मेरो मन अनत कहाँ सुख पावे
जैसे उड़ी जहाज को पंछी,पुनि जहाज पे आवे
ये जितना सच और सामयिक आज हिन्दी ब्लॉगरों
की घर वापसी अभियान के तहत लग रहा है उतना तो उस घर वापसी में नहीं लगा था जिसमें
घर वापसी के नाम पर धर्म परिवर्तन से लेकर मारा पीटी, हत्या और जाने क्या क्या
सियासी खेल खेला गया था जिसके आफ्टर एफेक्ट आज मेन अफेक्ट से बड़े होकर माहौल में
पैठ बना रहे हैं. वो घर वापसी सियासी थी और यह हिन्दी ब्लॉगर घर वापसी साहसी है.
एक ऐसे माहौल को छोड़ कर घर वापसी जहाँ भीड़
का चेहरा तो नहीं है मगर पसंद करने वालों की भीड़ है. पसंद करने के कारण तो नहीं
हैं मगर आपके लिखे को पढ़ने की वजह भी नहीं है. तस्वीरें वाह वाही बटोर रही हैं और
२०० शब्दों से बड़ा लिखा आलेख लाईक तो किया जा रहा है मगर पढ़ा नहीं
जा रहा है. मौत की खबरों पर भी इन पसंद करने वालों की पसंदगी अंकित है अतः जाहिर
है कि पढ़ना इनकी फितरत नहीं. जागरुक करते व्यंग्य, समाज की आवाज, संवेदनशील लेखनी
को पढ़ने का समय ज्यादा से ज्यादा लाईक करने लेने की होड़ के खाते में चला जा रहा
है. ये वैसा ही है कि किसान का कर्ज आत्महत्या को मजबूर कर दे और रईसों को कर्ज
मुआफी में सरकार का पूरा समय निकल जाये.यही रईस तो उनके पालनहार से तारणहार तक सब
हैं.. लाईक ही पार लगायेगा, पढ़्ने में क्यूं समय गंवाया जाये.
लोग लाईक गिन गिन मगन हो रहे हैं उस जगह
पर, जहाँ उन लाईक प्राप्त पोस्टों और आलेखों की सेल्फ लाईफ मात्र चन्द मिनटों की
है. सारे दिग्गज ब्लॉगर ५००० की मित्र सीमा पूरी कर भरे अघाये बैठे बैठे पोस्ट
चिपकाये जा रहे हैं और पोस्ट कुछ मिनटो, घंटो में दम तोड़ती चली जा रही हैं. इस बीच
होली, दीवाली या जन्म दिन पड़ जाये..तब तो उसकी बधाई शुभकामना की वर्षा ऐसी कि खुद
की पुरानी पोस्ट पाताल में चली जाती है...असंभव है उतने गहरे पैठ कर फिर से उन्हें
खोज कर लाना...
सेल्फी
से लेकर अखबारों में छपने की खबरों ने किसी की पूरी फेस बुक वाल घेर रखी है तो कुछ
मिनट मिनट पर वन लाईनर चढ़ाकर किला फतेह किये हुए हैं. फेसबुक न हुआ, मुम्बई हो गया
हो..रोजी रोटी सबकी चल रही है, खुश कोई ना...बस चन्द खलिफाओं को छोड़ कर..वो तो
ब्लॉग पर भी खुश थे वैसे ही मठाधीषी जमाये चाहे स्वयंभू मठाधीष रहे हों तो भी
क्या?
ऐसे में तय पाया गया कि एक बार फिर पुरानी
दुनिया में लौटा जाये. यह भी तय है कि ये लौटने वाले फेस बुक त्याग कर नहीं
लौटेंगे बस..ब्लॉग की जिन्दगी पुनः जीवित करने की चाह लिए, पुराने दिनों की खुशबू
लेने वापस आकर ब्लॉग को जिन्दा करने की कोशिश मात्र करेंगे...मगर कोई बुराई
नही...एक प्रयास तो होना ही चाहिये..ब्लॉग किताबों वाला इतिहास दर्ज कर रहा है और
फेसबुक अखबारी कतरनों वाला...ऐसे में इस बात की कोशिश कि दोनों जहाँ जन्नत हो
जायें में कोई बुराई नजर नहीं आती..हालांकि दो नावों की सवारी की कहानी से कौन
लिखने वाला अपरिचित है..मगर बदलता जमाना है..अब सब संभव है..
चिरई डोंगरी जैसे गांव से खेत खलिहान बेच
कर दिल्ली में व्यापार शुरु करने वाले के व्यापार के आसमान छूते ही जब गांव की याद
फिर सताने लगे तो छतरपुर में फार्म हाऊस लेकर गांव की फील लेने में भी कोई बुराई
नहीं ..गांव में कुछ है नहीं और जाने का समय भी कहां बच रहा है..ऐसे मे भले ही एसी
की ठंडक में लालटेन की नकली रोशनी में जमीन पर गद्दी लगा कर प्लास्टिक के पत्तल
में खाना खाने का ही सीन ही यह सुकूं दे जाये...तो भी ठीक..
आज दस साल से ज्यादा हो गये हिन्दी ब्लॉगिग
शुरु किये हुए हमें..लौटना चाहिये हम सबको ब्लॉग पर..हम तो खैर कहीं गये ही नहीं
थे मगर जब भीड़ लौट रही हैं तो हम बिना गये ही कहीं नुक्कड़ तक जाकर आ लेते हैं
लौटने के लिए,.. साफ सुथरे मकान की सफाई के लिए एक स्वच्छता अभियान और सही..एक बार
फिर झाडु फेर लेते हैं कि जी, फिर से चमन आबाद हुआ...
और जब घर वापसी हुई है..तो आज के माहौल में
..जब सब कुछ अंतरराष्ट्रीय दिवस के स्टेम्प के बिना सूना है...चाहे मां हो, बाप हों
या योगा..अगर उनके नाम का अंतरराष्ट्रीय दिवस न हो तो शायद कोई याद भी न करे खुले
आम...तब हिन्दी ब्लॉग तो यूं भी अंतरराष्ट्रीय था ही...भले ही हिन्दी था तो भी
क्या...
अतः आज के लिए घोषित अंतरराष्ट्रीय हिन्दी
ब्लॉगर्स दिवस ... हर साल १ जुलाई को मनाया जाये...यही कामना है..
आज प्रथम अंतरराष्ट्रीय हिन्दी ब्लॉगर्स
दिवस की आप सभी को बहुत बधाई एवं अनन्त शुभकामनायें..
आशा है अगले साल से यह एक बड़े विशाल आयोजन
मे परिवर्तित होगा...कमेटियां बनाई जा रहीं हैं प्रथम वर्षगांठ के लिए अगले
बरस...आप भी वालंटियर करें एक बड़े आयोजन को जामा पहनाने के लिए..
-समीर लाल ’समीर’
48 टिप्पणियां:
बहुत अच्छी पहल लगी, ब्लॉगिंग ने जो दिया वो फेसबुक देने की सोच भी नहीं सकता कभी, अंतरराष्ट्रीय हिन्दी ब्लॉगर्स दिवस हर साल धूमधाम से मने इसी की ईश्वर से प्रार्थना , सब ब्लॉगों की अपनी पहचान बनी रहे।बधाई दिवस विशेष की ।आपकी सामयिक विषय पर लिखी पोस्ट ज्यादा अच्छी होती है।आप तो खैर गए नहीं पर नुक्कड़ तक जाकर लौटे ये अच्छा लगा ☺ अगले वर्ष आशा है इस दिवस के आयोजन में शामिल हो और कोई योगदान दे पाए इसे मनाने में हम भी #हिन्दी_ब्लॉगिंग अमर रहे !
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जरूरी और सार्थक पहल, यही भाव बना रहे।
...
गुरुदेव ब्लॉग शेर शेरनियों ने अभी तो बस अंगड़ाई ली है..खुशी है कि कोई नहीं गया..पुकारा और सब दौड़े चले आए...ज़माने को अब दिखाना है कि ब्लॉगर्स शक्ति क्या होती है...
जय #हिन्दी_ब्लॉगिंग
जमाने बाद उड़नतश्तरी देखने का मौका मिला। जहेनसीब।
द्ददा हिन्दी ब्लॉगर दिवस बनाने के अतिरिक्त हमें हर माह के पहले रविवार को भी अनिवार्य ब्लॉगिंग दिवस घोषित करना चाहिये। #हिन्दी_ब्लॉगिंग
बहुत सार्थक आव्हान और एक सधी हुई पोस्ट पढ़कर अच्छा लगा | सभी नियमित रहें तो सार्थक विमर्श दिन लौटेंगें ही |
शुभकामनाएँ! आप तो खैर पहले भी नियमित थे।
लेखन पर कमेंट न मिलना निराशा का कारण नहीं होना चाहिए बल्कि लेखन में निखार लाने के प्रति कृतसंकल्प होना चाहिए ,निश्चित ही सतत लेखन, आपकी अभिव्यक्ति में सुधार करने में सहायक होगा !
मेरा मानना है कि आप सकारात्मक लिखते रहिये अगर आपके विचारों में , रचनात्मकता है तो लोग एक दिन आपके लेखन को अवश्य पढ़ेंगे और उसे सम्मान भी मिलेगा !
सस्नेह मंगलकामनाएं कि आपकी कलम सुनहरी हो !
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज शनिवार (01-07-2017) को
"विशेष चर्चा "चिट्टाकारी दिवस बनाम ब्लॉगिंग-डे"
पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
लौटने पर बधाई।
आज जब हर चीज का कोई खास डे होता है, तो ब्लॉगिंग का भी होना ही चाहिए। वो भो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तभी तो मजा आएगा।
बढ़िया पोस्ट। फेसबुक वगेरह एक ऐसा vortex है जो आपको एक दम से खींच लेता है। प्रतिक्रिया भी तब की तब मिल जाती हैं इसलिए वो ज्यादा एडिक्टिव हो जाता है। खैर, लोग वापस ब्लॉग की तरफ आ रहे है ये जानकर अच्छा लगा। आप तो इधर ही थे। बस नुक्कड़ तक जाना हो तो चले जाइए लेकिन उधर से किसी दूसरी गली निकल न निकल जाईएगा।
बहुत सुखद है ब्लॉग पढ़ना
आभार
मंगलकामनाएं
सार्थक प्रयास के लिये बधाई1 अब ब्लागर मीट का इन्तिजार्!
जय #हिन्दी_ब्लॉगिंग ! सार्थक प्रयास के लिये बधाई!
नया नौ दिन पुराना सौ दिन
खांसी के लिए बस ग्लाइकोडिन
ल्यो #हिंदी_ब्लॉगिंग की बधाई
सर्र से।
subhkamnayen blog-lekhak ko ant-tah: labh to pathak ke hisse me hi aana hai........
pranam.
Note: hindiblogjagat ke apritam seva ke liye dadda "sameer" ko sadhuwad.
हिन्दी ब्लॉगिंग को जिस तरह से लोगो ने अपनाया है इससे ब्लॉगिंग की दुनिया को नया आयाम मिलेगा.
कुछ तो हलचल हुई.
अंतरराष्ट्रीय हिन्दी ब्लॉग दिवस पर आपका योगदान सराहनीय है. हम आपका अभिनन्दन करते हैं. हिन्दी ब्लॉग जगत आबाद रहे. अन्नत शुभकामनायें. नियमित लिखें. साधुवाद
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
बहुत अच्छा विश्लेषण
प्रथम अंतरराष्ट्रीय हिन्दी ब्लॉगर्स दिवस की आपको भी हार्दिक शुभकामनायें..
ब्लॉगिंग जिंदाबाद!
हम तो खैर कहीं गये ही नहीं थे मगर जब भीड़ लौट रही हैं तो हम बिना गये ही कहीं नुक्कड़ तक जाकर आ लेते हैं लौटने के लिए,....
:) :)
और जब घर वापसी हुई है..तो आज के माहौल में ..जब सब कुछ अंतरराष्ट्रीय दिवस के स्टेम्प के बिना सूना है...चाहे मां हो, बाप हों या योगा..अगर उनके नाम का अंतरराष्ट्रीय दिवस न हो तो शायद कोई याद भी न करे खुले आम...तब हिन्दी ब्लॉग तो यूं भी अंतरराष्ट्रीय था ही...भले ही हिन्दी था तो भी क्या.
अंतर्राष्ट्रीय लिखने से ज्यादा इफेक्ट आता है ... रोचक और सटीक पोस्ट
अच्छी शुरुआत है। बेशक फेसबुक ने सबके चेहरों पर नकली परत चढ़ा दी है जिससे छुटकारा पाना भी असंभव सा है। लेकिन आज के ज़माने में एक मयान में दो तलवारें रह सकती हैं।
Ye ek achhi pahal hai...
मेरे ब्लॉग के शुरूआती सफर के सहयात्री रहे हैं आप, अकेले नहीं पढ़ा आपको - अम्मा को भी पढ़कर सुनाती रही, ... जाने कैसी उलटपुलट हुई, मंज़र ही बदल गया था ... मैं भी कहीं नहीं गई, पर लगता था कुछ खो गया
ब्लॉग लेखन का कर्म करने के बावजूद टिपण्णी रुपी फल के ना मिलने से अधिकाँश लोग हताश हो बैठ गए थे, "एक जुलाई के मानसून" से शायद कोंपलें फिर खिल उठें
फ़ेसबुक का सही और सटीक चित्रण किया आपने. वहां अपना जैसा कुछ है ही नही. खुद की पोस्ट नही मिलती तो दूसरे की तो बात ही क्या?
आपके मार्गदर्शन में इस मुहिम को भी सफ़ल कर ही लेंगे.
#हिंदी_ब्लागिँग में नया जोश भरने के लिये आपका सादर आभार
रामराम
०३६
उस स्वर्णिम दौर के लिए यही कहूंगा कि आ अब लौट चलें....
सभी को अंतरराष्ट्रीय ब्लॉग दिवस की ढेरों शुभकामनाएँ, हम सभी निरंतर लिखें यही कामना है!
ख़ूब पढ़ते हैं और पढ़ कर सोचते हैं लेकिन आज से लिखने की पूरी कोशिश ब्लॉग दिवस के नाम !
समीर भाई आज के दिन को भी नहि छोड़ा ... मस्त व्यंग मारा है ... मजा आ गया ...
bloggar divas ki haardik shubhkaamnaayen.aapki shubh
prerna hum sabko shakti pradaan
kare.
पता नहीं कितने लोग मुड़ पाएं ....?
यहाँ समय अधिक लगता है किसी की पोस्ट तक पहुँचने के लिए ....
Bahut sahi...
हम भी कहीं गए नहीं चाचा ! यहीं थे, लेकिन अब सब लौट रहे हैं तो हम भी अपने पोस्ट छपने की रफ़्तार तेज़ करेंगे..वैसे I just hope for better days of hindi blogging! :)
हिन्दी ब्लॉगिंग की गति बनाये रखने हेतु आपका प्रयास सराहनीय है -शुभकामनाएं
कुछ कहने लायक ही नहीं हूँ मैंने सच मे फेसबुक के चक्कर मे अपना ब्लॉग और पहचान दोनों बर्बाद कर दी !😢😢
अंतरराष्ट्रीय हिन्दी ब्लॉग दिवस पर आपका योगदान सराहनीय है. हम आपका अभिनन्दन करते हैं. हिन्दी ब्लॉग जगत आबाद रहे. अन्नत शुभकामनायें. नियमित लिखें. साधुवाद
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
जब मैंने इस बारे में बात शुरू की थी तो बस एक दिन के लिए ब्लॉग पर आने के लिए नहीं की थी मैंने हर महीने के एक ही तारीख हो सभी को एक साथ ब्लॉग पर आने की बात की थी , फेसबुक से छुट्टी ले कर ताकि ब्लॉगिंग सांस लेती रहे | पहली तारीख इस लिए दिया था की सभी को दिन याद रहे | मै तो इसे हर पहली तारीख को जारी रखने का प्रयास करुँगी , उम्मीद है सभी का सहयोग मिलेगा |
हम चले गए थे पर हमें हरि पत्तल ओर भोजन करना ही सुहाता है।
बढ़िया प्रेरक पोस्ट
सार्थक पोस्ट .........हम भी कभी कहीं गए ही नहीं, नियमित पोस्ट लिखते रहे और आज सबकी घर वापसी ने सूने घर को आबाद कर दिया है
बहुत अच्छा महसूस हो रहा है, पुराने वे नाम जिन्हें कभी नही भूली, जो एकदम अपने से लगने लगे थे, खो गए थे। सबको एक साथ एक जगह देख कर बहुत बहुत अच्छा लग रहा है दादा! बरसो से छाया सन्नाटा खत्म हुआ है।रौनके आई हैं। जय हो #हिन्दी_ब्लॉगिंग
बहुत अच्छा महसूस हो रहा है, पुराने वे नाम जिन्हें कभी नही भूली, जो एकदम अपने से लगने लगे थे, खो गए थे। सबको एक साथ एक जगह देख कर बहुत बहुत अच्छा लग रहा है दादा! बरसो से छाया सन्नाटा खत्म हुआ है।रौनके आई हैं। जय हो #हिन्दी_ब्लॉगिंग
बढ़िया।
ब्लागिंग जारी रहे।
जय ब्लागिंग जय ब्लागिस्तान
sach aisa laga lautkar aa gaye purane din
सभी यहीं थे.....फिर भी सूना-सूना क्यों था
प्रणाम
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