आज भारत की टीम चैम्पियन ट्राफी से बाहर हो गई. उम्मीद और कयास तो पहले से ही लगाये जा रहे थे. आज सब अखबार, टी वी चैनल अपनी अपनी तरह से यह बात रख रहें है, तो हम अपनी तरह से कुण्ड़लीनुमा रचनाओं और हाईकु के माध्यम से:
//१//
क्रिकेट के इस खेल की, मची हुई है जंग.
ग्रेग बनें यमराज हैं, खिलाड़ी हो रहे तंग.
खिलाड़ी हो रहे तंग कि उनके क्या कहने है
जिसपे नज़र पड़ जाय, जुर्म उसको सहने हैं
कहे समीर के गुरु जी,तुम बिस्तर लो लपेट
बिन तेरे ही, हे प्रभु, हम सीख लेंगे क्रिकेट
//२//
चैंम्पियन ट्राफी में हुआ, यह कैसा अत्याचार
पाकिस्तान पहले गया, फिर भारत का बंटाधार
फिर भारत का बंटाधार कि अब खेलो गुल्ली डंडा
ग्रेग गुरु ही बतलायेंगे,जीत का फिर से हथकंडा.
कहे समीर कवि कि बैठ कर अब पियो शेम्पियन
गुल्ली डंडे के खेल में,बनना तुम विश्व चैंम्पियन.
हाईकु
खेलें क्रिकेट
गुरु ग्रेग हों संग
रंग में भंग.
-समीर लाल 'समीर'
रविवार, अक्तूबर 29, 2006
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8 टिप्पणियां:
विदेशी माल से
होगा विकसीत देश,
मान ऐसा करवाया था
गुरू, लिडर का निवेश.
मिले विपरीत परिणाम तो
उड़े हमारे होश,
इस सर कभी उस सर
फोड़ रहे सारा दोष.
बहुत अफसोस हुआ समीर जी
तारीफ इतनी होगई कि पूरे भारतियों की दुआ तक काम ना आई
they say it was a match of 'do or die"..i say there was no match whatsever..they are masters of 'doing' and we (indian team)are habitual of 'dying'..where was the competition?
गम ना करो
यह है एक खेल
बस मज़े लो
किसका खेल
कौन खिला रहा है
इतना सोचो
अब प्रभु भेजो खिलाड़ी कोई हनुमान जैसा देसी
एक ही गेम मे।म कर दे आसियों की ऐसी तैसी
वाकई दिल बहुत दुखी हुआ कल की हार से:(
Hum honge kamyaab ek din :)
बलिहारी है आपकी, ओ समीर महाराज
संजय, पंकज कर रहे अच्छी कविता आज
अच्छी कविता आज, सभी को रहे सिखाते
जिसको देखो वही टिप्पणी करता गाते
लक्ष्मीजी की रचना, रचना लिखें दुधारी
एक बार फिर से समीर तुम पर बलिहारी
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