मुन्नू याने पिछले ढाई दशक से भी ज्यादा समय से मेरे जी का जंजाल.
मेरे मित्र शर्मा जी का बेटा है. पारिवारिक मित्र हैं तो सामन्यतः न पसंदगी को भी पसंदगी बता कर झेलना पड़ता है. शायद शर्मा जी का भी यही हाल हो मगर उससे हमें क्या?
मुन्नू क्या पैदा हुए, शर्मा शर्माइन सारी शरम छोड़ कर उसी के इर्द गिर्द अपनी दुनिया सजा बैठे. फिर क्या, मुन्नू ने आज माँ कहा, मुन्नू आज गुलाटी खाना सीख गये, मुन्नू चलने लगे. मुन्नू सलाम करना सीख गये और जाने क्या क्या. हर बात की रिपोर्टिंग बदस्तूर फोन के माध्यम और आ आकर या बुला बुलाकर मय प्रदर्शन के जारी रही.
बेटा, समीर अंकल को सलाम करो..बीस बार बोलने पर मुन्नू भी टुन टान करके एक बार सलाम किये..फिर क्या, सब लगे उसे चूमने..खूब खुश होकर अतः हम भी खुशी से हँसे. वाह, वेरी गुड करते हमारा मूँह दुख गया मगर शर्मा दंपत्ति न थके. नित नये किस्से.
देखते देखते मुन्नू चार साल के हो गये. दीवार से लेकर फ्रिज तक पर पेन्टिंग ड्राईंग में महारत हासिल कर ली. मूंछ वाली रेलगाड़ी, कुत्ते से बदत्तर सेहत वाला पंखधारी शेर, गमले में उगता आधा कटा पपीते के आकार का सेब, नीला केला..सब बनाना सीख गया. शर्मा दंपत्ति का सीना गर्व से फूला न समाता और हम एक चाय की एवज में वाह वाह करते रह जाते.
वाह वाही से बालक मुन्नू इतना उत्साहित हुए कि एक दिन हमारे ड्राईंग रुम की दीवार पर उड़ती हुई मछली के सर पर गुलाब का फूल उगा गये. अब हमें काटो तो खून नहीं, मगर क्या करते. खुद ही तो वाह वाह करके उत्साहित किये थे. मिटा भी नहीं सकते, शर्माइन के बुरा मान जाने का खतरा. वो तो इस चक्कर में साल भर बाद एक पैच मिटाने के लिए पूरे घर को पेन्ट करवा कर बहाना बनाया कि पेन्ट छूटने लगा था, तब बच पाये.
आप भी देखें मुन्नू की कला का एक नमूना:
अब तक मुन्नू स्कूल जाने लगे. हमारे लिए नई जहमत रोज साथ लाने लगे. अब जब भी वो लोग बुलायें या हमारे यहाँ आयें तो कभी गिनती, कभी ए बी सी, कभी पहाड़ा और कभी कविता. दोनों हाथ एक के उपर एक चिपका कर दोनों अंगूठे उड़ा उड़ा कर नचाते हुए..
मछली जल की रानी है..(पीछे पीछे शर्माइन बैकअप में..हाथ लगाओ...!!!)
हाथ लगाओ, डर जाती है (शर्माइन की देखादेखी डरने का अभिनय करते हुए और फिर दोनों हाथ समेट कर बाजू में उस पर गाल टिकाते हुए)
बाहर निकालो...(आँख बंद करके मरने का अभिनय) मर जाती है....
शर्मा शर्माइन की तालियाँ..मैं सोचने लगा कि कितनी खुश किस्मत है यह मछली जो मर गई, मुन्नू की जमाने से सुनी जा रही घिसी पिटी कविता से निजात पा गई और हम अटके हैं जब मुन्नू पुनः मनुहार पर जैक एण्ड जिल सुनाने की ऐंठते हुए तैयारी कर रहे हैं. दिखाने के लिए हम भी ताली बजाते रहे और मुन्नू सुनाना शुरु हुए...
जैक एण्ड जिल....और अंतिम पंक्ति में...
जिल केम टंम्बलिंग आफ्टर...
और मुन्नू जी पूरी तन्मन्यता से धड़धड़ा कर गिरे. सबने ताली बजाई, मुन्नू हँसे, हम दिल दिल में रोये.चेहरे पर मुस्कान चिपकाये ताली बजाने लगे., समझिये कि भयंकर झेले. सर पकड़ लिया. घर पर सेरीडॉन की सर दर्द गोली का पत्ता हफ्तावारी लिस्ट में शामिल हो गया. लगने लगा जैसे सेरीडॉन ने शर्मा जी को अपना ब्रॉण्ड एम्बेसडर बना दिया हो. उन्हें देखते ही इसकी याद आ जाये.
अच्छा या बुरा, कहते हैं कैसा भी वक्त हो, गुजर ही जाता है. सो यह भी गुजरा. झेलते झिलाते मुन्नू २६ साल के हो लिये. दो महिने पहले उनका भारत में ब्याह भी कर दिया गया. तब से आज तक बुल्लवे पर उनके घर चार बार हम जा चुके है और वो हमारे घर प्रेशर क्रियेट कर बुल्लवे पर तीन बार आ चुके हैं. हर बार शादी के चार फोटो एलबम, जिसमें हल्दी, मेंहदी, शादी, रिसेप्शन और फिर हनीमून की तस्वीरें हैं और इन्हीं विभिन्न समारोहों का विडियो देख देख कर पक चुके हैं. ये बुआ जी, ये चाची, ये दादी, ये साला, ये दूर की साली-इन्फोसिस में, ये गुलाबी साड़ी में नौकरानी छल्लो, ये भूरा ड्राईवर..ये ये...वो वो...हाय, मेरे कान क्यूँ न फट गये, आँख क्यूँ न फूट गई. कहो उनकी बहू जिन रिश्तेदारों को न पहचाने, उन्हें हम बिना मिले अंधेरे में पहचान जायें, बिना किसी गफलत के. एक बार फिर घर में सेरीडॉन चल निकली है.
कल रात आये थे..इस बार शादी का विडियो बर्न करके दे गये हैं क्यूँकि हमें बहुत पसंद आया था. :) अगली बार लेड़ीज संगीत वाला भी बना कर दे जायेंगे, यह बात उन्होंने समय की कमी के कारण क्षमा मांगते हुए बता दी है. अब तो जब उस विडियो पर नजर जाती है, बस मन से एक ही उदगार निकलता है-
धन्य हो तुम..मेरे मुन्नू.
हम आगे के लिए भी तैयार हैं, जब अगले बरस तुमको बच्चा होगा. हमें तो मानो परम पिता परमेश्वर ने किसी पुराने जन्म का बदला लेकर सिर्फ झेलने को रचा है.
शायद, पिछले जनम में कवि रहा होऊँगा और लोगों को खूब झिलवाया होगा.
डिस्क्लेमर:
जिनके बच्चे छोटे हों या अभी अभी शादी हुई हो, वो कृप्या इस पोस्ट को दिल से न लें. बदस्तूर जारी रहें. ऐसे ही दुनिया चल रही है. जब हमने झेला है तो हम किसी और को क्यूँ बचवायें.
सूचना:
मेरी पिछली पोस्ट उड़ी उड़ी रे पतंग देखो उड़ी रे ने मुझे आजतक एक पोस्ट पर प्राप्त अधिकतम टिप्पणियों का रिकार्ड ८४ को ब्रेक करते हुए नया मुकाम हासिल किया है, आप सबके स्नेह का बहुत आभारी हूँ. ऐसा ही स्नेह और आशीष बनाये रखें, संबल मिलता है.
सोमवार, जुलाई 21, 2008
हाय रे, ये जी का जंजाल!!
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79 टिप्पणियां:
वाह समीरजी, आप के धैर्य को देखकर धन्य हुए :)
क्या बात है समीर भाई..
बालक मुन्नू इतना उत्साहित हुए कि एक दिन हमारे भाई पिंटू जी के ड्राईंग रुम की दीवार पर उड़ती हुई मछली के सर पर गुलाब का फूल उगा गये और मछली जल की रानी है जीवन उसका पानी है . आपने मुन्नू जी की बचपन से लेकर शादी तक की कहानी बड़े रोचकता के साथ पोस्ट में उकेरी है . पढ़कर आनंद आ गया और शाम को फ़िर से पढूंगा . धन्यवाद्. शुक्रिया,आभार
हा हा हा हा ..ये पढकर फिर समझ मेँ आया कि जिनके बच्चे छोटे होते हैँ उनके लिये हरेक शरारत और हर नई बात दुनिया के आठवेँ और नवेँ अय्र दसवेँ अजूबे से कम नहीँ और दूसरोँ के लिये सेरिडोन की गोलियोँ का इँतज़ाम ..अब मन्नू के बच्चोँ की गाथा भी तैयार हुई ही समझिय्ये ..
आपका टीप्पणीयोँ का कीर्तिमान यशस्वी रहा -
खूब सारी बधाईयाँ --
आपकी हर पोस्ट, सीधे दिल से निकलती है तो सामने लोगोँ के दिलोँ को भी छू जातीँ हैँ ..
इसी तरह नयी ऊँचाइयाँ छुते रहेँ
स्नेह्,
- लावण्या
समीर जी बड़ा ही सूक्ष्म प्रेक्षण है आपका मानव व्यवहार का -ऐसे टाईप्ड चरित्र[ओं ] के हम भी सताए हुये हुए हैं -अब परदेश में भी ये उधम मचाये हुए हैं यह जान कर थोडा हैरानी हुयी .यह साबित करता है की बदली आबो हवा भी कुछ आदिम पारिवारिक संस्कारों को नही बदल पाती .
यह मुन्नू का मामला जोरदार रहा ....
हाँ , स्प्रिहनीय रिकार्ड ब्रेकिंग पर बधाई !इच्छा है कि यह जल्दी ही शतक बनाए !
Sameerbhai
Munnu ki kahani badi mazedaar rahi.
Bahut Dhanyavaad.
-Harshad Jangla
Atlanta, USA
हाय हाय शादी की अलबम देखना तो विकट सजा है। और अपनी ही शादी की अलबम देखनी हो, तो हाय हाय, विकटटम सजा है।
पर मानव योनि में आये हैं, तो सब कुछ झेलना प़ड़ेगा, बम भी और अलबम भी।
कसम अमरीश पुरी की काले सूट और चश्में में तो आप खालिस बास लगते हैं, कनाडा में क्या कर रहे हैं. मुंबई की फिल्म इंडस्ट्री आपकी प्रतीक्षा में है, जमाये रहिये।
बधाई हो जी अब तो मुन्नू का मुन्नू बाबा को रोज नई कहानिया सुनवयेगा :)
मुन्नू बड़ा प्यारा सबका दुलारा :) बधाई रिकॉर्ड तोड़ टिप्पणी मिलने की :)
तो मुझे अब समझ में आया कि मेरी पोस्टों पर आप इतने बेमन से क्यों आते हैं। पहले तो आप ऐसे न थे। चलिए कोई बात नहीं… आगे से शर्मा जी को बता दिया जाएगा…।
जिनके बच्चे छोटे हों या अभी अभी शादी हुई हो, वो कृप्या इस पोस्ट को दिल से न लें. बदस्तूर जारी रहें. ऐसे ही दुनिया चल रही है. जब हमने झेला है तो हम किसी और को क्यूँ बचवायें.
" ha ha ha bhut khub, aapke article ke sath ye disclamer bhut khub lgaa, aagah bhee krein or chehre pr shikan bhee na aaney thyen, great style of urs"
Regards
वाह! समीर जी,पहले तो "उड़ी उड़ी रे पतंग...." को ८४ मंजिलों तक उड़ाने की बधाई।
अब इन मन्नू महराज की कथा सुना कर वो सब हमें सहनें को मजबूर कर दिया जो आपने छब्बीस साल तक सुन-सुन कर सहा।...उसे हम पर एक साथ उडेल दिया...आप धन्य हैं:)
वैसे सही बात तो यह है कि ऐसे मन्नूओं से सभी का पाला पड़ा होगा....लेकिन आप की शैली में पढने का मजा ही कुछ और है।बधाई स्वीकारें।
टिप्पणी पीर को नमन, जल्द ही शतक लगेगा. हम तो उसके दस प्रतिशत के आस-पास भी नहीं. आपने कमाल किया है, हिन्दी चिट्ठे पर इतनी टिप्पणियों की कभी कल्पना भी नहीं की थी.
और जी का जंजाल मन्नू कहा तो हम कुछ और ही समझे...क्षमा करें ये तो कोई और ही मन्नूसिंह निकले :) इनके बेटे की पोयम सुनने की क्षमता प्रभू आपको प्रदान करें. हमारी शुभकामनाएं :)
बिल्कुल बदस्तूर जारी है जनाब....मुबारक आपको....:)
गदर मुन्नू! गदर पोस्ट और गदगदा कर आयेंगी टिप्पणियां। नया रिकार्ड बनेगा जी!
यह पोस्ट का आइडिया जबरदस्ततम है!
हम सब जिन्दगी में कभी न कभी मुन्नुआइटिस से पीड़ित होते हैं और हम में से कई माता-पिता मुन्नुआइटिस फैलाते हैं!
गजब! समीर भाई, कमाल का लेखन है.
लेकिन ये दुनियाँ मुन्नुओं की बदौलत ही है. खुश हैं तो मुन्नू की वजह से...दुखी हैं तो मुन्नू की वजह से. मुन्नू जिंदाबाद....
सबसे पहले तो आपको टिपणीयो का रिकार्ड
ध्वस्त करने के लिए हार्दिक बधाई और अभिनन्दन !
बचपन से से अभी तक थारे जी का
जंजाल हो रया सै यो बालक तो ! भाई घणा
खोटा माणस दिखै सै यो ! इब थारे भायेला
(दोस्त) का छोरा सै तो झेलो उमर भर !
मुन्नू बेटा अंकल का पीछा मत छोड़ना !
आपके जी के जंजाल मुन्नू के 26 साल क होने पर आपको डेरों बधाई ! जूनियर मुन्नू भी आपको इतना ही सताए हमारी तो यही कामना है (ताकि आप इसी तरह हमें हंसा सकें ) वो क्या है कि मैं घोषित तौर पर स्वार्थी हूं !:)
मुन्नू के बहाने हमारा बचपन लौट आया
मुन्नू के बहाने हमारा बचपन लौट आया
sadhu--sadhu.kitni bechaargi
baat mamuli hee sahi, aapke kehne ka andaaz bada maaru rehta hai...
yahi sameerlal ki taqat hai...
lage rahiye...
हा हा ! रसेल पीटर्स का शो लगा आज तो ! और आपने ये नहीं बताया की जिनकी अभी शादी ही नहीं हुई है वो क्या करें? मुन्नू डांस नहीं करते थे क्या? चलिए उनके बच्चे डांस और गाना भी सुनायेंगे ऐसी आशा है :-)
और ये नई फोटो तो बड़ी धाँसू है... !
आपने एक कार्टून करेक्टर की याद दिला दी .....मेनिक्स .......कभी फुर्सत हो तो कार्टून चैनल देखे
:-).. Sameer ji aapne to hamare shabdo ko use kar liya... Sharma, Sharmain :-), Pande Padain yeh to hum log kahte hai :-) " दीवार से लेकर फ्रिज तक पर पेन्टिंग ड्राईंग में महारत हासिल कर ली." bahut achi baat likhi hamare ghar mein bhi kuch isi tarah ke mahan chitrakaar hai.. jinke karan ghar mein kam se kam 2-3 saal mein safedi to ho jati hai :-)
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School Days Flashback - Memories Revisited
are.. is post par ek bhi comment nahi..
kahin main galat pate par to nahi aa gaya?? :)
शर्मा शर्माइन और मुन्नू
आपकी पोस्ट अच्छी लगी
खुशी है पहली टिप्पणी मैं कर रह हूँ
समीरजी,
मुस्कुराते मुस्कुराते पढ़ता गया।
बिलकुल बुरा नहीं लगा।
गर्व से कहना चाहता हूँ कि हम भी दोषी हैं और बिल्कुल शरमिन्दा न्हीं हैं।
कहते हैं न, अपना उल्लू, मियाँ मिट्टू।
तीस साल पहले मेरी बेटी का जन्म हुआ था और हमें बाप बनने का सौभाग्य पहली बार प्राप्त हुआ।
मुन्ना के बदले आप मुन्नी लिखते तो यह हमारी कहानी होती।
आप भाग्यशाली हैं कि आपसे परिचय नहीं हुआ था उस समय और आप हमसे बच निकले। नहीं तो आज शर्माजी की जगह आप विश्वनाथजी की बात करते इस ब्लॉग में।
आपका अंदाज़ शायद सही है। पिछले जन्म में आप अवश्य कवि हुए होंगे तब इस जन्म में आप को यह सब झेलना पढ़ा। अब अगले जन्म में आपका क्या हाल होने वाला है इसके बारे में आपने कभी सोचा है? इस जन्म में आप कवि नहीं बल्कि एक कुख्यात ब्लॉग्गर हैं। आप ही बताइए अगले जन्म में आप को मार दिया जाए या छोड़ दिया जाए? आपके साथ क्या सलूक किया जाय?
८७ टिप्पणियाँ?
मैं सन्तुष्ट नहीं हूँ।
सचिन तेन्दूलकर की तरह आप भी शतक से क्यों चूक जाते हैं?
आशा है इस बार आपका शतक पूरा हो जाएगा।
गोपालकृष्ण विश्वनाथ
ऐसे कई मुन्नुओं से हम सब को दो चार होना पडता है.आपकी व्यथा हम सबकी साझी व्यथा है.पढ कर मज़ा आया और अपने हिस्से के मुन्नुओं को भी जी भर के याद किया/कोसा.:)
अब मुन्नू नहीं, मुन्नू के मुन्नू(बच्चे) परेशान करेंगे.. बस देखते जाइये.:)
टिप्पणीयों के रिकॉर्ड टूटने पर बधाई..
लिखते रहिये..
वाह समीर जी बहुत अच्छी लगा आपका मुन्नू । समीर जी कभी हमारे घर पर भी चाय पीने आओ मेरी बेटी भी बहुत अच्छी ड्राईंग बनाती है आओ कभी दिखाते हैं आपको बहुत अच्छी रचना बधाई हो और हां उड़ी उड़ी रे पतंग देखो उड़ी रे ने जितने कमेंट आपको दिलाए शायद ही किसी और ब्लागर को मिलेंगे इस उपलब्धि के लिए आपको बधाई
धन्य हो मुन्नू........ लिखते रहिये
मुन्नू जी तो कमाल के हैं। और उनकी पेन्टिंग भी जबरदस्त है। लगताहै जैसे बच्चा अपने हाथ रूपी पंखों से बस उडने ही वाला है।
वैसे समीर भाइ मेरे गाव मे जी का जंजाल पर एक गाना गाया जाता है सुना देता हू कुछ लाईने
"जी का जंजाल मेरा बाजरा लायो
हाय री सखी बाजरा
अल्ला कसम बाजरा
जब बाजरे को कूटन बैठी
जब बाजरे को कूटन बैठी
उड उड जाये मेरा बाजरा
हाय री सखी बाजरा
अल्ला कसम बाजरा"
अब अपने जंजाल को आप संभालो :)
ha ha ha ha....hansi ruke to kuch likhoon.
समीर जी
आप जिस हादसे से गुजरे हैं या भविष्य में गुजरेंगे उस से हर शरीफ इंसान को एक ना एक बार गुजरना ही पढता है...हम भी गुजरें हैं और अभी और गुजरेंगे...आप अकेले नहीं हैं बंधू हम जैसे और भी आपके साथ हैं...
नीरज
समीर भाई, ईश्वर को धन्यवाद दीजिये कि शर्मा, शर्माइन और मुन्नू जी में कोई कवि नहीं है। अन्यथा आपको ये पोस्ट लिखने की फुरसत नहीं मिलती। वैसे खतरा अभी टला नहीं। क्या पता मुन्नू जी की कोई संतान कवि निकल जाये।
यही भी जी का जंजाल वैसा ही है...दोनो बेटे हमारे मित्रो की टोली देखकर परेशान हो जाते है कयोंकि सबके नन्हे नन्हे मुन्ना मुन्नी ही हैं...
टिप्पणियों के इस कीर्तिमान पर बधाई...
अपनी टिप्पणियों का रिकॉर्ड आप खुद बार बार तोड़े,यही कामना करते हैं...
हे हे बडा मुश्किल है कुछ भी कहना.. मेरे दादा जी बताते हैं कि बचपन मे मैने कई श्लोक याद किये थे (दादा जी के साथ ही रहती थी ना इसलिये)।
तो दादा जी बताते हैं कि वो भी बडे गर्व से दुसरो के सामने मुझसे श्लोक बुलवाते, एक दिन लगातार मुझसे ५ बार बुलवाया गया छ्ठी बार बोलने को कहा गया तो मैने जवाब दिया "हमहु कौनो बोए के मछीन टोली आईं, जे बोते जाई बोते जई, ए लो के नाईथे याद त लऊआ याद कलाई दी" ( मै कोई बोलने की मशीन थोडी ना हूँ, जो बोलते जाऊँ, अगर इन लोगो को नही याद है तो , आप इन्हे याद करा दिजिये)। इस घटना के बाद अब लोग खुद ही बोलते "बबुनी तनी सा सुनाई द" बेटा थोडा सा सुना दो, ताकि मै कुछ और उल्टा सा जवाब देती :P
bhai munnu ye sab padhenge to apne uncle ki kya chavi banayenge yahi jaanne ki utsukta thi.
Kash Munnu blogger hote !
आपने तो मेरी परेशानी ही दूर कर दी.. जब मेरे बच्चे होंगे आपके पास कविता सुनाने भेज दूँगा.. आप साधुवाद देते रहिएगा
mazedar !
यह क्षमता सिफ समीर लाल जी की है कि हर ब्लाग ( अच्छा या बुरा ) पर जाकर समान भाव से सबकी हिम्मत अफजाई करते हैं ! किसी भलाई बुराई में बिना शामिल हुए, सबको लिखने के लिए प्रोत्साहित करना, समीर लाल जी का एक ऐसे योगदान है जो भारतीय ब्लागजगत कभी भुला नही पायेगा !
समीर अंकल को सलाम करो,अंकल अंकल सलाम,
समीर जी शायद मुन्नू ने कम तंग किया होगा, उन के मां बाप ने ज्यादा, हमारे यहां भी मुन्नू तो नही लेकिन ऎसे मां बाप हे.... बाकी सारी आफ़त आप वाली ही हे, धन्यवाद, एक लुभावनी पोस्ट के लिये
Hay re munnoo !
Priy Lal saheb. June kee 25 taareekh se main bhee ek munnoo se hee pareshan tha yaar. Mera bhai. Mera bada bhai 12 saal bada. Meri buajee ka beta. Mujhe bahut chahne vala. Netaon ke adhivation dekhkar kahta, "Hum sab bhai log milkar inse behtar adhivation karenge". SBI ka branch manager. Bada karmath. Sabko sath leke chalne vala.
Mar gaya yaar. Heart kee beemari ne leel liya bhai usko. Lal saheb mere pyaare bhai jaisa bhee ek Munnoo tha. Ab n raha. Yaad hee sahi. Main na bhooloonga use. Vo n jayega mujhe yoon akela chhod kar. Kya kahoon, kya kahoon, kya kahoon ?
शानदार रचना प्रस्तुति के लिए धन्यवाद.
इसे का नम चलती का नाम गाड़ी है.
जो टिप्पणी मैं रचना पढ़ कर करना चाह रहा था , उसे टी आपने diclaimer में ही ऐसे लिख मारा :
"जिनके बच्चे छोटे हों या अभी अभी शादी हुई हो, वो कृप्या इस पोस्ट को दिल से न लें. बदस्तूर जारी रहें. ऐसे ही दुनिया चल रही है. जब हमने झेला है तो हम किसी और को क्यूँ बचवायें."
अब मैं क्या लिखूं, आपने लिखने के लिए कुछ छोड़ा ही नही , यदि लिखा तो ये भी बदस्तूर जरी सा ही लगेगा.
धन्यवाद
चन्द्र मोहन गुप्त
हा हा हा हा …… वो तो शुक्र है कि मुन्नू ने दीवार पर मछली बनाई आप पर बनाई होती तो फ़िर कैसे पेन्ट करवाते
कई मुन्नू भारत में भरे पड़े हैं जरूरत हो तो कहिए
इन मुन्नुओं को भूकते रह जायेगे लेकिन ये करेगे अपने मन की
और रही बात दिल पर लेने की तो तौबा तौबा मुन्नू तो क्या मन्नू की माँ से भी चार कोस दूर रहूंगा
और आपको ढेर सारी बधाई 85 पार कर लेने के लिये … मै तो शतक पूरा करने की सोच रहा था
रूकिये 100 पहुँचा ही दिया जाय :) :)
बीच मे नेट से जुड़ा होता तो अब तक तो हो ही गया होता :)
दोस्तो को खबर करता हूँ :) :)
आपके अनुभव से सहमत तो हूँ ही...
पर अपने बच्चे को ज़मूरा बना कर पेश करने में लोगों को क्या मिलता है..यह आज तक मेरे समझ से परे रहा है ।
वाह!वाह!वाह!वाह!वाह!शानदार
hahahaahahhaahhahahahah
aapke sense of humor ko sashtang pranam...
waise ek baat batayein....munnu aaj kal blog par painting banane lage hain.....:-D
घर वालों के लिए - मुन्ना बडा प्यारा अम्मी का दुलारा कोई कहे चांद कोई आंख का तारा, पर-------सरदर्द है हमारा।
आपने डेनिस की याद ताजा कर दी।
समीर साहब !
ये तो बताइए कि
शर्मा जी और शर्माइन जी ने
यह पोस्ट पढ़ी या नहीं ?
...और मुन्नू जी का क्या ख़याल है ?
खैर जो भी हो....बहुत उम्दा और दिलचस्प
विषय चुना है आपने....जिंदगी, पास-पड़ोस
ऐसे विषयों का नियमित स्रोत है.
बच्चों में अपने सपनों की बड़ी
तस्वीर देखना आम बात है
लेकिन उस पर आपने जो लिखा है
वह बेशक ख़ास है...और एक आईना भी है.
=================================
शुक्रिया
डा.चन्द्रकुमार जैन
आज मैने आपके पोस्ट से एक बहुत बडी बात सीखी है की कुछ भी लीखो चाहे कोई कहानी या कोई भी बात तो उसे ऎसा लीखो की पढने वाले को लगे की ईस कहानी मे मै ही हूं।
जैसे मै अपने बलाग के पोस्टींग मे "आपने" "आप ऎसा करें" ऎसे वर्डो का खुब प्रयोग करता हूं।
ईस सीख के लीये आपको बहुत बहुत धन्यवाद और मुन्नू की पेंटींग भी बहुत मस्त है।
वाह समीर जी,लिखने का अंदाज़ तो कोई आप से सीखे,पढ़ कर दिल खुश हो जाता है,इतना दिलचस्प और खूबसूरत अंदाज़ है जिस में आपकी सादगी मिल कर और भी दिलकश रंग बिखेर देती है, बहुत खूब...
और हाँ, कमेन्ट का रिकार्ड देख कर बहुत खुशी हुयी लेकिन इस में आपकी मेहनत और कुर्बानियां शामिल हैं जो आप बिना किसी गरज के करते रहते हैं...ऐसे लोग बहुत 'ख़ास होते हैं...खुदा आपको ऐसा ही बनाये रखे...आमीन.
ab sirji kahte hain na har karm ka phal milta hai... kya pata aapne apne munnu ke karan kisi samirji ko aise hi tang kiya ho :)
khair, aapne disclaimer baad mein daala... hum to har baat dil par le rahe the... apni bitiya raani se aajkal hum logon ko machhli jal ki rani hai sunwa rahe hain... peechhe peechhe hum bhi bolte hain :)
aap kab fursat mein hai hamari bitiya ki jack and jill sunane ke liye :) (akhir aapko itna experience jo hai??)
यथार्थ चित्रण किया है. हम भी भुक्त भोगी हैं.
मजा आया पढकर...
[आप लिखते हैं "एक आइटेंटिटी चुनें"... हमारी दो पाँच है.. कौन सी चुनें?] :)
wah wah sameer bhai wah poori dunia ke munnu hai ek jaise hi
पिछले जन्म में आप मन्नु के खडूस टीचर रहे होंगे और आप बात बात पर मन्नु की पिटाइ करते रहे होंगे इसी की सजा मिल रही है आप को ...और निलीमा जी की मनोकामना भी सच हो जाए तो बस मजा आ जाये।
tippani ke kirtimaan ke liye badhaai.
vaise aapka ye lekh kahin sharma sharmain padh le to naam ke anurup kafi sharmsaar honge. ho sakta hai unhe manane ke liye aapko abhi munnu ke hone waale chunnu ki kafi nursery rhymes jhelni padhein....taiyaar rahiyega
Aapne gazab ka likha. sarahniya lekh ke liye badhai aur dhanyabad. Kripya jaari rakhen.
बहुत मज़ेदार
समीर जी आज पहली बार आपकी पोस्ट पढ़ी ,बहुत ही रोचक है ,मेरी तो हँसी नही रुक रही ,देखा जाए तो ये पोस्ट भी आपका पिछला रिकॉर्ड तोड़ेगी...शुभ कामनाएं.
maza aa gaya.......
par munnu ne padh liya to????????
वाह-वाह लालाजी,
आपकी लेखन कला और प्रस्तुति लाजबाब है..ऎसे ही लिखते रहें ...आनंद आ गया...बधाई
अच्छा या बुरा, कहते हैं कैसा भी वक्त हो, गुजर ही जाता है. सो यह भी गुजरा. झेलते झिलाते मुन्नू २६ साल के हो लिये. दो महिने पहले उनका भारत में ब्याह भी कर दिया गया. तब से आज तक बुल्लवे पर उनके घर चार बार हम जा चुके है और वो हमारे घर प्रेशर क्रियेट कर बुल्लवे पर तीन बार आ चुके हैं. हर बार शादी के चार फोटो एलबम, जिसमें हल्दी, मेंहदी, शादी, रिसेप्शन और फिर हनीमून की तस्वीरें हैं और इन्हीं विभिन्न समारोहों का विडियो देख देख कर पक चुके हैं. ये बुआ जी, ये चाची, ये दादी, ये साला, ये दूर की साली-इन्फोसिस में, ये गुलाबी साड़ी में नौकरानी छल्लो, ये भूरा ड्राईवर..ये ये...वो वो...हाय,
"मतलब बदस्तूर जारी है सिलसिला
बधाई हो क्या पोस्ट लिखतें है भाई साहब
main to vaise hi likh rahaa hun.
munnu ji cartoon banaane me bachpan se mahir the to kahin computer ko hi cartoon na samaz baithe ho kyonki ek din maine dekha ki band computer per bhi sketch chalaya hua tha hamaare munnu wale ne
rajesh
हमारे मुन्ना-मुन्नी अभी तो स्कूल गए हैं इसलिए आप बचे जाते हैं। आनू दीजिए हम बताएंगे कि देखो समीर अंकल ने आपकी पीढी के बारे में क्या क्या लिखा है। फिर वो देख लेंगे आपको। न मेल पर मेल भेजकर अपनी चित्रकारी भेजकर आपसे वाह वाह न करवाई तो कहना :))
अभिवादन , समीर जी
सबसे पहले तो एक बहुत ही शानदार और समर्थ ब्लॉग के लिए बधाई
मैने आपके सारे ब्लॉग्स पे आपका उत्कृष्ट लेखन देखा
आपकी सक्रियता के लिए एक बार फिर बधाई
आज मैने भी अपने ब्लॉग पे एक रचना पोस्ट की है
उसकी चार पंक्तियाँ भेज रहा हूँ
" शर्म की बात होगी हमारे लिए
गीत-कविता का मस्तक अगर झुक गया
शर्म की बात होगी हमारे लिए
चुटकुलों से अगर जंग हारी ग़ज़ल "
(शेष रचना व हिन्दी की उत्कृष्ट कविताओं ग़ज़लों के लिए देखें )
http;//mainsamayhun.blogspot.com
परिचय का एक मुक्तक और देखें
हमारी कोशिशें हैं इस, अंधेरे को मिटाने की
हमारी कोशिशें हैं इस, धरा को जगमगाने की
हमारी आँख ने काफी, बड़ा सा ख्वाब देखा है
हमारी कोशिशें हैं इक, नया सूरज उगाने की ..........
डॉ उदय 'मणि'
(अच्छा लगेगा यदि मेरा ब्लॉग सक्षम लगने पर उसे भी आप अपनी ब्लॉग लिस्ट मे शामिल करें -धन्यवाद )
हा हा हा
आपके इस छबीस सालों वाले घोर दुःख से हमें पुरी सुहान्भुती है.
बहुत खूब लिखा आपने.
बधाई. ८४ के लिए.
शुभकामनाये १०८४ के लिए.
kuchh kuchh esa lagbhag sabhi sath hota hai
क्या सूक्ष्म अन्वेषण करते हैं समीर जी, बिलकुल आँख के सामने चित्र उतर आता है..:)
are adhiktar logon kee zindagee bilkul bane-banaye kahnchon mein fit rahtee hai, itte saal padhna, shadee karna, bachhe-vachhe...munnnu parivaar kee bhi
अजब सचाई - गज़ब सचाई. समीर जी हम भारतीय माता-पिता तो स्वभावतः ही दयालु होते हैं अपने मित्रों पर. उन्हें बाल-वात्सल्य से वंचित कैसे रख सकते हैं.
बहूत खूब
हम भी शर्मा जी ही है हम मे भी दसवी दर्जे मे किताब लिखने की सनक सवार थी नाम इस प्रकार है ॥
ड्राइंग रुम मे पपीता कैसे उगाये
आत्म हत्या के सौ अनुभव
रामन भाया तु चल मै आया !!
और हा पेनाडाल लिया किजिये मेरे पडोसी वही लेते है अभी तक शिकायत नही करते है ॥ हा हा हा
रिकॉर्ड तो और भी बनेंगे लेकिन पहले बताएं आप हैं कहां? इतने दिन ना कोई लाइन ना कोई साइन, आखिर माज़रा क्या है। कहीं सिगरेट पीते-पीते हाथ कुछ ज्यादा तो नहीं जल गया???? आपके इंतजार में....।
aapne purw janam me bahut achchhe karm kiye honge unhi ka parinaam hai :-)
ऐसे ही मुन्नू सफलता प्राप्त करते हैं !
वाकई शानदार चरित्र है जो हर जगह पाया
जाता है ! ऐसे मुन्नू मेरे को अच्छे लगते हैं !
मुन्नू बेटा को आशीर्वाद और आपको तो
प्रणाम ही कर सकता हूँ ! सो प्रणाम स्वीकार
करें !
नमस्कार समीर जी,
आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आया हूँ. मुन्नू वाली रचना पढ़ी. खूब हंसा. प्रत्येक पंक्ति में हास्य का गागर है. मेरी शुभकामनाओं को स्वीकार करें.
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