एक बार आपको बताया था कि कैसे चिन्नी गिलहरी मुझसे घूल मिल गई है. बुलाता हूँ तो चली आती है. खिड़की के बाजू में बैठकर मूँगफली और अखरोट मांगती है. जब दे दो तो एक खायेगी बाकी सारे बैक यार्ड में छिपायेगी बर्फीले दिनों के लिए. हमारे आपकी तरह उसे भी अपने कल की चिन्ता है.
इधर मौसम अच्छा हुआ है. जगह जगह लोग उसे नटस दे रहे हैं तो आजकल जरा कम भाव दे रही है. रहती आस पास ही है. दिन में चार छः बार आ भी जाती है मगर कई बार बुलाओ तो मूँह बना कर निकल जाती है. पेट न दिया होता भगवान ने तो शायद कोई किसी को न पूछता.
अक्सर तो खाना खुद ही छिपा कर भूल जाती है फिर जगह जगह गढ्ढे करके ढूंढती है. बगीचा खराब हो सो अलग. नये नये पौधे लगाओ तो जमीन जरा पोली रहती है और वो समझती है कि नीचे उसका छिपाया खाना होगा इसलिए पोली जमीन है और लो, एक मँहगा पौधा उनकी कृपा से नमस्ते. है भोली, तो ज्यादा डांटा भी नहीं जाता.
आज उसकी हरकत देख कर लगा कि बेचारी, कहाँ कनाडा में फंस गई और मुझसे डांट खा रही है. भारत में होती तो जरुर मंत्री बनती और सब उसे नमस्ते करते सो अलग.
दरअसल चेरी में फल पक गये और वो महारानी जी समझ रही हैं कि जैसे हमने चेरी उनके लिए ही लगाई है और जो नेट बाँधी है वो चिड़ियों के लिए बाँध दी है ताकि कोई चिन्नी का खाना न खा जाये. सुबह से बीस चेरी चट कर चुकी है. नेट पर से कूद कर आती है, एक चेरी तोड़ती है और भाग जाती है. साधना डांट डांट कर हैरान हो गई और उसे खेल लग रहा है.
जिस घर में पली, जिसके यहाँ साल भर प्रेम से खाना खाया, वहीं लूट मचा रखी है. पूरी चेरी खाने को तत्पर. जिस थाली में खाना सीखे, उसी में छेद. हार कर सब चेरी तोड़ लेना पड़ी. फिर भी उनके लिए कुछ गुच्छे छोड़ दिये हैं कि कहीं गुस्से में महारानी जी दूसरे पेड़ों को नुकसान न पहुँचाने लग जायें. टमाटर भी आने को ही हैं. एक बार आज उसने फिर न्यूसेन्स वेल्यू की वेल्यू साबित कर ही दी और यह भी स्थापित कर दिया कि जगह जगह का फेर कितना प्रभाव डालता है.
अपने ही घर में लूट मचाने की कनाडा में लतियाई जाने वाली हरकत भारत में मंत्री बन जाने की काबिलियत कहलाती.
सोचता हूँ शाम को आयेगी तो उससे कहूँगा कि चल चिन्नी ,अपने वतन चलें. तेरे कारण हमारी भी पूछ हो लेगी.
चलते चलते:
73 टिप्पणियां:
चिन्नी से गुल्लू की याद आ गई
चिन्नी को फटाफट भारत लाईये. हमारे सूत्रों ने बताया है कि कई मंत्रियों की पद खाली होने वाली है.
हक उसका भी तो उतना ही है .. चेरियों के दर्शन कर लिये सुबह-सुबह स्वाद कैसा है बताईयेगा.
हमारे मंत्री भी चिन्नी जैसे ही हैं,
सात पीढी तक का खाना बैकयार्ड में छुपाते हैं।
फ़िर भुल जाते हैं कहां छुपाया था।
याद आने पर ढुंढते हैं तो पता चलता है कि
कोई उनका ही भाई हजम कर गया।
इस सदमें से राम नाम सत्य भी हो जाता है।
कल के भोजन जुटाने की मानवी प्रवृति चिन्नी में कहां से आ गयी?
काहे चिन्नी की चेरिया तोड़ लाये.. खाने देते बेचारी को..... वैसे चेरी देख मेरा भी मन ललचा गया है.. कुछ भेज दो हमारे लिए भी..:)
इस चेरी ने तो मन मोह लिया। चिन्नी बहुत निराश होती अगर आपने उसका हिस्सा न छोड़ा होता।
यह चेरी का पेड़ तो चिन्नी के नाम ही कर देना चाहिए था।
और आप जाते चेरी फार्म --चेरी पिकिंग करने ।
अब ज़रा पता लगाइए कि चिन्नी कहीं पढ़ी लिखी तो नहीं है ।
यदि हाँ , तो उसे वहीँ रहने दें । वहां फिर मंत्री बनने का चांस मिल सकता है ।
यहाँ के लिए ओवर क्वालिफाइड है जी ।
चिन्नी के सारे गुण हैं तो नेता बनने जैसे ही ...हैरानी बस यही है कनाडियाई गिलहरी में भारतीयता ...ये कैसे हुआ, क्यों हुआ ....
@पेट न दिया होता भगवान ने तो शायद कोई किसी को न पूछता...
इसमें मुझे कुछ शंका है ...क्यूंकि आजकल पेट के लिए कहाँ , सिर्फ ऐशो आराम और नाम/बदनाम(बदनाम होंगे तो क्या नाम ना होगा) के लिए ही सारी भागदौड़ होती है ...पेट के लिए तो कितना चाहिए ....हाँ ...सेहत के हिसाब से थोडा कम ज्यादा हो सकता है ...:):)
चेरी और चिन्नी की तस्वीरें सुन्दर हैं ..!
देश की नेता कैसी हो, चिन्नी जैसी हो...
हमारे नेता भी तो आम आदमी का खाना लूट कर न जाने कहां-कहां छिपाते रहते हैं...और तो और बेचारों को स्विस बैंकों तक जाना पड़ जाता है...
जय हिंद...
है तो आपकी ही दुलारी ,,फिर नटखट क्यूं न हो !
नेताओं से अच्छे कुत्ते है जो वफादार तो होते है
@पेट न दिया होता भगवान ने तो शायद कोई किसी को न पूछता... सोहला आने साँची बात ठोक दी जी आपने>>>>>>>>>>>बाकि मन बड़ा ललचा रहा है कछु पार्सल करके हमारे लिए भी भेज दीजिये -:)
चिन्नी बहुत प्यारी है.. :)
चिन्नी के माध्यम से अच्छा कटाक्ष किया है भारतीय नेताओं पर...चित्र बहुत मनोरम हैं...आपकी लेखन कला रोचक..
जिस देश का राजनेता भ्रष्ट होता है, उस देश का आम व्यक्ति भी भ्रष्ट ही होता है। भला ऐसा कैसे हो सकता है कि आम आदमी ईमानदार हो और राजनेता भ्रष्ट हो जाए। खैर आपकी चेरी देखकर अच्छा लग रहा है। इतनी सारी तो हैं, खाने दीजिए ना चिन्नी को। नहीं तो कौन खाएगा?
चिन्नी के माध्यम से सभी कुछ तो बयाल कर दिया है आपने!
चिन्नी खूबसूरत है :) और अच्छा है कि आपकी लगायी चीज़ो पर हक से अपना अधिकार समझती है.. इतना हक जताने वाला भी कौन मिलता है आजकल!
चिन्नी खा खा के मोटी हो रही है. हमारे नेताओं तरह
भई वाह चिन्नी को जल्दी से हिन्दुस्तान लाना है, पोलीटिक्स ज्वाईन करवाना है...........
मंत्री पद रिक्त है...
हमारा नेता कईसा हो...
चिन्नी गिल्लू जईसा हो...
(कुछ चेरिया इधर भिजवाईए ना...)
चिन्नी देवी जिंदाबाद !
बेहद प्यारी है जी आपकी चिन्नी! बहुत उम्दा फोटो है सब के सब ख़ास कर चिन्नी और चेरी के !
वैसे एक अन्दर की बात बताता हूँ चिन्नी की जगह हम भी होते तो भी चेरी को खतरा तो रहता ही !
लाओ जी चिन्नी को भारत। विदेश घुमाओ उसे भी। आजकल आम आ रहे हैं चेरी को भूल जायेगी।
आसपास की घटनाओं को आप द्वारा कलम से जीवंत करने की कला से हम मन्त्र मुग्ध हुए! चिन्नी के क्रियाकलापों पर मानवीय सवेद्नाओ को आपने उकेर कर मुक्क प्राणियों की तरफदारी की है जो प्रशंसनीय है! वैसे चिन्नी भारत में होती तो जरुर मंत्री बनती इसमें कोई शक नही बस आप जब भी आए उसे जरुर साथ लाए ! सुंदर बाते मजेदार लेखनी के लिए समीर जी आपका अभिन्नदन !
हमारे खेत में तो इतनी चिन्नियाँ है कि अब सब्जी व फल वाले पौधे लगाना तो हम भूल ही गए | चिन्नियों के साथ तोता महाराज भी बहुतयात से है जो चिन्नियों से बच जाये उन्हें तोता महाराज नहीं छोड़ते :(
chinni to bahuuuuuuuuuuut pyaari hai...ab itna to uska haq banta hai na
"अपने ही घर में लूट मचाने की कनाडा में लतियाई जाने वाली हरकत भारत में मंत्री बन जाने की काबिलियत कहलाती"
प्रणाम
पेट न दिया होता भगवान ने तो शायद कोई किसी को न पूछता.
.....chitra bhi bahut sundar our aapki lekhni to acchhi hai hi.shukriya.
अरे इतनी रसभरी चेरी देख कर तो चिन्नी क्या किसी का भी कण्ट्रोल खतम हो जाये ..वैसे ये बात ठीक कही आपने चिन्नी भारत में होती तो जरुर मंत्रालय में होती.
sir..mahadevi verma ki gillu gilhari si aapki ye chinni man ko gudguda gayi :)))))))))))))
Oh...bahut maza aayaa padhne me aur chitr dekhne me..! Hamare paas chaar paanch baar gilheriyan pal gayin thin..raat kisi pant ke pocket me soti thi...subah pahli cheez use mere bistarme aake god me dubakna hota tha aur fir khelna chaha karti..
Vyang ki taraf to dhyaan hi nahi gaya!
""आज उसकी हरकत देख कर लगा कि बेचारी, कहाँ कनाडा में फंस गई और मुझसे डांट खा रही है. भारत में होती तो जरुर मंत्री बनती और सब उसे नमस्ते करते सो अलग.""
"""शाम को आयेगी तो उससे कहूँगा कि चल चिन्नी ,अपने वतन चलें. तेरे कारण हमारी भी पूछ हो लेगी. ""
बेहतरीन भावाभिव्यक्ति.....देश प्रेम का जज्बा साथ लिए ...
और साथ में आपकी ये पंक्तियाँ बहुत ही बढ़िया लगी...जाने क्यूं इंसान जब ख़ास हो जाता है और खुद का खुद से विश्वास....
आभार
बेहद ख़ूबसूरत तस्वीरें....चिन्नी की भी और चेरी की भी...
Chinne ko mera bhi samarthan hai.
Use mantree zarur banna chahiye.
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चिर यौवन की अभिलाषा..
क्यों बढ रहा है यौन शोषण?
हमारे यहां तो अंगूरों को गिलहरी और बर्र ने निपटा डाला..
बहुत मीठी है,चिन्नी नहीं,आपकी पोस्ट! और मिठास में लपेट के अच्छी दवा पिलाई है देश के नेताओं को...
खाने दीजिये इतनी मीठी भारत मे कहाँ मिलती हैं। फिर यहाँ आकर तो वो नोट खायेगी\ शुभकामनायें
मुझे चेरी नहीं पसन्द है। अंगूर खट्टे वाली बात नहीं, वाकई पसन्द नहीं है भाई।
मगर पेट का क्या?
चिन्नी भी कोई पसन्द से थोड़े ही खाती है, उपलब्धता के आधार पर मेनू तय करती है।
आप अगर कुछ और उगाते तो अपना साधिकार साझा ज़रूर करती चिन्नी।
भारत में होती तो मंत्री…
बहुत ख़ूब भाई!
हम तो ये सोच रहे हैं कि हिन्दुस्तान में कितने मंत्री होंगे जो अगर वहाँ होते तो "चिन्नी" बन जाते? अभी यहाँ भी अपना छिपाया माल ढूँढने के लिए लोगों का क्या-क्या तहस-नहस नहीं कर देते हैं ये…
अंदाज़ हल्का-फुल्का और "देखन में छोटे लगें - घाव करें गंभीर"
अरे अभी तो पकी भी नही, खाने देते बेचारी को
ये गिलहरी कथा एक शिक्षा दे गई ---
"सबसे पहले हमारे पास जो है, उसके लिए संतोष का भाव होना चाहिए, और जो नहीं उसके लिए कोशिश होनी चाहिए । सिर्फ असंतुष्ट रहने का कोई मतलब नहीं है।"
और चलते चलते का शे’र एक शे’र याद दिला गया ---\
"बस मौला ज्यादा नहीं, कर इतनी औकात,
सर उँचा कर कह सकूं, मैं मानुष की जात"
सुन्दर चित्र , मोहक मिन्नी , रसीली चैरीज़ और रोचक लेखन से भारतीय राजनीति व मन्त्रियों पर सटीक कटाक्ष ! और क्या चाहिये सुबह को खुशनुमां बनाने के लिये ! बहुत बढ़िया !
बढिय़ा वर्णन। चिन्नी रानी की जय।
चिन्नी और चेरी की बातें अच्छी लगी .. पर भारतीय मंत्रियों के गुण उसमें कहां से आ गए ??
गिलहरी तो समझ जायेगी, उसका पेट छोटा है । जिसे पूरी दुनिया निगलनी है, उन्हे भी अखरोट खिलाते हैं हम ।
बहुत प्यारी है चिन्नी । मज़ा आ गया उसकी नटखट हरकते जानकर और प्यारी तसवीरे देखकर । और उसकी जो तुलना आपने नेताओ के साथ किया - खासकर - "जिस घर में पली, जिसके यहाँ साल भर प्रेम से खाना खाया, वहीं लूट मचा रखी है" - क्या व्यंग है । बहुत खूब हूज़ूर ।
काश अगर मैं 'चिन्नी' होती
भूखी रहती,प्यास भी सहती
चिन्नी!तुम-सा कभी ना करती
ना पेड़ों पर उछल कूद कर
पौधों की जड़े खोद खोद कर
सबका दिल ना कभी दुखाती
काश! अगर मैं चिन्नी होती
अपनी भाभी के कंधे चढ़
उन पर ढेरों रोब जमाती
दादा को मैं करूँ शिकायत?
नाटक कर के और चिढाती.
जब दादा ऑफिस से आते
दिन भर की बातें बतलाती .
पास पडोस में कहीं ना जा के
आस पास उनके मंडराती
नही चाहिये देस में अपने कोई
कोई मंत्री वंत्री बनाना मुझको
तेरी लाडली बनी रहूँ मै.
एक बात दस बार दुहराती
ना सुनते मेरे बीजी दादा
चढ़ हथेली पर मैं रोती
काश अगर मैं.........
दादा!जिन बन्धनों में आप बांधना जानते हो,वो इस 'आर्टिकल' में देख रही हूँ मैं.बहुत खूब लिखू या 'दिल को छू गया'?
हा हा हा
चिन्नी बहुत प्यारी लगी |बहुत अच्छी रचना
आशा
उम्दा पोस्ट
आपके ब्लाग की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर
प्यार से हक़ जता रही है... इतना तो बनता है :)
रोचक पोस्ट. पढने में आनद आया .
'चेरी' की चोरी पर चाचा गुस्साए है,
'चिन्नी' को कच्चे फल चंदा दे आए है,
मंत्री पद दिखला कर उसको ललचाए है,
'चिन्नी' को 'चीनी'का मतलब समझाए है.
--
mansoorali hashmi
मैं अभी तक वंचित था आपके ब्लॉग का अनुसरण करता बनने से। अब गुरु कृपा (स्वामी ललितानंद जी तीर्थ्……जो आजकल मेरे ब्लॉग से अन्तरध्यान हो गये हैं) से तरीका सीख जोड़ पाया। बहुत सटीक व्यंग्य। ……आभार।
chinni se mahadevi verma ji kee gillu ke yaad aa gai... chinni se aapki aatmiyata amar rahe, kaamna hai
मुझे भी गिल्लू गिलहरी की कहानी याद आ गयी....
मुझे भी गिल्लू गिलहरी की कहानी याद गयी....
बहुत सुंदर चिन्नी और बहुत प्यारी है...!!
चिन्नी को बहुत प्यार और ऐसे ही मस्ती करती रहे……यही दुआ।
आप तो मजे से फोटो खींच रहे हैं ,ये नहीं कि भगा दें । क्या चेरी की रखवाली बस भाभी जी ही करेंगी ।
इसीलिये कहते हैं -ब्लागर निठल्ला ,घर के किस काम का ?
वैसे चेरी देखकर तो मुंह में------
चिन्नी गिलहरी सबसे प्यारी....
अपने ही घर में लूट मचाने की कनाडा में लतियाई जाने वाली हरकत भारत में मंत्री बन जाने की काबिलियत कहलाती.
वाह उस्ताद!! वाह!!!!
Sameer bhai .... Chinni ka poora poora chaance hai ministry mein aane ka .... PA ki post hamen bhi dilwa dena bhai ...
हम तो आपको पहले ही कह चुके हैं की हमें चेरियाँ खानी हैं, अब तो बस इंतज़ार है की आप कब हमें खिलते हैं चेरी :)
गिलहरी से ये दिल-लगी भी खूब रास आई...सर
चिन्नी मनुष्य नहीं है
इस चेरी ने तो मन मोह लिया। फटाफट भारत लाईये। शुभकामनायें
bahut sahi likha hai.
समीर जी,
ऐसी चेरी देख कर तो अच्छे-अच्छों का दिल डोल जाए, यह तो बेचारी चिन्नी है।
कहने का तरीका खूब भाया...
आप इसमे लाज़वाब हैं...
वैसे लूट अपने घर में ही मचाई जा सकती है, यदि घर को प्रचलित परिभाषाओं से विस्तार दिया जाए...
कहीं यह लूट अप्रत्यक्ष और दूसरे मुलम्मों में छुपी होती है...कहीं प्रत्यक्ष औए खुलेआम...
अभी राम-नाम की लूट के हांके चल रहे हैं...
सब बहती गंगा में अपने हाथ धोलेना चाहते हैं...
पूरी थाली ही खालेना चाहते हैं...
अपकी चिंताओं में शामिल हूं...
sameer ji,chinni ko jaldi bharat bhe deejiye yahana videshi mool ke neta ko full support milta hai.
cherry dekh kar to mujhe bhi laalach aa gaya hai.ab to bazar se lani hi padegi
चिन्नी के बहाने सच बात कही है |
हा..हा.. चिन्नी ने चेरी की वाट लगा डाली !!!इधर अपना इंडिया में लाना मांगता है न भाऊ कुछ मंत्री संत्री तंत्री बनेंगा तो बहुत फायदा होएंगा !!!
चिन्नी और भारतीय नेताओं का अच्छा सादृश्य लिया है ...चलते-चलते जो शे,अर कह गए हैं वो भी सुंदर बन पड़ा है ।
चिन्नी,चेरी और नेता की तिकडी का अच्छा सामंजस्य बैठाया है आपने,अच्ठी प्रस्तुति।
चेरी हमने आज तक नही खाई, आप चिन्नी को खिला रहे हैं?
जल्दी से भेजिये एक बंडल "गुच्छे में होंगी न!! :)"
मेरी मिठाई की तरह इसे भी खुद ही गपक न जाइयेगा
पूरी चेरी खाने को तत्पर. जिस थाली में खाना सीखे, उसी में छेद
" ha ha ha ha ha ha bhut mjaa aaya aaj ye post padh kar"
regards
very touching . If I am not wrong prob. Mahadevi Verma jI wrote a story based over chinni gilhari
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