दो काल खण्ड
इस जीवन के
और उन्हें जोड़ता
वो इक लम्हा
जो हाथ पसारे
लेटा है इस तरह
दोनों को समेटता
मानिंद जिल्द हो
मेरी जिन्दगी की
किताब का!!
-समीर लाल ’समीर’
--ख्यालों की बेलगाम उड़ान...कभी लेख, कभी विचार, कभी वार्तालाप और कभी कविता के माध्यम से......
हाथ में लेकर कलम मैं हालेदिल कहता गया
काव्य का निर्झर उमड़ता आप ही बहता गया.
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दूसरों की गलतियों से सीखें। आप इतने दिन नहीं जी सकते कि आप खुद इतनी गलतियां कर सके।
-अमिताभ बच्चन के ब्लॉग से
और क्या इस से ज्यादा कोई नर्मी बरतूं
दिल के जख्मों को छुआ है तेरे गालों की तरह
-जाँ निसार अख्तर
अधूरे सच का बरगद हूँ, किसी को ज्ञान क्या दूँगा
मगर मुद्दत से इक गौतम मेरे साये में बैठा है
-शायर अज्ञात
Compelling content causes comments.
13 टिप्पणियां:
खूब... बढ़िया कही ....
बहुत खूब।
दार्शनिकता का पुट लिए सुन्दर प्रस्तुति ..
बहुत बढिया।
इधर आप छोटी छोटी कविताओं में बड़ी बड़ी बात कह रहे हैं।
अच्छा नजरिया जीवन दर्शन का.
सुंदर प्रस्तुति। छोटी सी रचना किंतु गहरी बात।
बेहतरीन पोस्ट
बस बीती मिसालों के सिवा,
जिंदगी क्या है, ख्यालों के सिवा?
जिंदगी क्या है, सवालों के सिवा?
सुन्दर
काफ़ी अच्छा ब्लौग है आपका समीर जी. मैं बराबर आपके ब्लौग पर आपकी नई रचनायें पढने के लिये आता हूँ. मगर एक शिकायत है कि आपकी कृतियाँ काफ़ी अन्तराल पर आती हैं. अगर और कोई अच्छा ब्लौग आप बता सकें हिंदी का तो बड़ी प्रसन्नता होगी. मैंने काफ़ी खोजा पर उदसीनता ही हाथ आयी. कोई अच्छा ब्लौग हिंदी में मिला ही नहीं. मैं भी लिखता हूँ ब्लौग. मेरा पता है washermansdog.blogspot.com. आपके मार्गदर्शन की अपेक्षा में - अभिषेक नील.
सुन्दर शब्द रचना
बेहद प्रभावशाली......बहुत बहुत बधाई.....
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