग्रिम शुभकामनाएं.

रामराम.

shikha varshney ने कहा…

पांच वर्ष पूरे होने की बधाई .उड़न तश्तरी की ताक़त यूँ ही बनी रही.

PRAN SHARMA ने कहा…

Udantashtree kee udaan chamatkaree
hai . Paanch saal beet jaane ke
baad bhee iskaa chamatkaa barqrar
hai. Badhaaee aur shubh kamna .

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

पांच सफ़ल वर्षों की यात्रा के लिये बधाई३ शुभकामनाएं.

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

पांचवी वर्षगांठ हेतु हार्दिक बधाई।

---------
ब्‍लॉगवाणी: ब्‍लॉग समीक्षा का एक विनम्र प्रयास।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

पांच वर्ष पूरे होने पर बधाइ ... आशा है इस लंबे सफ़र में अनद आया होगा ... आयेज भी ये सफ़र चलता रहे ... शुभकामनाएँ ...
...

Anjana Dayal de Prewitt (Gudia) ने कहा…

पाँच वर्ष पूर्ण होने पर शुभकामनाएं। :-)

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

साहित्याकाश में उड़न तश्तरी की यह यात्रा यूं ही जारी रहे...

पाँच वर्ष पूर्ण होने पर हार्दिक शुभकामनाएं !

..........

‘बड़ी किताब का विमोचन हो तो विमोचनकर्ता का बड़ा होना भी जाहिर सी बात है.’...विमोचन समारोहों की असली तस्वीर दिखाने के लिए बधाई!

निर्मला कपिला ने कहा…

इसे बसन्त पंम्चवीं कहें तो अच्छा होगा खुब शब्दों के फूल खिले इन इन पाँच वर्षों मे जिनकी महक हर ब्लागर को मिली। बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें।

kshama ने कहा…

Aapkee lekhnee kaa kamaal yun hee jaree rahe!Dheron shubhkamnayen!

Parul kanani ने कहा…

bahut bahut shubhkamnayen sir!

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

ढेर सारी शुभकामनाएं. पांच के पीछे शून्य जुड़ते जाएं.

VIVEK VK JAIN ने कहा…

aapke safal paanch varso ke liye bahut-bahut badhaayiyaan.

डॉ टी एस दराल ने कहा…

पांच वर्ष पूरे हुए ।
आशा करते हैं कि ब्लोगिंग की आर्मी में शोर्ट सर्विस कमीशन नहीं , बल्कि २० साल चलने वाला परमानेंट कमीशन होगा ।
बधाई और शुभकामनायें ।

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

आप लेखक नहीं...........महालेखक हैं :)

रंजना ने कहा…

दिल से आभार आपका...

"सलाह भी उन्हीं की ओर से लगातार बरसती है कि अच्छा लिखने की कोशिश होना चाहिये साहित्य को धनी बनाने के लिए. वे बिना अपना योगदान देखे, हर वक्त दुखी नजर आते हैं कि आजकल अच्छा नहीं लिखा जा रहा है और यह चिन्ता का विषय है."

हा हा हा हा....

आपके अंदाजे बयां न...ओह...

रंजना ने कहा…

जो आनंद आया पढ़कर कि क्या कहें....

दिल से आभार आपका...

"सलाह भी उन्हीं की ओर से लगातार बरसती है कि अच्छा लिखने की कोशिश होना चाहिये साहित्य को धनी बनाने के लिए. वे बिना अपना योगदान देखे, हर वक्त दुखी नजर आते हैं कि आजकल अच्छा नहीं लिखा जा रहा है और यह चिन्ता का विषय है."

हा हा हा हा....

आपके अंदाजे बयां न...ओह...

बहुत बहुत बाधाई....शतक पर शतक की तह लगते रहें...शुभकामनाएं..

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

कैसी ये
भीषण त्रासदि
न गरीब बचे,
न अमीर

भाषा
संवेदनशीलता
इन्सानियत
सब जाते रहे....

sach uprokt panktiyan padh kar bahut achjchha laga.
- vijay

राज भाटिय़ा ने कहा…

पांच साल की बधाई, ओर खुब लम्बी उम्र हो आप के ब्लाग की धन्यवाद

Dr Varsha Singh ने कहा…

उड़न तश्तरी के ५ साल पूरे होने पर हार्दिक शुभकामनाएँ .
Interesting post. Congratulations!

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति ने कहा…

bahut sundar lekh hai.. चिंतन .. उम्दा...
पांच वर्ष को जिस कुशलता से आपने निभाया .. आप अनुकरणीय हैं... आपका यह लेख चर्चामंच पर होगा...आभार

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } ने कहा…

५ साला जश्न मना ही रहे है हम और उडनतश्तरी हमेशा ही सरर्रररररर

अनूप शुक्ल ने कहा…

बधाई हो पांच साल पूरे करने के लिये। आगे के लिये शुभकामनायें।

बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरना ने कहा…

श्रेष्ठ साहित्यकार के लेखन की दशा पर एक घटना याद आ गयी -हमारे मेडिसिन के एक आचार्य डाक्टर मिश्र जी ने पूरे सत्र क्लास में आना इसलिए नहीं उचित समझा कि वे अति विद्वान थे अपने विषय में. उनके व्याख्यान समझने के लिए उन्हें योग्य छात्रों की दरकार थी ...जो कि उन्हें कभी मिले ही नहीं. कई वर्ष बाद सुनने को मिला कि शासन ने उन्हें योग्य शिष्य खोजने के लिए अध्यापन के कार्य से पूर्ण मुक्त कर दिया है. भगवान् से प्रार्थना है कि ऐसे विद्वानों को अपने साम्राज्य में अविलम्ब स्थान देवें.

amrendra "amar" ने कहा…

Aapko paanch saal pure karne ke liye bahut bahut badhai.

सञ्जय झा ने कहा…

pratham panch-varshiya yogana safalta
poorvak sampanna karne hetu agle 5
panch-varshiya yognaon ke liye subhkamnayen.........

pranam.

Rakesh Kumar ने कहा…

अपने सुलेखन से पांच में ही जो 'आंच' लगाई है आपने वह 'पचास' में भी ना बुझे और समीर जी की लेखनी यूँ ही चलती रहे बस यही दुआ और कामना है हमारी .

KK Yadav ने कहा…

वह इतना अच्छा लिखते हैं कि वर्षों से इसी चक्कर में कुछ लिखा ही नहीं (शायद भीतर ही भीतर यह भय सताता हो कि कहीं कमतर न आंक लिए जाये) मगर फिर भी, नाम तो चल ही रहा है...
____________
.बहुत खूब समीर जी, आपने तो हिंदी साहित्य की दुखती रग पर अपने हाथ रख दिया है. कोई बड़का साहित्यकार पढ़ लेगा तो फिर आपकी खैर नहीं...?? बच कर रहिएगा.

KK Yadav ने कहा…

..वैसे ब्लागिंग में पाँच साल पूरा कर आप भी युग पुरुषों की श्रेणी में आ खड़े हुए हैं...बधाई और शुभकामनायें.

Kailash Sharma ने कहा…

बधाई और शुभकामनायें...

Unknown ने कहा…

भाई समीर जी
बहुत बधाई -पाँच वर्ष पूरे होने की
उडनतश्तरी उडान भरती रहे।

anshumala ने कहा…

ब्लोगिंग के पांच वर्ष पूरे होने पर बधाई | साहित्यकार हो या कोई नेता या कोई समाज सेवी सभी के मृत्यु पर यही कहा जाता है इस लिहाज से आज तक भारत वर्ष ने न जाने कितने युग देख लिए है |

कविता रावत ने कहा…

Panchvarshiya succeful udan ke liye haardik shubhkamnayen..

सागर नाहर ने कहा…

अधिकतर अच्छा लिखने वालों के साथ यही विडंबना है कि वो इतना उत्कृष्ट लिखते हैं, इतना अच्छा लिखते हैं कि कुछ लिख ही नहीं पाते. बरसों बरस बीत जाते हैं उनका अच्छा लिखा पढ़ने को.
अच्छा है कि व्यंग के बहाने ही सही लेकिन आप यदा-कदा मुझे याद तो करते रहते हैं।
पाँच साल पूरे होने पर हार्दिक बधाई। वैसे मैं भी १२ तारीख को पाँच साल का हो जाऊंगा।
:)

बेनामी ने कहा…

happy buddday to udan tashtari..... ;)
wer's my cake ????

अधिकतर अच्छा लिखने वालों के साथ यही विडंबना है कि वो इतना उत्कृष्ट लिखते हैं, इतना अच्छा लिखते हैं कि कुछ लिख ही नहीं पाते
wahhh....kya baat kahi hai.....too good...hihi

उन्मुक्त ने कहा…

पांच साल पूरे करने की बधाई।

Mansoor ali Hashmi ने कहा…

उड़न तश्तरी के पांच साल पूरे करने पर हार्दिक बधाई. अल्लाह करे ज़ोर -ए- कलम और ज़्यादा.

Vaanbhatt ने कहा…

ye to blogging ke paanch saal hain, lekhan ke nahin. jamane ki nabz tatolna kab se shuru kiya...

आचार्य परशुराम राय ने कहा…

बहुत ही आकर्षक व्यंग्य। पाँच वर्षों की उपलब्धि पर आपको हार्दिक बधाई।

रवि धवन ने कहा…

सही कहा सर।
ब्लॉग जगत में पांच वर्ष पूरे करने पर ढेरो बधाइयां। ये सिलसिला बस यू ही चलता रहे बस।

Hari Shanker Rarhi ने कहा…

vyangya ka bahut achchha swad aa raha hai.

Asha Joglekar ने कहा…

अच्छा है कि हम ब्लॉगर लिख रहे हैं उत्कृष्ट या नही...अपनी तरफ से तो हर कोई अपना अच्छे से अच्छा ही देता है कभी कभी हो जाती है जल्दबाजी भी ।
आप की उडन तश्तरी का सफर ब्लॉग जगत को रोशन करता रहे इसी शुभ कामना के साथ पांचवे जन्मदिन पर बधाई ।

Unknown ने कहा…

bahut bahut badhai ho.
bharat sarkar ki tarah blogger sansar ke paanch saal poore huye.
jai baba banaras--

ज्योत्स्ना पाण्डेय ने कहा…

हिन्दी की गरिमा का परिमाण क्या है, ये आपने बता दिया... व्यंग्यात्मक, विचारणीय पोस्ट...

उड़नतश्तरी के पांच वर्ष पूरे होने पर शुभकामनाएँव बधाई!

Manjit Thakur ने कहा…

पांच साल पूरे होने पर बधाई चचा..उम्मीद है कि अगले पचास साल तक आप लिखते रहेगें..अबाध।
सादर

vijay kumar sappatti ने कहा…

sir,

5 saal poore hone ki badhayi sweekar kare.

vijay

Amit K Sagar ने कहा…

'प्रणाम आदरणीय,'
अरसे से 'प्रणाम' करना चाह रहा था...
अंततः आज आ सका...
--
व्यस्त हूँ इन दिनों-विजिट करें

सुनील गज्जाणी ने कहा…

नमस्कार
पंचवर्षीय योजना पूर्ण होने की बधाई ,
आभार! इस बेहतरीन प्रस्‍तुति का।

Laxmi ने कहा…

बढ़िया व्यंग्य है। ५ साल पूरे होने की बधाई।

डॉ महेश सिन्हा ने कहा…

संस्थागत बधाई :)

कुमार राधारमण ने कहा…

ऐसे उद्गार सामान्यीकरण के कारण बहुत उबाऊ हो चले हैं। बोलना उनकी मज़बूरी,सुनना हमारी।

palash ने कहा…

पाँच वर्ष मे इतनी सफलता हासिल करने की आपको बधाई ।
आप यूँ ही लिखते रहे , हम सभी को प्रेरणा देते रहे
आपको पढ पढ के हम , आपसे सीखते रहे

समय चक्र ने कहा…

भावपूर्ण अभिव्यक्ति...पांच साल सफलतापूर्वक पूर्ण होने पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई ...

Satish Chandra Satyarthi ने कहा…

बहुत देर से पहुंचा....
पोस्ट मजेदार रही ....
तारीफ़ के लिए और भयंकर टाइप उपमाए इजाद करने की जरुरत है ;)
पांच साल पूरे होने पर बधाई और आगे के लिए ढेरों शुभकामनाएं ...

बेनामी ने कहा…

अहा! बधाई जी बधाई!!
पोस्ट नहाओ, टिप्पणी फलो!!

हम तो समझे बैठे थे कि आप हमसे सीनियर हैं :-)

Manoj K ने कहा…

बधाई हो पांच साल पूरे करने के लिये।

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

60 महीने की बधाई
पर सठियाये हुए तो
नहीं लगते हो
उड़ते हो
विचरते हो विचारों में
हमको खूब हसीं लगते हो जी

Avinash Chandra ने कहा…

बहुत अच्छा लगा व्यंग
पांच वर्ष पूरे करने पर ढेरों शुभकामनाएँ

abhi ने कहा…

पहले कॉफी हाउस वाली पोस्ट पढ़ी, फिर साहित्य पे मजेदार व्यंग जैसी बात और फिर कविता...
तो अब मुबारकबाद भी ले लीजिए पांच साल पुरे होने पे...कुछ दिन देर से ही सही :)

seema gupta ने कहा…

पञ्च वर्षीय सालगिरह की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाये

regards

महेंद्र ने कहा…

अभिनंदन!! पांच साल पुरे करना अपने आपमे एक उपलब्धी है. मै तो दो साल मे ही थक गया हूं. बघाई :) और आगेके लेखनके लिये मेरी शुभकामनायें.
( हिंदी लिखनेमे कुछ गलती हो गई हो तो क्षमस्व!)