किस्मत किस्मत की बात है.
कहावत है कि किस्मत अच्छी हो तो बदसूरत लड़की भी राजरानी बन जाए और
खराब हो तो खूबसूरती भी किसी काम न आये.
कचरों की किस्मत भी कुछ ऐसी ही है.
स्वच्छता अभियान के चलते हाल ऐसा हो लिया कि कुछ कचरों को तो खोज कर
बुलवाया गया कि आओ, मंत्री जी के घर
के सामने फैल जाओ ताकि मंत्री जी तुमको
साफ कर सकें. कुछ फोटो शोटो अखबार में छपवाए जायें. ये होती है राजरानी वाली
किस्मत. मुहावरे बेवजह नहीं होते. मुहावरे और जुमले में यही मूल भेद है.
जब दिवाली बीत जाती है तब सुबह गलियों में पटाखों के कचरे का अंबार होता
है. जो शाम तक दिवाली की पुताई से लेकर सफाई में व्यस्त होने की अथक दुहाई देने
वाले लोग रात लक्ष्मी गणेश को पूज कर जब उनके आगमन के लिए निश्चिंत हो गए, वो
रात के अँधेरे में पटाखे फोड़ कर गंदगी का ऐसा तांडव मचाते हैं कि सफाई भी सोचने को
मजबूर हो जाती है मानो किसी नेता को मुख्य अतिथि बनवा कर ससम्मान बुलवाया हो और
मंच पर बैठाते ही उन पर पथराव करा दिया गया हो.
रात के अँधेरे में कचरा फैलाने वालों ने सुबह के उजाले में कचरे पर
नाक भौं सिकोड़ी. कचरों की भी अपनी दुनिया होती है. अपनी अपनी किस्मत के अनुरूप कोई
कचरा इठलाया, किसी ने ख़ुशी जाहिर की, कोई दुखी हुआ कि उस कचरे की किस्मत मुझ
कचरे से बेहतर कैसे? तो किसी ने रोना रोया कि हाय!! ये कहाँ आ गए हम..यूं ही रात ढलते
ढलते ..
उस मोहल्ले का कचरा बोला कि मुझे साफ करने तो केंद्रीय मंत्री जी आ
रहे है. साथ में पूरे मीडिया का तामझाम होगा. पूरे देश विदेश में मुझे टीवी पर
दिखाया जाएगा ..अखबारों के मुख्य पृष्ट पर छापा जाएगा. मंत्री जी मेरे साथ अपनी
सेल्फी उतारेंगे. मेरा तो जीवन तर गया. पिछले जन्म में न जाने कौन सा पुण्य किया
होगा..न जाने कितने गौर पूजे होंगे जो यह किस्मत पाई. प्रभु से बस एक ही निवेदन है
कि हे प्रभु, अगले जन्म भी मोहे कचरा ही कीजो!! कहते कहते कचरे की आँखों में ख़ुशी
के आंसू आ गए.
दूसरे एक और मोहल्ले का कचरा भी आत्ममुग्ध सा बैठा था कि विधायक
महोदय ऐसे ही तामझाम के साथ उसे नवाजने आ रहे हैं. हवा उडा कर किनारे ले भी जाए तो पार्टी के
कार्यकर्ता वापस लाकर करीने से मुख्य मार्ग पर उसे सजा कर विधायक मोहदय के इंतजार
में नारे लगाने लगें.बैनर पोस्टर सजाये गए. याने की कचरे के दिन बहुरे वाली बात
एकदम सच्ची मुच्ची वाली हो गई. आज उसे भी अपने कचरा होने पर गर्व था.
फिर एक मोहल्ला ऐसा भी था जहाँ से विपक्षी दल के विधायक जीते थे.
वहां तो खैर आमजन की हालत भी कचरा हो चुकी है, तो कचरे की कौन
कहें. कुछ कचरा तो हवा उड़ा ले गई. कुछ जूते चप्पलों में चिपक कर तितर बितर हो गए.
बाकी पड़े पड़े नगर निगम के भंगी की बाट जोह रहे हैं कि कभी तो हमारी सुध लेंगे.
उनकी किस्मत बदलने की भी अजब सूरत है कि या तो विधायक बदले या सरकार बदले तो उनकी
किस्मत बदले. वैसे एक सूरत और भी है कि विधायक अपना दल ही बदल ले. सोचना चाहिए इस बारे
में विधायक महोदय को आखिर कितने कचरों की किस्मत का फैसला इससे जुड़ा है.
सुना है विपक्षी से पक्षी बनते ही उनमें सुरखाब के पर लगा दिये जाते
हैं जो कितने ही कचरों को अपने साथ उड़ा ले जाते हैं.
-समीर लाल ‘समीर’
भोपाल से प्रकाशित दैनिक सुबह सवेरे के रविवार मई 30, 2022 के अंक में:
https://www.readwhere.com/read/c/68325582
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3 टिप्पणियां:
Excellent biography of Garbage. It beautifully depicts garbage mindset of people about paradox of cleanliness....
आभार
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