यूँ तो किसी का बैठ जाना या खड़े हो जाना कोई बातचीत का विषय नहीं होता जब तक कि शेयर बाजार न बैठ जाये, सरकार न बैठ जाये या इन्कम टैक्स वाले आपके दरवाजे पर न आ कर खड़े हो जायें.
वैसे मौत का आपके दर पर आकर खड़ा हो जाना या सर पर आकर नाचना भी चर्चा का विषय हो सकता है लेकिन तब आप इसके लिए उपलब्ध नहीं होते. मौत तो खड़े होकर या नाच कर साथ ले जाती है.
किन्तु आज अन्ना का बैठ जाना सारे देश को उनके साथ खड़ा कर गया.
पता चला अन्ना भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन पर बैठ रहे हैं. सारा देश जो भ्रष्टाचार से परेशान बैठा था, अन्ना के बैठने की खबर आते ही उठ खड़ा हुआ.कहते हैं साथ देना है अन्ना का इस मुहिम में. पहली बार देखा कि किसी बैठने वाले का साथ खड़े होकर देते. मैं भी खड़ा हूँ इस बेहतरीन मुहिम में साथ देने. मुझे खड़े रहना ही होगा, आज की जरुरत है.
सच है, जो हालात देश के हो गये हैं इसमें शायद अब उल्टी बंसी बजाने से ही काम होगा. चुप रह कर देख लिया, सह कर देख लिया, झेल कर देख लिया लेकिन भ्रष्टाचार है कि सीधों की बात समझने को ही तैयार नहीं तो लो, अब देखो उल्टा. बैठे का साथ देने खड़े लोग तुम्हारी ईंट से ईंट बजा देंगे. मौत पर उल्टा नगाड़ा ही बजाया जाता है सो भ्रष्टाचार की शव यात्रा ही मानिये इसे. उल्टा ही कारगर सिद्ध होगा. अन्ना के बैठने का साथ देने के लिए कंधे से कंधा मिला कर खड़े होना ही होगा,
हर तरफ पढ़ रहा हूँ, देख रहा हूँ और सुन रहा हूँ कि जन आन्दोलन छिड़ गया है. देश का कोना कोना जाग गया है..एक आग उठी है विरोध की-यह ऐसी आग है जो भकभका के फैलती है. इस आग रुपी भीड़ को रोक पाना अच्छे अच्छों के बस का नहीं.
सरकार इस बात को समझती है. वो इसे तब भी समझ रही थी जब वो भारत पाकिस्तान का मैच देख रही थी और तब भी, जब उसने भारत के क्रिकेट विश्व विजेता होने का जश्न मनाया. उसे मालूम था कि अन्ना अनशन पर बैठने जा रहे हैं. जा क्या, आ रहे हैं. नेता होशियार होता है वो अच्छे अच्छों से परे होता है और उससे उपर होता है. वो जानता है कि कब क्या करना है? जो उपर की कमाई टेबल के नीचे से करना जानता हो, उसे क्या समझाना और क्या समझना.
वो मोटी चमड़ी का धारक होता है. उसे कोई अन्तर नहीं पड़ता कि भीड़ उसकी तरफ आ रही है या वो भीड़ की तरफ जा रहा है. उसे आता है कि कब कौन सा दांव फेंकना है और भीड़ को तितर बितर कर देना हैं या कब कैसे पैतरा बदलना है और भीड़ में शामिल हो जाना है. वो मौका देख कर हँसना जानता है तो मौका देख कर रोना भी जानता है. बड़े बड़े अभिनेता भी उसकी अदा के सामने पानी भरते हैं और बस, एक ही अरमान पाले घूमते हैं कि काश!! हम अभिनेता से नेता हो पाते. कई तो हो भी गये. यह एक प्रकार का प्रमोशन है.
इरफ़ान झांस्वी का एक शेर है-
’संपेरे बांबियों में बीन लिये बैठे हैं,
सांप चालाक हैं दूरबीन लिये बैठे हैं।’
इन नेताओं की दूरबीन की पहुँच से भला कोई क्या चूक पाया है. आप लाख बीन बजायें क्या फरक पड़ना है.
कल खबर पढ़ी थी कि कुछ नेताओं नें अन्ना का साथ देने के लिए, अन्ना के अनशन पर बैठ जाने के समर्थन में साथ खड़े होने की कोशिश की. इस हेतु वह जंतर मंतर पहुँचे भी मगर भीड़ ने उन्हें घुसने ही नहीं दिया और भगा दिया.
आज खबर पढ़ी कि अन्ना को इससे ठेस पहुँची. वह दुखी हुये. उन्होंने बहन नेत्री से इस हेतु माफी माँगी. वह बहन नेता नहीं, साध्वी हैं. पूर्व मुख्य मंत्री मात्र साध्वी है. अपनी मुख्य पार्टी से बाहर हो एक पार्टी बना कर पुनः सत्ता पर काबिज होने का असफल प्रयास करने वाली महान नेत्री साध्वी नेता इसलिए नहीं है क्यूँकि वह न तो सत्ता में है और न ही विपक्ष में और फिर बहन तो है ही. उन्हें आने से रोकना अन्ना को दुखी कर गया.
यूँ ही अगर छांटने बीनने की प्रक्रिया चली तो कल कुछ और बहनें आयेंगी और जब बहनें आयेंगी तो भाई भी आयेंगे. आज साध्वी आईं हैं तो कल साधु भी आयेंगे. वो सब कभी या अभी सत्ता से जुड़े थे या हैं तब यह मुहिम किसके खिलाफ. यही तो भ्रष्टाचार के वाहक से, जन्मदाता हैं, पालनकर्ता हैं.
एक तरफ माना जा रहा है कि पूरा तंत्र भ्रष्ट हो चुका है. पूरी जनता त्रस्त है और दूसरी तरफ, इस भ्रष्ट तंत्र का हिस्सा रहे लोगों से माफी की दरकार? बात समझ के परे हो तो पूछना बेहतर है. शायद मेरी समझ में ही कुछ कमी हो.
सुना मेरे शहर में भईया जी ने आनन फानन में भ्रष्टाचार उन्मूलन समिति बना ली. सोसायटी एक्ट में एक दिन में कुछ लेने देन कर पंजीयन भी करा लिया और खुद स्वयंभू अध्यक्ष भी नियुक्त हो आंदोलन में साथ देने का शंखनाद कर दिल्ली की ओर, रेल्वे के टीसी को गाँधी की तस्वीर वाला रिजर्व बैंक वाला सिफारशी पत्र पकड़ा, पहली ट्रेन से कूच कर गये. उनके साथ चन्द वो भक्त भी इस धार्मिक यात्रा में शामिल हो गये, जिन्हें भईया जी ने अपने संपर्कों कें माध्यम से दिल्ली में काम करा देने का वादा कर काफी पहले अपने कई महिनों के खर्चे का इन्तजाम कर लिया था. भ्रष्टाचार को पालते पोसते भ्रष्टाचार खत्म करने निकले भईया जी को देख ईद पर कटने वाले बकरे का लालन पालन याद कर आँखें नम हो आईं.
भईया जी का मानना है कि इस आंदोलन में उनकी शिरकत अगले चुनावों में उनकी जीत के लिए संजीवनी साबित होगी और उन्हें कोई माई का लाल नहीं हरा पायेगा. शहर के अनेक ठेकेदारों और व्यापारियों को इस बात का पूरा भरोसा है और उन्हीं के सौजन्य से भईया जी इस आंदोलन में शिरकत के दौरान दिल्ली के पांच सितारा होटल में ठहरे हैं और अनशन स्थल तक वातानकूलित गाड़ी में आ जा रहे हैं.
देर रात भईया जी से अनशन की स्थिति और उनका विचार जानने हेतु होटल में संपर्क करने की कोशिश की परन्तु भईया जी को दिन भर की आमरण अनशन स्थल पर उपस्थिति से उपजी थकान उतारने की दवा जरा ज्यादा हो गई थी, अतः बात न हो सकी.
कोशिश होगी कल सुबह उनके नाश्ते के तुरंत बाद (आखिर फिर दिन भर उन्हें भूखा रहना है) पुनः सभा स्थल को जाने के पूर्व बात हो जाये तो उनके अनमोल एवं ओजस्वी विचार आप तक पहुँचा सकूँ.
अन्ना बैठे हैं. सारे देश की तरह मैं भी उनके साथ खड़ा हूँ. भ्रष्टाचार मिटाना है. लोकपाल बिल लाना है. इस आंदोलन के प्रति मेरी प्रतिबद्धता में कोई कमी नहीं है मगर चिन्तित हूँ- अगर ऐसे ही बहन भाईयों से माफी मांग उन्हें शामिल करते गये तो होगा कैसे......? ये भाई बहन तो मौके की तलाश में हैं ही....एक शेर याद आया:
’फ़िराक तो उसकी फ़िराक में है जो तेरी फ़िराक में है....’
इनका काम तो बन जायेगा..मगर हमारा क्या होगा?
अब सुन रहे हैं कि सरकार के साथ कुछ सहमति हुई है और शनिवार की सुबह अनशन समाप्त हो जायेगा और लोक पाल विधेयक लाने के मार्ग पर कार्यवाही शुरु हो जायेगी.
हम जनता हैं, हमें उम्मीदों पर जीने की आदत है. हम ताकना जानते हैं. पिछले ६४ सालों से तो शून्य में ही टकटकी लगाये बैठे हैं.
अन्ना!! अब हम तुम्हारी ओर ताक रहे हैं. हमें तुममें उम्मीद की किरण नजर आती है, हमने तुमसे बहुत सी उम्मीदें लगा ली हैं. एक ऐसे देश की, एक ऐसे समाज की जो भ्रष्टाचार से मुक्त होगा.
हम जनता हैं- हम राहत चाहते हैं!!!
-समीर लाल ’समीर’
88 टिप्पणियां:
sahmat hoon aapki baat se... samhal kar chalna hoga.
खबर है कि अन्ना हजारे आज अनशन खत्म करने वाले हैं. अब शुरू होगा असली राग. विचारोत्तेजक पोस्ट.
हम बदलेंगे, युग बदलेगा,
तुम सुधरोगे,युग सुधरेगा ।
अन्ना ईमानदार हैं, भोले हैं...कुछ निष्ठावान सहयोगियों के दम पर उन्होंने पूरे देश को एकजुट कर लिया...राजनीति नोटों की बरसात करने के बाद भी ये काम नहीं कर पाती...अन्ना ने आमरण आनशन का रास्ता अपनाया...सरकार को झुकाने के लिए आज तक किसी विरोधी दल के नेता ने ये काम क्यों नहीं,,किया...क्योंकि वो खुद एसी में रहने और सुविधासंपन्न जीवन जीने के आदी हैं...सरकार पर अंकुश रखने की जो भूमिका विरोधी दलों को निभानी चाहिए थी, उसे अन्ना असरदार ढंग से निभा कर दिखा रहे हैं...राजनीति की पूरी कोशिश रहेगी कि अन्ना के सहयोगियों में घुस कर सेंध लगाई जाए, बस ज़रूरत है अन्ना को सावधान रहने की...
भष्टाचार के दानव को हराने के हर सच्चे भारतवंशी को अब खेलना होगा जी-जान से
जय हिंद...
हम जनता हैं और हम राहत चाहते हैं
भ्रष्टाचारियों का तंत्र बहुत मजबूत है। उसे यूँ तोड़ना संभव नहीं है। फिर भी लोकपाल बिल का कानून बनना और उस की सफलता असफलता का अनुभव भारत की जनता के लिए जरूरी है। इसी बीच हर मोहल्ले में जनता के संगठन खड़े होना उन्हें मजबूत बनाना सब से बड़ी जरूरत। यह काम परवान चढ़ सके तो भी यह इस आंदोलन की बड़ी उपलब्धि होगी।
अन्ना अड़कर बैठ गया,
हृदय हमारे पैठ गया।
आपके पूरे लेख में हर तरफ परसाई जी नजर आ रहे हैं.
ek anna se jyada ummeed nahin honi chahiye. anna sirf jagana rahe hain ki har koi anna ho sakta hai.aur apani paridhi main bhrashtachar ke khilaf lad sakat hai.saath khade ho kar aur mil kar ladna hai.varna is bill ka hashra bhi RTI act ki tarah hoga. ek boss kahta hai Dharmender ishtayle main "kaminon, chun-chun ke maroonga agar koi RTI main gaya".corruption ke prati aapka bebaak najariya sarahniya hai.happy fighting against corruption aur shubhkamnayein...haan, saperon ko bhi been chhod kar doorbeen ka prayog karna chahiye...
@फ़िराक तो उसकी फ़िराक में है जो तेरी फ़िराक में है
हम तो उनकी फ़िराक में हैं जो तेरी फ़िराक में हैं.......
अब आगे देखें .
हे ,अन्ना उदार मत हो जाना, शुचिता के सवाल पर किसी को क्षमा नहीं ,चाहे वह कोई हो !
अब तक के घना घटनाक्रम पर यही एक कायदे का लेख पढने को मिला है -
बहती गंगा में हाथ धोने पापी पहले ही पहुंचे -
ताकि इमानदारी का सार्टिफिकेट ले लें -
अन्ना को सावधान होना होगा !
इरफान साहब का एक शे'र ही जैसे सभी कुछ कहे दे रहा है
इरफान साहब का एक शे'र ही जैसे सभी कुछ कहे दे रहा है
अन्ना जी व्यक्ति नहीं विचारधारा से पूरी तरह सहमत हूँ और पूरे भारत स्वाभिमान आंदोलन के कार्यकर्ता अन्ना जी के साथ हैं |
बिल्कुल सही धोया और सही जगह पर लाकर पटका है समीर भाई । मैंनें पिछले दो दिनों में वहां तमाशे भी खूब देखे जंतर मंतर पे और अभी आगे भी होंगे लेकिन सबसे बडी बात ये है कि जो एकता , जो संघर्ष आज तक फ़िल्मों में डायरेक्टर साहबान लोग जाने कितने पैसे खर्च करके दिखाते आए थे वो यहां देखने को मिला सिर्फ़ एक आवाज़ पर , लोग घरों से खुद निकल के आ गए ...सवा अरब की जनसंख्या को जिसे पिछले बासठ वर्षों में लगातार बिगाडा गया ,,..उसे सुधारने में समय तो लगेगा ही ..कानून तो इसलिए बन रहे हैं कि सुधारने वालों के हाथ में सोटे पकडाए जाएं और सुधरने वालों को बताया दिखाया जा रहा कि भईये अब पीठ तो गई तुम्हारी ...होगा होगा ..ये सब कुछ होगा ...ये भारत की जनता है ..
ek dam mast article hai sir, sahi jagah par nisahna laga hai .. wah maza aa gaya
सच में सांप चालाक हैं दूरबीन लिए बैठे हैं.... बहुत सटीक बातें कही आपने.....
इस मामले में धोनी तो आप ही निकले लाल साहब।
बहुत सही निपटाया।
बिल्कुल सही कहा है आपने
अब मुझे इच्छाधारी सांप वाला फंडा समझ में आ गया, और ऊपर से ये तो दूरबीन भी लिए बैठे हैं
अभी तो दूर-दूर से भैयाजी और बहनजी को इस जनांदोलन में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते दिखना ही है । रहे राजनेता उन्हें भीडतंत्र के मुताबिक अपने पांसे चलते रहना है । लेकिन फिर भी...
आगाज तो अच्छा है, अंजाम खुदा जाने.
in sab se door kaise rahenge? koi vikalp nahi hai, kyonki ye RBC ki tarah khoon me hain..
Tarika yahi hai ki bill paas ho aur kam se kam ek achchha imaandar aadmi chaar paanch saal vahan rahe aur safai oopar se prarambh ho. Tabhi kuchh ho sakega...
लाजवाब, बहुत खूब, असली मजा तो अब आएगा समीर भईया |
वाकई सावधान तो रहना ही होगा ...
namaskaar !
ek ''sher '' ne hi vajan bahut bada diya . sadhuwad .
saadar
सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है। मानसून सत्र में लोकपाल बिल पेश हो जाएगा। अन्ना ने इस शर्त पर निम्बू पानी लिया कि १५ अगस्त तक यदि बिल पास नहीं हुआ तो दुबारा आंदोलन होगा।
अन्ना के आगे-पीछे किरन बेदी जैसी हस्तियों को देखकर तो लगता है कि हमें उम्मीद का दामन नहीं छोड़ना चाहिए। लोकतम्त्र में अभी सबकुछ काला नहीं हुआ है।
समीर भाई आपके लेख के साथ शेर भी बहुत अच्छा लगा बधाई |
आपके शहर वाले भैया जी के जैसे कई भैया जी बहती गंगा में हाथ धोने के लिए हर शहर से निकल पड़े है .हमारे शहर में भी कोई पूर्व मंत्री धरने पर बैठा है तो कहीं भ्रष्ट वकील मोर्चा संभाले हैं ,सब को अपनी छवि बनाने का अनोखा मौका मिल गया है .
अन्ना अपनी मुहिम में सफल हों येही प्रार्थना है ..
anna ki tamanna ne pahala padav paar kiya ......
jai baba banaras...
अभी नेता इतने चालाक है
अभिनेता को मात दिए बैठे हैं :)
sir ji aap ki chinta jayaj hai..saanp apna dharm nahi chhodta..mauka mile to katega zarur... hume usse bas mein hi nahi karna hoga... loktantra ke inn sanpon ka vish dant hamesha ke liye tod dena hoga..aur samya -samaya par aisa baar baar karte rahna hoga...
hamesha ki tarah ek bar fir jordar post.......kai nazro se behtreen
’संपेरे बांबियों में बीन लिये बैठे हैं,
सांप चालाक हैं दूरबीन लिये बैठे हैं।’
--
बहुत सटीक और उम्दा आलेख!
हम जनता हैं, हमें उम्मीदों पर जीने की आदत है. हम ताकना जानते हैं. पिछले ६४ सालों से तो शून्य में ही टकटकी लगाये बैठे हैं.
अन्ना!! अब हम तुम्हारी ओर ताक रहे हैं. हमें तुममें उम्मीद की किरण नजर आती है, हमने तुमसे बहुत सी उम्मीदें लगा ली हैं. एक ऐसे देश की, एक ऐसे समाज की जो भ्रष्टाचार से मुक्त होगा.
जनता के लिए सटीक बात कही है ...अन्ना ने तो सरकार को अपनी बात मानाने के लिए झुका दिया ..अब जनता फिर टकटकी लगा कर देखेगी की क्या होता है आगे ...सार्थक लेख
पिछले पांच लेख में किसी कारण वश नहीं पढ़ पाया इसलिए आज पढ़ रहा हूँ और अपनी टिपण्णी साथ में दे रहा हूँ.....
मेरे लिए kehne के अल्फ़ास थोड़े कम हैं ...........
संक्षिप्त में कहना चाहूँगा
आप में कुछ बात है
आप औरों से कुछ ख़ास है
आपकी तारीफ में क्या कहूं
पिंटू मामा आप झक्कास हैं !!!!!! :)
सही सोच रहे हैं आप ...
सरकार इस बात को समझती है. वो इसे तब भी समझ रही थी जब वो भारत पाकिस्तान का मैच देख रही थी और तब भी, जब उसने भारत के क्रिकेट विश्व विजेता होने का जश्न मनाया. उसे मालूम था कि अन्ना अनशन पर बैठने जा रहे हैं. जा क्या, आ रहे हैं. नेता होशियार होता है वो अच्छे अच्छों से परे होता है और उससे उपर होता है. वो जानता है कि कब क्या करना है? जो उपर की कमाई टेबल के नीचे से करना जानता हो, उसे क्या समझाना और क्या समझना.bahut khoob likha hai ,ab to har jagah yahi charche hai
अन्ना जीत गए. जय हो..
अन्ना!! अब हम तुम्हारी ओर ताक रहे हैं. हमें तुममें उम्मीद की किरण नजर आती है, हमने तुमसे बहुत सी उम्मीदें लगा ली हैं. एक ऐसे देश की, एक ऐसे समाज की जो भ्रष्टाचार से मुक्त होगा.
बहुत उम्दा लेख,कोई भी टिप्पणी करने से बेहतर होगा कि आदरणीय अरविन्द मिश्रा जी के द्वारा की गई टिप्पणी को आप मेरी भी मान लें..
विचारों को जगाता और सोचने को मजबूर करता आलेख .....
bahut khoob.....
सचमुच आंदोलन का लाभ उठाने वाले अवसरवादी तत्वों से सचेत रहने की ज़रूरत है. गांधी और जेपी ने जिस तरह के स्वार्थी तत्वों को जाने अनजाने प्रश्रय दे दिया था वो अन्ना के आसपास न फटकने पायें यह देखना होगा.
----देवेंद्र गौतम
SAMEER BHAI , KYAA KHOOB LIKHAA
HAI AAPNE ! TAN - MAN SE PADHAA
HAI .ANNA HAZARE JI KEE KAAMYAABEE
KE LIYE PRARTHNA KIJIYE . BHARAT
MEIN FAILE BHRASHTAA CHAAR KAA
UNMOOLAN KARNAA EK UNGLEE SE GHEE
NIKAALNE KE SAMAAN HAI . KISEE
SHAYAR KE IS SHER PAR GAUR FARMAAEEYE -
HAR SHAAKH PE ULLOO BAITHE HAIN
ANJAM E GULISTAAN KYA HOGA
समीर जी अन्ना ने यह तो साबीत कर ही दिया कि अकेला चना भी भांड फोड़ सकता है, राजनीतिक निराशा मंे डूबे इस समाज को अन्ना ने एक सकारात्क सोंच दी है।
आपकी लेखनी तो कमाल की है ही इस इस आलेख में आपने और कमाल कर दिया। एक सांस मंे पढ़ गया। आपके शहर के लोगों के स्वंभू बनने और बहन जी वाली बात। सब धांसू.....
पर एक बात मैं कहूंगा कि हम सुधरेगें युग सुधरेगा।
आभार।
सच में सांप चालाक हैं दूरबीन लिए बैठे हैं....
bahut sahi lekh likha aapne..
anna ki Imaandaari par koi sawaal nahin hai.... sawal hai... jis civil society ke logon ke baat ho rahi hai usme aam aadmi ke hiton ko sochne wale kitne honge.... Jab samvidhaan likhaa ja raha tha tab kisne socha tha ki vidhayika, karyapalika aur nyaypalika me is kadar bhrashtachar hoga... par ab sab ho raha hai kyonki duniya ab ek bazaar bankar rah gayi hai... aur is bazaar me sabhi sabse bade khariddar bananaa chahte hain... par ek pahal hai jiska nischit hi utsahvardhan hona chahiye....
aadarniy sir
bahut hi sateek avam yatharth prastuti.
aapne ek pankti me behatreen baat kahi jo bilkul saty hai
ham janta hain ,ham rahat chahte hain.
hame kewal ek kushal avam yogy neta ki hi jarurat hai.nete sashakt aur jimmedaar ho to janta bhii galat raah nahi chalegi.
bahut hi sahi aankalan
sadar pranaam
poonam
नेता वही जो अगुवा हो और नेता वही जो मौके की नजाकत को पहचानने में देर न करे.
अभी अन्ना के साथ बहुत दूर तक खड़े रहना है...
चाहे सांप कितने ही होशियार क्यों न हो, एक न एक दिन बीन की धुन उन्हें बाहर खींच ही लाएगी...
अभी तो ये अंगड़ाई है। आगे और लड़ाई है।
भ्रष्टाचारियों के मुंह पर तमाचा, जन लोकपाल बिल पास हुआ हमारा.
बजा दिया क्रांति बिगुल, दे दी अपनी आहुति अब देश और श्री अन्ना हजारे की जीत पर योगदान करें
आज बगैर ध्रूमपान और शराब का सेवन करें ही हर घर में खुशियाँ मनाये, अपने-अपने घर में तेल,घी का दीपक जलाकर या एक मोमबती जलाकर जीत का जश्न मनाये. जो भी व्यक्ति समर्थ हो वो कम से कम 11 व्यक्तिओं को भोजन करवाएं या कुछ व्यक्ति एकत्रित होकर देश की जीत में योगदान करने के उद्देश्य से प्रसाद रूपी अन्न का वितरण करें.
महत्वपूर्ण सूचना:-अब भी समाजसेवी श्री अन्ना हजारे का समर्थन करने हेतु 022-61550789 पर स्वंय भी मिस्ड कॉल करें और अपने दोस्तों को भी करने के लिए कहे. पत्रकार-रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना हैं ज़ोर कितना बाजू-ऐ-कातिल में है.
आज अन्ना का बैठ जाना सारे देश को उनके साथ खड़ा कर गया.ekdam theek bol rahe hain.
anna..swatantra bharat ke naye gandhi ke taur par ubhre hai..aur pura desh unke saath hai...
..गंभीर चिंतन।
एक चोरी के मामले की सूचना :- दीप्ति नवाल जैसी उम्दा अदाकारा और रचनाकार की अनेको कविताएं कुछ बेहया और बेशर्म लोगों ने खुले आम चोरी की हैं। इनमे एक महाकवि चोर शिरोमणी हैं शेखर सुमन । दीप्ति नवाल की यह कविता यहां उनके ब्लाग पर देखिये और इसी कविता को महाकवि चोर शिरोमणी शेखर सुमन ने अपनी बताते हुये वटवृक्ष ब्लाग पर हुबहू छपवाया है और बेशर्मी की हद देखिये कि वहीं पर चोर शिरोमणी शेखर सुमन ने टिप्पणी करके पाठकों और वटवृक्ष ब्लाग मालिकों का आभार माना है. इसी कविता के साथ कवि के रूप में उनका परिचय भी छपा है. इस तरह दूसरों की रचनाओं को उठाकर अपने नाम से छपवाना क्या मानसिक दिवालिये पन और दूसरों को बेवकूफ़ समझने के अलावा क्या है? सजग पाठक जानता है कि किसकी क्या औकात है और रचना कहां से मारी गई है? क्या इस महा चोर कवि की लानत मलामत ब्लाग जगत करेगा? या यूं ही वाहवाही करके और चोरीयां करवाने के लिये उत्साहित करेगा?
सारा देश जो भ्रष्टाचार से परेशान बैठा था, अन्ना के बैठने की खबर आते ही उठ खड़ा हुआ.
क्या बात है समीर जी. बहुत अच्छे.
समीर बेटा
आशीर्वाद
नेताओं की कुचैली राज निति है
आप बिलकुल सही कह रहे हैं.... राजनीती के नेता अभिनेताओं से भी बड़े कलाकार हैं, अभ्यस्त हैं जनता को बेवक़ूफ़ बनाने में... अच्छे-अच्छों को छकाना जानते हैं... गोटियाँ फिक्स करना उनके बाएँ हाथ का काम है... यह खेल इस आन्दोलन के साथ भी शुरू हो गया है.... अन्ना को राजनीति के तहत भंवर में फंसाने की कोशिशें की जा रही हैं.... मुझे डर है की कहीं एक सीधा-साधा इंसान इनकी चालाकियों में फंस ना जाए!
सटीक आलेख है। पिछले दिनो बहुत कुछ रह गया पढने से। लगता है ये ब्लागिन्ग का रोग लाईलाज है। आज 24-25 दिन बाद घर लौट्वी तो सब से पहले कम्प्यूटर खोला। बहुत उत्सुकता है सब ने पीछे से क्या क्या लिखा। लगता है ब्लागजगत को भी अन्ना ने बहुत प्रभावित किया है। काश अन्ना का सपना पूरा हो-- जिद्सकी उमीद कम है। सच मे सांप चालाक है---- देखना ये है कि अन्ना कैसे बीन बजाते हैं। शुभकामनायें।
भेड़िय़ॉं के झुंड़ में
दो दिनों से बहुत खलबली है।
एक गाय नें अपने सींग में
शमशान की राख मली है।
विचारोत्तेजक पोस्ट....सच में अन्ना को सावधान रहने की ज़रूरत है...
अच्छा प्रहार किया है सर आप ने
बहुत सुन्दर रचना
बहुत बहुत शुभकाम
बहुत सटीक बातें कही आपने....
अण्णा हजारे की ज़िंदगी खुली किताब है
आमीन !
सही विश्लेषण
काफी सतर्क रहना होगा...
"निर्बल से लड़ाई बलवान की, ये कहानी है दिए की और तूफ़ान की...." तूफ़ान शातिर है आने से पहले सन्नाटे का खेल खेलता है...इस सन्नाटे को तूफ़ान की विदाई नहीं मानना चाहिए बल्कि उसके और तेजी से आने का इंतज़ार करना चाहिए...भ्रष्ट नेता क्या यूँ ही चुप बैठ जायेंगे...ये लातों के भूत हैं...बातों से कब्ज़े में आने से रहे...एक सौ बीस करोड़ सो रहे लोगों में सिर्फ एक इंसान जगा है...हमारा फ़र्ज़ बनता है के उसे सोने न दें...उसके साथ जागें...क्यूँ की इस तरह का जागरण रोज रोज नहीं हुआ करता...
नीरज
राम नवमी की मंगल कामनाएँ
ये सांप तो बहुत खतरनाक लग रहा है..
भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन की पहली सीढी तो सफलता पूर्वक चढ गये अण्णा और हम सब । कहते हैं ना अच्छी शुरुआत आधी जीत के बराबर है । अण्णा छोडेंगे नही उनकी आज तक की उपलब्धियां देख कर तो यही लगता है । हमारी शुभ कामनाएं ।
विचारोत्तेजक पोस्ट|
रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ|
लगता हें सारा भारत अन्नामय हो गया हें. गांधीजी की गाँधीगिरी की तरह अन्नाजी की अन्नागिरी भी चेलेगी
जब आन्दोलन फैशन बनता है तो इसका स्तर गिर जाता है शायद यही हो रहा है
बेहतरीन!
’संपेरे बांबियों में बीन लिये बैठे हैं,
सांप चालाक हैं दूरबीन लिये बैठे हैं।’
kinchit, atirikt prayas ke 'dil-o-dimag' me utar ane wali panktiyan...
sarahniye post.....
nivedan....'e-swami ji' ki tazi post
dekhi jai........
pranam.
समीर जी ,
शत प्रतिशत सच्ची बात लिखी है आपने ....
इन राजनीति के विषधरों का कोई भरोसा नहीं !
अन्ना ने तो कर ली अपनी,
अब हमको करम दिखाना है.
राजनीति का राग छोड़कर
आगे कदम बढ़ाना है !
एक दूरबीन खरीदनी है। कहां मिलेगी?!
भारत में कुछ लोग अच्छे तो कुछ लोग खराब हैं ! राजनीति में भी कुछ लोग अच्छे तो कुछ लोग खराब हैं! सारी दुनिया में भी कुछ लोग अच्छे तो कुछ लोग खराब हैं ! कुछ अच्छे लोग आगे जाकर खराब हो सकते हैं कुछ खराब लोग आगे जाकर अच्छे हो सकते हैं ! इसीलिये तो यह दुनिया रंगबिरंगी है ! बुराई और भ्रष्टाचार को कम करने के प्रयत्न करने वाले भी आते रहेंगे ! पर क्या उनके प्रशंसक खाली उनका मुँह ताकते रहेंगे ? आखिर हम क्या कर रहे हैं ! अपना कर्तव्य हमें भी निभाना होगा सजग और सतर्क होकर और आंदोलन को सफल बनाने में अपना योगदान देकर !
वो मोटी चमड़ी का धारक होता है. उसे कोई अन्तर नहीं पड़ता कि भीड़ उसकी तरफ आ रही है या वो भीड़ की तरफ जा रहा है. उसे आता है कि कब कौन सा दांव फेंकना है और भीड़ को तितर बितर कर देना हैं या कब कैसे पैतरा बदलना है और भीड़ में शामिल हो जाना है. वो मौका देख कर हँसना जानता है तो मौका देख कर रोना भी जानता है
bahut achchhi baat kahi ,sundar .
लाजवाब...बहुत अच्छा विश्लेषण किया है...
क्या शेर है....एकदम सटीक...
करारा व्यंग्य !
आपके शब्द हमेशा प्रोत्साहित करते है। टिप्पणी करने से परहेज करता हूं लेकिन मित्रों के ब्लोगों तक आता जरूर हूं
मैं नकारात्मक नहीं सोचता.
पर इस बार भी फिरंगी अपनी चौरंगी चालें चल रहा है.
हम नहीं जीत पायेंगे कॉंग्रेस से यह तो तय है......
अब देखना है कि देश की गाय समान के सींग हैं या नहीं.
क्योंकि दिशा तो भाजपा, फिर बाबा रामदेव और अब अन्ना देते ही रहे हैं, पर दशा में परिवर्तन कितना हुआ !!
अब क्रान्तिकारियों को आगे आना ही होगा.
गांधीवादियों ने तो दम दिखा दिया.
हम राहत नहीं मुक्ति चाहते हैं.
janaab, bahut khoob dukti nas pr kalam rakhi hai aur 100%sahi rakhi hai .is kadwe sach ko likhne ke liye salam
अन्ना ने उम्मीदें और रौशनी दिखाई ... इस लेख ने रौशनी को हवा और तेल दिया...
देखते हैं क्या होता है.... वैसे उम्मीद तो कम ही है कि कुछ होगा....
एक टिप्पणी भेजें