बुधवार, अप्रैल 07, 2010

ये लिजिये विडियो और गिलहरी

रोज सुबह जागकर जब खिड़की के पास आकर बैठता हूँ तो छम्म से एक गिलहरी आकर खिड़की के पास बैठ जाती है. आंगन में खेलती है और थकती है तो फिर खिड़की के पास आकर सुस्ता लेती है. पहले जैसे ही उसकी तरफ देखता था, भाग जाती थी और खेलने लगती थी. फिर थोड़ी देर में आ जाती थी.

अब देखता हूँ तो डरती नहीं, भागती नहीं. इन्तजार करती है कि कब मैं उठूँ, दरवाजा खोलूँ और उसे मूंगफली खिलाऊँ. महिनों से सिलसिला जारी है. किसी दिन जानबूझ कर खिड़की की तरफ न देखूँ तो पंजों से कांच पर खटखटाने लगती है मानो पूछ रही हो: नाराज हो क्या? मूँगफली नहीं खिलाओगे?

कभी कोई दोस्त नाराज होता है तो मुझे भी यही आदत है कि खटखटा कर पूछ लेता हूँ कि नाराज हो क्या? अक्सर तो लोग जबाब दे देते हैं मगर जब कोई मेरे पूछने पर भी जबाब नहीं देता तो तकलीफ होती है. शायद वो मित्र इसे पढ़े तो समझें. जिदगी तो एक ही है. जितनी भी मिल जाये, छोटी सी कहलायेगी. इसमें क्या किसी से नाराजगी पालना और वो भी बिना वजह बताये.

खैर, इसी गिलहरी को मैने नाम दिया चिन्नी..अब तो शायद अपना नाम समझने लगी है क्यूँकि जैसे ही आवाज लगाता हूँ, जहाँ भी होती है, भागी चली आती है. मिलेंगे उससे:

चिन्नी खाना खाते:

g1

डोन्ट डिस्टर्ब:

g2

मूँगफली तो दो:

g3

तो अदा जी और ताऊ ने मिलकर इसी गिलहरी का खुलासा किया था. अब उस दिन की संगीत संध्या से कुछ छोटे हिस्से. हमारे और साधना के. अदा जी और संतोष जी का विडियो जल्द ही अदा जी प्रस्तुत करेंगी.

समीर: बस एक स्टेन्जा- एक कवि से राग भैरवी गाने की उम्मीद न पालें कृप्या जैसा कि अदा जी ने सोचा था, :)

 

अच्छा, ये सुन लिजिये, दूसरा वाला पूरा

 

अब मूड जरा ठीक करने के लिए, साधना के द्वारा प्रस्तुत गज़ल, जिसमें कुछ शेर हमारे लिखे हैं. दरअसल शाम को साधना ने बताया कि बस तीन शेर ही याद आ रहे हैं - अब?? हम भी ठाने बैठे थे तो लिख मारे तीन ठो शेर और तुरंत और बस, थमा दिये. बहाना कुछ बचा नहीं तो सुना गया कि साधना का गला खराब है, ऐसा उसी का कहना है.

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95 टिप्‍पणियां:

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर ने कहा…

subah subah, aanand aa gya. sara din masti rahegi.narayan narayan

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

मुझको तो चांद दिखे या तुम्हारी सूरत
दिल की बस्ती मेरे दोनो से बहल जाती है।

बहुत बढिया, अच्छा रंग जमा है।
बधाई

Arvind Mishra ने कहा…

चिन्नी से मिलकर अच्छा लगा !

"अक्सर तो लोग जबाब दे देते हैं मगर जब कोई मेरे पूछने पर भी जबाब नहीं देता तो तकलीफ होती है. शायद वो मित्र इसे पढ़े तो समझें. जिदगी तो एक ही है. जितनी भी मिल जाये, छोटी सी कहलायेगी. इसमें क्या किसी से नाराजगी पालना और वो भी बिना वजह बताये."


हैरत है यही तो मैंने आज कहीं लिखा -लफ्ज अलग हो सकते हैं मगर भाव तो निखालिस यही है !

कडुवासच ने कहा…

....अब तो शायद अपना नाम समझने लगी है क्यूँकि जैसे ही आवाज लगाता हूँ, जहाँ भी होती है, भागी चली आती है...
...खूबसूरत "चिन्नी" को ढेर सारी शुभकामनाएं!!!

डॉ टी एस दराल ने कहा…

गिलहरी को देखकर यही गाने का मन कर रहा है --महबूबा --महबूबा --।
चलिए ये राज़ तो खुला ।
गीत और ग़ज़लें शाम को सुनते हैं।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

माहौल जमाये रहिये ।

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

साधना जी के स्वर ने कमाल कर दिया।

Sadhana Vaid ने कहा…

आपके ख़ूबसूरत अल्फाज़ और साधनाजी की सुमधुर आवाज़ दोनों के सुरूर ने सम्मोहित कर दिया है ! इतनी सुन्दर प्रस्तुति के लिये बधाई और आभार !

निशांत मिश्र - Nishant Mishra ने कहा…

आओ रे आओ चुन्नू मुन्नू टिंकू गुड्डू पप्पू रानी गुडिया बेबी देखो समीर अंकल तुम्हें क्या दिखा रहे हैं!

बिटिया का सवाल - "छमील अंकल छमील अंकल ये चिन्नी गिलेली काली काली क्यों हे!? आपने इसको जूते की पालिश लगाई है क्या?

दिलीप ने कहा…

mahadevi verma ji ki gillu kahani yaad a gayi....bahut pyara....

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

जिदगी तो एक ही है. जितनी भी मिल जाये, छोटी सी कहलायेगी. इसमें क्या किसी से नाराजगी पालना और वो भी बिना वजह बताये.

बहुत सही कहा. काश सभी इसे समझ पाते.......खैर. विडियो शाम को बहुत ही फ़ुरसत देखने पडेंगे...इसमे समझौते की रकम है या नही?:)

रामराम.

seema gupta ने कहा…

oh!!! chinni so cute...

regards

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…

हा हा हा...
अब फोटो देके होत का, जब छप गया पोस्टरवा ...
अच्छा तो इनका नाम भी 'चिन्नी' ही है..बताइए उस दिन घर में दू-दू गो चिन्नी थी...प्रज्ञा को घर में हम चिन्नी ही कहते हैं...
और हाँ....आपका राग ओतना बुरा नहीं है ..लेकिन एक आर्टिस्ट अपना मार्केट value बनाये रखने वास्ते दूसरा का बुराई करबे करता है...
अरे मत खिसाइयेगा मज़ाक कर रहे हैं....हाँ नहीं तो...
आपका कविता बहुत सुन्दर ...लेकिन साधना जी के कविता पाठ से कम...
एक बार फिर, हम अपने पूरे परिवार की तरफ से कृतज्ञता व्यक्त करते हैं...सबकुछ बहुत ही अच्छा था...
फिर आ रहे हैं घबराइये मत....साधना जी हमको परमीशन दे चुकी हैं....

Sadhana Vaid ने कहा…

समीरजी आपकी तारीफ़ के लिये तो मेरे पास शब्द ही नहीं हैं ! आपकी शान में कुछ कहना सूरज को दीपक दिखाने जैसा होगा ! वाह वाह वाह के आगे अन्य कुछ याद ही नहीं रहता !

Khushdeep Sehgal ने कहा…

गुरुदेव,
बॉलीवुड में एक कोरियोग्राफर चिन्नी प्रकाश भी है...तो ये वाली चिन्नी आपको अपने इशारे पर नचाती है तो कौन सी बड़ी बात...

आप मुहम्मद रफ़ी बेशक नहीं लेकिन आपका गला ऐसा भी नहीं जितना अदा जी ने डरा दिया था...अब अदा जी को क्या पता टीचर जी गले में जाकर क्या क्या गुल खिलाते हैं...

असली छुपे रूस्तम तो साधना भाभी जी निकलीं...

जय हिंद...

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

चिन्नी से मिल कर अच्छा लगा...

आपकी रचना.....प्यार किश्तों में लौटा रहा हूँ....बहुत अच्छी लगी...साधना जी के स्वरों ने ताज़गी भर दी.....आभार इन पलों को हम सबके साथ बांटने के लिए .

महामूर्खराज ने कहा…

पोस्ट पढ़ कर मजा तो आया ही वीडीओ देख कर भी आपकी लेखन शैली और प्रस्तुति शैली से काफी कुछ सीखने को मिला जिससे मैं अपने लेखन को कुछ बेहतर और सार्थक बना पाऊँ । इसके लिए आपका हार्दिक धन्यवाद उड़न तश्तरी जी

वाणी गीत ने कहा…

जिदगी तो एक ही है. जितनी भी मिल जाये, छोटी सी कहलायेगी. इसमें क्या किसी से नाराजगी पालना और वो भी बिना वजह बताये....
अगर वजह हो भी तो उसे दूर करने की कोशिश की जानी चाहिए ...आखिर हमारे जाने के बाद इस दुनिया में क्या रहेगा ..सिर्फ यादें ही तो ...तो अच्छी यादें ही क्यों ना छोड़ी जाएँ ...कि कोई आपको याद कर जीवन भर मुस्कुराता रहे ...और दूसरों को मुस्कुराने के लिए प्रोत्साहित करता रहे ..
काश कि सभी यही जीवन - दर्शन अपना सकें ...
विडियो पर कमेन्ट पेंडिंग ...

राम त्यागी ने कहा…

wow ....what a mehphil ...now i am more than excited to come and meet you guys there ...probably we can make some plan to meet up in Chicago ...i hope we have couple of blogger brothers in chicago area ....ye ladai wali baat kya ...kuch dimaag mein nahi aaya ...better to skip that part :)

रश्मि प्रभा... ने कहा…

waah...... sameer sameer sameer.....
chinni ka bhi jawab nahin

संजय बेंगाणी ने कहा…

कविता-गजल वगेरे सुन नहीं पाए.


यह गुलहरी देसी वाली से ज्यादा कदावर लग रही है.

Parul kanani ने कहा…

chinni ko dekhkar ..mahadevi verma ki "gillu" yaad aa gayi.. :)

Girish Kumar Billore ने कहा…

चलिये एक नई बात उज़ागर तो हुई

Sulabh Jaiswal "सुलभ" ने कहा…

चिन्नी से मिलाने का शुक्रिया.

आज विडियो पे देख सुन और करीब महसूस हुआ.
दिल से गाना निभाया आप सभी ने.

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

वीडियो लगाकर चार चांद लगा दिये. धन्यवाद..

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

वीडियो ने चार चांद लगा दिये..

जीवन और जगत ने कहा…

aapki udantashtari waakai kamaal hai.

जीवन और जगत ने कहा…

aapki udantashtari to kamaal hai. udantashtari se gilhari jaise chhote jeev ko dekhna mushkil hai lekin aapne bahut achhi tarah ise dekhi bhi aur hum sabko dikhaya bhi.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी पोस्ट पढ़कर ताऊ के भाँडा-फोड़ का खुलासा
समझ में आ गया है!
साधना जी और आपकी आवाज तो बहुत मधुर है!

हिमांशु पन्त ने कहा…

nihayat hi khubsurat likha hai... ummid hai aapse bahut kuch seekhne ko milega.. dhanyawad..

सीमा सचदेव ने कहा…

समीर जी गिलहरी मुझे बेहद पसंद है कितनी चंचल नटखट और शैतान होती है , बिलकुल बच्चों की तरह । गिलहरी के लिए एक कविता लिख रही हूं

एक गिलहरी बडी छरहरी
पास मेरे जब आकर ठहरी
प्यार से मैने जब पुचकारा
छुआ अंग भी प्यारा-प्यारा
नटखट चंचल और शैतान
लगी खुजाने अपने कान
पलक झपकते चढी पेड पर
जाकर बैठी डाली पर
कुतर-कुतर लगी फ़ल खाने
दूर से मुझको लगी चिढाने


चिन्नो बहुत प्यारा नाम है

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) ने कहा…

matlab gilhari ke bahane bhi aapne taaliyaan hi batorni hai naa...!! umda...sundar...khuburat baaten..!!

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

समीर जी बहुत अच्छी लगी गिलहरी भी और उसकी बातें भी आपके लेखन की तो जितनी तारीफ की जाये कम है।आप सबकी गज़ल भी सुनी बहुत पंसद आई बहुत-२ बधाई...

बेनामी ने कहा…

Bahut sundar..Khub rang jama hai.

pallavi trivedi ने कहा…

वीडियो मस्त है...मज़ा आया सुनकर! चिन्नी भी बहुत प्यारी है! मैं आशा करती हूँ आपके उन मित्र तक आपकी बात ज़रूर पहुंचे

rashmi ravija ने कहा…

सुन्दर अलफ़ाज़ और मधुर स्वर में ढले तो क्या बात है..साधना जी का गायन बहुत ही कर्णप्रिय था (गला खराब होने के बावजूद :) )
छम से छमकती चिन्नी की तस्वीरें बहुत प्यारी हैं

Creative Manch ने कहा…

जो प्यार तुमने मुझको किया था
वो प्यार किस्तों में लौटा रहा हूँ .....


सुमधुर प्रस्तुति
जिस तन्मयता से आप काव्य-पाठ कर रहे थे
उससे तो राग भैरवी क्या सारे रागों की उम्मीद की जा सकती है !

अच्छा लगा

डॉ महेश सिन्हा ने कहा…

सुर की महफिल सजी रहे

दीपक 'मशाल' ने कहा…

ye gillo(aapki chinno) mujhe St.Paul's cathedral me mili thi 2 april ko photo nikalni chahi to bhaag gayee sharma ke.. :) aur wahan bhi peanuts hi chakh rahi thi sach me.
aur aapki awaz mujhe to achchhi lagi ji.. kam se kam aatif besure se to sahi hi hai. :)

Urmi ने कहा…

बहुत बढ़िया लगा! गिलहरी तो बहुत ही प्यारी है! हमेशा की तरह एक बहुत ही सुन्दर और उम्दा पोस्ट! बधाई!

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

वाह! इस आनन्द-मंगल के लिये आधार.

Vineeta Yashsavi ने कहा…

मुझको तो चांद दिखे या तुम्हारी सूरत
दिल की बस्ती मेरे दोनो से बहल जाती है।

behtreen post...

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

समीर भाई, आपने तो मंत्र मुग्‍ध कर दिया। आवाज भी लाजवाब और गीत भी। संध्‍या जी का भी जवाब नहीं। कुछ शब्‍द ही नहीं मिल रहे हैं लिखने को। डिप्रेस सा हो गया है मन। प्रेरणा की जगह मन यह कह रहा है कि ऐसे गायक कलाकरों के सामने तो हमें पढ़ना भी मुश्किल ही लगेगा। अब तो जिस दिन स्‍टेज पर कार्यक्रम होगा, हमें समीर, समीर चिल्‍लाने के लिए बुला लीजिएगा। बहुत ही बढिया।

Mrityunjay Kumar Rai ने कहा…

सर मेरे घर के पास भी एक गिलहरी है

Prem Farukhabadi ने कहा…

बहुत बढिया.बधाई!!!

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

लाजबाब, वैसे गिलहरी भी खाते-पीते घर की लग रही है :)

डॉ टी एस दराल ने कहा…

दूर हुए जो मुझसे वो मेरे अपने थे --वाह क्या बात है ।
दुसरे में तो कुछ था ही नहीं।
जाने क्या चीज़ है ---बहुत सुन्दर रचना और गायन भी ।

और ये छमिया तो पूरी छम्मक छल्लो निकली।

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

चिन्नी की हर अदा भा गयी,आप और भाभी जी के स्वर में भाभी जी बाजी मार ले गयीं हैं ,बेहतरीन प्रस्तुति.

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

आदरणीय समीर जी.....

सादर नमस्कार....

आज हमने भी यहाँ श्री. बिल्लोरे जी कि मेहेरबानी से नेट कनेक्शन ले लिया है...... हमारा कुछ रिसर्च वर्क यहाँ यूनिवर्सिटी में चल रहा है.... वो असाइन्मेंट पूरा होते ही देहरादून के लिए निकलना होगा ..... वहां भी पेट्रोलियम रिसर्च संसथान में रिसर्च कौंसिल मीटिंग है.... अब से टच में रहूँगा.... अपना आशीर्वाद बनाये रखिये....

सादर

महफूज़...

Yogesh Sharma ने कहा…

समीर जी अच्छी कविता , मुझे स्वर्गीय मुकेश का वो दर्द भरा नगमा याद आ गया " जो प्यार तूने मुझको दिया था वो प्यार तेरा मैं लौटा रहा हूँ , अब कोई तुझसे शिकवा ही कैसा,तेरी ज़िंदगी से चला जा रहा हूँ"
आप गाते भी अच्छा हैं |

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

aapki chinni to hamari indian chinniyo jaisi nahi he sameer ji.
aisa kaise ho gaya??? kya raam ji ne vaha ki chhinniyo par apna haath nahi faira tha????(ha.ha.ha.)

apki awaz me gana sun kar acchha laga aur sadhna mam ko b badhayi.

Rajeev Nandan Dwivedi kahdoji ने कहा…

अब आपकी तारीफ करने का मन नहीं करता, सचिन कि सेंचुरी अब बोर करती है. आप तो छक्का ही मारते हैं हमेशा.

बहुत आभार.

चिन्नी से मिलकर अच्छा लगा !

...खूबसूरत "चिन्नी" को ढेर सारी शुभकामनाएं!!!

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति।

मेरे किसी खत का जवाब नही आता
अब मुझे यह दुख कभी नही सताता
समझ सकता हूँ उनकी मजबूरीयां होगी,
नाराज होना मुझे अब उनसे नही भाता।

प्रकाश पाखी ने कहा…

जाने क्या चीज है जब हमसे निकल जाती है
जिन्दगी मौत की सूरत में बदल जाती है

बागबाँ सोच की गुलशन पे गुजरती क्या है
जब कभी कोई कली जब हाथों से मसल जाती है

बात करने की तमन्ना है बहुत तुमसे मगर
बात ही बात में हर बात बदल जाती है

नब्ज को देख के वो खुशहाल हुए जाते है
सांस तो एक है हाथों से फिसल जाती है

देख तो आज के मौसम का नजारा क्या है
ये तबियत भी हमारी तो मचल जाती है

मुझको तो चाँद दिखे या कि तुम्हारी सूरत
दिल की बस्ती मेरी दोनों से बहल जाती है


इतना सुन्दर कि बार बार सुनते रहे वाह वाह करते रहे ...पूरी गजल मुह्जबानी याद होगयी है... अब दाद देना हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है...सबूत के तौर पर पूरी गजल पेश है ...भाभीजी के सधे स्वर ने आप के शेरों को भी चार चाँद लगा दिए है...पर वाकई अशआर बेहद दिलकश है....

nilesh mathur ने कहा…

समीर जी ,नमस्कार,
आपकी आवाज सुन कर मुझे रफ़ी साहब की याद आ गयी, सच ! मज़ाक मत समझिएगा !

मनोज कुमार ने कहा…

बहुत बढिया, अच्छा रंग जमा है।

वीनस केसरी ने कहा…

गिल्लू की याद आ गई :)

Alpana Verma ने कहा…

bahut hi sundar gilhariyan hain..waah!

bahut hi pyari bhi.

Sadhana ji to behad khubsurat gaati hain...bahut bahut badhayee.
aap ko sunNa bhi achchha laga.
Abhaar

Manish ने कहा…

vaah, sur to jordaar lagaaya aapne lekin kam se kam 1 min. poora to gaa liye hote.... :)
:)
chinni ko mere baare me bhi bataa dijiyega.. :)

दिनेश शर्मा ने कहा…

वाह क्या बात है? सुन्दर अभिव्यक्ति । अच्छा लगा सभी से मिलकर ।

बेनामी ने कहा…

काश अगर मैं 'चिन्नी'होती
काँधे पर चढ़ यूँ इठलाती
आकर मैं भी कांच बजाती
वो क्या मन की बातें करती है?
मैं मन की सब बात बताती
दादा ! ऐसा हुआ था आज सुबह,
शाम पड़े ये बात हुई
दिन भर की सब बातें बतलाती
खुश होती तों जम कर गाती
जब भी मन उदास होता
तेरी हथेली पर बैठ मैं
फूट फूट कर रोती और
संग में तुझको भी खूब रुलाती
दादा!तेरे आंगन की चिरैया या
मैं ऐसी ही नन्ही 'चिन्नी'होती

anita saxena ने कहा…

उदयन जी आपका एक गीत सुना...मेरे प्रिय गीतों में से एक है ये...बहुत अच्छा लगा सुन कर !आप की आवाज़ दिल से निकली है और दिल को छूती है... !

Atul Sharma ने कहा…

गज़ल तो अच्छी हैं ही, परंतु ये दोस्तों का दरवाजा खटखटाना अच्छा लगा। मैं चला कुछ लोगों के दरवाजे...

Pawan Kumar ने कहा…

समीर भाई
चिन्नी के बारे में बड़ी खूबसूरती से लिखा है आपने..........नन्हे से जीवों के विषय में दिल से लिखने का जज्बा आपमें ही हो सकता है.......शानदार प्रस्तुति के लिए हार्दिक आभार

Akanksha Yadav ने कहा…

आपकी गिलहरी देखकर हमें कानपुर के अपने लान में रोज आने वाली गिलहरी की याद आ गई..बेहतरीन प्रस्तुति.

सम्वेदना के स्वर ने कहा…

महादेवी जी की गिल्लू आप के आंगन मे आना शुभ है, और उस प्यारी सी गिल्लू को यहां ब्लाग की मह्फिल मे ले आना तो बहुत मस्त.

ये तश्तरी यू ही मस्ती की उडान भर कर छलकती रहे यही कहते है हमारी "सम्वेदना के स्वर"

प्रवीण शुक्ल (प्रार्थी) ने कहा…

प्रणाम शमीर जी चिन्नी से मिलना बहुत अच्छा लगा और गजल के भी के कहने

सादर
प्रवीण पथिक
9971969084

रंजना ने कहा…

यहाँ नेट की समस्या चल रही है...कल से कई बार प्रयास किया,पर साउंड फ़ाइल खुल ही नहीं रहे ठीक से...सो सुन नहीं पा रही....

हाँ विवरण पढ़ लिया और गिलहरी रानी के करतब देख लिए....

अंजना ने कहा…

आप की रचना ये प्यार किस्तो मे लौटा रहा हुँ ...बहुत बढिया है और साधना जी की आवाज मधुर है। अच्छी महफिल जमाई.. बधाई ।आप की चिन्नी तो बहुत अच्छी है एक गिलहरी मेरे ब्लांक पर भी है उस से भी जरुर मिल आना ।

नीरज गोस्वामी ने कहा…

सबसे पहले बधाई इन हट्टी कट्टी गिलहरी से मिलवाने पर...मैंने ऐसी गिलहरियाँ अमेरिका में खूब देखीं थी...हमारे देश की मरियल गिलहरियाँ इन्हें देख शर्म से मर ही जाएँ...लेकिन लगता है ये गिल्हेरियां राम चन्द्र जी के हाथ की लकीरें नहीं प्राप्त कर पायीं...विदेशी जो हैं..इन्होने लंका को जाने वाले पुल के लिए कोई योगदान नहीं दिया होगा ये पक्का है...
अदा जी के आगमन से आपकी अदायगी और भाभी जी की सुरीली आवाज़ भी सुन ली....लाजवाब प्रस्तुतीकरण है...कभी मौका मिला तो आमने सामने बैठ कर सुनेगे...आप दोनों को मेरी ढेरों बधईयां...
नीरज

Unknown ने कहा…

आपकी ही तरह नई नस्‍ल की गि‍लहरी देखी।

बवाल ने कहा…

अहा ! मज़ा आ गया लाल साहब। खूब याद दिला दी अदा जी ने भी आज आपकी यार। कब आ रहे हो ?

शरद कोकास ने कहा…

अगली बार जब चिन्नी को मूँगफल्ली का दाना खिलायें एक दाना मेरी तर्फ से भी खिला दीजियेगा । वैसे सच कहूँ ..इस दृश्य पर एक कविता सुरसुरा रही है ..देखिये क्या होता है ।

Akanksha Yadav ने कहा…

बेहतरीन प्रस्तुति..बधाई.

*********************
"शब्द-शिखर" के एक साथ दो शतक पूरे !!

बेनामी ने कहा…

खूबसूरत प्रस्तुति...आपका ब्लॉग बेहतरीन है..शुभकामनायें.

************************
'सप्तरंगी प्रेम' ब्लॉग पर हम प्रेम की सघन अनुभूतियों को समेटे रचनाओं को प्रस्तुत करने जा रहे हैं. जो रचनाकार इसमें भागीदारी चाहते हैं,वे अपनी 2 मौलिक रचनाएँ, जीवन वृत्त, फोटोग्राफ hindi.literature@yahoo.com पर मेल कर सकते हैं. रचनाएँ व जीवन वृत्त यूनिकोड फॉण्ट में ही हों.

Kulwant Happy ने कहा…

गिलहरी के मार्फत बहुत बड़ी बात कह दी। सच में दुख होता है..जब कोई बिना तोहमत लगाए, इलजाम लगाए..मौन धारण कर लेता है.. बार बार दरवाजा खटखटाने के बाद भी उसका बहरापन नहीं टूटता।

वो आएगा। जब अहसास हो जाएगा।
चिंता मत करें. नहीं तो वो चिंता एंटीवायरस बन जाएगी।...जय गुरूदेव।

सर्वत एम० ने कहा…

गिलहरी, मुझे लगा भालू. यह बेजबान नन्हा सा जीव प्रेम की भाषा समझता है और हम?
यकीन कीजिए, मैं इन दिनों जरूरत से ज्याद बल्कि अपनी औकात से भी ज्यादा व्य्स्त हूँ. आप ही नहीं बहुत ढेर से मित्रों को मुझ से शिकायत है. लेकिन मैं जान-बूझ कर ऐसा नहीं करता. मेरी मजबूरियां समझें और पोस्ट में इस ज़िक्र न करें :).
आपका गायन तो माशाल्लाह है. आइए भारत में, मैं आप से मुकाबले को तैयार हूँ :).

सुशीला पुरी ने कहा…

sundar sangati.......gilhri se pyar ho gya .

RAJWANT RAJ ने कहा…

mere aangn me bhi ek chidita dana chugti hai drasl ye hm sbhi ke bhitr chhupa vatsalya ka bhav hi hai jo in patro ke roop me jism ko odhta hai

bhavnao ke is murt roop se mil kr achchha lga .

RAJWANT RAJ ने कहा…

mere aangn me bhi ek chidita dana chugti hai drasl ye hm sbhi ke bhitr chhupa vatsalya ka bhav hi hai jo in patro ke roop me jism ko odhta hai

bhavnao ke is murt roop se mil kr achchha lga .

RAJWANT RAJ ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Gyan Dutt Pandey ने कहा…

आपको तो देखते-पढ़ते रहते हैं, पर साधना जी को सुनना अनूठा अनुभव रहा। बहुत धन्यवाद उनका और आपकी प्रस्तुति का।
हां चिन्नी गिलहरी ने ज्यादा ही सन टैनिंग कर ली है! :-)

राजेश उत्‍साही ने कहा…

समीर जी आपकी गिलहरी मेरे सहजन के पेड़ पर भी थी। शुक्रिया कि आप मेरी हर रचना पढ़ते है। उम्‍मीद करता हूं कि आप यह टिप्‍पणी जरूर पढ़ रहे होंगे। बुरा न माने तो एक राज की बात पूछना चाहता हूं। आपकी पोस्‍ट पर इतनी टिप्‍पणियां कैसे आती हैं। मैं भी चाहता हूं कि मेरी रचनाओं पर इतनी टिप्‍पणियां आए। बताईए मैं क्‍या करूं।

sandeep sharma ने कहा…

बहुत ही खूबसूरत... पढ़कर मजा आ गया...
समीर बाबु...
नयी चिन्नी,... नयी गजल.... नयी पोस्ट... बढ़िया है...

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

Aadarniy sir,
aapka aalekh bahut hi majedar laga. aapki gilaharee ki taraha hee mere bageeche men bhee subah subah chidiyan chun chun karake mujhe jagatee hain ---jab tak unhen chaval ka dana na diya jay----
apaka kahana bilkula sahee hai chotee si jindagee men kisi se narajagee kaisee----
Poonam

Rajeev Nandan Dwivedi kahdoji ने कहा…

अच्छा जी, आपो बिलागिंग करते हैं.
गिलहरी भी अपने ही रंग की चुने हैं का, मायावती की मूर्ती की तरह दोनों ही नहीं दिखता है.

बेनामी ने कहा…

रिश्ते हूक की तरह उठते हैं ! आपको सुना मन भीग गया ! बधाइयाँ !

Asha Joglekar ने कहा…

चिन्नी की कहानी अच्छी लगी । क्या पोज दिये हैं ? और आपकी गजल सुनकर मजा आ गया । बहुत दिन बाद फिर पढना लिखना शुरू कर रही हूँ आशा है आप का स्नेह प्राप्त होता रहैगा ।

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar ने कहा…

समीर जी, सचमुच चिन्नी बहुत प्यारी है----इसे मेरी तरफ़ से भी मूंगफ़ली खिलाइयेगा---सुन्दर पोस्ट्।

राजेश स्वार्थी ने कहा…

bahut behtareen mahfil jami.maza aaya.

संजय तिवारी ने कहा…

बहुत अच्छा लगा विडियो. चिन्नी तो बहुत सुन्दर है. जबलपुर ले आईये.

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) ने कहा…

बहुत सुन्दर पोस्ट.. चिन्नी बडी प्यारी है :)उसे अखरोट खिला दीजियेगा मेरी तरफ़ से.. जब आप इन्डिया आयेगे तो मै आपको खिला दूगा :D अखरोट..

बेनामी ने कहा…

समीर जी,
क्या आपने नोट किया की यहाँ की गिलहरियों की पीठ पर सफ़ेद रेखाएं नहीं होती.
एक दोस्त से कहा तो उसका कहना था की यहाँ राम जी नहीं आये थे न, इसलिए!

-राजीव

sangeeta ने कहा…

chinni is so cute...........aapki mehfil me door se hi shamil ho gayi...bahut acchha laga..

pardeepruhal ने कहा…

chunki aaj ki tariikh me hum nature se itna dur ho chuke hai...tbhi to ye batien itni adhbhut lgti hai.....lekin hum gaon wale to mother nature ki goud me rehte hai....but yha bhi ab log badal rhe hai......