एक पहेली ख्याल आती है:
एक पैकेट में ७ बन(ब्रेड) हैं. मेरी पत्नी रोज आधा खाती है और मैं एक पूरा.
पहेली है कि ५ वें दिन कौन कितना खायेगा?
जबाब हो सकता है:
१. मैं पूरा खाऊँगा और पत्नी भूखी रहेगी.
२. पत्नी आधा खाती है, इसलिये आधा खाकर निकल लेगी (आई डोंट केयर बोलते हुए) और मुझे आधा ही खा कर गुजारा करना होगा.
३. दोनों खुशी खुशी आधा आधा बांट कर खायेंगे.
यदि आपको लगता है कि
जबाब १ सही है, तो इसका अर्थ है कि आप पत्नी को बराबरी का दर्जा नहीं देते. आप पुरुष प्रधान समाज के समर्थक हैं एवं समय के साथ साथ अपनी मानसिकता नहीं बदल रहे हैं और उसी दकियानूसी विचारों के बीच पल पुस रहे हैं जिसमें नारी को कोई महत्व नहीं दिया जाता था. ऐसे में आज के जमाने में आपकी गुजर मुश्किल ही है. गुजर अगर हो भी जाये तो कम से कम सुखमय तो नहीं होगी.
यदि आपको लगता है कि
जबाब २ सही है तो आप निश्चित ही पत्नी की समानता एवं समान अधिकारों की नहीं बल्कि नारी पुरुष से कहीं कम नहीं वाली रिसेन्ट मानसिकता के साथ कदम से कदम मिला कर चल रही/रहे हैं. आपका ध्येय नारी को बेहतर, ज्यादा ताकतवर एवं पुरुष को हर हाल में नीचा दिखाना है. आप नारी मुक्ति आंदोलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने के लिए परफेक्ट पात्रता रखते हैं. सुखमय जीवन से ज्यादा आपके लिए अहम महत्व रखता है.
यदि आपको लगता है कि
जबाब ३ सही है तो आप पति और पत्नी एक ही गाड़ी के दो पहिये हैं एवं सामंजस्य से ही जीवन गाड़ी भली भांति दौड़ेगी वाले संस्कारों में विश्वास रखते/रखती हैं एवं दोनों के समान अधिकारों के प्रति सतर्क एवं सहमत हैं.
-वैसे तो जबाब २ और ३ का नेट परिणाम एक ही है मगर भाव अलग अलग हैं.
बस, जीवन को सुचारु रुप से सफलतापूर्वक जीने के लिए भाव महत्वपूर्ण है, परिणाम नहीं.
यही सुखद (वैवाहिक) जीवन का सूत्र है.
अतः, कोशिश कर अपना सही जबाब ३ को बनाये यदि आपने अपना जबाब इसके सिवाय १ या २ चुना है तो!!
चलते चलते: (मेरी एक रचना का हिस्सा)
जो प्यार तुमने मुझको दिया था
वो प्यार किस्तों में लौटा रहा हूँ..
मोहब्बत इबादत में ऐसा रहा है
दर्द हो किसी का, किसी ने सहा है
ये बात तुझको पता ही कहाँ थी
कि किसने किससे कब क्यूँ कहा है.
उदासी मिटाना,
और सबको हँसाना
निवेदन मैं सबसे किये जा रहा हूँ...
-समीर लाल ’समीर’
93 टिप्पणियां:
मोहब्बत इबादत में ऐसा रहा है
दर्द हो किसी का, किसी ने सहा है
ये बात तुझको पता ही कहाँ थी
कि किसने किससे कब क्यूँ कहा है....
खुद का कहा ही पता नहीं ...
जवाब निश्चित रूप से 3 ही होगा ...!!
गुरुदेव,
कायदे में अगर बच्चे हैं तो पहले हम दोनों पति-पत्नी उनकी भूख की फिक्र करते...बच्चे
नहीं हैं तो हम पहले दिन से पौना-पौना बंद खाना पसंद करते, न कि मैं पूरा और
पत्नी आधा...
रही बात हंसने-हंसाने की तो राजकपूर का ये दर्शन अमर है...
अपने पे हंस कर जग को हंसाया
बन के तमाशा मेले में आया
हिंदू न मुस्लिम, पूरब न पश्चिम
मज़हब है अपना हंसना हंसाना,
कहता है जोकर...
जय हिंद...
जो प्यार तुमने मुझको दिया था
वो प्यार किस्तों में लौटा रहा हूँ..
भैया हम तो ई सवाल जवाब के लफ़ड़े मा नहीं पड़ते।
किश्त जो भरनी है, हा हा हा
प्यार और भोजन का सच्चा रिलेशन आज पता चला। अभी बंन और नाश्ते की टेंशन आपकी है, हम तो इस टेंशन से मुक्त है।
जो प्यार तुमने मुझको दिया था
वो प्यार किस्तों में लौटा रहा हूँ..
जवाब न, ३ को मानने मे ही भलाई है. और भलाई क्या? हम तो मानन्ते भी वही हैं.
रामराम.
३. दोनों खुशी खुशी आधा आधा बांट कर खायेंगे.
दर्द हो किसी का, किसी ने सहा है
ये बात तुझको पता ही कहाँ थी
कि किसने किससे कब क्यूँ कहा है.
उदासी मिटाना,
और सबको हँसाना
निवेदन मैं सबसे किये जा रहा हूँ...
वाह..समीर लाल ’समीर’ जी!
पहेली के माध्यम से बहुत ही प्रेरणात्मक पोस्ट
ठेल दी है!
आभार! शुक्रिया!! धन्यवाद!!!
मोहब्बत इबादत में ऐसा रहा है
दर्द हो किसी का, किसी ने सहा है
ये बात तुझको पता ही कहाँ थी
कि किसने किससे कब क्यूँ कहा है....
खुद का कहा ही पता नहीं ...
paheli ke madhyam se aapne achchi shiksha di. aabhaar.
मोहब्बत इबादत में ऐसा रहा है
दर्द हो किसी का, किसी ने सहा है
ये बात तुझको पता ही कहाँ थी
कि किसने किससे कब क्यूँ कहा है.
पता नहीं पर ये प्यार हम जगजाहिर क्यों करें हम तो केवल अपनी संगिनी को बताएँगे कि हम क्या करने वाले हैं ५वें दिन।
और अपन तो किस्तों में लौटाने की सोच भी नहीं सकते हैं क्योंकि इस मामले में अपन बहुत ढीट किस्म के हैं कि प्यार ले लेते हैं पर प्यार लौटाने की बात पर सोचते भी नहीं है, उसके लिये अपने प्यार के तालाब को लबालब भरा होना चाहिये, हमें तो और प्यार चाहिये तब कुछ सोचेंगे इस बारे में।
पहेली के बहाने बढिया विमर्श .. अच्छी लगी आपकी ये पोस्ट !!
"जीवन को सुचारु रुप से सफलतापूर्वक जीने के लिए भाव महत्वपूर्ण है, परिणाम नहीं."
मूल बात यही है । यह भाव यदि आकर ठहर गया है चेतना में तो उत्तर तीन ही होगा ।
सरलता से जीवन-सूत्र देने वाली प्रविष्टि ! आभार ।
पहेली अच्छी है। पर पाँचवें दिन के पहले ही हम जैसा मेहमान आ गया तो, उस की तो गुंजाइश छोड़ते।
r.sir yani dada
jiwan ko niymon ,siddanto se mt bandho
yaha to ek siddant hai ;;abhi kitni bn ki bhook hai ?aapko jyada lg rahi aap khalo ,mujhe lg rhi hai main kha leti hun
hmare goswamiji ka pet jra sa gdbdaya khana chhod dete hai us di n ....apni to chvnni'''
ye koi baat hui ki wo khaye hi khaye
apni ye seht yunhi nhi bni hai
ha ha ha
ये पति पत्नी के चक्कर मे आप साधू को भूल गए
साई इतना दीजिये जामे कुटुंब समाए
मै भी भूखा ना रहूँ साधू ना भूखा जाए
समाज को भूल नहीं सकते हैं एक "बन" हमेशा उनके लिये रखना होगाया फिर से हिसाब लगाए
अगर चौथे दिन ही नया पैकेट ले आऊ तो किस श्रेणी मे अपने को समझू ?
बस, जीवन को सुचारु रुप से सफलतापूर्वक जीने के लिए भाव महत्वपूर्ण है, परिणाम नहीं.
ये पंक्तियाँ और सीख मन को छु गयी...... बेहद शानदार प्रस्तुती....
regards
सटीक विश्लेषण
आदरणीय समीर जी.....
जवाब नंबर तीन बिलकुल सही और परफेक्ट है.....
बेहद शानदार प्रस्तुति... के साथ बहुत अच्छी लगी यह पोस्ट....
Regards....
समीर भाई ,
हमने तो सारा हिसाब किताब पत्नी पर छोड़ा हुआ है , कितनी बन थीं ? किसको कितना मिला ? कब ख़त्म हुई ? जब ये ही पता नहीं तो वो हमें क्या दर्जा देती हैं कैसे पता चलेगा ? यानि की हम जैसों पर एक अदद पहेली की गुंजाइश के साथ ही साथ अनुज प्रमेन्द्र प्रताप सिंह को टेंशन में डालने वाली एक पहेली का भी स्पेस है !
भावों का महत्त्व है जी. सौ प्रतिशत.
सार्थक जीवन जीने की सीख तश्तरी में सजा कर पेश की गई
अगर एक पैकेट बन और खरीद लें तो कुछ दिन और झगड़ा नहीं होगा.
जो प्यार तुमने मुझको दिया था
वो प्यार किस्तों में लौटा रहा हूँ.....
बहुत खूब समीर भाई ...... जितना लिया है उससे ज़्यादा देना ..... कंजूसी नही करना प्यार में .......
और मेरा तो चौथा जवाब भी है ....... शुरू से पत्नी जितना (आधा) ही खाओ ........ ज़्यादा दिनों तक चलेगा ......
भाभी को हमारी राम राम ........ दुबई में मौसम बड़ा सुहाना हो रहा है ......... रोमांस करने आ जाओ भाभी को ले कर .......
हम तो दरअसल "छठवें दिन" की चिन्ता में डूब गये हैं.
आधा ब्रेड पत्नी खाएगी क्यों !!! एक वो खाएगी आधा पति खायेगा !!! आखिरी दिन में एक ब्रेड की पाकेट और ले ली जायेगी ! प्रेम में त्याग की भावना होती है !!! जो जितना प्रेम करता है वो उतना ही त्याग करता है पुरुष अगर त्याग नहीं करता तो उसका प्यार कमजोर है !!!
समीर जी, प्रश्न पढ़ते ही हम तो ३ पर राजी हो गए थे लेकिन ये तो मात्र हमारी सोच है.....वर्ना हम तो अकेले ही सफर पर निकले हुए हैं..... विमर्श अच्छा लगा। रचना सुन्दर है।।
उदासी मिटाना,
और सबको हँसाना
निवेदन मैं सबसे किये जा रहा हूँ...
कहे पर अमल भी तो करते चलो।
न, उत्तर ३ भी गलत है। उससे तो मेरा पूरा पेट भर जाएगा पति का केवल आधा। उत्तर के लिए मेरी आज की पोस्ट भी पढ़ लीजिएगा।
घुघूती बासूती
सुन्दर रचना :)
मोहब्बत इबादत में ऐसा रहा है
दर्द हो किसी का, किसी ने सहा है
ये बात तुझको पता ही कहाँ थी
कि किसने किससे कब क्यूँ कहा है.
....यही वैवाहिक जीवन का आनंद है..........
मेरे बदले तू हंस लेती तेरे बदले मैं रो लेता
बहुत सुन्दर समीर जी
पहेली के बहाने बढिया विमर्श .. अच्छी लगी आपकी ये पोस्ट !!
एलियन जी ,
जीवन का सच ...नहीं नहीं कहें तो ...जीवन की सफ़लता का सच यही फ़लसफ़ा तो है ....जो समझ गया इस पहेली को ...उसका जीवन भी सफ़ल है ....
आज गहरी बात कही आपने ..
bahut khoob........
sahi kaha !
abhinandan !
उदासी मिटाना,
और सबको हँसाना
निवेदन मैं सबसे किये जा रहा हूँ...
bahut khoob
गुरुदेव,
पांच में से चार दिन यदि ख़ुशी ख़ुशी गुज़र चुके हों तो पांचवें दिन दोनों को भूख ही कहाँ होगी . पांचवें दिन दान दक्षिणा देकर अगला जनम सार्थक कर लेंगे .
पर एक बात बताओ पहले के चार दिन डबल डबल खाकर ऊपर पहुँचने पर धर्मराज को कोई आक्षेप तो नहीं होगा न?
हासानंद
उदासी मिटाना,
और सबको हँसाना
निवेदन मैं सबसे किये जा रहा हूँ...
अरे अरे छटंकी सी कविता और भाव में टंकी का इशारा ,रुकिए जरा मेरा जवाब भी तो लेते जाईये !
मैं ४ लेकर तीन उसे दे दूंगा और वह उसमें से भी १ मुझे दे देगी ! मेरी पत्नी और प्रेयसी दोनों क्षीण काया है न !
नोट किये लेते हैं :) काम आएगी ये पोस्ट.
बहुत बढिया!
सुखद जीवन के लिए यह जरुरी है पत्नी को भी बराबरी का दर्जा दिया जाना चाहिए..यह सब पति की मानसिकता पर निर्भर करता है . बहुत बिंदास विचारणीय पोस्ट...आभार ...
"एक रोटी मिलेगी तो आधी आधी खायेंगे नहीं तो छाती से छाती मिलाकर सो जायेंगे ।' यह किसी लेखिका का वाक्य है ( शायद मन्नू भंडारी ..य़ा.. याद नही आ रहा ) लेकिन इस एक वाक्य ने मेरे बचपन में स्त्री और प्रेम के प्रति मेरी प्रगतिशील धारणाओं को पुष्ट किया ।
समीर जी,
खुशी-खुशी या मजबूरी में ही सही। भाई अपन तो आधी-आधी खा कर ही गुजारा करेंगे।
समीर भाई मै तो पतिदेव को ही पहले खिलाती हूँ, और वो कभी-कभी तो अपनी धुन में सारा खा जायेंगे, या कभी मालूम हुआ की इतना ही बचा है तो अपना हिस्सा भी मुझे हिदायत देते हुए खिला देंगे कि ढँग से खाया करो, या बाँट कर भी खा सकते हैं...
और सुनाईये कैसे हैं आप?
एक राजस्थान की पृष्ठभूमि पर फिल्म देखी थी। प्यासे प्रेमी थोड़े से पानी पर तू पी, तू पी की बात कर प्यासे ही छोड़ गये थे दुनियां।
प्रेम का वह चरमोत्कर्ष है!
मैं तो पांचवे दिन भूखा रह जाता, इसलिये कि छटवें दिन भी बन खा सकें.
मगर पत्नी का क्या विचार होगा ये ख नहीं सकते.शायद वह भी यही करती.
मैं तो पांचवे दिन भूखा रह जाता, इसलिये कि छटवें दिन भी बन खा सकें.
मगर पत्नी का क्या विचार होगा ये ख नहीं सकते.शायद वह भी यही करती.
मैं तो पांचवे दिन भूखा रह जाता, इसलिये कि छटवें दिन भी बन खा सकें.
मगर पत्नी का क्या विचार होगा ये ख नहीं सकते.शायद वह भी यही करती.
दो हो या तीन परिणाम एक ही है पर प्यार से, मिल बांट कर खाने से .............. अरे कहीं ये कुछ और तो नही लग रहा ?
कौन कितना खायेगा, ये तो इस बात पर निर्भर करता है, डाइटिंग पत्नी कर रही है, या करा रही है।
गुरुमंत्र सही है।
वैसे पति पत्नी का रिश्ता --- साइकियाट्रिस्ट और उसके मरीज़ जैसा होता है, यानि जब एक बोले तो दूसरा चुपचाप सुनता रहे।
प्रेम होगा तो ऐसा कोई विमर्श पैदा होने वाला ही नहीं है । एक दूसरे को ज्यादा खिलाने की कोशिश की जायेगी । यदि नहीं होगा तो फिर दिमाग भिडाते रहिए ।
मेरा जवाब निश्चित रूप से 3 ही होगा ...!
वाह बढिया है. पैरोडी बहुत शानदार है.
जरूरी है जानना कि छठे दिन क्या होगा? क्या नया ब्रेड का पैकेट आयेगा? क्या ये हर हफ़्ते की समस्या है?
अगर ऐसा है तो सबसे आसान हल है कि
एक हफ़्ते पांचवे दिन पति उपवास करे और पत्नी आधे के बदले पूरा ब्रेड खाये लेकिन अधिक खाने के ऐवज में ५ मील की दौड लगाये इससे उसका स्वास्थ्य बढिया रहेगा। अगले हफ़्ते पत्नी उपवास करे और पति एक ब्रेड खाये, अब चूंकि पति नियमित रूप से ज्यादा भोजन खा रहा है इसके लिये उसको भले ही रोज से अधिक भोजन न मिला हो लेकिन ५ मील की दौड दौडनी पडेगी। भाई इतने दिनों से अधिक भोजन करने की आदत जो तोंद में दृष्टिगोचर हो रही होगी, उसको भी तो सुधारना है।
इसके कुछ हफ़्तों के बाद, दोनों सप्ताह के बाकी दिन भी थोडी दौड लगायें और वो भी साथ में। इससे उन्हे आपस में बातचीत करने का अधिक समय मिलेगा और स्वास्थ्य तो सुधरेगा ही।
हम इसलिये ऐसा लिख रहे हैं कि पिछले हफ़्ते दौडते समय एक पानी से भरे गड्ढे से बचते समय हमने छलांग लगायी और शायद ठीक से अपने बांये पैर पर लैंड नहीं कर पाये। उसके तीन दिन बाद जब मैराथन की तैयारी में २१ मील दौडे तो उसके बाद से पैर में दर्द है और अब एक हफ़्ते तक दौड न पायेंगे। उससे भी दुखद है कि १७ जनवरी को हमारी मैराथन दौड है और उसकी ट्रेनिंग का ये सबसे महत्वपूर्ण पडाव है और हम पैर पर बर्फ़ की पट्टी लगाये टिप्पणी लिख रहे हैं :(
जवाब तीन का आदेश है तो जवाब तीन को ही लॉक किया जाएगा.... जहां पनाह,
वरना वैसे भी कहीं पनाह मिलने की उम्मीद नहीं है...
बन का क्या है आज है कल नहीं है और परसों फिर आ जाएगा लेकिन....
अब क्या बोलूं :)
कहीं पढ़ा था..
कृष्ण के पाँव में पड़े छाले, राधिका धुप में चली होगी..
"दर्द हो किसी का, किसी ने सहा है"
क्या बात है!!
शादी हुई नहीं है अभी, प्रेमिका बन न सकी कोई.. ब्रेड तो बहुत खाए.... बस भाई बहनों में ही छीना-झपटी हुई.. कुछ चिरकुट दोस्त भी हाथ साफ़ कर जाया करते थे.
जो प्यार तुमने मुझको दिया था
वो प्यार किस्तों में लौटा रहा हूँ..
मोहब्बत इबादत में ऐसा रहा है
दर्द हो किसी का, किसी ने सहा है
ये बात तुझको पता ही कहाँ थी
कि किसने किससे कब क्यूँ कहा है.
---pahli ka javab to 3 hi sahi hai...vaise ap pahunche huye khiladi hain...
paheli chahe jo ho ...yah najm yad rahegi..vah!
शानदार पोस्ट है. रही बात भाव की तो अपने-अपने हिसाब से लगा लेंगे लोग.
वैसे भी 'बन' के भाव भी बढे हुए हैं.....:-)
पहेली नहीं पहेला लगता है.
जो भी हो भाव प्रेम का ही अच्छा लगता है.
जो प्यार तुमने मुझको दिया था
वो प्यार किस्तों में लौटा रहा हूँ..
मोहब्बत इबादत में ऐसा रहा है
दर्द हो किसी का, किसी ने सहा है
ये बात तुझको पता ही कहाँ थी
कि किसने किससे कब क्यूँ कहा है.
उदासी मिटाना,
और सबको हँसाना
निवेदन मैं सबसे किये जा रहा हूँ...
सर, पहेली वाकई में जिन्दगी का सच बता देती है...
और आपकी रचना ने हमारा दिल खोल कर रखा दिया...
ई टिप्पणी-डब्बा के नखरे का कोनो समाधान किया जाय ।
मेरी टिप्पणी ऊहाँ चर्चा पर टँगी पड़ी है ।
उड़न तश्तरी .... नाम ही कमाल का है.. यह तश्तरी मेरा ब्लॉग भी देख गयी. आप तो नंबर वन है भाई. समय निकल लेते है दूसरों के ब्लॉग देखने का, आश्चर्य होता है. आपकी सक्रियता बड़ी प्रेरणा देती है.
हमेशा की तरह...लाजवाब पोस्ट...जिनकी शादी की वर्ष गाँठ है उनके लिए और जिनकी आने वाली है उनके लिए भी संग्रहणीय विचार...
नीरज
mahoday. mere paas to panchwe din 2 bun bache rahenge kyonki patni naam ke prani se main abhi tab bacha hua hun
प्रश्न कुंडली बना ली है. ज्योतिषी जी महाराज की ज्योति पड़ते ही आपको सूचित करेंगे.
javab 3 ha or hona bhi chahiye...sundar rachna ke liye badhai......
Sarvottam Nivedan..........JAI HO..
बहुत अच्छी रचना ....
कृपया आगे भी ऐसे शेर लिखते रहे ...
अच्छा लगा.मेरा जवाब भी तीसरा ही है.पर इस बात के साथ कि शुरू से ही बराबर खाएँगे.पांचवे दिन के इंतज़ार में पहले ही कुछ बुरा हो गया तो मन की मन में ही रह जाएगी.आपकी सक्रियता बेमिसाल है.दृष्टि का भी कायल हुआ हूँ.
ham to aapke teesare javaab ke samarthak he.
kisht kisht aour kisht..aaj kaa adami isi fere me padaa he.
अब पति-पत्नी के रिश्तों की मजबूती एक या आधे बन से तय होगी. वाह समीर भाई, अच्छी पहेली बुझा रहे हो और लोग हाँ में हाँ मिलाने को मजबूर हैं. विदेशी होने का लाभ लिया जा रहा है. मेड इन कनाडा, भारत में परोसा जा रहा है. कविता भी मुकेश के एक गीत से शुरू कर दी. मैं आलोचना नहीं कर रहा, आपने खुद ही कहा कि दूसरों को हंसाने के लिए....
मैं लम्बे समय बाद आ सका हूँ, नौकरी और बीमारी से फंसा हुआ था, माफ़ कर दीजियेगा, नहीं भी करेंगे तो क्या कर लूँगा. हाँ, मेरी रचनाएँ देखते रहने के लिए कोई शुक्रिया नहीं, आखिर गोरखपुर का मामला है.
बस, जीवन को सुचारु रुप से सफलतापूर्वक जीने के लिए भाव महत्वपूर्ण है, परिणाम नहीं.
Maan li aapki baat.
Sameer bhai,
post bahut achchhi lagi.apne isi bahaane bloggaron ko tatol liya hai.aise mein harkoi 2ya3 mein hi jayega kyonki achchha pati jo saabit karna jaroori ho gaya hai sabki nazaron mein, aur sabi ko karna bhi chahiye. Badhai!!!
बेहतरीन रचना
बहुत -२ हार्दिक शुभ कामनाएं
समीर जी पोष्ट निकै घतपूर्ण लाग्यो मलाई । मेरो बिवाह त भएको छैन तर पनि यि कुराहरुले मलाई अथवा मेरो दाम्पत्य जीवनलाई सुख र शान्तिसँग बिताउन सिकाउनेछ ।
हम तो ना० २ को करते, लेकिन हमारी बीबी भी नही मानती, ओर एक पलेट मै उसे रख कर लाती ओर हमे खाने को देती, साथ मै बहाने करती झूट बोलती कि उसे भुख नही,लेकिन हम आखिर मै आधा उसे खिलाते ओर बाकी हम खा लेते
बहुत बहुत शुक्रिया , दाद कबूली लेकिन आपकी एक शंका का निवारण करना चाहती हूँ ;
टंकण की भूल से भूक नहीं लिखा बल्कि उर्दू में भूक ही होता है और हिंदी में भूख .मैंने अपने ब्लॉग पर इसका विस्तृत जवाब दिया है .आशा है आप एक बार फिर मेरे ब्लॉग पर आकर पुनः अपनी दुआओं से नवाजेंगे.
sameer ji aapki paheliyaan bahut intresting hain baad mein itminaan se jawab dungi ,thanx.
हर बार की तरह फ़िर आनन्द आया!
achchhi paheli hai , magar main to kunwar hoon to abhi patni ko nhi khilaunga .
मोहब्बत इबादत में ऐसा रहा है
दर्द हो किसी का, किसी ने सहा है
ये बात तुझको पता ही कहाँ थी
कि किसने किससे कब क्यूँ कहा है....
खुद का कहा ही पता नहीं ...
waah waah
मोहब्बत इबादत में ऐसा रहा है
दर्द हो किसी का, किसी ने सहा है
ये बात तुझको पता ही कहाँ थी
कि किसने किससे कब क्यूँ कहा है.
Bahut sundar bhavon valee rachana---
जो BUN तुमने मुझको दिया था
वो BUN किस्तों में लौटा रहा हूँ.. :)
nice FEMINIST post. Kabhi purusho ki vyatha par bhi socho sarkar.
bahut khoob , sameer ji ,waise mera bhi rating 3 hi hai ismen se lekin yadi 4th option bhi yah hota ki sab bread yadi patni ko achchha lag raha hai to unhen hi poora khilakar swayam ko jyada aatm-santusht paata to mera rating yahi hota yani no.4
bahut khoob , sameer ji ,waise mera bhi rating 3 hi hai ismen se lekin yadi 4th option bhi yah hota ki sab bread yadi patni ko achchha lag raha hai to unhen hi poora khilakar swayam ko jyada aatm-santusht paata to mera rating yahi hota yani no.4
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'उदासी मिटाना,
और सबको हँसाना ' जिसके जीवन का मन्त्र बन गया वह जोकर ही मनुष्य है.
main kuchh kuchh kahne layak nahi gurudev...
bhai ji hamse to kisi ladaki ne mohabbat hi nahi kiya to kya jabab de
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bhai ji hamse to kisi ladaki ne mohabbat hi nahi kiya to kya jabab de
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