अपने बचपन की फोटू भी ठेल दी. कितनों की क्या कहूँ, मैं तो अपनी खुद की भी बचपन की फोटू उठा लूँ और शीशे के सामने खड़े हो जाऊँ तो न पहचान पाऊँ अपने आप को मगर ये डॉक्टर का मेनटेन्स तो देखो, बचपन से अब तक जस के तस धरे हैं. न तो चेहरा मोहरा बदला और न ही बाल!! :) कहते हैं कि पचपन का हो गया हूँ. वर्तनी की त्रुटियाँ वो करते नहीं वरना हम समझते बचपन का हो गया हूँ.
देखो, कितना मासूम सवाल कर रहे हैं-कि किसने आपको मोटा कहा, अंकल!! अरे क्या बतायें डॉक्टर, किसने नहीं कहा. खुद ने खुद से भी कहा शीशा देखकर!! सच बोलने की आदत है न!! :)
आभार देने को बहुत जी चाहा मगर तबीयत का क्या कहें और उस पर से बीबी. अगर कम्प्यूटर पर बैठे रहें तो वो माने कैसे कि बीमार हैं. फिर तो आराम से भी जायें. तो मूँह ढापे सोये रहते हैं. डॉक्टर भी उसी पाले से खेल रहा है. वैसे तो उसका आभार कि बीबी मान गई कि वाकई बीमार हैं वरना तो काँपते डग भरते चाय बना रहे होते. मगर खाना जो बता गया है कि क्या कहें? इतने जालिम तो भारत के डॉक्टर भी नहीं होते. जितना खाना मिल रहा है, उतना तो पहले चखने में हजम कर लेते थे और क्वान्टिटी से जायें तो जायें क्वालिटी से भी गये, बिना नमक. हे ईश्वर!! किस जनम का बदला रहा है इस नादान बालक से?
न जाने क्यों क्यूँ वो फिल्म वाला शेर याद आ रहा है:
अब तो इतनी भी मयस्सर नहीं मयखाने में,
जितनी हम छोड़ दिया करते थे पैमाने में...
अभी बीबी बाजार निकली तो हम चादर के बाहर निकले हैं. फटाफट २-४ ब्लॉग पर आमद दी है और ये आत्म व्यथा पोस्ट ठेलने की तैयारी है, इसके पहले की वो लौटे, हम इस पोस्ट को छापें और मूँह तक चादर ढांपें.
कमजोरी तो खैर बरकार है ही. आराम भी जारी है. मित्रों की ढेरों शुभकामनाऐं आ रही हैं तो मानो ठीक होने का मन ही नहीं हो रहा. :)
बीबी आये तो कुछ सूप वगैरह खाने में नसीब हो. जो भी खिला दे रही है, धन्य मना रहा हूँ और बीबी का धन्य मनाये बिना रास्ता भी क्या है.
बीबी तो बीबी होती है, इनका हाल देखो, तो हम कौन खेत की मूली हैं:
बस, इनकी हालत देख चन्द पंक्तियाँ मचल उठीं:
जब भी मैके जाती बीबी
अपनी याद कराती बीबी
सबकी किस्मत अलग अलग है
सबको ना मिल पाती बीबी.
नाचें गायें सब बाराती
तब घर में है आती बीबी
होगे राजा तुम जंगल के
सबको डांट लगाती बीबी.
यूँ ही डरने वालों से तो
खाना भी बनवाती बीबी
किस्मत फूटी निकली गर तो
बरतन भी मंजवाती बीबी.
इधर उधर जो नजर फिरे गर
आँखें है दिखलाती बीबी.
साड़ी जेवर ला कर दे दो
प्यार बहुत जताती बीबी.
सुबह सुबह परनाम (प्रणाम) करो जो
दिन भर है मुस्काती बीबी.
सुन्दर कितनी दिखती हो तुम
सुन कर के शरमाती बीबी.
कितना भी मैं लिख दूँ गाथा
हमको अपनी भाती बीबी.
-समीर लाल 'समीर'
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92 टिप्पणियां:
अर्ज़ किया है :
मियाँ अगर लल्लू ही हो तो,
क्या क्या नहीं कराती बीबी !
वाह वाह बीबी पुराण पढ़ कर . आज कल में भी सेवा सुश्रा में लगा हूँ . नई कार चलाना सीखा रहा हूँ सुबह सुबह .
सत्यवचन प्रभो... सत्यवचन
सुबह सुबह परनाम (प्रणाम) करो जो
दिन भर है मुस्काती बीबी.
सुबह -सुबह बीबी पुराण पढ़कर मजा आ गया |
इतनी अच्छी बीबी है.. सूप बना कर पिलाती है...शीघ्र स्वस्थ्य लाभ करें की उन्हें चाय मिल सके ..!!
इधर उधर जो नजर फिरे गर
आँखें है दिखलाती बीबी.
साड़ी जेवर ला कर दे दो
प्यार बहुत जताती बीबी.
बहुत बढ़िया लगी समीर भाई आपकी यह पोस्ट।
बिल्लू जैसे बने शेरू और गरजती हुई शेरनी के
तेवर देख कर कनाडा के इलेश और भारत की राखी
की याद आ गयी।
बहुत बधाई!
स्वास्थ्य जल्द ठीक होने की शुभकामनाएं .. घर में सोए सोए अपनी सेवा कराते हुए आपने बीबी पुराण ही रच डाला !!
आखिर बीबी तो बीबी ठहरी, जो अगर आज्ञा मानती है तो चाहती है उसकी सही बात की आज्ञा उसका साथी भी माने, पर कुछ गलत भी तो नहीं।
:)
Biwi wala to anubhav nhi hai....lekin Girl friend acchi hoti hain...
बहुत बढ़िया लिखा है , डॉ अमर कुमार बहुत पसंद आये !
बीवी का अनुभव नही है...
मेरी शादी नही हुई तो क्या हुआ...
मैने बारातें बहुत देखी है!
और शादी के बाद बीवी की डांट खाते पति भी बहुत देखें है...
मुझे जन्मदिन की बधाई देने का बहुत बहुत शुक्रिया...
माफ़ी चाहता हूं आपके जन्मदिन के दिन मैं शहर में नही था इसलिये बधाई नही दे सका..
आज बधाई स्वीकारें और जल्द से जल्द स्वास्थ सुधार ले वर्ना क्या पता कब सूप मिलना बंद हो जाये!
हा हा हा ही ही ही हो हो हो
राखी सावंत कथा
लग रही है श्रीमान।
सार्वजनिक और बेबाक आत्म स्वीकृति अच्छी लगी समीर भाई। कुछ मेरे तरफ से भी-
बहुत बड़े ज्ञानी बन जाओ
फिर भी रोज सिखाती बीबी
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
बीबी तो बीबी होती है...वाह बहुत बढ़िया लगा! पड़कर काफी मज़ा आया! आपका हर एक पोस्ट मुझे बेहद अच्छा लगता है! आपकी लेखनी की जितनी भी तारीफ की जाए कम है!
आप जल्दी स्वस्थ हों ...बीमारी हर मिअलने आने वाले का फ़र्ज होता है कि वो एक सलाह जरुर देता है बीमार को. तो हम भी देंगे वर्ना लोग कहेंगे कि कुछ लोक लाज और सामाजिक मर्यादाओं का ध्यान नही है.
आपको डाक्टर ने डाईट कम करदी है..यानि जितना चखने मे आजाता था उतना. तो इसका हमारे पास पुख्ता इलाज है. जब भाभीजी घर से बाहर खरीददारी के लिये निकले..उस समय ब्लाग खंगालने के बजाये फ़्रीज खंगालिये और मस्ती लिजिये..किस्मत से ऐसे आराम के दिन मिलते हैं. जी भर के मजा लिजिये..
फ़ार्मुला स्व: परीक्षित है अत: बे खटके अपनाये..पर ध्यान रखियेगा कि हम पकडे गये थे..कि फ़इज मे से यह बटर रोज कम क्युं होता जारहा है.:) सो हर आईटम मे से थोडा २ हिसाब से खाईयेगा.
रामराम.
जल्दी से स्वस्थ हों ,बीबी गीत कंठस्थ कर रहा हूँ !
अब दूसरे के दुख की क्या कहें?...मेरी कहानियों में तो बीवी खुद मेरी वाट लगाती रहती हैँ
शीघ्र स्वस्थ हों
अपने सामान की हिफ़ाज़त स्वयँ करें...
भाभी वही तो कर रही हैं.. उनको काहे खींच रहे हो, भाई !
उनको समर्पित ऎसी दो चार पोस्ट और लिख डालो, तभी राहत-ए-नमक मिल पायेगी ।
उनको डाक्टर का विभीषण बनाये बिना, हनुमान जी भी वर्तमान स्थिति पर विजय नहीं दिला सकते !
थोड़ा सँयम बरतो.. वरना जीने का मकसद सिर्फ़ डाक्टरों की फीस भरना ही रह जायेगा !
ऊपर ऊपर डाँट पिलाती
अंदर से मुसकाती बीबी।
क्या बात है भाई, बीमारी में यह हाल है तो स्वस्थता में क्या होगा? लगता है बीमारी की मौज शुरू हो गई है।
दुनिया भर की कसरतें, दौड़ें, पतली दाल और फीकी कॉफी पर आने पर अस्सी से नीचे आता हूँ। जरा सा छोड़ा कि वापस नब्बे के पार। ये थॉयरायड तो मैं भी चैक करवाने वाला हूँ।
पशु -पक्षी, जीव निर्जीव, एलियन और इंसान ,
हर कोई अपनी बीबी से परेशान ..
तो हे प्राणियों आज की कथा का सार यही है की जिस तरह मौत एक सच्चाई है ..उसी तरह जिंदा रहते बीबी से परेशान होते रहना दूसरी सच्चाई है...कविता दिल के करीब लगी..ईहो बीडी के पैकेट्वा पर लिखे थे न ..
जल्दी ठीक होइए..
हा हा हा हा हा हा हा हा दिल तो कर रहा है की अभी साधना जी को फ़ोन लगाया जाए और आपकी ये पोस्ट पडाई जाये......मगर ऐसा न हो कही आप सुप से भी जाएँ हा हा हा हा हा बेहद रोचक...
regards
वाह ! सारी खासियते एक ही ले में बता डाली !
अरे वाह, बीबी की क्या खूब तारीफ की है.
ye biwi gatha badi rochak rahi,:):).
aapki tabiyat jaldi thik ho yahi dua hai.
समीर जी आपकी ब्यथा जायज है :)
शायद वो आपकी पोस्ट नहीं पढ़ती :)
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति बधाई ।
महोदय हमारी आदरणीय भाभीजी को लेकर आगे कुछ न लिखें आपको पता है आजकल वैसे ही ब्लाग जगत में महिलाओं से पंगा लेने पर नींद हराम हो रही है । अभी लगाते हैं महिला संगठनों को आपके पीछे ठहरिये जरा ।
हा हा हा
स्वस्थ रहें, सानंद रहें,
वही समीरानंद रहें
आप बहुत सच बोल रहे है.. लगता है सच का सामना करवाना पड़ेगा.. आपका..
आप तो जी सुबह सुबह परनाम कर ही लिया करो...
हम यह पोस्ट अपनी बीबी से छुपाय देते है. :)
Fotu aapne kya mast lagaayee hai. Ise to sabse upar daalna tha. Mere khyaal se fotu ko dekhte hee aapki beemaaree bhee aapko chood jaayegee, aakhir beemaari bhee shernee kee tarah hee (streeling) thahari:)
shauhar laakh chhupaaye bhi toh kya hota hai
jo bhi hota hai voh, bivi ko pata hota hai
jaldi se achhe aur bhale change ho jaao
bhaaiji,
abhi toh jaldi jaam takraane hain aapke saath.......
haardik haardik mangal shubh kaamnaayen !
बहुत सही लिखा है बीबी पुराण समीर जी।
सुन्दर कितनी दिखती हो तुम
सुन कर के शरमाती बीबी.
कितना भी मैं लिख दूँ गाथा
हमको अपनी भाती बीबी.
अब भाय या ना भाय मगर बोलना तो यही पड़ता है....:))
आप के स्वास्थ की कामना कर रहे हैं....शीघ्र ठीक हो कर अपने अभियान में जुट जाएं...।
इस लिए होम मिनिस्टर की सलाह पर अमल जरूर करते रहें:))
सादर समर्पित
श्री श्री १००८ पत्नि भगत टिपण्णी महाराज समीरलाल जी कनाडा वाले
हमें और नहीं तुम्हे ठौर नहीं
किया इस बात पर कभी गौर नहीं
तुलसी बाबा कुछ भी कहते रहें
समझो बीवी को कमजोर नहीं
अथ बीवी पुराण...श्लोक संख्या १०८
रचैता श्याम सखा श्याम
हाय! कहां हैं सन्नारियों के ब्लॉग की रणचण्डियां? देखें तो उनका क्या सटायरियट से उल्लेख किया गया है! :)
इधर उधर जो नजर फिरे गर
आँखें है दिखलाती बीबी.
सुबह सुबह परनाम (प्रणाम) करो जो
दिन भर है मुस्काती बीबी.
समीर भाई.......... साडी जेवर वाली बात भाभी पर नहीं ठीक उतरती..........आप ठीक हो गए तो बस भाभी भी खुश हो jaayengi....... वैसे तो ये beevi puran पढ़ कर भी खुश हो jayengi bhaabhi............ achhi बात likhi है.........
कितना भी मैं लिख दूँ गाथा
हमको अपनी भाती बीबी......
और कोई चारा है क्या..::))
"सच बोलने की आदत है न!! :) ‘सच का सामना’ खतरनाक और चर्चित होता जा रहा है- सावधान। इस तरह बीबी पुराण ठेलते रहे तो सूप तो सूप छन्नी भी नहीं मिलेगी...हां, शायद आखिरी लाइना पढ़ कर चिकन सूप मिल जाय़:)
अरे, समीरजी आप हंसते हंसाते रहिये। ये सब बीमारियां यूं ही टहल लेंगी।
आपकी बीवी महिमा को शत शत नमन.......बहुत सुन्दर पोस्ट.
बीबी तो बीबी होती है! उसे हल्के में लेने की कोशिश न करें।
बीबी पर चंद पंक्तियाँ बहुत कुछ कह गई। सूप पीजिए और जल्द ही ठीक हो जाईए। और हाँ डाक्टर साहब की फोटो अच्छी है।
बीबी और शेरनी मे कोई फ़र्क नही होता जरा सभी लोग सोच समझ कर बात करें तो बेहतर है. वर्ना फ़िर कहेंगे कि तिवारी साहब ने सचेत नही किया था.:)
रामराम.
कितना भी मैं लिख दूँ गाथा
हमको अपनी भाती बीबी.
bus ji saar ki baat yahi hai
sab kaam pyaar mein apne aap ho jaate hain
vivek ji ne bhi kya khoob sher jodha hai
are ye sher shernikiphoto kahan milgayi...! waah...! kuchh na likhte to bhi bahut kuchh kah jaata ye chitra...! ha ha ha
swasthyalabh achchi tarah le.N
shubhkamanaeN
सुन्दर कितनी दिखती हो तुम
सुन कर के शरमाती बीबी.
कितना भी मैं लिख दूँ गाथा
हमको अपनी भाती बीबी.
....Bahut khub...maja a gaya.
भाभीजी के बाहर से लौटते ही यह पढवाना था। सूप के साथ-साथ व्यंजनों की भरमार हो जाती।
अरे आपको किसने मोटा कह दिया अभी गूगल में तलाश करते है . मोटे लोगो को देखते ही लोग बाग़ कम से कम इतना तो कह देते है की भाई साहिब की सेहत काफी अच्छी है....दुबले पतले आदमी को देखकर यह कयास लगा बैठते है की सामने वाला बीमार है कम से कम ऐसी आपके साथ कोई बात ही नहीं है हा हा हा . रचना भी हमेशा की तरह जोरदार लगी . आभार.
शानदार पोस्ट!!!
bivi ki sachchi parikrama kar di aapne... or aapko "mota" kisne kaha, jara bataiye to...
lagta hai is beemari mein bhabhi ji ne jam kar sewa ki hai aapki tabhi itne pyare bol prasfutit huye hain is kavita mein.
main mayke chali jaungi tum dekhte rahiyo.... bahot hi khub kahi aapne is kavita ke madhyam se bhi aur is tasveer ke jariye bhi ha ha ha bahot bahot badhaayee
arsh
बीवी की तारीफ में कविता मस्त लिखी है आपने। आज ही सुनाऊँगा:)
जल्दी स्वस्थ हो जाऍं, मेरी शुभकामनाएँ।
भाई, कभी सुनते थे कि मोटापा बीमारी होता है मगर अब तो यह वरदान है. भला कितने भारतीय हृष्ट-पुष्ट मिलते हैं. सच कहा जाये तो ८०% तो सारी हड्डियाँ-पसलियाँ जैसे गिनवाने को तुले बैठे हैं. और वो कौन डॉक्टर है जो दोस्त होने का मुखौटा लगाकर बगैर नमक का परहेजी भोजन परोसवा रहा है. मैं तो समझता हूँ कि भाभीजी ज्यादा समझदार है, खुद ही खा लेने का मौक़ा देने की खातिर, काम के बहाने चली जाती हैं. ऐसी पत्नी पर पुराण नहीं. महाकाव्य लिखा जाना चाहिए. और ऐसे डॉक्टर को घर में चाय-पानी केवल पूछा जाये, दिया न जाये.
समीर भाई, जल्दी से अच्छे हो जाइये. मैं ने पूरी गजल पोस्ट कर दी है. बस आपकी नजर का इंतजार है. और हाँ, अब कविताएँ भी आप लिखेंगे वो भी इतनी टॉप क्लास की तो नाचीज़ के लिए क्या हुक्म है?
अब तो इतनी भी मयस्सर नहीं मयखाने में,
जितनी हम छोड़ दिया करते थे पैमाने में...
क्या हाल फरमाया है ,वैसे यह भी बुरा नहीं है -
सबकी किस्मत अलग अलग है
सबको ना मिल पाती बीबी.
ये शेर-शेरनी वाला फोटू हमारे पास एक अलग कैप्शन के साथ पड़ा हुआ है:
आप कौन हैं? इससे कोई फर्क नहीं पड़ता
कितना भी मैं लिख दूँ गाथा
हमको अपनी भाती बीबी.
जिन्दगी का सम्पूर्ण सार समाहित हो गया इन पंक्तियों में ....
अरे, यह क्या कर बैठे ? हँसते खुश रहते लोगों का रक्तचाप यूँ ऊपर तो नहीं चले जाता ! डॉक्टर से केवल दवा लीजिए। डाइट तो डाइटिशियन से ही पूछिए। (हमसे भी पूछ सकते हैं। )
और 'बीबी तो बीबी होती है' जानकर खुशी हुई। हम तो सोच रहे थे कि कुछ और होती है।
घुघूती बासूती
vaah, ham to samjhe the post padh kar aapko soop bhee nahee diya jayega
magar aakhir me gajal lagaa dee :)
kisee ko roothne bhee nahee dete :)
venus kesari
jaldee se svaasth laabh leejiye
aise to tanki pe chdh jate the aaj jab bloging nahee kar paa rahe to man tadapta hoga :)
hai na ? hai ki nahee :)
venus kesari
सही है बीबी तो बीबी होती है ,सेवा करएँ और जल्द से जल्द स्वस्थ्य हो जाए.....
ये सब करने की क्या ज़रूरत है जी आपको कि मौका देख कंप्यूटर पर आते हैं ब्लॉग ठेलने और पढ़ने के लिए? ज़माना अब एडवांस हो गया है, आप भी आगे बढ़ो। अब मोबाइल पर ब्लॉग पढ़ा कीजिए और मोबाइल पर ही लिखा कीजिए। बिस्तर में पड़े-२ आराम भी हो जाएगा और ब्लॉगिंग से भी दूर न रहेंगे, ही ही ही! :D
बाकी नमक बंद है तो कोई बात नहीं, कुछ दिन कष्ट झेल लीजिए, जब तबियत सुधर जाए तो डॉक्टर से सलाह लेकर हल्का नमक खान-पान में लेना आरंभ कर दीजिएगा! :)
वैसे आप समझदार हैं ही, मेरी क्या मजाल आपको सलाह दूँ। :)
समीर भाई,
गैरों की तारीफ करो तो
अपना मुँह बनाती बीवी
बहुत ही मस्त पोस्ट लगी .दिल खुश हुआ
बधाई!
जय हो.... अब के तो सार्वजनिक मक्खन लगा डाला.... क्यों भाभी जी..?
चचा, चची कभी आपका बिलाग पढती है के नईं? मतलब ये कि आपकी इस पोस्ट से सहमत हूं सौ फीसद। लेकिन बरतन भी मंजवाती बीवी..ऐसे ही ऑव्जर्वेशन है के तजुर्बा?
शादी शुदा लोगों को बड़ी पसंद आ रही है ये पोस्ट... अपना चरित्र चित्रण किसे अच्छा नहीं लगता. हम तो पढ़ के ही खुश हो लेते हैं, अनुभव के बाद बाकी बताएँगे :)
वाह वाह वाह वाह !
जब भी हम बीमार पड़ें तो,
कुछ ज्यादा ही भाती बीबी|:)
शुभकामनाएं ठीक होने के बाद क्योंकि आप उसके लालच में ठीक नहीं होना चाहते |
बहुत बढिया व्यंग लगा समीर जी..
लिखा तो शानदार है ही, लेकिन बच्चे वाली फोटो बहुत क्यूट है। वैसे सच बोलने में हर्ज ही क्या है।
काश सूप बनाकर पिलाने वाली बीवी हमें भी मिल जाए...
ब्लॊगर हो, या भला हो मानस:)
सबके संग ढल जा्ती बीबी!
चाहे जैसा पति मिला हो,
उसका साथ निभाती बीबी! :)
sameer ji...padhne ka maza alag hain...baaki abhi tak humne zyada risk liya nahin... :)
:)सही है बीबी चाहे कैसी हो मोटी, पतली, हड़काती, दुलारती, सेवा करती/ करवाती, पति की नैया तभी पार होती है जब पढ़े पत्नि पुराण, ये राम बाण आजमाने से आप को जल्द स्वास्थय लाभ मिलने वाला है।
आपके लेख में भारत के डॉ जालिम होते है वाक्य से मेरी आपत्ति को दर्ज किया जाये....जालिम वर्ड के बेजा इस्तेमाल पर शब्द उपयोगी संस्था भी आपको नोटिस भेजेगी... कृपया कनाडा एसोयेश्यन को सोचित करे ताकि आपकी जमानत का इंतजाम हो सके .मोटे लोगो द्वारा भी मान हानि से सम्बंधित फाइल खोजी जा रही है
मेरी तरफ से भी :
बीबी का नहीं माने तो
जम कर डांट लगाती बीबी |
शेरनी बागाँ मां बोले आधी रात मां
;-) ....
आप स्वस्थ हो जाएँ जल्दी से ,
फिर, सौ. साधना भाभी जी ,
"शेर समीर लाल "
की प्रशस्ति भी पढा देंगीं
सस्नेह,
- लावण्या
कविता लाजवाब है जी!आपके स्वास्थ्य के लिए मंगल कामनाएं!
किसने आपको मोटा कहा अंकल? ज़रा नाम यूआरएल बतादो गूगल से खोज निकालेंगे फिर उसके कान खींचेंगे।
आपकी बीबी देखली, क्या बीबीयां ऐसी ही होती हैं? बापरे
क्या बात है समीर जी
बहुत अधिक ही भावुक हो उठे हैं।
He bhagwaan...! "beebi' se hee sahanubhutee hai,phirbhee hamaree...aap to sab kuchh kah gaye..wo khaamosh hai..!
जब भी मैके जाती बीबी
अपनी याद कराती बीबी
किस्मत वाले है आप तो अपनी तो हालत कुछ ऐसी है
जब भी मैके जाती बीबी
जल्दी ही लौट आती बीबी
bahut khub...bibi-puran padhkar maja aa gaya.par ye to batayen ki bhabhi ji ne padha ki nahin.
Bada achcha bibi puran hai. Badhiya post.
zooth agar likhkha hoga to khair nahi manwatee bibi.
आपके बीबी पुराण ने कवियों को आफ़त में डाल दिया है...हुक्म हुआ है कि बाबा समीरानंद से कुछ सीखा जाए...आखिर "महाजनो येन गतः स पंथाः". अब अगली पोस्ट में कुछ इलाज भी बताइये.
शीघ्र स्वास्थ्य लाभ करें।
बढिया है, बीबी पुराण!!
(पत्नी से पूछ कर किह रहा हूं!!)
चाहे जैसा गा लो गान
सबकी बीबी एक समान
:)
Uncle, badi majedar photo lagai hai.
पाखी की दुनिया में देखें-मेरी बोटिंग-ट्रिप
आपकी पोस्ट पढ़कर मज़ा आ गया.......वैसे मेरे हिसाब से आपकी हर एक पोस्ट के चार फायदे होते हैं......एक पंथ चार काज....
१. आपकी हास्य-व्यंग्य से भरी लेखन-शैली.
२. आपके द्वारा लगाये गए दिलचस्प चित्र.
३. आपकी भावपूर्ण कवितायें.
४. आपकी पोस्ट पर मिली मनोरंजक एवं रंग-बिरंगी टिप्पणियाँ.
शीघ्र स्वास्थ्यलाभ करें.....ऐसी शुभकामना है......
साभार
हमसफ़र यादों का.......
वाह! क्या बात है..
सुधी सिद्धार्थ
अब तक तो स्वस्थ हो गए होंगे। वैसे कविता लिखते ही तुरंत ठीक हुये होंगे।
वाह ! क्या बात है सर :)
सादर
बीवी गाथा बढ़िया रही ...
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