एक मित्र का फेस बुक पर
स्टेटस अपडेट:
यात्रा पर जाने का
कार्यक्रम रद्द..
कल दिन में तेज
दर्द के कारण इन्जेक्शन लगवाना पडा था।
आज अल्ट्रा साउन्ड कराया तो दोनों गुर्दों में पत्थरी निकली।
दाये में ६ से ७ एमएम और
बायें में ९ से १० एमएम की दो पत्थरी है।
किसी भाई के पास
सटीक इलाज हो या ठिकाना पता हो तो अवश्य बताये।
सरकारी डाक्टर ने
नीरी व सिसटोन बतायी है।
-छः पंक्तियों में सारा निचोड़ बता कर सलाह मांगी गई है.....वो भी सलाहकारों
के ऐसे देश में जो पान की दुकान में खड़ा होकर सचिन को वर्ल्ड कप में कैसे शॉट मारना
चाहिये था की सलाह देने में नहीं हिचकिचाता भले खुद आज तक मोहल्ले की टीम से भी न
खेले हों. वो तो हिलेरी तक को जितवा देते अगर उनकी सलाह मान लेती. ट्रम्प कहीं लग्गे न लगता. अभी चुप हैं वो ...काहे कि उनके मूँह में पान भरा है...११ मार्च को
थूकने के बाद बोलेंगे कि देखा न!! कैसे यूपी हार गये...और करो मन की...न सुनो हमारी..
कई बार इन
सलाहकारों से पूछा कि अगर इत्ता ही जानते हो तो खुद काहे नहीं चले गये खेलने...इत्ती सी बात पर
बिफर पड़े...सीए से लेकर आईएएस तक बने लोगों को पढ़ाने वाले मास्साब कोई सीए या आईएएस होते
हैं क्या? सबका अपना अपना फील्ड है...और आप बात करते हैं!!
खैर पूछा गया तो
फेसबुक पर सलाह आने का दौर शुरु हुआ...
शहद से लेकर साँप
के जहर तक और गरम पानी के हल्के हल्के घूँट से लेकर एक बोतल बीयर सुबह और एक बोतल
बीयर शाम को पीने तक की सलाह दी गई..हर सलाह के साथ दावा १००% शार्तिया इलाज का...दिल्ली वाले डॉ अरोरा वाला..मिले शादी के
पहले या शादी के बाद...
एक मित्र
आयुर्वेदिक दवा मय फोटो बता गये कि हमने यही ली थी..पक्का ठीक हो जाओगे तो दूसरे होम्योपैथी बता कर
निकल लिये.
एक ने बताया कि
उनके गुरु जी एक पुड़िया देते हैं उससे तीन दिन में मात्र ३००० रुपये में आराम आ
जायेगा तो दूसरे ने ऐसा नुस्खा बताया कि एक किलो नींबू में एक मुट्ठी कोढी पंसारी
के यहाँ से लाकर धोकर मिला दो..और १५ दिन के लिए कहीं ऊँची अटारी पर धर दो ताकी हिले न..१५ दिन में कोढी
पूरी घुल जायेगी तब सुबह सुबह आधा कप पी लो..फिर एक घंटे कुछ न खायें..पथरी गल कर निकल जायेगी...भाई मेरे..जब आधा कप ही पीना था तो एक किलो नींबू का रस
काहे निकलवाये? और १५ दिन? तब तक तो इत्ती बड़ी बड़ी पथरी निकलने के पहले दर्द प्राण ही
निकाल लेगा...
एक ने कुलथी की
दाल और उसे बनाने की विस्तृत विधि बताते हुए कहा कि अगले दिन ही पथरी बाहर हो
जायेगी तो दूसरे ने शंका जाहिर की कि हो सकता है पथरी हो ही न...बस, गैस का दर्द हो..अजवाईन में काला
नमक मिला कर फाँक कर देखिये...शायद आराम लग जाये..कई बार डॉक्टर कमाई के चक्कर में झूठ रिपोर्ट
दे देते हैं. हमारे एक दोस्त का ऑपरेशन भी कर डाला था जबकि उसको पथरी थी ही नहीं...अब इसका
क्या प्रमाण कि उसको पथरी थी ही नहीं..पर उनका कहना है कि उस डॉक्टर की लैब में जो
चाय देने जाता था ..उसने बताया था कि ये डॉक्टर ऐसा ही करता है.
एक ने डांटा कि
हम कब से आपसे कह रहे थे कि सेहत का ख्याल रखिये..लेव...अब भुगतो..सुनना तो है ही नहीं..है न!! दूसरे ने कहा कि इस बार तो जैसे तैसे पथरी निकल
जाये बस यही मनाईये..हम भी आपके लिए प्रार्थना करेंगे..मगर आगे से बैंगन, कच्ची प्याज और टमाटर
बिल्कुल बंद...
एक ने अपने मित्र
का खर्च बता कर ही इनको निढाल कर दिया कि उसने लेज़र से निकलवाये थे..रुपये ३००० प्रति
एमएम के हिसाब से डॉक्टर ने लिए थे मानो पथरी निकाल नहीं रहा हो मार्बल लगा रहा हो
..फिर इनके तो १८ एमएम निकलना है...पल्स अस्पताल का खर्च...लाख से कम तो क्या बैठेगा..सोच कर ही पथरी तो क्या अंतड़ी ही बाहर निकल
जाये...
एक मित्र ने बाला
जी के मंदिर जाने की सलाह दी तो दूसरे ने लोटस टेंपल बेहतर बताया....१०१ रुपये का
प्रसाद काम न करेगा अतः १००१ की सलाह दी गई क्यूँकि पथरी का साईज बड़ा है...प्रभु तो सब
जानते हैं..
एक बाबा बंगाली
का पता दे गये कि वो तीन दिन झाड़ देंगे तो पथरी तो क्या पूरी पहाड़ तोड़कर बहा देंगे
तो एक ने झुरमुट वाले अधोरी बाबा से मिलने को कहा जो नीम की पत्ती से ऑपरेशन करते
हैं...
एक घर लाकर भभुत
दे गये कि इसे लगा लो..तो दूसरे स्वस्थ जीवन का सूत्र...बाबा रामदेव से किसी की लिखी किताब थमा गये..
अंत में सबसे
संतोषी जीव आये और बोल गये कि गुगल करके देखिये ..शर्तिया कोई न कोई इलाज मिल जायेगा..उन्होंने अपना
डाटा प्लान खर्च करना भी उचित न समझा सलाह देने हेतु..
हद ये रही कि
किसी ने भी यह नहीं कहा कि जब डॉक्टर ने अल्ट्रा साउन्ड करके नीरी व सिसटोन बताई
है, तो उसे ट्राई करके तो देखो..उस डॉक्टर का अनुभव और पढ़ाई दोनों इसी हेतु है...एक बार आजमाओ
तो..
वही हाल आजकल नई
बहुओं और बेटों का है...बच्चा पैदा होते ही माँ बाप को समझाते हैं कि गुगल ने बताया
है ..इसका सिर मत थपथपाईये प्लीज,,,इससे दिमाग कमजोर हो जाता है...और अपने ही पाले बच्चों से ऐसा व्यक्तत्व सुनकर
माँ बाप को सच में लगने लगता है कि गुगल सच ही कह रहा है..इसका दिमाग भी कमजोर ही हो गया है हमारे इसका सिर
बचपन में थपथपाने से..
तब गुगल तो था
नहीं..न ही फेसबुक कि पूछ कर देख लेते...
मगर माँ बाप को
गुगल से पढ़कर समझाने वाली इस पीढ़ी को कौन समझाये कि गुगल भी हमारे जैसे ही किसी
माँ बाप का अनुभव तुमको लाकर पढ़ा रहा है जिसे तुम आकाशवाणी समझ
बैठे हो...
-समीर लाल ’समीर’
आज के सुबह सबेरे भोपाल में प्रकाशित:
http://epaper.subahsavere.news/c/17124710