भाई अभिनव शुक्ल का नाम यूँ तो किसी परिचय का मोहताज नहीं है. आप नियमित उन्हें निनाद गाथा ब्लॉग पर पढ़ते और सराहते आये हैं. यह मेरा सौभग्य ही है कि मेरे पहले कवि सम्मेलन में मंच प्रस्तुतिकरण के समय वो मेरे बाजू में बैठे मेरा हौसला बढ़ाते रहे. हमको अपना बड़ा भाई मानने वाले स्नेही अभिनव ने उसी कवि सम्मेलन के दौरान अपनी नई सी.डी. "हास्य-दर्शन" भेंट की. हमने बड़ी खुशी खुशी अपना अधिकार जताते हुये ले भी ली और धन्यवाद भी शायद नहीं दिया. फिर कभी दे लेंगे सोचते हुए. तब से अब तक वो सी.डी. कई बार सुन चुका हूँ, मगर मन ही नहीं भरता तो सोचा कि धन्यवाद स्वरुप उसकी समीक्षा ही पेश कर दी जाये.
'हास्य-दर्शन' में अभिनव की १९ कविताओं को उनकी अपनी आवाज़ में सुना जा सकता है। इसमें हास्य, व्यंग्य, राष्ट्रीय चेतना तथा जीवन दर्शन से जुड़ी हुई कविताओं को बहुत सुंदर रूप में प्रस्तुत किया गया है। अपनी इसी विविधता के कारण यह एलबम हास्य से दर्शन तक की यात्रा तय करता प्रतीत होता है। 'हास्य-दर्शन' का विमोचन 'अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति' के रजत जयंती समारोह में अमेरिका की राजधानी वाशींगटन डी सी में हुआ। 'हास्य-दर्शन' को कवि अभिनव की प्रथम काव्य प्रस्तुति होने का गौरव भी प्राप्त है। अभिनव की कविताओं में जो लोक तत्व है वह अनुकरणीय है। उन्होंने बड़ी सहज भाषा में जटिल से जटिल भावों को कुशलतापूर्वक प्रस्तुत किया है।
जिन्होने अभिनव को मंच पर बोलते सुना है, वे सभी जानते हैं कि उनमें भाषा की गहनता तथा प्रस्तुति का सौंदर्य एकमएक हो गया है। मैं अभिनव के साथ 'नियाग्रा फाल्स कवि सम्मेलन' के मंच पर काव्य पाठ कर चुका हूँ। मैंने वहाँ देखा कि किस प्रकार श्रोताओं को सम्मोहित करते हुए अभिनव अपने पिटारे में से एक के बाद एक उत्कृष्ट रचना निकाल रहे थे। एक ओर जहाँ उनमें मंचीय कवियों की अदाएँ हैं तो वहीं दूसरी ओर भीषण साहित्यिक रचनाकारों की गम्भीरता भी उनके व्यक्तित्व का अंग है। सामान्य से सामान्य विषय पर बात करते करते वे न जाने कब गहनता के महासागर में प्रवेश कर जाते हैं। यह विषयांतर तथा विविधता अभिनव के काव्य पाठ को तथा उनकी रचनाओं को समृद्ध करती है।
हास्य दर्शन हमें हास्य से दर्शन तक की एक यात्रा पर ले जाता है। एलबम का प्रारंभ भाषा की भावपूर्ण वंदना, "राष्ट्रभाषा हिंदी" नामक रचना से होता है तथा फिर अभिनव हमें हास्य-व्यंग्य लोक में ले जाते हैं। एलबम के अंत में चार गम्भीर कविताओं को स्थान दिया गया है, मेरे विचार से ये कविताएँ बहुत ज़रूरी थीं क्योंकि इन्हीं से श्रोता को दर्शन की अनुभूति होती है। एलबम के दो पड़ाव हैं, एक जब हास्य रचनाएँ व्यंगय में विलीन हो जाती हैं तथा दूसरा जब व्यंग्य रचनाएँ दार्शनिकता को स्थान देती प्रतीत होती हैं। सुस्पष्ट और कानों को अच्छी लगने वाली सुमधुर प्रवाहपूर्ण भाषा तथा सरल प्रस्तुति के कारण कवि सामने बैठ कर आपसे संवाद करता सा प्रतीत होता है।
अभिनव की बहुआयामी काव्य प्रतिभा तथा उत्कृष्ट प्रस्तुति के कारण 'हास्य दर्शन' काव्य प्रेमियों में खासा लोकप्रिय हुआ है। मेरी कार में भी 'हास्य दर्शन' जब तब बज कर मुझे काव्य लोक की यात्रा करवाता रहता है। अगली बार जब आप अभिनव से मिलें तो उनके आटोग्राफ सहित 'हास्य दर्शन' की सीडी को भी अपने साथ संजो लीजिएगा।
एलबमः 'हास्य-दर्शन' - A journey from laughter to philosophy.
कविः अभिनव शुक्ल
परिकल्पनाः अखिल अग्रवाल
परिचयः डा आदित्य शुक्ल
चित्रः कल्पा रमैया
फोटोः शबरेज़ इरफान खान
सर्वाधिकारः दीप्ति शुक्ल
अनुक्रमः
१ राष्ट्रभाषा हिंदी - (हिंदी भाषा से कवि के संबंध की अंतर्गाथा।)
२ वैलेंटाइन डे - (घनाक्षरी छन्दों में प्रस्तुत विनोदपूर्ण प्रेम संदर्भ।)
३ रेल-यात्रा - (बरेली से लखनऊ तक की रेल यात्रा का व्यंग्यपूर्ण वर्णन करती हास्य कविता।)
४ रसगुल्ला - (हलवाईगिरी करने की आनंददायक संस्मरणात्मक कविता।)
५ हमें तो बहुत पैसा कमाना है - (प्लास्टिक समाज पर प्रहार करती सटीक व्यंगय रचना।)
६ मुट्टम् मंत्र - (चेतावनीः स्वास्थय के प्रति जागरुकता मोटापे के लिए हानिकारक है।)
७ इंटरव्यू - (इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के साक्षात्कार पर मज़ेदार हास्य कविता।)
८ वर्लड वार - (आखिर क्यों होती है।)
९ जेब में कुछ नहीं है - (प्रेम के पीछे के सच का खुलासा।)
१० हम तो आई आई एम जाएँगे - (संसद और आई आई एम के मध्य झूलती व्यंग्य रचना।)
११ कोई तो जीवित है - (संवेदनहीनता पर चुटीला व्यंग्य।)
१२ मोटा काग़ज - (शिक्षा व्यवस्था पर क़रारा व्यंग्य।)
१३ साहस - (जोश और हिम्मत का संचार करती उत्साहपूर्ण कविता।)
१४ मशाल दीपक और चिंगारियाँ - (चिंगारी से मशाल बनने की प्रेरणा देती छोटी सी रचना।)
१५ एक स्वप्न - (राष्ट्र भक्ति से परिपूर्ण ओज कविता।)
१६ अंदर से बाहर तक - (तुलनात्मक अध्यनात्मक कविता।)
१७ हम भी वापस जाएँगे - (प्रवासी मनोभावों की सशक्त प्रस्तुति।)
१८ नदी के दो किनारे - (जीवन को प्रकृति से जोड़ती हुई अद्भुत कविता।)
१९ पिता का जन्मदिवस - (बुज़ुर्ग पिता की अवस्था का मार्मिक चित्रण।)
भाई अभिनव और उनके सशक्त प्रस्तुतिकरण की एक झांकी आप यहाँ भी देख सकते हैं. इसी प्रस्तुतिकरण से आप समझ जायेंगे कि हमें अभिनव से इतना लगाव क्यूँ है, आखिर मोटापे का घोर समर्थक जो है. अभिनव के उज्जवल भविष्य के लिये अनेकों शुभकामनायें. उसका नाम होगा तो हमारा भी तो करवायेगा, यह हम तय मान कर चल रहे हैं. :)
पुनश्चः : इस समीक्षा के छप जाने पर अभिनव भाई ने घोषणा की है कि जिसे भी यह सी.डी. चाहिये, उनके हस्ताक्षर के साथ, वो यहाँ टिप्पणी के माध्यम से प्राप्त कर सकता है. हर संभव प्रयास होगा कि आप को सी.डी. जल्द मिले, जब भी आपसे अभिनव भाई की मुलाकात होगी.