आज महावीर जी के ब्लॉग पर नव वर्ष का कवि सम्मेलन आयोजित किया गया है. बेहतरीन और नामी गिरामी कवियों के बीच मुझ अदना से कवि को भी स्थान दिया गया है, बहुत आभार आयोजक मंडल का.
मेरे इस गीत को स्वरबद्ध कर अनुग्रहित किया है काव्य मंजूषा ब्लॉग की स्वप्न मंजूषा शैल 'अदा' जी ने. सुनने के लिए नीचे प्लेयर पर जायें.
देखा कैसे चल दिया, बिना कहे यह साल
बरसों बीते देखते, इसका ऐसा हाल...
अबकी उसके साथ था, मन्दी का इक दौर
लोग राह तकते रहे, मिल जाये कहीं ठौर
जाने कितनों को किया, उसने है बेहाल...
देखा कैसे चल दिया, बिना कहे यह साल....
सूखे ने दिखला दिया,महंगाई का नाच
पण्डित बैठा झूठ ही, रहा किस्मतें बांच
कहीं बाढ़ आती रही, खाने का आकाल
देखा कैसे चल दिया, बिना कहे यह साल....
मेहनत से हम न डरें, खुद पर हो विश्वास
विपदा से हम लड़ सकें, हिम्मत रखना पास
गुजर गया है जान लो, संकट का ये काल
देखा कैसे चल दिया, बिना कहे यह साल....
इक आशा हैं पालते, नये बरस के साथ
दे जाये हमको नई, खुशियों की सौगात
हाथों में लेकर खड़े, आरत का यह थाल
देखो वो है आ रहा, नया नवेला साल...
देखा कैसे चल दिया, बिना कहे यह साल
बरसों बीते देखते, इसका ऐसा हाल...
-समीर लाल ’समीर’
उपरोक्त गीत को सुनिये ऑटवा, कनाड़ा की ब्लॉगर सुश्री स्वपन मंजुषा शैल ’अदा’ जी की मधुर आवाज में:
70 टिप्पणियां:
यथार्थवादी रचना. अच्छी लगी.
सुन्दर रचना,साथ में आप भी सुनाये होते ....
देखा कैसे चल दिया अबके बीता साल..खुशियों की सौगात मिले..करे इस आशा के साथ नए साल का स्वागत ..
सुन्दर गीत...मधुर आवाज़..खूबसूरत तस्वीर ..
लिखा आपने और उसे गाया अदा जी , माने तीर वो भी एक दम नशीला फ़िर भी टिपियाने को बचे हैं मदहोशी में जो लिखे जा रहे हैं बहुते समझियेगा काहे से कान में अभी तक सब गूंज रहा है । ई कंबीनेशन कमाल है अद्बुत
इक आशा हैं पालते, नये बरस के साथ
दे जाये हमको नई, खुशियों की सौगात
हाथों में लेकर खड़े, आरत का यह थाल
देखो वो है आ रहा, नया नवेला साल...
मन से लिखी गयी है यह रचना ,बहुत ही सुंदर . मन से ही गाया है सुश्री स्वपन मञ्जूषा जी नें.
नये साल की एक बढिया स्वागत गान...धन्यवाद समीर जी आप को भी और अदा जी को भी ..बढ़िया प्रस्तुति..
बहुत सुंदर रचना। सुनवाने के लिए आभार
किसी खासुलखास ख़ुशी ना मिलने की तड़प सारी रचना का सार दिखता है / बांकी पंडत का रोल मजेदार बयान किया है जो सारी रचना में सपनो का सौदागर बना बैठा है और खुले हांथो महंगाई के दौर में भी सस्ते भाव में भविष्य के सुनहरे सपने बेच रहा है भलेही वो झूठे क्यों ना हो/
मजेदार रचना , थैंक्स/
'रचना' अच्छी लगी !
अदा जी को सुन कर अच्छा लगा। इस प्रस्तुति के लिए आपका बहुत बहुत आभार!
बहुत सुन्दर गीत। उतना ही सुन्दर गान।
सूखे ने दिखला दिया,महंगाई का नाच
पण्डित बैठा झूठ ही, रहा किस्मतें बांच
वाह वाह, लाल साहब।
वाह, दोनों ही उम्दा, रचनाकार की रचना भी और गायक कलाकार की प्रस्तुति भी , बधाई ! आपको भी और अदा जी को भी !
विपदा से हम लड़ सकें, हिम्मत रखना पास
गुजर गया है जान लो, संकट का ये काल
प्ररेणा दायक .
अति सुन्दर कविता और गजब का सुरीला वाचन। आनन्द आ गया। शुक्रिया।
चकित कर दिया आपने. दोहे की बहर में इतनी जानदार रचना का निर्वाह, 'सदाशय शिवरतन लाल जी' की आत्मा का आशीर्वाद निस्संदेह आपके साथ है. एक तो इतना बढ़िया गीत और सोने पर सुहागा अदा जी की अदायगी, मज़ा आ गया. नए साल का बेहतरीन तोहफा पेश किया आपने.
लाजवाब गीत और उतनी ही कर्णप्रिय आवाज, बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.
देखा कैसे चल दिया अबके बीता साल..खुशियों की सौगात मिले..बहुत ही सुन्दर सहजता से कहे गये शब्द, सुमधुर आवाज के साथ लाजवाब प्रस्तुति, आभार के साथ नववर्ष की बधाई एवं शुभकामनायें ।
कविता के साथ-साथ स्वर भी मधुर है।
एक दिन पंकज निश्र ने भी तो लिखा था कि
आपकी आवाज बहुत पतली है।
अगर आप अपनी पतली आवाज से स्वर देकर इस कविता को लगाते तो आनन्द दुगना हो जाता जी!
बहुत-बहुत बधाई!
आपके शब्द और अडा जी की लय का बेहतरीन संयोजन....
बधाई
समीर जी
अच्छी रचना.......
...... नव वर्ष 2010 की हार्दिक शुभकामनायें.....!
ईश्वर से कामना है कि यह वर्ष आपके सुख और समृद्धि को और ऊँचाई प्रदान करे.
बहुत खूब.
ek sundar prastuti hai ....
hardik badhaai aapko ...
आपका यह गीत " देखा कैसे चल दिया, बिना कहे यह साल" मंजूषा शैल की आवाज में बेहद मनमोहक लगा. आभार
आपकी रचना से स्पष्ट है कि यह साल बहुत कुछ आगाह करके गया है ।
नव वर्ष मंगलमय हो
सुन्दर रचना!!!
’सकारात्मक सोच के साथ हिन्दी एवं हिन्दी चिट्ठाकारी के प्रचार एवं प्रसार में योगदान दें.’
-त्रुटियों की तरफ ध्यान दिलाना जरुरी है किन्तु प्रोत्साहन उससे भी अधिक जरुरी है.
नोबल पुरुस्कार विजेता एन्टोने फ्रान्स का कहना था कि '९०% सीख प्रोत्साहान देता है.'
कृपया सह-चिट्ठाकारों को प्रोत्साहित करने में न हिचकिचायें.
-सादर,
पं.डी.के.शर्मा ’वत्स’
:)
सुन्दर रचना, मधुर स्वर में यथार्थ का वर्णन
- सुलभ
मुआफी मगर आपकी रचना अदा जी की आवाज़ में और खिल गयी है .. कुछ एक रचनाएँ और भी सुनी है मैंने उनकी मखमली आवाज़ में , बहुत ही प्यारी आवाज़ की मालकिन हैं वो .. और कम्माल की कलम चलती है आपकी.. नव वर्ष पर आपको तथा आपके पुरे परिवार को मेरे तरफ से बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं..
अर्श
मंहगाई ने कमर तोड़ी,
भूख से हाल बेहाल.
मत पूछो कैसे बिता,
अपना बीता साल.
rachna aur swar........dono bemisaal
बहुत बढ़िया रचना है।बधाई। गीत को गाया भी उतना ही सुन्दर तरह से है। बहुत बहुत बधाई अदा जी को भी।
कविता और गायन की अतिसुंदर प्रस्तुति . नव वर्ष की खूबसूरत भेंट .
समीर जी,
आपकी रचनाओं की तारीफ करना वैसे भी हम मान चुके हैं सूरज को दीया दिखाना है....
आपने अपनी रचना गाने का अवसर दिया ....अभिभूत हूँ...
और उससे भी ज्यादा कृतज्ञं हूँ आपने और साधना जी ने इसे पसंद किया..
और आज छाप भी दिया हमरी फोटू के साथ ...अगे मईया..:)!!
थान्कू.....:
आपका ह्रदय से आभार...
कविता पढ़ी भी और सुनी भी। अच्छी कविता एक मधुर आवाज में। सोने में सुहागा!
कविता पढ़ी भी और सुनी भी। अच्छी कविता एक मधुर आवाज में। सोने में सुहागा!
निसंदेह अच्छी रचना! यथार्थ अंकन!
सोच रहा हूं कि इस रचना की तारीफ़ करुं कि रचनाकर की या इसको गाने वाली के आवाज की या फिर इस झकास तस्वीर की...
मैम, सुन रही हैं आप?
बहुत सुंदर रचना. धन्यवाद
nav varsh par nav geet , anupam prastuti.
रचना की सुन्दरता पर शब्द नहीं, छोटा मुंह बड़ी बात होगी कुछ भी कहना.
बीती ताहि बिसार दे, आगे की सुधि ले.
जय हिंद, जय बुन्देलखण्ड
सुन्दर गीत, मधुर गान।
आप दोनों को बधाई और शुभकामनायें।
बहुत अच्छी रचना।
सही है.... ऐसा कोई साल नहीं है, जो आया और गया नहीं है.... और बरसों-बरस से यही हाल है:)
achhi rachna ,mdhur aavaj krnpriy sngget
sbko badhai .
बहुत ही बढिया और उसके साथ अदा जी की मीठी आवाज ने तो जादू ही चला दिया । बधाई।
बेहतरीन स्वर है ! प्रस्तुति का आभार ।
इसे कहते हैं.." सोने में सुगंध मिलना " रचना बढ़िया उस पे अदा जी की मीठी आवाज़ - बहुत खूब जी .........
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हिन्दी के प्रसार एवं प्रचार में आपका योगदान सराहनीय है.
मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं.
निवेदन है कि नए लोगों को जोड़ें एवं पुरानों को प्रोत्साहित करें - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।
एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाएँ और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।
आपका साधुवाद!!
शुभकामनाएँ!
बहुत स्नेह सहीत :)
- लावण्या
सुंदर गीत ।
सुंदर गेय रचना-आभार
अच्छी रचना ...आपको और अदा जी दोनों को धन्यवाद !!
वैसे तो कविता ठीकठाक सी लग रही थी...पर जैसे ही इसे 'अदा जी' कि मधुर आवाज में सुना शानदार बन गयी....अब पता लगा कि हम कविता गजल या गीत को क्यों नहीं पहचान पाते है...और विद्वान गुण को तुरंत पहचान लेते है...
कई दिन नेट से दूर रही। नये साल की बहुत बहुत शुभकामनायें अभी सुनते हैं अदा जी को । धन्यवाद्
बहुत सुन्दर कविता है. पढ़कर आनंद आया.
bahut hi achcha geet
har rang ko dikhata hua
aur saal ke beet jaane par shayad sabhi ke man mein ye khyaal aate honge
ADa ji ki aawaz mein sunna bahut achcha laga
Aapkee rachna aur Adaji kee aawaaz...sone pe suhaga!
WAAH ! WAAH ! WAAH ! JAISI ADWITEEY KAVITA KAANON ME RAS GHOLTI WAISI HI ADWITEEY AAWAAJ/SWAR....
MAN RAS SIKT HO GAYA...WAAH !!!
AAP DONO KO SAPARIWAAR NAV VARSH KI ANANT SHUBHKAMNAYEN....
इक आशा हैं पालते, नये बरस के साथ
दे जाये हमको नई, खुशियों की सौगात
हाथों में लेकर खड़े, आरत का यह थाल
देखो वो है आ रहा, नया नवेला साल...
समीर जी ! इतना उमंग और उत्साह
आपही दे सकते हैं !नया नवेला साल मंगलमय हो !
waah guruji badi khoobsurti se kah diya poora haal .
dekha kaise chal diya , bina kahe yah saal .
shukriya
सूखे ने दिखला दिया,महंगाई का नाच
पण्डित बैठा झूठ ही, रहा किस्मतें बांच
कहीं बाढ़ आती रही, खाने का आकाल
देखा कैसे चल दिया, बिना कहे यह साल..
..सुंदर गीत.. सुना भी पढ़ा भी.
नववर्ष मंगलमय हो.
धन्यवाद...
इस गीत के लिए भी...
बहुत सुंदर और उत्तम भाव लिए हुए.... खूबसूरत रचना......
sach kha hai kisi ne jhan pahunche n ravi whan pahunche kavi......
navvarsh manglmay ho....
sach kahjata hai...
jhan n pahunche ravi, whan pahunche kavi.....
navvarsh manglmay ho....
9820450659 धन्यावाद
मैने तो खुद ही गा कर पढी.अच्छी है.
इस प्रस्तुति का तो जबाब नहीं .. आपकी रचना भी अच्छी लगी .. और अदा जी की आवाज भी .. बहुत बढिया लगा !!
Awaz
Andaaz
A
U
R
Alfaaz
Sab ke Sab Zabardast...
Regards
Ram K Gautam
यथार्थ का सही चित्रण है इस गीत में
समीर जी,
आपकी कविता ने सबको मुग्ध कर लिया ....मेरे लिए बहुत ही हर्ष कि बात थी कि आपने यह मौका मुझे दिया ....
मैं बहुत-बहुत आभारी हूँ...
सभी पाठकगणों का हृदय से आभार मानती हूँ कि उन्होंने इस गीत को पसंद किया और दिल खोल कर मेरा हौसला बढाया..
सच-मुच आप सबका अपार स्नेह देख मन भीग गया..
सभी पढ़नेवालों और सुनने वालों का , श्रद्धेय महावीर जी और समीर जी एक बार फिर हृदय से धन्यवाद करती हूँ..
विनीत ..
स्वप्न मंजूषा 'अदा'
हक़ीकत की धरातल पर लिखा सुंदर गीत .............. मज़ा आ गया समीर भाई ........ नये साल की शुभकामनाएँ ......... हम तो ६ दिन नेट से दूर थे ......... आपकी रचना को मिस किया पर अब पढ़ लिया .........
वो तो कुत्ते हैं...भौंक कर ही अपने दिल की भड़ास निकाल लेते हैं ...हम इंसान तो उनसे भी गए-बीते हैं... सामने मीठे बने रहते हैं और पीठ पीछे वार करने से भी नहीं चूकते
बढ़िया आलेख
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