रविवार, अप्रैल 28, 2013

मेरी कविता- नई इबारत!!!

slnew

मेरी कविता

बदल दी है मैने

उन सब बातों के लिए

जो तुमको मान्य न थी...

मेरी कविता

बदल दी है मैने

उन सब बातों के लिए

जो सबको मान्य न थी...

मेरी कविता

बदल दी है मैने

उन सब बातों के लिए

जो समाज को मान्य न थी...

मेरी कविता

बदल दी है मैने

उन सब बातों के लिए

जो मजहब को मान्य न थी...

मेरी कविता

बदल दी है मैंने

उन सब बातों के लिए

जो आलोचकों को मान्य न थी..

मेरी कविता- इन सब मान्यताओं की

निबाह की इबारत बनी

अब मेरी कहाँ रही

वो बदल कर ढल गई है

एक ऐसे नये रुप में जो

काबिल है साहित्य के सर्वश्रेष्ठ प्रकाशन में

प्रकाशित किए जा सकने के लिए

मेरी कविता अब इस नये रुप में

काबिल है साहित्य के सर्वश्रेष्ठ सम्मान से

सम्मानित किए जा सकने के लिए..

-कर दो न प्लीज़, अब और कितना बदलूँ मैं!!

-समीर लाल ’समीर’

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45 टिप्‍पणियां:

yashoda Agrawal ने कहा…

आपने लिखा....हमने पढ़ा....और लोग भी पढ़ें; इसलिए बुधवार 01/05/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

वाणी गीत ने कहा…

इतनी बदली कवितायेँ कि कुछ अपना -सा ना रहा . लिखा था मैंने भी कवितायेँ आजकल वाद की ड्योढ़ी पर अटकी हैं :)

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

अब स्वान्त:सुखाय भी नहीं रह गयी.. राजकवि और जनकवि में कुछ तो अन्तर होना चाहिये..

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

लेकिन इतना बादल दी गयी तो फिर अपनी कहाँ रही कविता ? गहन अभिव्यक्ति

Manish aka Manu Majaal ने कहा…

बिना कैची चलाए प्रकाशन करवाना हो तो हमसे संपर्क करें :)

लिखते रहिये ...

Rajendra kumar ने कहा…

बहुत ही सुन्दर सार्थक प्रस्तुति,आभार.

P.N. Subramanian ने कहा…

और कितना बदलूं . यक्ष प्रश्न.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

गहरा कटाक्ष ...
शायद इसीलिए कहते हैं की कवि को बदलना नहीं चाहिए ...

Asha Joglekar ने कहा…

अब कितना बदलूं मै..................अब बदलने की जरूरत कहां है, अब तो सारे सम्मान झोली में गिरे ही समझिये ।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

अद्भुत

छीने सबने शब्द बराबर,
अब सब कहते, खुलकर गाओ।

PRAN SHARMA ने कहा…

kavita mein nihit jo vyangya hai vah nihaayat hee jhakjhorta hai .
Bahut umda .

Amrita Tanmay ने कहा…

बढ़िया..

vandana gupta ने कहा…

्गहरा वार करती रचना

ब्लॉग बुलेटिन ने कहा…

आज की ब्लॉग बुलेटिन गुम होती नैतिक शिक्षा.... ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

Ramakant Singh ने कहा…

अब मेरी कहाँ रही

वो बदल कर ढल गई है

एक ऐसे नये रुप में जो

काबिल है साहित्य के सर्वश्रेष्ठ प्रकाशन में

प्रकाशित किए जा सकने के लिए

मेरी कविता अब इस नये रुप में

काबिल है साहित्य के सर्वश्रेष्ठ सम्मान से

सम्मानित किए जा सकने के लिए..

-कर दो न प्लीज़, अब और कितना बदलूँ मैं!!



बदलते बदलते हम स्वरुप को सचमुच अनजाना कर डालते हैं ....

रश्मि प्रभा... ने कहा…

अब बदलने को कुछ नहीं रहा .......... मैं तो बिल्कुल नहीं
मैं बदल गया तो कविता की असलियत बदल जाएगी ....

mridula pradhan ने कहा…

bahut sunder likhe hain.....

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

बहुत बढ़िया कटाक्ष.......

तीर सीधा जिगर के पार......

सादर
अनु

डॉ टी एस दराल ने कहा…

अपने लिए , जीये तो क्या जीये !
अच्छा है कविता भी औरों की हुई।

Ranjana verma ने कहा…

बहुत सुंदर प्रस्तुति ...बेचारा कविता.

Ranjana verma ने कहा…

बहुत सुंदर प्रस्तुति ...बेचारा कविता.

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

बात तो अधेरों से रोशनी में आने की थी, फिर औरों के कहे बदलने की मजबूरी क्यों -'अप्प दीपो भव'!

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

इसमें क्या शंका, अब तो बिलकुल पक्का !

Tamasha-E-Zindagi ने कहा…

लाजवाब रचना |

कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page

मन्टू कुमार ने कहा…

Bahut khub...

Sadar

सदा ने कहा…

बेहद गहन भाव .... अनुपम प्रस्‍तुति

सादर

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…


कवितायेँ बदल जाएँ तो जाने दीजिये खुद न बदलिए ! ले जाने दीजिये सभी सम्मान ,लालच न कीजिये !
डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
latest postजीवन संध्या
latest post परम्परा

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत बेहतरीन सुंदर प्रस्तुति ,,,

RECENT POST: मधुशाला,

संध्या शर्मा ने कहा…

कविता कभी नहीं बदलती अपने मन की कह ही देती है... गहन भाव...आभार

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

ज्यादा बदलने का जमाना भी नही है, बहुत सुंदर रचना.

रामराम.

समय चक्र ने कहा…

मेरी कविता

बदल दी है मैने

उन सब बातों के लिए

जो तुमको मान्य न थी...

बहुत सुन्दर ... आभार

समय चक्र ने कहा…

मेरी कविता

बदल दी है मैने

उन सब बातों के लिए

जो तुमको मान्य न थी...

बहुत सुन्दर ... आभार

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बदलाव तो ना चाहते हुए भी होगा..
कुछ अपने आप होगा..
कुछ स्वयं करना पड़ेगा..
वर्ना इस बदलते मौसम में
पुरानें जूते काम ना देगे।
इन नयी पगडंडियों पर
चलने के लिये..
कुछ तो नया पहनना होगा।

रचना दीक्षित ने कहा…

सब कुछ बदल रहा है तो कविता भी क्यों न बदले.

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

Badlaav ki yah abhi vaykti bahut achchhi lagi...badhai..

Rohit Singh ने कहा…

अभी तो आपने ही बदली है....जरा सरकारी बाबू औऱ प्रकाशन वाले जुगाड़ु साहित्यकार जी को तो कहने दो ना...हमारे कहने से क्या होगा..बदल गई...अच्छी कविता...बेहतरीन लाइन...क्या खूब लिखी है...वगैरह वगैरह....ये तो हम कहने के आदी हैं....

मीनाक्षी ने कहा…

परोक्ष में कविता के रूप में आप बदले पर क्यों,,,,,यहाँ यह बदलाव अखर रहा है ।।

नीरज दीवान ने कहा…

गूढ़ अर्थ.. लोकेषणा की चाह में मंतव्य बदल जाते हैं। गंतव्य बदल जाते हैं। कवि तो वो है जो समाज को चुनौती दे। बहुमत नहीं सच के साथ खड़ा हो। बहती धारा के विपरीत भी जाने का साहस रखे। मान्यताओं की परवाह किसे है..

गजब की पंक्तियां -
मेरी कविता- इन सब मान्यताओं की
निबाह की इबारत बनी
अब मेरी कहाँ रही

Paridhi Jha ने कहा…

bahut babut badhiya rachna.. Padh kar samajh nahi aya, ki shabdon ke khel or komal kataaksh par hansoo, ya shabdo me chhipi bhavna ke samman me 2 minute maun rakhoo..

Itni virodhi bhaavnaon ko ek hi kavita se jagaane ke liye dhanyawaad :)

Vaanbhatt ने कहा…

ज्यूरी के बारे में पता कीजिये...और मेम्बर्स को खरीद लीजिये...सो सिंपल...बदलने की क्या ज़रूरत है भाई...

Bestoffer ने कहा…

अची कविता हे ! मेरे ब्लॉग पर भी पधारे !

http://hiteshnetandpctips.blogspot.com

Bestoffer ने कहा…

आपका ब्लॉग बहुत मजेदार हे ! में आपके ब्लॉग से जुड़ गया हु आप भी मेरे ब्लॉग पर पधारे ! जो तकनिकी को समर्पित हे जिसके आप शयद सोकिन हे !
http://hiteshnetandpctips.blogspot.com

aryan ने कहा…

bahut sundar post...

मन के - मनके ने कहा…


मेरी कविता---अब मेरी कहां रही
समीर जी,’एकला चलो---

deepak ने कहा…

bahut achi rachna ..........apki ek pustak padhi wo bhi bahut achi lagi main bhi ek ca final student hu pustak se pta chala aap bhi ek ca ho ..wakai aapki rachanae bahut achi lagi

deepak