एक सलाह सी है, कुछ लोग एक ही दिन में अभी भी चार चार पांच पांच या उससे भी ज्यादा पोस्ट कर रहे हैं. आपको दिनभर लिखना है, दिन भर लिखिये मगर कोशिश करके सबको अगर एक पोस्ट बना कर पोस्ट कर दें तो बेहतर हो जाये.
राजू श्रीवास्तव का लॉफ्टर होता तो वो जरुर कह उठते:
हम तो भरे बैठे हैं. हमारा मूँह न खुलवाओ. उनकी एक पोस्ट पर टिप्पणी लिख ही रहे हैं. सबमिट की कि उन्हीं की दूसरी पोस्ट हाजिर. वो टिपियाये, सबमिट की तो अगली हाजिर. पोस्ट लिख रहे हो कि हमको चिढ़ा रहे हो कि लगे रहो मुन्ना भाई टिपियाने में..हम भी न दौड़ाये तो कहना!!
महाराज!! कुछ तो रहम खाओ, इस काया पर. और साथ ही दूसरों की पोस्ट को भी कुछ देर रह लेने दो पहले पन्ने पर. बस, निवेदन ही बाकि तो जैसा जी में आये और जो उचित लगे, सो करिये.
एक तो लोगों को यूँ ही चैन नहीं. बार बार वही बात कि ये आदमी इतनी टिप्पणी कैसे करता है, क्यूँ करता है, कट पेस्ट करता है, रेडीमेड टिप्पणी चिपकाता है, नेटवर्क बनाता है, टिप्पणी पाने के लिए करता है..
मानो ये सब करके मुझे खजाना मिलने वाला है कि वाह, उड़न तश्तरी-इस साल तुमने सबसे ज्यादा टिप्पणियाँ पाईं तो तुमको नोबल पुरुस्कार दिया जाता है या फिर कोई खद्दरधारी चले आयेंगे कि भाई, बहुत बेहतरीन जनाधार है. आओ मैडम ने बुलाया है, तुमको सरदार बनायेंगे. आज से तुम भारत के प्रधान मंत्री. हम कहेंगे कि मैडम, हम तो चुनाव तक नहीं लड़े हैं और वो कहेंगी कि पहले प्रधान मंत्री बन लो, बाकि सब सेट हो जायेगा. ऐसे जनाधार वाले लोगों को हम नहीं छोड़ते.
हिन्दी चिट्ठाकारी की टिप्पणी साईकिल: वर्तमान परिपेक्ष में:
भई, अपना अपना काम शांति से करो न. कुछ मदद चाहिये तो बताओ. ये क्या है कि वो ये क्यूँ करते हैं. हम तो ऐसा नहीं करेंगे चाहे कोई हमारे द्वारे आये या न आये. अगर इतने ही निर्मोहि हो तो इसमें बताना क्या?
क्या फरक पड़ता है कि शास्त्री जी ने क्या कहा या उन्होंने १० चिट्ठों पर टिप्पणी करने की सलाह दी. अरे, हमसे पूछोगे तो हम १०० पर करने की देंगे और एक दो को जानता हूँ, उनसे पूछोगे तो वो कहेंगे कि एक ही जगह इक्कठे होकर गाली बको. सबकी अपनी सोच है, जो जिसे प्रभावित कर जाये.
सलाहकारों के देश में एक भारतीय मौलिक अधिकार के तहत सलाह ही दी जा रही है अपनी समझ से निवेदन के माध्यम से. मानना है मानो वरना कोई कानून तो पारित किया नहीं है उन्होंने. फिर कैसी परेशानी?
सब सोच की बात है-मान लो तो नये लोगों को जोड़ कर परिवार सुदृढ किया या मान लो नये लोगों को लाकर भीड़ की भभ्भड़ मचवाई दिहिन. जैसा दिल चाहे मानो.
कुछ पंक्तियाँ जेहन में आईं:
वो
दूर खड़ा
चाँद को
कोसता रहा..
रोशन जहाँ
उसे
रास नहीं आता!!!
खैर, लिखो-और कुछ हो न हो पोस्ट की संख्या तो बढ़ती चलेगी. थोड़ा सनसनी भी मची रहेगी. चहल पहल बाजार की पहचान है शायद कल को व्यापार और सौदे होने लगे तो कुछ फायदा भी हो जाये. इन्तजार तो है ही ऐसे शुभ दिवस का.
अनेकों शुभकामनाऐं.
***********************************************************
आज एक नया हाथ आजमाने का मन किया है.
बहर-ए-रमल २१२२,२१२२,२१२२,२१२ में एक गज़ल लिखने का प्रयास किया है.
मास्साब पंकज सुबीर से डांट खा खा कर कुछ सुधार तो आ ही गया होगा.
भूल बैठे हैं उसे, जीते थे जिसके नाम से
दूरियां कुछ हो गई हैं, आज उनकी राम से.
मत लगा नारे यहाँ पर, धर्म के ईमान के,
सो रहे हैं मौलवी जी, तान कर आराम से.
अब न जागे तो समझ लो, हाथ आयेगा सिफर
खेलते हैं रोज कितने, देश की आवाम से.
कल मरे थे लोग कितने, रो रही थी ये जमीं
महफिलें सजने लगेंगीं, देख लेना शाम से.
कौन कैसे मर रहा है, कौन पूछेगा यहाँ
बेच आये ये जमीरां, कौड़ियों के दाम से.
नाम जिसका है खुदा, भगवान भी तो है वही
भेद करते हो भला क्यूँ, इस जरा से नाम से.
-समीर लाल 'समीर'
77 टिप्पणियां:
चित्र को हिंदी चिट्ठाकारी की टिप्पणी साईकिल से रिलेट करके तो कमाल का Humour पेश किया है आपने। विचार भी काफी सुलझे हुए रखे हैं।
उम्दा पोस्ट।
बाबा रे ..१०००० जालघर और १०० तीप्पणीयाँ ..ये तो पूरा महाभारत है !
पर आपकी गज़ल,वो फोट और झरता जल :) और सलाहभरी पोस्ट के लिये आभार ..सब पसँद आया !
-स्नेह्,
लावण्या
फोटो बढिया लगी, ब्लागजगत यूंही बढता रहे यही कामना!
पेसेंज़र ट्रेन जैसा है पहिले तो चलती नहीं है | पर जब एक बार गति पकड़ती है तो रुकती नहीं है | कुल मिला के आप लोगों का आशीर्वाद है |
मै भी इतने सारे नए चिट्ठों को देखकर चौंकी....लेकिन खोलखोलकर देखा...तो बारह पंद्रह चिट्ठs ही नए लगे...बाकी चिट्ठों में वेबदुनियाडाटकाम के पुराने चिट्ठे भी थे...जिसे वेबदुनिया के द्वारा शायद कल ही चिट्ठाजगत में रजिस्टर्ड किया गया...इसलिए एकाएक संख्या बढ़ गयी .....और आपकी पोस्ट के बारे में तो जो भी कहा जाए....कम ही होगा।
कितनी ऊर्जा है आपके पास, कितनी टिप्पणी कर लेते हैं। लगता है सेहत का राज है।
tujhe ye naj ki jannat kee bhikh manguga,mujhe ye jid ki takaja mera asul nahi
बहुत प्रेरक. हाथी ने आदमी पर और आदमी ने हाथी पर पानी की जोरदार बौछार कर दी और आप तो गजब है आपने अच्छी सलाह देकर वगैर पानी के खासी की बौछार कर दी . .. . अब तो ब्लॉगर को माइक्रो पोस्ट लिखना शुरू कर देना चाहिए वो भी एकलाइना के रूप में .माइक्रो का जमाना है और सब कुछ न्यून होना चाहिए. हा हा हा धन्यवाद.
आप ने सच कहा प्रभु...एक आचार संहिता होनी चाहिए ब्लोग्गर के लिए की हफ्ते में सिर्फ़ एक ही पोस्ट लिखे (मेरे जैसे) इस से अधिक लोगों को पढने का मौका मिलता है अधिक विषय पर पढने को मिलता है...
आप की ग़ज़ल पढ़ कर आनंद आ गया अगर ये ही गति रही तो आप की पुस्तक( ग़ज़लों की भाई) अगले महीने ही प्रषित करनी पड़ेगी पंकज जी को. उनके चेले जिस गति से बढ़ रहे हैं देख कर अच्छा लग रहा है.
नीरज
वाह, गजल खूबसूरत बन पड़ी है-
मत लगा नारे यहाँ पर, धर्म के ईमान के,
सो रहे हैं मौलवी जी, तान कर आराम से.
सबसे मजेदार था- हाथी वाली फोटु, क्या टिप्पणी की साइकिल दिखाई है, आपकी कल्पना भी लाजवाब है।
ATE HAIN SADA UMMEED SE HAM,
BHAR JATE HAIN SAB DAMAN DAMAN.
TOO LAUT BHEE MAT ,TIPIYA BHEE MAT
TUJHE PADH KAR BAS JATA BHAR MAN.
कौन कैसे मर रहा है, कौन पूछेगा यहाँ
बेच आये ये जमीरां, कौड़ियों के दाम से.
" kya andaj hai, hume to bhut bhaya hai, bhut sunder "
or jo chittajagat ka aapne postmartm kiya hai, uska to jvab hee nahee, ek ek teer shee neeshane pr...ha ha ha ha or elephant wale picture to kmal kr gyee, jaise sone pe suhaga...or kabil tareef baat ye kee, jitne bhee post likhen jayen, aapka ashirwad sbhee ko milta rha hai or umeed hai milta bhee rhega.."
"you are an source of inspiration to many........"
Regrds
हिन्दी चिटठा परिवार का यूँ बढ़ना एक शुभ संकेत हैं ...
नाम जिसका है खुदा, भगवान भी तो है वही
भेद करते हो भला क्यूँ, इस जरा से नाम से.
और आपकी लिखी यह पंक्तियाँ लाजवाब ..
बड़े भाई,
जब इतने लोगों के कलेजे पर साँप लोट रहा है कि आप इतनी टिप्पणियाँ कैसे कर लेते हैं; सब जगह हनुमान जी,... सॉरी, नारद जी की तरह कैसे पहुँचे रहते हैं; तो बता दीजिए न कि आप अपने प्रोफेसन से कितने घण्टे का समय इस ब्लॉगरी पर दे लेते हैं।
उई... ‘दे’-‘लेते’ हैं? :)
आपकी सलाह वाकई बहुत बढ़िया है ! हाथी बाबा का चित्र तो पोस्ट में चार चाँद लगा रहा है ! धन्यवाद !
"हम तो भरे बैठे हैं. हमारा मूँह न खुलवाओ. उनकी एक पोस्ट पर टिप्पणी लिख ही रहे हैं. सबमिट की कि उन्हीं की दूसरी पोस्ट हाजिर. वो टिपियाये, सबमिट की तो अगली हाजिर. पोस्ट लिख रहे हो कि हमको चिढ़ा रहे हो"
यकीन मानिये
अभी कुछ देर पहले राजू का ये वाला भजन देख कर उठे जिसमें वह अपनी मामा की लड़की को जीजा से सावधान करने के लिये कहते हैं
कि भरा बैठा है … लपक कर चढ़ जायेगा
और उसके बाद आपका
ये वाला कीर्तन देख लिये … :)
का चाहते हैं हँसते - हँसते पगला जाय?
वैसे "उन" को अच्छा ज़वाब दिया …
ज़वाब देते कब तक फिरेंगे …???
और आपका चिप्पियाने का अन्दज भी हम देख लिये
तभी कहूँ कि कुछ अर्थ नही निकला।
मैडम बुलाये ना बुलाये आप सरदार,नही असरदार तो है हीं।तस्वीर गज़ब की खोजी है।
आप की सलाह और टिप्पणी साइकिल बहुत पसंद आए ।
मुझे यह 2122 वाली गजल या शायरी बडी पसन्द आई.
जरा मुझे बताएँ यह 2122 212 क्या होता है.
आपकी सामयिक पोस्ट क्या खूब है!
gazal ke liye shukriyaa...
वो
दूर खड़ा
चाँद को
कोसता रहा..
रोशन जहाँ
उसे
रास नहीं आता!!!
सुन्दर पंक्तियॉं हैं, बात अब बहर-ए-रमल तक जा पहुंची है। तो बधाई तो देनी ही पडेगी।
ब्लॉग जगत में हिंदी का परचम पहराने के लिए मैं आप सहित अनेक वरिष्ठ ब्लॉगरों को धन्यवाद देता हूं कि आप महानुभावों के प्रयासों का ही आज हम सार्थक नतीजा देख रहे हैं। भविष्य में हिंदी की गति और तेज होगी, यही उम्मीद है। आपसे भारत में मुलाकात करने पर आनंद मिलेगा। आपके भारत आने का इंतजार है।
लिखो-लिखाओ,ब्लॉग बढ़ाओ। फोटो बड़ी अच्छी लगी।
समीर जी, यह बहुत आवश्यक है कि किसी सफर या कार्य के बीच में आत्मावलोकन कर लिया जाए. पोस्ट और टिप्पणियों पर आपकी राय हमेशा विश्लेषण करने योग्य होती है चाहे कोई इसे माने या न माने. अब देखिये आप से ईर्श्याने वाले तो आपके पोस्ट और टीपों की तरह ही बढ़ते जायेंगे. आपके सक्रियता का कोई तोड़ नहीं खोज पाने वाले मैनेजमेंट में समय प्रबंधन पर कई फंडे हैं, उन्हें पठन-पाठन करने का कष्ट करें. आप पर "खिजिया" कर समय खोटा न करें. पोस्ट लिखने और टिप्पणी पाने का फार्मूला अभी bolywood के किसी फ़िल्म को शर्तिया हिट कराने का फार्मूला ढूंढ़ लेने जैसा है. समीर जी आप कतई चिंता न करें ...आप ब्लोगर्स के पोस्ट पर जिस तरह छाये रहते हैं....उसके बाद तो इस तरह का प्यार आप पर बरसता रहेगा. न आप PM बनायें जायेंगे न ही नोबेल पुरस्कार मिलेगा...बस हिन्दी ब्लोगिंग और उसे स्थापित करने वाले नींव के पत्थरों में आपका नाम जरुर उत्कीर्ण होगा, यह जरुर निश्चित है.
सिलसिला चलता रहे...साइकिल बढ़िया रही और गजल भी.
अरे वाह आज तो टीपीयाने का मौका पहले ही मील गया।
कभी कभी कोई मजबूर रहता है एक दीन मे चार पांच पोस्ट करने के लीये :)
और कभी तो रहा नही जाता होगा पोस्ट कीये बीना क्यो की उस वक्त पोस्ट करने के लीये मन मे 4-5 विशय चल रहा होता है। मन करता है ज्लदी से लीख दूं कही भूल गया तो।
कवीता तो बहुत अच्छी है। और सास्त्री जी का भी पोस्ट पढ लीया।
ध्नयवाद जानकारी के लीये।
समीर जी, भाई आज कल यह क्या लिख रहे हैं आप? :(
आप अपना फोन नं भेजें... बहुत दिन हुए आपसे बात नहीं हुई... कोई नाराज़गी चल रही है क्या ? मेरी मेल का भी आप जवाब नहीं देते...
आपका पुराना नं भी अब मिलता नहीं है।
ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है; पर अभी काफ़ी जगह... गलती है। आशा है आपको मेरी प्रतिक्रिया बुरी नहीं लगेगी। मैंने बस सहज भाव से... कह दिया जो मन में आया।
रमल में लिखना आसान है; और यह बहुत सुन्दर भी है। और लिखें इस ही छंद में।
मेरी शुभकामनाएं
रिपुदमन पचौरी
इस पोस्ट के लिए बहुत बहुत बधाई... परिवार को सुदृढ करने के लिए हम कटिबद्ध है..
bahut baDiyaa sir
!
कल मरे थे लोग कितने, रो रही थी ये जमीं
महफिलें सजने लगेंगीं, देख लेना शाम से.
बहुत शानदार लिखा आपने ! और ये हाथी तो आपकी "उड़नतश्तरी-एयर-लाईन्स" का लोगो है ! यहाँ कहाँ ले आए आप इसको ? :)
क्या केने क्या केने
टिप्पणीकार हैं या हास्य की फायर हैं आप
समझ नी आ रही कि कुछ नहीं सिर्फ शायर हैं आप
शेर घटिया है, बात बढ़िया है
हाय आपकी पंक्तिया जान ले गयी.......एक दम झकास ......
रहा शास्त्री जी की सलाह का ....हमने तो आपकी दो कहानी पढ़ी थी भाई .....हम तबसे आपके मुरीद है....
achhi watt lagate hain,bahut mazedaar
नीयत साफ़ है, "नेक" सलाह है आपकी,
"अनेक" लोग ऐसे जो टांग खींचें आपकी.
एक हो दस हो या फ़िर पूरे सौ,
सबको बस चाहिए उपस्थिति आपकी.
आपके लौट कर आने का स्वागत हमारे द्वार न आने की नाराजी.
पिछली मेरी मेल पर लगता है आपने ध्यान नहीं दिया? बुरा तो नहीं मान गए??????
सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी जी सही कहते हैं -- आपको नहीं मालूम आप के कारण कितने लोगों की छाती पर सांप (बहुवचन) लोटते हैं.
इसके साथ एक बात मैं जोडना चाहता हूँ -- आपको नहीं मालूम कितने लोग अपने चिट्ठे के आसपास आपके पैरों की आहट सुनने के लिये रोज बेचैन रहते हैं.
-- शास्त्री
-- हर वैचारिक क्राति की नीव है लेखन, विचारों का आदानप्रदान, एवं सोचने के लिये प्रोत्साहन. हिन्दीजगत में एक सकारात्मक वैचारिक क्राति की जरूरत है.
महज 10 साल में हिन्दी चिट्ठे यह कार्य कर सकते हैं. अत: नियमित रूप से लिखते रहें, एवं टिपिया कर साथियों को प्रोत्साहित करते रहें. (सारथी: http://www.Sarathi.info)
महोदय . ब्लॉग जगत के परिवार मैं दिन प्रतिदिन वृद्धि हो रही है यह ब्लॉग जगत के लिए बहुत ही सुभ संकेत है .
और यह भी खूब कही ...
आज से तुम भारत के प्रधान मंत्री. हम कहेंगे कि मैडम, हम तो चुनाव तक नहीं लड़े हैं और वो कहेंगी कि पहले प्रधान मंत्री बन लो, बाकि सब सेट हो जायेगा. ऐसे जनाधार वाले लोगों को हम नहीं छोड़ते.
धन्यवाद .
nahiiiiiiiii, aba blog par raju type humor mat shuru kijiye sir.
एक दिन में एक ही पोस्ट निकले तो अच्छा हैं ,पढने वालो को आसानी हो जायेगी,सलाह अच्छी लगी. बहुत ही सुंदर गजल हैं .बधाई
सर, आपके कहे अनुसार मैं अब जब भी समय मिलता है, विभिन्न ब्लॉग्स पर टिप्पणियां देता हूँ
कौन कैसे मर रहा है, कौन पूछेगा यहाँ
बेच आये ये जमीरां, कौड़ियों के दाम से.
नाम जिसका है खुदा, भगवान भी तो है वही
भेद करते हो भला क्यूँ, इस जरा से नाम से.
wah bahut badhiya
यह एक बहुत अच्छा संकेत है कि हिन्दी और हिन्दी चाहने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है और आप जैसे साहित्य रसिक लोग इसे निरंतर चहुँ ओर फैला रहे हैं। अच्छा प्रयास, सार्थक प्रयास, लिखते रहे और लिखवाते रहें, बधाई......
और तो और.....आपकी पोस्ट publish बाद में होती है और टिप्पणियां पहली दिख जाती हैं....... हा....हा ..बहुत ही अच्छा रहा यह हास्य लेख, एक उचित सीख के साथ....
Gazal umda....! aur chitra.. aap ki soch ki daad deni padegi...!
आपकी ग़ज़ल बहुत पसंद आयी।
सचमुच बहुत खुशी हुई हमें भी चिट्ठाजगत की मेल देखकर। चमत्कार सा लगा। आपकी सलाह ठीक है कि पूरा दिन लिखें लेकिन एक पोस्ट बनाएं तो सुविधा टिपियाने भी नहीं पढ़ने में भी होती है।
क्या गजब लिखा है आपने-आओ मैडम ने बुलाया है, तुमको सरदार बनायेंगे।
मुझे तो आपकी गजल अच्छी लगी मै तो कही भी बहर की गलती पकड़ नही पाया
पचुरी जी ने जब कहा की कई जगह गलती है तो फ़िर से पढ़ा
फ़िर भी कही गलती नही मिली
कहन भी अच्छी लगी
आगे तो गुरु जी ही बता पायेगे
वीनस केसरी
सही है। नीचे आदमी की जगह अपना फ़ोटॊ लगाना चाहिये था। मतलब निकलता कि समीरलाल ब्लागजगत के हाथी के मुंह में टिप्पणियां डाल रहे हैं और ब्लागजगत का हाथी उनको ब्याज समेत लौटा रहा है।
अपनी सेहत का ख्याल रखे और टिप्पणियों की संख्या घटाएं -ये तमाशबीन आपकी जान के पीछे पड़े हैं और अब हिन्दी चिट्ठा कारिता एक उस क्रांतिक सीमा तक आ पहुची है ( भले ही मात्रात्मक !) कि अब आप स्वअर्पित जिम्मेदारी से कुछ मुक्त हो सकते हैं !
मत लगा नारे यहाँ पर, धर्म के ईमान के,
सो रहे हैं मौलवी जी, तान कर आराम से.
main nachij kya tippani karun aapke is rachana pe bas yahi ke bahot hi umda aapke hi shabda me...
regards
Arsh
समीर जी बहुत ही सुन्दर लगी आप की साईकिल !ओर चित्र भी लेकिन पानी थोडा सुखा सुखा लगता है
धन्यवाद
आप तो मुझे Leonardo da Vinci के अवतार लगते हैं . हर काम में सम्पूर्णता . मेरी आपसे अपील है कि आप कमेण्ट्स से विचलित न हुआ करिए . वेंगाणी जी के सवाल का जवाब दें मुझे भी जिज्ञासा है . वैसे मेरी जानकारी में तो १ का मतलब छोटी मात्रा और २ का मतलब बडी मात्रा .
salaha ke liye aabhar, gajal dadiya lagi.
आपकी बात से पूर्णरूपेण सहमत हूँ लाल साहेब. ग़ज़ल भी अच्छी बन पड़ी है. मैं तो कह रहा था के अल्फाबेटिकल सेटिंग कर ली जावे. ७ दिनों से ५२ अक्षरों को भाग दे दिया जावे. लगभग सवा सात अक्षरों से प्रारम्भ होने वाले सोमवार, उसके बाद के सवा सात अक्षरों से प्रारम्भ होने वाले mangal को ........ आदि आदि. इस तरह सबको अपनी बात कहने का और टिप्पणी सहने का मौका मिल जावेगा. ओके. जमा के देखिये. हो सकता है नुस्खा काम कर जावे.
अब न जागे तो समझ लो, हाथ आयेगा सिफर
खेलते हैं रोज कितने, देश की आवाम से.
sameer an excellent expression , hats off
अच्छी गजल कही है। दस टिप्पणियाँ तो अधिक तो रोज हो जाती हैं। लेकिन 100? आप के लिए ही संभव है। टिप्पणी के पहले पढना भी तो पड़ता है।
टिप्पनी सायकल वाली जो फोटो लगाई है, उसमें कौन से वाले आप हैं, यह आपको लिखना चाहिये था.
मजाक को सिरियस मत लिजिये.
आपके पूरे आलेख से सहमत हूँ,
व आपको पुनः समझने का प्रयास कर रहा हूँ ।
आज एक नयी दिशा मिली है..
शिरोधार्य है !
चित्र के माध्यम से आपने सारी बात कह दी। आप तो हमेशा ब्लाग लिखने वालों के प्रेरणास्रोत रहे हैं।
bahut majedaar photo hai samir ji.
समीरजी,
टिप्पणी कुछ नहीं
आप हिन्दी चिट्ठाजगत के सुपर स्टार हैं। सच्ची
कल मरे थे लोग कितने, रो रही थी ये जमीं
महफिलें सजने लगेंगीं, देख लेना शाम से.
बेहतर पंक्तियां
साधुवाद स्वीकारें
समीर जी
क्या यह है गजल का २१२२,२१२२,२१२२,२१२ पेटेंट नम्बर है सर जी समझ में नही आया . उलझ गया हूँ सर जी .
सरकार हम नतमस्तक हुये.एक शेर मैं भी भेड़ रहा हूँ इसी बहर पर...
तुम लिखो चिट्ठे कई, मैं टिप्पणी कर दूँ जरा
काम चलता है तिरा अब देख मेरे काम से
२१२२-२१२२-२१२२-२१२
बहुत सुंदर आलेख। ब्लॉग जगत की अभिवृद्धि की यह गति अत्यन्त उत्साह वर्धक है।
बढि़या
आरी को काटने के लिए सूत की तलवार???
पोस्ट सबमिट की है। कृपया गौर फरमाइएगा... -महेश
bander katha achchi ladi..
ek tipni
do post
bahut naensafi hai sir.
आपकी सलाह बहुत अच्छी लगी
दो लाइनें पेश हैं ;
इस ज़मीं पर ब्लॉग कितने सज रहे होंगे अभी
टिप्पणी सजने लगेंगी देख लेना शाम से
मत लगा नारे यहाँ पर, धर्म के ईमान के,
सो रहे हैं मौलवी जी, तान कर आराम से.
अब न जागे तो समझ लो, हाथ आयेगा सिफर
खेलते हैं रोज कितने, देश की आवाम से.
wah wh, bahut khoob janab, pankaj ji ne kaiyon ko sudhaar diya hai. main bhi daant kahaya hua hoon. abh phir bhi haath chala le leta hoon.
वो
दूर खड़ा
चाँद को
कोसता रहा..
रोशन जहाँ
उसे
रास नहीं आता!!!
वैसे समीर जी इतना अच्छा लिखना आपके लिए कोई नई बात नहीं है क्योंकि अब तक की कोई भी पोस्ट उठाकर अगर देखें तो एक से बढकर एक हैं आपकी पोस्ट इसलिए हमारा कहना कि बहुत अच्छा लिखा हे तो शायद आपकी लेखनी के लिए अन्याय होगा
आपने सुंदर लेखन के लिए बारंबार धन्यवाद और आप यूं ही जल्दी जल्दी लिखते रहो ताकि हम पढते रहें
kamal ka likhate he aap
regards
समीर जी काफी दिनों बाद इधर आया ---
आपका नये चिट्ठों के खुलने की रफ्तार को लेकर हर्ष वाजिब है लेकिन स्तरीयता का संकट अभी भी ब्लाग जगत में काफी है
Naam jiskaa hai khuda
bhagwan bhee to hai vahee
Bhed karte ho bhalaa kyun
is zara se naam se
Khoob sher kaha hai aapne
Sameer bhai!Is zara se naam mein
bahut kuchh chhupaa hai.ye sher
shesh sabhee ashaar par bhaaree
hai.Badhaaee.
चाँद पर कोई थूके या गाली दे थूक भी उसी पर गिरेगा और गाली भी वही सुनेगा । वैसे गज़ल कमाल की है ।
waah..kya baat hai
bahoot achee Sameer Bhai
Gazal achee hai, Bol achee hain,
Bhav achee hain, Jaise aap achee hain
कृपया आप फिर से अपनी पुरानी पोस्ट की इन पंक्तियों को देखे .कितनी मौलिकता है इनमे , कैसे इतना सुंदर लिख लेतें आप लोंग . कृपया कुछ मुझे भी सिखा दें .
वो
दूर खड़ा
चाँद को
कोसता रहा..
रोशन जहाँ
उसे
रास नहीं आता!!!
खैर, लिखो-और कुछ हो न हो पोस्ट की संख्या तो बढ़ती चलेगी. थोड़ा सनसनी भी मची रहेगी. चहल पहल बाजार की पहचान है शायद कल को व्यापार और सौदे होने लगे तो कुछ फायदा भी हो जाये. इन्तजार तो है ही ऐसे शुभ दिवस का.
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