इस सालगिरह के मौके पर आप सब के लिए केक:
वैसे तो तीन साल की उम्र कुछ खास तो नहीं होती है किन्तु उम्र से न सही, दूसरों के अनुभवों से तो सीखा ही जा सकता है. यूँ भी एक उम्र के बाद व्यक्ति उम्र के साथ साथ जिम्मेदारियों से बड़ा होना शुरु होता है. जैसे कि माँ बाप का साया हटना, बच्चों, भाईयों, बहनों की जिम्मेदारी व्यक्ति को खुद ब खुद बड़ा एवं जिम्मेदार बना देती है.
अमिताभ के ब्लॉग पर पढ़ता था कि:
दूसरों की गलतियों से सीखें। आप इतने दिन नहीं जी सकते कि आप खुद इतनी गलतियां कर सके।
बात जचीं. बचपन में और बड़े होने पर भी बाल सुलभ हरकतें और बाल मन अच्छे लगते हैं किन्तु एक उम्र के बात भी वही रट कि मैं तो अभी बच्चा हूँ, मैं तो अभी बच्चा हूँ और उज्जडता जारी, जरा अच्छा सा नहीं लगता और सहज तो कतई नहीं. बस, इन तीन सालों में सही उम्र के सही लोग, बड़ी उम्र के बड़े, बड़े होकर भी उज्जड बच्चे बने आदि सभी से मिलने का मौका मिला. सभी से अनुभव लिए और सभी से सीखने का मौका मिला, उनका आभार दर्ज करना चाहता हूँ.
आजकल पोस्ट भी अनियमित है और टिप्पणी तो न के बराबर ही कर पा रहे हैं. कल ही दिल्ली से बहुरानी को लंदन के लिए रवाना करके लौटे. अब शायद कुछ समय मिले. दिल्ली में फिल्म भी देखी, उसी के बारे में सुन लें:
दाँये और बाँये दोनो तरफ दिल वालों की दिल्ली
दो रोज पहले पत्नी और बहू की जिद पर दिल्ली में दिल्ली ६ देखी. ये छूट दोनों को ही जबलपुर के बाहर है कि हमें साथ फिल्म ले जा पायें.
फिल्म में बताया गया दिल्ली दिल वालों की-जिसके दोनों तरफ दिल है-दाँये भी और बाँये भी. याने हृदयाधात की डबल गुँजाईश. जाहिर सी बात है कि जहाँ दिल होगा, वहीं धड़केगा और वहीं हृदयाघात भी होगा.
मरना तो खैर सबको एक दिन है ही. चाहो तो गैस विकार मान कर हृदयाधात को नजर अंदाज कर दो, और बिना उचित कारण के असमय सिधार गये-कहलाओ या फिर उचित बॉयपास वगैरह कराकर सब की सहानभूति पाते सादा एवं उच्च जीवन गुजार दो सिर्फ इस विचार में कि इसमें सादे के सिवाय उच्च क्या है? ढ़ूँढ़ते रह जाओगे.
खैर, यह सब छोड़ो. नसीब और सेहत अपनी अपनी. देखे हैं लोग जो बिन पान खाये मुख कैंसर से मरे और वो भी जो पान खाते खाते शान से शहनाई बजाते गये. दो दिल हैं तो हैं. जैसी लिखी होगी वैसी ही होगी-मान लो न!! ९९ फिसदी हिन्दुस्तान इसे मानता है.
फिल्म देखी, अंसल प्लाजा के ग्रेटर नोयडा स्थित बिग सिनेमा में. बिग याने इतना बिग कि क्या बतायें. नया बना है तो कोई था ही नहीं और जितना खाली, उतना बिग. हर तरफ जगह, जगह ही जगह.
देखते देखते फिल्म चालू हो गई..ढ़ाँय ढ़ाँय...न जाने क्या क्या..छत पर टायलेट..एक छत से दूसरी छत मिली हुई..जलेबी..रामलीला..पतंगबाजी, जवान सपने, इन्डियन आईडियल, दो भाईयों का बँटा घर फिर भी दीवार मे छेद से जुड़ा घर . हैण्ड पम्प से पानी भर टायलेट जाता अभिषेक फोन पर अटका हुआ, गाय बछड़े को जन्म देती हुई और उससे जुड़ी हमारी अंधविश्वासी धार्मिक आस्था, पाँच साल से सूखी तुलसी फिर एकाएक हरी भरी होती, कबूतर बाजी, गैंदा फूल ससुराल और फिर वही, जलेबी अछूत लड़की जिसे हर किसी में छूने की ललक. जाने क्या क्या.
न सिर न पैर और उस पर से थाना इंचार्ज दुबे जी (मानसून वेडिंग फेम)-एक मात्र ऐसा करेक्टर जो वाकई में हो सकता है.
विदेश-देश-सीन पर लादे हुए सीन तो ऐसे लादे कि न्यू यार्क में चाँदनी चौक दिखवाये दिये. पता नहीं कहाँ रामलीला हो रही थी कि सारे लोग चंद लोगों को पहचान रहे थे और उसी में ईद भी हो ली. जामा मज्जिद भी सज ली. संप्रदायिक झगड़े भी हो लिये. पुराने जमाने के हिन्दु मुस्लिम विवाह की वजह से देश त्यागा युगल और उसका घर लौटता बालक अभिषेक, सब कुछ की पैकेज डील और पैकेट खाली. गिफ्ट हैम्पर के बड़े बक्स टाइप. आखिर तक समझ ही नहीं आया कि आखिर दिखा क्या रहे हैं?
एक किरदार था जिसका नाम था गोबर. बिल्कुल नॉन रसूकदार एक आम आदमी सा.. रसूकदारों/ रईसों का मनोरंजन का साधन और जीवन यापन की जुगत में पगला सा बना जीवन काटता.
खैर, पूरी फिल्म में जिसने घुमाया वो था काला बन्दर. आखिर तक नहीं पकड़ाया. अगर अभिषेक नाटक में काला बंदर न बन कर पकड़ाता तो नोयडा के आरूषि केस टाईप लटक कर रह लेता काला बंदर और हम आदतानुसार भूल जाते उसे. जय हो अभिषेक तुम्हारी. तुम आरुषि केस के समय कहाँ थे? सुना है उस केस जो उगलवानी केपसूल थी नारको टेस्ट वाली डॉ मालिनी, वो बरखास्त हो गई है सबूतों से छेड़छाड़ करने के आरोप में अरे, उसी पर तो यह जिम्मा था कि सबूत उगलवाये और वो ही बरखास्त.
खैर, काला बन्दर - अंत तक एनोनिमस रहा..और अब भी है. आगे भी रहेगा. उसका अस्तित्व शास्वत है झूठ की तरह हरदम सत्य पर विजय पाता. बस, समय समय पर अपनी उपस्थिति दर्ज करता रहता है. कभी किसी ने समझा मुसलमान है. कभी किसी ने हिन्दु माना. सब आपस में लड़ते रहे और वो अफवाहों को दोनों तरफ से जन्म देता रहा, लोगों को लड़वाता रहा और पकड़ में आया गरीब-फेन्सी ड्रेस टाईप सजा अभिषेक. काला बन्दर था या हमारा नेता?
या कहीं वो हमारे ब्लॉगजगत के अनाम टिप्पणिकार तो नहीं?? उनका भी तो यही काम है और वो जब फेवर में बोले तो मन ही मन हम खुश और विरोध में जाये तो धमकी कि हिम्मत है तो खुल कर सामने आओ. आ भी जायेगा तो क्या कर लोगे मात्र मॉडरेशन की तलवार चलाने के?
अरे जलेबी, गोबर को अपने सर के बाल तो काट कर दे-अभी स्वाहा करते हैं इन अनाम महारज को!! जय हो..ओ..के....!!!!
(ऐसे ही एक स्वामी जी स्वाहा करने वाले थे काले बंदर को फिल्म में-गोबर से काले बंदर का बाल मंगवा कर जिसे जलेबी ने अपने सर से काट कर गोबर को दे दिये थे)
121 टिप्पणियां:
तीन साला जश्न मनाया जायेगा .अजीब सा केक भी खाया जायेगा . बधाई बधाई बधाई
सालगिरह की हैप्पी बड्डे!
इस ब्लॉगजगत में तीन साल पूरे होने की बहुत बहुत बधाई !!
तीन सालो का सफलतापूर्वक सफ़र तय करने के लिए हार्दिक बधाई और शुभकामना . आप ब्लागजगत में ५० सालो का सफ़र तय करे. शुभकामना के साथ.
तीन सालो का सफलतापूर्वक सफ़र तय करने के लिए हार्दिक बधाई और शुभकामना . आप ब्लागजगत में ५० सालो का सफ़र तय करे. शुभकामना के साथ.
happy birthday to your blog sir.. ye jiye haajaaro post, post par tippani ho 50,000... happy birthday to udantashtari..
ब्लोगजगत में तीन वर्ष पूरे होने की बधाई.
बहुत ज्यादा वक्त लग गया आपको इस शौक को शैली बनाने में, हमें तो बस तीन महीने में ही इसका नाम शौक से बदलकर कुछ रखने की जरूरत आन पड़ी. खैर आपने सुझा दिया तो शैली ही कह लेते हैं .
हमारी तरफ़ से भी हिन्दी को प्रगाढ़ करने के लिए बधाई स्वीकारें, तीन क्या तीन सौ सालों तक आपकी कलम चले, चलिए, की-बोर्ड पर उंगलियाँ ही सही!
bahut bahut shubhkamnain. google ka bhi aabhar jiske kaaran aap jaise any samvedanshil lekhako ko padhne aur jaane ka mauka mila hai. punh shubh kamnain
सालग्रह की बधाई!
लौहो-क़लम (साइबर) की परवरिश का ये सिलसिला यूँ ही चलता रहे ....सालगिरह मुबारक !
६ बधाइयाँ.. प्रतिवर्ष २ के हिसाब से..--:)
बधाईयाँ ! लेकिन यह केक तो नही चलेगा, नही चलेगा!दिल्ली मे रहकर आप केक की शक्ल दिखा कर पल्ला झाड़ लेंगे क्या?यह तो सरासर ज़्यादती है।वैसे 21 फरवरी को हमें भी 2 साल पूरे हुए थे{नोटपैड ब्लॉग पर} पर क्या करें याददाश्त का कि बड्डे भूल जाते हैं।ज़्यादा देर नही हुई आप अब भी हमें बड्डे विश दे सकते है , हमे कतई बुरा नही लगेगा!
बधाई ! फिल्म समीक्षा भी अच्छी रही !
बधाई, तीसरी सालगिरह की।
हार्दिक बधाई।
घणी शुभकामना और बधाई जी. वैसे ब्लागिंग मे निरंतरता के साथ तीन साल कम नही होते. बडा मुश्किल है निरंतर लिखते जाना और टिपियाते जाना.
आपके दिल्ली के सिनेमा के अनुभव बहुत लाजवाब रहे जी.
रामराम.
चपल रह ,समीर भाई
sab se pahle 3 saal pure hone par badhaai.
doosari baat aap ka likhne ka andaaz pyara hai. Sharad Joshi ke jaisa.padte padte man involve ho jaata hai.hasya aur vyang dono saath saath maujood rahte hain. manmohak lagaa.
बाबा सब ठीक करेगा ....ओक्के ......
आगे रास्ता जाम है .....गौ माता जी बछडे को जनम दे रही है .....
समीर भाई साहब ..... ब्लॉगजगत में तीन साल पूरे होने की बहुत बहुत बधाई !!
आप तिन साल के हो गए ब्लॉग जगत में ,आपको तीसरे साल की सालगिरह मुबारक हो ... थोडा सा केक मेरे लिए भी ..... सही कहा आपने दो दिल दुगनी गुंजाईश हृदयघात के .... बहोत ही मजेदार लिखा है आपने... आपने केक का मज़ा मेरे
नै ग़ज़ल के साथ ले ....
अर्श
blog janamdin bahut mubarak
ब्लॉग के तीन साल पूरे होने पर बहुत बहुत बधाई!
केक भी निराला ही दिख रहा है.
दिल्ली ६ देखि नहीं इस लिए काले बन्दर वाली बात समझ नहीं आई.
आप आज यह दो बातें -बहुत जचीं- एक उम्र के बाद व्यक्ति उम्र के साथ साथ जिम्मेदारियों से बड़ा होना शुरु होता है
-दूसरों की गलतियों से सीखें। आप इतने दिन नहीं जी सकते कि आप खुद इतनी गलतियां कर सके।
-ऐसे ही हर साल आप केक खिलाते रहें--शुभकामनायें.
बधाई हो । बधाई हो। बधाई हो
इस ब्लॉगजगत में तीन साल पूरे होने की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाये.....फिल्म की समीक्षा भी बेहद शानदार कर डाली आपने......और अपने bussy schedule से चंद लम्हे हमे देने का और उन यादगार पलो के लिए भी आपका और साधना जी का दिल से आभार...."
Regards
बच्चे कितनी जल्दी बड़े हो जाते है! :) तीसरा जन्मदिन मुबारक!
तीसवीं सालगिरह की हार्दिक बधाईयाँ… आप तो इतना लिख चुके हैं कि "तीसरी" लिखना तो बहुत कम ही लगता है, और जब आप लेखन की तीसवीं सालगिरह मनायेंगे तब की बधाई भी एडवांस में रख लीजिये… :) :) केक तो इतना सुन्दर है, क्या उसे काटेंगे?
क्या केने क्या केने, तीन भी पूरे हुए हैं,तीस भी होंगेजी, हम तो आपके सौ साल मनायेंगे ब्लाग पर,जमाये रहियेजी।
तीन साल पूरे होने की बहुत बहुत बधाई
"...एक शौक के बदले जीवन शैली..."
हमारी भी जीवन शैली हो गई है - उड़नतश्तरी को पढ़ना.
तीन साल के होने पर (ब्लॉग ) बहुत बहुत बधाई ...समीर जी यूँ ही लिखते रहे आप
मुबारक हो
मीत
chittthe ke janmadivas ki bahut bahut badhaiya.n..teen saal me aap jahan par hai ham to tees saal me bhi ummeed nahi karte...! bahut kuchh seekha hai aap se, bahut kuchh seekhna hai aap se...!
lekin film pata nahi kyo mujhe achchhi lagi..badi lambi chaudi post likh rahi thi us par , ab thoda dar lag raha hai.... :) :)
थाना इंचार्ज दुबे जी का असली नाम 'विजय राज' है जी...
वैसे आप अगर जा रहे है सिनेमा देखने.. तो बिग तो होना ही चाहिए..
कला बंदर तो आपने पकड़ ही लिया.. फोटू भी खींच के लगा ली.. फिर उसे अनाम काहे कह रहे है जी..
खैर जो भी हो हम आपको तीन साल पूरे होने पर बधाई देते है और धमकी भी की खाली फोटो वाले केक से काम नही चलेगा.. हमको तो सच्ची मूची वाला केक चाहिए जी... जय हो.. ओके जी!
बहुत बहुत बधाई.
सुरेंद्र मोहन पाठक के उपन्यास का एक किरदार है।
वह अक्सर शराब पीते समय चीयर्स कहने की बजाय कहता है कि ' पीते रहें जीते रहें, जीते रहें पीते रहें।
तो बस कुछ इसी अंदाज में लिखते रहें पढ़ते रहें, पढ़ते रहें लिखते रहें। ;)
ससुराल गोंदा फूल ;)
ब्लॉग जन्मदिवस की खूब सारी बधाई ।
आपने तो केक भी खिला दिया । तो इसके लिए खूब सारा धन्यवाद । :)
janamdin blog ka milenge laddu humko......
ब्लॉगजगत में तीन साल पूरे होने की बहुत - बहुत बधाई.
हिंदी ब्लॉगिंग की चक्रवृद्धि टिप्पणी उत्पादक मशीन के 3 साल पूरे होने पर वाह .. वाह.. वाह
केक ?तो देसी कौन खोलेगा .....?ईहाँ हम तम्बू में बैठे है वहां आप केक खा रहे है ....वो फ़कीर हमें सबसे भला लगा इस पूरी पिक्चर का असली सन्देश तो वही देता था .आइना दिखा के........
Many more happy returns of the day...
Blog ke saalgirah ki dhero shubhakaamnaye...
cake bahut achha tha...
अरे तो आपको भी अभी तीन ही साल हुए. हम तो सोच रहे थे कि 7-8 दशक हो गए. बहरहाल, बधाई और शुबकामनाएं.
तीन साल पुरे होने पर ढेर सारी बधाईयाँ। वैसे दिल्ली ६ के बारे में आपने जो भी समीक्षा की है वो बहुत हद तक सही भी है । "रंग दे बसंती" फ़िल्म के निर्देशक से ऐसी फ़िल्म की उम्मीद नहीं थी। वैसे भी फिल्में कल्पनाओं पर ही आधारित होती हैं लेकिन कल्पनाएँ ऐसी भी नहीं होनी चाहिए जिसका कोई सर पैर ही ना हो। फ़िल्म में अमिताभ बच्चन भी आ गए पता नहीं कैसे?
बहुत बधाई समीर भाई...
उड़न तश्तरी उड़ती रहे...
PANKAJ SUBEER 09977855399 to me
show details 2:15 PM (3 minutes ago) Reply
आपके ब्लाग पर तीन बार जाकर कमेंट लगाने का प्रयास किया किन्तु असफल रहा सो यहीं कर रहा हूं । आपको 3 साल पूरे होने पर बधाई । वैसे तो दिल्ली 6 को लेकर मुझे पहले ही काफी लोगों ने डरा रखा था लेकिन अब तो ये तय है कि सुसुराल गेंदा फूल के लिये भी मैं ये फिल्म नहीं देखूंगा ।
सुबीर
ब्लॉग की तीसरी सालगिरह पर बधाई . हर पोस्ट लाजवाब और हर चिट्ठाकार पर टिप्पणी कर उसका उत्साह बढ़ाना आपकी खासियत है .आप साथी चिट्ठाकारों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं.
समीर भाई, ब्लॉग की तीसरी सालगिरह की हार्दिक बधाई.
फिल्म के बारे में पढना अच्छा लगा. बेनामी के बारे कहना भी अच्छा लगा.
बिना केक खाए ही (देखने-भर से जी नहीं भरता न)आपके त्रिवर्षीय लेखन की पूर्णता पर शुभकामनाएँ। बधाई।
केक दिखा कर ललचाने के आरोप में आपके विरुद्ध केस करने की सोची जा सकती है। सावधान रहिएगा।
ब्लॉग की वर्षगाँठ पर आपको बहुत-२ बधाई, आगे भी ऐसे ही बढ़िया लिखते रहें ऐसी शुभकामनाएँ। :)
बाकी दिल्ली ६ के बारे में आपने और अन्य लोगों ने बता के अपने पैसे और समय दोनो लुटने से बचा दिए, इसके लिए भी आपको ढेर सारा साधुवाद! :)
वाह ! ऐसे कैसे फोटो के केक से काम चलेगा? हमें तो सच वाला चाहिए। भारत में हैं तो लगे हाथ सोमनाथ दर्शन करने आ जाइए। गिर( वन, हम अपने गिरने की बात नहीं कर रहे ! ) के शेरों से भी मिलवा देंगे। केक भी खा लेंगे।
यह आप कौन सी फिल्म देख आए? हमने तो वर्षों बाद टाटा स्काइ की सहायता से स्लम डॉग देख ली। वही आप भी देखते तो बेहतर होता।
घुघूती बासूती
ब्लाग की वर्षगांठ की बहुत बहुत बधाई
रही केक वेक की सो तो आप जब मिलेंगे तब वसूल लेंगे.
बधाई समीर भाई...........
तीन साल, छोटे भी हें औए बड़े भी.
छोटे इस लिए की अभी अभी तो शुरू किया था पढना और बड़े इस लिए की तीन साल में इतना कुछ लिख दिया आपने, इतना सही, कालजयी लिख दिया की एक उम्र थोडी है इसे जानने और समझने मैं. इस पोस्ट को ही दखो कितना कुछ कह दिया बातों ही बातों में. इसी बात के तो कायल हें हम जनाब.
बहुत-बहुत बधाई
cake eaten
then saw
a monkey wondering
sameerji bandar ne muh chidhaayaa hai koi gadbadi to nahi ki thi cake me
ब्लागजगत में तीन साल पूरे होने की हार्दिक बधाई
"तीसरी" manaa li terahvi kaa khyal aa gayaa
jaise aapko salgirah aur film me bahu kaa khyal aayaa
मुबारक हो। आपकी प्रेरणा और उत्साह को सलाम।
ब्लॉग सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएँ आपके साथ लगभग शुरु से तीन सालों का साथ रहा है और आपकी पोस्ट का आनंद उठाने का मौका मिला है। आपके ब्लॉग के दीर्घायु होने की मनोकामना के साथ !
तीन साल के इस शानदार सफर के लिए बधाई। केक देखने में तो अच्छा लग रहा है लेकिन मेरी नजर तो उस ब्लेक लेबल पर है जो आपने अपने पीछे दुबका रखी है।
दायें और बाएँ दोनों तरफ वाले दिलों से बधाईयाँ.....
happy wala B'day sirji....
ब्लोग के जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई। हम भी आप को सौ साल पूरे होने पर बधाई देगें:) चाहे तब आप को हमारी आवाज सुनाई दे या न दे
जोहार
तृतीय वर्षगांठ की हार्दिक बधाईया.
हम सही में सठिया गए हैं....काहे? अरे भाई देखिये न साठ लोगों की टिपण्णी के बाद अब जा कर आपकी पोस्ट पर टिपिया रहे हैं....
सबसे पहले तो तीन साल तक लगातार लोगों को गुदगुदाते रहने की ढेरों बधाईयाँ हमारी और से....लगता है आप शोले फिल्म का और दुल्हनियां ले जायेंगे फिल्म के चलने का रिकार्ड आसानी से भंग कर देंगे...आपकी उड़न तश्तरी फिल्म तीन साल से एक ही थियेटर में चल रही है और लोगों की भीड़ है की बढती ही जा रही है...आप कलयुग में सतयुग के प्राणी लग रहे हैं...आप महान हैं...आप विलक्षण हैं...आप ये हैं आप वो हैं...आप आप हैं...
आप जैसा कोई मेरी ज़िन्दगी में आये तो ब्लॉग बन जाये ओ हो ओ ब्लॉग बन जाए...
दिल्ली छे फिल्म देखते वक्त आपने इतना दिमाग लगाया कमाल है...हम ने बिलकुल नहीं लगाया और फिल्म को खूब एन्जॉय किया...आप भी भविष्य में ऐसा ही किया करें...सुखी रहेंगे...
नीरज
समीर जी,
धन्यवाद। आप पूछें इसके पहले ही बता दूं, दिल्ली6 घूमने का प्रोग्राम बन रहा था, आपने पैसे, माफ किजियेगा, रुपये बचवा दिये।
तीन साल पूरे होने की बहुत बहुत बधाई ....
ब्लोग की तीसरी सालगिरह पर ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।
समीर भाई,
बधाई हो जी ..
For shining 3 years + most comments generating +
most popular HINDI BLOG !!
और आप आजकल हमारे ब्लोग पर आते नहीँ क्यूँ जी ? आपकी कमी खलती है ..
काला बँदर तो डरावना है ..
कहीँ सारा केक वही ना खा ले !
बच के रहेँ जी .
और बहुरानी की लँदन यात्रा
अच्छी रहे ..
एकाध फिल्म तो हिन्दी ब्लोगर सँघ पर भी आराम से बन सकती है .
.क्या कहते हैँ आप ? :)
"जय हो !! "
- लावण्या
"वैसे तो तीन साल की उम्र कुछ खास तो नहीं होती है"---
ज़िंदगी प्यार की दो चार घडी़ होती है
चाहे थोडी भी हो ये उम्र बडी होती है॥
ब्लाग जगत में तीसरी सालग्रह पर बधाई। तीन सालों में इतना लिखना तो वाक़ई में कमाल
की बात है। फ़िल्म की समीक्षा बहुत पसंद आई।
हार्दिक बधाई ब्लांग सालगिरह की... खुब लिखो!
udan tashtari ji blog ki duniya me ishwar kare aap kautuhal jagate(naam:udantashtari), muskaan bikhrate(aapki hasya vyang ki rachnaye), hamesha hame aur sabhi blogiyon ko dikhte rahe. badhai, bahut bahut badhai.:)
तीसरे जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई...और हाँ हमें ये बंदरिया वाले केक को देख कर मुंह में पानी आ रहा है! इसकी मुंडी हम काटकर खा लें?:-)
विश्वास करना कठिन है कि आपको चिट्ठा जगत में तीन वर्ष ही हूए हैं। ऐसा लगता है कि आप तो इस दुनिया के 'आदम' हैं - खुद, खुदा के भेजे हुए। आप तो चिट्ठा लगत की जीवित किंवदन्ती हैं। आप कह रहे हैं तो मानना ही पडेगा कि तीन ही वर्ष हुए हैं।
इस प्रसंग पर हार्दिक अभिनन्दन और बधाइयां।
वाह, सिनेमा देख कर बड़े मस्तिया रहे हो, भाई साहब !
इतना तो हम अपने पैदा होने पर भी नहीं मस्तियाये थे.. !!
लगे रहो समीर भाई, ये अपुन का इंडिया है,
यहाँ तो राजा हो, ब्लागरों के ख़्वाज़ा हो
कनाडा में.. ?
बहुत बहुत बधाई। आशा है आगे हम 30वें साल का भी केक खाएंगे।
वधाई हो. बहुत सुन्दर कलम है आपकी.
तीन साल पूरे- बधाई।
पचहत्तरवीं टिप्पणी- गुस्ताख उड़नतश्तरी के दूर तलक उड़ने और उनके ब्लॉग लेखन को और चमकदार होते ही जाने की कामना करता है। तीन साल के वयस्क उड़न तश्तरी का तीकापन कम न हो हास्य की फुहार छूटती रहे। सादर
शानदार पोस्ट...
फिल्म देखी, अंसल प्लाजा के ग्रेटर नोयडा स्थित बिग सिनेमा में. बिग याने इतना बिग कि क्या बतायें. नया बना है तो कोई था ही नहीं और जितना खाली, उतना बिग. हर तरफ जगह, जगह ही जगह.
gar pata hota ki aap ansal mein aane vale ho to aapke darshanoN ka ye mauka kabhi hath se nikalne nahi dete ..
or haan cinema haal khali na lage iske liye gaaNv ke sare gobarganeshoN ko le aate.
aapko padhna accha lagta hai.
shukria aap jaise rachnakaar ne mere shabdo or bhavo ko saraha ye mere liye fakr ki baat hai.
तीन साल पूरे करने की बधाई। आप इसी तरह से जमे रहें।
केक देख जो सबसे पहली बात मन में आई........"वाह भाई जी, हमें केवल केक दिखा कर ललचाकर छोड़ दिया" .
सोचा, झगड़ने लायक पूरा कारण निकलता है......फिर लगा चलो,पहले पढ़ लेते हैं,फिर झगड़ लेंगे....
लेकिन आपने तो बातों में ऐसे घुमाया कि सबकुछ भूल भालकर उसीमे डूबे गम हो गए......
बहुत बहुत मुबारक हो....
पर ऐसे नहीं चलेगा....देखकर नहीं खाकर ही आनंद मिलेगा,इतना सुन्दर केक.. ....
cake majedar laga. aasha hai hum shahstro cake aapke dwara kahayen. lekh achchha lga . ab to delhi- 6 dekhni padegi
समीर जी, ब्लागजगत में आपकी तीसरी तथा आने वाली चौथी सालगिरह की भी एडवांस मे बहुत बहुत बधाई.........वैसे एक बात कहना चाहूंगा कि आप किसी समाचार पत्र/पत्रिका में फिल्म समीक्षा क्यूं नहीं लिखते?
इत्ती बधाई पाने के बाद भी मुझे पता है कि आप मुझे मिस कर रहे होंगे।:)
आजकल बहुत आलसी हो गया हूँ इधर घूमने फिरने में...। लेकिन देर से ही सही आना तो अनिवार्य है यहाँ मत्था टेकने। हमारा तीर्थ जो ठहरा।
बधाई और गोल्डेन जुबली के लिए अग्रिम शुभकामनाएं।
ज्यादा से ज्यादा बधाई की टिप्पणीया मिले,
ये शुभकामना हमारी।
चारो ओर खुशबू आपकी बिखरे,
ये मनोकामना हमारी।
जीवन मे बहुत सुख पाऎं और ब्लॊगर-जगत के राजा बन जाऎं ,
ये है ईश्वर से प्रार्थना हमारी!!!!!!!!!!
तीन साल...बाप रे....!!!!
बहुत बहुत बधाई
हम जैसे जाने कितने निनुआ ब्लौगर को आपने पीठ थपथपाकर चलना सिखाया है...
समस्त शुभकामनायें और आशा ये तीन अभी तीस भी बनेगा
Happy Birth Day Sameerbhai.
May God bless u and grant u more and more ability to write.
-Harshad Jangla
Atlanta, USA
तीन साल पूरा करने पर बहुत बहुत बधाई, बच्चा अब तो काफी बड़ा हो गया है। और नयी ईस्टाइल की समीक्षा पढ़कर मजा आ गया, बंदर और बर्थडे का केक एक साथ किसी जोड़ी से कम नही लग रहे थे।
तो क्या हुआ मै देर से आई!
ये लो हमारी भी बधाई! :)
साल हुए हैं तीन!
लिखते चलें, हों लीन!
आप हंसे, सबको भी हंसाएं!
यही हमारी शुभकामनाएं! :)
आपे कहीं ज्यादा टाइट हाल हमारा है। न पढ़ पा रहे हैं न टिप्पणी कर पा रहे हैं। जिन्दगी में ऐसे फेज आते हैं।
आपने तो मुझे दो-साल की बधाई दे दी, मुझे देने में देर हुई!
और आपके प्रति अपना अहो भाव रिपीट करना कोई बहुत जरूरी नहीं - वह तो प्रचुर है ही!
बहुत बधाई!
आपके ब्लॉगलेखन की तीसरी सालगिरह पर बहुत मुबारकबाद एवं शुभकामनाऐं.
ऐसे ही आपका परचम लहराता रहे, यही कामना है.
बहुत बहुत बधाई इस सालगिरह पर. गुरु जी और गुरु माँ दोनों आशीर्वाद कर रहे हैं.
आ, लालाजी,
सबसे पहले देर से पहुचने के लिये मुझे क्षमा करे।
आपको खुब शुभकामनाये तीन वर्ष के ब्लोगिग जिवन की सफल यात्रा के लिये। आपने बीते तीन वर्षो मे अपने विचारो अनुभवो को लोगो के समक्ष बॉटा वह हमारे जिवन उपयोगी साबित हुआ है। यह बाते प्रशसनीय ही नही उल्लेखनिय भी थी। भविष्य मे हम आपसे कुछ अधिक कि उम्मिद लगाये बेठे है। और उसमे आप खरे उतरेगे ऐसी प्रर्थाना ईश्वर से करता हू।
मेरी शुभभावनाये स्वीकार करे।
सालगिरह की बधाई. दिल्ली- ६ तो जो थी वो तो थी ही, यह समझ नहीं आया की काला बन्दर फ़िल्मी हो या असली उसके बाल लाने 'गोबर' ही क्यों भेजे जाते हैं.
बधाई, बधाई, बधाई!
तीसरी सालगिरह मुबारक हो जी..
सालगिरह की बहुत बधाई
बाकी सब ठीक है लेकिन मेरा चित्र क्यों छापा मुझसे बिना पूछे, आप और इष्टदेव जी दोनों लोग मेरा चित्र छाप रहे हैं (लेकिन कोई बात नहीं इसी बहाने पापुलर हो रहा हूं) और वैसे भी इन्सान का पूर्वज तो हूं ही.
अच्छा यानी और भी लिखेंगे !
:)
बधाई!
ब्लोगजगत में तीन वर्ष पूरे होने की बहुत- बहुत बधाई समीर भाई.ये सिलसिला यूँ ही चलता रहे....शुभकामना के साथ.
बधाई हो जी, देर से ही सही। केक नहीं खानेवालों के लिये कुछ तो अल्टरनेट होना चाहिये था!!!!!!!!!!
Are Tastari ji ham to Bdhai dene aaye the pr ye Vivek ji kya samjha rahe hain...? Bhi aajkal ye kya ho rha hai ...har jagah kuch na kuch gadbad najar aa rahi hai...??
समीर भाई,
ये अपने विवेक भैया के नाम से कोइ बहुरूपिया टिपिया गया है शायद. प्रोफाइल भी दूसरी है और उस नकली प्रोफाइल पर उनके ब्लॉग का लिंक भी गलत वर्तनी के साथ झूठा है. अब पूरा किस्सा तो हमें नहीं पता मगर जब इतनी लम्बी क्षमा प्रार्थना देखी तो माथा थोडा सा ठनका.
प्रिय विवेक, तुम जहाँ कहीं भी हो.. लौट आओ ।
तुम्हारी ईमानदारी के सम्मुख मैं बड़ा होते हुये भी नतमस्तक हूँ ! आज सुबह जैसे ही मैंनें ईमेल सब्सक्रिप्शन के चलते टिप्पणी देखी.. मानों घड़ों पानी पड़ गया । ऎसे कुचक्रों की सुन गुन के साक्ष्य मेरे पास होते हुये भी सहज विश्वास न कर पाया ! एक बार फिर, मुझे श्री नवनीत भटनागर, ( जो कि Sophos में कार्यरत हैं ) की सहायता लेनी पड़ी, और यह मेल आईडी वेरीफ़ाई करवाया, जो तुमने किन्हीं कविता जी के आई.डी. से की गई है ! मेरी यह टिप्पणी स्मार्ट इंडियन जी के संदर्भ में है ! संभवतः समीर जी इसे मोडरेट कर दें । हिन्दी की रचनाधर्मिता को राजनीति ही तो ले डूबी ! खेद है, कि हँसाने गुदगुदाने वाली टिप्पणी की जगह मुझे ऎसी टिप्पणी करनी पड़ी !
जरा विचार करके देखें.. आप अपनी मातृभाषा के लिये टाइमखोटी करते हैं, न कि किसी व्यक्ति-विशेष की महत्वाकांक्षा को सहलाने के लिये !
सो, एक बार फिर दोहराऊँगा.. लौट आओ । कोई तुम्हें कुछ न कहेगा :)
मेलकर्ता जी, अभी एक स्माईली से काम चलाइये !
To sameer ji.
I have removed word verification. Sorry for the inconvenience. Thank you for the comment.I look forward to read your blog.
thank you
gajendra singh bhati
iimc, New Delhi
बधाई, तीनसाला सालगिरह की और दिल्ली 6 की भी ।
धन्य है आप ,तीसरा जन्मदिन मुबारक हो
बहुत खूब कहा है। यहाँ भी नजरें इनायत करें।
पल भर
हा हा हा कहाँ से कहाँ तक सोच लेते हो सरजी !
बहुत ही लाजवाब पोस्ट गढ़ी है। काले बन्दर के बारे एकदम बजा फ़रमाया हा हा। ब्ला॓गजगत में तीन वर्ष कम्प्लीट्ली पूर्ण करने पर बहुत बहुत बधाई। पार्टी लेने एक दो दिन में घर पर धमकता हूँ।
देर से आने के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ
बधाई स्वीकार करें
सार्थक ब्लॉग्गिंग में ३ साल पूरे करना निश्चय ही बड़ी बात है.
पर उससे भी बड़ी बात जो मुझे लगती है वो है नए ब्लॉगरों के प्रति आपका प्रेमभाव.
आपके प्रोत्साहन ने न जाने कितने ब्लॉगरों को हिंदी ब्लॉगजगत को छोड़ने से रोका होगा
देल्ली ६ फिल्म से ज्यादा मनोरंजक तो आपकी समीक्षा ही है
नमस्कार...
परेशानी के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ...
सम्माननीय दोस्तों को पढ़ने में परेशानी होने की वजह से बड़े फॉण्ट में इस प्रिंट को पुनः प्रकाशित कर रहा हूँ। आशा करता हूँ की यह तरीका सुलभ रहेगा, परेशानी के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ......
Udan Tashtari ji,
bahut badhiya likh rahe hain aap badhhai ho.
समीर जी
नमस्कार
"आओ, ब्लॉग सालगिरह का केक तो खाते जाओ!!" पढ़ कर हमेशा की तरह मानसिक तृप्ति हुई.
तीन साल में ही ब्लागाम्बर की ऊँचाइयों पर उड़न तश्तरी को ले जाना वाकई हमारे लिए फख्र की बात इस लिए भी है कि हम एक ही बिरादरी और स्थान से जुड़े हुए हैं.
उम्मीद है कि हमारा प्रतिष्ठित ब्लाग "उड़न तश्तरी" अपनी गरिमा में चार चाँद लगाएगा ..
- विजय
इस ब्लॉगजगत में तीन साल पूरे होने की बहुत बहुत बधाई !!
इस ब्लॉगजगत में तीन साल पूरे होने की बहुत बहुत बधाई !!
lal sahab , blog jagat ke teen saal poore hone ki badhai. lekh padha maza aaya, asliyat "delhi 6" ki. wah.
आपको तीन साल पूरे होने पर बधाई समीर भाई।
बिलोगर जी....तीने साल में सठिया गए ना....अब बंद करो इ बिलोगिंग....विलोगिंग....बड़ी बेकार और बेकाम की चीज़ है भईया....और बहुते शौक है ना तो कम्पियूटरए में घूस जाओ.... हमरी तरह....हा...हा...हा...हा..हा..!!
sammer Ji
Chaunkna Laazmi tha..par cake to vegetarian hai na !!!
ssneh
Devi Nangrani
देरी से आने का अफसोस रहेगा क्योंकि केक भी नहीं मिलेगा खाने को...
आपको देर से ही सही हार्दिक बधाई कई ब्लॉग खुलता ही नहीं था सो काफी परेशान होकर बन्द करना पड़ता था माफ कीजियेगा...
फिल्म में बताया गया दिल्ली दिल वालों की-जिसके दोनों तरफ दिल है-दाँये भी और बाँये भी. याने हृदयाधात की डबल गुँजाईश. जाहिर सी बात है कि जहाँ दिल होगा, वहीं धड़केगा और वहीं हृदयाघात भी होगा.
अच्छा है हम दिल्ली में नहीं रहते.
समीर जी देरी से आने के लिये मुझे क्षमा किजीयेगा ।
केक खत्म तो नहीं हुआ ?...........
वैसे मुझे तो आज ही पता चला के आप के ब्लोग का जन्मदिन भी २ मार्च को है । हमारे ब्लोग का जन्म भी इसी दिन हुआ था ।
हमारे ब्लोग के दो और आपके ब्लोग के ३ साल पुरे हुये ।
आपको बहुत बहुत शुभकामनाये और धन्यवाद ।
आपका ब्लोग पढ़ती तो हमेशा हुँ पर बिना बताये निकल जाती हूँ :)
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