एक मुद्दत से तमन्ना थी, तुझे छूने की.....
सोचता हूँ वाकई, एक मुद्दत से तमन्ना थी..कलकत्ता नहीं देखा. देश के अनेक शहर देखे, विदेश के अनेक शहर देखे मगर नहीं देखा तो कलकत्ता!! बस, यही तमन्ना पूरी करने निकल पड़े २१ मार्च को कलकत्ता के सफर पर और एक नहीं अनेक तमन्नाऐं पूरी होती देखते रहे..शिव मिश्रा से मिलना, मीत भाई से मुलाकात, रंजना की फोन पर फटकार कि पहले काहे नहीं बताये कि आ रहे हो वरना हम भी आ जाते. छोटी है न!! रुठने मचलने का हक है तो फटकार सुनते रहे और मना भी लिए. वो भी मान गई, खुश हो गई कि अगली बार जरुर मिलेंगे.
क्रिकेट के शौकीन और नियमित खिलाड़ी शिव की फिटनेस प्रभावित करती रही. हमपेशा चार्टड एकाउन्टेन्ट हैं तो अनेकों मुद्दों पर व्यवसायिक सोच भी अति प्रभावशील रही.
कलकता स्टेशन पहुँचे ही थे कि सामने से आता एक नौजवान पहचाना सा लगा. आते ही चरण स्पर्श पहले हमारे फिर पत्नी के. पत्नी गदगद कि कितने संस्कारी मित्र हैं उनके पति के. जैसा शिव के बारे में सोचा था उससे भी ज्यादा संस्कारी और उर्जावान पाया.
बड़ी सी गाड़ी ले कर आये थे हमारे साईज का ख्याल करके मगर वो भी कम ही पड़ गई. दरअसल हमारी बिटिया जैसी साली का परिवार भी साथ था और उस पर से उसी समय ट्रेन मिला कर पत्नी की बड़ी बहन ने भी साथ कर लिया रुड़की से आकर. तब शिव ने तुरंत अपने दफ्तर से एक और बड़ी गाड़ी बुलवाई और हम सब रवाना हुए उस होटल के लिए जो शिव ने बुक कर रखी थी हमारे लिए पहले से. उम्दा व्यवस्था, उम्दा कमरा..वाह!! हमें छोड़ कर और शाम का प्रोग्राम बनाकर शिव ऑफिस वापस लौट गये.
शाम उनके बताये अनुरुप आसपास घूमें और अगले रोज सुबह शिव गाड़ी के साथ फिर हाजिर. गाड़ी दिन भर हमें कलकत्ता घुमाती रही उस दिन भी और अगले रोज भी जब हमें जलपाईगुड़ी के लिए निकलना था गंगटोक और दार्जलिंग जाने के लिए. घूमते फिरते कलकत्ता तो ऐसा समझ आया कि खूब खाओ, दवा लो और सो जाओ. जब नींद खुले तो फिर खाओ. हर तरफ खाने की दुकानें या फिर दवा की और दिन में बाकी सब दुकानें बंद मतलब की सोने चले गये.
अगले रोज शिव मीत को लेकर आये. मीत से हमारी बात पहले दिन ही हो गई थी मगर मुलाकात अगले दिन हुई. सारा परिवार बाजार में शिव की गाड़ी लिए घूम रहा था और हम, शिव और मीत कमरे में बैठे वार्तालाप में व्यस्त थे.
मीत कम बोलते हैं मगर पुख्ता बोलते हैं. पुख्ता इसलिए कि हमारे लेखन की उन्होंने तारीफ की कम बोलने के बावजूद भी.
बहुतेरी बातें हुई. फुरसतिया जी का फोन भी उसी दौरान पहुँचा, तो उनके बारे में भी बात हुई. खराब बात और बुराई करने से तीनों को ही परहेज था तो फुरसतिया जी के विषय में बात शुरु हुई और तुरंत ही रुक गई. :)
शैलेष द्वारा आयोजित ब्लॉगर मीट पर भी विशेष चर्चा हुई. पाया गया कि इस तरह की ब्लॉगर मीट से कुछ ऐसा संदेश जाना चाहिये जो अन्य क्षेत्रों को प्रेरित करे इस तरह के आयोजनों के लिए.
करीब दो घंटे की चर्चा में बैंगाणी बंधु, डॉ अनुराग, कुश, पीडी, नीरज बाबू ताऊ, भाटिया जी, अरविंद मिश्रा, चौखेर बाली, पंगेबाज, ज्ञान जी, शास्त्री जी, राकेश खण्डॆलवाल, प्रमोद सिंग, प्रत्यक्षा जी, अनूप भार्गव, विश्वनाथ जी, जबलपुर ब्लॉगर आदि आदि अनेक लोग आये और सहजता के साथ निकल गये.
मिलन मजेदार रहा. लघुकथा पर विशेष चर्चा में इस ओर ध्यान देने की आवश्यक्ता पर जोर दिया गया. कलकत्ता के ब्लॉगर बालकिशन जी का आना भी तय था किन्तु किंचित व्यवसायिक व्यस्तताओं के चलते रह गया.
पूरी यात्रा में शिव की मेहमान नवाजी का क्या कहें. हम तो घर के ही कहलाये तो कैसे मेहमान. बाकी तो झेला शिव ने है, वो बेहतर बतायेंगे. :) हमारा तो सारा परिवार अब तक शिव स्तुति में लगा है जबकि लौटे हुए २४ से ज्यादा घंटे हो गये हैं.
उनके सौजन्य से मछली खाते जबलपुर लौट रहे थे तो रास्ते में इलाहाबाद में परमेन्द्र महाशक्ति मिलने आये. पिछली बार ट्रेन छुटने के बाद पहुँचे थे तो इस बार दस मिनट पहले से स्टेशन पर मौजूट फोन पर टिकटिका रहे थे. चरण स्पर्श की परंपरा से उन्होंने भी पत्नी को अभिभूत किया, बहुत मजा आया इस युवक से मिल कर भी. बड़े सपने हैं इसके पास और भविष्य की अनेक योजनाऐं. मुझे बेहद उम्मीदें हैं परमेन्द्र से. मिलने पर असीम आनन्द की प्राप्ति हुई. जल्द ही फिर मिलने का वादा है. इलाहाबाद में और किसी को सूचना भी नहीं दे पाये थे तो मुलाकात भी नहीं हुई.
हर मिलन में बस एक ही बात पूरी होती दिखी:
एक मुद्दत से तमन्ना थी.....
बाकी तो शिव, मीत और प्रमेन्द्र ही बतायेंगे अपनी कलम से.
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60 टिप्पणियां:
samajh sakti hun aananda..! ye naye prakaar ke rishte to bane hai.n unki mahak us me shamil log hi samajh sakte hai.n
Blog jagat se judane ka ek aur fayada ye hua ki ab koi shahar paraya nahi rah gaya.
ऐसे ही आपकी सारी तमन्नाऍं पूर्ण हों, हमारी यही कामना है।
-----------
तस्लीम
साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन
भाई समीर लाल जी!
उड़नतश्तरी की कोलकाता की उड़ान अच्छी रही। यात्रा वृत्तान्त रोचक है।
चित्रों के माध्यम से आपने इसमें जीवन के
विविध रंग भर दिये हैं।
आप बधाई के पात्र हैं।
अंत में आपको
अन्तर्राष्ट्रीय महामूर्ख दिवस की
शभकामनाएँ प्रेषित करता हूँ।
आपका लेख पढ़कर लगा की हम भी इस यात्रा में आपके साथ हैं, लेकिन हमें आपसे मिलने का सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ...
कोई बात नहीं हम आपके इंतज़ार में हैं...
मीत
बधाई सबसे मुलाकात के लिए।
आपकी दो घंटे की चर्चा में तो लगता है आवारा बंजारा बिना आए ही निकल लिया ;)
अच्छा लगा पढ़कर..एक बात कहूँ शिवजी से जो कोई मिलता है स्तुति ही करता है ..ऐसे ही हैं वे.
क्या केने क्या केने. हमरी भी तमन्ना है, अरसे से आपको देखने की, देखिये कब पूरी होती है।
वाह क्या बात है ।
कोलकता मे आपने खूब घूमा खाया और सोये और ब्लौगर मीट भी की ।
पूरा वृत्तांत पढ़कर अच्छा लगा ।
बहुत सही....आपकी यही खूबी है कि सबको साथ लेकर चलते हैं...कोलकाता मीट में भी पूरे ब्लगजगत की चर्चा में सबको समेट लिया।
शिवजी,मीतजी से मुलाकात नहीं हुई पर लगता है पूर्व परिचित हैं। बकलमखुद के जरिये तो शिवजी का कहा-अनकहा सबके सामने है।
....आपको नहीं लगता कि कोलकाता से आगे शिलांग, सिलीगुड़ी,दार्जीलिंग की तरफ हिन्दी ब्लागरों की कमी है?
समीर भाई
मजा आया जान कर आपकी सुखद kolkata की yaatra sansmaran पढ़ कर.
आपके jariye हमने भी मुलाकात कर ली सब लोगों से...
आपकी kitaab tayaar है ....हमें पता चल चूका है...........
बहुत बहुत बधाई
बडा शानदार शिव-मिलन समारोह का वर्णन लिखा है आपने. हमारी भी इच्छा अब तो कलकता वापस जाने की करने लगी है.:)
बहुत दिलकश प्रस्तुती.
रामराम.
अरे वाह ! आप तो इंडिया जाकर बहुत मौज़ ले रहें हैं... खाना,पीना,घूमना,दोस्तों से मुलाकात ...चाँदी ही चाँदी हो रही है आपकी ...तभी तो कहें कि आप वापस क्यों नहीं आ रहे,ना ही किसी भी मेल का जवाब दे रहे, अब सब समझ आ गया अच्छी तरह से...
चलिए लेख की भी तारीफ कर देते हैं क्योंकि वो है ही तारीफ के लायक, फोटो भी पंसद आये, घूमते रहिये और यूँ ही लिखते भी रहिये पापाजी से मुलाकात हुई कि नहीं?
Aapki post pe tippanee karneme hamesha sankoch karti hun...mere pehle itni labee qatar hoti hai, ki chupchap khisak jaatee hun...aaj kuchh qatar itnee lambee nahi...(aapko jo comments milte hain, us lihaaz se...!)Isliye, likh rahee hun...
Bharatme Kolkata jaise sheher apne aap me ek deergh kahanee aur parampara liye hue hain...wo baat aapke jaisee sashakt aur hunarmand lekhneehee ujagar kar sakti hai...!
Mai Kolkata kabhee nahee gayi, lekin padhke lag raha tha, meree aankhen kuchh manzar dekh rahee hain...any Bangla lekhakon ko padhke jaise lagta tha, waisahi...
Kaash meree sehet ijazat de aur mai Bharatka ye rajy, khaaskr kolkata itihas ke nazaryese dekh paaoon...saaahityaka itihas, tatha any...kewal bhaugolik drushtikon nahee..
Bohot dinon se aapki mere blogpe aagman mehsoos nahee kiya...aapki rehnumayi ki hamesha qadr karti hun..
इन दिनों जाने क्या है हर बात पर जै हो ही कहते है. तो शानदार मुलाकात पर जय हो... :)
आप तो हो आये और हमारी कलकत्ता यात्रा अभी तक पेंडिंग है....कलकत्ता यूँ बहुत बार गए हैं और वहां की भीड़ भाड़ और गर्मी से घबराए भी हैं लेकिन "शिव" वाले कलकत्ता अभी तक नहीं गए...किस्मत ने साथ दिया और पूर्व जन्म में अच्छे काम यदि किये होंगे तो हमें भी "शिव" की अलौकिक सेवा भक्ति का स्वाद चखने को मिलेगा...
"शिव" के बारे में आपने जितना लिखा है वो अक्षरश: सत्य है लेकिन कम है.... इसमें आपका कसूर नहीं है समस्या ये है की उनसे बारे में आप जितना भी लिखेंगे कम ही पड़ेगा....
अब मुंबई कब आ रहे हैं...??? हमें तो आपने चर्चा योग्य भी नहीं समझा चलो सेवा योग्य तो समझ लीजिये...पत्नी श्री (हमारी भाभी जी) को मालूम तो पड़े की आप के बड़े भाई भी आपका सम्मान छोटों की तरह कर सकते हैं...
नीरज
एक अप्रैल की शुभकामनाओं के साथ
यूँ तो आजकल मिलते नहीं, परंतु आज ब्लागवाणी में टकरा गए. आप ऊपर थे और मैं नीचे.
तो बोझ तले दबते हुए मैने सोचा अब तो टिपियाना ही पडेगा. :)
सो देखिए मैं टिपिया रहा हूँ.
[भारत भ्रमण कर रहे हैं मालिक... गुड गुड. आपके बहाने हम सब कित्ते लोगों से मिल रहे हैं ]
समीर जी बहुत बहुत बधाई।सभी इच्छाएं पूरी हो गई आपकी। ब्लोगरों का आपसी आदर भाव मन को छू गया।
आशीष खण्डेलवाल (Ashish Khandelwal) ने आपकी पोस्ट " एक मुद्दत से तमन्ना थी... " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:
बधाई हो आपकी तमन्ना पूरी हुई.. अपनी भी आपके जैसी ही तमन्ना है.. देखते हैं कब पूरी होती है..
आशीष खण्डेलवाल (Ashish Khandelwal) द्वारा उड़न तश्तरी .... के लिए 4/01/2009 10:55:00 पूर्वाह्न को पोस्ट किया गया
आपकी कोलकाता यात्रा ने मुझे घर की याद दिला दी...२ सालों से जयपुर हूँ ..अब तो लगता है कोलकाता जाना ही पड़ेगा..बहुत दिन हो गए पुचका खाए, झालमुरी खाए, और नंदन में अड्डाबाजी किये और कालीघाट की भी याद आने लगी है ..और ट्राम ..
इसी महीने जाना पड़ेगा ..ऐसा मुझे लग रहा है...
पहली अप्रैल की शुभकामनायें
चलिये यह अच्छा रहा कि शिवकुमार मिश्र की मेहमान नवाजी में वहीं नहीं रम गये - हमारा तो मन वहीं रह जाने का होता है।
वापस आ गये बहुत अच्छा हुआ - नियमित टिप्पणियां मिलने जो लगेंगी! :)
बाकी सब ठीक है लेकिन जो बडी सी गाडी शिव भाई लेकर आये थे वो टाटा ४०७ दिल्ली से मंगवाई गई थी जिसका प्रबंध बंदे ने किया था सो धन्यवाद इधर टिपाईये . वरना इत्ते मजे कैसे बैठ्ते ?
Sameer bhai,
Mitrta ka aapne rasaswadan karaya, padkar bada mazaa aaya.mitr sarahneey hain.
कोलकाता यात्रा सुंदर रही आप की। बहुत दिनों में आप ब्लाग पर नजर आए। गैर हाजरी खलती है।
समीर जी, आपका यात्रा वृ्तांत बहुत ही बढिया लगा.........आपको जीवन में समस्त इच्छाओं की पूर्ती हेतु शुभकामनाओं सहित महामूर्खदिवस दिवस की भी घणी बधाई..
समीर जी, घूम रहे हो इंडिया (भारत) में?
वैसे आपने शिव मिश्रा जी को क्या टोनिक पिला दिया कि बड़े बत्तीसी दिखा रहे हैं.
बढ़िया रही आपकी यह यात्रा ..रोचक रहा इसका विवरण शुक्रिया
सदा सर्वदा यही तमन्ना कि ऐसे ही आपकी सारी तमन्नाऍं पूर्ण हों, हमारी यही शुभकामना .
बहुत अच्छा लगा आप सब मिल लिये और हमेँ भी मिलने का अहसास हुआ समीर भाई , शिव भाई, प्रमेन्द्र जी और मीत जी -
अच्छा लगा आपके कोलकाता भ्रमण के बारे में पढ़कर। पर कोलकाता में सबसे ज्यादा क्या पसंद आया ये नहीं बताया आपने।
जे बात तभी मिश्रा जी गायब थे इत्ते दिनों से .....वैसे आप तो क्लिंटन हो गए सर जी....जहाँ आपकी तश्तरी लैण्ड करती है ..कोई भक्त हमेशा मौजूद रहता है .....ब्लॉग देखिये कैसे लोगो को जोड़ता है.
sameer ji hum to samajhte the aapne blog ka naam udan tashtri rakha hai, aap to sachmuch udan tashtri hain, abhi gangtok, abhi kolkata, aur ab?
wah wah
चलिए कलकत्ता भ्रमण तो हो गया शिवजी ने खातिर भी खूब की .अब दार्जिलिंग की भी यात्रा करा ही दीजिये हम तो ठहरे कूप मंडूक आप के द्वारा ही दुनिया देख प्रसन्न रहेंगे
आपने कहा था कि जब भी कोलकाता जाना होगा तो बागबाज़ार का रसगुल्ला जरूर चखेंगे। समय कम होना वजह रही होगी। खैर, भ्रमण मुबारक हो।
एक सुखद यात्रा का मोहक वर्णन मन को गुदगुदा गया , एहसास बांटने का शुक्रिया !
फोटो देख कर यही कह सकता हूँ -
समीर लाल जी - फलते फूलते ब्लागर
मीत जी - सिकुड़ते ब्लागर,
मिश्र जी - खीस निपोरते ब्लागर
और हम --- ये तो आप ही बताओ
kemi achun?
bhalo !!
barite jabo? Canada?
maja aa gaya...
mahashakti ji ka comment bhi accha tha
वाह-२, घूमते फिरते खूब ब्लॉगर मीट कर रहे हैं, लगे रहिए! :)
वैसे जैसा आप लिखे हैं कि कलकत्ते में खाने-पीने की बहुत दुकानें हैं तो उस हिसाब से हम जैसे शौकीन लोगों के लिए तो बढ़िया जगह जान पड़ती है! :D आशा है आपको कलकत्ता भाया होगा! :)
एक सुखद यात्रा का मोहक वर्णन
शुक्रिया !
वाह वाह आगमन शुभ-आगमन। भैये हमारी बवालो सा॓री बोलेरो इन्वेडर तो डीज़ल वीज़ल भरा कर कबकी पुणे जाने के लिए लिए तैयार खड़ी है। आपके आदेश पर डबलपुर में ही रुके हैं, कलकत्त्ते ही ख़बरें मज़ेदार लगीं। मिश्रा जी तो सेम टु सेम हैं पर हमारे प्यारे मीत दा इतने महीन हैं हमें तो आज ही पता चला फोटो देखकर। हा हा । काश हम आपके साथ होते। ख़ैर कल घर पहुँचते हैं। बाद पुणे को रवाना होंगे।
चलिए ... मुद्दतों बाद तमन्ना पूरी हुई ... खुद मजे लेते रहें और ... इतने दिनों तक ब्लाग जगत को यूं ही छोड दिया ... बिना टिपियाए ... आज ही शिकायत आयी है आपकी ।
धत्त तेरे की......कर दिया ना हमारा हाजमा खराब....अभी कुछ दिनों पहले ही तो हम मीत भाई...शैलेश भाई....और शिव भाई से मिले थे.... अभी शायद अपन ब्लोगरों लोगों से अनजान हैं....इसलिए ज्यादा संवाद नहीं है....गर होता तो अपन भी वहीँ साथ ही होते....एक रात का रास्ता ही है रांची और कलकत्ता का....आपके तो ढेर सारे सपने एक बार ही में पूरे हुए....हमारे तो धरे के धरे रह गए ना.....!!??
अच्छा लग रहा है आपलोगों की मुलाकात के बारे में पढ़ना। अच्छा विवरण दिया है आपने।
उड़्नतश्तरी देश के पूर्वी छोर भी हो आई.बहुत खूब....ब्लॉगजगत के परिवार मे ऐसा स्नेह मिलन देखकर अच्छा लगता है..
बिल्कुल सही कहा आपने- "खूब खाओ, दवा लो और सो जाओ. जब नींद खुले तो फिर खाओ. हर तरफ खाने की दुकानें या फिर दवा की और दिन में बाकी सब दुकानें बंद मतलब की सोने चले गये" और फिर बाहर से जाकर इतने अच्छे=अच्छे खाने के लिये लोभ संवरण करना मुश्किल होता है तो बस फिर दवाई का सहारा और दिन में सोना, क्योंकि सब बंद होता है। और आपको कोई रैली/बंद वग़ैरा नहीं मिली? :-)
रसगुल्ला, राजभोग खाया कि नहीं?
बाद मुद्दत के ये घडी आयी.
अब हम भी राह तक रहे हैं..
बहुत सुंदर लगी आप की यह यात्रा, बाकी आप तो वापिस आने का नाम ही नही ले रहे, चलिएहम आ रहे है आप को लाने के लिये, बस अब तेयार रहे, बहुत घुम लिये भारत, इधर गोरे भी बदमाशी करने लगे है, आप यहां होते तो यह आ का साईज देख कर ही डरे रहते है
अच्छा लगा आपके कोलकाता भ्रमण के बारे में पढ़कर।
समीर भाई फिर बनारस बाईपास कर गये आप ! कलकत्ता प्रवास बस मिलते मिलाते और बतियाते ही बीत गया की कुछ खाए पिए भी -मसलन बागबाजार का रसगुल्ला और मीठी दही ! हम यही ढूंढते रह गए पोस्ट में और आप तो मच्छी भात में पूरे बंगाली बने दिखे !
एक अप्रैल को लिखा होने के कारण हमे इसे फ़र्जी मान रहे हैं और इंतजार कर रहे हैं सच्चे विवरण का।
ऐसा लग रहा है हम भी कोलकाता घूम आये,हमारी भी तमन्ना आप लोगो से मिले,देखे कब पूरी होती है।
कलकत्ता तो अच्छा है पर CNG मांगता है.
ये आपने अच्छा नहीं किया
उधर से उधर ही मुलाकात की कोलकाता देखा और हम अछूते रह गए कोई बात नहीं यह आपकी उपेक्षा मुझे अब पूरा अहसास दिला गई कि हम उस कैटेगरी में नहीं आते चलो अच्छा किया किसी ने तो हमें हमारी औकात याद दिला दी कम से कम एक दो फोन भी हो जाते या फिर अपना नंबर ही दे देते तो हम ही फोन घुमा लेते लेकिन हम इस लायक हैं ही नहीं धन्यवाद आपका
ऐ काश कहीं ऐसा होता कि दो दिल होते सीने में
इक टूट भी जाता गर तो तकलीफ ना होती जीने में
सुन्दर यात्रा वर्णन है । शेखावाटी मे कब पधारेगें ।
कभी इधर भी तशरीफ लाएं....
bahut shukriya .
aapki rachna padhkar achchha laga .
bahut badhaayee ki aap ki tamanna poori hui..dekhiye blogjagat ne duniya mein sab ko kitne nazdeek la diya.
aap sab se mil sakey..[Ranjana ji se nahin]..sansmaran padha..sab ke baare mein aap ke vichar padhey.. apna anubhav share kiya ..dhnywaad.
सर जी, कभी जयपुर आना हुआ तो जरूर मिलिए. हमें भी आपके सानिध्य का सुअवसर मिलेगा.
यह तो बहुत अच्छी बात हो गयी!
हम तो अब कलकत्ता जाने का जुगाड़ बैठा रहे हैं, शिव भैया तो मेरे यहाँ आके मेहमानवाजी कर गए तो उनके यहाँ जाने पर तो... !
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