उस दिन जब मंदिर से निकला तो तुम्हारी कार बिल्कुल मेरे कार के पीछे पीछे निकली.
एक ही हाईवे भी लेना था. मेरी कार आगे आगे और तुम्हारी पीछे.
मैं साईड मिरर से तुम्हें साफ साफ देख पा रहा था. साईड मिरर का मानो ऐसा एंगल सेट हो गया था कि बस तुम्हारी ड्राइविंग सीट को कवर करने के लिए ही लगा हो.
कितनी दूर तक यही सिलसिला चलता रहा. मेरी नजर बार बार साईड मिरर पर जाती और उसमें मुझे तुम, न जाने क्या सोचती, गाड़ी चलाती नजर आती.
क्या पता तुम मुझे देख पा रही थी या नहीं. तुम्हारी नजरों से तो ऐसा नहीं लगता था. तुम जाने किस सोच में डूबी थी.
फिर तुम्हारे घर की तरफ जाने वाली रोड पर तुम मुड़ गई थी और मैं अपने घर जाने के लिए सीधा हाईवे पर चलता रहा.
याद है मुझे, जब मैने तुम्हें पहली बार देखा था. कितना बदल गया था मैं उस दिन के बाद से. जिन्दगी के मायने बदल गये थे और मैं तो मानो मैं रह ही नहीं गया. तुम तो इस बात को जानती भी नहीं.
जाने क्यूँ, उस वक्त के बाद से, जब से तुम हाईवे छोड़ कर अपने घर की तरफ मुड़ी, मेरी कार का साईड मिरर भी साईड मिरर नहीं रह गया, वो एक फोटो फ्रेम हो गया है. जब भी उसमें देखता हूँ मुझे बस तुम नजर आती हो-न जाने क्या सोचती, गाड़ी चलाती.
सोचता हूँ, दर्पण तो ऐसे नहीं होते है?
फिर सोचता हूँ, मैं भी ऐसा कहाँ था?
जानता हूँ सिर्फ साईड मिरर में देखकर न तो सड़क वाली गाड़ी चलाई जा सकती है और न ही जिन्दगी की. इन खुशनुमा अहसासों को संग लिए हमें आगे देखना होता है. आगे चलना होता है.
सब कुछ कितना बदल सा जाता है
जब भी तेरा चेहरा नजर आता है..
शाम फिर चाँद को झील मे छुपते देखा है.
-समीर लाल ’समीर’
120 टिप्पणियां:
क्या बात है अंकल कलेजा चीर के रख दिया आज तो आपने... इस उम्र में भी इतने रोमांटिक राज़ क्या है :)
ये कमेन्ट नहीं कोम्प्लिमेंट है...........
सार्थक जिन्दगी जीने का एक गहरा संदेश दे रही है यह आपकी कालजयी कथा.
आप इसे लघु कथा कहें, आपकी मर्जी मगर मेरी नजर में तो यह एक ग्रंथ है.
कितने भविष्य बिगड़े हैं इसी साईड मिरर में ताकते जीने को अभिशप्त हुए.
आपकी इस रचना के लिए आपको सादर नमन.
गाडी सिर्फ़ साईड मिरर पर नज़र रखकर नही चलायी जा सकती पर साईड मिरर पर भी गाहे-बगाहे नज़र डालते रहने से गाडी अच्छी तरह से चलेगी (स्मूथली).
उपरोक्त कथन सिर्फ़ विचार है. अमल करने के लिये बाध्यता नही है.)
वैधानिक चेतावनी : सडक पर निगाह जरूर रखे. दुर्घटना की सम्भावना है.
फिर वही बिछड़ने की बातें ,फिर वही मुड़कर पीछे देखना -फिर वही बेकस यादें -खुद रोईये और हमें भी रुलाते रहिये ! यह तो कोई बात न हुई !
कल्पनाओं की थाली में सजा आपका संस्मरण सुन्दर लघु-कथा के रूप मे अपनी छटा बिखेर रहा है।
कुछ इसे बढ़ती उम्र का रोमांस भले ही कहें मगर
ऐसी अनेभूतियों से ही तो साहित्य की संरचना होती है।
धनतेरस, दीपावली और भइया-दूज पर आपको ढेरों शुभकामनाएँ!
आगे भी जाने न तू
पीछे भी जाने न तू
है बस इक यही आरजू...
दीवाली आपके और घर पर सभी के लिए मंगलमयी हो...
जय हिंद...
ये सब बातें छोडिये सच सच बताईये कि भौजी को एतना काहे कि लिये मक्खन मार रहे हैं भोरे भोरे। जो भी हो ई आप जो हैं न ई आइडिया सब दे दे के बचवा सब को एक दम टना टन कर दे रहे हैं। साईड मिरर ...हमरे सायकिल में होता न..त जलेबी अरे हमरी किलास सहेली जी...आज हमरे साथ होती और उके लाल गोपाल हमरे कैरियर पर..अजी सायकिल के ..बैठ के घूम रहे होते...हां ई हाईवे ...हमरे इहां भी होता है ..मुदा गढा ई में भी होता है छोडिये..बकिया..ई चांद झील में छुपता है न पकिया...फ़िजा को कह दें न। एक दम सेंटी कर देते हैं आप। श्रीमती जी पढ लें ..तो पता नहीं का का कह दें..कि देखिये तो लोगबाग ब्लोग में भी अपने अपने प्यार के बारे में लिख रहे हैं एक आप है जो....जाय दीजिये। दिवाली आ रही है, एक ठो सुतली बम हमरे नाम पर फ़ोडियेगा।
ओ हो हो.....लगता है एकदम फुरसत में हो गुरूजी। बहुत बढिया।
तुम भी गाडी चलाओ
हम भी गाडी चलायें
चलती रहे यूँ हीं ट्राफिक
दीपावली शुभकामना !!!!
इन अनुभूतियों की राह मंदिर की राह से ही निकलती है न!
गजब लिख दिया आपने - "जानता हूँ सिर्फ साईड मिरर में देखकर न तो सड़क वाली गाड़ी चलाई जा सकती है और न ही जिन्दगी की."
संवेदना के तार तो झनझना ही गये । आभार ।
क्या बात है समीर? सब ठीक है न? ;-)
मान गए जनाब साइड मिरर पर बड़ी पैनी निगाह रखते है आप . हा हा
दीपावली पर्व की हार्दिक ढेरो शुभकामना
"जानता हूँ सिर्फ साईड मिरर में देखकर न तो सड़क वाली गाड़ी चलाई जा सकती है और न ही जिन्दगी की. इन खुशनुमा अहसासों को संग लिए हमें आगे देखना होता है. आगे चलना होता है"
वह, पूरा फलसफा और एक चेतावनी भी .......
"....बीते लम्हों की कसक....च..च..च...:)
यादें इसी तरह से सामने आतीं रहतीं हैं। कहते भी हैं कि दर्पण झूठ न बुलवाये।
सोचता हूँ, दर्पण तो ऐसे नहीं होते है?
ji darpan aise nahi hote par Darpan aisa hi hai....
..yaadon ko saath rakhne waala....
aur uske uppar 'chippi'
"Objects in mirror are nearer than they appear"
Nostalgia itna nazdeek to kabhi na tha...
treveni ka mausam aa gaya hai lagta hai....
:)
शुभकामनायें कुबूल करें !
अलमस्त
ऊपरी तौर एक शानदार रोमांटिक लघुकथा प्रतीत होती इस कालजयी रचना मे गहन संदेश छुपा हुआ है.
आजकल अक्सर देखने में आता है कि ज्यादातर नवयुवा अपने दोस्तों के साथ क्षणिक आवेगात्मक प्रेम का सहारा ले अपना सही जीवन बिगाड़ रहे हैं..
इस लघु कथा का मर्म बहुत दीर्घ है. नमन है आपको इस कालजयी लघुकथा के लेखन के लिये.
रामराम.
शुक्र है भारत में गाड़ी नहीं चला रहे थे (:
सब कुछ कितना बदल सा जाता है
जब भी तेरा चेहरा नजर आता है..
शाम फिर चाँद को झील मे छुपते देखा है.
बेहद ह्रदय स्पर्शी.....................
regards
waah side mirror ki tasveer mein ruh bas gayi,sunder varnan ek chotese safar ka jo ek mod pe aakar zindagi ke mayane badal deta hai.
सुन्दर!! अब तो आपको एक साइड मिर्रर और लगाने की आवश्यकता पड़ सकती है! ताकि एक फ्रेम रहे दुसरा साइड मिर्रर ही रहे !!
क्या कभी वो जान पाएँगी की साईड मिरर में उनको देखा तो आपका ये हाल हों गया? गम्य तक पहुँचने के लिए आगे देख कर ही गाडी चलाई जा सकती है!!! धनतेरस, दीपावली और भइया-दूज की आपको ढेरों शुभकामनाये.
साइड मिरर को आपने मुख्य बना दिया इस लघु कथा के माध्यम से ....बहुत सुन्दर लघुकथा ....
यह एक लघुकथा है, या सत्यकथा!
लघु कथा में विराट-गाथा ........गज़ब.
सच कहा आपने ...अनजान रास्तों पर कई बार ऐसे चेहरे मिल जाते हैँ जिन्हें आप अपनी पूरी ज़िन्दगी में भुला नहीं पाते हैँ
वाह बंधू ,
बूढे भारत में भी आयी फिर से नयी जवानी है
दिल धडके तो बन जाती है छोटी कोई कहानी है .
:)
इन खुशनुमा अहसासों को संग लिए हमें आगे देखना होता है. आगे चलना होता है.
hmmmmmm......waaqai mein ant mein hamen yahi karna hota hai..........
bahut achchi lagi yeh kathaa.
आपकी इस रचना के लिए आपको सादर नमन.
saadar
Mahfooz.
आगे देखा तो मुख्य है ही लेकिन आस पास और पीछे की जानकारी भी जरूरी है।
कार मे तो नही पर हां यामाहा आर एक्स 100 के साईड मिरर मे पीछे आती चल मेरी लूना और स्कूटर पर सवार जानी-पहचानी सवारिरों पर ज़रूर नज़र जाती थी और जब तक़ उनकी गाडी न मुड जाये अपनी भी सीधे ही चलती थी।कार मे ऐसा करने का मौका ही नही मिला,देखेंगे एकाध दिन करके मगर शहर मे इतनी भीड रहती है कि साईड मिरर खोलना ही मुश्किल होता है और यंहा तो हाईवे पर लांग ड्राईव का कोई रोल ही नही है।बढिया पोस्ट दिल को छू लेने वाली।
आज ही साइड मिरर ठीक करवाता हूँ....
साइड मिरर लगता है आपकी पसंदीदा चीज है . पहले भी आप इसका उल्लेख कर चुके हैं :)
साइड मिरर लगता है आपकी पसंदीदा चीज है . पहले भी आप इसका उल्लेख कर चुके हैं :) . भारत में तो भीड़ भरी सड़कों में साइड मिरर बंद रखने पड़ते हैं .
अजी वो मंदिर से ही आप का पीछा कर रही है, ओर आप भी कम नही साईड मिरर तोबा तोबा... कोई फ़ोटू सोटू भी लगा देते...
बहुत सुंदर जी
आप को ओर आप के परिवार को दीपावली की शुभकामनाये
"जानता हूँ सिर्फ साईड मिरर में देखकर न तो सड़क वाली गाड़ी चलाई जा सकती है और न ही जिन्दगी की. इन खुशनुमा अहसासों को संग लिए हमें आगे देखना होता है. आगे चलना होता है."
आपने सब कुछ तो कहे दिया अब हम क्या कहे ?
आपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं !
अल्लाह ! इतने व्यस्त टाइम में एक पल रुक कर सोचने जैसा पोस्ट... गुस्सा कम कर रहा है धीरे -धीर... बेहतर अंकल...
कमाल हो गया, पहली बार आपके ब्लॉग पर इतनी छोट पढने को मिली है। यह देख कर बहुत प्रसन्नता हो रही है।
और हाँ, आपकी लघुकथा का सार बहुत ही सार्थक है। वाकई सार्थक रचना।
धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
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डिस्कस लगाएं, सुरक्षित कमेंट पाएँ
shaant sarowar me ek kankar yaadon ki......is par kuch kahna uthti lahron ko ojhal kar degi, bas mahsoos karna hai
कामनाओं की वर्तिका जलानी है .....
कुछ दीये खरीदने हैं,
कामनाओं की वर्तिका जलानी है .....
स्नेहिल पदचिन्ह बनाने हैं
लक्ष्मी और गणेश का आह्वान करना है
उलूक ध्वनि से कण-कण को मुखरित करना है
दुआओं की आतिशबाजी ,
मीठे वचन की मिठास से
अतिथियों का स्वागत करना है
और कहना है
जीवन में उजाले - ही-उजाले हों
बहुत बढ़िया..साइड मिरर तो रोमांटिक बना दिया ...अच्छा लगा आपका ये रूप भी...कितना प्यार भरा संस्मरण एक रोमांटिक कहानी.
धन्यवाद
साइड मिर्रोर से देखते हुवे ............ मन का प्रवाह जाने कहा निकल गया ............. खो गयी आपकी इस लघु कथा में समीर भाई ........
समीर जी प्रतीकों के माध्यम से बड़ी बात कही है । हमारा जीवन भी तो ऐसा ही है । इस जीवन यात्रा में कभी कभी ऐसा ही होता है कि साइड मिरर में देखा हुआ कोई चेहरा इस प्रकार से अंकित हो जाता है कि उम्र भर फिर साथ चलता है । यदि आपने पाकीजा फिल्म देखी हो तो उसमें भी तो वहीं होता है । मीनाकुमारी उसी अनजान को उम्र भर ढूंडती है जो पैरों के पास एक छोटा सा वाक्य लिख कर छोड़ जाता है कि आपके पैर देखे, बहुत सुंदर हैं, इन्हें जमीन पर मत रखियेगा, मैले हो जाएंगें । हम सब भी उसी की तलाश करते हैं । ये भी सच है कि जीवन साथी के प्रति हम उतने ही सजग होते हैं अपना शत प्रतिशत देते हैं किन्तु फिर भी एक चेहरा कहीं कोई होता है जिसको हम बसाये रहते हैं । व्ही शांताराम की फिल्म नवरंग का नायक भी तो यही तलाशता है ।
तो ऐसा लग रहा है बिखरे मोती के बाद अब समीर लाल जी का गद्य संग्रह आने वाला है । कार्यक्रम के चित्र आपके द्वारा भेजी गई लिंक से देखें अच्छा और शानदार कार्यक्रम था वो । दीपावली की शुभकामनाएं आदरणीय भाभी जी को दीजियेगा तथा पूरे परिवार को भी ।
सिर्फ सामने ही देखते रहे, तो ऑंखें पथरा जाएँगी. कभी कभी साइड और साइड मिरर में देखने से नयनसुख और नयनो को आराम मिलता है.
साईड मिरर में देखकर न तो सड़क वाली गाड़ी चलाई जा सकती है और न ही जिन्दगी की.
sachchi baat
Yeah,
"Old habits die hard" नहीं सुधरोगे !
सही बात हमें आगे देखना और चलना होता है
Behad sundar warnan hai mano bhavon ka...
समीर भाई ........
भाभी बच्चों और आपको दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ
aapko deepawali ki haardik shubhkaamnayen......
पसंद आया आपका ये रूमानी अंदाज । कार के साइड मिरर में है तस्वीरे यार जब जरा गर्दन घुमाई देख ली ।
बहुत बहुत बहुत बहुत ही खूबसूरत. साइड मिरर में जिंदगी का आइना दिखा दिया आपने.
कमाल की कथा सरकार...और कथा के बहाने कमाल का बहुत कुछ। "साइड मिरर" का यूं अनूठे बिम्ब सा प्रयोग और फिर वो आखिर में जानलेवा त्रिवेणी....
चलते-चलते... अरे हाँ.... चलते-चलते...अजी हाँ...
चलते-चलते... यूँ ही कोई मिल गया था... यूँ ही कोई मिल गया था...
सरे राह, चलते-चलते....
दद्दू इस फिलिम में तो आप बहुत पतले थे फिर अचानक क्या घटना घट गयी... अब ये मत कह देना फिलिम में आप नहीं थे...
चलते-चलते... विमोचन और सम्मान की भी बधाई स्वीकारें....
हम होते तो साइड मिर्रोर में देखने के बाद हाथ हिला हिला कर गाते "आजा सनम".
sunder sampoorna kavita, badhaai.
Je baat...t,,, bhai ji
chaa gaye
ओ हो ! साइड मिरर एक बार फिर... मतलब कुछ तो बात है, साइड मिरर में :) खाली कल्पना दो पोस्ट तो नहीं लिखवा सकती. हे हे !
वैसे आपकी कल्पना तो हजारों पोस्ट लिखवा सकती है !
बहुत सुन्दर कहानी है।लेकिन लगता है इस कहानी का जन्म साईड मिरर के कारण ही हुआ है।
दीपावली की शुभकामनाएं।
बहुत सुंदर संस्मरण
कहा भी है
तोरा मन दर्पण कहलाये ,|फिर चाहे आगे मिरर हो या पीछे या साइड में |सुंदर भावः |
एक नन्हा दिया अपने आप को जलाकर अमावस कि रात को प्रकाशवान करता है |
दीपावली मंगलमय हो |
शुभकामनाये बधाई
साइड से वह लाइन तो नहीं मार रही होगी,
लेडी पुलिस थी वह, जो ड्यूटी कर रही होगी
काश कि उसके साइड मिरर में आप दिख जाते ।
जीवन के लिये एक गहरा सन्देश देती यथार्थवादी लघुकथा।
आपको किताब के प्रकाशन,विमोचन के लिये हार्दिक बधाई। तथा दीपावली की हार्दिक मंगलकामनायें।
हेमन्त कुमार
समीर सा,
दिल को स्पर्श करती आपकी कहानी सररर ...से हमारे मन के करीब से निकल गयी...अपनी गाडी के साइड व्यू मिरर में देखते तीन चालान कटवा चूका हूँ...खूबसूरत चेहरे तस्वीर बन चिपक से जाते है...
वैसे भाभीजी ने पोस्ट पढ़ कर क्या कहा???
आपके पूरे परिवार को दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएं.
अगर आपकी इस लघुकथा में कोई बढिया संदेश छुपा हुआ है तो फिर तो कहे देते हैं कि बहुत बढिया लगी ये पोस्ट.....लेकिन यदि ऎसा वैसा कुछ है तो....?
:)
दीवाली की ढेरों शुभकामनायें....उड़न तश्तरी उड़-उड़ के सबको बधाइयाँ दे रही है , तो मुझे लगा मुझे भी दौड़ के शुभ-शुभ बधाइयाँ दे आनी चाहिए.......
अत्यंत भावभीनी, कि शब्द ही नहीं सूझ रहें हैं। आप अपनी कार में बिठाकर अपने घर ले जा रहें हैं, मन कर रहा है उतर कर उस मोड़ की ओर चल दूं जिधर दूसरी कार मुड़ गई थी।
ओह ,यह क्या सजेशन दे दिया समीर भाई आपने अब कार चलाते हुए साइड मिरर देखते ही आपकी इस खूबसूरत कथा की याद आयेगी । वैसे भी कवियों को वाहन चलाते समय सोचने की आदत होती है । खैर इतनी रिस्क तो लेनी पड़ेगी आपकी मोहब्बत की खातिर ।
yaaden!!
triveni bhi jabardast!
दीपावली ki ढेरों शुभकामनाएँ!
दीपावली में शांति का सन्देश फैले
यही कामना है
आपके परिवार के लिए मंगल कामना
सस्नेह,
- लावण्या
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आपका लिखा देखा
बहुत पसंद आया
इसे कब छपवा रहें हैं ?
जल्दी पुस्तक बनाइये :)
say it ,just like
आपके पैर देखे,
बहुत सुंदर हैं,
इन्हें जमीन पर मत रखियेगा,
मैले हो जाएंगें ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
जो कही गयी ना मुझसे
साइड मिरर कह रहा है,
के फ्रीज़ फ्रेम बन गयी हूँ
तेरी राह तकते तकते :)
read it like
चलते-चलते...
यूँ ही कोई मिल गया था...
यूँ ही कोई मिल गया था...
सरे राह, चलते-चलते....
Heartiest congratulations for LOKARPAN of BIKHRE MOTI
Sameer bhai & Sadhna bhabhi ji
for the auspicious arrival of BAHURANI ..........like Laxmi ji
God bless .keep smiling ...
warmest regards,
- Lavanya
- लावण्या
Jai Ho.....
दीवाली हर रोज हो तभी मनेगी मौज
पर कैसे हर रोज हो इसका उद्गम खोज
आज का प्रश्न यही है
बही कह रही सही है
पर इस सबके बावजूद
थोड़े दीये और मिठाई सबकी हो
चाहे थोड़े मिलें पटाखे सबके हों
गलबहियों के साथ मिलें दिल भी प्यारे
अपने-अपने खील-बताशे सबके हों
---------शुभकामनाऒं सहित
---------मौदगिल परिवार
भईया
बहुत बढ़िया संदेश दिया है आपने युवा पीढ़ी को इस रचना के माध्यम से. मैने जीवन का सुखमय हिस्सा खराब किया है इस बैक मिरर में देखकर. आपकी यह कविता शायद आपने मेरे लिए ही लिखी है. आपसे बहुत सारी बातें सीखनी मुझे.
धन्यवाद.
दिल को छूती रचना
आइना भी देखने को दिल नहीं करता
अब किसी से रूठने को दिल नहीं करता
दीपों सा जगमग जिन्दगी रहे
सुख की बयार चहुं मुखी बहे
श्याम सखा श्याम
आईने की सिफ़त नही ये तो,
तू ही तू बस दिखाई देता है
समीर साहब आईने के मध्यम से अपने दिल पर नक़्श यादों की जो तस्वीर कशी की है,बेहद खूबसूरत है.
prerna dene wali rachna, ghazal likhne ko majboor karti abhivyakti...
झिलमिलाते दीपो की आभा से प्रकाशित , ये दीपावली आप सभी के घर में धन धान्य सुख समृद्धि और इश्वर के अनंत आर्शीवाद लेकर आये. इसी कामना के साथ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰
झिलमिलाते दीपो की आभा से प्रकाशित , ये दीपावली आप सभी के घर में धन धान्य सुख समृद्धि और इश्वर के अनंत आर्शीवाद लेकर आये. इसी कामना के साथ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ दीपावली की हार्दिक शुभकामनाए.."
regards
बढ़ा दो अपनी लौ
कि पकड़ लूँ उसे मैं अपनी लौ से,
इससे पहले कि फकफका कर
बुझ जाए ये रिश्ता
आओ मिल के फ़िर से मना लें दिवाली !
दीपावली की हार्दिक शुभकामना के साथ
ओम आर्य
मैं भी ऐसा कहाँ था?
जानता हूँ सिर्फ साईड मिरर में देखकर न तो सड़क वाली गाड़ी चलाई जा सकती है और न ही जिन्दगी की. इन खुशनुमा अहसासों को संग लिए हमें आगे देखना होता है. आगे चलना होता है.
सब कुछ कितना बदल सा जाता है
जब भी तेरा चेहरा नजर आता है..
शाम फिर चाँद को झील मे छुपते देखा है.
...मन के भावोंको बड़ी खूबसूरती से उकेरा है।
दीपावली, गोवर्धन-पूजा और भइया-दूज पर आपको ढेरों शुभकामनाएँ!
दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ...जो भी हो जैसी भी हो आपकी रचना अच्छी लगती है..बधाई!!!
SANJAY KUMAR
HARYANA
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
apne itni khubsurti se side mirror ko gadh diya hai ki ab jab bhi koi ise padhne ke baad sadak pe chalega to use bus .......dikayi dega ......
ek choti si laghu katha me aapne saara vratant likh diya hai .......
aapko sadar pranam ..............
बहुत ही सुन्दरता से प्रकट भावमय प्रस्तुति, ।। दीपावली की शुभकामनायें ।।
बहुत शुभ हो ये दिवाली. बधाई आपको.
साइड मिरर तो अब जैसे फोटो फ्रेम हो गया... वाह बोलूं या आह बोलू.
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आप को दीपावली की शुभकामनायें !!
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
और साथ में एक क्षणिकाएं
दीपावली की बहुत-बहुत शुभकामनायें
समीर जी क्या बात है किसकी याद आ गयी, इस साइड मिरर में,
साइड मिरर में देखकर ये हाल हुआ था तो रूबरू मिलने पर क्या हाल हुआ होगा? :-)
दीपोत्सव का यह पावन पर्व आपके जीवन को धन-धान्य-सुख-समृद्धि से परिपूर्ण करे!
आप को दीपावली की शुभकामनाएं.
samir ji aapko bhi deepawali ki badhai.
प्रेम की ये अभिव्यक्तियाँ..... क्या बात है मौसम बदला है या आप और हम बदल गए... मैंने भी उसी खुमार में एक टीप दिया है
सुख, समृद्धि और शान्ति का आगमन हो
जीवन प्रकाश से आलोकित हो !
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दीपावली की हार्दिक शुभकामनाए
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प्रत्येक सोमवार सुबह 9.00 बजे शामिल
होईये ठहाका एक्सप्रेस में |
प्रत्येक बुधवार सुबह 9.00 बजे बनिए
चैम्पियन C.M. Quiz में |
प्रत्येक शुक्रवार सुबह 9.00 बजे पढिये
साहित्यिक उत्कृष्ट रचनाएं
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क्रियेटिव मंच
सपरिवार आपको दिवाली की बहुत-बहतु शुभकामनाएं.
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हिंदी ब्लोग्स में पहली बार Friends With Benefits - रिश्तों की एक नई तान (FWB) [बहस] [उल्टा तीर]
uncle ji.. hamare cycle mein bhi side mirror lagwa dijiye naa!!!
aapko aur aapke pariwar ko depawali ki hardik shubhkamanayein
Mai bus me hota hun tab side mirror se dekhta hun.
Aapko aur Aapke poore parevaar ko HAPPY DIWALI
Dher saare Subhkaamnaye aur Badhai.
सुख, समृद्धि और शान्ति का आगमन हो
जीवन प्रकाश से आलोकित हो !
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दीपावली की हार्दिक शुभकामनाए
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कल सुबह ६ बजे हमारे सहवर्ती हिन्दी ब्लोग
मुम्बई-टाईगर
पर दिपावली के शुभ अवसर पर ताऊ से
सिद्धी बातचीत प्रसारित हो रही है। पढना ना भूले।
♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाए
हे! प्रभु यह तेरापन्थ
मुम्बई-टाईगर
द फोटू गैलेरी
महाप्रेम
माई ब्लोग
SELECTION & COLLECTION
sameer ji, aapko aur aapke pariwar ko shubh deepawali par meri mangal kaamnayen.
Deewali ki hardik shubhkamnayen Sameer uncle....
Aap Gorakhpur se Lalit ko bhi jante honge? he's my friend and grandson of Shri Firaq ji.
चाचा, कथा के माध्यम से क्या बात समझा गये.
दर्पण ऐसे हों या वैसे, दर्पण हैं तो हमारे वजूद का प्रतिबिंब हमें नज़र आता है. भले ही साईड मिरर हो , ज़िंदगी की गाडी चलाने में इसका योगदान हैं.
दिपावली की हार्दिक शुभकामनायें...
आपका धन्यवाद जो अक्सर मेरे ब्लोग पर पधारतें हैं सबसे पहले!!
Dipawali ki dheron shubkamnayen.
"आओ मिल कर फूल खिलाएं, रंग सजाएं आँगन में
दीवाली के पावन में , एक दीप जलाएं आंगन में "
......दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ |
स्वर्ग न सही धरा को धरा तो बनाये..
दीप इतने जलाएं की अँधेरा कही न टिक पाए..
इस दिवाली इन परिन्दों के लिए पटाके न चलायें....
आ तो एक ड्राइव की बात कर रहे हैं। मुझे लगता है अपनी जिन्दगी हम रियर व्यू में देख कर चलाये जा रहे हैं। :(
इस रात को अंधेरी रहने दें, बिजली और तेल बचाएं
चवन्नी छाप शेर से दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएं
यह दिया है ज्ञान का, जलता रहेगा।
युग सदा विज्ञान का, चलता रहेगा।।
रोशनी से इस धरा को जगमगाएँ!
दीप-उत्सव पर बहुत शुभ-कामनाएँ!!
समीर जी आप ऑनलाइन हैं, तो आपको लाइफ शुभकामना देने में ज्यादा अच्छा लग रहा है। अभी-अभी जैसे ही मैंने अपने ब्लॉग पर टिप्पणी 1 लिखा देख क्लिक किया अंदर टिप्पणियां दो मिली। यानी रिलायंस के शेयर की तरह एक पर एक फ्री बोनस शेयर।
आभार और दीपोत्सव की मंगलकामनाएं।
अच्छी रचना. दीपावली के पावन पर्व पर हार्दिक मंगल कामनाएँ !
अच्छी रचना. दीपावली के पावन पर्व पर हार्दिक मंगल कामनाएँ !
aapko diwali ki shubhkamnaye....
छू न पाती है परे-जिब्रील की हवा
ये किन बुलंदियों पे उड़े जा रहे हैं आप ?
क्या बात कही एकदम निराले अंदाज़ में।
आप आप ही हैं यह इस ख़ूबसूरत सी बोधकथा से ज़ाहिर है।
आज पहली बार आपका ब्लॉग देख रहा हूँ . इस बात का हर्ष है कि आप भी जबलपुर वासी हैं. वैसे मैं भी आपके शहर जबलपुर में वास करता हूँ. मज़ा आ गया . आपने हर बार मेरी रचनाओं की प्रशंशा की है. जबलपुर आवें तो खबर अवश्य करें .
राकेश ' सोहम', एल-१६, देवयानी काम्प्लेक्स, जय नगर, जबलपुर - ४८२००२, मोब - ९४२५८००९३३, ऑफ - उप मंडल अभियंता (प्रशाशन), टेलिकॉम फैक्ट्री, राइट टाऊन, जबलपुर
इस बार केवल इतना ही . दीवाली की शुभ मंगल कामनाएं .
बहुत खूबसूरत शुरुआत... बाँच लिया...आप्के जीवन का कोई क्षण लगता है...बेहद रोमांटिक....
दीपावली मुबारक...
पधारियेगा ज़रूर...
lifemazedar.blogspot.com
kvkrewamp.blogspot.com
kvkrewa.blogspot.com
सस्नेह
आपका ही
चन्दर मेहेर
हम समझ गये । अन्तर इतना ही है कि जिन्दगी के साइड मिरर में तस्वीरें ठहरी हुई होती हैं ।
सब कुछ कितना बदल सा जाता है
जब भी तेरा चेहरा नजर आता है..
वाह !
ओये होए ....ये साईड मिरर भी .....!!!
अब मिरर में उसकी तस्वीर भी दिखा देते तो कोई बात होती न .....!!
आपने तो कार ही कार में सबकुछ खत्म कर दिया घर की ओर मुड़ जाते तो ज़िन्दगी के मायने न बदल जाते .....????
hamari taraf se bhi aapko aur aapke parivaar ko diwali ki hardik badhai.......aapne diwali par jo panktiya likhi wo wakai bahut achchi lagi
दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें
Sameer bhai,
aap to hamesha hi man moh lete hain .is baar bhi aapne man moh liya . dil se badhai!!
जीवन के छोटे-छोटे क्षणों से अमिट खुशी समेटने का यह अंदाज़ भी अच्छा है ...परिपक्वता आते...आते आ ही जाएगी
जब भी तेरा चेहरा नजर आता है.. शाम फिर चाँद को झील मे छुपते देखा है.
side mirror ko kya pata, ki beside the mirror driving seat par baitha vykti chala raha nahin sirf ek car......,
...vo hai jeevan ki vastaviktaon se judi sarthak rachanaon ka kalpanasheel rachanakar !
aise kalamkar ki tippani jab main apne blog par dekhata hun, behad oorja pata hun.
deepawali par hardik shubh kamanaen !
side mirror ko kya pata, ki beside the mirror driving seat par baitha vykti chala raha nahin sirf ek car......,
...vo hai jeevan ki vastaviktaon se judi sarthak rachanaon ka kalpanasheel rachanakar !
aise kalamkar ki tippani jab main apne blog par pata hun, sachmuch Dhanya ho jata hun.
deepawali par hardik shubh kamanaen !
side mirror ko kya pata, ki beside the mirror driving seat par baitha vykti chala raha nahin sirf ek car......,
...vo hai jeevan ki vastaviktaon se judi sarthak rachanaon ka kalpanasheel rachanakar !
aise kalamkar ki tippani jab main apne blog par pata hun, sachmuch Dhanya ho jata hun.
deepawali par hardik shubh kamanaen !
मैं तो जैसे जी ही उठा.....
बस ऐसे कुछ अहसास जीवन को नया अर्थ दे डालते हैं.इसे इतनी खूबसूरती से बांट्ने के लिए आभार.
समरी भाई
नमस्कार
आपने पगली यात्रा पर अपना ध्यान लगाया, इसके लिए धन्यवाद् के शब्द से ज्यादा कुछ अभिव्यक्त करना चाहता हूँ. क्या करूँ येसी अबिव्यक्ति के लिए शायद शब्द अभी बन नहीं सके हैं. आपकी पहली रचना पढ़ी जिसमे डाल से बिचड़ने का दर्द बहुत सहजता से मन की गहराइयों तक उतरता गया. मेरे लिए यह प्रसंग अपने आरंभिक जीवन पर तो नहीं बैठता लेकिन अब जब मेरा बेटा अपनी आजीविका के लिए अलग हुवा है तो इसे सहजता से समझ पा रहा हूँ.
भाई साहब, इससे शायद ही कोई बच पाता है. लेकिन सिर्फ इतना सोचता हूँ की एक माँ की सीख का फूल इतनी दूर जाकर अपनी सुरभि बिखेर रहा है, तो उस ख़ुशी की आंधी के आगे वह दर्द टिक नहीं पाता.
मैं तो अभी अनुभव और जानकारी सब में अधूरा ही हूँ, बस सीखनेखने की कोशिश करता रहूँगा.
sabhiwadan,
राकेश रमण.
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