रविवार, जुलाई 26, 2009
पुरुष सत्ता-हाय हाय!!
हाय हाय!! हाय हाय!!
पुरुष सत्ता-हाय हाय!!
हाय हाय!! हाय हाय!!
पुरुष सत्ता-हाय हाय!!
नारी सशक्तिकरण- जिन्दाबाद!!
नारी सशक्तिकरण- जिन्दाबाद!!
नारी शोषण-बंद करो!!
नारी शोषण-बंद करो!!
पुरुषों का अत्याचार-नही चलेगा!!
पुरुषों का अत्याचार-नही चलेगा!!
नारी तुम संघर्ष करो-हम तुम्हारे साथ हैं!!
नारी तुम संघर्ष करो-हम तुम्हारे साथ हैं!!
नारी शक्ति-जाग उठी है!!
जाग ठीक है-जाग उठी है!!
हाय हाय!! हाय हाय!!
पुरुष सत्ता-हाय हाय!!
हाय हाय!! हाय हाय!!
पुरुष सत्ता-हाय हाय!!
दरवाजे पर नारे सुन शर्मा जी भागे भागे आये. दरवाजा खोला तो देखा बहुत सारी महिलायें दरवाजे पर झंडा लिए नारे लगा रही थी. शर्मा जी बेचारे बुजुर्ग और उस पर से भाग कर दरवाजा खोला और सामने इतनी महिलाओं को नारी सशक्तिकरण का झंडा उठाये और नारे लगाता देखकर हाँफने लगे.
उन्हें घबराया देख नारी सशक्तिकरण की नेत्री ने तुरंत मोर्चा संभाला और बोली-क्यूँ शर्मा जी, घबरा गये. अकेली नारी को प्रताडित करते हो और अब घबरा रहे हो.
शर्मा जी ने अपने आप को संभालते हुए कहा कि मैने क्या किया है? आप खामखाँ मुझ पर आरोप लगा रही है.
नेत्री आदतानुसार चिल्लाकर बोली: क्या किया है? अब ये भी हमें बताना पड़ेगा?
हम सब जानतीं हैं, हमसे कुछ भी नहीं छुपा. जब भी महिला पर अत्याचार होता है, हमें खुद ब खुद खबर मिल जाती है.
अरे, कैसा अत्याचार? मैने तो कुछ भी नहीं किया. आपको शायाद किसी ने यूँ ही गलतफहमी में शिकायत भिजवा दी होगी.
ज्यादा बनने की जरुरत नहीं है. कल शाम हमारी एक सक्रिय सदस्या यहाँ से गुजर रही थी, उसने देखा है.
देखा है?? शर्मा जी ने आश्चर्य से पूछा..
नहीं नहीं, देखा नहीं, सुना है..एक दूसरी उपनेत्री ने आगे बढ़ते हुए कहा.
क्या सुना है? शर्मा जी अचंभित से पूछने लगे.
आप अपनी पत्नी को प्रताड़ित कर रहे थे. उनसे ऊँची आवाज में उन्हें जानवरों की तरह मान कर चिल्ला रहे थे.
नहीं जी, मैने तो ऐसा कुछ नहीं किया.
अच्छा, कल शाम आपने उनसे चिल्ला चिल्ला कर खाना देने को नहीं कहा.
अब शर्मा जी को कुछ कुछ समझ में आया और उन्होंने अपनी पत्नी को बुलवाया.
तब जा कर खुलासा हुआ कि वो ऊँचा सुनती हैं और इसलिए उन्हें चिल्ला कर ही बोलना पड़ता है, तब सुन पाती हैं.
अब महिला सशक्तिकरण वाली क्या करें. बिना सोचे समझे हमेशा की तरह चले तो आये ही हैं. तो ये कहते हुये कि अभी अगर नहीं भी हुआ है तो भी आगे ध्यान रखिये, हमारी सदस्यायें हर तरफ हैं. आगे भी ऐसा करने की सोचना भी मत, वरना धरना दिया जायेगा, नारे लगाये जायेंगे. हम बरदास्त करने वालों में से नहीं.
शर्मा जी, बेचारे बुजुर्ग क्या करते. हाथ जोड़ कर वादा किया कि कभी भी कोई अत्याचार नहीं करेंगे.
और पूरा महिला सशक्तिकरण मोर्चा आगे बढ़ गया अगले केस की तलाश में, नारे लगाते हुए!!
हाय हाय!! हाय हाय!!
पुरुष सत्ता-हाय हाय!!
हाय हाय!! हाय हाय!!
पुरुष सत्ता-हाय हाय!!
नारी सशक्तिकरण- जिन्दाबाद!!
नारी सशक्तिकरण- जिन्दाबाद!!
देखो, कौन जाने, अगला कौन अटकता है. हम तो बस शुभकामनाऐं ही दे सकते हैं. सोचता हूँ अत्याचार करो न करो, उनकी पैनी नजर तो अत्याचार खोज ही लेगी. उन्हें सामान्य बात में भी दमन नजर आ ही जायेगा. शोषण हो न हो, उभर कर सामने आ ही जायेगा. फिर क्या विचारना, जो होगा देखा जायेगा.
अब समय आ गया है जब पुरुषों को भी अपनी रक्षा हेतु पुरुष सशक्तिकरण न सही, तो भी अस्तित्व रक्षण समिति तो बना ही लेना चाहिये.
नारे तो इसी तर्ज पर गढ़ जायेंगे-पूरी बहर का निर्वहन करते हुए.
नारी शक्ति को नमन
माफीनामा:
----------------------------------
बहर:
२२ २२ २२ २२
फालुन फालुन फालुन फालुन
----------------------------------
ममता भरी कहानी नारी
मिष्टी सी है वाणी नारी.
पावन झरने से जो बहता
शीतल ऐसा पानी नारी.
बहना, पत्नी, दादी, काकी
बिटिया, अम्मा, नानी नारी
सबकी किस्मत अपनी अपनी
राजा की है रानी नारी.
हुई खता गर पुरुषों से तब
जेवर से ही मानी नारी.
पुरुषों को अब नाच नचाये
करे नहीं नादानी नारी.
कालिज में जाकर के देखो
फैशन की दीवानी नारी.
जीवन मेरा उसके हाथों
लगती हमें भवानी नारी.
यह सब पढ़कर बक्श दिया जो
कहलाओगी दानी नारी.
-समीर लाल ’समीर’
नोट: इस आलेख का उस आलेख से कुछ लेना देना नहीं है. यह अलग से है.
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124 टिप्पणियां:
मजेदार....
बच के रहना होगा हमें भी..:)
आपकी आवाज़ सभी तक पहुंच रही है
नारे देख भागे भागे आए तो लठ्ठ लिए फोटो देख सहम गए।
आप ने बाद में कविता लिख कर पुचकारने की कोशिश की है लेकिन हम अभी तक दहशत में हैं। आखिर आप उस खेमे में चले ही गए।
कितनी सूक्ष्मता और सफाई से 'वह खेमा' हमारे दिलों में दहशत बैठाता है ! देखते हैं कि आप कितने दिन वहाँ टिक पाते है ;)
मजेदार |
चित्र में डंडे देखकर तो पुरुषों को भी कोई मोर्चा बनाने की सोचनी ही होगी |
आखिर आखिर तक शर्मा जी को आपने बचा ही दिया समीर भाई। मजेदार पोस्ट और सुन्दर गजल। मैं भी कुछ जोड़ देता हूँ-
अगर प्यार से नजर उठाओ
लगती बहुत सुहानी नारी
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
क्या विचार है? आजकल आप भी खूब पंगे लेने की फिराक में रहते हो. :)
वैसे है तो सत्य वचन. मगर मैं कुछ नहीं कहूँगा, चाचा. आप कह रहे हो सबकुछ.
आप नारी शक्ति को बहुत हल्के में ले रहे हैं यह हमारे हल्के में नहीं चलेगा !
Majedaar hai. Yeh panktiya bhee khoob hain:
जीवन मेरा उसके हाथों
लगती हमें भवानी नारी.
यह सब पढ़कर बक्श दिया जो
कहलाओगी दानी नारी.
ग़ज़ल अच्छी है। आप को बख्श दिया गया है?
हाय हाय!! हाय हाय!!
पुरुष सत्ता-हाय हाय!!
हाय हाय!! हाय हाय!!
पुरुष सत्ता-हाय हाय!!
नारी सशक्तिकरण- जिन्दाबाद!!
नारी सशक्तिकरण- जिन्दाबाद!!
अमूमन हम आपकी पोस्ट दोपहर मे पढते हैं, पर आज सुबह सुबह आपके ब्लाग से लठ्ठ चलने और ऊंचे ऊंचे नारों की आवाज आरही थी. सो भागे चले आये. यहां जो समझे थे वो ही माजरा निकला.
हे ईश्वर जैसे शर्माजी की रक्षा की वैसे ही सबकी रक्षा करना.
रामराम.
बेचारे शर्माजी ही क्यों ...मैं आप पर सरनेम सूचक शब्दों इस्तेमाल करने के लिए मानहानि का दावा करने वाली हूँ .. हाहा
आपने तो नारी आन्दोलन के यथार्थ को ही उद्घाटित कर दिया -गुब्बारा पंचर हुआ अब पिचक जाएगा ! कविता भी कुछ कम नहीं है -खीरा का सर काट कर मलियत नमक लगाय के मानिंद ! अब गिरिजेश राव को यहाँ नवनीत लेपन कैसे लगा ,हो सकता है उन्हें लाईनों को फिर से पढना पड़े !
समीर भाई।
लाजवाब पोस्ट लगाई है।
काश् धरातल पर यह प्रैक्टीकल रूप में भी मुखरित होता....
निम्न कविता ने मुझे बहुत प्रभावित किया-
"ममता भरी कहानी नारी
मिष्टी सी है वाणी नारी.
पावन झरने से जो बहता
शीतल ऐसा पानी नारी."
सुन्दर भावों से सजी-सँवरी कविता।
बधाई।
आप जब भी कभी दिल्ली जाएं तो एक नारा आपको सब ओर चिस्पा मिलेगा -
जब पत्नी सताए, तब हमें बताए।
साथ में पता भी रहता है। आप सब अपनी शिकायत दिल्ली में दर्ज करा सकते हैं।
ये क्या हो गया सुबह सुबह ....अब हम क्या कहें.....एक तरफ कुँआ एक तरफ खाई.......चुप रहना ही बेहतर है भाई......हा हा हा हा हा मजेदार.....
regards
वाह समीर जी ! गुस्ताखी माफ़, लेकिन एक बात कहूँ : आपने पहली वाली रचना में उनपर व्यंग्य कसा, लेकिन दूसरी रचना में डर के मारे हल्की फुल्की तारीफ़ भी कर दी ! ये जिस आंतरिक डर ने आपको तारीफ़ लिखने के लिए मजबूर किया, वही नारी की अद्रश्य शक्ति है !
आपकी टिपण्णी के लिए शुक्रिया! आपने बिल्कुल सही फ़रमाया, चित्र मैंने बनाया है!
वाह बहुत मज़ेदार लगा! चित्र भी खूब लगी और ग़ज़ल के तो क्या कहने! मुझे आपका हर एक पोस्ट बहुत पसंद है!
ग़ज़ल के संग वो नारे भी बहर में हैं?
घर में सुना रहा हूँ सब्को ये दास्तान...
बहुत ही बेहतरीन पोस्ट लिखी महाराज। अहा !
क्या ख़ूब २२ २२ २२ २२ है
ना री ना री ना री नारी
बहुत ज़बरदस्त संदेश देता हुआ व्यंज्ञात्मक लेख।
अब आपौ तैयार रहिये .
बहुत ही अच्छा लिखा आपने ।
हा हा हा अब तो ठीक है ना माफ किया बहुत बडिया गज़ल कही है इस लिये माफ तो करना ही पडता शुभकामनायें
बक्श दिया| :)
इधर उधर देगा, कोई देख तो नहीं रही....फिर पढ़ा और टिप्पियाया....जमाना खराब है जी, जाने कब हाय हाय हो जाए...
एक दिन की बात है,सुबह-सुबह पतिदेव घर में कुछ इस प्रकार चिल्ला रहे थे-
आखिर हाथ लग ही गयी.बहुत दिनों से परेशान कर रही थी.इसी में दबा दूँ तो मर जावोगी.अरे! पकड़ो भाग गयी।
नीचे से आवाज आयी. रचना क्या हुआ? संयोग वश मैं सिर पर तेल लगा रखी थी लोगों का शक यकीन में बदल गया। आखिरकार सब लोग पूछ ही बैठे सुबह कैसी आवाज आ रही थी? तुम्हारी तबियत तो ठीक है? मैने कहा दरवाजे में एक चूहा फँस गया था महाशय वही मार रहे थे। वह भी भाग गयी। एक चूहा नही मार पाये तो मुझे क्या मारेंगे :)
ममता भरी कहानी नारी
मिष्टी सी है वाणी नारी.
पावन झरने से जो बहता
शीतल ऐसा पानी नारी.
उम्दा पोस्ट की है...
मीत
"नारी तुम संघर्ष करो-हम तुम्हारे साथ हैं!!"
ये लो! पीछे ही पड़ गए। नारी तो तुम्हारा साथ छोड़ने के लिए ही तो संघर्ष कर रही है:)
जीवन मेरा उसके हाथों
लगती हमें भवानी नारी.
यह सब पढ़कर बक्श दिया जो
कहलाओगी दानी नारी.
:) ,:)
जीवन मेरा उसके हाथों
लगती हमें भवानी नारी.
यह सब पढ़कर बक्श दिया जो
कहलाओगी दानी नारी.
jabardast,tariif ke liye alfaz kum hai,vaise nari shakti zindabaad:)
समीर भाई........ दोनों बातें एक ही साथ.............. खिचाई भी बढाई भी लगता है भाभी को देख कर ग़ज़ल भी लिख दी साथ के साथ .................... पर सही लिखी है.............. नारी के सच में इतने रूप हैं की कभी कभी नारी स्वयं भूल जाती है........
क्या कहूँ
बहुत बहुत ही सुन्दर ....आपके इस अदा के तो हम दिवाने है हम तो .......बहुत बहुत आभार
जय हो ......
अतिसुन्दर
हमी से मोहब्बत हमीं से लडाई..........? लेकिन बढिया है. मज़ा आया.
ग़ज़ल बहुत बढ़िया है, इसकी वजह से आपको अग्रिम जमानत मिल जायेगी | ऐसी आशा करते हैं |
पुरुष सशक्तीकरण अभी वैध नहीं है |
हाँ, प्रायः यही होता है। बेचारे पति से गल्ती से कुछ लिटर मिट्टी तेल पत्न पर गिर जाता है और गल्ती से माचिस जल जाती है और पत्नी केवल भस्म भर हो जाती है और ये नारियाँ इतना तूफान खड़ा कर देतीं हैं मानो संसार पर ही संकट आ गया हौ। यह सब केवल एक स्त्री भर के मरने पर ! इस छोटी सी गल्ती के लिए कई बार बेचारे पुरुष को जेल तक हो जाती है। सरासर अन्याय है। इसका जमकर विरोध होना चाहिए। पुरुष की पसली से बनी स्त्री की यह हिमाकत ! हम आपके साथ हैं।
घुघूती बासूती
अग्रिम आगाह के लिए शुक्रिया . "नारी शक्ति" जिंदाबाद
"अस्तित्व रक्षण समिति"
हा हा हा!! वाह्! समीर जी, क्या नाम सोचा है!!!इससे पहले कि कहीं देर हो जाए,इस प्रकार की किसी संस्था/समिति का निर्माण कर ही देना चाहिए। जिसके अध्यक्ष होंगे माननीय श्री समीर लाल जी"उडनतश्तरी वाले":)
यह सब पढ़कर बक्श दिया जो
कहलाओगी दानी नारी।
वैसे उपरोक्त पंक्तियाँ लिखकर आपने इस पोस्ट के जरिए होने वाली क्षति को बहुत हद तक कम कर लिया है:)
बहुत ही मजेदार. कुछ और लिख कर हम अपनी फजीहत नहीं कराना चाहेंगे.
समीर जी,
एक छोटे से घटनाक्रम पर एक रोचक ताना-बाना बुना जो प्रहसन की तरह भी लिया जा सकता है करारा व्यंग्य तो है ही।
गज़ल तो मैं गुनगुनाने लगा, सरल शब्दों में संसार समेटे हुये नारी की सर्व प्रशंसा करती हुई।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
समीर भाई,जिस विषय ने आपको उद्वेलित कर यह पोस्ट आपसे लिखवाई है,वह विषय मुझे भी बहुत ही बुरी तरह क्षुब्ध किये हुए है......क्या कहूँ......
अभी कुछ दिनों पहले जिस दिन बवाल हुआ पटना में एक व्यक्ति द्वारा किसी पारस्परिक विद्वेष पर एक महिला को सरेआम निवस्त्र करने के प्रयास का,उसी दिन उस न्यूज चैनल पर एक ही समय दो और दृश्य दिखाए जा रहे थे......एक स्त्री एक लड़के को सड़क पर पीटते हुए थाने लिए जा रही थी,क्योंकि उक्त लड़का अपराधिक मनोवृत्ति का था और वह उस महिला के बेटे को अपने संगत में लगा बिगाड़ रहा था....
दूसरा दृश्य था,एक मंदिर के बाहर कई महिलाएं मिल एक वृद्ध महिला को यह कहते हुए पीट रही थीं की उक्त महिला चोर है,जिस क्रम में उक्त वृद्धा लगभग निर्वस्त्र सी हो रही थी.
एक ही दिन की तीन घटना और तीनो के लिए प्रतिक्रिया तीन किस्म की ....
जो पुरुष आपसी दुर्भाव से महिला को निर्वस्त्र करने के प्रयास में था,सबसे अधिक सुर्खियों में आया.......निर्विवाद ही यह अक्षम्य अपराध है और इसके लिए युवक की भली ठुकाई होनी चाहिए और उस समाज की पर्याप्त निंदा होनी चाहिए जो इसका मूकदर्शक बने .......
परन्तु जो महिला समूह एक वृद्धा की दुर्गति कर रहा था,उनके खिलाफ क्या होना चाहिए,यह भी स्पष्ट होना चाहिए........क्या इसपर महिला मुक्ति वाहिनी कुछ कहेंगी????
यह सर्वविदित है की कम से कम भारत जैसे देश में महिलाएं महिलाओं द्वारा जितनी प्रताड़ना पातीं हैं,उतना पुरुषों द्वारा नहीं....क्या इसके खिलाफ आवाज़ बुलंद करने की आवश्यकता नहीं है?????
मुझे बड़ा ही अफ़सोस होता है की हम सबसे पहले एक मनुष्य होकर किसी भी विषय पर क्यों नहीं सोचते समझते......हमारे चारों ओर जितने मुद्दे बिखरे पड़े हैं,जितनी त्रासदियाँ हैं जिस दिन उनके लिए समवेत स्वर उठाएंगे और प्रयासरत होंगे,कोई शंशय नहीं की बहुत कुछ गलत/बुरा हमारे बीच से समूल समाप्त हो जायेंगे....
सम्पूर्ण विश्व में न ही पूरा नर समुदाय गलत है न ही नारी समुदाय,यह तो व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है की उसके अन्दर शैतान बसता है या इंसान.....व्यक्ति विशेष के अन्दर बैठा शैतान ही दमनकर्ता होता है,चाहे जेंडर कोई भी हो.....इसलिए आवश्यकता उस शैतान को पहचान कर उसे दण्डित और समाप्त करने की है...
नारी के बारे में हम कुछ नहीं बोलेगा। पत्नीजी से परमीशन जो नहीं लिया है। :)
लगता है आज घर मे ही कुछ पन्गा हुआ है । इस लिये कुछ करने की सोची जा रही है ।
आज जमाना नारी का है ,इसलिये लोग हाय तौबा माचा रहे है ।
एक उक्ति है यहाँ बुन्देली में-
खातव्यम तो मरतव्यम,
न खातव्यम तो मरतव्यम
ताक धिना धिन क्यों करतव्यम।
कुछ यही हाल महिलाओं के मुददों को लेकर है। कुछ कहो तो आफत न कहो तो आफत।
भइया जी शेखावत जी की बात से ही पहले हम पुरुष विमर्श चला रहे हैं, आपके यहाँ टिप्पणी करने वाले कितने पुरुष हैं जो हमारे साथ आयेंगे।
बातें करना आसान है, कुछ कर दिखाना बहुत ही कलेजे का काम है।
आइये होइये शामिल इस विमर्श में ‘पुरुष विमर्श में’
हम कुछ नहीं कहेगे "कंट्रोवर्सियल" हो सकता है !!!
वाह... वाह ... बहुत बढ़िया लिखा है |
जीवन मेरा उसके हाथों
लगती हमें भवानी नारी.
नारियो की आवाज बुलंद करने के लिए (.....) बस जुलूस निकलना बाकी है . सर जी जे तो वाकई में नेतागिरी लग रही है हा हा आनद आ गया.... आभार.
नारी तुम संघर्ष करो
समीर जी तुम्हारे साथ है
बहुत ही मजे दार जुलूस था,
हास्य जूस था ।वाह जी वाह।
निर्दलीय विधायकों की तरह दोनों तरफ़ रहने की कोशिश कब तक छुपेगी भाई बहर के भुलावे में! :)
माफी मांगकर बचा लिया न अपने आपको .. कमाल का लिखते हें आप .. पर रंजना जी की टिप्पणी भी ध्यान देने योग्य है !!
वाह... वाह-वाह... वाह-वाह-वाह....
लगाई-बुझाई एक साथ!
क्या जमाना आ गया है!!
हा हा !
न्युयोर्क की तरफ आना हो तो सूचित कीजियेगा. जल्दी ही आपसे बात करता हूँ.
समीर जी,
आप भी ???
लेकिन आपको देख कर कौन मानेगा की आप भी 'सताए' हुए हैं.... :-):-)
वैसे अपने बचाव का अस्त्र भी रख ही लिया है आपने.....तो अभयदान मिल ही गया होगा :):).....
जीवन मेरा उसके हाथों
लगती हमें भवानी नारी.
यह सब पढ़कर बक्श दिया जो
कहलाओगी दानी नारी.
हा हा हा हा हा
ऐसा भी होता है !
मेरी पत्नी तो मेरी बात सुनती ही नही है. मै कितना ऊंचा बोलू.
हमें तो ऊँचा बोलने की परमीशन नहीं है केवल ऊँचा सुनने की परमीशन है। अच्छा यह है कि हमारी वाली नारी को अभी ये ब्लोगिंग का इतना चस्का नहीं लगा है नहीं तो वो भी "आधुनिक नारी" बन जायेगी और हमारा घर..... मुंबईया भाषा में बोले तो "वाट लग जायेगी"।
वैसे हमारी माँ का कथन है कि नारी की सबसे बड़ी दुश्मन नारी ही है। पुरुष तो केवल नारी के चुप रहने का फ़ायदा उठाता है क्योंकि जब नारी बोलती है तो अच्छे अच्छे लोगों की बोलती बंद कर देती है, हमेशा ब्रह्मास्त्र रुपी कुछ चीजें अपने पास रखती है जिसका समय आने पर ही प्रयोग होता है।
फ़ोटू नारी का नहीं नर का लगाना था "नमन" करते हुए, ये नारी कहीं अबला है तो कहीं सबला, जहाँ जैसा पलड़ा देखा वो बन जाती है। पुरुष को तो जन्मजात सबला माना जाता है।
यह सब पढ़कर बक्श दिया जो
कहलाओगी दानी नारी.
जय हो दादा आपकी बचने के लिये अच्छी पंक्तियां हैं मक्खन सनी.
hurre
hurre
uda diye dhurre
anand aa gaya....................
abhinandan !
बेहतरीन लेख
sameer bhai,
bahut hi dilchasp tareeke se samasya uthai hai.dilse apko badhai hai.
khisiyani billiyan khamba nauchte huye chali gayi hongi .maja aa gaya.
acchha drashtant likha dhanyavaad
नारी शक्ति के बारे में बहुत ही ड्रामाई अंदाज में लिखा चचा। चाची ने पढ़ा तो खाना बाहर से ही खाना पड़ेगा। वैसे माफीनाम लिखकर बात कुछ संभाल ली है।
ममता भरी कहानी नारी
मिष्टी सी है वाणी नारी.
पावन झरने से जो बहता
शीतल ऐसा पानी नारी.
वाह वाह समीर जी वाह...बहुत खूब उपमाएं दी हैं आपने...अति सुन्दर नोक पलक संवरी हुई नारी जैसी सुन्दर ग़ज़ल कही है...और आलेख तो "ओये तेरा क्या कहना..." टाईप है.
नीरज
यह तो बहुत गड़बड़ हो गयी.
हे प्रभु बड़ी उलझन में डाल देते हो नारी का गुणगान करते हो या निंदा कुच्छ समझ में नहीं आता ! एक गाना याद आ गया : जवान हो या बुढ़िया, या नन्ही सी गुडिया कुछ भी हो औरत जहर की पुडिया !! पर ये जहर खाना जरुरी है | वरना मौत और जिंदगी में कोई फर्क नहीं !!
इसे नारी कहें या "ना....री"
डर तो लगता है जब किसी शक्ति का दुरुपयोग हो...अच्छी बात है कि एकजुटता है...लेकिन काश ये सृजनात्मक होता....ना कि कटू और आलोचनात्मक।
इसे नारी कहें या "ना....री"
डर तो लगता है जब किसी शक्ति का दुरुपयोग हो...अच्छी बात है कि एकजुटता है...लेकिन काश ये सृजनात्मक होता....ना कि कटू और आलोचनात्मक।
phle pathar mar diya .fir mkhmal me lpet kar pathar mar diya aur fir mrham bhi lga diya .aur nari ko kya chiye .
prnaam sameer bhut hi rochak aur majedaar hum to kuchh kahne ki halat me hi nahi hai abhi tak dahsat me hai aur dubke huye baithe hai
mera prnaam swikaar kare
saadar
praveen pathik
9971969084
आज हो गया 'पुरुष' बिचारा
पुरुषों पर भारी है नारी
चलत मुशाफिर मोह लिया रे.....गर्दा उड़ा दिया..हम फिर आयेंगे आपके गली में..लिखते रहिये-पढ़ते रहिये..
आपका ये अंदाज़-ए-बयां इतना खूबसूरत है की कुछ कहते नहीं बनता.
ग़ज़ल छोटे बहर में है और बेहद खूबसूरत है.
हाय हाय!! हाय हाय!!
पुरुष सत्ता-हाय हाय!!
हाय हाय!! हाय हाय!!
पुरुष सत्ता-हाय हाय!!
वाह वाह... क्या भाव हैं.. क्या बोल हैं.. क्या तुकबंदी है...
वाह वाह.... मज़ा आ गया.....
www.nayikalam.blogspot.com
wah ji/
pahle chaanta, baad me dulaar/
aapke vyang mayi tatha gambheer rachna se bahut prabhaavit hu/
gahre arth hote he aapki baato me, is gaharaai me utar kar bahut kuchh seekh bhi jataa hu/ aakhir gahaari me hi to seep milate he/
kher..
sundar rachna to kahunga kyoki naari ki baat he/ shrangaar pasand naari ke liye sundar kahna ham purush samaz ke liye jaruri ho jaata he/ vese bhi behatreen rachna he/ stya/ saty/ saty/
बात आपने कह दी सारी
अब क्या दिखलाये नारी
सर.....पढ कर मजा आ गया....आपने तो हिला दिया है.
:)(:
thanks.hai hai accha laga
haya
समीर जी आपको जन्नदिन की लाखों शुभकामनाएं
वीनस केसरी
ठीक १२ .०१ बजे :)
है न परफेक्ट टाइमिंग :)
mubarak ho janmadin
जन्मदिन की ढेर सारी सारी शुभकामनाये.
गुलमोहर का फूल
वाह बेहतरीन शब्दचित्र साधुवाद
जन्मदिन की हार्दिक शुभ कामनाएँ
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामना और बधाई . दीघार्यु हो.
समीर जी,
आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ!!!
प्रयास
जन्म दिवस की हार्दिक शुभकामनाए !!
ताऊ से सहमत हूँ ! ;-)
happy birthday sameer bhai...aap jiyo hazaron saal aur saal main din ho ..jitne aap chahe...
हम नारियों को नमन करती गज़ल अच्छी है...!
हम तो जनम दिन की शुभकामनाएं देने आये थे। आप जियें हजारों साल ये मेरी है आरजू
सुन्दर रचना...
आपको जन्म दिन की हार्दिक शुभ कामनायें
एक प्रश्न भी..?
आप टिप्पणियां करने और पढने के लिये समय कहां से लाते हैं ? ;)
ये तो होना ही था।
जन्मदिन की बहुत बहुत बधाईयां।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
sameer sir ji janam din ki bahut badhai
क्या कहने क्या केने
जन्मदिन की बधाई,,,,,,
Mazedaar post hai
bina soche samjhe morcha
phir aapka maafi naama sahi hai
is sabke beech aapki bahut pyaari si gazal bhi mili bahut achha laga
Aapko janamdin par hardik subhkamanye
aap jiyo hajaaron saal aur ........ humko yun hi hansate raho achhi achhi baaten sikhate raho
कड्वे करेले के साथ रसमलाई---
यह भी खूब रही!
हैप्पी बड्डे समीर अंकल...शाम को केक खाने आरही हूं...बाय..
टिप्पणी सम्राट को जन्मदिन की बहुत बहुत बधाईयां।
समीर जी जनमदिन पर मोमबत्तियां मत फूकियेगा बल्कि दिये जलाइयेगा । हमारे यहां दिया जलाना शुभ माना जाता है और बुझाना अशुभ ।
अब पढना शुरू किया है आपको |
जन्म दिवस पर बहुत -बहुत शुभकामनायें.
मजेदार Post!!!!!!:D
29 July....जन्मदिन की हार्दिक शुभकामना और बधाई!!!!!!So you are true Leo!born to rule!:)
अभी-अभी मालूम हुआ कि आपका जन्मदिन है आज. जन्मदिन की शुभकामनाओं के साथ आगरा का पेठा, इगलास की चमचम, मथुरा के पेडे, हाथरस की खुरचन, सादाबाद की बालूशाही और आखिर में टूंडला की कुल्फी पेश करता हूं. स्वीकार करें दादा
Kya bat hai Samir Ji! Janmdin se pahle hi Mahilaon ke sath khade hokar Purushon ki hay-hay karne lage....Jarur kuchh raj hai...Filhal jan-din ki badhai. Ap isi tarah Yash kamate rahen.
Kya bat hai Samir Ji! Janmdin se pahle hi Mahilaon ke sath khade hokar Purushon ki hay-hay karne lage....Jarur kuchh raj hai...Filhal jan-din ki badhai. Ap isi tarah Yash kamate rahen.
@भाई संजीव जी थोडी इधर भी पार्सल करवा देना..मुंह पढ पढ कर ही मीठा होगया.
रामराम.
बढ़िया अंदाज .. अच्छी रचना ..बधाई
wah wah wah, bahut sunder gazal aur aalekh,...............
janm din ki dheron shubhkaamnaayen.
जीवन का एक साल और भरपूर जीने के लिए . आपको जन्मदिन की ढेर साडी बधाई .
जी अब तो एक नारी सारे समाज को हाय-हाय करने पे मजबूर किये दे रही है! न न राखी सावंत की बात नहीं कर रहा, बहन जी की बात कर रहा हूँ.
सोचिये अगर बहन जी राखी सावंत से प्रेरणा लेती तो. शायद होता माया का स्वयंवर (हिंदी में) http://shabdaarth.blogspot.com/2009/07/blog-post.html
bahut badi post hain.... bilkul nahi padhi....time kam hai isliye..... work pressure kuch jayada hai Anyways....aapke B'day ka pata chala " Many- Many happy returns of the day" May god fulfill all ur wishes.
regards,
Priya
अब समय आ गया है जब पुरुषों को भी अपनी रक्षा हेतु पुरुष सशक्तिकरण न सही, तो भी अस्तित्व रक्षण समिति तो बना ही लेना चाहिये.
nice post maja aa gaya............
ममता भरी कहानी नारी
मिष्टी सी है वाणी नारी.
पावन झरने से जो बहता
शीतल ऐसा पानी नारी
achhi post...
डराने के लिये आभार॥ जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाये...
जन्मदिवस की आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं!
जै हो समीर लाल
तुम जियो सात सौ साल
मेरी तरफ से १२० किलो बधाई
स्वीकारो मेरे भाई
सबसे पहले साल गिरह की अनेकानेक मुबारकबाद समीर भाई - और लगे हाथ ये गाना भी सुन लीजै :-)
" एक पारस से सोना ये टकरा गया ,
तुझे रचकर चितेरा भी चकरा गया ! "
आपकी कविता फालुन में बढिया लगी जी ..
लिखते रहीये और खुश रहीये
- लावण्या
Sir Jee, ise Hi Kahte Hain Imotional Atyacaar. Vaise Naare Lgaane Waale Khud Kya Karte Hain, Ye Kisse Chupa Hai?
Dad deta hoon...pahle hay-hay fir mafinama...gazab ho gaya.
"युवा" ब्लॉग पर आपका स्वागत है.
नारी सशक्तिकरण- जिन्दाबाद!!
tha hai or rahegaa
माफ़ीनामा !!!
देखा, डर गए न ?
:-)
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