कभी सीखा था कि ज्ञान बाँटने से बढ़ता है. कोशिश यही होती है कि जो कुछ भी जानें या सीखें, उसे मित्रों के साथ बाँटें. अक्सर लोगों को अपने आलेखों/कविताओं में नये नये तरीके इस्तेमाल करते देखता हूँ. इच्छा होती है कि काश!! मुझे भी आता होता तो मैं भी ऐसा ही करता.
उदाहरण के लिए, कहीं फोटो के लिए स्लाईड शो लगा देखा. अब अपने आलेख में स्लाईड शो कैसे लगायें, यह मालूम ही नहीं. इच्छा दबाने का प्रयास किया, नहीं दबी. तो खुद ही पड़ताल शुरु की. थोड़ी सी मेहनत से सीख भी गये, ऐसा लगता है. आज पहली बार लगायेंगे, अगर सही चला मतलब सीख ही गये हैं. अब यदि सीख ही गये हैं तो सिखा भी दें:
पिकासा एल्बम से स्लाईड शो को अपने चिट्ठे पर कैसे अंतःस्थापित (एम्बैड) करें:
१. पिकासा में उस एलबम पर जायें, जिसे अंतःस्थापित (एम्बैड) करना है.
२.दायें तरफ पढ़ें: Post On के नीचे Link to this album..उस पर क्लिक करें.
३.उसमें से जो विकल्प दिखेंगे..उसमें से Embedd Slideshow पर क्लिक करें.
४. उसमें साईज़ और केप्शन दिखाने का विकल्प चुनें.
५.Embedd Code कॉपी कर लें.
६. ब्लॉग पर जहाँ स्लाईड शो लगाना हो, वहाँ उसे पेस्ट कर दें.
बस, आपका स्लाईड शो तैयार. एकदम सरल मगर आपकी पोस्ट में चार चाँद लगा देगा.
स्लाईड शो, केप्शन के साथ फोटो, पैराग्राफ, ब्लॉककोट आदि सब आपके आलेख को खूबसूरती प्रदान करते हैं. एक अच्छा आलेख, जो लोगों को आकर्षित करे पढ़ने के लिए, उसके लिए इन सब बातों का ध्यान रखना बहुत जरुरी है. हो सकता है आप बहुत अच्छा लिख रहे हों मगर न पैराग्राफ का ध्यान है, न लाईन ब्रेक का, तो पाठक आयेंगे कैसे? और बिना पाठक आये कोई जानेगा कैसे कि आपने अच्छा लिखा है.
इसीलिए तो हम कहीं जाते हैं तो बहुत सज धज कर, अच्छे कपड़े पहन कर जाते हैं. भले ही आपका व्यवहार बहुत अच्छा हो मगर जब तक आपसे कोई बात नहीं करे, आप किसी को आकर्षित न करे, कोई आपका व्यवहार कैसे जानेगा.
वैसे भी आजकल शो/सजावट का जमाना है. कल ही पड़ोसी किसी बात का थैक्यू गिफ्ट दे गये-एडीबल डेकोरेशन. बात भी ऐसी कि जिसका हम शायद भारतीय होने के कारण थैक्यू भी न बोलते. अरे, वो कहीं बाहर गये थे तो कह गये थे कि तीन दिन उनके अखबार उठाकर रख लेना. हम तो यही सोच लेते कि इसी बहाने उसको हमारा अखबार पढ़ने मिल गया. इसमें थैंक्यू कैसा??
एडीबल डेकोरेशन-मुश्किल से तीन चार डॉलर के फल कटे हुए, जिसमें अंगूर, खरबूजा, अननास, स्ट्राबेरी और एक पॉट २ डॉलर का मगर वो उसे खरीद कर लाये ६५ डॉलर का. बिकती है सजावट, पैकिंग. आकर्षित करती है. वही फल काट कर प्लेट में धर कर गिफ्ट दे दो तो कहो लेने वाला मना कर दे कि जाने कब के कटे हों. :) मगर इस सजावट के साथ हम धन्यवाद करते नहीं थक रहे और उस पर से तस्वीर उतारने और एक दिन सजा रहने देने के बाद खाये.
दाम उस कम्पनी की वेबसाईट पर जाकर टीप लिया जिसका नाम डिब्बे पर था-बिना दाम पता किये हमें कहाँ चैन कि कितने का गिफ्ट दिया? :) ये तो बस किताबी बात है कि दान की बछिया के दाँत नहीं गिने जाते. वैसे ही जैसे ईमानदारी का फल मीठा होता है. अगर ये सही होता तो हमारे नेता सारे अब तक कड़वा खा खा कर मर न गये होते.
सीखो अमेरीका से मार्केटिंग जो अपनी ९/११ की त्रासदी, जिसमें ३००० से ४००० लोगों की मौत हुई, को भी सजाधजा कर ऐसे मार्केट करता है कि सारा विश्व टूट पड़ता है मदद करने को और हम भोपाल त्रासदी मे मरे लाखों लोगों की मौत के मातम को मनाते आज २५ साल बाद भी न्याय और मदद की राह तक रहे हैं और इन्टरनेशनल मिडिया चुप बैठा है.
उदाहरण दिखाने के लिए उसी एडीबल डेकोरेशन का स्लाईड शो बना दिया है.
है न सजावट और शो बाजी का कमाल.
तो आगे से ध्यान रखिये-जब भी लिखिये, सजावट का ध्यान रखिये. चाहे तस्वीरें हो या पैराग्राफ या लाईन ब्रेक या आप खुद, सजावट महत्वपूर्ण है लोगों को आकर्षित करने के लिए.
93 टिप्पणियां:
कितने सहृदय मनई हैं आप कुछ भी नाय जाना लगे बताने सबको और एक ऊ घाघ है कि जानकरिये ही डकार जाता है ..आप एक सरल इंसान हैं...
मगर ई का स्लाईड शो आपकी पोस्ट पर न होकर कहीं और है ....मगर चलिए कुछ तो पता चला ! बाकी तो इस पोस्ट के कईयों कोण हैं दिखिए किसको कौन बुझाता है !
aaj pahli bar main pahle comment kar raha hun. shirshak bahut achchai hai.
साज सज्जा और सुंदर प्रस्तुतिकरण की महत्ता पर शानदार आलेख ।
साज-सज्जा का यह गुण-ज्ञान बताने के लिए आपका आभार!
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हम भी प्रयास करेंगे!
अगर-मगर इससे ब्लॉग खुलने में देर लगेगी तो
हटा भी देंगे!
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हा...हा...ह्हााा..
कई बार तो जलन होती है, ईतना विचार की मेरे लिए जगह ही नही रह्ती ईसलिए आज जैसे ही आप के चिट्टे पर नजर पडी धराक से कौमेंट मरा. शिर्सक उमदा और जानकरी का तो कहना ही क्या.
वाह! क्या खूब लिखा है!
साज सज्जा सिखाने का धन्यवाद ..:):)
मगर सुनते हैं आजकल सादगी फैशन में है ....
व्यंग्य की धार कहाँ से कहाँ पहुंची ...अभी तो समझने में ही समय लगेगा ...!!
यह तो काफी दिलचस्प जानकारी दी अपने अंकल जी...आभार !!
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'पाखी की दुनिया' में 'पाखी का लैपटॉप' !
ये अच्छा है कि हमारे यहाँ अभी ’एडीबल डेकोरशन’ पापुलर नहीं हुआ है, वरना महीने भर के राशन पानी से ज्यादा खर्च तो पड़ौसियों और सहयात्रियों को ’ए.डे.’ बांटने में ही हो जाता।
मुझे यह पोस्ट बहुत अच्छी लगी। कोण और इशारे और सबसे बड़ी ज्ञान की बातें :)
यह भी समझ मे आया कि मेरे ब्लॉग पर ट्रैफिक कम क्यों है । आज के जमाने में रैपर भी बहुत महत्त्वपूर्ण है - माल तो खालिस होना ही चाहिए।
आप क्या बात बता रहे हैं और किस किस को कहाँ कहाँ लपेट रहे हैं, यह विच्छेद करना अपने आप में दुष्कर कार्य है. आप इस कला में माहिर हैं.
डेकोरेशन का महत्व समझ में आया. आगे से ध्यान रखेंगे.
बहुत उपयोगी जानकारी है कम से कम मेरे जैसे अनजान लोगों के लिये। भविश्य मे भी इसी तरह मार्गदर्शन करते रहें धन्यवाद।
आभार!
सही कहा समीर जी आपने सजाकर पेश की हुई कोई भी चीज कीमती हो जाती है। "फ्रेम" एक् कहानी पढी थी अगर आप पेज को तोड मोड कर फेक दो वह कचरा लगता है लेकिन यदि उस पर ही आप फ्रेम लगा दे तो वह किसी भी दीवार की शोभा बन सकता है।
@ मिश्रा जी अगर आप स्लाईड पर किल्क करेगे तो दूसरी वेब साईट पर ही जायेगा लेकिन स्लाईड के नीचे माउस ले जायेगे तो फिर आप को निशान नज़र आयेगे आगे पीछे करने के लिये तो वही देख सकते है।
धन्यवाद कहेंगे जी इस जानकारी को सार्वजनिक करे के लिए............ऐसा कम ही होता है जब कोई काम की बात हमें पता चलती है और हम उसका ऐसे प्रसार करते है....
कुंवर जी,
स्लाइड शो की कोशिश तो हमने भी कई बार की है, लेकिन एक बार में ना तो कोई सफल हुआ है ना ही होता है। हम भी नहीं हुए। असफल हुए तो छोड दिया।
ये तो तकनीकी पोस्ट भी बन पड़ी है, और जिंदगी की बेसिक जरुरतें पूरी करने के लिये बहुत जरुरी है ये सजना, ये गिफ़्ट :)
आप भी उ 'विडियो पोरफेसर' बन जाईये. :) बाबा रामदेव के मैगजीन के साथ साथ आपके सी डी का भी मासिक सब्सक्रिप्शन ले लेंगे :D
Sach hai...Bharat wasiyon ko mano durghatnaon kee adat -si pad gayi hai..samachar dekh/padhe...kuchh der haay,haay kee aur bas,khatm.
Maine blog pe slide show lagaya tha,par kaise,wah bhool gayi thi...bahut achha hua jo aapne bata diya!
(Bikhare Sitare' blog pe chitr to maujood hain! Shayad jab aapne dekha hoga tab tak attachment khula nahi hoga!Enlarge bhi ho rahe hain..please,samay ho to dekh ke bata den!))
सजने सजाने की अच्छी सीख मिली. दिल में एम्बेड कर लिया. आभार.
बहुत ही बिंदास पोस्ट.....बहुत कुछ सीखने मिला ...आभार
aapne bahut indriectly gehri baat keh gaye... bhopal trasdi par international media chup hai... shayad haadson kee bhi marketing karni hai... aur ho bhi yahi raha hai.. sudner aalekh !
लेख अच्छा लगा , अभी तक स्लाइड शो तो विजिबल नहीं हुआ , ग्रूमिंग के बहाने से ही कई बार जी लिया जाता है , मगर पैकेट के अन्दर माल तो खालिस ही होना चाहिए न । इस सँवरने ने आपको एक पोस्ट के लिए उकसाया ...वाह वाह ...
bahut सुंदर जानकारी,
नयी जानकारी के साथ और भी बहुत सी बातें जानने और सीखने को मिलीं....आपने तो एक तीर से कई निशाने साध दिए...
स्लाइड शो बढ़िया लगा
very useful post thanx
कहते भी तो है जो दिखता है वही बिकता है भाईसाहब!!मई भी प्रयास करता हू इसे लगने का...जानकारी देने के लिए आभार...
ओहो तभी तो आप इतने सजे-धजे दिखते हैं जी
चश्मा, टाई, मफलर वाह
प्रणाम स्वीकार करें
बिलकुल सर ! अच्छी पैकिंग में सब बिकता है :)
ज्ञान बाँटने से बढ़ता है
बहुत अच्छा किया कि आपने बता दिया नहीं तो आने वाले दिनों में हम आधा घंटा शहीद कर दिये होते । सजावट में बस एक समस्या है कि ससुरा खाया जाय कि देखै से काम चला लिया जाय ।
guru !! aap sach me guru ho sir!!
aapke blog ka main ab permanent visitor hooon........akhir kya karun.......raha hi nahi jata:)
हमारा दिन तो आपने सजा दिया अपने कॉल से !
सच में समीर भाई बहुत बढ़िया लगा आपसे बात कर के !
बहुत बहुत धन्यवाद !
बेहद ख़ूबसूरत और शानदार आलेख! उम्दा प्रस्तुती!
बात तो सही कही आपने...पैकेजिंग का ही जमाना है...जो दिखता है वो बिकता है...
मगर क्या करें,हमें तो आज भी उपले पर लोहे की कडाही में पकी काली भद्दी दिखने वाली तरकारी ही पसंद है...
ब्लॉग डेकोरेशन का उपाय बताने का आभार...
स्लाइड शो लगाने का तरीका भी बता दिया...और ढेर सारी टिप्स भी...शुक्रिया.
"हमारा दिल सच्चा है..बाहरी आडम्बर में विश्वास नहीं रखते"...इन सब डायलॉग से इतर कुछ सुनने को मिला..:)
छोटी छोटी बातो से आप कितनी गहरी बात कहा देते है | जानकारी का आभार |
बहुत सुंदर।
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क्या आप बता सकते हैं कि इंसान और साँप में कौन ज़्यादा ज़हरीला होता है?
अगर हाँ, तो फिर चले आइए रहस्य और रोमाँच से भरी एक नवीन दुनिया में आपका स्वागत है।
बड़ी बढिया जानकारी है. आभार. हम भी प्रयोग करके देखेंगे.
हा हा हा ! हमारी पड़ोसन भी विदेश गई है । हम तो ये काम फ्री में करते रह गए । वैसे तीन अख़बार उठाने के बदले ६५ डॉलर का गिफ्ट । क्या वहां सचमुच अख़बार इतने महंगे हैं । हो भी सकते हैं , क्योंकि किसी को पढ़ते नहीं देखा जी ।
वैसे गिफ्ट है बहुत सुन्दर । कैसे खाया गया होगा ?
अरे हाँ समीर जी , आपको हमारे ब्लॉग पर अपना फोटो पसंद नहीं आया क्या ?
साज़ सज्जा हां लीप पोती नही ....
अच्छा आलेख है समीर भाई ....
ज्ञान बांटने से बढ़ता है.
और साज सज्जा का महत्व - यही प्रथम नीति है, कहीं भी किसी भी चीज़ के साथ.
ekdam sahi bina decoration koi chiz nahi bikti:),bahut dhanyawad ye slide show banane ki jankari ke liye.khane ki chize dekhkar kuh mein pani aa gaya.
...सार्थक पोस्ट!!!
इस सुन्दर तथा महत्वपूर्ण जानकारी के लिये धन्यवाद!
आपने भी खूब कही समीर जी!... सजावट हर जगह बाजी मार जाती है!...सिर्फ माल बढिया होने से कुछ नहीं होता; उसकी पैकिंग भी खूबसूरत होनी चाहिए!
aapki post ko kal ke charcha munch par sajaya ja raha hai.
aabhaar.
vidya ke bhandaar ki, badi apoorab baat,
jyo-jyo kharche tyo barhe, bin kharche barh jaat.
bahut sahi!!!
विषय न लगने वाले विषय पर भी आपका लेखन, आपके अनुभव की कहानी कहता है... सजावट, पैकेजिंग और मार्केटिंग के बारेमें जो आपने कहा, उसपर एक शंका है… आशा है समाधान करेंगेः
मणिनालंकृतः सर्पः किमसौ न भयंकरः
अर्थात् मणि से सजावट किया हुआ, या मणि की पैकेजिंग के साथ अगर सर्प मिले तो क्या वह भयंकर न होगा!... कुछ ब्राउज़र में इन सजावटों के कारण पेज देर से खुलता है...
@ संवेदना के स्वर:
सर्प तो सर्प ही रहेगा. जितना विषेला, उतना बेहतर. यही गुण है उसका. मगर आकर्षित तो करेगा ही और चर्चा में भी रहेगा कि मणिधारी है. :)
आज के युग में साज सज्जा और प्रस्तुतिकरण के ढंग का ही तो महत्व है .. बहुत सुंदर आलेख .. चित्र भी अच्छे हैं !!
हा ..बढ़िया सन्देश दिए हो ...ज्ञान के साथ विज्ञान
सही कह रहे हैं कि प्रेजेन्टेबल नहीं होगा तो कौन पढेगा? साथ में कुछ नया भी होना चाहिए। एक ही विषय को कई बार नहीं पढ़ सकते इसलिए नवीनता का छोंक लगाना पड़ता ही है।
बहुत ही ज्ञानवर्धक पोस्ट ! आप जैसे किसी सिखाने वाले गुरु की ही तलाश थी ! महत्वपूर्ण ज्ञान बांटने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद ! अपनी अगली पोस्ट में इसका लाभ उठाने का प्रयत्न ज़रूर करूँगी और जो सफल हो गयी तो आपको पुन: धन्यवाद करूँगी !
अच्छे लोग इसलिए अच्छे होते हैं, क्योंकि उन्होंने अपनी नाकामियों से काफी ज्ञान बटोरा है ।
bahut achhi jankari di aapne...bina sajawat ke baat nahi banti.
गुरुदेव आपके कहे का पालन किया और मेरी पोस्ट गाने लगी...
सजना है मुझे सजना के लिए...
अब मेरा मन न जले तो क्या करे...
जय हिंद...
आपने उचित सलाह दी है.
सलाह के लिए धन्यवाद ॥ आभार!
आपने बहुत सरल तरीके से बता दिया.. अब बहुत सारी पोस्ट सजने लगेगी....:)
आदि के ब्लॉग पर पहले पहले इसी तरह से फोटो लगाने का सोचा था... कुछ पोस्ट में इस्तेमाल भी किया.. फिर कुछ समस्या आई.. विशेकर जब इमेल से पोस्ट जाती है तो कई बार स्लाइड शो गायब होता है..
@ डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
शास्त्री जी.. मेरा अनुभव कहता है इसे ब्लॉग जल्दी खुलेगा..
इस पोस्ट में और इस पोस्ट में बिलकुल एक जैसे फोटो लगे है..बताइये कौनसा तेज है?
@रंजन
सही कहा, स्लाईड शो वाला जल्दी खुल रहा है.
bahut achhi post...bilkul sahi kaha aapne..
सही कहा आपने ये विज्ञापन का ज़माना है...दो पैसे की चीज़ को बीस रु. में बेचना ही मार्केटिंग है आज...एक अदद कटे तले आलू को तीस रुपये में खरीद कर हम फूले नहीं समाते और दो रुपये के भुट्टे के दाने भूनने के बाद मल्टीप्लेक्स में साठ रुपये में खा कर खुश होते हैं...
हम तो अपने ब्लॉग पर स्लाइड शो शुरू से ही लगाये बैठे हैं अपने बच्चों के प्यारे से बच्चों का...वरना अब हमारा थोबड़ा देख कर कौन आता...ये भी विज्ञापन का ही हिस्सा समझो...
नीरज
इस पोस्ट के शीर्षक में ही
इतना चुंबकत्व है कि मैं खिंचा चला आया!
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इसे एक अच्छा और उपयोगी आलेख
कहा जा सकता है!
जो सजा है वही दिखा है सही लिखा है आपने ...शीर्षक बहुत पसंद आया
badhiyaa
mujhe to kuch nahi aata, beti hai n...wahi batati hai
aapki salah ko dhyaan me rakhne se kafi fayda hi hoga sabko ,shukriya ,sundarata har line me jaroori hai .upyogi post rahi .umda .
साज-सज्जा का यह गुण-ज्ञान बताने के लिए आपका आभार!
आपके ब्लाग के संबंध में एक बार अपने एक सहयोगी और बड़े भाई जैसे मित्र से चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि अब मैं मोटा हो गया हूं और फिर आपके ब्लाग के बारे में बताया, फिर मैने उन्हें कहा कि मैं आपको जानता हूं और फिर बताया कि आप सिगरेट पैकेट के सफेद हिस्सों में लिखते रहे हैं। आपकी मां पर लिखी कविता उन्हें बताई। उन्होंने कहा कि उन्होंने आपकी कविता पढ़ी है। चर्चा का सबसे रोचक अंश उन्होंने बताया कि आप कभी गिरे थे और बिल्कुल पत्रकारों की तर्ज पर आपने एक सर्कल बनाया, यही वजह जगह है जहां दुर्घटना हुई।
आदरणीय समीरजी... ब्लोगवाणी बंद होने से आजकल काफी सारी पोस्ट नहीं पढ़ पा रहा हूँ... देरी से आने के लिए माफ़ी चाहता हूँ.... यह पोस्ट बहुत एडिबल लगी.... और काफी डेलिशियस है....
yeh tippani blog ke liya nahin aapke liye hai.kuch samay pehle canada gayi thi.waha bahut saare bhartiyon ne aapki tarah hi french cut dadhi(beard)rakhi hui thi.sab lagbhag ek jaise dikhte hain.kya chakkar hai bhai?
लेख के पीछे आपका जिंदादिल और मजेदार व्यक्तित्व है..जो चीजों को सीधे से परोस देने में संकोच नहीं करता है..सजावट की सीख भले ही इस लेख की रग में हो लेकिन लेखक की रग में बनावटीपना दूर तक नहीं है....
लेख के पीछे आपका जिंदादिल और मजेदार व्यक्तित्व है, लेख की रग में भले ही सजावटपना हो लेकिन लेखक की रग में बनावटीपना दूर तक नहीं है..
आपको धन्यवाद देना चाहती हूँ ! इस बार बिना किसी एक्सपर्ट की सहायता के अपने आप बच्चों की यह फोटो ब्लॉग पर कविता के साथ डाली है ! आपकी इस पोस्ट ने मेरा बहुत मार्गदर्शन किया ! ज़रा देख कर मार्क्स भी दे दीजिए कि पास हुई या फेल ! उन्मना पर अब खाली शीर्षक के अलावा रचना भी प्रकाशित हो गयी है ! वैसे मैंने अनुभव किया खाली शीर्षक पर रचना से अधिक कमेंट्स आये हैं तो क्यों न् खाली शीर्षक ही डाले जाएँ !
Really very interesting post...and such a lovely style of writing.. ..Regards
The Lines Tells The Story of Life....Discover Yourself
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति, साज-सज्जा पर विवरण ज्ञानवर्धक, आभार के साथ इतने दिनों की अनुपस्थिति के लिये खेद चाहूंगी।
सुन्दर आलेख!
जानकारी के साथ ही व्यंग्य भी ...... कमाल है!
सादर.
SABKUCHH JANKAR BHI ANJAAN BAN BAN KAR JANAA DIYE PRABHU DHANY HO !!
bahut hi achha lekh...........
thodi der ho gayi aane mein...
naukri ki talaash mein thoda wyast hoon......
साज-सज्जा से सजी अच्छी पोस्ट।
आपने सचमुच एक परेशानी आसान कर दे.धन्यवद...
ये तो सही है की भारत में ऐसे होने लगा तो अपना तो बजट ही बिगड़ जाएगा। हां सजावट के साथ चीजों को पेश करने का मैं कायल हुं। पर क्या करें आदत नहीं बन पा रही।
bahut khoob ..acha laga!
काफी सही पोस्ट था. जानकारी से भरा. मैंने तो आपके द्वारा दी गयी जानकारी का इस्तेमाल भी कर लिया अपने ब्लॉग पर.
धन्यवाद.
smeer ji,jawab dene ke liye dhanywad.imigration visa mila tha isliye toronto aana hua tha.15 din rahne ke baad aisa laga ki yahan life bahut tough hai isliye vapis aa gaye.mere jeth pahle vahin rahte they aajkal ottwa shift ho gaye hain.unki beard bhi bilkul aap jaisi hai sliye aap se majak main pooch liya.aapke blog per rajiv ojha ji vajah se aana hua.dehradun main ek local paper aata hai usme unhone aapko aur stuti ko recommend kiya tha.saari post padh dali hatn.aap ke lekhan per tippani karne ki kshamta nahin hai isliye tippani nahin ki.canada aayi to aapse jaroor miloongi.
एक बात तो है आपके ब्लॉग पर आने पर कुछ न कुछ तो मिलता है। आज भी ऐसा ही हुुआ। आज बात साज सज्जा की हुई। बहुत बहुत धन्यवाद आपका। बहुत शानदार। क्या कहने।
आपको तो इंटीरियर डिज़ाइनर और डेकोरेटर होना चाहिए. बहुत उम्दा.. फल देखकर तो मुंह में पानी आ गया।
बहुत खूब समीर भाई
जानकारी भरी पोस्ट के लिए धन्वाद
हमेशा ही आप की पोस्ट से कुछ सीखने को मिलता है
आभार !
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