बुधवार, सितंबर 01, 2010

ओ यारों ये इंडिया बुला लिया...मानो उल्लू बुला लिया!!

पहले दिवाली में गुनिया लोग उल्लू बुलाया करते थे याने वो मंत्रों और तन्त्रों की सहायता से उल्लू को इंसानों की आवाज में बुलवा लेते थे और अपने जंतर सिद्ध किया करते थे. अक्सर सुना करता था कि फलाने गुनिया नें उल्लू बुला लिया और सिद्ध हो चला.

कभी एक्चूवल उल्लू को इन्सानों की आवाज में बोलते तो नहीं देखा और न ही उसे इन्सानो सी हरकत करते देगा है यद्यपि कई इन्सानों को उल्लू की हरकत करते तो हमेशा ही देखता आया हूँ मगर फिर भी जब भी सुना कि किसी गुनिया ने उल्लू बुला लिया तो फिर क्या कहना उस गुनिया का. मानो उसकी किस्मत खुल गई. उसी गुनिया से सब उपाय पूछें हर परेशानी का. लोगों की परेशानी हल हो या न हो मगर उसने उल्लू बुला लिया तो उस पर पैसों की बरसात तय है. उसकी परेशानी तो हल हुई ही समझो.

आज कॉमन वेल्थ का थीम सॉन्ग सुना तो न जाने क्यूँ उस गुनिया वाली बात की याद हो आई जबकि उसका इससे कुछ लेना देना नहीं है.

cwg

कल जब यह गीत सुन रहा था तो मुझे एक बार फिर कवियों पर गुस्सा आया. न जाने क्या सोच कर गीत लिखते हैं कि सामने वाला गीत पढ़ेगा या उनका दिमाग? जाने क्या चल रहा होता है दिमाग में और उसे शब्द दे देते हैं, फिर यह आप पर छोड़ देते हैं कि चलो अब लगाओ इसका अर्थ अपने हिसाब से.

मेरा इतना सा निवेदन करने का मन करता है कि जो भी दिमाग में हो वो लिख दो, फिर उसे कविता के फार्म में सुना देना याने कविता लिखो तो भावार्थ के साथ. जो भाव तुम्हारे मन में हो. हम पर मत डिपेन्ड करो कि हम अटकल लगायें.

बचपन से हिन्दी की पर्चा हल करते करते यह गुस्सा एक एक बूँद बन कर भरता चला आया है. वो मुझे डर है कि यह बूँद बूँद कर बचपन से भरता गुस्सा किसी दिन ज्वालामुखी की शक्ल में न फट पड़े. खैर, अभी तो थामे हैं.

हर परीक्षा में होता था कि फलाने कवि की इन पंक्तियों का भावार्थ संक्षिप्त में बताईये और हम लगे हैं पास होने के जुगाड़ में अपनी अटकल को शब्द देने में. वो तो कविता लिखकर रोयल्टी खा पी कर किनारे हो लिए और पसीने हमारे निकल रहे हैं. अधिकतर तो स्वर्गवासी ही होते थे, अतः पूजनीय भी और उनके चक्कर में हम पहले मास्साब से लात खा रहे होते थे और फिर पिता जी से. जाने क्यूँ पाठयपुस्तक में छपने के पूर्व अधिकतर स्वर्गवासी हो लेते थे, शायद यह हमारे संस्कारों और संस्कृति का भावार्थ हो कि स्वर्गवासी को बड़ा सम्मान मिलता है. जिन्दा रहने पर भले कोई आपको सुने न सुने, मरते ही पहले तो पदवी स्वर्गवासी की और फिर आपके बताये मार्ग पर चलना ही सच्ची श्रृद्धांजलि.

इस गीत को सुन कर भी वही भावार्थ वाली बात दिमाग में आई. अपनी अटकल लगाने का सिलसिला शुरु हुआ. अब आप कॉपी जाचों तो पता चले कि सही के आसपास है कि नहीं. कवि तो फैशन के हिसाब से भावार्थ देने से कतरा ही लिए. थीम और लोकेशन के ज्ञान से उन कविताओं का अर्थ निकाला करते थे तो सो ही यहाँ भी किया.

ओ यारों ये इंडिया बुला लिया

-देखा न?? कैसा बेवकूफ बना कर बुला लिया जबकि हमारी तो तैयारी पूरी है ही नहीं, बस दिखावे के लिए फटाफट लीपापोती में जुटे हैं और रही खेल की बात, तो वो तो हमें खेलना आता ही नहीं. ओलम्पिक से लेकर किसी भी टूर्नामेन्ट का रिकार्ड उठा कर देख लो, हम अपने मूँह से क्या कहें? हमारे पास तो खिलाड़ी ही नहीं है जो जीत सकें..जो जीत सकने लायक तैयार होते हैं वो मॉडलिंग में चले जाते हैं. आजकल हमारे यहाँ खेल के लिए मेहनत कर अच्छा प्रदर्शन करना मॉडलिंग और ग्लैमर की दुनिया में सिक्का जमाने पहुँचने का राजमार्ग है और उतने तक ही अच्छा प्रदर्शन सीमित है. फिर भी देखो, कैसे सब के सब को बुला लिया मानो सबसे बड़े तीस मार खाँ हम ही हैं.

तभी तो कह रहे हैं: यारो, बुला लिया. खैर तुम्हें बुला तो न सिर्फ खेलों के लिए लिया बल्कि:

दीवानों ये इंडिया बुला लिया

सारे होटल, बार, डिस्को सजवा दिये हैं और यहाँ तक की कोठे भी ठीक करवा लिए. ढेरों एस्कार्ट वेब साईटें लॉन्च कर दीं..हिन्दुस्तानी से लेकर विदेशी तक, हर रेट रेन्ज में सरकारी सहमति से इन्तजाम है. दीवानों चले आओ..

दीवानों ये इंडिया बुला लिया

ये तो खेल है, बड़ा मेल है

-ये वो खेल है जिसमें पूरे मेल जोल के साथ एवं संपूर्ण खेल भावना के साथ, सब ठेकेदार, नेता, अधिकारी रह रहे हैं, खा रहे हैं, पी रहे हैं..ऐश कर रहे हैं...

मिला दिया..

पूरे भारत की इज्जत को मिट्टी में मिला दिया..मिला रहे हैं. पूरा विश्व जान रहा है कि भारत का सदी का सबसे बड़ा घोटाला इसी कॉमन वेल्थ (साझा संपति) के माध्यम से हो रहा है..इतना ही नहीं, फिर से कहा...

मिला दिया………….

मिला दिया न मिट्टी में पूरे भारत की तरक्की का सपना भी इज्जत के साथ साथ. हे हे, मिला दिया..ले ठेंगा, जो करना हो सो कर लो..सब मिले हैं, सबको मिला लिया..सबको मिला दिया..तुम कुछ नहीं कर सकते..बस गीत सुनो..सुरबद्ध..रहमान की आवाज में..

रूकना रूकना रूकना रूकना रूकना नहीं

रुकना मत..सुनते रहो..अभी समय बाकी है..अभी तो हम और खायेंगे..रुकेंगे नहीं..मना किया है - रुकना नहीं..खाते चलो..अभी समय बचा है. बाद में ऐसा मौका हाथ नहीं लगेगा..बस, एक महिना और...

हारना हारना हारना हारना हारना नहीं

जो हारा वो बेवकूफ कहालायेगा..उसने एक करोड़ बनाया, तुम दो करोड़ बनाओ और जीत जाओ..यही होड़ है सब अधिकारियों, नेताओं और ठेकेदारों में....हारना मत..जीतना ही ध्येय है. जीत कर दिखा दो...हारना नहीं..

चलो न सिर्फ

सिर्फ चलते रहने से कुछ न होगा..साथ साथ कमाते चलो...चलो न सिर्फ..याने कमाओ भी...खाओ भी..खिलाओ भी...पैसा खिलाओ, दावत खिलाओ..शराब पिलाओ..मजे कराओ..खूब कमाओ..मगर सिर्फ चलो नहीं.

करो न सिर्फ

काम सिर्फ दिखावे को करो कि काम चल जाये...बाद किसने देखा है. सिर्फ करते रहे तो करते ही रह जाओगे..मैदान मारो...लगे कि काम कर रहे हो मगर तुम तो याद रखो कि अपना ही नहीं, अपने परिवार और आने वाली पुश्तों का इन्तजाम कर रहे हो..

मैदान मारो !!

मैदान मार गये तो बाद में कोई कुछ नहीं पूछने वाला वरना पछताओगे...यहाँ तक कि जो पकड़ायेंगे वो वहीं होंगे जिन्होंने मैदान नहीं मारा होगा मारना तो दूर देखा भी न होगा.. पूछ उसी की होगी जो मैदान मार जाये. हमेशा मैदान मारा ही विजेता कहलाता है...एक बार मैदान मार लो फिर

Lets go

Lets go

- Lets go to Switzerland...वहीं जमा करा देंगे. घूम भी लेंगे. सेकेन्ड हनीमून भी मना लेना..वहाँ के जमा पैसे की चर्चा भले ही कितनी भी हो जाये मगर होता जाता कुछ नहीं...बस, Lets go..हल्ला मचता रहेगा कि पैसा वापस आ रहा है..आयेगा जायेगा कुछ नहीं..इत्मिनान से जमा कराओ...

जियो, उठो, बढ़ो, जीतो

जियो, उठो, बढ़ो, जीतो…..

यही काम आयेगा...सारी दुनिया कहेगी जियो..जब जेब में पैसा होगा...वैसे भी बिना पैसे कैसे जिओ..बेकार है..फिर जब पैसा हो तो उठो..तब भला बैठेगा कौन..जब बैठना नहीं है तो बढ़ो.. बढ़ चल बेटा पैसे भर कर जेब में...तभी तू जीता कहलायेगा...कहता हूँ न जीतो..तब जियो..वरना मरा हुआ तो बाकी का हिन्दुस्तान है ही..उनके लिए थोड़ी न है कि

ओ यारों ये इंडिया बुला लिया

--ये सिर्फ उनके लिए है जिन्हें हमने बेवकूफ बना कर बुला लिया है..अपना काम बन गया अब हारे या जीतें...मगर शुभकामना तो दे ही सकते हैं कॉमन वेल्थ गेम्स की.

इसीलिए तो इस बार नहीं कहा ’ जय हो’ ..खुद को तो हम जानते ही हैं. बेवकूफ बनाते हैं, बेवकूफ हैं नहीं.

पूरा गाना तो और भी है मगर इतना ही काफी है कम्पलीट बात समझ आने को. पूरा पढ़ना चाहो तो यहाँ क्लिक कर लो, मगर इससे ज्यादा निष्कर्ष क्या निकालोगे??

-अब क्या है भई, सुनना भी है गाना तो लो सुनो:

नोट: यह भावार्थ मेरी दिमागी अटकल के हिसाब से है. हो सकता है गलत हो और मुझे बचपन याद आ जाये जीरो अंक प्राप्त करके.

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117 टिप्‍पणियां:

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

कॉमन वेल्थ का मतलब है के मिल बाँट कर खाओ.
अकेले खाओगे तो अकेले पकडे जाओगे.
अपना काम बन गया अब हारे या जीतें...मगर शुभकामना तो दे ही सकते हैं कॉमन वेल्थ गेम्स की.

बैशाख नन्दन प्रतियगिता के विजेता होने पर ढेर साडी बधाई.........कृपया चेक-ड्राफ्ट इत्यादि कॉमन इस पते पर
भिजवा दें.

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } ने कहा…

अब तो आप आ ही जाओ . इंडिया बुला रहा है .
इस अपठित गद्यांश /पद्यांश की भी व्याख्या की जायेगी

Arvind Mishra ने कहा…

तो का आप इंडिया आ रहे हैं ?

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

महान हैं आप जो उस गाने के बोल सुन-समझ सके. मैं तो न कुछ समझ सका न ही उस बेहूदे शोर को संगीत मान सका. पता नहीं इतनी भौंडी प्रस्तुति के लिए कितने करोड़ रूपये इधर भी बहाए होंगे करप्ट बाबुओं ने.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

यदि मैं लिखता, तो ऐसा भी हो सकता था।

क्या जोड़ा है,
क्या फोड़ा है,
दुनिया समझ ले,
बे लगाम घोड़ा है।

हमने बड़ी मुश्किल से,
पैसा निचोड़ा है।
रे रे रे रे भूल गये.
पसीना निचोड़ा है।

रंजन ने कहा…

रहमान साहेब.. मिले थे..

सर पटक रहे थे...

उम्मतें ने कहा…

मैने भी देखा था बकवास लगा !

वाणी गीत ने कहा…

रोचक भावार्थ ..
समझाया नहीं होता तो हम तो समझते भी नहीं ..!

अजय कुमार ने कहा…

आपने पूरा सुना , इत्मिनान से सुना !!!!!!!!
हम तो शुरू होते ही ----
खैर समीक्षा सही और सटीक है ।
ये गाना सुनकर आप ,इंडिया आने का प्रोग्राम बदल तो नहीं रहे है ??

Archana Chaoji ने कहा…

ओ ओ ओ ओ ओ.....ये क्या सुना दिया.....

राजभाषा हिंदी ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति।

हिन्दी भारत की आत्मा ही नहीं, धड़कन भी है। यह भारत के व्यापक भू-भाग में फैली शिष्ट और साहित्यिक भषा है।

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

eakdam sateek bhavarth likha..gana bhi pura suna thanks..

Urmi ने कहा…

आपको एवं आपके परिवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें !
बहुत सुन्दर लिखा है आपने! बेहतरीन प्रस्तुती!

Manish aka Manu Majaal ने कहा…

सुना है रहमान भाई ने साढ़े पांच करोड़ मुद्रा गटक ली इस गाने वास्ते. आपने छोटी मात्रा वाला 'उल्लु' लिखा है पर उन्होंने बड़ी मात्रा वाला 'उल्लू' बनाया है !

manu ने कहा…

janmaashrmi ki mubaarak baad chepane aaye the ham to.....

gaanaa padhaa to dimaag ghoom gayaa.....

hindi mein copy-pest aali badhaayi dene se pahle jaroori lagaa ki is geet par romen mein jaraa laanat dete chalein....

manu ने कहा…

आपको जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें.....!!

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी ने कहा…

लानत है इस आयोजन पर। आपने बहुत सधे शब्दों में शर्मनाक सच्चाई का चित्र खींचा है।

kshama ने कहा…

Aisa hai hamara Bharat!
Janmashtamiki anek shubhkamnayen!

डॉ टी एस दराल ने कहा…

आपने तो हिला दिया ।
वैसे हम तो पहले से ही हिले पड़े हैं । रोज रोज जो देखते हैं पास से ।
अब तो यह भी पता नहीं कि हमारी शान खेल होने से बनेगी या न होने से ।

अभी तक तो एक ही काम पूरा हुआ है --और वो है एस्कोर्ट सर्विसिज का ।
कही उसका इस्तेमाल भी ---- ?

प्रवीण ने कहा…

.
.
.
अभी तक काफी कटवाई है
अभी और भी कटवायेंगे
जब तक यह खेल खत्म होंगे
दोस्तों!
आप हमको बिना नाक का पायेंगे!


...

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

हा..हा..हा..कित्ता अच्छा लिखा. मुझे तो यह थीम संग एकदम नहीं अच्छा लगा.
श्री कृष्ण-जन्माष्टमी पर ढेर सारी बधाइयाँ !!

________________________
'पाखी की दुनिया' में आज आज माख्नन चोर श्री कृष्ण आयेंगें...

रश्मि प्रभा... ने कहा…

bahana to mila n ...... india aane ka

Ashish (Ashu) ने कहा…

sir ji pranam, sir ji bilkul sahi likha hai...kal music shop per mai them song maga...vo mughe yese dekha ki kya kahe...phir kaha kya sir abhi aap le jayoge to sunne ke baad mughe hi gali doge bas rahman ka naam hi hai baki bakvaas hai.

Ashish (Ashu) ने कहा…

sir ji pranam, sir ji bilkul sahi likha hai...kal music shop per mai them song maga...vo mughe yese dekha ki kya kahe...phir kaha kya sir abhi aap le jayoge to sunne ke baad mughe hi gali doge bas rahman ka naam hi hai baki bakvaas hai.

संजय बेंगाणी ने कहा…

मुझे लगता है गीतकार को हिन्दी का "क्रेस-कोर्स" करना चाहिए. @#$%ं&

संजय @ मो सम कौन... ने कहा…

सर,
आपकी झेलने की क्षमता वाकई काबिल-ए-तारीफ़ है। वैसे तो हम यह पहले से ही जानते हैं, लेकिन आज यकीन और पुख्ता हो गया है। ये थीम सांग भी पूरा सुन लिया आपने, गज़ब।
ताऊ के कॉमन हैल्थ & वैल्थ मेले में इनाम तो आपने ही जीतना था(सब मिले हुये हो आप), बधाई स्वीकार कर लें।

sonal ने कहा…

mazaa aa gaya sameer ji,vaishakhnandan samman ke liye badhaai....
party chahiye

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

अब गीत के बोलो का मतलब पता चला. :)

मुनीश ( munish ) ने कहा…

Very apt analysis ! Never before such a big farce as this happened on earth . CWG is the mother of all scams .

मुनीश ( munish ) ने कहा…

He initially quoted 15 crores but finally charged 5.5 crore rupees for this filthy song .

Unknown ने कहा…

व्याख्या तो मजेदार की है गुरुदेव,

लेकिन लगता है कि रहमान को दिये जाने वाले पैसों में भी कमीशन खा लिया है कल(मुहे)माडी ने, इसीलिये रहमान ने म्युजिक ज्यादा दिया, आवाज़ कम दी है…
जितना पैसा उतनी आवाज़ और जितना कमीशन खाया उतना म्युजिक… हिसाब बराबर… :) :)

किशोर बड़थ्वाल ने कहा…

सर जी प्रणाम, मेरी कापी भी जांच लीजिये.. मैने भी भावार्थ लिखा है.. कृपया निम्न लिंक पर देखिये.. मैने भी गीत सुनकर उसका भावार्थ लिखा है.. मेरे अंक भी बताइयेगा..


http://hastakshep.wordpress.com/2010/08/29/%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A4%A8-%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%A5-%E0%A4%96%E0%A5%87%E0%A4%B2%E0%A5%8B-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%97%E0%A5%80%E0%A4%A4-%E0%A4%89%E0%A4%B8%E0%A4%95/

Unknown ने कहा…

आपने बता दिया इसलिये सुन भी लिया, वरना हम तो चेतन भगत की अपील को सम्मान देते हुए कॉमनवेल्थ खेलों (यानी लूट) का बहिष्कार कर चुके हैं… :) :)

दिल्ली में रहने वाले सभी मित्रों से भी अपील की है कि कोई भी जवाहरलाल नेहरु स्टेडियम की तरफ़ पैर करके भी न सोये… न उठे… :) :)

इन्द्र देवता के यहाँ भी अर्जी लगा दी है कि पूरे सितम्बर माह में दिल्ली में भारी वर्षा जारी रहे… :) :)

जब कल(मुहा)माडी अपनी तरफ़ से कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखना चाहता तो मैं भी क्यों पीछे रहूं… :) :)

sanu shukla ने कहा…

हा वास्तव में एंथम दमदार नहीं है भाईसाहब चारो तरफ आलोचनाये ही हो रही है मुझे भी कुछ खास नहीं लगा ...खास लगता भी कैसे जब समझ आता तब न ...जब इसे समझ नहीं पाया तो लगा कि मै ही नासमझ हूँ पर जब आपकी पोस्ट पढ़ी तब लगा कि ये गीत ही न समझी से लिखा-गाया गया है ..पर आपका विश्लेषण/व्याख्या एकदम जबरदस्त है ...!!

मनोज कुमार ने कहा…

उत्तम आलेख..सुन्दर प्रस्तुति...
श्री कृष्ण-जन्माष्टमी पर ढेर सारी बधाइयाँ !!

शिक्षामित्र ने कहा…

हमारे यहां कोई भी काम परफेक्ट तरीके से हो पाता,सपना ही रह गया।(टिप्पणीःकृपया उल्लु में उ की बड़ी मात्रा(लू)लगा दें।)

कुमार राधारमण ने कहा…

ठीक ही गा रहे हैं। जो देश पांच साल में न स्टेडियम बना सके न होटल,वह आयोजन सौंपने वालों को बेवकूफ़ बनाकर गाएगा ही कि देखो,हम बेवकूफ बनाने में कामयाब हो गए..आखिरकार...इंडिया बुला लिया...

Aruna Kapoor ने कहा…

....जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई!.... सब मंगलमय हो!

Akanksha Yadav ने कहा…

बहुत खूब लिखा आपने....शानदार.
श्री कृष्ण-जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें.

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

sahi keh rahe hain aap ! common wealth.. sajah sampatti

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

sahi keh rahe hain aap ! common wealth.. sajah sampatti

P.N. Subramanian ने कहा…

गाने को सुनने के बाद पत्नी के मेडिसिन बॉक्स में ढून्ढ रहा हूँ कुछ दर्द निवारक औषधि मिल जाए.

हें प्रभु यह तेरापंथ ने कहा…

बढिया ढंग से समझाया आपने ! आभार !!
फिर भी हम सभी भारत से बंधे हुए है अत :कॉमन वेल्थ का थीम सॉन्ग का स्वागत करे !

शिशिर ने कहा…

बहुत सुन्दर भावार्थ है. पढ़ के मजा आ गया.

वैसे मुझे तो इस थीम सांग में भी भ्रस्टाचार की बू आती है. शायद रहमान के नाम पर ५ करोड़ गटक के इन लोगो ने ५ लाख में हिमेश रेशमिया से गाना बनवा लिया है.

honesty project democracy ने कहा…

हमें तो कोमनवेल्थ गेम के नाम से ही घृणा होने लगी है ,क्योकि इसने दिल्ली को इतनी बेशर्मी से बर्बाद कर दिया है की उसकी भरपाई संभव नहीं ,ऐसे आयोजनों पे सदा के लिए प्रतिबंध लगना चाहिए ...

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

भूमिका और भावार्थ बहुत अच्छी तरह समझ आ गया ...

बहुत करार व्यंग ...

जन्माष्टमी की शुभकामनायें

shikha varshney ने कहा…

Dhansu post :)

राज भाटिय़ा ने कहा…

मुझे तो यह सारा आयोजन ही बेकार लगा, अभी देखे जग हंसाई केसे होगी, कभी थुक मै पकोडे नही बनते,अभी तो यह सरकार फ़िर से आने वाली है, जिस का मुझे पक्का यकीन है.....
चलिये आप घुम आये आप को इंडिया बुला लिया...फ़िर बताये केसा लगा.
कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ

रंजू भाटिया ने कहा…

वाकई इस बार रहमान शाब से बहुत अधिक निराशा हुई ....कामन वेल्थ के हर गोरखधंधे सा यह गाना भी दिमाग दिल से बहुत दूर है ..हे कृष्णा तू ही अब कोई चमत्कार दिखा सकता है ..महज ३१ दिन शेष हैं .

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

वो यारों इण्डिया बुला लिया,
गीत की जब यह लाइन ज्यों ही खत्म होती है, तो अनायास ही मुह से निकल पड़ता है ; पागल थे स्साले :)


जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ !

दीपक 'मशाल' ने कहा…

:) ये पोस्ट पढके जगजीत सिंह जी द्वारा गई गई ये ग़ज़ल याद आ रही है-
'तुमने दिल की बात कह दी आज ये अच्छा हुआ' वैसे इसका भावार्थ भी यहाँ मैंने अपने अनुसार प्रयुक्त किया है.. :P
कॉपी जंचने मेरे पास आई तो १०० में १०१ नंबर तो पक्के.. :)

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

Arre Sir!! kyon India ki aur chhichhaledaar kara rahe ho...iss mudde pe main ekdum sahmat nahi hoon!! hame to bas abhi ye chahiye ki kisi tarah CWG success rahe......uske baad gade murde ukharna.........aur jisko bhi latkana ho latkate rahna......

abhi to bas best wishes for CWG 2010!!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सही लिखा है समीर भाई ... इस गीत में न कविता, न मधुरता, न जोश और न ही देश-प्रेम की झलक है ....
शायद इसमें भी ज़रूर करोरों का लेन देन हुवा होगा ... बंदर बाँट हो रही है .... नेता सारे लीप पोती करने में जुटे हैं ...

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सही लिखा है समीर भाई ... इस गीत में न कविता, न मधुरता, न जोश और न ही देश-प्रेम की झलक है ....
शायद इसमें भी ज़रूर करोरों का लेन देन हुवा होगा ... बंदर बाँट हो रही है .... नेता सारे लीप पोती करने में जुटे हैं ...

anju ने कहा…

समीर जी सबसे पहले तो आपकी हिम्मत की दाद देती हूँ कि आपने पूरा गाना इतने धैर्य से सुना.इस गाने का भावार्थ अगर आपके मास्टर जी पढ़ लें तो इस बार पूरे नंबर पक्के मिलेंगे |
पर एक शिकायत है कि आपने ५ करोड़ के गाने का भावार्थ मुफ्त में ही बता दिया ,एक बार कलमाडी से संपर्क साधा होता तो १ करोड़ तो कम कम से कम आपको मिल ही गए होते :)

Dr.Ajmal Khan ने कहा…

"है योमे अष्टमी दिल पर खुशी सी छाई है
किशन के जन्म की सब को बहुत बधाई है"

बहुत अच्छी प्रस्तुति,
सारे भाव समझ आगये.

Shah Nawaz ने कहा…

श्री कृष्ण जन्माष्ठमी की बहुत-बहुत बधाई, ढेरों शुभकामनाएं!

neera ने कहा…

एकदम उचित और सामयिक विश्लेषण किया है समीरजी ... उम्मीद यही है की विश्व के सामने भारत शर्मिन्दा ना हो ....

रंजना ने कहा…

हा हा हा हा....सचमुच लाजवाब है...
एकदम सटीक भावार्थ /व्याख्या की है आपने...
वैसे इस महान कविता के रचयिता कौन हैं,कृपया बताइए न...बड़ी उत्सुकता है जानने की..

उलझी हुई हूँ कि भागो,दौड़ो, पकड़ो तो ठीक है पर "यारों इण्डिया बुला लिया"...का तात्पर्य/अर्थ क्या हुआ .........

नीरज गोस्वामी ने कहा…

आप और आपकी लेखनी...दोनों धन्य हैं...
नीरज

रचना दीक्षित ने कहा…

जय हो!!! जय हो!!!! समीर जी की अच्छी तरह से विवेचना की और शर्मसार किया. पर किसे fark padta है "badnam hue तो kya naam तो hua"

rashmi ravija ने कहा…

बहुत ही जबरदस्त लिखा है...

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

इस व्याख्या के लिये आपका बहुत आभार वर्ना मतलब समझना मुश्किल हो रहा था. फ़िर आपने "कभी एक्चूवल उल्लु को इन्सानों की आवाज में बोलते तो नहीं देखा और न ही उसे इन्सानो सी हरकत करते देगा है यद्यपि कई इन्सानों को उल्लु की हरकत करते तो हमेशा ही देखता आया हूँ" वाली बात तो बहुत ही कटु सत्य कहदी.

जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं.

रामराम.

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं.

रामराम.

Hindi Tech Guru ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति
जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें

रंजन ने कहा…

वक्का वक्का.. आदि ने पता नहीं कितनी बार सूना है.. बार बार फरमाइश करता है.. बैकोक पहुच कर इसे 'आदि टेस्ट' पर लगाता हूँ.. पता चलेगा रहामन जी सफल हुए या नहीं...

Abhishek Ojha ने कहा…

इस व्याख्या पर बस १०/१० मिलेगा. इससे अधिक नहीं :)

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…

भावार्थ बहुत अच्छी तरह समझ आ गया ...
समझाया नहीं होता तो हम तो समझते भी नहीं ..!

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

अगर कहीं मियाँ रहमान इसे पढ लें तो शायद शर्म से मर जाएं :)

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

आपको सपरिवार श्रीकृ्ष्ण जन्मोत्सव की अशेष शुभकामनाऎँ!!!

POOJA... ने कहा…

Thank you so much sir, हम सबकी की सोच को शब्द प्रदान करने के लिए। छोटा मुंह बड़ी बात होगी, परन्तु क्या A.R.Rahman ने सिर्फ विदेश में या सिनेमा-जगत के लिए अच्छा काम करने की सोची है, देश की बात आई तो उनकी कला भी घूमने चली गयी, या फ़िर भुगतान-राशि कम थी??? सच, एकदम ही बकवास थीम सोंग है...

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

" हमारे पास तो खिलाड़ी ही नहीं है जो जीत सकें."

आप क्या समझते हैं कि हम इन तुच्छ तमगों के लिए इंडिया बुला लिया कह कर चीख रहे हैं.. हम तो कई करोड बना ही लिए हैं :)

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर ने कहा…

इंडिया बुला लिया या फिर इंडिया भुला दिया?
खेल का मेल है मेल का खेल है.
-----------------------------
वैसे आपने शब्दों का अच्छा अर्थ निकला. हम इसी कम को ही तो कहते हैं.........छीछालेदर रस.
आपने हमारे द्वारा प्रतिपादित रस को और विस्तार दे दिया. आभार.
जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड

रानीविशाल ने कहा…

आपने बहुत सही व्याख्या की गीत की ..आभार
बैशाख नन्दन प्रतियगिता के विजेता होने पर ढेर बधाई...!!

mridula pradhan ने कहा…

very good.

रवि धवन ने कहा…

sahi dhoya hei

Madhu chaurasia, journalist ने कहा…

हा हा हा...मजेदार व्यंग

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

सच आपकी हिम्मत की दाद देता हूँ.
आपने तो खेल के आकाओं की चूलें हिला के रख दीं
-विजय तिवारी

Rohit Singh ने कहा…

आपने शायद ठीक से सुना नहीं...गाना....

गाना है

उल्लू बना दिया होहोहोहोहो
उल्लू बना दिया
इंडिया बुला लिया
हारो'न'..हारो'न'..(अब देखिए कितनी तड़प से कहा जा रहा है....अजी हार जाओ न ..)

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…

हाऽऽ हा !

समीर जी , कमाल लिखते हैं आप भी !
आपके सिवा कौन लिख सकेगा …
शानदार जानदार व्यंग्य के लिए बधाई !


बैशाख नन्दन प्रतियगिता के विजेता बनने पर बधाई ! बधाई !! बधाई !!!

- राजेन्द्र स्वर्णकार

Bharat Bhushan ने कहा…

बहुत बढ़िया आलेख जो व्यंग्य भी है मखौल भी और चोट भी. सदियाँ हो गई हैं इस सिस्टम को देखते हुए. परंतु अब आवाज़ें उठने लगी हैं और सुनाई भी देने लगी हैं. पहले तो उठती हुई आवाज़ को या तो गोली दे देते थे या गोली मार देते थे.

hem pandey ने कहा…

फिलहाल तो गाना समझ में नहीं आया. लेकिन इतने बड़े खेल के लिए प्रसिद्ध संगीतकार ने तैयार किया है तो अच्छा ही होगा, यह मान लेते हैं |.

Mahendra Arya ने कहा…

जनाब , खेलों पर गीत ऐसे ही होते हैं . आई पी एल में कोल्कता नाईट राइडर का अन्थेम भी कुछ ऐसा ही था - खेलबो लोडबो जीतबो रे . वो बंगला में था . रहा ये कोमन वेल्थ वाला गीत , तो भाई पांच करोड़ रुपये का गाना भी पसंद न आये तो क्या किया जाये . रहमान ने बनाया है - अच्छा ही होगा न ? हम ब्लॉगर तो बिना बात के मुद्दे उठाते हैं, रोज कुछ न कुछ मसाला चाहिए न !

seema gupta ने कहा…

जबरदस्त व्यंग्य.....
regards

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत बढ़िया पोस्ट!
--
चरैवेति चरैवेति!
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चल-चल रे नौजवान...!

ओशो रजनीश ने कहा…

क्या बात है, समीर जी बहुत अच्छा लिखा है ..........
( क्या चमत्कार के लिए हिन्दुस्तानी होना जरुरी है ? )
http://oshotheone.blogspot.com

पश्यंती शुक्ला. ने कहा…

काश ये एक्सप्लेनेशन रहमान देख ले

सम्वेदना के स्वर ने कहा…

समीर जी! बहुत मज़ेदार लगी यह समीक्षा!

पीपली लाइव देखी कि नहीं आपने?

पीपली ज़िन्दगी जीता एक भारत वहाँ भी इस इंडिया को बुला रहा है!!??

PRAN SHARMA ने कहा…

BHAIYA,AAJKAL TO RAHMAAN APNEE
PURANI DHUNON KO HEE PAROS RAHE
HAIN.BAAJON KE SHOR MEIN GEET KE
TO BOL HEE NAHIN SAMAJH AA RAHE
HAIN.AAPNE KHOOB LIKHAA HAI.HAR
PATRIKA MEIN YAH LEKH CHHAPNA CHAAHIYE.

alka mishra ने कहा…

बढियां पोस्टमार्टम किया आपने
सच ही है

क्या कहा जाये?
बस एक गहरी सांस भर लीजिये

ZEAL ने कहा…

very minute observation.

अरुणेश मिश्र ने कहा…

प्रशंसनीय ।

Coral ने कहा…

जियो और जीने दो
खाओ और खाने दो ...

मेरा भारत महान !

____________
एक ब्लॉग में अच्छी पोस्ट का मतलब क्या होना चाहिए ?

Dr.R.Ramkumar ने कहा…

हहह हह हाहा हा हा हा

Asha Joglekar ने कहा…

ये उल्लू अपनी अंग्रेजी मतलब लेके अपने को होशियार समझ रहे हैं और आप इन्हे हिन्दी का उल्लू मान बैठे हैं । इन्डिया बुला लिया ये क्या गाना हुआ मानो अब बुला लिया है इसलिये जाना ही पडेगा वरना मन तो नही था ।
आपका संदर्भ सहित अर्थ बढिया है ।

राम त्यागी ने कहा…

बढ़िया लगा आपका ये भावार्थ !!

कडुवासच ने कहा…

... कामनवेल्थ गेम्स के थीम सांग पर ... आपका यह तीखा व सार्थक भावपूर्ण लेख पढने के साथ साथ एक-दो जगह और तीखी प्रतिक्रिया पढने को मिली ... कुछ लिखने की इच्छा हुई तो आज सुबह सुबह लिखने बैठ गया ... लिखते लिखते कुछ नया लिखा और पोस्ट कर दिया ... जिसे आप गीत / कविता ...कह सकते हैं !!!

... प्रभावशाली लेखन, बधाई !!!

निर्मला कपिला ने कहा…

मैने तो आज ही गाना चिना है भावर्थ बिलकुल सही है वैसे पान्डे जी वाला गाना सही था। धन्यवाद।

बेनामी ने कहा…

lajawaab article....

A Silent Silence : Mout humse maang rahi zindgi..(मौत हमसे मांग रही जिंदगी..)

Banned Area News : Book on 'secret lovers' of Carla Bruni set to release in France

sandesh ने कहा…

इसकी जगह अगर अनु मालिक और प्रीतम ( कथित धुनों के चोर , धुनें चोरी करने में माहिर ) को कहा होता तो शायद थोडा बहुत अच्छा लगता और ग्लोबल इफेक्ट होता, इंडिया का कोमन वेल्थ है तो इंडिया ही होगा , भारत क्या आसू बहा रहा है एक कोने मे ?

सुनीता शानू ने कहा…

क्या कहें भाईजी। बुलाते-बुलाते हम थक गये...अच्छा है अब दिमाग तो आया की वहाँ भी अपना कोई है। जल्दी आ जाईये भाभी से जरूर मिलना है इसबार।

सुनीता शानू ने कहा…

क्या कहें भाईजी। बुलाते-बुलाते हम थक गये...अच्छा है अब दिमाग तो आया की वहाँ भी अपना कोई है। जल्दी आ जाईये भाभी से जरूर मिलना है इसबार।

PAWAN VIJAY ने कहा…

kya mara hai aapne sameer sahab aap jaiselogo ki India me sakht jaroorat hai jo Bharat desh ko sambhal sake. in choro ko sabak kaun sikhayega?

रेखा श्रीवास्तव ने कहा…

कॉमन वेल्थ के गाने कि सही व्याख्या की है. हमें भी अच्छे से समझ आ गयी. इस के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

सुन्दर और रोचल पोस्ट----हार्दिक शुभकामनायें।

शोभना चौरे ने कहा…

स्कूल की हिदी की परीक्षा में भले ही भावार्थ लिखने में पासिंग नंबर मिले हो पर यहाँ पर आपको फुल मार्क्स दिए जाते है |
क्योकि हमे तो मिले सुर मेरा तुम्हारा के सिवाय कुछ भी समझ नहीं आता ?
बहुत शानदार पोस्ट

Prem Farukhabadi ने कहा…

समीर भाई,
यह लेख तो हिन्दुस्तानो के अखवारों में छपना चाहिए था । आपका शोध सचमुच सराहनीय है। बधाई!!

बेनामी ने कहा…

Bhaiya
Aapne geet release hote hi bhawarth jaan liya, badhai ho, aur saath me bahut khoob, rahi baat is geet ke sangeet ki, to bhai Dileep aka Rehman ji to waise bhi repeatetive hai, to unki koi bhi geet sun le kaam chal jayega.

Punah: Suna hai ki CWG me vuvuzela bhi bajenge, to bhai us kaan fodu shor me aapko is geet sun ne se nizat mil hi jayegi.

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

मजेदार पोस्ट.
इस कविता लेखन का भी तो ईनाम-सिनाम होगा..
जिसे ईनाम देना होगा उसने ही खुद लिख लिया होगा..!
काहे को खाली-पीली कवियों को कोस रहे हैं !

Asha Lata Saxena ने कहा…

हर बार कोशिश की पर आपकी रचना तो पद पाई
पर कमेन्ट नहीं डालना आया |आज भाग्य वश
कमेन्ट बॉक्स खुल गया |मुझे आपके रचनाएँ अच्छी लगती हैं |आप मेरे ब्लॉग पर आते हैं मुझे बहुत
प्रोत्साहन मिलता है आपलोगों के कमेंट्स से | मैं आभार व्यक्त करना चाहती हूं |
आशा

Surendra Singh Bhamboo ने कहा…

बहुत अच्छे विचार है आपके

हमारे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

मालीगांव
साया
लक्ष्य

हमारे नये एगरीकेटर में आप अपने ब्लाग् को नीचे के लिंको द्वारा जोड़ सकते है।
अपने ब्लाग् पर लोगों लगाये यहां से
अपने ब्लाग् को जोड़े यहां से

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

कॉमनवेल्थ गेम कहीं कॉमन ना हो जाए इसलिए इंडिया वाले स्पेशल करने के चक्कर में रहते है..बढ़िया चर्चा और वो भी मजेदार ढंग से....समीर जी वैशाखनंदन प्रतियोगिता के लिए हार्दिक बधाई...मैने एक बार आपकी एक व्यंग पढ़ी थी अगले जन्म बेटी वाली तभी मैने सोचा था सम्मान आपको ही मिलेगा..सारे रचनाएँ बेहतरीन थे...बहुत बहुत बधाई ..

बवाल ने कहा…

आपने एकदम बजा फ़रमाया बड्डे। यह थीम साँग किसी भी स्तर का है ही नहीं। फ़्लॉप शो की पूरी तैयारी है जी।

निर्मल गुप्त ने कहा…

टिप्पडीकर्ताओं की इस जमात में मैं ११८ वें स्थान पर हूँ .यदि भारतीय रेल के आरक्षण में प्रतीक्षा सूची में यह स्थान होता तो मायूस होना तय था .
रहमान के थीम सॉंग के बारे मे आपको गुनिया की याद आयी और मुझे यह् कहावत -ऊँची दुकान फीके पकवान .

abhi ने कहा…

पोस्ट जबरदस्त है चचा जी :)

Unknown ने कहा…

आपकी सोच पर मेरी तरफ से सो में सो नम्बर दिए .चाहे मुझे ..खामखाँ कहे.फिर एक कबाड़(रहमान जी ने एडवांस शर्मिंदा किया)गीत पर लिखते हुवे बेईमान आकाओं और भर्स्ट कारिन्दो का जो कच्चा चिट्ठा लिखा है उस पर आपको मार्क्स ऐ /ऐ १११११ पुरे के पुरे.यदि आप भारत के बाहर हैं तो आज के हालत से जयादा दुखी होते होगे(वहाँ पारदर्शिता और ईमानदारी और देश के प्रति ज़िम्मेदारी का अहसास देखा जाता है).यहाँ हम तो भूक.बेरोज़गारी,बेबसी,बेईमानी,रंगदारी.जातिवाद,वर्गवाद सम्प्रदियिकता के आदि हो चुके हैं .अब देखना गेम फ्लॉप(जिसकी भारी आशंका है ) तो मलाई खाने वाले छूमंतर और खुरचन चाटने वाले वाले बंद .बात क्या बढ़ानी आपने स्विस बैंकों तक कि कहानी तो लिख दी .बहुत अच्छा जिसके लिए शुक्रिया.

Vivek Ranjan Shrivastava ने कहा…

दिल्ली में राष्ट्रमंडलीय क्रीडोत्सव हेतु सार्थक ‘थीम-गीत‘


राष्ट्र मंडल देश के प्रतिभागियो ! तव स्वागतम्,
आपके इस आगमन पर, सब नमन करते हैं हम।

दिखायें निज खेल और कलाओं की चतुराईयां
मधुर मेल मिलाप से पट जायें मन की खाईयां।

परस्पर कर प्रदर्शन, ऊंचाईयां सब पा सके,
नयन में सपने सजाये, गीत हम मिल गा सके।

हो सके सबके लिये कल्याणकारी यह घडी,
खेलो की लडियों में जुडकर हो सफल यह शुभ कड़ी।

हर्ष के जयकार से गूंजे सघन भारत गगन,
विश्व व्यापी भेद भावों का यहां होवे शमन।

रचियता ....प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव ‘विदग्ध‘
ओ.बी. 11, एमपीईबी कालोनी
रामपुर, जबलपुर
मो. 9425806252