सोमवार, मई 23, 2011

किसी ने कुछ कहा होगा…

आज सूचना में इस माह विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित मेरी रचनायें:

आस्ट्रेलिया से प्रकाशित ’हिन्दी गौरव’ में हरे सपने...

कनाडा से प्रकाशित हिन्दी चेतना में ’आप जलूल आना, चोनु’

भोपाल से प्रकाशित गर्भनाल के अंक ५४ में ’अंतिम तिथी’

 

अब पढ़े एकदम ताजी गज़ल, मास्साब पंकज सुबीर जी के वरद हस्त के साथ प्रस्तुत:

image

न जाने अबके दंगे में, लहू किसका बहा होगा
किसी ने कुछ सहा होगा, किसी ने कुछ सहा होगा.


लगी है भीड़ उस दर पर, हुआ है जिक्र मेरा ही
किसी ने कुछ कहा होगा, किसी ने कुछ कहा होगा.


लिया होगा बहुत मजबूर होकर नाम जब उसने
किसी से कुछ सुना होगा, किसी से कुछ सुना होगा,


नहीं यूँ शोहरतें हासिल, कई किरदार मेरे हैं
किसी ने कुछ चुना होगा, किसी ने कुछ चुना होगा.


यूँ ऐसी शख्शियत मेरी, कई ख्वाबों में पलती है
किसी ने कुछ बुना होगा, किसी ने कुछ बुना होगा.


-समीर लाल ’समीर’

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73 टिप्‍पणियां:

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

वाह दादा सुन्दर गजल है,
आभार

Anjana Dayal de Prewitt (Gudia) ने कहा…

नहीं यूँ शोहरतें हासिल, कई किरदार मेरे हैं
किसी ने कुछ चुना होगा, किसी ने कुछ चुना होगा.
wah! bahut achcha likha hai, sir! :-)

Padm Singh ने कहा…

बेहद खूबसूरत गज़ल ... आभार दादा

SANDEEP PANWAR ने कहा…

दंगा व उसका दर्द

संगीता पुरी ने कहा…

वाह ..
बहुत खूब !!

bhawna ने कहा…

kaya baat hai bahut khuub...
duniyaa ke har kone men aapki rachnayen prakaashit hon yahi hamaari dua hai..bahut2 badhai.

Rahul Singh ने कहा…

बढि़या लिंक्‍स, गजल भी खूब है.

संतोष त्रिवेदी ने कहा…

'किसी ने कुछ चुना होगा,किसी ने कुछ चुना होगा'यही बात अगर चयनित होने वाले की समझ में जल्द आ जाए तो बेहतर होगा !

बहरहाल,बेहतरीन आईना !

Sunil Kumar ने कहा…

बेहद खूबसूरत गज़ल ...बहुत खूब !

Sushil Bakliwal ने कहा…

लगी है कई रचनाएँ, साथ में इस एक पोस्ट के.
किसी ने कुछ पढा होगा, किसी ने कुछ पढा होगा ।

Arun sathi ने कहा…

वाह सर जी
यूं आपको बॉस नहीं कहता,
आज से आप ब्लॉगर के ग्रेंडमास्टर है।

पर एक बात आपने छोड़ दी यहां हिन्दुस्तान में भी आपकी रचना प्राकाशित हुई थी।

Shah Nawaz ने कहा…

वाह, बेहद उम्दा ग़ज़ल है... हर एक शेअर दा'द के काबिल है...

समय चक्र ने कहा…

यूँ ऐसी शख्शियत मेरी, कई ख्वाबों में पलती है
किसी ने कुछ बुना होगा, किसी ने कुछ बुना होगा.

बहुत ही दिल को लुभाने वाली पंक्तियाँ ... आपकी रचनाएँ प्रकाशित होने पर ढेरों शुभकामनाएं

Satish Saxena ने कहा…

वा वाह ...वा वाह .....
शुभकामनायें !!

मनोज कुमार ने कहा…

शुभान आल्लाह!

जिन गीतों में शायर अपन ग़म रोते हैं,
वो उनके सबसे मीठे नग़में होते हैं।

रश्मि प्रभा... ने कहा…

लिया होगा बहुत मजबूर होकर नाम जब उसने
किसी से कुछ सुना होगा, किसी से कुछ सुना होगा,
bahut hi badhiyaa

डॉ टी एस दराल ने कहा…

वाह , बहुत सुन्दर ग़ज़ल । प्रकाशन के लिए बधाई ।
तस्वीर में आप के साथ दूसरी परछाई किस की है ?

सदा ने कहा…

वाह ... बहुत खूब हर पंक्ति बेमिसाल ... ।

शारदा अरोरा ने कहा…

चढ़ती कलाओं में रहने की बधाई हो ..
खूबसूरत ग़ज़ल की भी .....

आशुतोष की कलम ने कहा…

मजा आ गया बहुत सुन्दर अशयार..
बहुत ही सुन्दर रचना

न अब पूछो, खुदा के घर के बारे में कहीं,वाइज
कहीं मंदिर गिरा होगा,कहीं मस्जिद बना होगा..
किसी ने कुछ सहा होगा, किसी ने कुछ सहा होगा.

सौरभ शेखर ने कहा…

Sahab ghazal pasand aai.

अशोक सलूजा ने कहा…

नहीं यूँ शोहरतें हासिल, कई किरदार मेरे हैं
किसी ने कुछ चुना होगा, किसी ने कुछ चुना होगा.

बिल्कुल चुना होगा ...समीर जी ...
शुभकामनाएँ आपको !
अशोक सलूजा !

Satish Chandra Satyarthi ने कहा…

गज़ब.... बेहतरीन लगी गज़ल... और एक माह में इतनी जगहों पर छापने के लिए बधाई.. प्रणाम...

निवेदिता श्रीवास्तव ने कहा…

सरल शब्दों में अच्छी गज़ल ......सादर !

Urmi ने कहा…

लगी है भीड़ उस दर पर, हुआ है जिक्र मेरा ही
किसी ने कुछ कहा होगा, किसी ने कुछ कहा होगा.
लिया होगा बहुत मजबूर होकर नाम जब उसने
किसी से कुछ सुना होगा, किसी से कुछ सुना होगा..
वाह! क्या बात है! तस्वीर के साथ साथ बहुत ही ख़ूबसूरत और शानदार ग़ज़ल!

rashmi ravija ने कहा…

वाह!!...बढ़िया ग़ज़ल...

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

जिन हवाओं ने मुझ को दुलराया
उनमें आपकी गज़ल का शेर रहा होगा....
....दुष्यंत से क्षमा के साथ :)

shikha varshney ने कहा…

खबर भी अच्छी है और गज़ल भी.शोहरत बनी रहे.

स्वाति ने कहा…

नहीं यूँ शोहरतें हासिल, कई किरदार मेरे हैं
किसी ने कुछ चुना होगा, किसी ने कुछ चुना होगा.


यूँ ऐसी शख्शियत मेरी, कई ख्वाबों में पलती है
किसी ने कुछ बुना होगा, किसी ने कुछ बुना होगा.
wah kya bat hai...

PRAN SHARMA ने कहा…

Naye andaaz mein kahee hai aapne
gazal .Bahut khoob ! Har sher
gaur karne ke yogya hai.

रंजना ने कहा…

मनमोहक...सुन्दर gazal ....

बधाई !!!!

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत सुन्दर ग़ज़ल वाह बहुत खूब ........

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

वाह,
जितनी सरलता से बात कही जाती है, उतना ही प्रभाव छोड़ जाती है। प्रभावित करती रचना।

www.navincchaturvedi.blogspot.com ने कहा…

खूबसूरत गजल समीर भाई| पंकज सुबीर जी के वरद हस्त के लिए बधाई|

Vaanbhatt ने कहा…

तुस्सी ग्रेट हो समीर भाई, क्या ग़ज़ल चिपकाई है. मज़ा आ गया
प्रसून

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

ऐसी यादें ही जीवन को मुस्कराहट से भर देती हैं.....सुंदर

Amit Chandra ने कहा…

शानदार गजल। हर शेर लाजवाब।

बेनामी ने कहा…

Sameer Bahut Hi Layatmak Ghazal ke liye badhayi

नहीं यूँ शोहरतें हासिल, कई किरदार मेरे हैं
किसी ने कुछ चुना होगा, किसी ने कुछ चुना होगा.daad ke saath

Devi Nangrani ने कहा…

Sameer Bahut Hi Layatmak Ghazal ke liye badhayi

नहीं यूँ शोहरतें हासिल, कई किरदार मेरे हैं
किसी ने कुछ चुना होगा, किसी ने कुछ चुना होगा.daad ke saath

Mansoor ali Hashmi ने कहा…

मज़ेदार बहर है, ख़ूब अच्छे शेर निकाले है. यहाँ तो आप हक़ीक़त बयानी कर गए है:

"यूँ ऐसी शख्शियत मेरी, कई ख्वाबों में पलती है
किसी ने कुछ बुना होगा, किसी ने कुछ बुना होगा."

मुझे भी कुछ यूं सूझी:-

अजब है 'दौरे घोटाला', भला कोई बचा होगा ?
किसी ने कुछ लिया होगा,किसी ने कुछ दिया होगा.

जो 'Miss' हो बैठी 'under' तो 'standing' रह गयी बाक़ी !
किसी ने कुछ लिखा होगा, किसी ने कुछ पढ़ा होगा !!

http://aatm-manthan.com

Mansoor ali Hashmi ने कहा…

मज़ेदार बहर है, ख़ूब अच्छे शेर निकाले है. यहाँ तो आप हक़ीक़त बयानी कर गए है:

"यूँ ऐसी शख्शियत मेरी, कई ख्वाबों में पलती है
किसी ने कुछ बुना होगा, किसी ने कुछ बुना होगा."

मुझे भी कुछ यूं सूझी:-

अजब है 'दौरे घोटाला', भला कोई बचा होगा ?
किसी ने कुछ लिया होगा,किसी ने कुछ दिया होगा.

जो 'Miss' हो बैठी 'under' तो 'standing' रह गयी बाक़ी !
किसी ने कुछ लिखा होगा, किसी ने कुछ पढ़ा होगा !!

http://aatm-manthan.com

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

लगी है भीड़ उस दर पर, हुआ है जिक्र मेरा ही
किसी ने कुछ कहा होगा, किसी ने कुछ कहा होगा.

कहने वालों की चिन्ता क्या ? नाम तो हुआ होगा ..

सुन्दर गज़ल ..

अजय कुमार झा ने कहा…

सुनिए हो हमको भी दाखिला लेना है आपके स्कूल में ।

घनघोर पढाई चल रहा है ..अरे कमाल कर दिए हैं कमाल जी

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…

प्रियवर समीर जी
सादर सस्नेह अभिवादन !

बहुत शानदार लिखा - लिखवाया है :)

न जाने अबके दंगे में, लहू किसका बहा होगा
किसी ने कुछ सहा होगा, किसी ने कुछ सहा होगा

प्रभावशाली है मतला … ख़ूब !

इस बह्र को कोई साधले तो उसका आनन्द ही कुछ और है …
मैं इस बह्र में ज़्यादा नहीं तो 150 से अधिक ग़ज़लें लिख चुका हूं …

एक शे'र आपके लिए …
जो लिखता है 'समीर' उसकी अलग ही बात है ; वरना
किसी ने कुछ लिखा होगा , किसी ने कुछ लिखा होगा


और हां, पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होने
और 'परिकल्पना सम्मान' से सम्मानित होने के लिए भी बधाई !
( बहुत समय बाद आया हूं न, मैं अभी नेट पर नियमित जो नहीं …)


हार्दिक शुभकामनाएं !

- राजेन्द्र स्वर्णकार

सञ्जय झा ने कहा…

tapchik......dadda mast gazal hai....

pranam.

Pratik Maheshwari ने कहा…

किसी ने कुछ कहा होगा..किसी ने कुछ कहा होगा...
हम भी ये कहते हैं कि खूबसूरत ग़ज़ल है.. संगीतबद्ध किया जाए?

रंजू भाटिया ने कहा…

लिया होगा बहुत मजबूर होकर नाम जब उसने
किसी से कुछ सुना होगा, किसी से कुछ सुना होगा,

बहुत सुन्दर ..............

devendra gautam ने कहा…

लगी है भीड़ उस दर पर, हुआ है जिक्र मेरा ही
किसी ने कुछ कहा होगा, किसी ने कुछ कहा होगा.

----काफिया रदीफ़ वाले मिसरे में आवृति शेर में नयी जान डाल रही है...ग़ज़ल का नया अंदाज़ ..नया प्रयोग...अच्छा लगा...
-----देवेंद्र गौतम

कविता रावत ने कहा…

नहीं यूँ शोहरतें हासिल, कई किरदार मेरे हैं
किसी ने कुछ चुना होगा, किसी ने कुछ चुना होगा.
...बहुत उम्दा गजल!
रचनाएँ प्रकाशित होने पर बहुत शुभकामनाएं!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

यूँ ऐसी शख्शियत मेरी, कई ख्वाबों में पलती है
किसी ने कुछ बुना होगा, किसी ने कुछ बुना होगा...

इस शेर में जिंदगी की हक़ीकत को उतारा है समीर भाई ... ये जीवन और इसके ख्वाब सच आई क्पी एक नही बुनता ...
मासाब के आशीर्वाद से सजी ये अनुपम रचना है ...

amit kumar srivastava ने कहा…

prabhavshali panktiyaan.


excellent...

Jyoti Mishra ने कहा…

very very beautiful lines !!

समीक्षा ने कहा…

यूँ ऐसी शख्शियत मेरी, कई ख्वाबों में पलती है
किसी ने कुछ बुना होगा, किसी ने कुछ बुना होगा.

बेहतरीन गज़ल
प्रकाशन के लिए बधाइयां|

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

लिया होगा बहुत मजबूर होकर नाम जब उसने
किसी से कुछ सुना होगा, किसी से कुछ सुना होगा,
नहीं यूँ शोहरतें हासिल, कई किरदार मेरे हैं
किसी ने कुछ चुना होगा, किसी ने कुछ चुना होगा.


सभी शेर एक से बढ़कर एक..... वाह!
हर शे‘र में आपका निराला अंदाज झलक रहा है।

Madhu chaurasia, journalist ने कहा…

एक शब्द में कहूं तो 'लाजवाब'रचना...

mridula pradhan ने कहा…

नहीं यूँ शोहरतें हासिल, कई किरदार मेरे हैं
किसी ने कुछ चुना होगा, किसी ने कुछ चुना होगा.
bahut achchi lagi.

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

padhi , achchhi lagi.
- vijay

Vivek Jain ने कहा…

बहुत सुन्दर गजल
साभार
- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

रचना दीक्षित ने कहा…

नहीं यूँ शोहरतें हासिल, कई किरदार मेरे हैं
किसी ने कुछ चुना होगा, किसी ने कुछ चुना होगा.


बहुत सुंदर गज़ल एक सीधे शब्दों में. आभार.

ज्योति सिंह ने कहा…

लिया होगा बहुत मजबूर होकर नाम जब उसने
किसी से कुछ सुना होगा, किसी से कुछ सुना होगा,
bahut khoob

ज्योति सिंह ने कहा…

लिया होगा बहुत मजबूर होकर नाम जब उसने
किसी से कुछ सुना होगा, किसी से कुछ सुना होगा,
bahut khoob

बाबुषा ने कहा…

यूँ ऐसी शख्शियत मेरी, कई ख्वाबों में पलती है
किसी ने कुछ बुना होगा, किसी ने कुछ बुना होगा.

kya baat hai ! bahut khoob !

नीरज गोस्वामी ने कहा…

हे मानव श्रेष्ठ आप यूँ ही छपते रहें..आपके पाठक हमेशा आनंदित होते रहें...ये ही कामना है...ग़ज़ल तो इस बार आपने कमाल की कही है...मिसरा-ऐ-ऊला में किये प्रयोग बहुत दिलचस्प हैं और बेहद ख़ूबसूरती से निभाए गए हैं...अब आप को कोई उस्ताद न कहे तो क्या कहे बताएं ? :-))
.
नीरज

Khare A ने कहा…

behtreen gazal!

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

ग्रेट, छपना अनवरत बना रहे।

मीनाक्षी ने कहा…

वैसे तो आपकी सभी रचनाएँ लाजवाब है लेकिन कुछ तो जैसे भूलती ही नहीं उनमें हरे सपनों का सानी नहीं...
यूँ ऐसी शख्शियत मेरी, कई ख्वाबों में पलती है
किसी ने कुछ बुना होगा, किसी ने कुछ बुना होगा.
खूबसूरत शेर...

M VERMA ने कहा…

सुन्दर गज़ल

Kailash Sharma ने कहा…

न जाने अबके दंगे में, लहू किसका बहा होगा
किसी ने कुछ सहा होगा, किसी ने कुछ सहा होगा.

बहुत खूब ! बेहतरीन गज़ल...हरेक शेर बहुत उम्दा..आभार

कुमार राधारमण ने कहा…

बढ़िया है।

बेनामी ने कहा…

हार्दिक बधाई।

---------
हंसते रहो भाई, हंसाने वाला आ गया।
ध्‍वस्‍त हो गयी प्‍यार की परिभाषा!

mehhekk ने कहा…

नहीं यूँ शोहरतें हासिल, कई किरदार मेरे हैं
waah behad khubsurat.

Dr Varsha Singh ने कहा…

नहीं यूँ शोहरतें हासिल, कई किरदार मेरे हैं
किसी ने कुछ चुना होगा, किसी ने कुछ चुना होगा.
यूँ ऐसी शख्शियत मेरी, कई ख्वाबों में पलती है
किसी ने कुछ बुना होगा, किसी ने कुछ बुना होगा.

ग़ज़ल का हर शेर लाजवाब है ! शुक्रिया !

विष्णु बैरागी ने कहा…

बडी सादगी से चमत्‍कार किया है आपने इस गजल में। पढ कर तृप्ति हुई। अच्‍छा लगा।