रविवार, मार्च 12, 2006

तेरी बहुत याद आती है.....

हिन्दी नेस्ट कार्यशाला #१६ मे चयनित मेरी रचना:













यादें

जब भी उस तस्वीर की तरफ
मेरी नजर जाती है
मॉ
मुझको तेरी बहुत याद आती है

वो तेरी ऊँगली पकड कर के चलना
समुंदर की लहरों पर गिरना मचलना
वो तेरा मुझको अपनी बाहों मे भरना
माथे पे चुबंन का टीका वो जडना
जब भी हवा अपने संग
समुंदर की खुशबु लाती है
मॉ
मुझको तेरी बहुत याद आती है

वो मेरी चोट पर तेरा आसूँ बहाना
मेरी बात सुन कर तेरा खिलखिलाना
मेरी शरारतों पर वो झिडकी लगाना
फिर प्यारी सी लोरी गा कर सुलाना
जब भी रातों मे हवा
कोइ गीत गुनगुनाती है
मॉ
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16 टिप्‍पणियां:

Laxmi ने कहा…

समीर जी,

बहुत मर्मस्पर्शी कविता है। दिल को छू गई।

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत धन्यवाद,लक्ष्मी जी

समीर लाल

Dawn ने कहा…

अनायास ही अश्रु आन पडे...दिल को छू जाने वाली कविता... बहुत खूब!

फि़जा़

Udan Tashtari ने कहा…

बस दिल की आवाज है, फ़िजा जी.
समीर लाल

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत भाव प्रधान रचना ..

वीना श्रीवास्तव ने कहा…

बेहतरीन रचना....
भावों से भरी....

Anupama Tripathi ने कहा…

यादों के कोमल एअसास से भरी ..बहुत सुंदर रचना ..!!

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

कल 10/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

vidya ने कहा…

बहुत सुन्दर...दिल को छू गयी..
सादर.

Geeta ने कहा…

:) :) :):) , jitni bhi smile du aapki is kavita ke liye wo kam rahengi

Nidhi ने कहा…

भावों से परिपूर्ण...सीधे दिल में उतरने वाली रचना.

सदा ने कहा…

बेहतरीन प्रस्‍तु‍ति ।

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

बहुत ही बेहतरीन भावमय रचना है...

रश्मि शर्मा ने कहा…

मां और बच्‍चे के बीच के संबंध की बात ही नि‍राली है। बहुत ही भावपूर्ण रचना।

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

भावपूर्ण सुंदर गीत।
..शुभ होली।

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

माँ जीवन का वो उपहार हैं जिसकी चमक कभी धूमिल नहीं पड़ती ....