बुधवार, जनवरी 27, 2010

कहते हैं मेरी माँ की ५वीं पुण्य तिथि है आज!!

आज माँ को गये पूरे ५ बरस हो गये. लगता है कल ही बात हुई थी.

जाने के एक दिन पूर्व ही फोन से बात हो रही थी. तब सोचा भी नहीं था कि यह बात आखिरी बार हो रही है. भोपाल जा रहीं थी. तय पाया था कि परसों लौट कर फिर बात होगी. वो परसों कभी नहीं आया. भोपाल में ही हार्ट अटैक आया और वो नहीं रही.

भारत में रह रहे मेरे भाई, बहन, पिता जी और सारे परिवार के सदस्यों के साथ वो २८ जनवरी तक रही और मैं परिवार का छोटा, इसमें भी घाटे में रहा, मेरे लिए वो २७ को ही चली गई. हाँ, उस समय कनाडा में २७ तारीख थी और भारत में २८ का सबेरा. सब उसके साथ १२ घंटे ज्यादा रहे और मैं, उसे बाकी सबसे १२ घंटे पहले ही खो बैठा.

फोन आया था दोस्त का. तुरंत पिता जी को फोन लगाया. भोपाल में अस्पताल में थे माँ के पार्थिव शरीर के साथ, बस एक शब्द-हाँ. बाकी मौन सिर्फ अहसास की भाषा अगले ४ मिनट तक!!

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माँ-श्रीमति सुषमा लाल (२८ जनवरी, २००५)

लगता है कि कल ही उससे बात करता था. ये ५ साल, एक खालीपन, कब निकल गये मैं नहीं समझ पाया. अभी भी वो रोज मिलती है मुझे ख्वाबों में. कोई रात याद नहीं जब वो न आई हो. जाने क्या क्या समझाती है. मैं झगड़ता भी हूँ वैसे ही जैसे जब वो सामने थी... फिर नींद खुलने पर रोता भी हूँ मगर वो रहती आस पास ही है. तन से नहीं...मन से तो वो गई ही नहीं. चुप करा देती है. कोई जान ही नहीं पाता उसके रहते कि मैं रोया भी.

मैं उसके नाम के साथ स्वर्गीय लगाने को हर्गिज तैयार नहीं आज ५ साल बाद भी. वो है मेरे लिए आज भी वैसी ही जैसी तब थी जब मैं उसे देख पाता था. तुम न देख पाओ तो तुम जानो.

माँ कभी मरती है क्या...वो एक अहसास है, वो एक आशीष है, वो मेरी सांस है...उससे ही तो मैं हूँ..वो मेरी हर धड़कन में है..वो कोई एक तन नहीं जो मर जाये और हम उसे भूल जायें पिण्ड दान कर पुरखों में मिला कर.

विश्व की हर माँ सिर्फ माँ होती है और बस माँ होती है..भगवान की भी कहाँ इतनी बड़ी बिसात कि माँ बन पाये..भगवान होना अलग बात है!!! वो इससे बहुत उपर है.

आज २८ जनवरी है. भारत के हिसाब से उसकी पाँचवीं पुण्य तिथि. मेरे हिसाब से कल थी. खैर!! मैने इस घाटे से समझौता करना सीख लिया है.

माँ २८ को गई तो साधना के पिता उसके ठीक एक दिन बाद २९ जनवरी को. जब माँ गई तब साधना भारत से कनाडा आने के लिए जहाज में थी और जब यहाँ कनाडा में उतरी, तो उसके पिता जी ने दम तोड़ दिया ऐसी खबर आई.

papa1
साधना के पापा-स्व.श्री के.एन. सिन्हा (२९ जनवरी, २००५)

हम दो दिन बाद भारत पहुँचे. न मुझे माँ के अंतिम दर्शन हुए और न उसे उसके पिता जी के.

बस, कभी हिसाब करने का मन करता है कि यहाँ आकर क्या खोया, क्या पाया!!

बिखरे मोती का विमोचन हुए बहुत समय नहीं बीता है. आज किसी को वही किताब भेंट करता था. माँ को समर्पित यह पुस्तक अनायास ही माँ की याद सामने ले आई, बस, कुछ पंक्तियाँ बह निकली..अनगढ़ सी...बिना सुधार मय आंसू पेश करता हूँ.

आज फिर रोज की तरह

माँ याद आई!!

माँ

सिर्फ मेरी माँ नहीं थी

माँ

मेरे भाई की भी

मॉ थी

और भाई की बिटिया की

बूढ़ी  दादी..

और

मेरी बहन की

सिर्फ माँ नहीं

एक सहेली भी

एक हमराज...

और फिर उसकी बेटियों की

प्यारी नानी भी वो ही...

उनसे बच्चों सा खेलती नानी...

वो सिर्फ मेरी माँ नहीं

गन्सु काका की

माँ स्वरुप भाभी भी

और राधे ताऊ की

बेटी जैसी बहु भी...

दादा की

मूँह लगी बहू

दादी की आदेशों की पालनकर्ता

उनकी परिपाटी की मूक शिष्या..

उन्हें आगे ले जाने को तत्पर...

और नानी की

प्यारी बिटिया

वो थी

अपनी छोटी बहिन और भाईयों की दीदी

और अपनी दीदी की नटखट छुटकी..

नाना का अरमान

वो राधा की सहेली ही नहीं

माँ सिर्फ मेरी  ही नहीं..

उसकी बेटी की भी

माँ थी...

माँ

कितना कुछ थी..

बस और बस,

माँ सिर्फ माँ थी..

हर रुप में..

हर स्वरुप में..

मगर फिर भी

सिर्फ मेरी ही नहीं...

माँ हर बार

सिर्फ माँ थी.

अब

माँ नहीं है

इस दुनिया में...

वो मेरे पिता की

पत्‍नी, बल्कि सिर्फ पत्‍नी ही नहीं

हर दुख सुख की सहभागी

उनकी जीवन गाड़ी का

दूसरा पहिया...

अब

पिता छड़ी का सहारा लेते हैं..

और फिर भी

लचक कर चलते हैं...

माँ!!

जाने क्या क्या थी

माँ थी

मेरा घर

वो गई

मैं बेघर हुआ!

--समीर लाल ’समीर’

माँ, क्या सचमुच तुझे गये ५ साल हो गये??

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131 टिप्‍पणियां:

रानीविशाल ने कहा…

बहुत ही अच्छी भावनामयी अभिव्यक्ति ...सुन्दर शब्द शैली !!
सभी आदरणीय जन को पुण्य-स्मरण ..
http://kavyamanjusha.blogspot.com/

Kulwant Happy ने कहा…

माँ को मेरी ओर से टिप्पणी रूप में श्रद्धांजलि।
आज से एक महीने बाद मेरी माँ की भी पुण्यतिथि है।

अनूप शुक्ल ने कहा…

विनम्र श्रद्धांजलि।

मनोज कुमार ने कहा…

नमन और श्रद्धांजलि!!

वाणी गीत ने कहा…

माता पिता याद बनकर हमेशा साथ रहते हैं ...मगर फिर भी उनके कमी हमेशा महसूस होती है ...
विनम्र श्रद्धांजलि .....

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

dil ko chhooti abhivyakti....................shradhanjli.

पंकज सुबीर ने कहा…

समीर जी मांएं शरीर नहीं होती हैं । मांएं तो पुण्‍य फल होती हैं । मां तो एक आशीष होती है जो हर कड़े समय में हमारे सर पर साया कर देती है । मां को किसी एक शरीर के रूप में नहीं देखना चाहिये । मां तो सर्वत्र होती है । मां का नेह उसके बाद भी हमें मिलता रहता है । वो शायद ऊपर जाकर स्‍वर्ग में भी वहां के देवताओं के साथ इसी बात पर झगड़ती है कि मेरी संतानों को ये परेशानी क्‍यों दी जा रही है । हर रूप में हर रंग में वो अपने बच्‍चों के लिये ही जीती है । किन्‍तु ये भी सच है कि मां जब साकार रूप में हमारे साथ होती है तब हमें ऐसा लगता है कि हमारा तो कोई कुछ बिगाड़ ही नहीं सकता हमारी मां तो हमारे साथ है । वो कहीं भी है लेकिन वो जो ईश्‍वर के सामने बैठी आंखें मूंद कर हमारे लिये दुआएं मांग रही है वो दुआएं हमारी हर मुश्किल का समाधान हैं । मैं तो उस संसार की कल्‍पना करके ही खौफ से भर जाता हूं जिसमें मांएं नहीं हों । आपने अपनी पुस्‍तक बिखरे मोती के माध्‍यम से मां को जो श्रद्धांजलि दी है उसे वे वहां स्‍वर्ग से भी देख रही हैं और पुलकित हो रही हैं । और गर्व कर रही होंगीं अपने बेटे पर । मेरी विनम्र श्रद्धांजलि

आशु ने कहा…

समीर भाई,

आप की माँ के बारे में यह रचना पढ़ कर मेरा मन भर आया! मैंने अभी १ साल के थोडा ऊपर १९ दिसम्बर २००८ को माँ को खो दिया! भारत से बस फ़ोन आया १९ की रात में के माँ चली गयी. मन सन्न सा हो गया ! आप ने अपनी रचना में जैसे मेरी सारो भावनाओ की ज़िक्र कर दिया! एक खालीपन्न जो मन में पैदा हो गया है वोह किसी तरह से भर नहीं पा रहा! आप ने सच कहा मुझे तो अभी भी ऐसे ही लगता जैसे वोह भारत में ही है और मेरे हर रविवात्र की रात को यहाँ से आने वाले फ़ोन का इन्तिज़ार कर रही है! कभी नहीं आता तो परेशान हो जाती की शायद मेरी तबियत ख़राब न हो कहीं सब से छोटा जा ठेहरा अपने सभी बेहन और भाइयों में से.

आप की रचना पढ़ कर मुझे लगा मेरे मन का बोझ आप से साँझा हो गया है बस!

आशु

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

माँ और पिता दोनों स्मृतियों में सदैव रहेंगें.
यथार्थ में डूबी एक सुंदर भावपूर्ण पोस्ट.
विनम्र श्रद्धांजलि.

विवेक रस्तोगी ने कहा…

हमारे पास तो कहने के लिये शब्द ही नहीं हैं, बस अपनी तो ये सब पढ़ कर घुघ्घी बंध गई है, द्रवित मन से श्रद्धांजली स्वीकार करें ...

Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी ने कहा…

आपकी मां को और साधना भाभी के पिता जी को श्रद्धांजलि।

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

वह माँ के आँचल की छाया
जिसमे छिपकर सो जाता था
वही पुराना घर का टूटा छ्प्पर
जहाँ सपनो मे खो जाता था

मधुर सुरी्ली माँ की लोरी
तुझे तड़फ़ाएगी जरुर कहीं

इन पंक्तियों के साथ माता जी एव साधना भाभी के पिता जी को मेरा नमन, विनम्र श्रद्धांजलि

Prateek Shujanya ने कहा…

श्रद्धांजलि.

बेनामी ने कहा…

माँ कहीं जा ही नही सकती ,दादा !
वो हम मे है और रहेगी
रहती है माँ यानी प्यार
माँ यानी ममता
माँ यानी त्याग
माँ यानी बच्चो का भला चाहने वाली
उन्हे हर हाल मे खुश देख्ने वाली
हममे सब मे माँ रहती है इन् सभी रूपों में
स्त्रियों मे भी
पुरुषों में भी
आप्मे माँ है ,एक ममतामयी माँ
जब भी आप से बात की ,मैने उन्हे देखा .
क्या उन्ही ने आपके भीतर से मुझे खुद को पुकारा था
'छुटकी' ?
या ये आपकी आवाज थी ?
मैं कितनी भाग्यशाली हुँ मुझे दादा ने नाम दिया वो भी अपनी मम्मी का
एक गैर औरत मे जो माँ को देखे वो साधारण आदमी नही हो सकता.
क्या लिखुं.......................?
चरण स्पर्श दादा,आपके इस असामान्य रुप को भी और
माँ को भी
मैं भी सबसे छोटी हुँ दादा
हम जो खोते हैं उसे कोई नही जान पाता
कोई महसूस नही कर सकता
मगर मैं आपके दर्द को महसूस कर सकती हुँ
हम सबसे छोटे बडे तो ही नही पाते हैं ,एक बच्चा हम मे हमेशा के लिए बच्चा ही रह जाता है
और जीवन भर माँ को धुन्धता रहत है

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } ने कहा…

आप तो खुश्नसीब रहे मुझ से कि आपको मां जी का साथ इतने साल रहा मेरी मां तो सिर्फ़ २० साल ही मेरे साथ रही प्रत्यक्ष रुप से लेकिन आज भी वह है मेरे साथ .
मैने कही पढा है भगवान ही मां बाप के रुप मे हमारे साथ रहता है

seema gupta ने कहा…

आपकी माता जी और साधना जी के पिता जी को श्रद्धांजलि। सच ही तो है जो ह्रदय की गहराइयों तक बसे होते हैं वो मन से कहाँ जाते हैं हमे छोड़ कर , बस मन भर आया इतनी भावुक अभिव्यक्ति पर
regards

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

समीर भाई
एक बात कहूं
वैसे कोई खोता कुछ नहीं है
पर अपने पाने का
हिसाब नहीं लगाता है
इसलिए उसे सिर्फ
और सिर्फ खोना ही
नजर आता है।

जिस दिन पाने का
लगाओगे हिसाब
भूल जाओगे
कुछ खोया भी है
जनाब।

विनम्र श्रद्धांजलि
इस आशय के साथ
कि हम सदा
पाने का हिसाब भी लगायेंगे
जिससे खोने का रोना
सदा के लिए भूल जायेंगे।

इस्मत ज़ैदी ने कहा…

sameer ji ,kahte hain bhagwan ne man isiliye banai kyonki wo har jagah nahin pahunch payega aur jahan wo nahin pahuncha wahan maan hogi ,aapki mata ji aur sadhna ji ke pita ji ko shraddhanjali arpit karti hoon ,
bhavnaon ki itni sundar abhivyakti hai ki pathakgan bhavuk hue bina rah hi nahin sakte .kisi shayer ne kaha hai
mushkilen rah kahan rok sakengi teri
jab tere sath teri man ki dua rahti hai

उन्मुक्त ने कहा…

मेरी मां भी दिल के दौरे से २५ वर्ष पहले चली गयीं। वे अभी भी मेरे जहन में हमेशा रहती हैं। कभी भी मुश्किल पड़ती है तो सोचता हूं कि मां क्या करती। बस इसी से कोई रास्ता मिलता है।

Unknown ने कहा…

"माँ कभी मरती है क्या...वो एक अहसास है, वो एक आशीष है"

यही सत्य है!

जब मेरी माँ ने रायपुर के बाँठिया हास्पीटल में अपने नश्वर शरीर का त्याग किया था तो उस समय उनके समक्ष सिर्फ मैं ही था, मेरे ही सामने उनके प्राण पखेरू उड़ गये थे किन्तु आज भी मुझे यही लगता है कि वे मेरे साथ हैं।

निर्मला कपिला ने कहा…

नम आँखों से मेरी भावभीनी श्रद्धाँजली ।

Smart Indian ने कहा…

माँ कभी मरती है क्या...वो एक अहसास है, वो एक आशीष है, वो मेरी सांस है...उससे ही तो मैं हूँ..वो मेरी हर धड़कन में है..वो कोई एक तन नहीं जो मर जाये और हम उसे भूल जायें पिण्ड दान कर पुरखों में मिला कर.
समीर जी सच कहा आपने. माँ को सादर श्रद्धा सुमन!

दीपक 'मशाल' ने कहा…

रुला दिया आपने.. और माँ शब्द को और ऊपर उठा दिया... माँ ही एक ऐसा शब्द है जो हर अगले पल के साथ ऊंचा होता जाता है... और कुछ नहीं कह सकता.. की बोर्ड नहीं दिख रहा..

संगीता पुरी ने कहा…

भावपूर्ण रचना है .. आप सबों के अनुभव को सुनकर बडा अजूबा लगता है .. इतना प्‍यार करने वाले माता पिता बच्‍चों को छोडकर चल कैसे देते हैं .. माता जी को हार्दिक श्रद्धांजलि !!

अजय कुमार ने कहा…

मेरी आँख नम है ,आज कोई टिप्पणी नही

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

आदरणीय समीरलाल जी, आदाब
दोनों परिजनों को भावभीनी श्रद्दांजलि
'हंसते हुए चेहरों के पीछे दर्द की एक कहानी है'
लेकिन जिस तरह आपने वर्णन किया है,
एक बार तो आंखों में आंसू छलक आये
कक्षा 6 में था मैं, जब.....
आपकी ज़िन्दगी में 5 साल पहले की घड़ी आई
बस एक बार यहां क्लिक कर लिजियेगा शायद अच्छा लगे
http://shahidmirza.blogspot.com/2009/12/blog-post_18.html

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

आपकी माताजी को हमारी भावभीनी श्रद्धांजलि। आप निश्‍चय ही उन्‍हें बहुत प्‍यार करते होंगे, लेकिन मैं तो अक्‍सर देखती हूँ कि बेचारी माँ तो केवल साहित्‍य में ही रह गयी है। वास्‍तव में तो वह अकेली है, केवल सोलह वर्ष तक ही उसकी उम्र होती है। जैसे ही बेटा युवावस्‍था की देहली पर पैर रखता है, वह माँ को बिसरा देता है। बस उसका उपयोग भर करता है। शायद साहित्‍य में भी उसका उपयोग ही हो रहा है। लेकिन मैं फिर भी आशा करती हूँ कि आप जैसे बेटे हों, जिससे साहित्‍य में तो कम से कम माँ का दर्जा बना रहे।

ramadwivedi ने कहा…

माँ कभी मरती है क्या...वो एक अहसास है, वो एक आशीष है, वो मेरी सांस है...उससे ही तो मैं हूँ..वो मेरी हर धड़कन में है..वो कोई एक तन नहीं जो मर जाये और हम उसे भूल जायें पिण्ड दान कर पुरखों में मिला कर.

माँ दुनिया भर की दौलत से बढ़कर होती है....मैंने तो अपनी माँ को बहुत कम उम्र में खो दिया था लेकिन माँ का अहसास मैं आज भी महसूस कर सकती हूँ.....आपकी भावनाएँ पढ़कर दिल भर आया । आपकी माता जी और साधना जी के पिता जी को हार्दिक भावभीनी श्रद्धांजलि।

Satish Saxena ने कहा…

समीर भाई !
पंकज सुबीर के शब्द माननीय हैं माँ के सम्बन्ध में, आप जैसे संवेदनशील व्यक्तित्व के लिए वह शक्तिस्वरूपा हमेशा शक्ति देती रहेंगीं , ऐसी मेरी कामना है !

बेनामी ने कहा…

"माँ कभी मरती है क्या..."
यही सत्य है!

आवेग फूट पड़ने के डर से, कविता पढ़ने की हिम्मत नहीं जुटा पाया

बी एस पाबला

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

माँ कभी मरती है क्या...वो एक अहसास है, वो एक आशीष है, वो मेरी सांस है...उससे ही तो मैं हूँ..वो मेरी हर धड़कन में है..वो कोई एक तन नहीं जो मर जाये और हम उसे भूल जायें पिण्ड दान कर पुरखों में मिला कर.

बहुत भावुक पोस्ट है. विनम्र श्रद्धांजली प्रेषित करता हूं.

रामराम.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

समीरलाल जी!
"माँ" शब्द में
केवल और केवल ममत्व ही समाहित है!
इस मर्मस्पर्शी पोस्ट को पढ़कर मन द्रवित हो गया!
माता जी को भावभीनी श्रद्धाञ्जलि समर्पित करता हूँ!

संजय बेंगाणी ने कहा…

माँ....

बिखरे मोती किताब में आप द्वारा माँ पर लिखा पन्ना पढ़ मेरी माताजी रो दी थी.

माँ का पुण्य-स्मरण....

kshama ने कहा…

जाने क्या क्या थी

माँ थी

मेरा घर

वो गई

मैं बेघर हुआ!

Aapne to zarozaar rula diya...

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

मार्मिक प्रस्तुति समीर जी , हम तो सिर्फ श्रदांजलि ही दे सकते है दिवंगत आत्मा को !

नीरज गोस्वामी ने कहा…

कुछ कह पाने की स्तिथि में नहीं हूँ...विनम्र श्रधांजलि...
नीरज

रंजू भाटिया ने कहा…

माता पिता का जाना यह दिल कभी भूल नहीं पाता है नमन और श्रद्धांजलि...आपके लिखे शब्द आँखे नाम कर गए ...

समय चक्र ने कहा…

दुनिया में माँ से बढ़कर कोई नहीं हैं ..... बहुत ही भावुक हो गया हूँ पढ़कर . श्रद्धासुमन अर्पित है .

संजय भास्‍कर ने कहा…

माता पिता याद बनकर हमेशा साथ रहते हैं ...मगर फिर भी उनके कमी हमेशा महसूस होती है ...
विनम्र श्रद्धांजलि .....

डॉ महेश सिन्हा ने कहा…

शब्दहीन
श्रद्धा सुमन

संजय भास्‍कर ने कहा…

बस मन भर आया इतनी भावुक अभिव्यक्ति पर

Sadhana Vaid ने कहा…

अश्रुविगलित आपका यह संस्मरण पढ़ कर दिल दर्द से भर आया और मेरी आँखों के सामने भी मेरे बाबूजी और माँ की स्नेहिल छवि साकार हो गयी जिन्हें ईश्वर ने वर्षों पहले शायद किसी विशेष प्रयोजन से अपने पास बुला लिया | अपनी मनोदशा को याद कर सिहर जाती हूँ कि आपने और आपकी पत्नी साधनाजी ने यह दोहरा दुःख कैसे सहा होगा | आपकी माँ जी और साधनाजी के पिताजी के लिए अपनी भावपूर्ण श्रद्धांजली और प्रणाम प्रेषित कर रही हूँ | ईश्वर आपके सहायक हों यही कामना है |

Sundeep Kumar tyagi ने कहा…

उत्तरीअमेरिकीय द्वीप ही नहीं अपितु समस्त हिन्दी साहित्य-जगत के आधुनिक हिन्दी हस्ताक्षरों में सर्वाधिक सुवर्णमय सौम्य समीर लाल जी के ब्लाग उड़न तश्तरी - udantashtari.blogspot.com पर पढ़कर पता चला कि उनकी अपनी माँ के पावन पद्मपदों के प्रति कितनी अप्रतिम प्रीति है :अनायास मेरे मन में जो कुछ भावप्रसून विकसे मैं भी उन्हें माँ के हर उस रूप पर समर्पित करता हूँ जिसकी वन्दना वेदों तक में की गई है- आचार्य संदीप कुमार त्यागी
माँ
परमपिता के ध्यान में टिके न लाख टिकाये।
माँ की ममता में मगर मन आनन्द मनाये

होने को भगवान भी, बड़ी कौन सी बात।
“माँ होना” भगवान की भी पर नहीं बिसात॥

मन से किस सूरत हटी मूरत माँ की बोल।
बच्चे से बूड़े हुए माँ फिर भी अनमोल॥

दूह दूह कर स्वयं को किया हमें मजबूत।
कैसे माँ के दूध का कर्ज़ उतारें पूत॥

माँ की ममता की अरे समता नाही कोय।
क्षमता माँ की क्या कहूँ प्रभु भी गर्भ में सोय॥

अनुपमा सुषमा माँ !

सात समुद्रों से भी ज्यादा
तेरे आँचल में ममता है।
देखी हमने सारे जग में,
ना तेरी कोई समता है॥

सौम्य सुमन सरसिज के हरसें
सरसें स्नेह सरोवर नाना।
सुप्रभात की अनुपमा सुषमा,
सदा चाहती है विकसाना॥
सुधा स्पर्श सा सुन्दर शीतल
सुखद श्वास प्रश्वास सुहाना।
कल्पशाख से वरद सुकोमल
कर अभिनव मृणाल उपमाना॥
स्वर्ग और अपवर्ग सभी कुछ,
माँ की गोदी में रमता है॥

हो शुचि रुचि पावन चरणों में,
तेरा करूँ चिरन्तन चिन्तन।
शीश चढ़ा दूँ मैं अर्चन में,
अर्पित कर लोहू का कण कण॥
मणिमय हिमकिरीटिनी हेमा
माँग रहे वर तव सेवक जन।
शुभ्रज्योत्स्ना स्नात मात तव
वत्स करें शत शत शुभ-वंदन॥
सप्त सिन्धु का ज्वार तुम्हारे
पद पद्मों को छू थमता है॥

aarkay ने कहा…

अपनी माँ की याद ताज़ा हो आई.अगले माह सत्रह वर्ष होने जा रहे हैं.
आपकी माताजी को ह्रदय से श्रद्धांजलि !

varsha ने कहा…

सिर्फ अहसास की भाषा अगले ४ मिनट तक.. maan ko shraddha suman.

सुशीला पुरी ने कहा…

बिलकुल माँ कभी नही मरती .........माँ का मरना यानि हमारे अस्तित्व का खत्म हो जाना है .

दिगम्बर नासवा ने कहा…

खामोशी, बस मौन .......... ऐसे में कुछ कहने का सामर्थ नही है मुझमें .....

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर ने कहा…

क्या कहें?
पर ये समझ नहीं आया कि आपने ये "कहते हैं" शब्द क्यों लगा दिए?
माँ कभी हमसे दूर नहीं जाती है..........ये पुण्यतिथि इस बात का सूचक होती है कि हमारा कोई अपना अब किसी और का भी अपना हो गया है.
हमें खुशी देने के बाद वो किसी और रूप में दूसरों को ख़ुशी दे रहा है.

Sanjeet Tripathi ने कहा…

हमारी श्रद्धांजलि

Neelam Pande ने कहा…

mrityu ek aesa saty hae jise sweekarna kashtprad hota hae|aur apne ko khone ka gam to itna hota hae ki shayd likhne ke liye wakt kam pad jaye kintu bhvnaye ashrudhara bankar thamne ka naam nahi leti...sabhi aadrniyjan ko meri shrdhanjalisuman......

rashmi ravija ने कहा…

बहुत ही मार्मिक पोस्ट...कुछ भी कहने मे असमर्थ. हूँ ..बस आपके साथ...आपकी माँ की यादों में शामिल. हूँ ..अहसास के रूप में आज भी वो आपके आस पास ही हैं...विनम्र श्रधांजलि

Khushdeep Sehgal ने कहा…

ओ, मां, मां, मां
मेरी दुनिया है मां तेरे आंचल में,
शीतल छाया तू दुख के जंगल में,
हो, काहे न धो के पिए, ये चरण तेरे मां,
हो, देवता प्याले लिए दर पे खड़े मां,
अमृत सब का है इसी गंगाजल में,
मेरी दुनिया है मां तेरे आंचल में,
शीतल छाया तू दुख के जंगल में...

जय हिंद...



जय हिंद...

बेनामी ने कहा…

माँ कभी मरती है क्या...वो एक अहसास है, वो एक आशीष है, वो मेरी सांस है
aagey kuchh kehnaae ko reh hi nahi gayaa

कंचन सिंह चौहान ने कहा…

मैने कविता नही पढ़ी क्योंकि पोस्ट को ही पढ़ने के बाद रोयें खड़े हो गये...!

कैसा दुर्योग भी रहा कि आपको माँ और भाभी जी को पिता जी का दुःख साथ साथ सहना पड़ा। वो एक दिन पहले वहाँ से चलीं... जिंदगी कभी कभी बहुत अजीब परिस्थितियों में डाल देती है। कैसे संभाला होगा आप दोनो ने एक दूसरे को सोच के सिहर जा रही हूँ।

माँ जहाँ भी हो अपनी ममता के साथ शांत हों और अब कह ही क्या सकते हैँ हम सब...

vandana gupta ने कहा…

maa shabd mein hi sara saar chupa hai......vinamra shraddhanjali.

shikha varshney ने कहा…

भारत में रह रहे मेरे भाई, बहन, पिता जी और सारे परिवार के सदस्यों के साथ वो २८ जनवरी तक रही और मैं परिवार का छोटा, इसमें भी घाटे में रहा, मेरे लिए वो २७ को ही चली गई. हाँ, उस समय कनाडा में २७ तारीख थी और भारत में २८ का सबेरा. सब उसके साथ १२ घंटे ज्यादा रहे और मैं, उसे बाकी सबसे १२ घंटे पहले ही खो बैठा
.दिल भर आया बस . समीर जी ! में इस तरह की पोस्ट पर कुछ कह ही नहीं पाती हूँ......पर सच हैं माँ कभी नहीं मरती हमेशा साथ रहती है हमारे....
शिखा
अरे चाय दे दे मेरी माँ. http://shikhakriti.blogspot.com/

राज भाटिय़ा ने कहा…

माँ श्रद्धांजलि !! दिल बहुत उदास हुया, ओर साथ ही मां याद आ गई, इस बार जा रह हुं, लेकिन बार बार मां याद आती है हमेशा लेने आती थी, दो बार घर पर ही थी लेकिन आंखे दुवार पर .... अब कोन करता होगा मेरा इंतजार...मां को तो मेने अंतिम समय पर देखा था, लेकिन पिता जी मेरे लिये तडपते रहे... ओर उन को आखरी दम पर देख भी नही पाया था
समीर जी होस्सला रखे.

Urmi ने कहा…

माता पिता के चले जाने का दुःख ज़िन्दगी भर रहता है और उस कमी को कोई पूरा नहीं कर सकता! आपने भावपूर्ण रचना लिखा है जो दिल को छू गयी! आपकी माता जी को मेरी विनम्र श्रधांजलि और शत शत नमन!

Dipti ने कहा…

आपने बहुत ही सुन्दर तरीक़े से अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति की है। इससे ज़्यादा लिख पाऊंगी।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

मां-बाप जैसा खजाना तो दुनिया में कोई दूसरा हो ही नहीं सकता.

उम्दा सोच ने कहा…

माँ को मेरी ओर से श्रद्धांजलि।

Anita kumar ने कहा…

आंखे नम हैं आप की मनस्थिति से भी और अपनी मां को याद कर के भी।

हम चाहे कितने भी बड़े हो जाएं मां की कमी सदा खलती है।

रंजना ने कहा…

Sach kaha...

माँ कभी मरती है क्या...वो एक अहसास है, वो एक आशीष है, वो मेरी सांस है...उससे ही तो मैं हूँ..वो मेरी हर धड़कन में है..वो कोई एक तन नहीं जो मर जाये और हम उसे भूल जायें पिण्ड दान कर पुरखों में मिला कर.

Adarneeya matajee ko shraddhanjali...

रामकृष्ण गौतम ने कहा…

अश्रुपूरित एवं विनम्र श्रृद्धांजलि...



शुभ भाव

राम कृष्ण गौतम

Sulabh Jaiswal "सुलभ" ने कहा…

विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ.

Dr. Amar Jyoti ने कहा…

माँ की यादों को नमन।

सागर ने कहा…

मैंने भी कविता नहीं पढ़ी... पढ़ पाने लायक हिम्मत बची भी नहीं... जब हमारे ही बीच हैं तो श्रधांजली कैसी ???? Just Salute

Creative Manch ने कहा…

विश्व की हर माँ सिर्फ माँ होती है और बस माँ होती है..भगवान की भी कहाँ इतनी बड़ी बिसात कि माँ बन पाये..भगवान होना अलग बात है!!! वो इससे बहुत उपर है.

आपके शब्द अनायास बहा ले गए अतीत में
माँ की यादों का साया जीवन भर साथ चलता है

माँ को सादर श्रद्धा सुमन!

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

माँ की कमी कभी पूरी हो सकती है भला।

राजेश स्वार्थी ने कहा…

आपकी माता जी और भाभी जी के पिता जी को अश्रुपूरित श्रृद्धांजलि. आज इससे ज्यादा कुछ नहीं कह पाऊँगा.

Yashwant Mehta "Yash" ने कहा…

माँ सदेव अपनों बच्चो के साथ रहती हैं
कभी आशीर्वाद बनकर तो कभी सुरक्षा कवच बनकर
वो सर्वव्यापी हैं,यह अतिशोय्क्ति नहीं होगी अगर हम कहे की माँ साक्षात् इश्वर हैं

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

समीर जी, आज तो आपने हमें भी भावुक कर डाला....कहने के लिए कुछ नहीं बस माता जी को अपनी ओर से विनम्र ऋद्धांजली ही दे सकता हूँ!!!

amitabh shrivastava ने कहा…

NISHBD HU..../
maa..
aankho me aansu bhare he aour naman karte hue..ki maa tum kanhi nahi jaa sakti..ruk jaa maa ruk jaa...haqiqat yahi he ..

मसिजीवी ने कहा…

मार्मिक

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…

समीर जी,
आपकी पोस्ट कल ही पढ़ी थी लेकिन कुछ कह नहीं पाई..
बस फोन उठा कर माँ-बाबा से बात करने चली गई..
पता नहीं कितनी देर बात की...लेकिन १ घंटा डेढ़ घंटा जो भी था...बस मैं और माँ-बाबा बहुत बहुत करीब रहे ...उतनी देर...आपका आभार..
आपकी माँ.....मेरी माँ....जब भी उनसे ख्यालों में बात करें तो कहियेगा...उनकी बेटी ने भी याद किया है...

प्रवीण ने कहा…

.
.
.
आदरणीय समीर जी,
बहुत भावुक कर दिया आपने,
आपकी मां जी व साधना जी के पिता जी को नमन व विनम्र श्रद्धांजलि।

अजय कुमार झा ने कहा…

और आज पूरी पोस्ट नहीं पढी ,पढ ही नहीं पाया ...अभी कुछ माह पहले ही मां को खोया है इसलिए .............बस कुछ नहीं
अजय कुमार झा

डॉ टी एस दराल ने कहा…

सच कहा , मां सिर्फ मां ही नहीं होती, वो सब रिश्तों की सूत्रधार होती है।
जानकार दुःख हुआ की आपको दो झटके एक साथ सहन करने पड़े।
दोनों दिवंगत आत्माओं को श्रधा सुमन अर्पित।

Abhishek Ojha ने कहा…

माँ के बारे में क्या कहा जाय ! माँ बस माँ होती है .... नमन है हर माँ को !

दिनेश शर्मा ने कहा…

मां
एक अहसास है
एक आशीष है
और
सांस की
तरह
शरीर में धडकन की तरह
हमेशा साथ रहती है ।
मैं आपके साथ हूं और आपसे सहमत हूं।

अर्कजेश ने कहा…

मॉं हमारे अस्त्त्वि से जुडी है । इतनी संवेदनशील लिखा हुआ पढकर सिर्फ करने का मन होता है ।

श्रध्‍दांजलि ।

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

समीर जी, वे जीवित हैं हमारे भीतर। हम उन्हीं का पुनर्जन्म हैं।

बेनामी ने कहा…

माँ तो सर्वत्र है....हर माँ को नमन

Dev ने कहा…

sabse pahle shradhanjali mata ji ko,bina sudhaare shabd mata ji prati aapki shrdha ko dikha rahi hai,inti door rah kar bhi bharat mata ko nahi bhul paaye hain aapka bahut bahut aabhar.
VIKAS PANDEY

बवाल ने कहा…

आंटी से पहली मुलाक़ात सूर्यवंशी अंकल के यहाँ हुई थी। उनकी ज़िंदादिली हम आज तक नहीं भूले। समधी समधन दोनों को हमारी विनम्र श्रद्धांजली। अभी जबलपुर में ही था तो आज सोचा था बाबूजी से मिल आता। मगर जा न सका।
रुलाई आ गई यार, पढ़कर। भाभी को प्रणाम।

संजय @ मो सम कौन... ने कहा…

समीर साहब,
मेरी मां कभी-कभी कहती हैं कि मेरे जाने के बाद ही तुम याद करोगे कि मां थी, और मैं कठोर फ़िर से हंस देता हूं(कठोर हूं न)। शायद इसीलिये जीवन में कुछ सार्थक नहीं हो सका मुझसे।
जिस शिद्दत से आपने यह वेदना प्रकट की है, उसका मूल्य नहीं आंका जा सकता।
पता नहीं क्यों हर चीज धुंधली-धुंधली सी दिखनी शुरू हो गई है, कुछ देर पहले तक तो सब साफ़ दिखाई दे रहा था।

बेनामी ने कहा…

माँ तो सर्वत्र है....हर माँ को नमन

बेनामी ने कहा…

माँ तो सर्वत्र है....हर माँ को नमन

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` ने कहा…

सौ. साधना भाभी जी व आपके लिए
ये क्षति ,
सदैव अपूरणीय रहेगी
ये जानती हूँ ,
फिर भी,
आज आप के संग
श्रध्धा व स्नेह से
वात्सल्य मूर्ति माँ जी व पिताजी को
मेरे सादर नमन भेजना चाहती हूँ ..

- लावण्या

Kusum Thakur ने कहा…

माँ को श्रद्धांजलि !!

ओम आर्य ने कहा…

Aadmi tabhi beghar hota hai jab uska ghar khatm ho jaata hai...

Shiv ने कहा…

अद्भुत पोस्ट.
समझ में नहीं आता इस भावना के बारे में क्या कहें? बहुत भावुक कर देने वाली अभिव्यक्ति. आपकी यह पोस्ट हमेशा याद रहेगी.

surya goyal ने कहा…

बहुत ही अच्छी भावनामयी अभिव्यक्ति. माँ को मेरी ओर से विनम्र श्रद्धांजलि। भावपूर्ण रचना है कुछ भी कहने मे असमर्थ हूँ .
www.gooftgu.blogspot.com

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

श्रद्धांजलि!

कविता रावत ने कहा…

sub mil jaata hai is sansar mein lekin Maa-Baap nahi milte. Wo badnaseeb wali hote hai jo unhe thukraati hai.
Dil se nikle bahut gahre bhavon se bhara lekh aur kavita bahut achhi lagi. Meri or se shradha suman arpit kar bhavbhini shradhanjali..

रवीन्द्र प्रभात ने कहा…

नमन और श्रद्धांजलि!!

Ashok Kumar pandey ने कहा…

मां का जाना बचपन का चला जाना है…

विनम्र श्रद्धांजलि

Girish Kumar Billore ने कहा…

अशेष श्रृद्धांजलि
सच समीर भाई आंखें नम कर दीं आपने
मैंने भी चार बरस पूर्व सव्यसाची को खोया
अब भी यादें सुई की नुकीली निब से हिय पर लिखने आतीं हैं उनके संघर्षपूर्ण किन्तु आध्यात्मिक अनुशीलन मय जीवन दर्शन को सच तब माँ ही आ जाती है भरी आँखों से स्मृतियों को कोमल बनाने

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

मेरे शब्द मौन हैं इस भावपूर्ण लेख को पढ़ कर माँ के नाम एक सच्ची श्रद्धांजलि ...समीर जी आँखों में आँसू आ गये इतने भावपूर्ण कविता पढ़ कर....माँ को नमन है और सच हैं कि माँ कभी नही मरती हैं वा हमेश साथ रहती है...

Parul kanani ने कहा…

ye abhivaykti matr nahi ek gehra ehsaas hai aur is ehsaas se gujrna hi kathin hai..par yahi jeevan hai... is ehsaas ko shat shat naman!

शरद कोकास ने कहा…

समीर भाई माँ कहीं नहीं जाती वह हर हमेशा हमारे पास ही रहती है............
एक वादा करो माँ
जब भी आउंगा इस घर में
तुम यहीं कहीं मिलोगी

मैं बैठूंगा ड्राइंगरूम में
तुम रसोई में सब्ज़ी छौंक रही होगी
मैं बेडरूम में सोता रहूंगा
तुम पीछे के कमरे में प्याज़ जमा रही होगी
जब मैं पीछे वाले कमरे में जाऊंगा
तुम छत पर टहलने चली जाओगी
मेरे छत पर जाते ही
तुम जा बैठोगी पड़ोस में

न मैं तुम्हे दिखूंगा
न तुम मुझे दिखोगी

बस ऐसी ही आँखमिचौली में
बीत जायेंगी मेरी छुट्टियाँ ।

शरद कोकास

साधवी ने कहा…

माँ को याद कर आँखे नम हैं समीर भईया.

श्रृद्धांजली.

आप बहुत दिनों से फोन भी नहीं किये.आपके फोन का कल इन्तजार कर रहे थे गुरु जी भी. मन अच्छा हो जाये तब फोन लगा लिजियेगा.

डॉक्टर भाईसाहब आपको याद भेज रहे हैं. गुरु माँ को देखने आये हैं. खाँसी बैठ गई थी मगर अब ठीक है.

ghughutibasuti ने कहा…

माँ को श्रद्धाजंलि। आज बिखरे मोती मेरे भी हाथ लग गए। अब पढ़ूँगी
घुघूती बासूती

priya sudrania ने कहा…

विनम्र श्रद्धांजलि।

Meenu Khare ने कहा…

"माँ कभी मरती है क्या...वो एक अहसास है, वो एक आशीष है"

परमाआदरणीय माँ जी को मेरा भी नमन और श्रद्धाँजलि.

लोकेन्द्र सिंह ने कहा…

बहुत ही भावनात्मक याद.... मां को विनम्र श्रद्धांजलि।

बेनामी ने कहा…

विनम्र श्रद्धांजलि

गौतम राजऋषि ने कहा…

विगत दो-तीन दिनों से आ-आ कर ये पोस्ट पढ़ जा रहा था। कुछ लिखने-कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था....

मेरी मौन श्रद्धांजली....

माँ पर इससे पहले जाने कितना कुछ लिखा जा चुका है, ये पोस्ट उन कुछ सर्वश्रेष्ठ लिखों में से एक।

बेनामी ने कहा…

नमन और श्रद्धांजलि!

सुरेन्द्र "मुल्हिद" ने कहा…

shradhaanjali...sameer ji

ज्योति सिंह ने कहा…

maan ke seene ki har saans tapsaya hai ,aati jaati hal karti ek samsaya hai ,
duniya ye duniya jadoo ka khilona hai ,mil jaaye to mitti ,kho jaye to sona hai .
uski hasrat hai dil me jise paa bhi na sakoon ,uske jaane par bhi vazood mita na sakoon ,
tumahari si jeevan ki jyoti
hamare jeevan me utare ,
tumahre hi naino ka aaj
ho raha sapna saakar .
ye kuchh pushp roopi shabd aapki maan ke liye shrdhaanjali swaroop bhet karti hoon .hridyasparshi rachna .

ज्योति सिंह ने कहा…

maan ke seene ki har saans tapsaya hai ,aati jaati hal karti ek samsaya hai ,
duniya ye duniya jadoo ka khilona hai ,mil jaaye to mitti ,kho jaye to sona hai .
uski hasrat hai dil me jise paa bhi na sakoon ,uske jaane par bhi vazood mita na sakoon ,
tumahari si jeevan ki jyoti
hamare jeevan me utare ,
tumahre hi naino ka aaj
ho raha sapna saakar .
ye kuchh pushp roopi shabd aapki maan ke liye shrdhaanjali swaroop bhet karti hoon .hridyasparshi rachna .maan ek adbhut shabd ek adbhut ahsaas jiske liye alfaaz nahi

डा.अरविन्द चतुर्वेदी Dr.Arvind Chaturvedi ने कहा…

कहते हैं कि संसार नश्वर है. कोई अमर नहीं है. सबको जाना है. जाने वाले फिर लौट कर नहीं आते. जाने वाले की याद आती है.

क्या वाकई ऐसा है?
नहीं . हम जिसे प्यार करते हैं वह हमेशा हमारे दिल में होता है.
हमेशा हमारे साथ रहता है.
कभी नहीं मरता.
दुनिया चाहे जो भी कहे.


माएं कभी मर ही नहीं सकतीं. मां एक अहसास का नाम है. इसे मौत तो छू भी नहीं सकती.

मेरी मां अब तक ज़िन्दा है मेरे साथ,दुनिया कहती है कि वह तो 21 वर्ष पहले ही चली गयी.
झूट कहते हैं सब.

समीर भाई, सच्ची कहूं तो हर किसी की मां हमेशा साथ रहती है ,अन्य कोई साथ हो या न हो.

आपकी मां बेशक आपके साथ हैं .

मेरा नमन.

amit ने कहा…

विश्व की हर माँ सिर्फ माँ होती है और बस माँ होती है..भगवान की भी कहाँ इतनी बड़ी बिसात कि माँ बन पाये
वाकई भगवान माँ नहीं बन सकते। पुराणों आदि में भी तो कितने ही उदाहरण हैं कि कितने ही अवतार ले पैदा हुए माँ की ममता को पाने के लिए।

Arvind Mishra ने कहा…

बहुत भाव प्रवण -माँ के प्रति आपकी अनुरक्तता समझ रहा हूँ -उन्हें भावभीनी श्रद्धांजली .

sanjeev kuralia ने कहा…

बारम्बार नमन उस माँ को ,जिस ने जन्मा आपसा "लाल "
माँ से बिछड़ना ऐसा ,जेसे आंधी में , कहीं बिछड़े पत्ते से डाल !

नम आँखों से ......नमन और श्रद्धांजलि!!

dipayan ने कहा…

दुनिया का सबसे बड़ा सच यही है कि माता - पिता से ऊँचा स्थान किसी का नहीं ।

आपकी माताजी को नमन एवं श्रद्धांजलि ।

Mukul ने कहा…

निशब्द ....श्रद्धांजलि!!

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

आप बहुत भाग्यशाली है कि आपके पास ढेरों मधुर स्मृतियां हैं. बहुत से ऐसे हैं जिनके पास ये भी नहीं...

श्रद्धा जैन ने कहा…

समीर जी
जब भी ख्याल आया है मन बहुत घबराता है कि अगर मुसीबत के समय परिवार को नहीं मिल पाए तो क्या फायदा है विदेश में रहने का

आपकी पोस्ट पढ़कर मन बैचन हो गया
माँ को श्रद्धांजलि

नितिन | Nitin Vyas ने कहा…

विनम्र श्रृद्धांजलि.

अंजना ने कहा…

समीर जी ,माँ की यादे,माँ का दुलार जीवन के अंतिम छोर तक साया बन साथ रहता है। भले ही वह स्थूल शरीर से नही हो लेकिन सूक्ष्म रुप मे हमारे पास ही होती है।दुख हो या खुशी हो हर लम्हा मन मे यह अहसास रहता है कि माँ मेरे साथ है।इस बात का अहसास वह स्वप्न के जरिये करा जाती है । माँ को नम आँखों से मेरी ओर से नमन और श्रद्धांजलि ।साधना जी के पिता जी को भी विनम्र श्रद्धांजलि।

Prem Farukhabadi ने कहा…

नमन और श्रद्धांजलि!!

Manish Kumar ने कहा…

विनम्र श्रृद्धांजलि ! मानसिक रूप से सदा आप उन्हें अपनी स्मृतिओं में पाएँ।

दिलीप कवठेकर ने कहा…

ज़िन्दगी धूप और मां है घना साया....

और क्या कह सकते हैं.

Unknown ने कहा…

माँ थी

मेरा घर

वो गई

मैं बेघर हुआ!
sameer bahut pyare insaan ho tum ...tum per hue hum fida jo maa se etna pyar kerta hai mujhse bhi pyar kerega yakeen hua mujhe ....wakai tum kavi ho..sammeer wah

Pragya ने कहा…

hamari vinamra shradhanjali sweekar karen

aapne bilkul sahi kaha.... maa kabhi nahi jaati.. hamesha hamare paas hi rahti hai...

Akanksha Yadav ने कहा…

माँ तो माँ होती है. वह भौतिक रूप से भले ही बिछड़ जाती है पर हमारी यादों में हमेशा बसी रहती है. माँ पर आपकी यह पोस्ट बेहद भावभीनी है और आपकी संवेदनाओं की प्रतीक भी.

Akanksha Yadav ने कहा…

शब्द-शिखर पर इस बार काला-पानी कहे जाने वाले "सेलुलर जेल" की यात्रा करें और आपने भावों से परिचित भी कराएँ.

nilesh mathur ने कहा…

अब

पिता छड़ी का सहारा लेते हैं..

और फिर भी

लचक कर चलते हैं..
SACH PADH KAR AANKH SE AANSU NIKAL PADE!

Rakesh Kumar ने कहा…

ईश्वर का अहसास मातापिता के रूप में ही तो सर्वप्रथम होता है.इसीलिए कहा गया है
'त्वमेव माता च पिता त्वमेव'

जो सुख,शान्ति,स्नेह,वात्सल्य व आनंद माँ बच्चे को प्रदान करती है,वह निश्छल,पवित्र और ईश्वरीय ही तो है.
आपके हृदय में माँ की पावन याद हमेशा माँ को जीवित ही रखेगी.बिना याद और स्मरण के जीवित व्यक्ति भी मृत समान होता है.याद और स्मरण से भले ही माँ स्थूल शरीर से आपके समक्ष न हो,सूक्ष्म रूप से हमेशा विद्यमान रहेगी.यही माँ का ईश्वरीय स्वरुप है,जो आपके हृदय को सुख, शान्ति और आनंद प्रदान करता रहेगा.
पवित्र पावन माँ रुपी इस ईश्वरीय स्वरुप को हृदय से नमन और श्रद्धांजलि.