कभी किसी को देख सुन कर वो आपको इतना अधिक प्रभावित करता है कि आपका प्रेरणा स्त्रोत बन जाता है. आप उसके जैसा हो जाना चाहते हैं. ठीक ठीक उसके जैसा न भी हो पाये तो आपको आगे बढ़ने और अभ्यास करने हेतु वो प्रेरणा तो होता ही है.
कितने ही गायको के प्रेरणा स्त्रोत और आदर्श मुकेश, लता मंगेशकर, रफी होंगे. जाने कितने खिलाड़ी क्रिकेट में तेंदुलकर को अपना आदर्श बना कर खेलते हैं.
इस तरह के प्रेरणा स्त्रोत आपको बेहतर और बेहतर करने की ताकत देते हैं. आपको प्रभावित करते हैं. लेखन में भी तो ऐसा होता है.
लेकिन इससे इतर भी स्थितियाँ बनती हैं, जब आप किसी को कुछ करता देखते हैं तो उसे देख आपमें एक आत्मविश्वास आ जाता है कि अरे, जब ये कर ले रहा है तो हम क्यूँ नहीं? इससे बेहतर तो हम ही कर लेंगे.
मुझे याद है, जब हम सी ए कर रहे थे. एक मित्र जो हमारे रुम मेट हुआ करते थे, हमसे ६ महीने सीनियर थे मगर अक्सर सवाल समझने या डिस्कस करने हमारी डेस्क पर चले आते. उनके पास हो जाने ने हमें जबरदस्त आत्मविश्वास दिया कि जब ये पास हो सकते हैं तो हम क्यूँ नहीं. बस, उन्हीं का चेहरा याद कर कर देखते देखते हम पास हो गये.
कल टोरंटो में श्रेया घोषाल और आतिफ असलम का शो था. सच्चे भारतीय होने का धर्म निभाते हुए हमने अपने और अपनी पत्नी के लिए वी वी आई पी का पास जुगाड़ लिया. एकदम स्टेज के नजदीक बैठे.
कार्यक्रम की शुरुवात जबरदस्त रही और प्रथम आधा भाग श्रेया घोषाल ने संभाला. दिल थाम कर सुना गया. जबरदस्त!! आनन्द आ गया.
द्वितीय भाग में उतरे आतिफ असलम.
आतिफ!! आतिफ!! आतिफ!! की आवाजों से हॉल गुँज गया.
आतिफ आये. १.३० घंटे तक मंच पर संपूर्ण नशे की सी हालत में बने रहे, शायद ज्यादा पी ली होगी और उसे देख देख, सुन सुन मुझ जैसे व्यक्ति में जबरदस्त आत्मविश्वास का संचार हुआ.
हाय!! क्यूँ मैं लोगों की बातों में आकर अपनी कविता और गीत पढ़कर सुनाता रहा. मैं तो बड़े आराम से गा कर सुना सकता था और पब्लिक चिल्लाती: समीर!! समीर!! समीर!!
बन्दे में आत्मविश्वास कहो या नशे की गिरफ्त. पूरे १.३० घंटे झिलवाता रहा और पब्लिक टिकिट का पैसा देकर झेलती रही. नये जमाने की लड़कियाँ तो झूम कर नाचीं भी. हम तो फ्री के पास पर थे तो अंतिम गाना खत्म होने के पहले ही निकल लिये.
आतिफ की फोटो भी खींच ली है. अपनी डेस्क पर फ्रेम करा कर रखूँगा कमप्यूटर के बाजू में ताकि सनद रहे और आत्म-विश्वास बना रहे.
इन्तजार है जब हॉल में हल्ला गुँजेगा: समीर!! समीर!! समीर!! ..शायद लड़कियाँ नाचें भी, कौन जाने!!
क्या आपके साथ भी ऐसा होता इस तरह का आत्मविश्वास वर्धन!
चलते चलते:
मैं भी उसे चाहता हूँ,वो भी मुझे चाहती है
प्यार का सबूत है ये, और कैसा चाहिये
शादी ब्याह बात कुछ, प्यार से अलग है जी
बाबू जी की हाँ के लिए, थोड़ा पैसा चाहिये.
शादी हुई बाद में ये, घर भी उसी का है जी
मोटर जो दे दोगे तो उसमें ही घुमाऊँगा
उसकी तो बात छोड़ो, वो तो मेरी बीबी होगी.
मैं तो इतना सीधा हूँ, साली को भी चाहूँगा.
-समीर लाल ’समीर’
118 टिप्पणियां:
आत्मविश्वास बनाए रखने का नया फंडा पसंद आया और कविता तो बहुत शानदार है।
मैं तो इतना सीधा हूं कि साली को भी चाहूंगा...
हाय कौन न मर जाए इस सादगी पर...
सारे ब्लॉगवुड के साथ हम तो कहते ही रहते हैं...
समीर...समीर...समीर....समीर...समीर...
आतिफ़ असलम से तो बस इतना कहना था...
हम किस गली जा रहे हैं, के अपना कोई ठिकाना नहीं...
जय हिंद...
Atif ke besurepan ka to main bhi shukraguzaar hoon.. uski wajah se hi na Indian Idol ke audition me kitne cartoon aa jate hain manoranjan ke liye.. lekin ye jugalbandi samajh nahin aayi. kahan aatif aur kahan Shreya.. :)
kavita bhali lagi
फोटो फ्रेम में जड़ाकर रखूँग़ा। वो सही फैसला लिया है गुरूदेव। जो वस्तुएं हमारे सामने रहती हैं, अगर वो ऊर्जावान हैं तो हमको भी ऊर्जावान रखती हैं। सच में, लिखते समय हम भी समीर को सामने रखते हैं।
क्या आपके साथ भी ऐसा होता इस तरह का आत्मविश्वास वर्धन!
जब मेरा सबसे प्रिय गायक गाता है तो ऐसा ही लगता है, वो नहीं गा रहा और स्टेज पर मैं ही गा रहा हूँ। बस नाम का फर्क रह जाता है।
आत्मविश्वास वर्धन तो याद नहीं पर कई बार आत्मविश्वास मर्दन जरूर हुआ है.
साली दर्शन! अच्छा लगा.
और फिर आप जहाँ के नायक है वहाँ तो समीर --- समीर होता ही रहता है
उलटे सिरे से प्रेरणा लेने का आपका अंदाज़ हमारे लिए भी प्रेरणा का स्त्रोत बन गया है ! इस तरह अन्धों में काना बनने की इच्छा तो बहुतों की पूरी हो सकती है ! मौलिक और बेमिसाल सुझाव के लिए सभी आपके बहुत बहुत आभारी होंगे ! कविता भी इसी मूड में लिखी गयी लगती है ! क्या कहने !
ये तो बड़ा ही bad influence रहा आतिफ ...ये जो इतना साली कथा बांच दी ..आत्मविश्वास का ही तो प्रसाद मिला है ...
नहीं तो आपकी साधना जी के सामने कब इतनी बोली निकली है...हाँ नहीं तो...!!!
लगता है यह पोस्ट भी खुमारी में ही लिखी गयी है -हा हा ! साली को चाहूंगा हा हा !
गुरूजी आपका स्टाईल ही अलग है ...
मैं तो जब "सचिन" को खेलता देखता हूँ, तो एक नयी उर्जा आ जाती है | मैंने तो उन्ही को आदर्श माना है |
समीर लाल जी!
हम तो कल सोमवार को आपकी पोस्ट की
प्रतीक्षा करते-करते थक गये!
खैर आज मन को सुकून मिला!
वाह...!
बहुत खूब!
ये ससुरी प्रेरणा भी अजीब शय है!
मिली भी तो एक शराबी से!
इसमें लगी कविता भी हास्य के रंग बिखेर गई!
यह तो वैशाखनन्दन प्रतियोगिता के लिए बिल्कुल फिट लगती है!
आपकी पोस्ट से हमें भी एक प्रेरक प्रसंग याद आ रहा है!
लगभग 35 साल पहले की बात है!
उन दिनों हम नेपाल सीमा के समीपवर्ती क्षेत्र बनबसा में निवास करते थे!
एक कार्यक्रम में कुछ कहना था और मंच पर बोलने का यह हमारा पहला अवसर था!
अब हम मंच पर बोलें तो क्या बोलें!
मन में बड़ा असमंजस था!
तभी हमें एक दृश्य याद आ गया!
बनबसा बैराज पर शाम को प्रतिदिन नियम से उन दिनों 5-6 नशेड़ी भाँग के कश लगाया करते थे!
बस हमने कहना शुरू किया कि यदि नशेड़ी संगठित हो सकते हैं तो हम बुद्धिजीवी संगठित क्यों नही हो सकते?
वो नशे में था...यह पंक्ति शायद छूट गई थी। इस बात को फिर से देखते याद आ गया, मेरे गाँव से कुछ दूर दूसरे गाँव में लगा अखाड़ा, जिसमें प्रसिद्ध गायक पहुंचा था, लेकिन शराब ज्यादा पीने के कारण स्टेज पर अच्छे से गा न पाया, मौका देखते प्रबंधकों ने उसको नीचे उतार लिया, भड़के हुए लोगों ने साज बजाने वाले लोगों को घेर लिया, वो तो नशे में टल्ली दूसरे रास्ते से भाग गया, बेचारे साज बजाने वाले फँस गए।
फ्रेम के जड़ाने वाली बात आप अच्छे व्यक्ति के रूप में ले सकते हैं।
पढ़ते-पढ़ते आत्मविश्वास
चलते-चलते भोलपन
जग गए मेरे भीतर
आज कुछ नए सपन
उसकी तो बात छोड़ो, वो तो मेरी बीबी होगी.
मैं तो इतना सीधा हूँ, साली को भी चाहूँगा....
:):) ...
ये सीधापन ...
कौन ना मर जाए इस सादगी पर ओ खुदा ...
ये सिर्फ एक शेर है ...इसका कोई अर्थ ना लगाया जाए ...:):)
काम की तारीफ़ और उसमे सुधार करने के सुझाव प्रत्येक व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ाते हैं ...
मैं तो एक पूरी पोस्ट ही इसपर लिखना चाहती हूँ ...
आतिफ की बात छोड़ो, उसके सुर ताल छोड़ो
दौलत औ शोहरत के नशे में वो झूमता है
बेसुरों के बीच बेसुरे से राग अलाप कर वो
आतिफ, हाय आतिफ की वाहवाही लूटता है
ऐसे लोगों से समीरबाबू कहीं प्रेरित होकर
मंच पर गाने का विचार मत कर लेना
आपके कवित्त और गीत पर हम चिल्लायेंगे
“समीर! समीर!!” इसे हृदय में भर लेना.
शादीब्याह घर बार मोटर गाड़ी उसके हैं
सारी दुनिया जिसे ससुर नाम देती है
बीवी हो कि साली हो जी जम के घुमाना आप
आखिर तो दोनों उसी ससुरे की बेटी है.
इन्तजार है जब हॉल में हल्ला गुँजेगा: समीर!! समीर!! समीर!! ..शायद लड़कियाँ नाचें भी, कौन जाने!!....
सही जा रहे हैं सर जी.कविता जानदार है.
कार्यक्रम देखते देखते अच्छे सपने देखे और दिखाये. भूलकर े ना जाईयेगा अलबता श्रेया के पीछे जाने से ना तो आप मानेंगे और ना हम रोक पायेंगे. क्योंकि आपके इरादे चलते चलते मे जाहिर हो चुके हैं.
रामराम.
-ताऊ मदारी एंड कंपनी
आपके आत्म विश्वास में बढ़ोतरी हो. सुन्दर कविता. मजा आ गया.
ये लेखक नहीं सुधर सकता. और जब ये नहीं सुधर सकता तो हम क्यों सुधरें?
हासानंद मोतीरामानी
"इन्तजार है जब हॉल में हल्ला गुँजेगा: समीर!! समीर!! समीर!! .."
अवश्य ही आपके इन्तजार के दिन खत्म होंगे; बहुत जल्दी आयेगा वह दिन जिसका आपको इन्तजार है!
आत्मविश्वास बढ़ाने का बहुत बढ़िया तरीका बताया आपने...अगर आपके आदर्श सामने हो तो आत्मविश्वास ज़रूर बढ़ जाता है...सही है जल्द ही वो दिन भी आने वाला है जब आपके नाम की गूँज होगी स्टेज पर ...वैसे आतिफ असलम से कम नही है आप बस सबका अपना अपना एरिया होता है...वो संगीत की दुनिया में है आप ब्लॉग की दुनिया में और उनसे कहीं ज़्यादा ही चाहने वाले लोग हैं..
साथ ही साथ ये नीचे की कुछ लाइनों के भी क्या कहने ..मजेदार...बढ़िया प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार
आबवियस सी बात है कि हैन्ग ओवर अगली पोस्ट मे ही उतरेगा..
वैसे क्या फ़ैन्टेसी है सर जी - समीर, समीर :) कवियो के इतने अच्छे दिन कहा? कवियो के लिये तो ’ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है’ ही फ़लसफ़ा होना चाहिये..
समीर जी एकाध पेग मारके जाना भी बुरा आईडिया नहीं
आपके निजी फोटोग्राफ बेहद सुंदर हैं,खैरियत है वर्चुअल युग में नजर नहीं लगती।
समीर...समीर...समीर....
..मजा आ गया पढ़कर. बहुत सुन्दर रचना...
hahaha.......is aatmvishwaas ne hamen kai aatmvishwasi pal yaad dila gaye......yun aap nishchint rahen....aapki rachna per hi hum shor karenge......aap aatif nahin
जब ज्ञानी जैलसिंह भारत के राष्ट्रपति बने थे तब कइयों को कहता सुना था कि जब ज्ञानीजी बन सकते हैं तो हम तो निश्चय ही बनेंगे। लेकिन अब तो यह जुमला भी आम हो गया है।
आतिफ असलम !आत्मविश्वास वर्धन सीखा गया! ये भी क्या कम हुआ!
[Check kar रही हूँ कब उस का शो यहाँ होगा?:D
इस पोस्ट से भी प्रेरणा मिली .....
वहाँ भी जुगाड़ ! :)
जब आप किसी को कुछ करता देखते हैं तो उसे देख आपमें एक आत्मविश्वास आ जाता है कि अरे, जब ये कर ले रहा है तो हम क्यूँ नहीं? इससे बेहतर तो हम ही कर लेंगे.
बस उसी के बाद हम कोशिश करते हैं .. और सफलता की ओर कदम बढने लगती है .. बहुत सुंदर प्रस्तुति !!
क्या आपके साथ भी ऐसा होता इस तरह का आत्मविश्वास वर्धन!
-
जी खूब होता है.
सपने में देखता हूँ. लोग मेरे भाषण सुनने के लिए. मंच के घेरे तोड़ देते हैं.
--
कविता में नया अंदाज़ पसंद आया.
समीर !! समीर !! समीर !! जी ब्लागिंग हांल में तो आवाज गूँज रही है ... आभार
purane smay mein log apne gharon mein Gandhi aur Nehru ki photo lagate the, aaj kal atmavishwas jagane ke aur bhi tarike moujood hein :-)
बंगलुरु में भी पधारे थे आतिफ जी । पहली नज़र की खनकती आवाज़ हमें भी खींच ले गयी । यहाँ भी लड़कियाँ ऐसी ही दीवानी हैं । हम तो दो शो देखे । आतिफ का और उसकी दीवानियों का ।
इन्तजार है जब हॉल में हल्ला गुँजेगा: समीर!! समीर!! समीर!! ..शायद लड़कियाँ नाचें भी, कौन जाने!!
" ha ha ha ha ha ummid pe to duniya kayam hai, vo din bhi jrur aayega"
regards
सच कहा आपने कि प्रेरणा कहीं से भी और कैसे भी मिल सकती है....अब गा कर ही सुनाने का प्रयास कीजिये...एक वक्त आएगा कि आपका नाम भी गुंजायमान होगा....समीर ...समीर ..समीर
कविता बहुत बढ़िया है..
मुझे पीने का शौक नहीं,
पीता हूँ लड़कियां नचाने को.
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आप ट्राई करिए, यदि नुस्खा सफल रहता है तो हम भी हैं आपसे प्रेरणा लेने वालों में....
शुभकामनायें.... लगे रहिये...
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जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड
आत्म विश्वास तो कपूर है। बढ़िया जलता-रोशनी-सुगन्ध देता है जलाने पर। नहीं तो पड़े पड़े विलुप्त हो जाता है! :(
दारू से आत्मविश्वास आता है .... समीर भाई .... हमारा क्या होगा ... पीनी चालू कर दू क्या ....
सौ की एक बात, कविता अच्छी लगी |
एक के साथ एक फ्री..
अपके इस फंडे से प्रेरित होकर हमने अपने भीतर आत्मविश्वास का बीजारोपण कर दिया है...इसके लिए खाद पानी का प्रबंध तो ताऊ के यहाँ हो ही जाएगा...देखते हैं शायद चल ही निकले :-)
bas yahi he jiske sahare ham apni shaqti ko pahchaan sakte hei, vese hamare blog lekhan ki prerna aap hi he../
मैं भी उसे चाहता हूँ,वो भी मुझे चाहती है
प्यार का सबूत है ये, और कैसा चाहिये
शादी ब्याह बात कुछ, प्यार से अलग है जी
बाबू जी की हाँ के लिए, थोड़ा पैसा चाहिये.
शादी हुई बाद में ये, घर भी उसी का है जी
मोटर जो दे दोगे तो उसमें ही घुमाऊँगा
उसकी तो बात छोड़ो, वो तो मेरी बीबी होगी.
मैं तो इतना सीधा हूँ, साली को भी चाहूँगा
waah waah..bahut sundar.
मुझे न तो कभी रफ़ी पसंद आये, न मुकेश और अब न ही आतिफ पसंद है. मुझे तो महेंद्र कपूर अच्छे लगते रहे, फिर कुमार सानु, सोनू निगम प्रिय हैं. महिलाओं में लता तो बहुत पहले से प्रिय थीं आशा कभी अच्छी नहीं लगीं. फिर अलका याज्ञनिक और अब श्रेया तो अतुलनीय हैं.
ऊपर एक टिपण्णी की है किसी ने कि कहाँ श्रेया (the best) और कहाँ दो कौड़ी का आतिफ असलम. बिलकुल सही की है.
सालियाँ तो किसे नहीं प्रिय होंगी, वैसे हम क्या कहें, हम तो कुवांरे और स्वयं अभी बच्चे हैं.
एक सलाह है आप क्रिकेट खेलिए, हम चीरलीदर बन के नाचने को तय्यार हैं.
बहुत सुन्दर रचना! अगर सभी में आत्मविश्वास हो फिर हर मुश्किल दौर का मुकाबला कर सकते हैं! बढ़िया प्रस्तुती!
अब हम इंतज़ार में हैं की आप को कब स्टेज पर गाते हुए सुने और अपना भी आत्म विश्वास वर्धन करें!:)
गुरु जी हम तो ऍडवांस में चिल्ला देते हैं - समीर, समीर...
उसकी तो बात छोड़ो, वो तो मेरी बीबी होगी.
मैं तो इतना सीधा हूँ, साली को भी चाहूँगा.
....बहुत खूब ... छा गये समीर भाई!!!!
सुदंर रचना..पढ़कर मेरे आत्मविश्वास में भी वृद्धि हुई।
सुदंर रचना...पढ़कर मेरे आत्मविश्वास में भी वृद्धि हुई।
समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!! समीर!!
आत्मविश्वास वैसे आपमें तो कूट-कूट कर भरा हुआ है गुरुदेव | एक बार मैंने भी एक चुटकुला सुना था ----- पड़ोस के एक ताऊ का आत्मविश्वास कूट-कूट कर भरा था , एक बार सुबह-सवेरे एकउन्होंने अपने लाडले को कूट रहा था | मैंने पूछा --- ताऊ सवेरे-सवेरे क्यों कूट रहा है लड़के को ,ऐसा क्या कर दिया है ? ताऊ ने बोला -- ऐसा कुछ भी नहीं किया है ? तो फिर क्यूँ कूट रहा है ? बोला ये आत्मविश्वास की बात है , मैंने बोला ये कैसा आत्मविश्वास ताऊ | ताऊ बोला कल इसका परीक्षा का परिणाम आनेवाला है और मुझे आज कहीं वाहर जाना है, तो जो काम कल करना है बस वहीँ काम अभी कर रहा हूँ | हा हा हा --------------------------------
Ha Ha Ha...
kya baat hai...aatif ne agar ye padh liya to gana band kar dega...
रोचक......"
समीर! समीर! समीर! जरूर लगेंगे जी ऐसे नारे, फ़िलहाल तो समीरा टेढ़ि ने मुशायरा लूट लिया है। आयेगा, सबका नंबर आयेगा।
आपका सीधापन भा गया, समीर साहब।
आभार।
समीर लाल जी , मुंघेरी लाल के हसीन सपने तो हमने भी बहुत देखे । हैरानी तो इस बात की है कि कुछ सपने यथार्थ में बदल भी गए ।
इस सादगी पे सदके जावां ।
Acha likha aapne .chaliye vo sham to aapki bahut achi biti hogi...
प्रेरणा तो जंहा से मिले और अपने काम की हो ग्रहण कर लेनी ही चाहिये . मै तो बाबा मलूक दास की इन पन्क्तियो से प्रेरित हू ,अजगर करे ना चाकरी पंछी करे ना काम दास मलूका कह गये सबके दाता राम .
वैसे आपकी भी फोटो से प्रेरणा मिलती है कि मै कम काला हू और आप मुझ से प्रेरणा ले कि आप बहुत पतले है
Insha'Allah!! Wo Din Jald Hi aaega Sir, Jab Log kahenge!!!
"RAM"
मेरे पल्ले कुछ भी नहीं पडा ....कोई श्रेया नाम की युवती का विल्स कार्ड गीत सुन कर आप बौरा गए ...मगर फ़ोटो अपना टेबुल पर लगाएंगे किसी आतिफ़ टाईप के आफ़त की ....और फ़िर कह रहे हैं कि मिल गई प्रेरणा ...सबसे हैरत में डालने की बात तो ये रही कि ये खूबसूरत सा हादसा टाईप वाकया आपके साथ तब हुआ जब भौजाई भी साथ ही थीं ....ओह कुल मिला के हम भी बौरा गए हैं इ सब पढ के ..अभी प्रेरणा मिलती है तो आगे फ़िर और कुछ कहते हैं ..तब तकले आप फ़ोटो लगाईए ..और रही समीर समीर का हल्ला की ..अरे पोलटिस ज्वाईन करिए न ....देखिए कतना खैनी चुना चुना के सब चिचियाएगा ..हां छौंडी सब नहीं न आती है ..पोलटिस हल्ला करने ..हम लोगन से ही काम चलाईये
अजय कुमार झा
behatareen prastuti, apni bhavna ko vyangya men dhal kar aur kavita se end bahut badhia laga.
bahoot khoooooooooooob!
रोचक प्रसंग और उससे भी रोचक कविता।
aur main soch rahee hu ki aapne recording kyun nahi lagaee.?
प्रेरणा का ये प्रारूप खूब भाया और कविता की उद्घोषणा तो हाय रेsssss
प्रेरणा लेने में कोई बुराई नहीं है...पर आप अपने रुतबे का ख्याल अवश्य रखें- एक गुजारिश.
sir aapka aatamvishwaas dekhkar hamara bhi manobal badhta hai ki hum bhi aap jaisa kuch kare...
haan kavita ka bhi jawaab nahi :))))
ब्लॉग में तो हमारे आदर्श आप ही हो..
उसकी तो बात छोड़ो, वो तो मेरी बीबी होगी.
मैं तो इतना सीधा हूँ, साली को भी चाहूँगा.
अंतिम पंक्तियाँ कमाल की लिखी हैं...
आप की यह लाईने पढ कर आज मुझ मै भी आत्मविशवास जाग गया....
उसकी तो बात छोड़ो, वो तो मेरी बीबी होगी.
मैं तो इतना सीधा हूँ, साली को भी चाहूँगा.
ओर मै साली के संग उस की सहेली को भी चाहुंगा जी दिन रात...
धन्यवाद सोये हुये आत्मविशवास को जगाने के लिये
समीर.. समीर.. समीर..
सौरी अंकल जी,
समीर अंकल.. समीर अंकल.. समीर अंकल.. :P
Respected samirji
show par Achha leekha apny. ek line yad aa rahi hai. Koin kahta hai ashma main surakha nahi ho sakta, ek pathar to tabeeyat se uchalo yaroin. so lage raho shahab.
लेख पढ़ा अच्छा लगा! आपकी टिप्प्णीयां जो मुझे मिलती है यदा कदा मुझ में वही तो आत्म विश्वास भरती है औरों की मैं नहीं जानता मुझे तो अपना मालूम है!
ओहो ! साली को तो हम भी चाहेंगे :) ले लिया गुरु मन्त्र आपसे.
और प्रेरणा से तो हमारे कॉलेज का वो अफेयर याद आता है जिसमें स्टेज पर लोगो ने कह दिया 'My inspiration' का हिंदी बोलो :)
काश ! हम भी वहं होते तो समीर समीर चिला कर स्टेडियम सर पर उठा लेते.
आसिफ़ एक दो गानें के बदौलत इतनी मस्ती में आ गये हैं, तो इब आगे क्या होगा?
बस इसी चक्कर मे छोड़ नही पा रहा हूं।आज हनुमान जयंती है इसलिये वरना मैं भी हिलता-हिलाता हर चौक-चौराहे पे चिल्लाता समीर-समीर-समीर्।
क्या आपके साथ भी ऐसा होता इस तरह का आत्मविश्वास वर्धन!
sir aapka aatamvishwaas dekhkar hamara bhi manobal badhta hai ki hum bhi aap jaisa kuch kare...
haan kavita ka bhi jawaab nahi :
एकदम बजा फरमाया आपने, आत्मविश्वास बहुत बड़ी चीज़ है। तो बस आप भी ऐसे ही प्रेरणा ले ही लीजिए, हमें भी प्रतीक्षा रहेगी कि कब हॉल में "समीर!! समीर!!" गूँजे। :)
अपुन के पास समय कम होता है.दिहाड़ी मजदूर हूँ.आता तो हूँ और कभी पोस्ट भी पढ़ लेता हूँ..जल्दी-जल्दी लेकिन कमेन्ट करने की मुहलत नहीं मिल पाती.हर पोस्ट की तरह इस का भी अंदाज़ लाजवाब!!प्रेरणा तो प्रेरणा है किसी से भी ली जा सकती है!!! क्यों!!!
और भी कई बेसुरे हैं जिन्हें हमें सुनना बाकी है. ये तो सिर्फ एक नमूना भर है वहां का, और यहाँ के सुरीले गलियों में दोस्तों को गाने सुनाते रहते हैं
haal me keval smeer smeer smeer kee aavajen aa rahee hain aur ab hame utsaah mila aur ham bhee us din kee intazaar karane lage jab hame sunane ko milega --nirmla--- nirmla-- nirmlabahut bahut shubhakamanayen aur badhaai [advance]
शब्द शिखर पर- "भूकम्प का पहला अनुभव"
उसकी तो बात छोड़ो, वो तो मेरी बीबी होगी.
मैं तो इतना सीधा हूँ, साली को भी चाहूँगा.
....इस पर भाभी जी का कमेन्ट तो लाइए, तब कमेन्ट किया जाय...फ़िलहाल बेहतरीन व प्रेरक रचना
are kaahe ko itte bhole bante ho bhayiya....ham kaa jaante nahin tumko.....ham bhoot hain bhoot bhaayi.....hamse kucchho chupa-vupa nahin hai.....haan likha to badhiya hi hai....magar.....hataao bhi....!!
bahoot achhi kavita
वाकई समीर ,समीर समीर ...गूंज रहा है सब जगह :) कौन जाने कब किसकी प्रेरणा बन जाए और इस तरह लिखवा जाए .हम तो पढ़ कर बस मुस्करा रहे हैं :)शुक्रिया
bahut hi shandar aalekh..........ek din sameer , sameer jaroor goonjega balki blogjagat mein to goonjata hi hai.
:-)
माध्यम कुछ भी बने,प्रेरणा जरूरी है। कहते हैं,शून्य सबसे बड़ी प्रेरणा होती है।
aap likhte to kamaal ka hi hai ,kavita bahut achchhi lagi ,aapki kitab 'bikhare moti' ke kuchh panne padhe ,man ko bha gayi rachnaaye ,phir mitr se taarif bhi ki ,maa ke upar jo rachna likhi hai shuruaat me wo to dil ko chhoo gayi ,jis din aai usi din kai padh li ,mitr se kahi hoon padh le to mujhe bhi de ,jisse itminaan se baaki rachna padh sakoon .
कितनी टिप्पणियों की तम्मना है ?
उड़न तश्तरी की ताजा पोस्ट से प्रेरणा लेकर
न जाने कौन सी बात पहचान बने
वो मुलाकात कल्पना की उड़ान बने
पल्लवित होती बेलें , नाजुक ही सही
बढ़-बढ़ के छूने को आसमान बने
तपन गर्मी की , बौरों से लदे
पेड़ों के फलों की मिठास का गुमान बने
चाँद सूरज हैं नहीं दूर हमसे
धरती पर रोज उतरें वरदान बनें
पीड़ा में छटपटाता है हर कोई
कौन जाने प्रेरणा रोग का निदान बने
जरुरी है खुराक इसकी भी
तन्हाईं में भी होठों पर मुस्कान बने
प्रस्तुतकर्ता शारदा अरोरा पर ३:२६ AM
www.shardaarora.blogspot.com
मैंने अपने ब्लॉग पर ये ही रचना प्रकाशित की है ....|
..मजा आ गया पढ़कर.
बहुत सुन्दर रचना...
kunwar ji,
Sameer bhai,
aapki post mein ek tadap dekhi. kuchh achchha kar gujarne ki tadap aage badhne vaalon mein honi hi chahiye.
yaad rakhne vaali baat hai ki aapki yah post bhi kisi ke liye prerna ban sakti hai.Sundar lekh ke liye Badhai!!!
Mere Jijaji,
Aap to wakayi mein itne seedhe hain jaise jalebeeeeeeeeeeeeee!!!
Aapki article padh ke hum bhi bahut prabhavit huye hain...
समीर …समीर्…समीर्……समीर…समीर…।कौन समीर…अच्छा वो समीर लाल?…अब वो किसका लाल ये तो तुम ही जानो, अपने केनेडा के हीरो तो समीर…समीर…समीर…:)
आपको गजब की प्रेरणा मिली. किसी दिन गा कर पाडकास्ट करियेगा.
Prem matlab PRERNA aur MAMTA, MAMTA PAR TO APNE bahut likha aur aansu la diye, prerna par aaj muskan la diya. Atif to besura hai - hamari tarah - hame khushi hai ki HAM bhi kisi ki prerna ban sakte hain - Ab!
Prem matlab PRERNA aur MAMTA, MAMTA PAR TO APNE bahut likha aur aansu la diye, prerna par aaj muskan la diya. Atif to besura hai - hamari tarah - hame khushi hai ki HAM bhi kisi ki prerna ban sakte hain - Ab!
ब्लॉग जगत के हीरो तो बन ही चुके हैं .....और क्या बाकि है अब ......??
किस ब्लॉग पर समीर ....समीर .....समीर .....नहीं होते .....!!
अपन भी कुछ ऐसे ही हैं,,,कविता में मजा आ गया
dharmendrabchouhan.blogspot.com
फिलहाल तो मैं आपके पोस्ट लिखने के अंदाज पर उल्लास में चिल्लाया करता हूँ
समीर समीर समीर .... हमारे समीर लाल साहब
dekh 'sameera' roya !
हा हा हा...जबरदस्त !!!
आपकी बात पर मुझे याद आया...
कभी जबरदस्त ढंग से मैं उत्साहित और प्रेरणा से भर गयी थी राबरी देवी(भूतपूर्व मुख्य मंत्री- बिहार ) को देखकर .... आज भी मानती हूँ श्रीमती रबरी देवी मेरी प्रेरणाश्रोत हैं...
बहुत खूब
प्रेरणा न हो तो तो जीवन की सार्थकता भी कम हो जाती है..बेहतरीन पोस्ट.
आपके आत्म विश्वास में बढ़ोतरी हो. सुन्दर कविता. मजा आ गया.
बहुत अच्छी प्रस्तुति। सादर अभिवादन।
समीर जी, अरे आपको कौन नहीं चाहेगा। साली तो साली घर वाली भी चाहेगी और शायद श्रेया भी। बढ़िया लिखा है।
आप दूर रह कर भी हमेशा और सबसे पहले पहुँचने वालों में से हैं .वाक़ई उड़न तश्तरी की ये रफ़्तार और अदा मुझे बेहद पसंद है .....शुक्रिया
prerana...intresting.
bahut acha laga ye padhkar .... :)
kavita to bahut hi shaandar hai :)
समीर !! समीर !! समीर
!! समीर !! समीर !! लो जी गूंजने लगा आपका भी नाम , सोच रहा हूँ कि मैं भी आपकी तस्वीर को फ्रेम करवा कर अपने ऑफिस कि दीवार पर लगा लूँ, क्योकि हमारे तो प्रेरणा स्रोत आप ही हैं!
ऐसे तो आत्मविश्वास कई बार आया था पर कायम नहीं रख सके। अब थोड़ा रिवाइंड करते हैं ताकि फिर से आत्म नहीं तो कैसा भी विश्वास तो आ सके।
कल 20/09/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
प्रेरणा तो जबरदस्त रही .
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