जब मैं तुम्हारी घुप्प चुप्पी से
परिशां होकर चुप हो जाता हूँ
तब मेरी चुप्पी चुपचाप आकर
मुझे यूँ चुपचाप रहने से रोक
ये समझा कर सिहर जाती है
कि चुप्पी से कुछ हासिल नहीं
कुछ कहो ..यूँ चुपचाप न सहो
बेआस लहरों का साहिल नहीं
चुपचाप रह जाना तो एक और
नई घुप्प चुप्पी का आगाज है
ये सहनशीलता पे एक वार है...
ये महज एक हार है,,,हार है!!!
-समीर लाल ’समीर’
23 टिप्पणियां:
चुप्पी का शोर भी मन को झझकोर देता है। एक अलग अंदाज़ की रचना अच्छी लगी।
Behtreen !
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 18-05-2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2347 में दिया जाएगा
धन्यवाद
चुप्पी तोडना जरुरी है, इससे किसी समस्या का हल नहीं निकलता ...
बहुत अच्छी रचना
Bahut hi badiya... Keep posting
चुप्पी का शोर बड़ा जबरदस्त होता है।
चुप्पी का शोर बड़ा जबरदस्त होता है।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (20-05-2016) को "राजशाही से लोकतंत्र तक" (चर्चा अंक-2348) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सच तो यही है .....
मंगलकामनाएं !!
khamoshi ki apni awaaz hoti hai
sameer bhayi ji , aaj aapki kavita ne wo sabit kar diya hai .
bharat kab aa rahe hai , milne ka bahut man hai ji .
shukriya
vijay
एक अलग अंदाज़ की रचना...
Bahut khoob
bahut aachi jankari danayawad
http://www.99hindi.com/anmol-vachan/
चुप्पी का जवाब तो चुप्पी ही होगा जब शुरुआत दूसरी तरफ से हुई है। बात करने से सब सुलझ जाता है।
kabhi kabhi aapki chuppi bhi bina kahe bahut kuchh kah jaati hai------bahut hi sarthak prastuti-----sir hardik badhai
kabhi kabhi aapki chuppi bhi bina kuchh kahe bahut kuchh kah jaati hai-
bahut hi sateek prastuti ---sir -harsik badhai
kabhi kabhi aapki chuppi bhi bina kuchh kahe bahut kuchh kah jaati hai-
bahut hi sateek prastuti ---sir -harsik badhai
बहुत दिन बाद ब्लॉग की दुनिया में आना हुआ ,आपकी कहानी पढ़ी अच्छा लगा । बधाई
बहुत अच्छी कविता लगी जी
चुप्पी बहुत कुछ कह जाती है read me also justiceleague-justice.blogspot.com
आपको जन्मदिन की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं!
सादर
कहते रहिये कहते रहिये कहने से दिल मिल जाते हैं।
चुप्पी भी कभी कभी हार कहलाती है ... सच ही है . उम्दा रचना .
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