तामिलनाडू एक ऐसा राज्य है, जहाँ चुनाव नहीं हुए
मगर मुख्यमंत्री स्वर्गवासी हो गईं इस हेतु मुख्यमंत्री पद संकट काल से गुजर रहा
है.. राज्यपाल लाइम लाईट में हैं..सब दावेदार उनसे मिल जुल रहे हैं और वो अपना
फैसला सुरक्षित रखे हैं. ऐसे कम ही मौके होते है जब लोग राज्यपाल निवास की तरफ
टकटकी लगायें बैठे हों अतः
जितना खींच सके की तर्ज पर खीचन का माहौल
बना हुआ है.
टकटकी लगाये बैठी मुख्यमंत्री की मुख्य दावेदार
एकाएक यात्रा पर निकल गईं जेल की...वो भी चार साल
के लिए और उनकी दावेदारी अब दस वर्षों के लिए स्थगित रहेगी न्यायालीन फैसले के चलते. मगर दस साल का
क्या है? सत्ता की चाह ऐसी शै है कि दशक
मिनटों में गुजर जाते हैं? और उम्र भी कोई खास नहीं..६१ बरस..राजनीति में तो यह
उम्र अभी सीख रहा हूँ...मेरा साथ दीजिये भाईयों बहनों
वाली होती है...जब यात्रा से वापस आकर सन्यास पूर्ण करेंगी, ७१ वर्षीय युवा नेत्री
के हाथ फिर प्रदेश की कमान होगी. ये मैं नहीं कह रहा...मेरी राजनीतिक विषयों पर
विशेषज्ञ कलम कह रही है...हम तो बस निमित्त मात्र हैं...
अम्मा का स्वर्गवास विचलित करने वाला निकला...खास
कर उत्तर भारतियों के लिए...उनके आशीर्वाद प्राप्त नव मुख्यमंत्री के नाम का
उच्चारण करना अभी सीख ही रहे थे कि शशीकला के जेल जाने से उछले एक नये नाम को
सीखने की जुगत में लगे हैं. अब दर रोज नये नये नाम बोलना सीखें कि उत्तर भारत में
हो रहे चुनाव की सोचें.
सोचने की बात से एक सोच
उभरी कि मृत्यु से बड़ा पाप विनाशक कोई भी नहीं. गंगा में नहा कर भी पापी पापॊ कहला
सकता है मगर जीते जी भले ही जनता यान्यायालय आदि आपको पापी, दुष्ट, अपराधी घोषित
कर दें किन्तु मृत्यु के भुजपाश में जाते ही आप स्वर्गवासी हो जाते हैं. आज तक
नरकवासी होते किसी को नहीं सुना...एकदम खाली खाली सी..सूनसान जगह होगी..
दक्षिण से दिमाग हटे तो चार और राज्य ऐसे हैं जहाँ माहौल गरम है. मगर वहाँ मुख्यमंत्री
पद का सवाल अभी उलझा नहीं है अतः राज्यपाल अभी लाइम लाईट में नहीं हैं.
अधिकतर जनता वोट डाल चुकी है या डाल रही है...जाने
कौन सत्तासीन होगा और जाने कौन मुख्य मंत्री मगर नूरा कुश्ति के नतीजे के लिए
इन्तजार लगा है और अनुमानों का बाजार गर्म
है.
अनुमान का क्या है वो तो हम भारतवासियों का शगल
है..और अनुमान भी ताल ठोक कर लगाते हैं कि बॉस, गलत निकल जाये तो आधी मूँछ मुड़ा कर
शहर घूमा देना.
पनवाड़ी की दुकान पर चर्चा चल रही है कि हमसे पूछो
हम बताते हैं..नोट करो.. पंजाब में झाडू आ रही है...गोवा में झाडू आई ही समझो
..थोड़ा ऊँच नीच हुई तो कांग्रेस है ही...बाहर से टेका लगा देगी तो भी चल जायेगा....उत्तराखण्ड
तो सब जानते ही हैं कि क्या होना है..(ये स्टेटमेन्ट इसलिए कि कोई नहीं जानता है)
..और फिर यूपी..उसके लिए क्या कहें...
अब बताओ..इसमें पंजाब छोड़ क्या नोट करें?
चैलेन्जर सामने से बोल रहा है कि ये जो यूपी में कमल
है न भैय्या...कीचड़ मे खिलता है..सोच लेव!!
साईकिल से जाकर हाथ से तोड़ोगे तो साईकिल भी और पंजा भी, दोनों कीचड़ में सन
जायेगा...खुद से टूटा तो वहीं कीचड़ में गिर कर रह जायेगा...एक्के तरीका है कि हाथी
जाये..और अपनी सूँड़ से तोड़कर लाये तो ही सुरक्षित आ सकता है...हाथी का कीचड़ में
सना पाँव तो यूँ भी वेदों में पवित्र और दिव्य माना गया है...
चैलेन्जर ने दर्शन शास्त्र की बुद्धिजीवी टाईप
बात कर दी है...पान की दुकान से भीड़ छट चुकी है...
सड़क पर हर तरफ पान की पीक
के निशान नजर आ रहे हैं...
-समीर लाल ’समीर’
5 टिप्पणियां:
Sahee Aaklan .
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ब्लॉग बुलेटिन और दादा साहेब फाल्के में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (19-02-2017) को
"उजड़े चमन को सजा लीजिए" (चर्चा अंक-2595)
पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
शानदार पोस्ट ... बहुत ही बढ़िया लगा पढ़कर .... Thanks for sharing such a nice article!! :) :)
वाह!शब्दों के लपेये में सब कुछ उछाल देना कोई आपसे सीखे.
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