'दिल-ए-बेरहम, माल-ए-मुफ्त, उड़ाये जा दिल खोल के'
ये
बात बिल्कुल सटीक बैठती हैं हमारे देश में दी जाने वाली सलाहों के मुफ्तिया
सलाहकारों पर.
सलाहों
का आकार प्रकार मौके के अनुसार बदलता रहता है मगर उड़ाई सदा ही जाती है. इन
सलाहों का विशिष्ट चरित्र होता है;
यह
सलाह बिना मांगे दी जाती हैं.
यह
सदा ही मुफ्त में दी जाती हैं.
इसको
देने वाला जिस विषय पर सलाह दे रहा है, दरअसल
निजी जिन्दगी में न तो इन समस्यायों से वो कभी दो चार हुआ है और न ही इस विषय में
कोई शिक्षा दिक्षा प्राप्त की है और न ही कोई प्रशिक्षण.
मजे
की बात ये है कि वो जिसे सलाह दे रहा है, उस व्यक्ति
का भी न तो उस समस्या के निराकरण में कोई योगदान होने वाला है और न ही वो उसके निराकरण
करने वालों से कहीं से जुड़ा है.
सुनने
वाला सलाह सुनकर ऐसा गदगद होता है जैसे उसकी कोई व्यक्तिगत परेशानी का निराकरण मिल
गया हो.
हाल
ही आने वाले चुनाव के लिए गठबंधन और चुनाव जीतने के दांव पेंच में जितने सत्ताधारी
और विपक्ष के लोग न परेशान हो रहे होंगे, उससे
कई गुना ज्यादा से मुफ्तिया सलाहकार परेशान हो हो कर सलाह उड़ाये पड़े हैं.
इनका
जज़्बा देखकर लगता है कि जो इनकी सलाह नहीं मनेगा, उसे
सत्ता तो क्या, चुनाव में जीत भी न हासिल होगी. अभी
न सत्ता पक्ष ने और न ही विपक्ष ने इतनी दूर तक नहीं सोचा है कि जीतने के बाद इस
तरह से ये समीकरण खड़ा होगा और फलाना प्रधानमंत्री बन जायेगा. देख
लेना पक्की बात निकलेगी, बस अगर हमारी सलाह पर चलें तो.
अब
यह सलाह जिस पान के ठेले पर उड़ाई जा रही है, वहाँ
प्रधान मंत्री पद का उम्मीदवार तो छोड़ो, मोहल्ले
के संतरी का उम्मीदवार भी नहीं आता है. मगर
सलाहकार ने सलाह दे डाली और सुनने वाले ने खुशी खुशी हामी भर दी कि सही कह रहे हैं
भईया आप!!
आजकल
पान के ठेलों से बढ़कर, विकास के चलते यह मुफ्तिया सलाहकारी का
व्यवसाय व्हाटसएप, फेसबुक और ट्विटर आदि की चौपालों पर आ
बैठा है.
देश
में आतंकी हमले का जबाब पड़ोसी मुल्क को कैसे दिया जाये वो नेशनल सिक्यूरीटी, रक्षा
मंत्रालय, प्रधानमंत्री एवं अन्य सुरक्षा
एजेन्सियों को यह सलाहकार टैग और हैसटैग लगा लगा कर बता रहे हैं. कहाँ
से हमला करना शुरु करना है और कहाँ तक करते चले जाना हैं, वो
सेनाध्यक्ष को ये सलाहकार बता रहे हैं.
इससे क्या अंतर पड़ता है कि वो सलाह ले रहे हैं कि नहीं.
पूरा
एनासिस तैयार है. पानी बंद कर देने से उनको कितना नुकसान
पहुँचेगा, व्यापार बंद कर देने से कितना उनकी
जीडीपी पर असर पड़ेगा आदि पूरा बिलियन डॉलर में दशमलव तक लगाकर फेसबुक पर अपनी वाल पर
लगाकर आत्ममुग्ध बैठे हैं और उधर देश के और पड़ोसियों के अर्थशास्त्री बड़े बड़े
कम्प्यूटर में रात दिन अभी तक पता लगाने में जुटे हैं कि कितना अनुमानित नुकसान
में होगा.
हालांकि
पान की दुकानें आज भी साथ में सजी हुई हैं. सलाहकार
वहाँ अब भी हैं. जिनको ३७० तक की गिनती नहीं आती ठीक से
वो सलाह दे रहे हैं कि मौका सही है गुरु, धारा
३७० हटा देना चाहिये..अभी नहीं तो कभी नहीं..हम
बता दे रहे हैं.
एक
स्पॉन्सर्ड सलाहकार ने तो मौके की नज़ाकत भांपते हुए ये तक सलाह दे डाली कि अगर
विपक्ष ने आड़ न लगाई होती तो आज राफेल गज़ब का काम आता हमला करने में. मगर
विपक्ष को कब पड़ी है देश की रक्षा की परवाह? मेरी
सलाह मानो तो अगली बार भी इसी सरकार को लाओ, राफेल
आकर खड़ा हो जायेगा तो फिर दुश्मनों की हिम्मत न होने वाली आगे से ऐसी हरकतें करने
की.
धन्य
हैं ये सलाहकार और धन्य है इनकी उर्जा. बस
कई बार ये पूछने का मन कर जाता है कि ये सलाह तुमसे मांगी किसने है?
जबाब
भी पता है कि ’हम देश भक्त हैं, इतनी
चिंता करने की और सलाह देने की तो बनती है’
-समीर लाल ’समीर’
भोपाल से प्रकाशित दैनिक सुबह सवेरे में रविवार
फरवरी २४, २०१९ को: http://epaper.subahsavere.news/c/37013778
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