शनिवार अप्रेल २, २०११ को दैनक जनवाणी, मेरठ मे प्रकाशित मेरा आलेख
पहले हल्ला मचाया. शेर जाग उठा है. कंगारुओं को दौड़ाया. १२ साल के विजेता को जमीन चटाई. अब पाकिस्तान की खैर नहीं. आँधी आये या तूफान, टीम इंडिया खड़ी है सीना तान. और भी जाने क्या क्या चिंगारीनुमा.
आग भड़की. वो तो यूँ भी भड़कना ही थी. मगर सेहरा इन चिंगारियों को बंधा. लोग उत्साहित हो उठे, पाकिस्तान के साथ सेमी फायनल, खेल न होकर इज्जत आबरु का मसला हो गया. हिन्दु मुसलमान का मामला हो गया. राम रहीम मैदान में उतर आये. हरा भगवा लहराने लगे, ललकारने लगे.
सारा काम धाम रुक गया, मानो युद्ध घिर आया हो. खेल प्रेमी उत्साहित होते तो बात अलग थी. ऐसे लोग भी, जो क्रिकेट का अ ब स द लिखने में पैन की निब तोड़ दें, उत्साहित हो उठे. घर घर, गली मोहल्ले, पान ठेले से लेकर दफ्तर, रेलगाड़ी, रिक्शे वाले, कुली सभी क्रिकेटमय हो गये. जो कल तक यह भी नहीं जानते थे कि कितनी टीमें खेल रहीं हैं. कौन कप्तान है, वो भी रातों रात विशेषज्ञ हो गये. सलाह दी जाने लगी कि धोनी को ऐसा करना चाहिये, सचिन को वैसा और अफरीदी को बीमारी का बहाना बना कर भाग जाना चाहिये.
सड़क छाप विशेषज्ञ चाय पीते पीते यहाँ तक आँकने लगे कि कौन सा खिलाड़ी कितने में बिकेगा और पूरी टीम खरीदने में क्या खर्चा आयेगा. कौन खरीदेगा और इस खरीद फरोक्त में फायदा किसका होगा. कई ने तो सौदा अपनी आँखो से देखने का दावा किया कि फलाना खिलाड़ी बिक गया. ऐसा लगा जैसे वह खुद अपनी साईकिल से रुपये पहुँचा कर आया हो.
राजनितिक पहलुओं पर चर्चा का भी बाज़ार गरम हो उठा. जरदारी के आने का कारण क्या हो सकता है? हाई लेवल एजेन्डा रिक्शे वाले से डिस्कस करते लोग राज्य परिवहन की बस पकड़ कर काम से निकल गये. मनमोहन सिंह कहीं उन्हें तोहफे में मैच ही न दे दें, भारी चिन्ता का विषय बना रहा. यहाँ तक तय कर लिया गया कि क से क का सौदा होने जा रहा है. क से कप तुम ले लो और क से कश्मीर हमें दे दो.
खूब कार्टून बने, बँटे, फेसबुक से लेकर बज़्ज़ तक हर जगह सटाये गये. कुल मिला कर ऐसा माहौल बन गया कि जापान का सुनामी और परमाणु लिकेज मामला हल्का पड़ बगलें झांकने लगा. सुनामी लाने वाला समुन्दर और लिकेज लाने वाला रियेक्टर आपस में मिलकर खूब रोये कि एक तो जगह पहले ही गलत हो गई थी जहाँ वो आये और इस मैच के कारण टाईमिंग भी गलत हो गया. क्या फिर से कहीं और, फिर जल्द आना होगा. वैसे उन्हें मौके तो हम देते ही जा रहे हैं, उसकी कोई कमी नहीं बस शरम लिहाज जो उनमें है, सो ही बचाये है.
जरदारी नया सूट पहन कर आये मगर हमारे सरदार जी पुरानी पगड़ी मे ही डटे रहे. एक इन्च जानी पहचानी सदाबहार मुस्कान पूरे मैच के दौरान उनके चेहरे पर बनी रही. उन्होंने मैच के दौरान न तो युवराज की चिन्ता की और न उनकी मम्मी की. वो अलग से बैठे और बैठीं. जरदारी को लगा होगा कि सरदार जी इन्डिपेन्डेन्ट हो गये हैं ठीक उसी तरह जैसे कि इस मैच को देखे बिना आप यह कह उठें कि भारतीय टीम बहुत ताकतवर हो गई है, कंगारुओं के बाद अब पाकिस्तान को पछाड़ दिया. अगले मैच में श्री लंकनस की खैर नहीं. किसी ने इसकी चिन्ता नहीं की कि भारत जीता कि पाकिस्तान हारा. जीत तो आपको यूँ भी हासिल हो सकती है अगर अगला हार जाये. मगर यह इस प्रकरण का विषय ही नहीं बन पाया. विषय वही बनता है जो हमें सुहाता है. बाकी तो विषय होकर भी आऊट ऑफ सिलेबस हो जाता है.
जब कुली, मवाली, ठेलावी से लेकर रिक्शा चालक, गुंडा, नेता, व्यापारी, साहित्यकार, कवि, ब्लॉगर, बज़्ज़िया, फेसबुकर, सट्टाबुकर, ट्विटर, आर्कुटिया, चिरकुटिया, छात्र, मात्र, नौकरानी, देवरानी, जेठानी, बहुरानी सब बोलें तो भला लगातर बोलने वाले ज्योतिष कैसे चुप रह जायें. हमेशा की तरह ५०% ने बताया कि भारत जीतेगा. ५०% ने पाकिस्तान की जीत का तो दावा नहीं किया मगर कहा कि भारत हारेगा. टॉस तक बता गये कि कौन जीतेगा. बड़े नाम वाले ज्योतिष सेफ खेले. कुछ अखबारों को बताया कि भारत जीतेगा गणेष जी कृपा से और कुछ चैनलों को बताया कि भारत नहीं जीतेगा शनि की वक्र दृष्टि के कारण. कहीं न कहीं तो सही बैठ ही जायेगा. उतने क्लाईंटस की आस्था के आगे, बाकी की सुनेगा कौन. आस्था की आवाज डंका होती है और नास्तिक फुसफुसाते हैं. इसीलिए ये साधु संत फलते जाते हैं. यही सिद्ध फार्मूला है.
फिल्म स्टार भी मैच देखने पहुंचे. कैमरे उन पर तने रहे. मूंछ का हाव भाव गेंद के हिसाब से बदलता रहा. पूरा स्टेडियम रण क्षेत्र, पूरा भारत सजग, तैनात, जज्बाती, ज्ञानी और पारखी हो उठा.
सट्टेबाजी खुल कर हुई. फोन लाईनें व्यस्त रहीं. भाव हर गेद के साथ बदले. कोई जीता कोई हारा मगर रुपयों का क्या, मैच तो भारत जीता. वही सबको चाहिये था, सो हो गया. मनमोहना मुस्काये, मम्मी ने ताली बजाई, युवराज ने मुस्करा कर डिम्पल दिखाये. जरदारी क्या करते, अतः ताली बजाने लगे. वही हाल कश्मीर मसले पर है कि जब कुछ नहीं सुझता तो ताली बजाने लगते हैं. उनकी क्या गलती अगर टीम के ब्यॉज अच्छा नहीं खेले. इसे तो अफरीदी तक ने माना.
जीत के जश्न में पटाखे फूटे, गुलाल लगाया गया बस पतंग उड़ाना और राखी बाँधना रह गया मगर फिर भी त्यौहार तो मन ही गये.
मौहाली हॉट स्पॉट बन गया. सारे होटल बुक हो गये. सारे होटल को चलाने वाले बुक हो गये. सारे होटल में चलने वाले बुक हो गये.
तुम्हीं ने दर्द दिया है, तुम्हीं दवा देना...का फार्मुला लेकर मिडिया को चमकाया गया तो वो सब बुद्ध हो गये.
जो कल तक चिंगारी लगा रहे थे वो कहते मिले कि खेल को खेल भावना से लो. इसे युद्ध न समझो.
डर तो सबको लगता है प्रशासन को भी. तो संवेदनशील इलाकों में सतर्कता बरतना पड़ा. यहाँ संवेदनशीलता का मानक मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र रहा क्योंकि मैच पाकिस्तान के साथ था. दफ्तर बंद रहे. अघोषित छुट्टी के वातावरण में गर्मागरम माहौल में पुलिस थाने शांत रहे.
आज चोरियाँ, लूटपाट, बालात्कार, भ्रष्ट्राचार, भूत प्रेत, साँप सपेरा और बोरवेल में बच्चा गिरने के कम मामले सामने आये. कम से कम चैनल और अखबार देखकर तो यही समझ आया.
काश!! ऐसा मैच रोज हो. ज्यादा टेंशन नित के इन्हीं सब मामलों से होती है. सरकारी दफ्तर बंद भी रहेंगे तो चलेगा. खुले भी होते हैं तो कौन सा काम हो जाता है.
जनमानस तो लगता है अपने मानस से यह बिसरा ही बैठा है कि यह क्रिकेट विश्व कप, २०११ का सेमी फायनल था और अभी एक पायदान बाकी है जिसे श्री लंका को परास्त करके ही पूरा किया जा सकता है. फायनल मैच के लिए कहीं भी उस तरह कर उन्माद, उत्सव या उत्साह नहीं दिख रहा है जैसा कि भारत और पाकिस्तान के मैच को लेकर रहा. इस से बड़ा काम कर गुजरे, जब आस्ट्रेलिया को हराया, पर वो जोश नजर ही नहीं आया.
सेमीफायन वाले भी पड़ोसी ही थे और फायनल वाले भी पर पड़ोसी पड़ोसी का अन्तर आमजन का व्यवहार बता जाता है.
देखते हैं फायनल में कौन जीतता है- भारतीय टीम या श्रीलंकन टीम- अब कप किसी को भी मिले, भारत तो जीत गया.
(आलेख यहाँ तक आया उससे पहले भारत कप जीत चुका-बधाई)
85 टिप्पणियां:
acha lekh hai..jeetne ki badhai bhi...lekh ki bhi...
ऐसी सीरीज भी रोज हो. पूनम जी का मैं तो इंतज़ार कर रहा हूँ. अब यही कामना है कि उनका वादा भी पूरा हो जाय :)
बहुत सुंदर!
आप ने जिस रीति से बात कही है आनंद कर दिया।
यही तो है बात कहने का तरीका।
ठेठ जबलपुरी गंध आ रही है इस में।
sameer ji ,
namaskar ..!!
aapne itne behtar dhang se is lekh ko likha hia ki ,kya kahun , poora ek baithak me nahi ,kahiye ek hi saans me padh gaya ..
you are an amazing writer sir....
aapko aaj se apan guru bana liya , ab kavita ko chhodkar ,katha likhne ki koshish karunga aur aapke hi style me likhunga ..
have a good day sir, aapko nav swantswar ki badhayi , navraatr ki badhayi ..
vijay
ढेरों-ढेर बधाई.
बधाई समीर भाई !
हम जीत चुके हैं.. क्रिकेट में एक नए युग का सूत्रपात हो चुका है.....
जी ऐसा मैच रोज होना चाहिए ..खेल भावना वाला ...!
पूरी तरह क्रिकेटिया रंग में रंगा लेख है ...बधाई
पोस्ट की हेडिंग तो सबके दिल की आवाज़ है....
ये दीवानगी है क्रिकेट की अपने देश में :)
खेला खतम, पैसा हजम!
क्रिकेटिया बुखार की बड़ी सटीक तस्वीर उतारी है आपने. बधाई! मैं अक्सर सोचता हूं कि यह खेल सिर्फ उन्हीं देशों में क्यों खेला जाता है जो ब्रिटिश उपनिवेश रह चुके हैं. और यह दीवानगी उन्हीं देशों में क्यों है जो अंग्रेजों के गुलाम रह चुके हैं.यदि यह खेल इतना ही अच्छा है तो समाजवादी और पूंजीवादी देशों ने इसे क्यों नहीं अपनाया. जीत से खुश होना लाजिमी है. लेकिन भारत के कई शहरों में ख़ुशी का इज़हार बड़े भोंडे तरीके से किया गया. रांची में क्रिकेट के दीवानों ने शहीद अलबर्ट एक्का की मूर्ति में जड़ी बन्दूक तोड़ दी और अपने साथ ले गए. बाद में नशा उतरने पर प्रशासन के पास जमा किया. क्रिकेट का यह बुखार उदंडता की हद पार कर रहा है. और इसे हर स्तर पर प्रोत्साहित किया जा रहा है. यह बुखार कैसे उतरेगा. क्या आप मेरी शंकाओं का समाधान करेंगे..?
---देवेंद्र गौतम
@ देवेन्द्र जी
कभी इसे पढ़ियेगा...आपकी जिज्ञासा शांत होगी..यह क्रिकेट नहीं भीड़ का मनोविज्ञान है:
http://gadyakosh.org/gk/index.php?title=%E0%A4%86%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BE_%E0%A4%AD%E0%A5%80%E0%A4%A1%E0%A4%BC_%E0%A4%95%E0%A5%87_%E0%A4%96%E0%A4%A4%E0%A4%B0%E0%A5%87_(%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%AC%E0%A4%82%E0%A4%A7)_/_%E0%A4%B9%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A4%82%E0%A4%95%E0%A4%B0_%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%88
देश के जितने पर गर्व है पर ये बुखार सर चदा हुआ है
लिंक यह है:
http://hindini.com/fursatiya/archives/132
हारने पर दु:ख पर अपार देता है
बड़े भाई समीर जी यह आलेख कई मायने में अद्भुत है आपने हिन्दुस्तान की नब्ज सही पकड़ा है |इस आलेख के लिए बहुत बहुत बधाई और नवसम्वत्सर की शुभकामनाएं |
बड़े भाई समीर जी यह आलेख कई मायने में अद्भुत है आपने हिन्दुस्तान की नब्ज सही पकड़ा है |इस आलेख के लिए बहुत बहुत बधाई और नवसम्वत्सर की शुभकामनाएं |
हजारों बरस बेनूरी पर रोया गया तब जाकर पैदा हुआ चमन का दीदार करने वाला
जीत से खुशी मिली
अब आगे की ओर देखना है
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Bahut din ho gaye aapse mukhatib huye huye...Ab to final ka parinam bhi aa gaya...Bhartiya hone ka garv hai hamein...
AApko hardik badhayee Bharat ki jeet par.
सुनामी लाने वाला समुन्दर और लिकेज लाने वाला रियेक्टर आपस में मिलकर खूब रोये कि एक तो जगह पहले ही गलत हो गई थी जहाँ वो आये और इस मैच के कारण टाईमिंग भी गलत हो गया. क्या फिर से कहीं और, फिर जल्द आना होगा. वैसे उन्हें मौके तो हम देते ही जा रहे हैं, उसकी कोई कमी नहीं बस शरम लिहाज जो उनमें है, सो ही बचाये है.
भारत - पकिस्तान के बीच खेले गए मैच को सच ही राजनैतिक रंग दे दिया गया ...बाकी सारे मुद्दे पीछे छुट गए ...बहुत सी बातों की ओर इंगित करता सटीक लेख
भीड़-तंत्र का ही कमाल है आप आसमान की तरफ़ उंगली उठा कर कहना शुरू कर दीजिए, देखो कितनी अद्भुत चीज़ दिख रही है...भीड़ लगेगी तो चार-पांच ज़रूर आपकी हां में हां मिलाना शुरू कर देंगे कि हां भई हां दिख रहा है...साथ में फिर ये और कह दो कि नेक दिल वालों को ही वो चीज़ दिखती है...फिर तो अधिकतम लोग कहना शुरू कर देंगे कि हां-हां मुझे भी दिख रहा है...
गुरुदेव, आपने कहा तो मुझे भी यूसुफ़ रज़ा गिलानी की जगह आसिफ़ अली ज़रदारी ही मोहाली के स्टेडियम में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ नज़र आने लगे....
नवरात्र और नवसंवत्सर की बहुत बहुत बधाई...
जय हिंद...
सब गिले शिकवे और मुद्दे पीछे छूट गए -यहाँ तो विश्वकप जीतने की खुशी में मुस्लिम भाईओं ने ऐसा जश्न मनाया कि हिन्दू भायी पिछवाड़ा पकड़ लिए ..बहुत मजा आया -इस जीत का हुडदंग और भारत की विश्व विजय की खुशी को देखकर !
सुंदर लेख, सुंदर विवेचना. अब तो भारत विश्व विजयी भी बन गया है. और ये सब संभव हुआ है नौजवानों के आत्मविश्वास से. यह आत्मविश्वास अगर कायम रहेगा तो कोई भी मंजिल बड़ी नहीं लगेगी.
जो कल तक यह भी नहीं जानते थे कि कितनी टीमें खेल रहीं हैं. कौन कप्तान है, वो भी रातों रात विशेषज्ञ हो गये.
सुनामी लाने वाला समुन्दर और लिकेज लाने वाला रियेक्टर आपस में मिलकर खूब रोये कि एक तो जगह पहले ही गलत हो गई थी जहाँ वो आये और इस मैच के कारण टाईमिंग भी गलत हो गया.
सरकारी दफ्तर बंद भी रहेंगे तो चलेगा. खुले भी होते हैं तो कौन सा काम हो जाता है.
haha....umda !!
moreover bahut badhayiyan bhee!Cheers !!
wah bhaiya wah!!
apni Team India ne to gajab ka jajba deekha diya..!!
ant me bhaiya...
aapki book ke liye bhi shukriya:)
छा गए आप तो.. भारत से बाहर रहकर भी भारत की एक एक नब्ज को बड़ी नजाकत से पकड़ा है आपने..
लाजवाब विश्लेषण!
सिर्फ विश्लेषण नहीं है ये.
आह क्रिकेट,वाह क्रिकेट !
अब कहाँ रह गए सीक्रेट !
धर्म क्रीकेट ,कर्म क्रिकेट .
आँख की है शर्म क्रिकेट ,
बाज़ियाँ लगने लगीं ,
औ' काम ठप्प हुए यहाँ सब
एक ही बस मर्म क्रिकेट ,
आह क्रिकेट,वाह क्रिकेट !
बढिया खाका खींचा गया है। भारत के जीत की बधाई।
बढ़िया लेख :)
बढ़िया लेख :)
बढ़िया लेख :)
बढ़िया लेख :)
बढ़िया लेख :)
समीर जी ,
एक सुझाव देना चाहूंगी ....आपने ज़रदारी नाम लिखा है लेख में ... मैच देखने ज़रदारी नहीं गिलानी आये थे ...अत: नाम सही कर दीजियेगा ..आभार
ye post to dipawali ki fuljhari saman hai...........
क से कप तुम ले लो और क से कश्मीर हमें दे दो । शानदार विश्लेषण...
शानदार भड़ास समीर जी , सिर्फ लेख में एक त्रुटि है, जरदारी की जगह गिलानी होना चाहिये था ! भारत -पाक मैच से पहले मैं भी यही एक्स्पेक्ट कर रहा था कि जरदारी आता तो जोड़ी ज्यादा ख़ूबसूरत लगती ; एक सोफे पर जरदारी दूसरे पर सरदारी :)
अच्छा आलेख। लंका विजय की आपको भी बधाई।
बधाई समीर भाई इस लाजवाब ठेठ अंदाज़ में आँखों देखा हाल परोसने का ....
मज़ा आ गया ...
जरदारी नया सूट पहन कर आये मगर हमारे सरदार जी पुरानी पगड़ी मे ही डटे रहे. एक इन्च जानी पहचानी सदाबहार मुस्कान पूरे मैच के दौरान उनके चेहरे पर बनी रही. उन्होंने मैच के दौरान न तो युवराज की चिन्ता की और न उनकी मम्मी की. वो अलग से बैठे और बैठीं. जरदारी को लगा होगा कि सरदार जी इन्डिपेन्डेन्ट हो गये हैं.
wah kitna sundar aur sahi varnan hai....
कुली, मवाली, ठेलावी से लेकर रिक्शा चालक, गुंडा, नेता, व्यापारी, साहित्यकार, कवि, ब्लॉगर, बज़्ज़िया, फेसबुकर, सट्टाबुकर, ट्विटर, आर्कुटिया, चिरकुटिया, छात्र, मात्र, नौकरानी, देवरानी, जेठानी, बहुरानी.... कितने रिश्ते जोड लिए क्रिकेट ने :)
पड़ोसी पड़ोसी का अन्तर आमजन का व्यवहार बता जाता है.
jai baba banaras....
पड़ोसी पड़ोसी का अन्तर आमजन का व्यवहार बता जाता है.
jai baba banaras....
आपकी बात, अपनी बात, सबकी बात।
वाह, क्रिकेटमयी माह। अब तो भारत जीत गया है।
आप सब नव संवत्सर तथा नवरात्रि पर्व की मंगलकामनाएं.
लेखक की नजर से मैच दिखा दिया आपने :) आभार.
Sach hai ki jeet par aesaa jashn
roz hee ho aur sadbhaav paida karta
rahe . Desh - videsh mein saare
bhartiyon ko haardik badhaaee .
बेहतरीन आलेख ।
बधाई।
jeet gaye cup
सभी क्रिकेट प्रेमियों को भारत के विश्व विजेता बनने पर ढेरों बधाई.
पहले तो बधाई इस बेहतरीन आलेख की ...इसके साथ ही विजयी होने की भी ...।
यही तो क्रिकेट का जादू है । इस दीवानगी में हम भी शामिल हैं ।
और हमें फ़क्र है ।
बहुत रोचक अंदाज...बहुत सुन्दर ..नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनायें!
सभी क्रिकेट प्रेमियों को भारत के विश्व विजेता बनने पर ढेरों बधाई.
आलेख के लिए बहुत बहुत बधाई
बहुत सुन्दर!
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नवरात्र के प्रथम दिन माँ शैलपुत्री को प्रणाम करता हूँ!
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नवसम्वतसर सभी का, करे अमंगल दूर।
देश-वेश परिवेश में, खुशियाँ हों भरपूर।।
बाधाएँ सब दूर हों, हो आपस में मेल।
मन के उपवन में सदा, बढ़े प्रेम की बेल।।
एक मंच पर बैठकर, करें विचार-विमर्श।
अपने प्यारे देश का, हो प्रतिपल उत्कर्ष।।
मर्यादा के साथ में, खूब मनाएँ हर्ष।
बालक-वृद्ध-जवान को, मंगलमय हो वर्ष।।
"काश!! ऐसा मैच रोज हो
वाह, बहुत खूब
पूरे देश को बधाई और टीम इंडिया को बधाई..
नव संवत्सर तथा नवरात्रि पर्व की बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
हाँ ऐसा मैच तो रोज़ ही हो अंकल ....... नए साल और वर्ल्ड कप जीत की बधाई... शुभकामनायें आपको भी
बधाई हो...लिखने, छपने और जीतने की.
sarkari daftaron ko band karvane ka khyal achcha hai...
बाजार जीत गया क्रिकेट का. हार गया घोटालों के विरुद्ध लड़ने वाला आम आदमी..
भारत के विश्व कप जीतने और नवसंवत्सर की हार्दिक शुभ कामनाएँ.
शायद आप मेरे ब्लॉग पर आ बिना टिपण्णी के चले जा रहें हैं.ऐसी क्या नाराजगी है समीरजी?
आपके आशीर्वाद के बैगर कैसे खड़े हो पायेंगें ब्लॉग जगत में.अपनी लगाई पौध को क्या सूख जाने देंगे यूँ ही ?
हमें गर्व है कि हमने ये ’लाइव’ पढ़ा है समीरलाल जी.
एक बधाई मेरी ओर से भी। ये रही...।
बेहतरीन ...
नव संवत्सर की हार्दिक शुभकामनायें !
इस लेख के प्रकाशन पर आपको बधाई और प्यार.
“We congratulate India on winning the semi-finals. As a good-will gesture, India can keep Pakistan’s prime minister. And if it wins the finals, we will give our president too.”
मॉडरेशन के बावज़ूद मैं यह कहूँगा कि,
क्रिकेट पूरे भारतवर्ष को जोड़ने की एक अपरिभाषित ताकत बन कर सामने आयी है ।
मुझे सबसे अधिक खुशी यही है, कि ट्रॉफी से बहुत पहले ही सेमीफाइनल तक आने के सफ़र के दौरान ही भारतवासियों ने अपने क्रिकेट-बुखार को लेकर अद्भुत एकजुटता दिखायी ।
चार साल पर ही ठीक है। कई और काम भी होते हैं।
आनन्द में व्यंग्य है या व्यंग्य में आनन्द !ये आपकी लेखनी है जादुई ! वैसे मैच चलते हुए अपराध कम नही हुए ! पर यह विजय सबके जीवन को मीठी फुहार दे गयी ! बधाई !
congratulation ji
india is the best ha ha ha
regards
कई स्तरों के खेल । मज़ा लेते हम सब!
aap ne thik kaha ye bhid ka manovigyan hi tha
khel nahee khelaa thaa.
mohaali waasiyon se poochho
jinhone ise jhelaa thaa.
aadarniy sir
aapka lekh padh kat bahut hi aanad aaya aisa laga ki ham padh nahi rahe hain balki aapke dwara vaha ka aakho deha mahoul ka bayaan dekh bhi rahe hain .
bahut hi prabhav shali tareeke se aapne apne lekh ko likh kar bahut hi prbhavit kar diya hai .
bahut bahut badhai is prabhav -parak aalekh avam vishv -cup jeetene ke liye
sadar dhanyvaad
poonam
Sach cricket me saare desh ko jaise ek sutra me piro dia h... cricket aisa relegion ban chuka h jisme oonch neech ka koi sthaan nahi h.. lovely post :)
jeetne ki badhai ,padhkar aanand aa gaya .wakai man jhoom utha khushi se .
यही तो है बात कहने का तरीका, बधाई समीर भाई !
main to itna hi kehungi 'AAMIN' :)
जनाब भारत तो जीत गया आपने सार्थक व्यंग लिखा है उसकी कसक कहाँ गयी है वो तो तल्ख़ हकीकत है जिसके दर्द को मुस्कान बन्ने में जाने कितना समय लगेगा ..या मुस्कान सपना ही रहेगी बारहाल आपकी कलम को सलाम
aasa prem kahi nahi dhekha........ jai bete ko lagti hai maa ko dard hota hai. maa ko dard isleye hota hai becoz wo aapne bete se bahoot prem kari hai .isi prakar gab india harti hai tab media ko dard hota hai.aab inka rista aap bataea???
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