बुधवार, अप्रैल 27, 2011

पटना अमरीका से कनाडा चला आया-बस, एक हफ्ते के लिए!!!

लगभग साल भर पहले एक पोस्ट आई: समीर लाल & अनूप शुक्ल. शीर्षक अजीब था लेकिन उस वक्त के ब्लॉगजगत के माहौल में ऐसी ही पोस्टें आ रही थीं और निश्चित ही, ऐसी कोई भी पोस्ट मेरा और अनूप शुक्ला का ध्यान आकर्षित करने के लिए तो काफी थी ही. मेरा नाम शीर्षक में हो और मैं न देखूँ? न भी देखूँ तो मित्र दिखवा ही देते.

तब वो पोस्ट पढ़ी और जिस खिलंदड़े अंदाज में उस समय के व्याप्त तनाव के बीच यह पोस्ट लिखी गई थी, वो काबिले तारीफ थी. बस, मुरीद हो गये इस लेखन शैली के. फिर पढ़ डाला पूरा ब्लॉग: भानुमति का पिटारा. पहले हल्का फुल्का बिना खास तव्वजो के पढ़ा भी था मगर अब रडार पर था.

उसी के आस पास या इधर उधर फिर राजू बिन्दास (राजीव ओझा जी)  के अखबार के कॉलम में ’विदेश में बसे देसी’ में मेरा और इनका जिक्र साथ साथ आया, तो और जाना.

पता चला और फिर धीरे धीरे जाना कि एक पटना अमेरीका में आ बसा है. वही अंदाज, वही सलीका (?) :), वही बोलने का ढंग, वही अपनापन और फिर अमरीकियों के बीच किसी अमरीकी से कम नहीं, न ज्ञान में, न शान में.

कई बार फोन पर बात हुई. कब सह ब्लॉगर से खुद ही प्यारी सी बिटिया बन बैठी, न मैं जान पाया और न मेरी पत्नी साधना.

फिर पता चला कि टोरंटो आ रही है किसी परिवारिक प्रयोजन से. बात हुई तो बताया कि अपनी मौसी के पास आ रही है. उसकी मौसी लता पांडे हमारी पूर्व परिचिता निकली. साथ साथ टी वी पर और कई कवि सम्मेलनों में काव्य पाठ का सिलसिला रहा है.

बस, पिछले शुक्रवार को शाम मेरे घर से ८० किमी दूर अपनी मौसी के घर रुकी स्तुति पांडे से मिलने हम जा पहुँचे सपत्निक मिसिसागा. मेरे बेटे के घर से पाँच मिनट की दूरी पर.

लगा ही नहीं कि पहली बार मिल रहे हैं. बहुत आनन्द आया. किताब ’देख लूँ तो चलूँ’ भी भेंट कर दी (पता नहीं पढ़ी भी कि नहीं), आशीर्वाद भी दे दिया, फिर आने का वादा भी ले लिया और स्तुति के हाथ की बनी चाय और उन्हीं हाथों से परोसे समोसे का आनन्द भी लिया गया. मैने जब सिर्फ आधा समोसा लिया तो स्तुति के चहेरे पर खुशी देखने लायक थी. कारण मेरा संयम नहीं, उसके लिए अतिरिक्त उपलब्धता ही होगा क्यूँकि टोरंटो जैसे समोसे उसके शहर में तो मिलने से रहे. ढेरों बात हुई. अच्छाई बुराई ऑफ ब्लागर्स की गई. हूंह, बतायेंगे थोड़े न किसी का नाम!!! हम तो अजय झा, प्रशान्त, पंकज, अभिषेक आदि किसी का नाम भी क्यूँ बतायें- जस्ट गैस!!!

करीब एक घंटा पाँच मिनट में बीत गया और फिर भारी मन से विदा ली गई. जब तक कार पहले मोड़ से मुड़ नहीं गई, स्तुति हाथ हिलाते नजर आई या हो सकता है, नजर रख रही हो कि कहीं लौट न आयें. समोसे तो बचे हुए थे ही. बाद में अकेले दबाकर खाई होगी पक्का!!!

वही हाथ हिला कर अलविदा कहती स्तुति की तस्वीर जेहन में बसाये लौट आये फिर कभी मिलने की ख्वाहिश को थामे. अगली सुबह उसे अमरीका लौट जाना था.

यही तो है जिन्दगी!!!

अब देखो कब मिलना होता है मगर यह मिलन यादगार रहा.

कुछ तस्वीरें उस मौके की:

st1a

 

st2a

 

st3a 

यूँ

इसके पहले

मिले तो न थे कभी

पर

जब मिले

तो लगा

कि

फिर मुलाकात हुई!!

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101 टिप्‍पणियां:

रश्मि प्रभा... ने कहा…

mulaakat bhi dilchasp......

Stuti Pandey ने कहा…

प्रिय अंकल और आंटी, आप दोनों से मिल कर मुझे भी नहीं लगा की मैन पहली बार मिल रही हूँ. आप दोनों मिलने आये मेरे लिए यही सबसे बड़े सौभाग्य की बात थी. और हाँ, आपकी किताब मैंने प्लेन में आते समय पढ़ डाली, आजकल को किताब मेरे पडोसी के यहाँ है. :) और हाँ, आपके जाने के बाद मैं और शिवम टूट पड़े थे समोसे पर. मौसी ने जब पूछा तो मैंने कहा की अंकल के सामने दूसरा समोसा लेती तो वो लोग क्या कहते की एकदम चट्टन है. :D :D

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

बढिया मिलन रहा। समोसा वैसे भी आपको कम ही खाना चाहिए, स्तुति पाण्डे ने सही किया। :)

विवेक रस्तोगी ने कहा…

वाह मजा आ गया, ई मुलाकात के बारे में जानकर, वही हम सोचे कि भारतीय और केवल आधा समोसा और फ़िर भी प्लेट में समोसे रखे रह गये, वो तो स्तुती ने ऊपर टिप्पणी में बता दिया :)

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

वो जो दाढ़ी वाले थे, वो कहां हैं, उनको खोजा जाये पहले...
तभी हम कुछ कमेन्ट करेंगे...

Taarkeshwar Giri ने कहा…

Achha laga

संजय भास्‍कर ने कहा…

आदरणीय गुरदेव
नमस्कार जी
मजा आ गया, ई मुलाकात के बारे में जानकर,

संजय भास्‍कर ने कहा…

बढ़िया मुलाकात समीर जी

Archana Chaoji ने कहा…

स्तुति से मिलना/के बरे में जानना.. सुखद रहा..
आभार..

मनोज कुमार ने कहा…

बहुत सुंदर संसमरण! स्तुति पांडे को पढ़ना अच्छा लगता है।

एक शे’र अर्ज़ है ...

कोई मिला तो हाथ मिलाया, कहीं गए तो बातें की,
घर से बाहर जब भी निकले बस आधा समोसा खाया है !

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

अच्छा लगा ये इस दिलचस्प मुलाकात के विषय के बारे में जानकर

Udan Tashtari ने कहा…

॒ मनोज भाई,


वाह जी जनाब, क्या खूब शेर चमकाया है
लगा कि गुलेल से हवाई जहाज गिराया है.....


घर से बाहर जब भी निकले बस आधा समोसा खाया है
बाकी बचे समोसों को मेजबान ने सटकाया है...

:)

Girish Kumar Billore ने कहा…

स्तुति जी
लम्बी ऊड़ान थी,
पढ़ ही लिया होगा ट्रेवलाग
एक गोपनीय किंतु ओपनीय तथ्य ये है कि अपने भाई साब हैं ही गज़ब उनसे अधिक उत्साही भाभी सा’ब हैं.

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

शीर्षक पसन्‍द आया।

Stuti Pandey ने कहा…

हा हा ...आप सब की शेर - ओ - शायरी समोसे से भी ज्यादा गज़ब ढा रही है.

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

यही तो ब्लागरी की विशेषता है, ऐसी मुलाकातें ब्लागरों की जिन्दगी का हिस्सा बन चुकी हैं।

Shah Nawaz ने कहा…

बढ़िया रही स्तुति से यह मुलाकात, इस बहाने उनके ब्लॉग को पढने का मौका भी मिल गया...

Dev K Jha ने कहा…

वाह वाह, मजा आया चित्र देख कर...
बहुत सही....
समोसा के साथ चटनी कौन सा था जी...

:-)

PD ने कहा…

हम इस लड़की को अच्छे से जानते हैं.. झूट्ठे का बोल रही है कि किताब पढ़ लिए..
वैसे मुझसे फोन पर आपसे अधिक आंटी जी की तारीफ़ हुई है.. :)

Udan Tashtari ने कहा…

@PD:

वही सेफ जोन है भाई...दुनियादारी स्तुति भी समझती है कि किसकी तारीफ झूठमूठ कर देना है. :)

Udan Tashtari ने कहा…

@ देव


अभी चटनी बता देंगे तो लार टपकाओगे..खुदे बनाई थी स्तुति..एकदमे यम्मी!!!

Udan Tashtari ने कहा…

@PD:


कल फोन करके उससे किताब से क्यूश्चेन पूछे जायेंगे. :) नहिं पढ़ी होगी तो धरा जायेगी तुरंते!!

PD ने कहा…

हा हा हा.. ये सही रहेगा.. :D
हमको तो यही डर लग रहा है कि कहीं नुका के सुन रही होगी ई चट्टन.. बाद में मेरा क्या हाल करेगी.. :-|

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

"एकदम चट्टन है. " -- ke baare me padh kar achchha laga...:)

Stuti Pandey ने कहा…

लीजिए हम अभिये बता देते हैं, वो ट्रक से बाहर मूह निकाल के हवा खाता सूअर..वो सिगरेट पीती पीछे वाली गाडी में महिला..वो गृह प्रवेश...वो अंग्रेज....वो हाँथ में कॉफी ...और कोई कोस्चन है?

pallavi trivedi ने कहा…

aajkal blogging se itne door ho gaye hain ki kai achche blogs ke baare mein pata hi nahi chal pata... aapne stuti se parichjay karaya. dhanyvaad...

vijay kumar sappatti ने कहा…

sir , ham to aapse hamesha hi milna chahte hia ... kuch kariye iska ilaaj , aap jabalpur aa jaayiye , ham bhi wahi ek ghar bana lete hai ...

Sushil Bakliwal ने कहा…

सुमधुर मुलाकात के मीठे संस्मरण, चटपटे समोसों के साथ. आनन्दम्...

Pawan Kumar ने कहा…

समीर जी
सुखद संयोग बना होगा निश्चित ही इस मुलाकात में...... स्तुति का कमेन्ट भी पढ़ा. ऐसी मुलाकातें जीवन में नया मोड़ ला देती हैं.

PAWAN VIJAY ने कहा…

बढ़िया मुलाकात लेकिन एक सवाल अनुत्तरित है दाढीवाले कहा हैं?

Satish Saxena ने कहा…

स्तुति सौभाग्यशाली है कि आप जैसे स्नेही युगल को खींचने में कामयाब हुई !

आप जैसे स्नेही पति पत्नी बहुत कम मिलते हैं और निस्संदेह आप दिल पर अपनी छाप छोड़ने में समर्थ हैं !

शुभकामनायें आप दोनों को !

rashmi ravija ने कहा…

बहुत ही यादगार रहा ये मिलन तो...
स्तुति की रीसेंट तस्वीर भी देखने को मिली...बड़ी स्मार्ट लग रही है...अपनी पटना की बालिका...नज़र ना लगे...चश्मेबद्दूर :)

अन्तर सोहिल ने कहा…

यूँ इसके पहले
मिले तो न थे कभी
पर जब मिले
तो लगा कि
फिर मुलाकात हुई!!

mridula pradhan ने कहा…

जब मिले
तो लगा
कि
फिर मुलाकात हुई!!
bahut achcha sansmaran...uspar ye pangtiyan......wah.

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत दिलचस्प...

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

एक अच्छी मुलाकात...एक दिलचस्प संस्मरण...

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

स्तुति पांडे के समोसे बड़े लजीज निकले --समीर जी ! सब के समोसे खाते हे आप कभी मेरे घर भी आऐ--समोसे आप के इन्तजार में हे --?

रवि धवन ने कहा…

बहुत बढिय़ा सर जी।
इस तरह की पोस्ट पढ़कर ज्यादा खुशी होती है।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

Kuch log aise hi hote hain .... dil mein jagah kab bana lete hain pata hi nahi chalta ....

shikha varshney ने कहा…

प्यारी मुलाकात और स्वादिष्ट समोसे ..आधा छोड़ कर अच्छा नहीं किया आपने अरे रख लाते जेब में फिर यहाँ भिजवा देते :)

Rahul Singh ने कहा…

यह भी खूब रही. मिले तो लगा मिले हैं, मिलेंगे.

pratibha mishra 8574825702 ने कहा…

apnee dhartee aur apno se milna koi bhul naheen pata aapne shabd chitr kheench diya.

डॉ टी एस दराल ने कहा…

विदेश में किसी परिचित से मिलना निसंदेह बड़ा सुखद रहता होगा ।
बढ़िया रहा यह मिलन भी और संस्मरण भी ।

Darshan Lal Baweja ने कहा…

शुभकामनायें

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

जब मिले

तो लगा

कि

फिर मुलाकात हुई!!

बहुत सुन्दर वर्णन मुलाक़ात का ...

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

उसकी मौसी लता पांडे हमारी पूर्व परिचिता निकली

The world is soooo small :)

रंजना ने कहा…

अरे इस बच्ची की प्रतिभा और चपल सरल स्वभाव की मुरीद तो मैं भी हूँ...

बड़ा सुखद लगा उसके बारे में जानना और फोटू देखना...

Parul kanani ने कहा…

aakhir mein kya gajab keh diya sir :)
saransh yahi to hai :)

Rachana ने कहा…

यूँ

इसके पहले

मिले तो न थे कभी

पर

जब मिले

तो लगा

कि

फिर मुलाकात हुई!!
puri mulakat ke bad ye panktiya man ko chu gain
aapne itna achchha likha hai ki mujhe to laga ki me bhi vahan upasthit hoon
saader
rachana

Abhishek Ojha ने कहा…

शीर्षक देखते ही समझ में आ गया था कि पटना किसके अन्दर 'समा' सकता है :)

राजीव तनेजा ने कहा…

ब्लोगिंग चीज़ ही ऐसी है कि नए चेहरे भी बरसों पुराने मित्र सरीखे लगते हैं

Vaanbhatt ने कहा…

अच्छी मुलाकात रही...कनाडा में समोसों के जिक्र से ही लगा वहां के समोसे शायद कभी मिलें...

राजेंद्र अवस्थी. ने कहा…

अविस्मरणीय मुलाक़ात,
परिचय की मोहताज नही रही..


मिलते रहिये के मिलना जरूरी है,
जरूरत हो न हो मुलाक़ात जरूरी है..

अजय कुमार झा ने कहा…

हा हा हा हा ...हमको पहिले ही बता दी थी कि जा रहे हैं कनेडा में उडनतशतरी का सैर करेंगे ..बकिया समोसा पक्का इसीलिए छोडी होगी तब कि बाद में चिबा के खा जाएंगे । एक बात और ...अब कम से कम पांच सौ फ़ोटो खींच के आई होगी ..ई पूरा साल फ़ेसबुक पे साट साट के इतराती रहेगी । पूरा अमरीका को पट्नैया हाट बनाए रहती है .....भडकुस्सा उडाए रहती है ...इसका नाम है चुलबुलिया पांडे ..असली नाम । समझ सकते हैं कि मुलाकात के दौरान क्या क्या बोली होगी .....दिल्ली मेट्रो एक बार कनेडा तक शुरू हो जाए फ़िर लगाते हैं हम भी चक्कर

सुज्ञ ने कहा…

मृदुल मुलाकात!!


-_________
निरामिष: अहिंसा का शुभारंभ आहार से, अहिंसक आहार शाकाहार से
सुज्ञ: ईश्वर हमारे काम नहीं करता…

PD ने कहा…

सब कुछ जादे ही इस लड़की की तारीफ़ कर दिए हैं.. अब तो सर पे चढ़कर नाचेगी.. :)

***Punam*** ने कहा…

अपनों से मुलाकात...
खूबसूरत..!!

राज भाटिय़ा ने कहा…

अजी आप की सेहत का राज कही यह समोशे तो नही:) बहुत सुंदर जानकारी ओर सुंदर चित्र, ओर बहुत प्यारी मुलाकात

Pratik Maheshwari ने कहा…

ब्लॉग परिवार भी काफी बड़ा परिवार बन रहा है.. अच्छा लगा पढ़ के.. अब भारत आ कर मिलें तो हमारे भाग्य का सितारा चमके ज़रा :)

दीपक 'मशाल' ने कहा…

औचक एवं रोचक मुलाक़ात अंकल.. मज़ा आया हास्य के पुट में पढ़कर..

दीपक 'मशाल' ने कहा…

इक और बात... आप कोई भी लुक रखें सौरभ शुक्ला के भाई जरूर लगते हैं.. :P

Amrendra Nath Tripathi ने कहा…

बढ़िया मुलाकात !
एकाएक बीते दिनों की सुन्दर खोज !

उपन्यासिका देख रहा हूँ, आज-कल !

आभार !!

Arvind Mishra ने कहा…

आपकी मुलाकातों का कोई जवाब नहीं ये ब्लॉग जगत की मुक्का लातों से कितनी अलग होती हैं :)

Mansoor ali Hashmi ने कहा…

'स्तुति' जब 'समीर' करे तो किसे न भाय,
दावत नहीं है महंगी,बस आधा समोसा खाय,
याँ दिल हुआ 'कबाब' है अपने है अपने ही देस में,
'पटने' के 'पांडे' कर रहे 'परदेस' में एन्जॉय.

-mansoor ali hashmi
http://aatm-manthan.com

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

यह मुलाकात तो जानी पहचानी लगती है, याद आ रहा है कि हम भी आपसे मिल चुके हैं। वाह, यही माहौल बना रहे।

आकर्षण गिरि ने कहा…

यूँ इसके पहले
मिले तो न थे कभी
पर जब मिले
तो लगा कि
फिर मुलाकात हुई!!

दिल को छू गईं.....

-आकर्षण

मेरे भाव ने कहा…

परदेस में कोई अपने देस का मिले तो कैसी ममता उमड़ आती है. रोचक संस्मरण .

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

Waise bhi chalna firna sehat ke liye faydemand hota hai. :)
............
ब्लॉdग समीक्षा की 12वीं कड़ी।
अंधविश्वास के नाम पर महिलाओं का अपमान!

Unknown ने कहा…

Aap se koie pahali baar milta hai to lagata hee nahi ki pahali baar mil rahe hai....

yeh aap ka quality hai.....

deeli agaman kab hoga ..intizaar hai..

jai baba banaras.....

सहज समाधि आश्रम ने कहा…

समीर जी मेरे पास एक नोकिया ३११० में रिकार्डर में
रिकार्ड की गयी amr file है । मैं इसको amr प्लेयर
से mp3 और wav में कन्वर्ट भी कर चुका हूँ । अब
कृपया इसे ब्लाग में पोस्ट करने का तरीका बतायें ।
मेरा ई मेल - धन्यवाद ।
golu224@yahoo.com

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

स्तुति से मिलना/के बरे में जानना.. सुखद रहा..
आभार..

Dr Varsha Singh ने कहा…

स्तुति पाण्डे के बारे में जान कर अच्छा लगा .

दिलचस्प मुलाकात .......

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

मुझे भी "पा" कहकर बुलाती "थी".. जब बीमार थी तो मैं हाल पूछ लिया करता था.. इधर का पता नहीं.. शायद कनाडा और नोयडा में सिर्फ "डा" समान है.. और असमानताएं बड़ी लम्बीईई!!
जीती रहो इस्तुती बेटा!!

शारदा अरोरा ने कहा…

है किसको पता , कौन गीतों में उतरेगा
नज्मों में ढलेगा रूहे आसमानी की तरह

विष्णु बैरागी ने कहा…

भेट विवरण तो अपनी जगह रोचक और बॉंधे रख्ननेवाला है ही किन्‍तु सबसे आखिरवाली तस्‍वीर ने बडी राहत दी। आपने मुझे दुबला होने का सुख दे दिया।

रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक ने कहा…

दोस्तों, क्या सबसे बकवास पोस्ट पर टिप्पणी करोंगे. मत करना,वरना.........
भारत देश के किसी थाने में आपके खिलाफ फर्जी देशद्रोह या किसी अन्य धारा के तहत केस दर्ज हो जायेगा. क्या कहा आपको डर नहीं लगता? फिर दिखाओ सब अपनी-अपनी हिम्मत का नमूना और यह रहा उसका लिंक प्यार करने वाले जीते हैं शान से, मरते हैं शान से (http://sach-ka-saamana.blogspot.com/2011/04/blog-post_29.html )

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

बहुत अच्छा लगा समीर जी |

हम लोगों का ब्लाग पर ही बिना मिले-जुले एक अनोखा आत्मीय सम्बन्ध सा बन जाता है फिर यदि मुलाक़ात भी हो गयी तो क्या कहना !

ईश्वर इस प्रेम भावना को कायम रखे , यही प्रार्थना है |

www.navincchaturvedi.blogspot.com ने कहा…

'आधा समोसा लिया' जैसे वाक्यांश इस स्नेह को परिभाषित करने के लिए पर्याप्त हैं|

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

aadarniy sir
pata nahi aapki lekhan me kya baat hai ki jab bhi ki post padhti hun ek nayi cheej naye andaj ko paati hun.
kabhi kabhi paraye bhi kitne apne ho jaate hain jinko ham jante tak nahi par milne par aisa hi lagta hai ki ham pahle se hi ek -dusre ko jate hain .sach yah rishta bhi bada hi anutha hota hai .
ishwar karen punah unse aapki jald hi mulakaat ho
bahut hi bhavnatmak post
sadar naman
poonam

KAVITA ने कहा…

बढिया ई मुलाकात!

rafat ने कहा…

यूँ
इसके पहले
मिले तो न थे कभी
पर
जब मिले
तो लगा
कि
फिर मुलाकात हुई!!..यही मुकम्मल टिपण्णी है अगर हो सकी .कल से ५ बार कई तरीके से आपका आभार प्रकट करने की कोशिश की है पर हर बार ब्लोगेर एरर करता हैइस बार देखें ..खुदा हाफिज

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

अपने देश के लोग हो और उस पर भी साहित्य प्रेमी तो भला मिलने से कौन रोक सकता है..बढ़िया प्रस्तुति...बधाई

virendra sharma ने कहा…

par jab mile to lgaa ki mulaakat hui
sundar vritaant .
veerubhai .

Asha Lata Saxena ने कहा…

आपका हर आर्टिकल रोचक होता है |मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आभार
आशा

जीवन और जगत ने कहा…

बढि़या संस्‍मरण। पढ़कर ऐसा महसूस हुआ मानों हम भी उस मुलाकात में शरीक रहे हों।

Shikha Kaushik ने कहा…

bahut achchhi prastuti ....aap ,sadhaana ji v stuti ..

ज्योति सिंह ने कहा…

यूँ

इसके पहले

मिले तो न थे कभी

पर

जब मिले

तो लगा

कि

फिर मुलाकात हुई!!
badi lambi yaatra rahi aapki magar dilchsp bhi .

रूप ने कहा…

अच्छी तस्वीरें, बोलती सी. भई वाह, समीर जी , एक छोटी सी शिकायत और हर कृति पर टिपण्णी . बहुत बड़ा दिल है आपका, जो इस नाचीज़ के ब्लॉग पर टिप्पणियां भेजीं. स्नेह बनाये रक्खें. ब्लॉग्गिंग की दुनिया में बड़ा नाम है आपका और आपकी हौसला -अफजाई हमे प्रेरित करती रहेंगी ! साधुवाद .

Suman ने कहा…

bahut saral rochakl likhate hai....
acha laga padhkar, blog anusaran kar rahi hun..

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

वाकई दिलचस्प मुलाकात...सुन्दर फोटो भी.

ZEAL ने कहा…

A sweet post with lovely pics. Nice meeting the two beautiful ladies in the pic. I'm also missing "Samosa" Its been a year almost I have not tasted it.

Unknown ने कहा…

दुनिया बहुत छोटी है और गोल भी. क्या पता कहाँ कब कौन कैसे मिल जाये?
आपका लिखने का दिलचस्प अंदाज़ आपको औरों से अलग करता है..

मेरे ब्लॉग पर आयें, स्वागत है.
चलने की ख्वाहिश...

Manas Khatri ने कहा…

bada hi yaadgaar milan tha...badi hi khoobi se use blog par utara..shubhkaamnayein..

संतोष त्रिवेदी ने कहा…

जब भी किसी पुराने से मिलते हैं लगता है कहीं कुछ छूटा नहीं था,एकदम से घुलमिल जाना ही आत्मीय मिलन की निशानी है !
बढ़िया संस्मरण !

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

der aana hua par durust hua itni achi post samose or chatni ke saat tarste han videsh men to...achi lagi photo bhi ...agali baar thoda eak samosa idhar bhi post kar dijiyega...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

जी हाँ!
यही तो है जिन्दगी!
सुन्दर चित्रों और पोस्ट के अन्त में कविता पढ़कर आनन्द आ गया!
--
मगर अफसोस कि बहुत देर से इस पोस्ट पर आया हूँ क्योंकि 3 दिन तो मेरी ब्लॉगिंग के दिल्ली ही खा गई!

abhi ने कहा…

तो इस्तुती जी आपको चाय और समोसा बना के खिला भी दी...इसका मतलब इस्तुती को काम धाम करने अच्छे से आता है :P

चलिए, आपके ब्लॉग पे लोगों ने आकार स्तुति की तारीफ़ भी कर दिए, फ्री में...हा हा

rafat ने कहा…

बेहतरीन व्यंग के जरिये सिस्टम पर करारी चोट की है आपने गोरया का साथ लेकर पर्यावरण का सरोकार काबिले तारीफ़ है .दिली आभार
सास के मरने के बाद बहु ने तिनके नोंच फेंके
कभी घर में हुआ करता था चिड़िया का घोसला
नए कमरों की तामीर से हुई थी आँगन की मोत
दरख्त के साथ मिट गया था चिड़िया का घोसला

Amrita Tanmay ने कहा…

सुंदर संसमरण...

वर्धमान ने कहा…

मुलाकात का बहुत रोचक विवरण.

Satish Chandra Satyarthi ने कहा…

बढ़िया लगा.. स्तुति जी से मिलने का विव्राब पढ्कर.. पहली बार उनके ब्लॉग पर गया.. शुद्ध बिहारी टेस्ट मिला.. धन्यवाद उनसे परिचय करवाने के लिए...