आज दिल्ली में ब्लॉगर मीट हो चुकी है. तरह तरह के विचार रखे गये. ऐसे वक्त में किसी भी और विचार से ज्यादा जरुरी यह विचार हो जा रहा है कि जब लोग इस बारे में कल अखबार में पढ़ेंगे तो ब्लॉग खोलना चाहेंगे.
इसी बात को मद्देनजर मैने यह बताता चलूँ कि आजकल जमाना बदल गया है और ब्लॉगिंग करने के लिए किन वस्तुओं की आवश्यक्ता है. अगर आप नीचे लिखी सामग्री एकत्रित कर लेते हैं तो बस फिर देर किस बात की. आगाज किजिये सफल ब्लॉगिंग के सफर लिए और फिर हम तो बैठे ही हैं प्रथम स्वागत टिप्पणी आरती में कट पेस्ट कर सजाये. आईये तो सही:
ब्लॉगिंग के लिए अति आवश्यक सामग्री:
- एक लैपटॉप/ डेस्कटॉप
- एक कैमरा
- इंटरनेट कनेक्शन
- एक मुख्य ब्लॉग अपने नाम का
- तीन ब्लॉग छ्द्म नामों से
- ५ बेनामी रजिस्ट्रेशन टिप्पणी के लिए
- एक हैलमेट
- एक नेलकटर: वरना सर खुजाते खुद की खोपड़ी जख्मी हो सकती है.
- एक किताब: २४ दिन में बेसिक भोजपुरी लिखना सीखें.
- एक गुरु
- चार चेला
- गाली-कोश
- भविष्य के लिए रिवाल्वर का लाईसेन्स: (तब तक अनऑफिसियली तमंचा रखे रहिये)
- एक वकील
- दो पत्रकार मित्र
- कोर्ट से अग्रिम जमानत
- एक बोतल स्कॉच: गाली पड़े तो गम मिटाने के लिए वरना कभी भी जश्न मनाने के लिए. जश्न मनाने के बहुत मौके आयेंगे जैसे ५० वीं पोस्ट, १०० वीं पोस्ट, १००० हिट्स, १०० फालोवर, एक साल पूरा होना और भी जाने क्या क्या.
अब तो कन्टेन्ट की समस्या से भी जूझने की जरुरत नहीं. किसी की भी कविता उठाओ और कर डालो पैरोडी. बहुत हिट चल रही है. एक मैने भी तो की है बतौर आपके लिए एक्जाम्पल:
पं. माखनलाल चतुर्वेदी से क्षमायाचना समेत:
ब्लॉगर की अभिलाषा
चाह नहीं मैं ब्लॉगर बन के
लेख ठेलता जाऊँ
चाह नहीं सम्मानित होकर
माला से लादा जाऊँ
चाह नहीं साहित्यजगत में
हे प्रभु, खूब सराहा जाऊँ
चाह नहीं मैं कविता लिखकर
कविवर श्रेष्ट कहलाऊँ
मुझे पढ़ लेना ओ साथी
देना तुम टिप्प्णी और पसंद एक
उँची बने पसंद ब्लॉगवाणी पे
जिसे देख आयें ब्लॉगर वीर अनेक.
-समीर लाल ’समीर’
112 टिप्पणियां:
ब्लॉगिंग के लिए अत्यावश्यक सामग्री में से एक भी नहीं है हमारे पास ...):
बढ़िया व्यंग्य है ...
सूची से लगा कि हम हमेशा अपरेंटिस ही रहेंगे। भोजपुरी तक सीख नहीं सकते (पहले से ही आती है।) और स्कॉच ? राम राम, सुना है बहुत महंगी होती है, इसीलिए न पीते हैं और न पिलाते हैं।
प्रश्न:
ब्लॉगवाणी और चिट्ठाजगत से मिली सुविधाओं का दुरुपयोग क्यों हो रहा है?
ढेर सारे बवालों के जड़ पसन्द/नापसन्दगी के ऑप्सन और आज की हलचल वाला कोना हटा क्यों नहीं दिए जाते?
थोड़ी सनसनाहट और रोमांच के लिए तो ये ठीक हैं लेकिन जब सारा ध्यान ही इसी काम पर लग जाय तो अनर्थ होना है, हो रहा है।
समकालीन बोध को झंकृत करती एक बेहतरीन पोस्ट और लाजवाब नुस्खा! हा हा !
शमीर जी आपकी कमी खल रही थी ,हम तो आपके इस सामग्री में से उपयोगी सामग्री ही चुनेंगे /
ये बात शायद आपके दिमाग के लिए ही कही गई होगी कि कील ठोंक दो तो स्क्रू बनकर निकलेगी. आप क्या क्या सोच लेते हो?
...समीर भाई ...ये ब्लागिंग के लिये अवश्यक सामग्री हैं !!! ... या फ़िर सर्वश्रेष्ठ ब्लागर बनने हेतु अति आवश्यक सामग्री हैं !!! .... आप तो पूरे के पूरे राज खोल रहे हो ... लगता है अब इन सामग्रिओं के बिना ब्लागवुड में टिके रहना मुश्किल है कुछ अपने को भी उपाय करना ही पडेगा!!!
हा हा हा ...और तो सब ठीक है पर पहले ये बताया जाये कि कि ये बडा बंदर जो पूंछ मारकर छोटे बंदर को उचका रहा है वो कौन है?:)
रामराम.
ताऊ
गजब करते हो..आप भी इसे न पहचान पाओगे तो भला कौन पहचानेगा. :)
सफल ब्लागर बनने के लिये आपके दिये गुर बहुत काम आयेंगे. आपसे एक स्थान पर सहमत नहीं हूँ, आपने लिखा है 'छ्द्म नामों से ५ ब्लाग की आवश्यकता पड़ती है. मेरे पास एक ब्लाग का लिंक है जिसमे छद्म नामों के लगभग 20 ब्लाग है (ब्लाग नहीं कह सकते क्योकि न पोस्ट है न प्रोफाईल है) सभी केवल टिप्पणियों के काम आती हैं पर जिन्होने यह सब किया है उनका ब्लाग आज तक हिट नहीं है.
वैसे गुर अच्छा सिखाया है.
वाह महराज !
दो बंदरों की सक्रियता भी गौरतलब है !
एक की सक्रियता = पूछ
दुसरे की सक्रियता = खोदने के बाद मुंह
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आभार !
बहुत खूब समीर भाई। हमारे सबके सम्मानीय कवि पं. माखनलाल चतुर्वेदी जी की कविता की पैरोडी सही है और हालात-ए-यथार्थ को बयां करती है। मैं एक विशेष कार्य यह कर देता हूं कि पं. जी की ओर से आपकी क्षमायाचना पर स्वीकृति दे देता हूं। जिसकी अवसर पर उनसे कार्य होने के बाद स्वीकृति नियम के तहत उनकी रजामंदी प्राप्त कर ली जाएगी।
ये हिंदी ब्लॉग्गिंग का बढ़ता प्रभुत्व ही है कि अब इसे ही ध्यान में रख कर कहानियाँ -कविताएँ लिखी जा रही हैं...कार्टून बनाए जा रहे हैं...
इस सब को देखकर तो बस यही कहने का मन करता है कि...
"हाँ!...अब दिल्ली दूर नहीं"
उँची बने पसंद ब्लॉगवाणी पे
जिसे देख आयें ब्लॉगर वीर अनेक...
यही तो अफ़सोस है,इसी चाहत में तो हिन्दी ब्लागिंग बेहाल है सर जी.
ये हिन्दी के वीर लोग पता नहीं क्यों लड़ रहे हैं हालांकि इतिहास गवाह है कि अपने प्रभुत्व के लिये लड़ाइयाँ होती रही हैं और होती रहेंगी, केवल इनके रुप बदलते जा रहे हैं, यहाँ मानसिक प्रभुत्व के लिये यह सब हो रहा है।
लगता है कि कुछ सामग्री हमारे पास कम है, उसके लिये आपको ही पकड़ना होगा। :D
लिस्ट में समोसा छूट गया :)
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.
.
आदरणीय समीर जी,
"ये बात शायद आपके दिमाग के लिए ही कही गई होगी कि कील ठोंक दो तो स्क्रू बनकर निकलेगी. आप क्या क्या सोच लेते हो?"
सहमत !
पर मजाक से हट कर यह भी कहूँगा कि यह सब हथकंडे अपनाने वाले कितना टिक पाये हैं क्रीज पर ? आखिर में एक स्थिति आयेगी जब हर किसी को मानना पड़ेगा कि कंटेंट सुप्रीम है । रही बात टिप्पणीयों की तो ' तू मेरी पीठ खुजा मैं तेरी खुजाता हूँ' की तर्ज पर मिली ढेर सी टिप्पणियों की बजाय सुधी जनों की एक दो टिप्पणी ज्यादा महत्व रखती हैं । अधिकतर ब्लॉगों में मैं देख रहा हूँ कि बार-बार वही पाठक-टिप्पणीकार दिखते हैं... हद तो यह है कि लोग देर से पोस्ट पढ़ने, पिछली पोस्ट पर न टिपिया पाने या देर से टिप्पणी करने के लिये खुलेआम क्षमा तक मांग रहे हैं...अजीब स्थिति है... सबसे बड़ी बात जिसे अधिकतर नजरअंदाज किया जा रहा है वह है पाठकों की संख्या को बढ़ाना...यह नहीं कर पा रहा है ब्लॉगवुड... वजह है कंटेंट की कमी...एक नये पाठक के नजरिये से देखें तो मानिये आज वह कोई संकलक खोलता है...क्या दिखेगा उसे...पोस्टें ही पोस्टें 'सम्मेलन' पर... बिना किसी बैकग्राउंड के क्या उसकी कोई रूचि होगी इस सब में ?...
आभार!
bahut khub sir ji..
in aawashyak samagriyon ki list to kaafi lambi hai..
lekin kuch hi cheejein hain mere paas....
आपने पैरोडी को सरल कह तो दिया पर हमें तो वह भी नहीं आती ।
mere chehre per muskaan daud gai, aapki kalam... uska prabhaw mere ghar ke sadasyon per bhi hai
ये सब पढ़ कर तो मैं भी ब्लॉगर बन सकता हूँ अब :)
वाह समीरजी वाह !
शुरू से आख़िर तक गुदगुदाता रहा यह व्यंग्य ।
एक मुख्य ब्लॉग अपने नाम का !
तीन ब्लॉग छ्द्म नामों से !
५ बेनामी रजिस्ट्रेशन टिप्पणी के लिए !
एक गुरु !
चार चेले !
जश्न मनाने के बहुत मौके !
किसी की भी कविता उठाओ और कर डालो पैरोडी !
देख रहे हैं यही सब कुछ तो ।
…और पैरोडी ? कम्माल की ! सलामत रहे आपकी लेखनी ! …ईर्ष्यालुओं की नज़र न लग जाए !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं
pahle bhi maine aapko khoob padha aur pasand kiya hai...lekin kahna nahin kisi se...
asli mazaa toh aaj hi aaya....
हम तो असफल ब्लोगर बनकर ही सन्तुष्ट हैं। चाह कर भी सफल नहीं बन सकते क्योंकि जो सामग्री आपने बताई है उसकी व्यवस्था करना हमारे बस का रोग नहीं है।
समीर जी आपकी इस पोस्ट की तस्वीर बहुत अच्छी है। दो ब्लागर साथ बैठे हैं यानी साथ रहते हैं। पर एक जो है वह दूसरे की पीठ पर अपनी पूंछमारकर उसे छेड़ता रहता है। बेचारा दूसरा बार बार पलटकर देखता है कि कौन है जो तंग कर रहा है। पर यह नहीं समझ पाता कि तंग करने वाला तो साथ ही बैठा है। यानी चौबीस घंटे साथ में रहने वाले ही नकली नाम से टिप्पणी करके तंग करते रहते हैं। और बेचारे असली यह समझ ही नहीं पाते । क्या वे भी सचमुच बेचारे हैं या फिर ..... । चलिए जो भी है आपकी तस्वीर बहुत कुछ कह रही है। और अविनाश जी आप पंडित जी से क्षमा मांगने का कष्ट न करें। मैं उनके जिले यानी होशंगाबाद,मप्र का ही हूं सो जाकर समीर जी के लिए माफी मांग लूंगा। वैसे तो उन्होंने अब तक माफ कर ही दिया होगा।
hahahaha...are sameer ji ab mujhe bhi lagta hai kuch aisa try karna padega... :) badi manoranjak post lagi aap ki
अरे भाईसाहब ,मे तो नया नया ब्लॉगिंग करने आया था,पर अपने तो आते ही मुझे डरा दिया....
वैसे व्यंग भयंकर है,पर है अच्छा...
धन्यवाद....
प्रवीण शाह जी से पूर्णतया सहमत !
पर यह तो बतलाइए कि हम जैसे जिन्हें दारू के नाम से ही मिर्गी आ जाती है के लिए "स्कॉच" के आलावा कोई दूसरा ऑप्शन नहीं है क्या :>)
समीर जी,
अपने पास तो ऊपर की चार चीजें हैं।
फिर भी सफल हूं।
हा-हा-हा , ताऊ जी की टिपण्णी हमारी भी टिपण्णी समझकर कृपया शंका समाधान किया जाए !
waah sirji...sahi kaha aaj ke blogjagat ke haalaat bakhubi vayng me sama diye...aapki kalam ke to mureed hain sir...aapka sneh har baar milta hai...aur aisi hi pehel aap jaise dhurandar blogger karte rahenge to zarur ye maadhyam aur srijanatm akta ko praapt karega....kavita to sirji jabardast hai...
ब्लोगिंग के लिए बताई आवश्यक सामग्री में से हमारे पास तो बस एक - दो चीज़ें ही हैं....उसी से काम चला रहे हैं..:):)
आपकी व्यंग पैरोडी बहुत ज़बरदस्त है....मज़ा आ गया पढ़ कर ..
क्या खूब फरमाते हैं आप... सभी नोट कर लें...
आहाहा........ क्या सुन्दर अभिलाषा है.
--
कल के ब्लोगर मीटिंग में आपकी बेतार उपस्थिति ने
सबको तरंगित किया..
शुक्रिया.
मजेदार ,लेकिन समीर जी ब्लॉग्गिंग के लिए हेलमेट और नेल कटर की क्या आवश्यकता है ?
?और फिर भोजपुरी की क्या जरुरत है , ये बात आपने किस सन्दर्भ में की है कृपया प्रकाश डाले
भई तस्वीर पसंद आई..बेहद।
....और लेख के क्या कहने, जबर्दस्त व्यंग्य है।
...हालांकि आए दिन ब्लाग जगत में सिर्फ ब्लाग आधारित लेखन देख देख कर बोरियत होने लगी है। सोचता हूं, रिटायर हो जाऊं। ब्लागर-मीट, ब्लाग-लफड़े, ब्लाग-विवाद, ब्लाग-टुच्चई, ब्लाग-मसीहाई, ब्लाग-सेवा, ब्लाग-मेवा, ब्लाग-चिकित्सा, ब्लाग-अतीत, ब्लाग-भविष्य, ब्लाग-कीर्तन जैसे विषयों पर ब्लाग-चिंतन चलता रहता है। क्या साहित्य की दुनिया में साहित्य पर इतना मनन-चिंतन होता है?
ब्लाग जगत को यह बीमारी लग गई है। ब्लागर खुद के बारे में बात करना ज्यादा पसंद करते हैं। वह भी गहरी नहीं, उथली। चर्चा भर हो जाए किसी तरह। मोहल्ले की कथा के लिए बढ़े हाथों का प्रयास सिर्फ पुड़िया पाना होता है (पुण्य का तो ध्यान भी रहता) ताकि दूसरों को दिखाया जा सके कि "देख, मैने इतनी सारी पुड़ियाएं मार ली हैं"
मज़े की बात यह कि ब्लाग को रचनाकार मंच या रचना-विधा तो सभी मानते हैं पर सृजन कम और बिखराव, फैलान ज्यादा है। नई कार खरीदने के बाद कब तक सिर्फ उसके गुण या अवगुण बखाने जाएंगे? अच्छी दावत के बाद कब तक जीभ उसकी याद में चटखारे लगा सकती है?
हमने किसी को लक्षित कर नहीं लिखा है। किसी को बुरा लगे तो क्षमा चाहते हैं।
बहुत ही रोचक पोस्ट.....बढ़िया अभिव्यक्ति .... यहाँ यही हो रहा है एक बन्दर दूसरी तरफ मुंह फेर लेता है तो बाजू वाला बन्दर उसको पूंछ मारकर टेकिल करता है ...
चाह नहीं हैं ब्लागर बनने की
पोस्टों को ब्लॉग में सजाता जाऊं ..
सर लिखना तो कोई आपसे सीखें ...व्यस्तता के दौरना पढ़ने का मौका मिला
आभार
समीर जी, बुरा मत मानिएगा....आप बड़े हैं, बड़ों का सम्मान होता है यदि कुछ छोटे से गलती हो तो क्षमा कीजिएगा।
आपसे ऐसी किसी भी पोस्ट की उम्मीद नहीं होती। यहां पर ब्लॉगिंग की दुनिया में बहुत हैं जो हमेशा बंदर वाली तर्ज पर काम करते हैं। मैं तेरे बारे में लिख रहा हूं तू मेरे बारे में लिख। मैं तेरी बड़ाई करूंगा तू मेरी कर।
आप के लेख से बहुतों को सीख मिलती है। चाहे कुछ लोग कुछ भी कहते रहें फिर भी। पर आज की इस पोस्ट से आप मुझे बता दीजिए कि एक ब्लॉगर क्या सीखेगा। सच...सच बताइएगा...सवाल को घुमाने की जरूरत नहीं है कतई नहीं।
लोग कुछ कहते हैं और आप उसका जवाब अपनी इस तरह की पोस्ट जिसे कुंठा से ज्यादा मैं कुछ नहीं मानता से देंगे तो दुख होगा, खेद होगा।
आप से तो खासतौर पर इस तरह की पोस्ट नहीं चाहिए। ये आपको निरंतर पढ़ने वाले का विचार है।
और ये ही बात कहीं ना कहीं और भी टिप्पणियों में भी दिख रही है।
गुस्ताखी कर रहा हूं आपसे छोटा होते हुए भी पर मुझे ये पोस्ट नहीं भाई। जितनी सादगी से मैं अपनी पसंद रखता हूं उसी सादगी से मैं अपनी नापसंद रख रहा हूं।
जय गुरुदेव -
आपकी लिस्ट के 2-4 आईटम तो हैं अपने पास, बाकी की भी जुगाड़ करते हैं…।
प्रवीण शाह भाई की "ब्लॉग सम्मेलन" वाली बात से पूर्ण सहमत… :)
पंडित श्री श्री १००८ समीरानंद जी महाराज की जय, आपकी बताई सामग्री में से ४ चीजो को छोड़कर मेरे पास कुछ भी नहीं है, लेकिन अब ये सामग्री जुटाने की व्यवस्था कर रहा हूँ!
Hi..
Wah bhai sahab... samjha rahe hain ya dara rahe hain...
Barhal sundar vyang..
Deepak..
अब तक तो घरवाले पूजा के सामानों की लिस्ट पकड़ाते थे आपने एक नई सूची थमा दी है... पर शायद यह सूची अब मेरे लिए नहीं है मैं चार महीने पहले ही ब्लागिंग की दुनिया में आया हूं और चार महीने का सीनियर हूं। हा.. हा... हा... मजा आ गया। अच्छा लगा।
shandar!
inme se bahut kuchh karna/sikhna padega hame to
याने बज से समय बचाकर साहित्य रचा जाए
क्या रचेगा ये तो वक्त बताएगा
shandar,
inme se bahut kuchh karna/ sikhna padega hamein to
...समीर भाई ...बढ़िया है ....एक बेहतरीन पोस्ट और लाजवाब व्यंग्य!
बहुत खूब...बढ़िया जानकारी दी आपने..अब हम लोग भी यह सामग्री जुटाकर नंबर एक की होड़ में शामिल हो जाते हैं...
poori post atyant rochak lagi. pairodi ne to muskurane par wiwash kar diya.
भाईया हमारे पास इन मै से लेपटाप ओर केमरा है बाकी आप भेज दे:)
हमारे पास तो गुरु भी नही, इस लिये बिना गुरु के गालियो का ग्याण???
वाणी जी की ही तरह ब्लॉगिंग के लिये ज़रूरी सामग्री में से एक भी सामान नहीं है मेरे पास , कम्प्यूटर और नेट कनेक्शन छोड़.... :(
ईश्वर करें यह व्यंग्य/कटाक्ष उन लोगों के दिलोदिमाग तक पहुंचे जो इन तरकीबों को ही सफलता का मंत्र माने बैठे हैं...
अभी तो हम तैयारी कक्षा (prep) में हैं। आधी सामग्री भी नहीं हमारे पास तो।
ये बन्दर का इत्ता प्यारा चित्र कहाँ से पकड़ लाये आप...
_____________________
'पाखी की दुनिया' में 'अंडमान में आए बारिश के दिन'
आदरनीय समीरजी....
बहुत अच्छी लगी यह पोस्ट....
लिस्ट में एक मोबाईल जो पोस्टपेड हो छूट गया..अखिर चमचों से हमेशा बात करनी जो पड़ती है..टिप्पणी व पसंद का चटका लगाने के लिए ...
शानदार पोस्ट...वाकई में जहांपनाह तुसी ग्रेट हो...
ओह, आपके दिये गुरु-ज्ञान से हमें आभास हो रहा है कि हम कभी यशस्वी ब्लॉगर नहीं बन सकते। :(
बहुत ही बढ़िया व्यंग्य , पर इसका मतलब हम कभी ब्लॉगर नहीं बन पाएंगे...:( :(..ये भी लिख दीजिये ना..इसमें से दो सामग्री भी हो तो कामचलाऊ ब्लॉगर बन सकते हैं.:)
अच्छा..! बंदर भी ऐसा करते हैं...!
हम समझते थे कि केवल शरारती बच्चे.
ब्लागर..?
नहीं-नहीं बड़ा ब्लागर बन कर क्या होगा..
एक न एक दिन छोटा होना ही है.
ha haha..ab samajh men aaya ki ham abhi tak ek tho blogar kyon nahi ban paye :) list men se 90% cheejen to thin hi nahi..ab jutani hongi :)
mast post bani hai sameer ji !
ha...haa....haa...nice.....ab samajh me aayaaaapki safalataakaaraz...jai ho. isee tarah safal bane rahe.. doosare bandar chaukate rahe.. jai bloging...shubh bloging.
आपकी यह पोस्ट बेहतरीन है।
समीर जी नितीश राज जी की भावना को समझिये / ऐसे स्वस्थ आलोचक बहुत कम हैं आजकल / नितीश राज जी आपकी स्वस्थ मानसिकता और अनुशासन को हमारा सलाम / आपके कमेन्ट और शालीनता की जितनी तारीफ की जाय वो कम है /
प्रणाम सर,
आशीर्वाद देने के लिये धन्यवाद।
गुरू, गुरुवर, महागुरू, परमगुरू वगैरह ही सारे दिख रहे हैं जी, चेला ऐको नहीं। इस शर्त में थोड़ी छूट दे दीजिये, गुरू तो एक दर्जन बना लेंगे हम पर चेला पालना बस का नहीं है।
आप चाहें तो हमें अपात्र घोषित कर सकते हैं, वैसे हम स्वघोषित अपात्र हैं ही पहले से।
आभारी तो रहेंगे ही, इससे कोई नहीं रोक पायेगा।
निश्चिंत रहिये, यह आलोचना नहीं, स्नेह है. मुझे अच्छा लगा. भटकते लेखन को मित्रों की सलाह ही सही दिशा देती है और उसका हमेशा स्वागत है.
इस पोस्ट का उद्देश्य विशुद्ध हास्य ही था और साथ ही तत्काल प्रसिद्धि पा जाने के लिए आज अपनाये जा रहे नये तरीकों पर कटाक्ष करना.
शायद मैं उचित ढंग से अपनी बात कह नहीं पाया. क्षमाप्रार्थी हूँ.
तगड़ा कटाक्ष!
समझने वाले समझ गए हैं , ना समझे वो ...
:-)
बी एस पाबला
wah wah]],,,badi sacchhai bayan kari aapne :)
bahut khhoobb
http://liberalflorence.blogspot.com/
http://sparkledaroma.blogspot.com/
baazar se list dee gaee saamgree le aaen pahle ....
समीर जी,
यह भोजपुरी की अनिवार्यता जरूरी है क्या ?
इसमें मैं कई बार गच्चा खा चुका हूँ ( भले ही भोजपुरी इलाके से हूँ तब भी )
दरअसल ठेठ भोजपुरी से अपन हांफने लगते हैं और इसी के चलते बीच बीच में खडी, बैठी, उठी, पंजाबी, मराठी, अंगरेजी सब घुसेडते चलते हैं। अगर यही नियम रहा कि भोजपुरी आना जरूरी है तो फिर टंकी का खर्चा आप दिजिए, चढने को मैं तैयार हूँ।
और हां,
जब बात विस्की की है तो थोडा चखना वखना का भी बंदोबस्त हो जाय ....वो क्या है कि टंकी पर बैठ पीने में अलग ही आनंद आता है :)
नैतिकता और उसूलों की दुहाई देनेवाला ब्लॉगर जब टंकी पर कुछ देर चढे रहता है और बाद में जब उपर ठंडी ठंडी हवा लगती है तो बंदा खुद सोचता है कि आखिर वह यहां चढा ही क्यों....इस ठंडक से तो नीचे ब्लॉगिंग की गर्मी भली :)
बढ़िया पोस्ट है।
चाह यही बस
पढ़ती जाऊँ...पढ़ती जाऊँ
आनन्द मुफ़्त का पाती जाऊँ ...
चाह यही बस
पाठ पठन पौष्टिक भोजन सा
पाकर मैं तृप्ति पा जाऊँ ...
समीरजी,,,पढ़ने का नशा ऐसा कि लिखने का होश नहीं...आभार
में तो यही कहूँगा की आपका कोई जबाब नहीं :)
हा हा ! सही लिस्ट है बॉस, अब पता चला हम सफ़ल ब्लोगर क्युं न बन सके॥बहुत कुछ अभी जमा करना बाकी है…तमंचा,स्कॉच, गालीकोष, चेले,गुरु भी नहीं ढूंढे अभी तक्…पहली टिप्पणी में ही ये घुट्टी में पिलाये होते तो अब तक अपना भी क्ल्याण हो गया होता न बॉस
क्या कहने महाराज ...............एक आईडिया आया है........... अगर आप कह तो आपकी पोस्ट का प्रिंट आउट निकलवा कर फोटो कापी करवा कर बटवा दिया जाए ............अरे जहाँ आप और हम जैसे है वहाँ २-४ और सही !!! टिप्स तो आपने सब दे ही दिए है !!
वाह अनिता जी आपने तो इन्हे नयी राह दिखा दी . अब नए ब्लागर को ये यही सप्रेम भेंट करेंगे :::::::::))))))))))))
समीर चालीसा
देर से आने के लिए क्षमा चाहते हैं:-)
अच्छा चलते है. बाजार जा रहे हैं आपकी बताई कुछेक आवश्यक सामग्री खरीदने...अखिर हमें भी तो सफल ब्लागर होना है कि नहीं.जय गुरूदेव्! :-)
What an Idea sir ji....cutie pie type hote ja rahe hain aap :-)
एक लैपटॉप/ डेस्कटॉप - है
एक कैमरा - है
इंटरनेट कनेक्शन - है
एक मुख्य ब्लॉग अपने नाम का - है
तीन ब्लॉग छ्द्म नामों से - नही है
५ बेनामी रजिस्ट्रेशन टिप्पणी के लिए - नही है
एक हैलमेट - है
एक नेलकटर: वरना सर खुजाते खुद की खोपड़ी जख्मी हो सकती है. - है
एक किताब: २४ दिन में बेसिक भोजपुरी लिखना सीखें. - है
एक गुरु - तलाश जारी है
चार चेला - खोज लेंगे
गाली-कोश - पारंगत
भविष्य के लिए रिवाल्वर का लाईसेन्स: (तब तक अनऑफिसियली तमंचा रखे रहिये) - है स्मिथ एन्ड वेसन स्परिंग फ़ील्ड u s a
एक वकील - द्विवेदी जी है
दो पत्रकार मित्र - चिपलूनकर जी एवम पुसादकर जी
कोर्ट से अग्रिम जमानत - हमारे यहा यह लागु नही
एक बोतल स्कॉच: खरीद लेंगे
क्या मै अब यशस्वी ब्लागर बन सकता हूं
समीर जी....इसे पढ़ कर अब ब्लॉगों की संख्या और भी अधिक बढ़ेगी.....;)
शायद कुछ असर हो.....:)
मुझे पढ़ लेना ओ साथी
देना तुम टिप्प्णी और पसंद एक
उँची बने पसंद ब्लॉगवाणी पे
जिसे देख आयें ब्लॉगर वीर अनेक
वैसे कामना तो हम सभी की भी यही है:))
कुछ सामान है, कुछ जुटाता हूं>....
हा हा समीर भाई गज़ब ढा दिया आपने तो
वाह.. पढ़ कर बटरफ्लाई स्ट्रोक मारती हुई मुस्कान तैरने लगी होंठों पर.. पैरोडी भी लाजवाब थी जी..
गुरूजी पहले तो आप अपनी गुरु दक्षिणा बताये इतने ज्ञान देने का :)
हां आपकी कविता वाली बात तो पहले से कई लोग अपना रहे है :)
सर
'कट कॉपी पेस्ट' करने वाले ब्लॉगर की तो आपने जमकर खिंचाई की है....साथ ही आज के ब्लॉगरों की अच्छी खबर ली है...वाकई लाजवाब...
मजा आ गया
समीर अंकल, करारा व्यंग्य मारा है ....
शर्म इनको मगर कहाँ आती.
पैरोडी भी मारें तो ठीक है... इतनी अकल भी कहाँ है ज्यादातर लोगों में ....बाकी अस्त्रों का प्रयोग करके ही माखनलाल चतुर्वेदी बनने की कोशिश में लगे हैं...
गुरू जी सादर प्रणाम..पहले तो इतना अच्छा बन्दर लाने के लिये धन्यवाद ऒर व्यंग्य के क्या कहने आपकी लेखन शॆली हे ही लाजवाब..
बढ़िया व्यंग्य!
--
हम तो खोपड़ी खुजला-खुजलाकर टकले हो गये हैं!
ताऊ रामपुरिया :- हा हा हा ...और तो सब ठीक है पर पहले ये बताया जाये कि कि ये बडा बंदर जो पूंछ मारकर छोटे बंदर को उचका रहा है वो कौन है?:)
Udan Tashtari- ताऊ
गजब करते हो..आप भी इसे न पहचान पाओगे तो भला कौन पहचानेगा. :)
मतलब जो भी हैं.... ये दोनों..... आप दोनों मे से कोई एक हैं.... लेकिन कौन से आप हैं और कौन वो...... ज़रा खुल कर बताएं..... :)
ब्लॉगर बनाने हेतु जो सामग्री आपने गिनाई..... उससे लगा कि हम तो कंगालपति हैं ...... मुझे नहीं बनाना ब्लॉगर..... हम ऐसे ही भले...... ब्लॉगर दुनिया मीट करे या मीट खाएं......
हम तो शुद्ध शाकाहारी ही भले...... :) :)
इतना सामान कबाड़ लाना बहुत मुश्किल है जी। हम तो बिना यश के ही भले हैं। इत्ता पापड़ बेलना आसान है क्या?
'समीप टिप्पनिएं राखिये,बिन टिप्पणी सब सून,टिप्पणी गए न ऊबरे ब्लोगर्स,बजिए,टून'
हे रहीम जी! जैसे माखन लालजी ने दादा को क्षमा कर दिया वैसे आप भी हमे क्षमा प्रदान करें.
ब्लॉगिंग के लिए अति आवश्यक सामग्री में से हमारे पास तो दो चार ही है पर...
गम हो य खुशी उसको सेलिब्रेट करने का जुगाड तो है.
बस गोस्वामीजी और आपकी आज्ञा भर की देर है.जो शुरू कर दी न हमने तो आप लोगों के हिस्से की भी नही बचने वाली.अतः सामग्री की लिस्ट पर पुनः एक बार विचार कर लीजियेगा दादा!
खतराssssssssssss
हा हा हा
चाह नहीं है आपके जितनी टिप्पणी पाऊ |
आज पता चला कि क्यों फिसड्डी हैं। ज़रूरी चीज़ में 17 की लिस्ट में से कुल दो तो हैं हमारे पास, वो भी लंगड़े। बाक़ी जुगाड़ से काम चलता है।
ये तो हम आपकी टिप्पणी के सहारे जी रहे हैं…
अस्त व्यस्त मस्त!
उड़न दादा.ये पोस्ट पढ़ कर बहुत अच्छा लगा. मैं अभी तक आपको टिप्पणीकार समझ रहा था. अब लगा कि आप व्यंग्य भी लिखते है. आपका सभी को प्रेरित करने का काम बहुत सार्थक भी बन रहा है. धन्यवाद.
सादर,
माणिक
आकाशवाणी ,स्पिक मैके और अध्यापन से जुड़ाव
अपनी माटी
माणिकनामा
"यशस्वी ब्लॉगर भवः !!" यह क्या है ?
लेख-ज्ञानवर्धक,शैली-मनोरंजक संभवत: "व्यंग्य सह मार्गदर्शिका" यह तो गद्य की नई विधा है.
समीर जी , आज मस्ती के मूढ़ में हैं ।
बढ़िया व्यंग है ।
लेकिन कभी कभी हम अपनी इमेज के शिकार हो जाते हैं ।
इसलिए मस्ती की भी अनुमति नहीं रहती ।
वैसे आजकल ब्लोगिंग में यही हो रहा है ।
ये मस्ती हमारी एक कविता को चट कर गई।
वाह बहुत खूब लिखा है आपने! हम तो निशब्द हो गए! चित्र बहुत सुन्दर लगा! सच्चाई को आपने बहुत ही सुन्दरता से प्रस्तुत किया है! मज़ा आ गया!
haaaaa...haaaaaa....
बहुत मजा आया ./...चाह नहीं भी बहुतै बढिया है
बहुत बढ़िया
गजब चाचा.
शानदार व्यंग्य!
ब्लागर मीट हो गई, पर आप तो नहीं दिखे, फिर कैसे हो जाएगी.
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'पाखी की दुनिया' में ' सपने में आई परी'
kaash aapka yeh lekh pahle padha hota jab main bloging shuru kar raha tha ... ashok
ब्लॉगिंग के लिए अति आवश्यक सामग्री:
janab hamare paas inmein se sirf ek hi hai vo hai hamara blog ..................ab hum kya karen?
Badiya prastuti..
Shubhkamnayne
hahaha aapka kuch nahi ho sakta ....
maine badhe seriously padhna shuru kiya aur 2 line ke baad hi hansi chhut gayi ......
बुआ और चच्चा के साथ भतीजा लोगन का होना भी उत्ते जरूरी है जी !!
ई त सबसे पहिले लिखना था.
आपके ब्लॉग पर कमेंट मॉडरेशन का लागू होना संकेत करता है कि बेनामी कभी आपकी परेशानी का सबब बने होंगे। यह भी ध्यान आ रहा है कि पिछले दिनों धार्मिक विद्वेषगत पोस्टों के बारे में आपने लिखा था कि ऐसे पोस्टों का जवाब न देकर ही करारा विरोध व्यक्त किया जा सकता है मगर देखिए कि आपने भी बेनामियों का मुद्दा उठा कर उनकी बल्ले-बल्ले कर दी। ठीक ही कहा गया है, बदनाम होंगे तो क्या नाम न होगा!
गुरुदेव,
पहले तो देर से आने के लिए माफ़ी चाहता हूं, शेरसिंह जी ने ऐसा उलझाया था कि अब जाकर रूटीन में आ पाया हूं...
इस सामग्री की इंटरनेशनल डिस्ट्रीब्यूटरशिप आपके पास है, इंडिया का स्टॉकिस्ट मुझे बना दीजिए न, प्लीज़...
जय हिंद...
साधू-साधू-साधू....वाह....वाह.... .वाह...... बल्ले....बल्ले...बल्ले.....सुभानअल्लाह......समीर जी.....गज़ब की ट्रिक दे दी आपने तो आज....मगर मैं क्या करूँ....मैं तो भूत हूँ....और मुझे बैठने को पेड़ चाहिए....!
ha ha behad mazedar,haste haste ab tak lotpot ho rahe hai,:):)
dhatt tere ki.... saara raaz khul gaya..
शॉर्ट कट से सफल ब्लॉगर मुझे तो नहीं बनना गुरूवर, शायद किसी और के काम आए आपके सुझाव।
अगर पीने की बात है, तो कुछ लोग सिर्फ दो दिन पीते हैं, जब बारिश हो और जब न हो।
very good article. I am using some of the containts in my article in marathi blog? In case you have any objection, please send e mail.
Thanks in advance.
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