बुधवार, फ़रवरी 24, 2010

ऑपरेशन कनखजूरा

बड़े आदमी की पूछ है, छोटे को कौन पूछे. -यही चलन है.

पी एम साहब का घुटना मायने रखता है क्षण क्षण की रिपोर्ट मीडिया दिखाता है. अमरीका से डॉक्टर आता है. आज आराम मिला, आज घुटना बदला, कल से काम पर लौटेंगे, हर बात की रिपोर्ट जारी होती है और एक आम आदमी भूख से तड़प कर मर जाये, तो कोई सुनवाई नहीं.

राज्य सभा की सदस्यता छोड़ने के लिए किड़नी वापस मांगी जाती है लेकिन उन मांगों का सिन्दुर और उन बच्चों का बाप कौन लौटायेगा, जिनसे बैंक ऋण वापस माँगता है और किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो जाता है.

बड़े आदमी की छींक बीमारी और छोटे आम आदमी की छींक, मौसम का असर और बदतमीजी कि नाक पर हाथ रख कर नहीं छींकता.

हद है, एक मंत्री की लड़की कश्मीर में अगुआ हो जाये तो आतंकवादी छोड़ दिये जाते हैं और एक गरीब की बिटिया की इज्जत लूट कर मार दिया जाये, तो अखबार की खबर भी नहीं बनती.

आश्चर्य होता है. नेता जी दो दिन से दिखे नहीं तो हल्ला मचा है कि नेता जी लापता, वो भी ऐसे नेता जिनके चलते जाने कितने हमेशा के लिए लापता हो गये जिनका आजतक पता नहीं चला.

अरे, गायब हो जाने दो..काश, पूरे ५४२ लापता हो जायें एक बार में तो कुछ राहत हो १२० करोड को. लेकिन बड़ों को कैसे लापता होने दें.

पूरा मीडिया और देश परेशान है कि नेता जी मिल नहीं रहे, जाने कहाँ गये. काश, इसका आधा भी उन्हीं नेताओं के ईमान गायब होने पर परेशान हुए होते तो आज देश के हालात कुछ और होते.

जो बड़ा, उसका बोलबाला,
छोटे का मूँह काला.

कई बार सोचता हूँ कि टाइगर बचाओ अभियान भी वैसा ही तो नहीं. मात्र १४११ बचे हैं. कौन जाने कितने बचे हैं, यहाँ तो एक दिख जाये तो गिनती भूल जायें फिर १४११ गिनना, वो तो शूरवीर ही होगा जो गिन पाये.

१४११ का इतना हल्ला मचा है, इतना प्रोपोगांडा कि २६११ फीका पड़ गया.

छोटू को भी तो बचाओ. मात्र १२४३ बचे हैं यह कनखजूरे. लेकिन इनको पूछे कौन?

आप सोच रहे होगे कि मुझे कैसे पता कि १२४३ कनखजूरे बचे हैं, कैसे माने? हमने तो गिना नहीं, आपके कहने पर मान जायें?

मैं आपसे पूछ लेता हूँ कि बाघ गिने हैं क्या, फिर कैसे मान गये?

कनखजूरे की क्यूँ चिन्ता करें, इनसे क्या फायदा तो जरा बताना बाघ बचा कर करोगे क्या? खेत में हल जुतवाओगे कि नेता जी की तलाश में भेजोगे??

जो बचाना है उस पर ध्यान नहीं जाता. स्विस बैंक से पैसा आने का सब मूँह बाये इन्तजार कर रहे हैं, जाने पर कोई रोक टोक नहीं. पहले वो छेद तो बंद करो जो अपनी तरफ है याने की जाने वाला, फिर जो जा चुका है, उसके आने का इन्तजार करना वरना तो स्विस बैंक के बदले कहीं और जाने लगेगा और सब बस खुशियाँ मनाते नजर आयेंगे कि स्विस बैंक से वापस आ गया.

ज्यादा जरुरी काम पहले करना होगा. पहले जंगल तो बचाओ वरना यह बाघ क्या कोई मगरमच्छ है जो बिना पानी के भी संसद में आकर बैठा झूटमूठ के मुद्दों पर आँसू बहाता रहेगा. जब जंगल ही नहीं बचेंगे तो बाध कैसा?

बीच शहर में चार पेड़ लगाकर फोटो खिंचवा कर अखबार में छपवा लेते हो, उसमें से एक उगता है और दूसरी तरफ, जंगल काट काट कर कांक्रिट का जंगल बनाये चले जा रहे हो, तब बाघ बच भी जायें तो रहे कहाँ? इंसानो और बाघ में यही तो अंतर है कि बिना रहने और खाने की चिंता किये बाघ बच्चे पैदा नहीं करता.

kankhajura

दुनिया का क्या हाल हुआ है
जंगल था जो मॉल हुआ है
बिजली पानी को रोते है
हाल यहाँ बेहाल हुआ है.
पहले तुम इन्सान बचाओ
बाघ हमारे खुद बच लेंगे
तुम तो हिन्दुस्तान बचाओ.

तूने कैसा काम किया है
संसद को बदनाम किया है
अरे अरे ओ अरे अभागे
माता को नीलाम किया है
लुटता हुआ ईमान बचाओ
बाघ हमारे खुद बच लेंगे
तुम तो हिन्दुस्तान बचाओ.

मँहगाई पर रोक नहीं है
भ्रष्टाचार पर टोक नहीं है
मजहब में तुम फूट डालते
बिन उसके कोई वोट नहीं है.
मरता हुआ किसान बचाओ
बाघ हमारे खुद बच लेंगे
तुम तो हिन्दुस्तान बचाओ.

-समीर लाल ’समीर’

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136 टिप्‍पणियां:

रानीविशाल ने कहा…

बहुत सटीक व्यंग सुन्दर...... शब्दों में समय की मांग को जाहिर करने के लिए आपका आभार !!

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…

इसको कहते हैं भीगा के मारना...
लेकिन आदमी बचा के का करेंगे लोग...उसका तो खाल का भी जूता नहीं बनता है ना...
बाघ तो कीमती है ना आदमी से...
आदमी की का औकात ??
ई तो हम devil 's advocate बने थे ना...हा हा हा
बाकि आप लिखे हैं एकदम जबदस्त...अब ई कोई नया बात हम थोड़े ना कह दिए हैं...
आप हरदम लिखते हैं..
बहुत आभार..

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

तूने कैसा काम किया है
संसद को बदनाम किया है
अरे अरे ओ अरे अभागे
माता को नीलाम किया है
लुटता हुआ ईमान बचाओ
बाघ हमारे खुद बच लेंगे
तुम तो हिन्दुस्तान बचाओ.

समीर लाल जी!
मानवीय सम्वेदनाओं को झकझोरती हुई
इस पोस्ट और कविता के लिए तो
एक ही शब्द है- "लाजवाब"!

Gyan Darpan ने कहा…

बहुत शानदार व्यंग्य ठोका है , गुरुदेव !

"लाजवाब"!

संजय तिवारी ने कहा…

इंसानो और बाघ में यही तो अंतर है कि बिना रहने और खाने की चिंता किये बाघ बच्चे पैदा नहीं करता.

-कितना जोरदार तमाचा दिया है.

Mithilesh dubey ने कहा…

अरे वाह सर जी , आपका भी जवाब नहीं , अदा जी से बिल्कुल सहमत हूँ ।

Mukul ने कहा…

बाघ हमारे खुद बच लेंगे
तुम तो हिन्दुस्तान बचाओ.
बात पते की

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

""जो बचाना है उस पर ध्यान नहीं जाता. स्विस बैंक से पैसा आने का सब मूँह बाये इन्तजार कर रहे हैं, जाने पर कोई रोक टोक नहीं. पहले वो छेद तो बंद करो जो अपनी तरफ है याने की जाने वाला, फिर जो जा चुका है, उसके आने का इन्तजार करना वरना तो स्विस बैंक के बदले कहीं और जाने लगेगा और सब बस खुशियाँ मनाते नजर आयेंगे कि स्विस बैंक से वापस आ गया.""
और
""ज्यादा जरुरी काम पहले करना होगा. पहले जंगल तो बचाओ वरना यह बाघ क्या कोई मगरमच्छ है जो बिना पानी के भी संसद में आकर बैठा झूटमूठ के मुद्दों पर आँसू बहाता रहेगा. जब जंगल ही नहीं बचेंगे तो बाघ कैसा?""

""पूरा मीडिया और देश परेशान है कि नेता जी मिल नहीं रहे, जाने कहाँ गये. काश, इसका आधा भी उन्हीं नेताओं के ईमान गायब होने पर परेशान हुए होते तो आज देश के हालात कुछ और होते.""

""जो बड़ा, उसका बोलबाला,
छोटे का मूँह काला.""
और
""मरता हुआ किसान बचाओ
बाघ हमारे खुद बच लेंगे
तुम तो हिन्दुस्तान बचाओ.""
कई ज्वलंत मुद्दों पर एक साथ हमला,आज तो कलम तोड़ लेखनी है सर जी,गजब.

अमिताभ मीत ने कहा…

समीर भाई ..... बहुत खूब. बहुत उम्दा व्यंग्य और उतनी ही बढ़िया कविता.

मनोज कुमार ने कहा…

पढ़ने वाले में नैतिक ऊहापोह पैदा करे, तयशुदा प्रपत्तियां हिला दे और यह सिद्ध करे कि सत्य किसी एक व्यक्ति की जेब में पड़ा रुमाल नहीं है, ऐसी रचना कम ही मिलती हैं।

Randhir Singh Suman ने कहा…

मँहगाई पर रोक नहीं है
भ्रष्टाचार पर टोक नहीं है
मजहब में तुम फूट डालते
बिन उसके कोई वोट नहीं है.
मरता हुआ किसान बचाओ
बाघ हमारे खुद बच लेंगे
तुम तो हिन्दुस्तान बचाओ.nice...........................................................................................

Kulwant Happy ने कहा…

गुरूदेव आज कुछ अलग फॉर्म में नजर आए, पूरा जगत खंगोल दिया। हर बात सत्य है, लेकिन सत्य जानकर भी चुप हैं, यही बात बुरी है हम सब में। अगर हिन्दुस्तान बचाना है,

अगर किसान बचाना है
जवान और नौजवान बचाना है
तो जागना होगा रूह से, जमीर से और आत्मा से।

श्यामल सुमन ने कहा…

बड़ी खबर बन जाती चटपट बड़े लोग की खांसी भी
बेबस के मरने पर चुप्पी कैसी यहाँ मुखरता है

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

डॉ टी एस दराल ने कहा…

ये हुई ना बात ।
आइना दिखा दिया ।
क्रन्तिकारी लेख।
बधाई।

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

आप सोच रहे होगे कि मुझे कैसे पता कि १२४३ कनखजूरे बचे हैं, कैसे माने? हमने तो गिना नहीं, आपके कहने पर मान जायें?

बिल्कुल सही गिना आपने. हमने भी अपनी रिसर्च के दौरान इन्हें गिना था. हमारी गिनती मे १२४१ आये थे. शायद आपके गिनने के बाद २ मर गये थे.

रामराम.

ओम आर्य ने कहा…

तगड़ा बाघ मारा है समीर जी, सही है कनखजूरे की चिंता कौन करता है!

seema gupta ने कहा…

मँहगाई पर रोक नहीं है
भ्रष्टाचार पर टोक नहीं है
मजहब में तुम फूट डालते
बिन उसके कोई वोट नहीं है.
मरता हुआ किसान बचाओ
बाघ हमारे खुद बच लेंगे
तुम तो हिन्दुस्तान बचाओ.

"behd jordaar or stik vyang"

regards

Barthwal ने कहा…

वाह समीर साहब दो टूक और आहावन - लेकिन समझे कौन समझाये किसे?

Khushdeep Sehgal ने कहा…

सारे नेता एक बार शिप पर बैठकर पिकनिक के लिए जा रहे थे...

मौसम ख़राब हो गया...पानी में तूफ़ान के आसार हो गए...

तभी किसी ने कहा कि अगर शिप डूब गया तो क्या होगा...

शिप के कैप्टन ने कहा...

देश बच जाएगा...

जय हिंद...

Apanatva ने कहा…

१४११ का इतना हल्ला मचा है, इतना प्रोपोगांडा कि २६११ फीका पड़ गया.
sach baat.......

दुनिया का क्या हाल हुआ है
जंगल था जो मॉल हुआ है

भ्रष्टाचार पर टोक नहीं है
मजहब में तुम फूट डालते
बिन उसके कोई वोट नहीं है.
मरता हुआ किसान बचाओ



bahut sashakt rachana........

Apanatva ने कहा…

१४११ का इतना हल्ला मचा है, इतना प्रोपोगांडा कि २६११ फीका पड़ गया.
sach baat.......

दुनिया का क्या हाल हुआ है
जंगल था जो मॉल हुआ है

भ्रष्टाचार पर टोक नहीं है
मजहब में तुम फूट डालते
बिन उसके कोई वोट नहीं है.
मरता हुआ किसान बचाओ



bahut sashakt rachana........

Dev ने कहा…

बिल्कुल सही कहा आपने ..........गरीबों कि सुनने वाला भी गरीब का खून चूस कर सुनता है .....बहुत बढ़िया लेख और रचना

नीरज मुसाफ़िर ने कहा…

बाघ हमारे खुद बच लेंगे
तुम तो हिन्दुस्तान बचाओ.
...
सही बात है। हिन्दुस्तान ही नहीं बच रहा तो बाघ क्या खाक बचेंगे?

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

होली पर भिगो-भिगोकर और रगड़-रगड़कर रंग लगाया है। बहुत ही उम्‍दा व्‍यंग्‍य है। बस कनखजूरे की तस्‍वीर से डर लग गया। बचपन में भी यही डराते रहे और आज फिर आपने डरा दिया। हिन्‍दुस्‍थान हमारी धरती है और कनखजूरे बने नेता और नौकरशाह इस धरती को खोखला कर रहे हैं। इनकी संख्‍या कम नहीं हो सकती। एक मरेगा तो दस जन्‍म लेंगे।

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

"अरे, गायब हो जाने दो..काश, पूरे ५४२ लापता हो जायें एक बार में तो कुछ राहत हो १२० करोड को. लेकिन बड़ों को कैसे लापता होने दें. "

काश , हे प्रभू !!!!!!!!!!!!!!

Parul kanani ने कहा…

mamta benarji aur sachin ki tarah aaj to aapne bhi danka baja diya..hehehehe

संगीता पुरी ने कहा…

आलेख से पूर्ण तौर से सहमत .. पहले इंसान बचाओ .. पहले हिंदुस्‍तान बचाओ .. बाघ खुद ब खुद बच जाएंगे .. और आप कह रहे हैं तो हम मान लेते हैं कि आज १२४३ कनखजूरे ही बचे होंगे!!

Shrikant Dubey ने कहा…

शानदार सर. बधाई!!!

श्रीकांत

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

एक शरीफ़ आदमी डाकू से बोला भइया ज़रा मेरी बंदूक का ध्यान रखना...

Amitraghat ने कहा…

"सटीक व्यंग मज़ा आया..."
प्रणव सकसैना amitraghat.blogspot.com

संजय बेंगाणी ने कहा…

लगातार अभियान से जागृति तो आती ही है. जब तक आदमी की आबादी पर नियंत्रण नहीं लगेगा, छोटा बड़ा जानवर कोई भी नहीं बचेगा.

ठाकुर पदम सिंह ने कहा…

आप सोच रहे होगे कि मुझे कैसे पता कि १२४३ कनखजूरे बचे हैं, कैसे माने? हमने तो गिना नहीं, आपके कहने पर मान जायें?
.....अभी तो आपने एक तरह के कन खजूरे की बात की है there are two type of 'kankhajoora' in the world एक तो गटर में पाया जाता है .. और दुसरे समाज मी पाए जाते हैं ... उन पर भी कभी कुछ गौर फरमाया जाया हुज़ूर

Harshkant tripathi ने कहा…

बहुत खुब। एक्दम खरी-खरी सुना डाला आपने। बहुत दिन बाद आपके ब्लोग पे आने क मौक मिला,अच्छा लगा.........

दिगम्बर नासवा ने कहा…

मँहगाई पर रोक नहीं है
भ्रष्टाचार पर टोक नहीं है
मजहब में तुम फूट डालते
बिन उसके कोई वोट नहीं है...

सही जगह चोट करी है समीर भाई .... सब कुछ अपने आप बच जाएगा अगर इंसान अपनी इंसानियत बचा ले .... गहरे क्षोब से उपजी है आपकी ये पोस्ट .....

रश्मि प्रभा... ने कहा…

कई बार सोचता हूँ कि टाइगर बचाओ अभियान भी वैसा ही तो नहीं. मात्र १४११ बचे हैं. कौन जाने कितने बचे हैं, यहाँ तो एक दिख जाये तो गिनती भूल जायें फिर १४११ गिनना, वो तो शूरवीर ही होगा जो गिन पाये.

बेजोड़.....क्या मस्त लिखा है, मुझे तो इतना मज़ा आया कि क्या कहूँ......करार व्यंग्य, ओह - सबकी पगड़ी उतार दी. माँ को सुनाया , बच्चों के आने की प्रतीक्षा है......

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

दुनिया का क्या हाल हुआ है
जंगल था जो मॉल हुआ है
बिजली पानी को रोते है
हाल यहाँ बेहाल हुआ है.
पहले तुम इन्सान बचाओ
बाघ हमारे खुद बच लेंगे
तुम तो हिन्दुस्तान बचाओ
कमाल का धारदार व्यंग्य.

alka mishra ने कहा…

अरे, गायब हो जाने दो..काश, पूरे ५४२ लापता हो जायें एक बार में तो कुछ राहत हो १२० करोड को

आपने तो मेरे मन की बात कह दी
होली की ढेर सारी रंगीन शुभ कामनाएं

shikha varshney ने कहा…

वाह ! एक के बाद एक पंच जबरदस्त्त... सच ही भिगो भिगो कर मारा है...और कविता तो cherry on the top .

निर्मला कपिला ने कहा…

अरे, गायब हो जाने दो..काश, पूरे ५४२ लापता हो जायें एक बार में तो कुछ राहत हो १२० करोड को. लेकिन बड़ों को कैसे लापता होने दें.
वाह कितने पते की बात कही अगर ये हो जाये तो सारे टँटे ही खत्म हो जायें ----
रे अरे ओ अरे अभागे
माता को नीलाम किया है
लुटता हुआ ईमान बचाओ
बाघ हमारे खुद बच लेंगे
तुम तो हिन्दुस्तान बचाओ.
कितनी सही बात कही है। आज जरूरत सिर्फ देश को और आदमी के इमान को बचाने की है। सही सन्देश देती रचना धन्यवाद

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत सार्थक पोस्ट है....भूमिका और कविता दोनों ही लाजवाब....

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

चरित्र होगा तो इंसान बचेगा। चरित्र होगा तो बाघ बचेगा। चरित्र होगा तो धरती बचेगी।

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

समीर लाल जी, आदाब

मँहगाई पर रोक नहीं है
भ्रष्टाचार पर टोक नहीं है
मजहब में तुम फूट डालते
बिन उसके कोई वोट नहीं है.
मरता हुआ किसान बचाओ
बाघ हमारे खुद बच लेंगे
तुम तो हिन्दुस्तान बचाओ.

दिल को छू गया हास्य व्यंग्य से गंभीर मुद्दे तक का सफ़र

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत खूब. बहुत उम्दा व्यंग्य और उतनी ही बढ़िया कविता.

रंजना ने कहा…

इंसानो और बाघ में यही तो अंतर है कि बिना रहने और खाने की चिंता किये बाघ बच्चे पैदा नहीं करता.

क्या बात कही आपने....मैं तो कायल हो गयी....

एकदम सही कहा आपने...मानवता जो रोज मर रही है,कराह रही है,उसे यदि बचा लिया तो बाकी सब अपने आप बच जायेंगे...

सदा ने कहा…

बहुत ही बेहतरीन लिखा है आपने,आभार ।

Sunita Sharma Khatri ने कहा…

आपने ठीक लिखा हिन्दुस्तान बचाओ,यह बच गया तो सब बच जायेगा नदी,धरती,ग्लेशियर,प्रकृति।

KK Yadav ने कहा…

एक ही पोस्ट में बहुत कुछ समेट लिया आपने...शब्दों की धार मारक है..बधाई.

KK Yadav ने कहा…

_______________
शब्द सृजन की ओर पर पढ़ें- "लौट रही है ईस्ट इण्डिया कंपनी".

नीरज गोस्वामी ने कहा…

समीर जी इस पोस्ट के लिए मैं खड़े हो कर आपके सम्मान में तालियाँ बजा रहा हूँ...बेहतरीन बात कही है और वो भी पूरे होश हवास में सच्चाई के साथ...लेकिन संसद में बैठे इन महानुभावों को वहां पहुँचाया किसने...ये प्रश्न भी विचारणीय है...
नीरज

शशांक शुक्ला ने कहा…

गजब का व्यंग किया है,लेकिन अफसोस अब भी नहीं समझेंगे लोग

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

sateek sunder kavyatmak vyangya.behatareen/lajawaab.

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

साहब कनखजूरे ही तो बचे हैं.

कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹 ने कहा…

समीर दद्दा जी ,आपके प्रयासों से लोग सचमुच बाघों के बारे में जरूर सोचने को मजबूर होंगे । लेकिन यह नही पता किन बाघों के बारे में ..जंगल वाले ...या 542.??..सुंदर रचना ..

समय चक्र ने कहा…

सटीक सुन्दर व्यंग.. बहुउद्देशीय पोस्ट..बहुत कुछ लपेटा है ... आभार

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

समीर जी,बहुत सटीक व बढ़िया पोस्ट लिखी है...बहुत बहुत बधाई।
लेकिन यह महानुभव तो आँखों में हरा चशमा पहने और कानॊ मे तेल डाले बैठे हैं...इन पर कोई असर होगा ...यह कहना बहुत मुश्किल है....अब तो भगवान भी हाथ खड़े कर देगा हिन्दुस्तान को बचाने के लिए..सब से पहले तो इंसान को इंसान बनाना होगा...तभी कुछ उम्मीद की जा सकती है.

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

बहुत धार है ठाकुर इस कलम मे,
एक दम चीर कर रख दिया।
लेकिन कुछ भी बचाने के लिए
"चरित्र" होना चाहिए, वो हमारे
नेताओं के पास नही है।:)

जय हिंद
है्प्पी होली

डॉ महेश सिन्हा ने कहा…

वो क्या नाम है उसका , उसको बचा के ही इस लिए रखा है, कि भाई हमारा धन्यवाद जो हमें जान बख्स
दी वरना दरवाजे तक तो आ ही गए थे

शेफाली पाण्डे ने कहा…

bahut badhiya kataaksh kiya hai....ham bhi kankhazoore gin kar aate hain..

राज भाटिय़ा ने कहा…

समीर जी दो बच्चो के दो गुर्दे एक नेता को लगाये गये, जब कि उस नेता कि कोई जरुरत नही वेसे ही भारत मै काफ़ी जोकर है,एक गुर्दे से भी काम चल सकता था, ओर उस के चमचो ने एक भी गुर्दा उसे नही दिया.... अब वहा आप बाघ को केसे बचायेगे, लगता है आप ने पुरी सर्दियो मै इस जुते को बाहर रखा ओर आज मोसम बदला तो कही सूख ना जाये इस लिये खींच कर मारा इन गुंडो पर... लेकिन यह तो पहले ही आदी हो गये है , ओर जो नंगे हो उन्हे कब शर्म आती है जी

Manish Kumar ने कहा…

टीवी पर बार बार इस मुहिम पर प्रचार आता देख वही भावनाएँ आ रही थीं जो आपने कही हैं। अगर जागरुकता बढ़ानी ही है तो ये प्रचार इस समस्या को दूर करने के उपायों पर होना चाहिए। बाकी ज्यादा जरूरी मुद्दों पर हाथ डालना तो इनके अपने गले पर हाथ डालना जैसा है इसलिए उस पर चूँ भी नहीं करते।

Ghost Buster ने कहा…

भली सी एक पोस्ट, बेमतलब की टिप्पणियों के बोझ तले कराहती हुई.

प्रिया ने कहा…

Jab mudda desh ke haalat ka ho....to kalam ke lekhan ke jauhar ki kya prashansa karna...Ye to har hindustaani ke dil ki aag hai jo babas hai kuch na kar paane ke kaaran....ye bebasi bahut satati hai...Lekhan kaushal ke tareef nahi karenge sir....lekin ye maansik peeda bahut satati hai aksar

डा.अरविन्द चतुर्वेदी Dr.Arvind Chaturvedi ने कहा…

चोरी पकड़ो उसको मारो,
दुश्मन हो तो कपडे फाड़ो
दबा के पीसो आतंकी को
भ्रष्टाचारी से मत हारो,
निर्दोषों की जान बचाओ
बाघ हमारे खुद बच लेंगे
तुम तो हिन्दुस्तान बचाओ

जय हिन्द

दिलीप कवठेकर ने कहा…

हिन्दुस्तान बचाओ.

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

मँहगाई पर रोक नहीं है
भ्रष्टाचार पर टोक नहीं है
मजहब में तुम फूट डालते
बिन उसके कोई वोट नहीं है.
मरता हुआ किसान बचाओ
बाघ हमारे खुद बच लेंगे
तुम तो हिन्दुस्तान बचाओ

कमाल्! तारीफ के लिए यदि इस से बढकर कोई ओर शब्द मिलता तो शायद मैं उसी का प्रयोग करता। यहाँ इन्सानियत मरी जा रही है ओर ये लोग बाघ बचाने में जुटे हैं....

Rahul Rathore ने कहा…

सार्थक एवं स्पष्ट बात कही है आपने

"बीच शहर में चार पेड़ लगाकर फोटो खिंचवा कर अखबार में छपवा लेते हो, उसमें से एक उगता है"

दिनेश शर्मा ने कहा…

सही कहा । सच कहा । साधुवाद !

Rohit Singh ने कहा…

ऐसा कुछ खास नहीं था....चिठ्ठाजगत से एक मेल आया था....उसी में लिखा था की 28 तारिख तक कुछ लिखें....पर प्रतियोगिता के पैसे जितने के लिए नहीं लिखा....बस वादा किया था..लिखने का इसलिए लिखा...

पर सर मैने पूरा पोस्ट लिखा था पर आपकी नजर सिर्फ आखिरी लाइन पर पड़ी....मेरा दुर्भाग्य...

Rohit Singh ने कहा…

वाह आज तो किस्मत चमक गई...दो बार उडन तश्तरी उतरी मेरे ब्लॉग पर क्या बात है....आप ने पुरी पोस्ट पड़ी..जानकर काफी अच्छा लगा....

राम त्यागी ने कहा…

very nice ....you said everything trough few paragraphs...Jai Ho

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

देश के विचित्र चित्र के बीच से कुछ बातें जो बिल्कुल सटीक बैठती है..बढ़िया व्यंग जो सार्थक विचारों को प्रस्तुत करते हुए आगे बढ़ती है और कविता भी बेहतरीन सत्य है अगर हम इंसान को बचाने और उसे सुधारने का प्रयास करे तो सब कुछ ठीक हो जाएगा....समीर जी बहुत बढ़िया रचना.... होली की अग्रिम शुभकामनाएँ..

drsatyajitsahu.blogspot.in ने कहा…

यही तो आपके लेख का आनंद है

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } ने कहा…

व्यग्य नही यह दिल मे दबी बाते है जो आपने शब्दो के द्वारा उकेरी . कितना सच है यह . एक डाक्टर जो अपना जीवन गरिबो की सेवा मे गुजारता है उसे कुछ नही मिलता और एक विदेशी डाक्टअर जो प्रधानमंत्री के घुट्ने बदलता है उसे पदम विभुषण मिल जाता है ........... भारत मे आज भी राजशाही है लेकिन समवोधन बदल दिया गया है .
सच मे आज का लेख मुझे आज तक के आपके लिखे गये लेख जो मैने पढे है सबसे अच्छा लगा

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

हमेशा की तरह लाजवाब।
'संवाद सम्मान' हेतु हार्दिक बधाई।

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

आदरणीय.... समीरजी.... देरी से आने की माफ़ी चाहता हूँ... यह व्यंग्य बहुत शानदार लगा.... अदाजी से सहमत हूँ....

सादर

महफूज़....

amarpal singh verma ने कहा…

shaandaar...

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।।
--------
कुछ खाने-खिलाने की भी तो बात हो जाए।
किसे मिला है 'संवाद' समूह का 'हास्य-व्यंग्य सम्मान?

girish pankaj ने कहा…

srijansheel vyakti ke peechhe-peechhe chalate hai. samman aap usee tarah ke sarjak hai. mai hairat me pad jataa hoo, yah dekh kar ki ek aadami poori duniyaa (blogs) mey apni iatani sakriyata kaise dikha leta hai? kaam bhi karata hai, likhata hai, behisaab tippaniyaa bhi karta hai? pataa nahi sota hai ki nahee. sota hai to kitane ghante..? mujhe sameerlaal se badee prerana mil rahee hai. badhai iss sakriy sarjanaatmakataa ko...

अमिताभ श्रीवास्तव ने कहा…

waah.., shbdo ke ese teer.., nishaane par sidhe ke sidhe...kaash yadi shabdo kaa olympic ho to aapka gold pakka he../

Asha Joglekar ने कहा…

बाघ हमारे खुद बच लेंगे
तुम तो हिंदुस्तान बचाओ
बिलकुल सही कहा .
आतंकवादी प्रोजेक्ट कराची लेकर तैयार हैं और गृह मंत्री कहते हैं कि अब तक कोई हमला नही हुआ तो यह हमारी किस्मत है । किस्मत खराब हुई और पुणें कांड हो गया । किस्मत पर ही सब छोडना है तो आप का क्या अचार डालें ?

मथुरा कलौनी ने कहा…

समीर जी
सोदेश्‍य और सटीक व्‍यंग्‍य।
शब्‍दों के चयन में तो आपको महारथ हासिल है ही।

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) ने कहा…

मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!सॉरी समीर जी मैं इसे व्यंग्य नहीं कह सकता,बल्कि यह तो इक तड़प है तड़प...जो हम सबके मन में है जिसे कोई किसी रूप में कहता है,कोई किसी रूप में तो कोई तो कुछ कहता ही नहीं....कि हमारे कहने से भी भला क्या होगा...अरे होता क्या है...मगर कुछ जो अपने भीतर से तड़प रहा होता है...वो हमारे कहने से निकल तो जाता ही है हमारे भीतर से...और सच तो यह भी है कि बदलता भी कुछ-न-कुछ तो अवश्य ही है...बेशक छटांक-छटांक ही सही मगर यह छटांक-छटांक गले से ऊपर आ जाता है तब फूटता है लोगों में एक अथाह गुसा.....जो आने वाले दिनों में दिखाई देने वाला है भारत के समूचे लोगों में.....!!

Manish ने कहा…

जरा बताना बाघ बचा कर करोगे क्या? खेत में हल जुतवाओगे कि नेता जी की तलाश में भेजोगे??
:) :)
इंसानो और बाघ में यही तो अंतर है कि बिना रहने और खाने की चिंता किये बाघ बच्चे पैदा नहीं करता.
:) :) :)

मजा आ गया… सुबह सुबह हँसने का सौभाग्य मिला।
आपके ऐसे आइटम्स को देखने के लिये ही मैंने अपना पेट काटकर 3G मोडेम लिया है। :) (अपने लिये भी… :) ) अब इलाहाबाद यूनिवर्सिटी ब्लागर block करे या आर्कुट, लेकिन इधर से आपके लिये शब्दों का फ्लो कभी block नहीं होगा।

Pawan Nishant ने कहा…

dhanybad, holi per aap brijbhoomi ki tarah phoolon ki holi khelen. shubhkamnayen.

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

वाह वाह..... क्या गणना है आपकी और ताऊ जी की .....देखिये खुशदीप जी ने फिर बचा लिया देश .....!!

kshama ने कहा…

Holee kee anek shubhkamnayen!

रवीन्द्र प्रभात ने कहा…

आप और आपके परिवार को होली की शुभकामनाएँ...

डॉ महेश सिन्हा ने कहा…

ह ह हा हा हा
मनीष ने आइटम बना दिया आपको
हंसी रुक नहीं रही

बुरा न मानो होली है

दिगम्बर नासवा ने कहा…

आपको और आपके समस्त परिवार को होली की बहुत बहुत शुभ-कामनाएँ ......

surya goyal ने कहा…

समीर जी सबसे पहले मेरा प्रणाम स्वीकार करे. जैसे-जैसे आपके लेख पढता जा रहा हूँ वैसे-वैसे आपकी लेखनी और भावनाओ का कायल होता जा रहा हूँ. अब इस लेख के लिए क्या कहूँ. एक साथ अनेको मुद्दे परत दर परत जैसे आपने खोले है उसके लिए बधाई. अगर अपनी भाषा हरियाणवी में कहूँ तो बासगाड़ दिए श्री मान.

बेनामी ने कहा…

"तूने कैसा काम किया है
संसद को बदनाम किया है
अरे अरे ओ अरे अभागे
माता को नीलाम किया है
लुटता हुआ ईमान बचाओ
बाघ हमारे खुद बच लेंगे
तुम तो हिन्दुस्तान बचाओ."
बहुत बहुत सुंदर समसामयिक और सच्चे सन्देश देती शानदार रचना - होली की हार्दिक शुभकामनाएं

شہروز ने कहा…

आप सभी को ईद-मिलादुन-नबी और होली की ढेरों शुभ-कामनाएं!!
इस मौके पर होरी खेलूं कहकर बिस्मिल्लाह ज़रूर पढ़ें.

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

बड़े आदमी की पूछ है, छोटे को कौन पूछे....तभी लोग हम बच्चों को नहीं पूछते.

*********************
रंग-बिरंगी होली की बधाई.

naresh singh ने कहा…

बहुत जानदार बात कही है | बाघ और मनुष्य का जो फर्क आपने बताया वो हकीकत का आईना है |

Arun sathi ने कहा…

मँहगाई पर रोक नहीं है
भ्रष्टाचार पर टोक नहीं है
मजहब में तुम फूट डालते
बिन उसके कोई वोट नहीं है.
मरता हुआ किसान बचाओ
बाघ हमारे खुद बच लेंगे
तुम तो हिन्दुस्तान बचाओ.


समाज को प्रेरित करने वाला।

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

जन-जन के आक्रोश की सफल अभिव्यक्ति.

पंकज ने कहा…

मारक.

PRAN SHARMA ने कहा…

Sameer jee,aapkaa ek-ek shabd
saarthak hai ,gadya kaa ho yaa padya kaa
Holi aap sab ke liye umangon
bharee ho.

Dr. Shashi Singhal ने कहा…

उड़न तश्तरी उड़ चली सम्मान के पंख लगाकर ,
कामना है इसकी उडा़न निरंतर चलती रहे
और हम सबको अपने व्यंग्य बाणों से गुदगुदाती रहे .....
समीर जी बधाई हो और होली की बहुत - बहुत शुभकामनाएं स्वीकार करें,,,,

M VERMA ने कहा…

मजहब में तुम फूट डालते
बिन उसके कोई वोट नहीं है.
मरता हुआ किसान बचाओ
सार्थक रचना
मिसाल नहीं, जमीनी सोच और हर सोच सोचनीय

Smart Indian ने कहा…

विचारणीय प्रश्न.
होली की हार्दिक शुभकामनाएं!

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

आपने तो कलई ही खोल दी...बेहद प्रभावी व अर्थपूर्ण पोस्ट...होली की शुभकामनायें !!

Vivek Ranjan Shrivastava ने कहा…

हो न फिर फसाद , मजहब के नाम पर
केसर में हरा रंग मिले ,इस बार होली में !

छूटे न कोई अरमान , रंग इस तरह मलो
छेड़ो रगों में फाग , इस बार होली में !
happy holi sir ji

बेनामी ने कहा…

दुनिया का क्या हाल हुआ है
जंगल था जो मॉल हुआ है
बिजली पानी को रोते है
हाल यहाँ बेहाल हुआ है.
पहले तुम इन्सान बचाओ
बाघ हमारे खुद बच लेंगे
तुम तो हिन्दुस्तान बचाओ.

i loved the lines

Prem Farukhabadi ने कहा…

होली की शुभकामनाएं

saurabh ने कहा…

sir apne to itne kam shabdo mein sari samsyaye aur unke samadhan vyangatamak tarike se prastut kiya...adbhut...dhanyvad.

saurabh ने कहा…

sriman....
khoobsurat tarike se hindustan bachane ki apil....aur vyangatamak tarike se sabhi samkalin samsyaon ka varan aur samadhan.....
adbhut....dhanyawad

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

होली की बहुत-बहुत शुभकामनायें.

Urmi ने कहा…

आपको और आपके परिवार को होली पर्व की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!

Alpana Verma ने कहा…

क्या बात है!
उम्दा व्यंग्य व्यंग्य!
बहुत अच्छी प्रस्तुति .
****रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाये****

Amitraghat ने कहा…

"होली की ढेर सारी शुभकामनाएँ......."

प्रणव सक्सैना
amitraghat.blogspot.com

प्रकाश पाखी ने कहा…

आधे लाख पाठक हो जिसके
लिखे एक पे एक कसके
हर पोस्ट पे सौ सौ टिप्पणी
करे सहन मजाक हंसके

रात मंडराए खिड़की पर
नहीं तनिक मैं डरी,
का सखी साजन?
नहीं उड़न तश्तरी!

होली की हार्दिक शुभकामनाए !

अमृत कुमार तिवारी ने कहा…

बाघ हमारे खुद बच लेंगे
तुम तो हिन्दुस्तान बचाओ.

बिल्कुल सही कहा साहब....

आपको और आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभ कामना....

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत खूब, लाजबाब !

ज्योति सिंह ने कहा…

मँहगाई पर रोक नहीं है
भ्रष्टाचार पर टोक नहीं है
मजहब में तुम फूट डालते
बिन उसके कोई वोट नहीं है.
मरता हुआ किसान बचाओ
बाघ हमारे खुद बच लेंगे
तुम तो हिन्दुस्तान बचाओ
zabardast likhe hai aap ,sach ke saath wo bhi ,holi ki mubarakbaad abir ke saath

शरद कोकास ने कहा…

कनखजूरा के बहाने यह एक जायज चिंतन है ।

Himanshu Pandey ने कहा…

बेहद खूबसूरत प्रविष्टि !
आपका कहना सही है
कि ’वन बचेंगे तब न बाघ बचेंगे !’
कि ’बाघ बचा कर करोगे क्या? खेत में हल जुतवाओगे कि नेता जी की तलाश में भेजोगे??’

बाद की कविता तो तस्वीर-सी है ! सब कुछ दिखता है ! आभार ।
होली की हार्दिक शुभकामनायें ।

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

आज होली के समय
न ब्‍लॉग बचे हैं
न सजी हैं पोस्‍टें
टिप्‍पणियां भी
नहीं बरस रही हैं
अजब दशा है यह
यह हाल क्‍या हुआ है यारो
कोई तो इस मुश्किल से
हिन्‍दी ब्‍लॉगरों को बचा लो।

कडुवासच ने कहा…

"बाघ हमारे खुद बच लेंगे
तुम तो हिन्दुस्तान बचाओ"
...बहुत खूब,जबरदस्त !!
...होली की लख-लख बधाईंया व शुभकामनाएं !!

डॉ टी एस दराल ने कहा…

होली का हुडदंग
हुडदंग में रंग
रंगों में उमंग
उमंगों की बौछार
मुबारक को आपको
होली का त्यौहार ।


होली की हार्दिक शुभकामनायें।

डॉ० डंडा लखनवी ने कहा…

लाल साहब ! आपने कल आने वाले ख़तरों के प्रति देश को आगाह किया है। आपकी दूरदर्शिता को प्रणाम। होली मुबारक हो.............. एक टप्पा आपको नजराना हाजिर है।

होली का त्योहार अनोखा, है सबसे रंगीन|
भाभी जी से मिले विटामिन, साली पोटीन||
कि मैं कोई झूठ बोलिया!

डॉ महेश सिन्हा ने कहा…

होली की शुभकामनाएँ

शशांक शुक्ला ने कहा…

सभी को होली की शुभकामनायें,

Satish Saxena ने कहा…

होली पर सादर शुभकामनायें !

sandhyagupta ने कहा…

Baat pate ki hai!

Vivek Gupta ने कहा…

होली की हार्दिक शुभकामनाएं

राजेश उत्‍साही ने कहा…

समीर जी मैं भी एक कनखजूरा हूं

आधा नहीं बिलकुल पूरा पूरा हूं

आपने क्‍या जबरदस्‍त व्‍यंग्‍य किया है
सोते हुओं की निद्रा को भंग किया है।

।।होली की शुभकामनाएं।।

vikram7 ने कहा…

आप व आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें

डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह ने कहा…

Bhai ji ,aap ke samajik sarokaar aur anubhutiparak satya ke darshan hote hai aapki kavita mey .
Aapke sneh ke liye hardik aabhar dhanyavad ,HOLI KI HARDIK SHUBHKAMNAYEN.sader aapka hi bhoopendra
jeevansandarbh.blogspot.com

dipayan ने कहा…

A very good one, indeed.
Wishing you and your family a very happy holi.

अपूर्व ने कहा…

सर जी अच्छे से पिटाई की है आपने..कि एक बाघ क आगे इंसानी अक्ल को पानी भरवा दिया है..पता चल गया कि बाघों मे नसबंदी क्यों नही होती...खैर होली के अवसर पर कनखजूरों की फ़िक्र करने के लिये ब्लॉगिंग के एक कनखजूरे की तरफ़ से आपको साल भर लंबी पूँछों वाली शुभकामनाएँ :-)

रानी पात्रिक ने कहा…

बहुत खूब...सरल शब्द बड़े भाव।

Satyendra PS ने कहा…

bahut behtareen udgaar. Aam logo ki awaj uthai hai aapne

Astrologer Sidharth ने कहा…

कनखजूरे वास्‍तव में इतने ही बचे हैं... मुझे फिर से चिंता होने लगी है... दरअसल मुझे केवल चिंता करने की बीमारी है... कुछ करने की नीयत बिल्‍कुल नहीं है... कसम से।

बवाल ने कहा…

चीर दो फ़ाड़ दो काट डालो भाई ये दिल ही तो है। हाय क्या और क्या लिख देते हैं हमारे लालाजी। कोई जवाब ही नहीं यार। ओहो। ये भूतनाथ बजा फ़रमाते हैं कि ये तंज़ नहीं तड़प है। हाँ ये तड़प ही है। कुछ वही जो आपके लिए हमारे हमारे दिल में है। आह। बहुत याद आ रही है आज लाल की बवाल को।

ZEAL ने कहा…

after reading above two posts of yours , i was thinking which class i belong to?

I do have horns on my head but do i qualify to be categorized as Elite?

Smiles !

And when i found you living in past with tears of that beautiful angel...i started thinking ..thank God you didn't bless me with stupid heart that beats unnecessarily at the mere sight of macho men or the beautiful dames.

Coming back to this post of yours....Indeed a wonderful and soul stirring post. We ought to know our responsibilities towards society.

The mob is busy selfishly..."aag lage saare gaon mein"

hmm...Pathetic !

We need more such posts to bring us back to the ground level and realize the happenings around us.

Why are we all growing so insensitive?

looking forward for more such posts.