सुबह जब मैं उनके घर के सामने से निकला तो भैय्या जी दण्ड बैठक लगा
रहे थे..११०, १११ उनके बाजू में खड़ा उनका चेला दण्ड की गिनती गिन रहा था. सामने
दालान में ही एक चूल्हे पर मावा मिला दूध औंटाया जा रहा था. आजकल रोज सुबह हजार
दण्ड लगाने के बाद भैय्या जी की सरसों के तेल से मालिश होती है. फिर कुनकुने पानी
से स्नान कर औंटाया हुअ दूध ग्रहण करते हैं और इस तरह उनके दिन की शुरुआत होती है.
फिर चेलों की आवाजाही शुरु हो जाती है. योजनायें बनती हैं. चेले लठ्ठ
को तेल पिला रहे होते हैं और भैय्या जी कान खोदते, बतियाते पान चबा
रहे होते हैं.
पूछने पर पता चला कि त्यौहार की तैयारी चल रही है. आश्चर्यजनक तौर पर
कोई त्यौहार तो आस पास आता दिखता न था. नागपंचमी भी आने में तो पूरा आधा साल बाकी
है कि उस वजह से पहलवानी की तैयारी कर रहे हों.
हाँ, चुनावी माहौल जरुर है चारों ओर और उसके लिए इस तरह की तैयारी भी
मुफ़ीद है. मगर भैय्या जी ने चुनाव को कभी त्यौहार का दर्जा नहीं दिया. वो उनकी
जीवन शैली है, उनकी धड़कन है और उनके जीवन यापन का साधन है. चुनाव हैं तो बाकी सब
त्यौहार हैं वरना तो यह जीवन ही बेकार है की तर्ज पर जीने वाले भैय्या जी, राजनिती
के बाहुबलियों की बस्ती के सरगना हैं, जिन पर अनेकों हत्याओं और बलात्कार के
मामले दर्ज हैं. उनके लिए चुनाव उनका एक
ऐसा दायित्व है जिसे निभाने के लिए वह इस मृत्युलोक में पधारे हैं और इसी दायित्व
के चलते कितने लोगों को मृत्यु के घाट तक पहुँचा आये हैं, वो भला चुनाव को
त्यौहार मानें, न!! ऐसा हो ही नहीं सकता.
अतः मन की शांति के लिए पूछना ही पड़ा कि भैय्या जी किस त्यौहार की
तैयारी में जुटे हैं?
पता चला कि वेलेन्टाईन डे की तैयारी कर रहे हैं. दो दिन बचे हैं बस!!
एकदम युद्ध स्तर पर तैयारियाँ चल रही हैं.
हमारे तो पाँव तले धरती ही खिसक गई. अगर मोहब्बत की उम्र की
एक्सपायरी का आधार नेताओं की मोहब्बत की कहानियों से भी उठाये तो भी ६० बसंत से
उपर तो क्या तय कर पायेंगे कुछ अपवादों को छोड़ कर. इस आधार पर भी मोहब्बत की
एक्सपायरी डेट पार किये भैय्या जी को लगभग आधा दशक से उपर बीत चुका है.
ऐसी उम्र में वेलेन्टाईन डे? क्या मूँह दिखायेंगे घर परिवार में ये?
हालांकि
राजनेताओं को इन सब बातों की चिन्ता तो होती नहीं है, यह सब तो आप हम
जैसे आमजनों के लिए बनाई गई सामाजिक बाध्यतायें हैं.
फिर भी भैय्या जी इतने उत्साह्पूर्वक वेलेन्टाईन डे का त्यौहार मनाने
की तैयारी करें, वो भी ऐसे कि जब नव युवा प्रेमी नये कपड़े बनवा रहे हैं, गिफ्ट
खरीदने की तैयारी कर रहे हैं, गुलाब के बुके पसंद कर रहे हैं,
तब
भैय्या जी दण्ड लगाकर और मालिश करा कर बदन बना रहे हैं, दूध औंटा कर
मावे डाल कर पी रहे हैं, फूल की जगह लठ्ठ सजा रहे हैं तेल पिलवा
कर...अजब तरीका है भैय्या जी का. बाहुबलियों की बात यूँ भी निराली होती है. यह तो
खुश हों तो बंदुक दागें, गुस्सा हों तो बंदुक दागें...शायद
इन्हीं की प्रेमिकायें गाती होंगी... कैसा तेरा प्यार कैसा गुस्सा है तेरा,
तौबा
सनम तौबा सनम…
वेलेंटाईन डॆ के दिन हम भैय्या जी के घर के सामने पेड़ के नीचे खड़े हो
गये यह देखने के लिए कि क्या नजारा बनेगा इनके इस उम्र में वेलेन्टाईन डे मनाने के
जोश का…
कुछ ही देर में भैय्या जी अपने सैकड़ों चेलों के साथ लट्ठ लिये निकलते
दिखाई दिये…जय श्री राम का नारा आकाश में गुंजायमान हो गया..
शाम को टीवी में शहर भर के हजारों प्रेमी प्रेमिकाओं के पीटे जाने की
खबर ब्रेकिंग न्यूज बनीं और भैय्या जी अपने साथियों के साथ प्रेस कांफ्रेस करते
नजर आये…हम अपनी संस्कृति से खिलवाड़ नहीं होने देंगे.
-समीर लाल ’समीर’
भोपाल से प्रकाशित दैनिक सुबह सवेरे के रविवार मार्च 21, 2021 के अंक में:
http://epaper.subahsavere.news/c/59227517
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