उनका कहना था कि परीक्षा भी मेनेज्मेंट की बात है. टाईम मेनेज्मेंट, एक्साईटमेन्ट मेनेज्मेंट, कन्टेन्ट मेनेज्मेंट सभी लागू होते हैं. कहीं भी चूके और गये. उनके गुर हर परीक्षा में काम आये.
ऊँचे दर्जे के साथ जब कोर्स की किताबें मोटी होने लग गई तो समय तो वही २४ घंटे रहा उल्टे कॉलेज में ज्यादा समय लगने लगा. दोस्त बढ़ गये. घूमने फिरने का दायरा बढ़ गया. दीगर शौकों में समय जाने लगा. तब एक दिन उन्होंने हमें समस्या से जूझते देख एक नया गुर सिखाया-स्पीड रिडिंग-शीघ्र पठन जो रियाज के साथ साथ अतिशीघ्र पठन यानि रेपिड रिडिंग को प्राप्त हुआ. वही ध्यान तेज लेखन याने फास्ट राईटिंग की तरफ भी दिलवाया गया.
उनके शीघ्र पठन वाले गुर का भरपूर फायदा हमने उस समय नावेल पढ़ने में उठाया. वो सिखाते थे कि अगर मटेरियल सिर्फ जानकारी और मनोरंजन के लिये पढ़ा जा रहा और याद रखने की महती आवश्यक्ता नहीं है तो उसे पढ़ते वक्त शब्द शब्द नहीं, लाईन लाईन पढ़ो. पैराग्राफ नजर से स्कैन करो और आगे बढ़ो. किस विषय में है वो प्रस्तावना थोड़ा अधिक ध्यान से, व्याख्या स्कैनिंग मोड में और फिर निष्कर्ष पुनः थोड़ा ध्यान से. बस. इस तरह आप पूरा जान भी लेंगे और शब्द शब्द पढ़ने की अपेक्षाकृत १० प्रतिशत समय में आपका काम हो जायेगा. कभी कोई चीज विशेष पसंद आ जाये तो जितना चाहे लुत्फ लेकर पढ़ो. समय तुम्हारा है कौन रोक सकता है.ऐसे ही कुछ पठन, उसकी प्रस्तावना, शीर्षक और विषय देखकर भी छोड़ सकते हो कि वो आपके पसंद का नहीं हो सकता. समय बचता है. कितनी नावेल बस प्रस्तावना पढ़कर आगे नहीं पढ़ीं. कई उपन्यासकारों की शैली देखकर आपको रुचिकर नहीं लगता तो आप फिर उसका नाम देखकर दूसरी किताब पर चले जायें. ९५% आपका निर्णय सही ही होगा.
इस परीक्षा देने के, अतिशीघ्र पठन और तेज लेखन के गुरों की गठरी बना कर मैने इसका ब्लॉगजगत में पिछले एक वर्ष से खूब इस्तेमाल किया.
आज की स्थितियों में मान लिजिये, दिन की ५० पोस्ट आ रही हैं. मुझे इन ५० पोस्टों को पढ़ने और टिप्पणी करने में मात्र १ से १.३० घंटे का समय देना होता है बस!! क्या आप विश्वास करेंगे? इतना समय तो सभी चिट्ठाकार बिताते होंगे नेट पर बल्कि ज्यादा ही.
मेरा नियम होता है कि पहले मैं छोटी छोटी पोस्ट, कविता आदि निपटाऊँ. फिर समाचार, फोटो आदि और फिर बड़े गद्य. उन बड़े गद्यों में अधिकतर स्कैन मोड़ में. कुछ जो पसंद आये, उन्हें अपना समय है के अंदाज में. मगर जो भी पढ़ूँ, देखूँ या सरियायूँ (स्कैन रिडिंग का हिन्दीकरण), उस पर शीघ्र लेखन (टाईपिंग और अब तो कट पेस्ट की सुविधा हमेशा हाजिर रहती है, कुछ वाक्य वर्ड पैड में लिखकर रख लें न, क्या बार टाईप करना जब दो की स्ट्रोक में १० की स्ट्रोक निपट सकते हैं) का फायदा उठाते हुए टिप्पणी अवश्य दर्ज करुँ ताकि अगला जान सके कि उसकी मेहनत पर हमारी नजर गई है. वो आगे भी मेहनत करने का उत्साह प्राप्त करेगा और आप जब मेहनत करेंगे, तब वह भी आपको उत्साहित करने आयेगा.
२० मिनट में फ्रस्ट फेज (छोटी छोटी पोस्ट, कविता) १५ मिनट में सेकेन्ड फेज (समाचार, फोटो आदि ), १५ मिनट में बाकी स्कैनिंग (बड़े गद्यों में अधिकतर स्कैन मोड़) बाकि का समय अपना पसंदीदा इस स्कैनिंग मोड से उपलब्ध लेखन. अब यदि आप १.३० घंटा दे रहे हैं तो पसंदीदा देखने के लिये आपके पास ४० मिनट बच रहे याने कम से कम १२० लाईन...अधिकतर गद्य २० से ४० लाईन के भीतर ही होते हैं ब्लॉग पर.(अपवाद माननीय फुरसतिया जी, उस दिन अलग से समय देना होता है खुशी खुशी) तो कम से कम ४ से ५ आराम से. चलो, कम भी करो तो ३. बहुत है गहराई से एक दिन में पढने के लिये. (कुछ इस श्रेणी में भी निकल जाते हैं - कुछ पठन की प्रस्तावना, शीर्षक और विषय देखकर भी आप उसे छोड़ सकते हैं कि वो आपके पसंद का नहीं हो सकता.)
अब यदि आपके मन में प्रश्न है कि १ मिनट में दो लाईन कैसे पढ़ पायेंगे (इस स्पीड में तो लाईन याद हो जायेगी, मेरे भाई)- तो भाई मेरे, आप इस लाईन में ही गलत आ गये हो. यहाँ से तो नमस्ते कर लो और राजनीति में किस्मत आजमाओ, सफलता आपके कदम चूमेगी, यह मैं विश्वास के साथ कह सकता हूँ और मेरी शुभकामनायें तो हैं ही.
अंत में निष्कर्ष कि जितना अपने लेखन को समय दो उससे चार गुना समय पठन को दो. कोई आवश्यक नहीं कि रोज लिखें. नये लोगों को नाम देख देख कर अहसास होने लगता है कि मैं खूब लिखता हूँ मगर विश्वास जानिये मेरी एक माह में मात्र १० से ११ पोस्ट होती हैं अर्थात हफ्ते में दो से तीन का औसत. अक्सर दो ही. मगर समय वही रोज १.३० से २ घंटे औसत. किया जा सकता है इतना शौक के लिये, हिन्दी की सेवा के लिये, खुद के मन की शांति के लिये और नाम कमाने के लिये. क्या पता कल को यह भी जुड़ जाये कि कुछ कमाई के लिये.
(आशा है शास्त्री जी, ज्ञान जी और अनूप शुक्ल जी को मेरे इतना समय चिट्ठाकारी को देने का रहस्य उजागर कर मैं संतुष्ट कर पाया और यह नये लोगों के लिये भी उपयोगी सिद्ध होगा)
तो शुरु करें अपनी टिप्पणी यात्रा इसी पोस्ट से.