शाम टहलने निकला था. सामने से आती महिला के कारण तो नहीं मगर उसके साथ पतले से
धागेनुमा किसी डोरी में बँधे बड़े से खुँखार दिखने वाले कुत्ते के कारण वॉक वे छोड़
कर किनारे घास पर डर कर खड़ा हो गया. कुत्ता मेरे सामने से बिना
मुझे देखे निकल गया मगर शायद वह महिला मेरा डर भाँप गई और मुस्कराते हुए बोलीं- डरो मत. यह मेरा कुत्ता है, वेरी हम्बल. किसी से कुछ नहीं कहता और न
भौंकता है. मुझे उस कुत्ते की स्थिति
पर थोड़ी दया भी आई मगर यूँ तो कितनी ही महिलाओं के पतियों को भी इसी हाल से गुजरते
देखा है तो किस किस पर रोईये का भाव ओढ़ कर पहले तो मैं चुप रहा.
फिर महिला का बातूनी नेचर देख कोतुहलवश उससे पूछ ही लिया कि क्या
कभी घर में कोई चोर घुस आये तब भी नहीं भौंकेगा या काटेगा उसे?
महिला पुनः मुस्कराई और
बोलीं- कहा न, मेरा कुता है. वेरी हम्बल..न भौंकता है और न काटता है. दूसरे कुत्ते इस पर भौंकते भी हैं तो ये मेरे पीछे आकर छुप
जाता है मगर मजाल है कि कभी भौंका हो या काटा हो किसी को. मेरा कुत्ता है, वेरी हम्बल!!
बहुत कोशिश की कि अपनी टहल
जारी रखूँ मगर रहा नहीं गया..मूँह से निकल ही गया कि
इससे अच्छा होता कि आप इसके बदले में बकरी पाल लेती..कम से कम रोज १.५ से २ लीटर दूध ही
दे देती.बाकी का स्वभाव, व्यवहार तो बिल्कुल ऐसा ही रहता.
मुझे लगा था कि उन्हें मेरा
सुझाव पसंद आयेगा मगर वो तो उल्टा ही भड़क गई. कहने लगी ऐसे स्वभाव, व्यवहार देख कर
हिसाब लगाते हो तो हिम्मत है तो अपने उनको जाकर कहो कि ५६ इंच के सीने के बदले ५६
इंच की जुबान का दावा किया करें.
मुझे गुस्सा आ गया. मैने कहा आपको उनके बारे में ऐसा नहीं कहना चाहिये. हम आप पर मानहानि का दावा कर देंगे उनकी तरफ से. वो भी गुस्से में थी तो कहने लगीं मैं भी कर दूँगी कि
इन्होंने मेरे कुत्ते को बकरी कहा.
मैने कहा कि कित्ते की
मानहानि हुई मैडम आपकी? वह बोलीं कि खुद ही गिन लो..२ लीटर दूध रोज के हिसाब से बकरी कम से कम १८ साल तक तो जिन्दा रहेगी ही, तो कितना हो
जायेगा मय ब्याज के? और तुम्हारी कित्ते की हुई?
मैने साफ कह दिया कि १०
करोड़ से कम का तो प्रश्न ही नहीं उठता..वो कहने लगी १० करोड़
किस हिसाब से, वो तो बताओ?
मैने कहा कि ५६ ईंच ५६ ईंच
करती हो और इतना भी नहीं जानती कि उनसे कोई हिसाब नहीं माँग सकता..उन्होंने कह दिया कि १० करोड़ तो १० करोड़..बस्स!! ऐसे हिसाब देने लग
गये तब तो दिन भर खाता बही लेकर हिसाब ही करते रह जायेंगे..विकास कब करेंगे, विदेश
कब जायेंगे, भाषण कब देंगे?
नोट बंदी से काला धन समाप्त
हो गया. सब भ्रष्टाचार खत्म हो गये. कश्मीर शांत हो गया..इसका कैसा हिसाब?
उन्होंने कह दिया कि हो गया मतलब हो गया. अब चाहे आपको जो दिखे..आँखों देखे पर
नहीं, रेडियो पर सुने पर विश्वास करना सीखो..वे वहीं से बोलते हैं. हमारे यहाँ
उनसे हिसाब मांगना पाप माना जाता है..यह धर्म के खिलाफ है.
वो घबरा कर माफी मांग कर
निकल गई.
मुझे क्या, मैं तो टहलने निकला था सो टहल के वापस आ गया.
-समीर लाल ’समीर’
#Jugalbandi
#जुगलबन्दी
1 टिप्पणी:
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज गुरूवार (01-06-2017) को
"देखो मेरा पागलपन" (चर्चा अंक-2637)
पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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