ताऊ के दर पर:
साहित्य शिल्पी पर योगेश समदर्शी की नजर:
मित्र द्वारा ईमेल पर भी लटका दिये गये:
मास्साब पंकज सुबीर के मुशायरे में:
मास्साब के मुशायरे में नाम मिला समीरा लल्ली कनाडा वाली उड़ने वाली तश्तरी और फिर हमने जो गज़ल पढ़ी, जिसका मिसरा दिया गया था: तुम्हारे शहर के गंदे, वो नाले याद आते हैं - वो तो सुनते जाईये (हालांकि आप में से बहुत से लोगों ने तो मुशायरे में ही सुन ली होगी.)
तुम्हारे शहर के गंदे, वो नाले याद आते हैं
नहाते नंगे बच्चों के रिसाले याद आते हैं
था ऐसा ही तो इक नाला, तुम्हारे घर के आगे भी
हमें उसके ही किस्से अब, वो वाले याद आते हैं
तुम्हें छेड़ा था हमने बस ज़रा सा ही तो, नाले पर
पिटे फिर जिनके हाथों से वो साले याद आते हैं
तुम्हारा घर था बाज़ू से, नज़र दीवार से आता
हमें उस पर लगे, मकड़ी के जाले याद आते हैं.
हाँ छिप कर पेड़ के पीछे, नज़र रखते थे हम तुम पर
तुम्हारे गाल गुलगुल्ले, गुलाले याद आते हैं.
नशा नज़रों का तुम्हारा, उतारा बाप ने सारा
हमें रम का मज़ा देते, दो प्याले याद आते हैं
मिटा दी हर रुकावट हमने, अपने बीच की सारी
लगाये बाप ने तुम पर जो ताले, याद आते हैं
अँगूठी तुमको पीतल की, टिका कर उसने भरमाया
जो तुमने हमको लौटाए, वो बाले याद आते हैं
चली क्या चाल तुमने भी, जो कर ली गै़र संग शादी
हमें गुज़रे ज़माने के, घोटाले याद आते हैं.
जिगर को लाल करने को, गुलाल दिल पे था डाला
चलाए नज़रों से तुमने, वो भाले याद आते हैं
अँधेरी रात थी वो घुप्प और बिजली नदारत थी
’समीर’ भागे थे जिन रस्तों से, काले याद आते हैं
--समीर लाल ’समीर’
79 टिप्पणियां:
गजल तो वहीं पढ़ ली थी, और सारी फोटो भी । पर आपके भिन्न-भिन्न रूपों का एक साथ दर्शन अच्छा लगा ।
सिवाय कसमसाने के मैं क्या कर सकता हूँ? आप मेरे होली राडार पर थे और शीर्षक की हद से भी बाहर थे, लेकिन कमबख्त मेरा ज़मूरा आपका चेहरा पहचानने से इंकार कर रहा था!
अब इतना समय नहीं बचा था कि आपके चेहरे का मेकअप कर पाता :-)
इसलिए चूक गये वरना, आज हमारा नाम भी यहाँ होता :-D
सुन्दर! जैसे करम करेगा वैसे फ़ल देगा भगवान!
वाह आप को तो बहरूपिया बना डाला!
समीर भाई,
प्यार से अगर लोग मज़ाक करते हैँ तब हम खुले मन से हँसकर आगे बढ लेते हैँ पर मेरे ब्लोग पर आकर देखेँ :-(
मन उदास हो गया मेरा !
स स्नेह,
- लावण्या
क्या क्या न बनें हम भी सनम, आपकी खातिर !
काश वे अब भी समझ जाते इस प्राणेर व्यथा को !
और गजल ने तो मानों गदर ही सियापा कर दिया
कितने ही जख्मों को कुरेदा मगर बेसाखता हंसा दिया !
अब उपसंहार !
खूब रही ठिठोली ये चिट्ठाजगत की होली
न भीगा किसी का नाडा न भींगी किसी की चोली
मनी फिर भी ये होली,गांठे हुईं मन की ढीली
ठहाके लगे हैं जम के न गुजरी किसी पे खाली पीली
इस बार तो ये सुझाव आया है कि इस बार के मुशायरे में हासिले मुशायरा शेर न चुन कर हासिले मुशायरा शायरा को चुना जाये और उस पे भी अधिकांश लोग समीरा लल्ली को पूर्व में ही वोट कर चुके हैं । सच कहूं तो आप पर ये ड्रेस फबी भी खूब क्या लग रहे हैं आप । आज शताब्दी से दिल्ली निकल रहा हूं और कल वहां पुस्तक का विमोचन है । 15 को वापस आऊंगा ।
होगा।
उड़नतश्तरी हो न
तो कभी वहां
कभी यहां रहे
कहां कहां न रहे
पर आसमान में
फंसे रहे पर
वहीं पर मत
लटके रहना
खजूर मत बनना।
पर योग ये
अच्छा है
ज्यादा करेगा
तो स्लिम होगा।
आप तो कमाल लगे /लगी इस होली मे . लेकिन आपके अपने लगाए फोटो मे इत्त्ने गोरे क्यों नजर आ रहे /रही हो . बुरा न मानो होली थी
तुम्हें छेड़ा था हमने बस ज़रा सा ही तो, नाले पर
पिटे फिर जिनके हाथों से, वो साले याद आते हैं
bahut achcha aur hasyaspad.
अँगूठी तुमको पीतल की, टिका कर उसने भरमाया
जो तुमने हमको लौटाए, वो बाले याद आते हैं
" ha ha ha ha ha ah ha ha ha ha chaa gye sir ji aap......."
Regards
समीर भाई ऐसा गुलाल
जैसे धूल में फैलीं सुबहें हजार.
वाह-वाह.
यह तो ब्लागर्स का आपके प्रति स्नेह है, जनाब, इस प्यार के लिए आपको शुभकामनाएं व बधाई
हम्को तो आपके गुलगुले से,
गोल-गोल गाल याद आते है।
होली है।
आपकी तो "जहाँ जायीयेगा हमें पायीयेगा..." वाली हालत हुई है इस होली में...हर जगह छाये हुए हैं आप....जय हो.
ग़ज़ल तो बिलकुल आप जैसी ही है...धांसू...हालाँकि आपने भी हमारी तरह रिस्क लिया है...ससुराल वाले या प्रेमिका के बारे में कह कर...
"होली की आड़ में सालों का तो बैंड बजाया जाता है...."
(गीत: घूंघट की आड़ से दिलबर का...से प्रेरित)
नीरज
सुपर हिट हो जी आप ..खूब होली खेले हर रंग में आप और हर रंग में खूब जंचे :)
वाह समीर भाई वाह..
सबने आपको खुब सजाया.
पर हमको तो घुघट वाला रुप भाया
होली की शुभकामनाऐं..
आज आपके ब्लोग का फिड अपडेट नहीं हुआ!
समीर सर, सच में आप वो उस हवा के झनके की तरह हो, जिसकी ठंडक अपने चेहरे पर महसूस करने के लिए हर कोई तरसता है...
मीत
हर रूप में गजब ढा रहें हैं....
अरे ये क्या !
लगता है ब्लॉग पर बहुत होली हुई है । :)
ये उड़ने वाली तश्तरी तो बड़ी कमाल लग रही है..
क्या केने क्या केने
वाह जी वाह.. आप एक रूप अनेक.. नीचे वाले फोटो में तो आप इतने अच्छे लग रहे हैं कि लावारिस में अमिताभ, बाजी में आमिर, आंटी नंबर वन में गोविंदा और चाची 420 में कमल हासन भी नहीं लगे थे.
wah wah, kya andaz hai.
happy wali holi aapko bhi!
यह तो गजब ही हो गया समीरजी। क्या खूब।
तुम्हें छेड़ा था हमने बस ज़रा सा ही तो, नाले पर
पिटे फिर जिनके हाथों से वो साले याद आते हैं
बहुत शानदार लग रहे हो जी आप तो.:) हर रुप मे सवा सोलह आना सही हो आप.
लगता है अब आपको माडलिंग कि तैयारी शुरु कर देनी चाहिये. वैसे हमने आपके लिये कोई पेकेज देखना शुरु कर दिया है.:)
अब आने वाली रंगपंचमी की अग्रिम बधाई,
गदर हैण्डसम है स्लिम-ट्रिम टिप्पणी वाला बाबा!
--- चमेली जान!
समीर जी, ऎसी होली तो साल के बारह महीने और तीस दिन होनी चाहिए....पूरी तरह से प्रेममयी..
SUBHAANALLAAAAAAAAAAAAAAAH.............
is holi mai to aapke kai saare chehre dekhne ko mil gaye...
अब तो आप कनाडा जाना स्थगित कर संसद सदस्य के लिए पर्ची भर दो. जीत सुनिश्चित है
बहुत खुब समीर जी
आप हर रंग मे अनोखे लगे
janch rahe ho
majaa aa gaya
जाकि रही भावना जैसी
उड़नतश्तरी तिंह देखही तैसी।
बहुत बढ़िया रहे सब रूप।
घुघूती बासूती
चाचा हर जगह छाये हुऎ हो
यही तो सबका प्यार है ।
अच्छा हुआ आपने अपनी सारी तस्वीरें यहाँ लगा दी. इससे पता चलता है आप हर जगह छाये हुए हैं ब्लॉग जगत में.
क्या आप सचमुच पिट गये थे । हो सकता है मोटापे कि वजह से भाग नही पाये हो । चित्र सुन्दर है फ्रेम करवाकर ड्राइंग रूम मे जरूर लगा ले ।
प्रभु के हर रूप को प्रणाम है पर समीरा लल्ली के आगे तो नत मस्तक हो गए हैं.....
wah sameer ji,in chitron men zyada khoobsurat lag rahe ho, badhai.
वाह !!! सुंदर सुंदर रूप ...क्या खूब लग रहे हैं।
इन सब पर एक असली होली वाला फोटो भी लगा देते. गंदे नालों के बारे में तो मुशायरे में ही पढ़ लिया था...यहाँ पर्सनल साधुवाद दे देते हैं...अब बड़ों से ही तो सीखते हैं न :)
समीरा लल्ली सुंदर लग रही हैं और गजल तो गजब की कहती हैं।
भाई समीरजी
सादर अभिवादन
आप अपनी पोस्ट में जिस तरह संजीदगी के बखूबी हास्य का सम्मिश्रण कर देते है जो पोस्ट की गरिमा को चार चाँद लगा देता है और मजेदार रोचक बना देता है साथ ही आपका सरल मधुर स्वभाव से परिपूर्ण टिप्पणियां सभी को आपके ब्लॉग "उड़नतश्तरी " की और आकर्षित करता है . होली पर्व की हार्दिक शुभकामना
आभारी हूँ आपका
महेंद्र मिश्र
जबलपुर
he golmol gudgudaate praanee aap nischit hee is prithvi lok ke nahin hain kintu jis bhee lok se aapkaa ye pushpak vimaan yahan blog jagat par laind hua hai wo lok dhanya hai. aur aapkaa yahan hona bhaarat ke chaand par pahunchne se badee baat hai.
अब हम भी कुछ कहें.....????वाह...वाह.....वाह....वाह.....वाह......वाह.....वाह.....वाह....वाह....वाह...वाह.....वाह....वाह.....वाह......वाह.....वाह.....वाह....वाह....वाह...वाह.....वाह....वाह.....वाह......वाह.....वाह.....वाह....वाह....वाह...वाह.....वाह....वाह.....वाह......वाह.....वाह.....वाह....वाह...
बढिया है....जमे रहें
:))))))))))))))))))))
ये क्या कर लिये हैं। एकदम एक्सपर्ट हो गै हैं फोटो ईडीट करने मे.
होली की बधाई! और हां मिठाई भेज दिजीयेगा :)
:))))))))))))))))))))
ये क्या कर लिये हैं। एकदम एक्सपर्ट हो गै हैं फोटो ईडीट करने मे.
होली की बधाई!
आपको और पूर्ण परिवार को होली की शुभकामनायें.
हमेशा की तरह आपकी पोस्ट में व्यंग के साथ साथ मन के अंतरंग रंगों के भी दर्शन होते है.
इन्दौर आने की याद है ना?्सिर्फ़ हमारे लिये ही नही , ताऊ को ढूंढने के लिये!!!
समीर जी ,हमेशा की तरह हर ब्लोग पर छा गये,
और सुबीर जी " समीरा लल्ली " बनाकर बाजी मार गये ।
हा हा हा हा ! कौन टाइप के लग रए हो आर आप ? होली में । हा हा ।
jai ho jai ho
अँगूठी तुमको पीतल की, टिका कर उसने भरमाया
जो तुमने हमको लौटाए, वो बाले याद आते हैं
वाह! काफी कुछ कर गुजरे हैं जनाब...?
समीर जी आप की गजल की तरह से आप के सारे चित्र भी अति सुंदर लगे, आप ने बहुत मानी इस बार होली, चलिये आईये ओर हमे फ़िर बताना भारत की होली की बाते, हमारे लिये तो सपना ही है.
धन्यवाद
बढ़िया रहा ये रंग भी वो नाले वो साले वाह वाह :)
क्या कहे इ समीर लाल तो बहुत भाये मन को...साल भर ऐसा रंग काहे नहीं चढाते अपने ऊपर....गजल भी बहार में है....ध्यान दीजिये बेहर नहीं बहार कहा है
bahut khoob.......
webduniya मुख पृष्ठ>>फोटो गैलरी>>धर्म संसार>>त्योहार>> होली के रंग भगोरिया के संग ! (Holi - Bhagoriya Festival Photogallery)
log on kare aur
bhagoriyaa ke drushyo se avgat ho le
होली का असली मजा इस गजल में आया.
आपकी जिंदादिली काबिल-ए - तारीफ है. होली की बिलेटेड शुभकामनायें.
घूंघट और दाढ़ी... यही अपने आप में एक गज़ल है।
होली की शुभकामनायें
गजब
Haa Haa Haa Haa....
ek se badhkar ek E-ROOP sajaya aapne..
Aur nalon ka safar to waah.Bhagwaan kare yah bhi E-Naala hi ho,sachchi wala nahi...
वाह तस्वीरें देखकर तो मजा ही आ गया। बहुत खूब।
Sameer भाई
क्या रूप हैं नए नए ............majaa aa गया, कविता तो Pankaj जी के blog पर padhe थी
आपको और parivaal को bilated होली की shubh kaamnaayen
वाह!! क्या बनाया है इस होली ने आपको!!
:)
बडे खुशकिस्मत हैं समीर जी आप..इतने रूप रंग मिल गए...क्या बात है!
चली क्या चाल तुमने भी, जो कर ली गै़र संग शादी
हमें गुज़रे ज़माने के, घोटाले याद आते हैं.
ही ही ही --होली पर आप को बहुत कुछ याद आ रहा है..बढ़िया है!
बधाई इतने रूप रंगों में होलिअवातरी होने पर...
बहुत सारे रंग देखे आपके...
mama ji aap taiyar huwe achchhe lag rahe hai.
aapki photo bariya hai.
तुम्हें छेड़ा था हमने बस ज़रा सा ही तो, नाले पर
पिटे फिर जिनके हाथों से वो साले याद आते हैं
अच्छी ह्जल...
udan tashtri per lagatar nazar banye hue hoon. achha masala derahe hai . yadi ho sake to hamre blog lok mangal per bhe kush nazare inayat kare . Mahra sahib aap se railyatra main hue bhent ke kisse sunnate nahi thakte ahi.
Rajmani
बार बार पढ़ रहे हम बार बार मज़ा आता है सर जी क्या लिखा है वाह वाह!
अँधेरी रात थी वो घुप्प और बिजली नदारत थी
’समीर’ भागे थे जिन रस्तों से, काले याद आते हैं
हा हा हा आप और भागे थे ?
वाह जी वाह !
वाह वाह, सब एक से बढ़कर एक कलाकारी के नमूने हैं, ही ही ही!! :D
आपके लेख पढ पढ के हंस्ता था आज पहली बार आपके चित्र देखकर खूब हंसा।
होली की बधाई
sameer jee,
main to aalekh aur tippaniyon men hi kho gaya hoon
abhi to ian sab par bhi chintan karna hai,
waakai prem aur kalam hee hai jo aapko is mikaam tak laayee hai
- vijay
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