कल रात ही तुम्हारी हालत और हिचकियाँ देख कर मैं समझ गया था कि अब मेरा तुम्हारा साथ अंतिम पड़ाव पर है लेकिन एक उम्मीद, एक आशा और उस तीसरी शक्ति पर भरोसा. कैसी खराश की आवाज आ रही थी तुम्हारे गले से.
मैं रात भर तुम्हें गोदी मे लिए हर संभव इलाज करता रहा. जो जहाँ से पता चला वो दवा की मगर होनी के कौन टाल सकता है. सुबह सुबह तुमने एक लम्बी सिसकी ली और मेरी गोद में ही दम तोड़ दिया. सूरज बस उगने को था.
मैं आवाक देखता रह गया. नियति के आगे भला किसका जोर चला है.
इतने साल तुम्हारा साथ रहा. मेरे हर अच्छे बुरे समय और कर्मों में तुमने मेरा साथ निभाया. जाने कितने ही काम मैने तुम्हारी आड़ में जाने अनजाने में ऐसे किये जो शायद सार्वजनिक रुप से खुल कर करता तो हर तरफ मात्र धिक्कार ही मिलती. मगर तुमने एक सच्चे साथी का धर्म निभाते मेरे हर अच्छे बुरे को अपनी ममतामयी आत्मीय ओट में छिपा लिया. कभी भी, कहीं भी कोई राज नहीं उगला.
मैने जब चाहा, तब तुमने मेरा साथ दिया. दिन का कोई पहर हो या आधी रात. कभी तुम्हारे चेहरे पर शिकन न आई. जब मैं उदास होता तो कोई मन को लुभाने वाला गीत तुम सुनाते, कैसे कैसे किस्से लेकर आते कि उदासी कोसों दूर भाग जाती.
हम भी कितने अजीब होते हैं. सोचा ही नहीं कि कभी न कभी बिछड़ना भी होगा. ऐसा नहीं कि इस बीच तुम कभी बीमार नहीं पड़े मगर हल्की फुल्की बीमारी, बस चलते फिरते इलाज से दूर होती गई और हम एक दूजे को अजर अमर मान बैठे.
मैंने अपना सर्वस्व तुम्हें सौंप निश्चिंतता की चादर ओढ़ ली थी. कब क्या करना है, कहाँ जाना है, क्या कहना है-सब तो तुम बताते थे. किससे कैसे संपर्क होगा किस पते पर, आज फलाने का जन्म दिन, आज उसकी शादी की सालगिरह, बैंक में इतना पैसा, फलाने के घर का पता-मेरी जिन्दगी की तुम धूरी थे. तुम्हारे बिना रहना पड़ेगा, यह कभी सपने में भी नहीं सोचा था.
मैं जहाँ भी जाता-चाहे शहर में या शहर और देश के बाहर, सब कुछ भूल सकता था मगर तुम्हें नहीं. तुम हमेशा मेरे साथ रहे मेरे रहनुमा बन कर.
हालांकि मेरी भरसक कोशिश होती थी कि तुम बीमार न पड़ो. तुम्हें जरुरी टॉनिक और बीमारी के कीटाणुओं से बचाने का टीका इत्यादि का प्रबंध मैं हमेशा करवाता रहा. लेकिन एड्स, स्वाईन फ्लू, आतंकवाद आदि जैसी मारक बीमारियों कब किसे चपेट में ले लें कौन जानता है. इनके तो वैक्सीन इनके आ जाने के बाद ही बनते हैं और तब तक तो यह कितनों की जिन्दगियों को लील चुके होते हैं.
शायद मेरा तुम्हारा साथ यहीं तक था. आज तुम चले गये और साथ ले गये न जाने मेरी कितनी यादे. न जाने कितने विचार, सोच, कथन, कुछ कहे और कुछ अनकहे, कुछ उपजते और कुछ लहलाते..सब कुछ...मेरी जिन्दगी के कितने ही राज तुम्हारे साथ ही विदा हो गये.
उम्र तो तुम्हारी हो रही थी, एक न एक दिन सबको जाना ही होता है लेकिन इस तरह-अपनों के जाने का गम तो हमेशा सालता है वो भी जब आप उस पर इस कदर आश्रित हों.
सूनी हो गई मेरी दुनिया. शमशान वैराग्य में गोते लगा रहा हूँ. साथी तो फिर कोई मिल जायेगा मगर जो कुछ तुमसे जुड़ा था और जो तुम्हारे साथ गया वो...वो शायद कभी वापस न आये..
आज ओबेद उल्लाह अलीम के शेर याद आते है, जो तुम सुनवाया करते थे...
जैसे तुम्हें हमने चाहा था, कौन भला फिर चाहेगा...
माना और बहुत आयेंगे, तुमसे प्यार जताने लोग!!
तेरे प्यार में रुसवा हो कर, जायें कहाँ दीवाने लोग
जाने क्या क्या पूछा रहे हैं, ये जाने पहचाने लोग!!
(नोट: आज सुबह मेरा लेपटॉप एक अनजान वायरस की चपेट में आकर मेरी गोद में दम तोड़ बैठा. साथ गये कई फोटो, विडिओ और एक माह पूर्व लिए बेकअप के बाद के आलेख, कविता, गीत, कुछ पूरे, कुछ अधूरे. उसी लेपटॉप को समर्पित यह श्रृद्धांजलि पोस्ट दो बूँद आंसू के साथ.)
निवेदन: कृप्या टिप्पणी के माध्यम से अपनी श्रृद्धांजलि अर्पित करें तो मुझे आपका पता वापस मिले वरना तो वो सब साथ ले ही गया है.
101 टिप्पणियां:
मानवता के इतिहास में आपकी यह कविता एक नया सन्देश दे रही है -यह की अब मानवीय रिश्तों का विस्थापन और मशीन और मानव के स्नेह सम्बन्न्ध का एक नया युग शुरू हो रहा है ! शायद याह हर तरह के मानवीय वादों की हार है और एक नए युग का आगाज है -आईये स्वागत करें मनुष्य मशीन की परिणय की इस बेला को .....
मिलना और बिछड़ना जिंदगी का एक रूप है,
यही जीवन है थोड़ा छाँव और थोड़ा धूप है,
एक गया तो दूसरा आएगा विश्वास रखिए,
भरोसा बनाए रखे, ईश्वर पर आस रखिए,
धीरे धीरे सब ठीक हो जाएगा,
थोड़ा उपर वाले और थोड़ा आपके हाथ में है,
संकट की इस घड़ी में हम सब आपके साथ हैं,
सादर श्रृद्धांजलि!!धैर्य बनाएँ रखे ..सब कुछ मिल जाएगा...
हमारी भी अश्रुपूर्ण श्रधांजलि...:)...पता है,आपका दुःख क्या है...क्यूंकि हमारा लैपटॉप भी हॉस्पिटल गया हुआ है...और सारी यादें (फोटोस)..उसी में क़ैद है..बच्चों के लैपटॉप में आधे ब्लोग्स खुलते भी नहीं और अजनबी सा लगता है,इसका साथ....पर फ़िक्र ना करें आपका नया लैपटॉप कुछ दिनों में ही आपको अपना बना लेगा
पढ़ते पढ़ते दुखी हुआ सोचा क्या परिणाम?
नोट पढ़ा तो सुमन गिरा एकाएक धड़ाम।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
ओह! बेहद अफसोस है। मैं आपकी भावनाओं को समझ सकता हूँ। 'सुपर प्रोग्रामर' किसी के दुश्मन को भी यह दिन (या रात) न दिखाए।
लेकिन हमारे पते-ठिकाने के लिए भी आपको किसी पर आश्रित होना पड़ेगा!? धिक्काsssssर है :-)
बी एस पाबला
दम तोड़ते लैपटाप की सिसकियाँ अभी तक गुँज रही है, चलो उसे दम तोड़ते हुए एक सुकुन तो होगा कि जिस मालिक की सेवा जीवन भर की है उसी की गोद मे दम निकला और इसी कृतज्ञता से भरा मन लेकर वह चल पड़ा अनंत यात्रा की ओर्। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति दे और परिजनों को दारुण दु:ख सहने की असीम शक्ति।
लेकिन वो था किस कम्पनी का?
आंसू पोंछ डालो पुष्पा!
लैपटॉप मरा नहीं,लैपटॉप मरते नहीं.
हम कहें कौन है भला..आपका अपने लेपटॉप के प्रति इतना प्रेम बाजिब है..हम कितना ही आश्वासन दे दें..पर जिस पर बीतती है वही जानता है
कुछ अच्छा पढ़ने की चाह में..दिन में दो बार तो चक्कर लगाता ही हूँ यहाँ पर..
बधाई !!!
आपके प्रिय साथी को श्रृद्धांजलि |
जब भारत आये तो अपने इस दम तोड़ चुके साथी को साथ ले आयें , यहाँ हो सकता है कोई इसे झाड़ फूंक से इसमें घुसे अनजान वायरस रूपी जिन्न को बाहर निकालकर ठीक करदे |
कम्प्यूटर की हार्ड डिस्क में से तो हर हाल में बैकअप लिया जा सकता है भले ही वो पूरी तरह से क्रेश हो गई हो । ऐसे में यदि किसी विशेषज्ञ को दिखाएं तो संभव है कि बैकअप मिल जाये । वैसे आप एक यूएसबी हार्ड डिस्क खरीद लें और उसे हर पन्द्रह दिनों में अपने लैपटाप से सिंक्रोनाइज़ करने की आदत डाल लें उससे काफी कुछ हल हो जाता है । आपके लैपटाप की समस्या क्या है । क्योंकि मेरे विचार सेअभी कोई भी वायरस ऐसा नहीं है जो हार्डवेयर को कोई प्रत्यक्ष नुकसान पहुंचाता हो । जितने भी वायरस हें वे साफ्टवेयर को ही नुकसान पहुंचाते हैं । इन दिनों जो वायरस आ रहे हैं वे पैन ड्राइव मेमोरी कार्ड से ही जियादह आ रहे हैं । उसके लिये हमेशा अपने कम्प्यूटर में एक अच्छा यूएसबी क्लीनर डाल कर रखना चाहिये । यदि आपके कम्प्यूटर में एन्टी वायरस हो तब भी एक यूएसबी क्लीनर तो होना ही चाहिये । क्योंकि ये यूएसबी क्लीनर आपके पैन ड्राइव या मेमोरी कार्ड को इन्सर्ट होते ही चैक करके क्लीन कर देते हैं । यदि आप ईमेल को मैनेज करने का काम आउटलुक के माध्यम से करते हैं तो बहुत ही अच्छा होगा कि आप हर सप्ताह किसी अच्छे साफ्टवेयर से अपने आउटलुक का बैकअप लेते रहें । इससे क्या होगा कि आपकी मेल सेटिंग आपको हमेशा मिल जाया करेगी । जहां तक ब्लाग पोस्ट का सवाल है तो विंडोज राइटर का उपयोग करने वाले तो माय डाक्यूमेट में रखे फोल्डर माय ब्लाग पोस्ट का बैकअप लेते रहें । अपने लैप टाप को किसी अच्छे डाटा रिकवरी एक्सपर्ट को दिखाएं क्योंकि डाटा रिकवर होना कोई बहुत मुश्किल नहीं है । लेकिन चूंकि डाटा रिकवरी वाले चार्ज बहुत करते हैं इसलिये यदि बहुत महत्वपूर्ण डाटा हो तो ही करवाएं अन्यथा भूल जाएं । भारत में होते तो मैं कर देता किन्तु डाटा रिकवरी करने के लिये मैं वहां आऊं या आप यहां आएं ये दोनों ही प्रोसेस महंगी पड़ेंगीं । ( हा हा हा) । कम्पयूटर हार्डवेयर में हम लोगों को सिखाया जाता था कि जब तक हार्डवेयर थोड़ा सा भी रिस्पांस दे रहा है तब तक सब कुछ हो सकता है । खैर आगे से सावधनी रखियेगा । श्रद्धांजलि इसलिये नहीं दूंगा क्योंकि मुझे पता है कि वो अभी खत्म नहीं हुआ है ।
समीर जी, मैं तो कई बार कह चुका हूं कि लनेक्स क्यों नहीं प्रयोग करते। अबकी बार उबुंटू डलवा कर देखिये। सारी झंझटों से छुटकारा।
ईश्वर दिवंगत की आत्मा को परम शांति और आपको यह दारुण दु:ख सहने की असीम शक्ति दे यही पार्थना है । यही सोच कर धैर्य रखें कि जो आता है उसे जाना ही होता है । यही प्रकृति का नियम है । और ब्लॉग जगत में शायद हो कोई होगा जो इस कष्ट से दो चार नहीं हुआ होगा । चार माह पूर्व मैं भी इस पीड़ा को भोग चुकी हूं जब मेरे सारे फ़ोटोज़, आलेख , कवितायें और अन्य बहुत सी सामग्री वायरस की भेंट चढ़ गयी । आपके संस्मरण ने मेरे ज़ख्मों को भी हरा कर दिया । मेरी सहानुभूति स्वीकार करें ।
आया है सो जाएगा ...कह गए साधू संत फकीर ....
कुछ बूंद आंसू हम भी टपका दिए हैं आपके प्रिय लैपटॉप के नाम ....!!
ये तो जीवन का नियम है, और एक यही ऐसा नियम है जिसको दुनिया में बहुत से मनुष्य़ों ने तोड़ना चाहता, लेकिन भारतीय नियम न थे कि वो इसको तोड़ सके, जिसका अविष्कार हुआ है, उसको तो जाना ही होगा। पहले पहले तो डर गया था, बीएसपाबला की डेजी याद आ रही थी, जो कुछ समय पहले आकस्मिक इस दुनिया को अलविदा कह गई थी। आप आपने लेपटॉप के कितना करीब थे, आपकी अभिव्यक्ति बताती है। प्रेम हो तो ऐसा।
औरत का दर्द-ए-बयां
"हैप्पी अभिनंदन" में राजीव तनेजा
कैमरॉन की हसीं दुनिया 'अवतार'
लैपटाप हमारे जीवन में मां और पत्नी की तरह महत्व रखता है । उसका जाना बहुत दुखद है , किसी अच्छे डाक्टर ( साफ्ट./हार्ड.इंजी.) को दिखायें शायद कोमा से वापस लौटे ।
आपके दुख में शामिल
अजय कुमार
अभी दो दिनों पहले मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था इसलिए मैं आपके दुःख को अछि तरह से समझ सकती हूँ . मेरा ज्यादा नुकसान नहीं हुआ प्रार्थना करती हूँ आपको भी नुक्सान न हो !
पता नहीं, जिन्होंने आपकी कुछ लाइन पढ़ कर , दुखी हो गए होंगे, उन्हें कैसे सांत्वना दूं समीर महाराज ....आगे आपकी संवेदना में शामिल होने से पहले ध्यान से आखिर तक पढ़ कर ही फैसला लेना है :-)
'आज सुबह मेरा लेपटॉप एक अनजान वायरस की चपेट में आकर मेरी गोद में दम तोड़ बैठा.'
आत्मीयता एक ऐसी शै है जो किसी से हो सकती है. और फिर बिछडने का गम. हम आपके इस गम मे शरीक है. कोशिश करके देखे शायद आखिरी हिचकी से पूर्व ही जान आ जाये. (किसी पारंगत की सलाह लें)
बेहद अफसोस है। हमारी भी श्रधांजलि....
दम तोड़ते लैपटाप की सिसकियाँ अभी तक गुँज रही है.....
regards
पिछले वर्ष मैने भी इस दर्द को झेला .. आपके संस्मरण को पढकर अपना दुख ताजा हो गया .. प्रकृति के नियम को स्वीकार करना पडता है .. उम्मीद है नया लैपटॉप आपकों पुराने की कमी महसूस नहीं होने देगा .. और जल्द ही आप इस कष्ट को भूल पाएंगे !!
उपस्थित, किंकर्तव्यविमूढ़ हूँ श्रद्धांजली दूँ या न दूँ . कहीं वह फिर न जी उठे
ईश्वर उसकी आत्मा को शान्ति प्रदान करे!
आपके इस शोक में हम भी साथ हैं।
गुरुदेव,
अब जो भी लैपटॉप लें सबसे पहले उसे काला टीका लगाएं...
मेरा ई-मेल है sehgalkd@gmail.com और फोन नंबर 9873819075...
जय हिंद...
उफ़ ! ये साहित्यकार भी न,.................बड़े अजीब किस्म के प्राणी होते है !
बहुत खूब.. आंसू आ गये.. लैपटॉप से इतना प्यार.. इंसान से आप कितना प्यार करते होंगे..
aane vale ko ek din to jaana hi hai ...aap jaise mahanubhav ka dukhad anubhav hamen bhi ek mashvara de gaya ...kripaya aap bhi apne pyare aur pyari ko niymit rup se tikakaran karvayen ....aapke svagarsth laptop ki tarafgahari sahanubhuti ke saath ek naye laptop par ek nayi post ke intzaar me
आपका डाटा वापस मिल जायेगा डाटा रिकवर हो सकता है विरुस से सॉफ्टवेर ही क्रेश होता है तो आप परेशान न हो आपका लैपटॉप अभी मारा नहीं है बेचारा जिंदा है अभी बस उसकी रूह कहीं भटक रही है उसे वापस पकड़ के लाकर लैपटॉप में डालना होगा डाटा रिकोवेरी के बाद आपके लैपटॉप की साँसे उसे वापस मिल जाएगी :) तो श्रद्धांजलि देने का तो कोई चांस ही नहीं
अच्छे डॉक्टर से दवा कराएँ :)
लोग अपने अत्यंत प्रिय के या सगे के गोलोक गमन पर भी इतना विलाप नहीं करते जितना आप अपने लैपटाप के रुग्ण होने पर कर रहे हैं...रुग्ण इसलिए क्यूँ की डाक्टर पंकज सुबीर जी के अनुसार अभी उसमें 'बहुत जान बाकी है...ठाकुर...' आप कितने संवेदन शील है ये बात भले ही आपकी कविताओं और लेखों से पाठकों को स्पष्ट न होती हो लेकिन आपके इस विलाप से स्पष्ट हो गयी...आप महान है...लैपटॉप के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना के साथ....(क्यूँ की उसके गोलोक गमन की पुख्ता जांच होनी अभी बाकी है).
नीरज
अपकी ैसी ही हालत मेरी मेरी भी है जी!
मेरा भी दम तोड़ रहा है। H.C.L. का लिया था।।
अब बैटरी खराब बता रहा है।
आप नया लें तो H.C.L.का तो भूलकर भी मत लेना।।
आपके प्रिय साथी को श्रद्धाञ्जलि समर्पित करता हूँ!
चलिये सुदीर जी की बात पर आपलो बधाई दे देते हैं कि अभी बहुत आशा बाकी है। शुभकामनायें
चलिये सुदीर जी की बात पर आपलो बधाई दे देते हैं कि अभी बहुत आशा बाकी है। शुभकामनायें
कितनों के आँसू निकाले होगें इस पोस्ट ने. तीये का भोज कब है, आ जाएं. :)
अरे! ऐसे मौकों पर मुस्कुराना नहीं चाहिए, सॉरी. मेरी संवेदनाएं स्वीकारें. लैपटॉप का नया मॉडल मुबारक.
मैं भी आपके दुख में शामिल हूं.
आह भगवान ये यह क्या किया अभी उसकी उमर ही क्या थी;खैर... जो हो गया सो हो गया; भगवान उसकी आत्मा को शांति दे और आपको उसका विछोह सहने की ताकत दे
ये तो जीवन का नियम है, और एक यही ऐसा नियम है जिसको दुनिया में बहुत से मनुष्य़ों ने तोड़ना चाहता, लेकिन भारतीय नियम न थे कि वो इसको तोड़ सके, जिसका अविष्कार हुआ है, उसको तो जाना ही होगा। पहले पहले तो डर गया था,
सूनी हो गई मेरी दुनिया. शमशान वैराग्य में गोते लगा रहा हूँ. साथी तो फिर कोई मिल जायेगा मगर जो कुछ तुमसे जुड़ा था और जो तुम्हारे साथ गया वो...वो शायद कभी वापस न आये..
लेपटोप जी बहुत ही धीर गंभीर और हमारे सामाजिक जीवन मे उच्च स्थान रखते थे. उनके जाने से जो अपूर्णिय क्षति हुई है उसे कभी भी नया लेपटोप खरीदे बिना पूरा नही किया जा सकेगा.
फ़िर भी धैर्य धरिये. दुनिया फ़ानी है. ईश्वर से प्रार्थना है कि लेपटोप जी को जन्नत मे जगह अता करे और उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे. और आपको धैर्य रखने का होसला प्रदान करें.
भारी मन और दुखित: दिल से
रामराम.
कैसी अजीब बात है कि आज ही दैनिक भास्कर के संपादकीय पृष्ठ पर प्रीतिश नंदी जी का एक बड़ा लेख इसी विषय पर है । मानव की मशीन पर निर्भरता को लेकर ।
Dad accept my condolences :(
:(
:(
मुझे तो यह दुखदायी खबर आज आपसे मिली. लेकिन गुजरे साथी की खबर उसके जात बिरादर को पहले ही मिल चुकी थी शायद बेतार प्रणाली के माध्यम से...
कल दिन को मेरा एकलौता लैपटॉप अपना पॉवर एडेपटर जला बैठा.. बगैर किसी बाहरी दखल के.
मैं अभी तक हैरान था ऐसा आखिर हुआ कैसे.. अब समझ आया ये मशीनी दुनिया का टेलीपैथी था. अपनों के बिछड़ने का दुःख: था.
kavi se usaki kavita ka chhin jana vaise hi hai jaise bhakt se usaka bhagvan roodh jaye.
-achhi shabdanjali.
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आपके "गोद-ऊपर" को मेरी भी श्रद्धांजलि,
कृपया उसके पार्थिव अवशेषों को रिसाईकिल कर दीजियेगा !
जो लैपटॉप ब्लॉगजगत के लिए अपनी जान देता है ....वो मरता नहीं है उसे तो शहीद कहते हैं...शहादत को नमन
:)
chalo jan chhuti is nashvar sansar se. narayan narayan
behad dukhad......jis par bitati hai wo hi janta hai.........sach insaan ek dam asahay ho jata hai........vaise pankaj subir ji ki baat par dhyan dijiyega.
अंय? आप अपने प्रिय से बेवफाई कर मरते ही दूसरे को घर ले आये।
बेहद दुखद बात है,इन क्षणों में मैं आपके साथ हूँ,ईश्वर आपको दुःख सहने की शक्ति दे .......
बूहूहू...
दो ठो आँसू मेरी तरफ से भी.. भगवान अच्छे मॉडलों को जल्दी उठा लेता है। आपका प्रिय भी बहुत जल्दी किसी अन्य रूप में पुनरावतरित होगा..
वैसे पंकज सुबीर जी की बात भी काबिले-ग़ौर है। कोई प्रोग्रेस हो तो यथासमय खबर कीजियेगा- यह टेम्पररी श्रद्धांजलि हटा ली जायेगी।
और हाँ...ये जाने कितने ही काम मैने तुम्हारी आड़ में जाने अनजाने में ऐसे किये जो शायद सार्वजनिक रुप से खुल कर करता तो हर तरफ मात्र धिक्कार ही मिलती टाइप कन्फेशंस इस सार्वजनिक पटल पर न रखिये.. इज्जत का फालूदा बनते देर नहीं लगती। वइसे भी एकाध दरुवल पोस्टें नवब्लॉगाकांक्षियों को राहे-बातिल पर भटका चुकी होंगी.. ऐसा न हो आप पर भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग करने का इल्ज़ाम लग जाये.. :)
बहुत ही आफ़सूस की बात है समीर भाई ........ हम भी शामिल हैं आपके दुख में ....... INVITATION भेजो गम ग़लत करने आते हैं आपके पास .........
आपके प्रिय साथी को हमारी भी अश्रुपूर्ण श्रृद्धांजलि !!!!
समीर जी ,हम तो पोस्ट का टाइटल पढ़कर ही समझ गए थे की आज आप शॉक देने वाले हैं।
सुना है, डिस्क डी में जो डाटा होता है, वो सुरक्षित रहता है।
वैसे मेरी माने , तो आप इसे पुरातत्व विभाग को सौंप दें।
आज से हजारों साल बाद जो डिस्कवरी होगी , सोचिये कितनी महत्त्वपूर्ण होगी।
मैं इस लेख को बहुत ही मार्मिक होकर पढ़ रही थी। लेकिन, आखिर में मालूम चला कि ये व्यंग था। सच में ये व्यंग था ना?
समीर जी ,इस दुख की घड़ीयों मे हम सभी आपके साथ हैं.....इस दुनिया मे जो भी आता है उसे एक ना एक दिन जाना ही होता है......हमारी श्रद्धांजलि स्वीकारें...
ऒ ऒ ऒ
जाने वाले
हो सके तो
लौट के आना....
समीर जी का
जरूरी माल
वापिस कर जाना...ऒ....:)
हे राम यक कया अनहोनी हो गई, मुझे तो उसी दिन पता चल गया था, लेकिन फ़िर भी उम्मीद थी, चलिये आप को भ्गवान हिम्मत दे, ओर उस लेपटाप को भी अपनी शरण मै ले....
हम सब की तरफ़ से आप के प्रिय लेपटाप को श्रृद्धांजलि आर्पित करते है
आप का लेपटाप हिन्दू था या मुस्लिम लेकिन उसे चिता हर्गिज ना दे, दफ़न हर्गिज ना करे... वरना.....उसे लेपटाप ही रहने दे, इंसानो की तरह मत बनाये आमीन
oh, laptop.., sashakt abhivyakti, shradhdhanjali, kintu is vajrghaat se sanchaar kraanti jald ubaar legi, mujhe vishvaas he...
ओह्ह्ह्ह्ह....हमने तो सोचा कि आपका भी कुत्ता सदगतिया गया....कोई बात नहीं समीर जी, जो आया है वो जायेगा भी..be practical...
ओह्ह समीर भाई हमे भी बेहद अफ़सोस है...)
कुछ ही दिन हुए जब मैं भी इस वायरस हमले से परेशान हो गया था। इसकी वजह अपने अनाड़ीपन को मानता रहा। अब आपकी कम्पनी मिल गयी है तो राहत महसूस हो रही है। मेरी समस्या जानकर भी ब्लॉगर मित्रों ने बहुत अच्छी-अच्छी बातें बतायी थीं और ज्ञान बढ़ाया था। अब यहाँ भी काफी ज्ञानवर्द्धन हो रहा है। अच्छी उपयोगी पोस्ट साबित हो रही है यह। आपकी लेखनी के क्या कहने...!
आपके लैपटॉप के जाने से आप शोक-संतप्त हुए । कितना अच्छा लग रहा होगा आपको जब लोग यहाँ बहुतायत में कह रहे हैं कि साँस अभी बाकी है ।
बेहतरीन प्रविष्टि । कुछ भी कितना महत्वपूर्ण हो जाता है आपकी कलम से निकलकर, ब्लॉग की पोस्ट बनकर ।
बहुत-सी जानकारियाँ भी मिल गयीं हमें तो । श्रद्धांजलि !
आपके दुःख में हम भी सहभागी ही \
आज के दैनिक भास्कर में प्रतिष् नंदी काम इसी तरह का आलेख है और उन्होंने सार्वजनिक तौर पार कहा ही नये साल में वो इलेक्ट्रानिक माध्यमो के गुलाम नहीं बनेगे |
Niyati ke aage duniya haaree.
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अंग्रेज़ी का तिलिस्म तोड़ने की माया।
पुरुषों के श्रेष्ठता के 'जींस' से कैसे निपटे नारी?
ईश्वर आपके लैपटाप की आत्मा को शांति दें और आप के लैप को सुरक्षित रखे जो एक नये लैपटाप के इंतेज़ार में है :)
uffffffffffff ....!!!!
शीर्षक पढ्ते ही मेरा ध्यान सीधे स्व.लैपटाप की ओर गया . लैपटाप ने लैप मे ही दम तोडा शायद इसीलिये इसे लैपटाप कहा गया हो . खैर जाने वाले तो लौट कर नही आते ,ईश्वर से प्रार्थना है कि जल्दी ही इस दुख से आप उबरे और कोई नया सा मजबूत इरादो का विकल्प आपको तुरंत प्राप्त हो .
टिप टिप अश्रु बहाने वालो, आँसू व्यर्थ लुटाने वालों,
कुछ डाटा के चले जाने से, सब पीसी खत्म नही होता है....
sach mein kabhi kabhi aapke lekhan se ye samajh paanaa mushkil ho jaataa hai ki sachchai kya hai. Note padhne par itne dukhad samachar ke baad bhi hansi aa gayi. maafi chahati hun.
अश्रुपूरित श्रृद्धांजलि !
तीन दिन पहले हमारा 'लैपू' भी आतंकी हमले से घायल हुआ था मरते मरते बचा,फ़िलहाल स्वस्थ है!
Computer se itana pyar ki shraddhanjaliwah bhee aisee jaise apne priy ko dee ja rahee ho.
Makhara pan baki hai ab bhee bahut
balon men chahe roshanee see ho gaee .
शीर्षक देख दौड़ता-हांफता पंहुचा और बस पढता ही गया.बार-बार आपके लिए और दिवंगत आत्मा के लिए दुःख और दुआएं के अलफ़ाज़ निकलते रहे,जब आख़री सतरें पहुची तो धड़कता ह्रदय सन्न रह गया!
बरबस बाबा भारती की कहानी याद आई.बाबा ने जो डाकू खड़क सिंह से कहा था कि भविष्य में ऐसा मत करना , नहीं तो दुखियारों पर से लोगों का विश्वास ख़त्म हो जाएगा.
मैं सभी ब्लागरों से यही निवेदन करूँगा कि ऐसे लेखन से बचें.वरना किसी के दुःख-सुख में शरीक होने से हम वंचित हो जायेंगे.और जिस दिन शेर आ जायेगा गरेरिया बच नहीं पायेगा!
meree bhi shraddhanjali...
आदरणीय समीर जी....
इतना प्यार.... देख कर आँसू आ गए.....
मेरी अश्रुपूरित श्रृद्धांजलि !....
kaash aap hamen uske antim darshan karaa dete...........
divangat ko vinamra shraddhaanjali
om shaanti !
पुनर्जन्म में भरोसा रखें
फिर सुबह होगी :)
"हे ब्लागरश्रेष्ठ ! आप किसी प्रकार का शोक मत करें। यह सम्पूर्ण आईटी जगत विज्ञान के वश में है और वही सब का सृ्जनकर्ता, वही पालनहार तथा वही संहारक है। इसलिए आपका इस प्रकार शोकाकुल होना व्यर्थ है । आप तो भली भांती जानते हैं कि यह प्लास्टिकीय शरीर नश्वर है तो फिर जाने वाले के लिये ये शोक कैसा । आपके इस शोक का कारण केवल मोह ही है, अत: इस मोह का त्याग करें ।
वैसे हिन्दू संस्कार पद्धति अनुसार आपके इस "प्रिय" की आत्मिक शान्ती हेतु हमने "गरूड पुराण" का पाठ प्रारम्भ कर दिया है...बाद में ब्राह्मण भोज हेतु यहाँ ब्लागजगत के ब्राह्मणों को निमन्त्रण देने जा रहे हैं :)
are ye dekhiye is bimari se ham bhi grasit hain...isliye aapka dukh samjhsakte hain....bhavbhini shradhanjali....
पुराने का भावभीनी श्रद्धांजलि और नए का स्वागत....
अत्यंत हर्ष के साथ सूचित करने मे आता है कि हमारे मरणासन्न लेपी की शल्य चिकित्सा कल ६ घंटे की मेहनत के बाद सफ़लता पूर्वक डा. पंकज मिश्रा द्वारा कर ली गई है.
जो लेपी कल शाम तक श्मशान जाने के लिये तैयार था और जिसके लिये कफ़न काठी आ चुका था अब वो हंसता खेलता नौजवान हो गया है.
अत: जिनके भी लेपी को कोई भयंकर बीमारी हो वो संपर्क करें.
रामराम.
chaliye shradhanjali to theek , de dete hain, lekin humne suna hai yamraj se bhool ho jaati hai aur atmayen vapis aa jaate hain.
subeer ji ki or dhyaan den shayad parthiv deh men jeevan laut aaye.
बहुत दुख हुआ पढकर हमारी दुआ है कि भविष्य मे आप को ऎसी श्रृद्धांजलि वाली पोस्ट ना लिखनी पडे।आप का ये प्रिय लैपटॉप कभी दम ना तोडे।
आपके अगले उपन्यास का शीर्षक क्या है:
"बदला एक वाइरस से"
"लैपटॉप की भटकती आत्मा"
"ओ जाने वाले"
"काश तुम ज़िंदा होते"
"वो कीबोर्ड याद आता है"
"मेरी ब्लोगिंग का मसीहा"
"एक लैपटॉप की शहादत"
"काश तुम ज़िंदा होते"
oho sir....Ye aapke labtop ki kahani bhi na.....hamne to seriously padhna shuru kiya tha .......but at last you made me laugh.....Happy Christmas
और आपने एक अदद फोटो भी नहीं लगाई पोस्ट पर बेचारे की । बहुत नाइंसाफी है ।
इस वैरस ने असि करी, जस बैरिहु न कराहिं।
डाटा उड़ा सो उड़ि गया, लोग मनहिं मुसुकाहिं॥
जब विपत्ति आवै कठिन, रख रे मनुआ धीर।
सब बादल छँटि जाइहैं, बहतै लाल समीर॥
सादर
आपके लेपटोप को मेरी और से भावभीनी श्रधांजलि, साथ ही इसके पुनर्जनम की प्रार्थना
बहुत मार्मिक पोस्ट। इस पोस्ट को संकलित करना चाहिए क्योंकि इसमें आपको जो टैक्निकल सलाहें दी गई हैं उनसे दूसरे कई लोगों को बहुत लाभ होने की संभावनाएँ हैं, आपको भर छोड़ कर। हा हा।
is mratu lok se ek aur apne gantavy ki aur prasthaan hua .....
meri aur se aapke laptop ko bhavbhini sraadhanjali.......
जानकर दुःख हुआ ....दुश्मन वायरस ने तो मेरा सिस्टम ठप्प कर दिया था पांच दिनों में ट्रोजन वायरस ने एंटी वायरस सिस्टम को भी ध्वस्त कर दिया था...ये अनचाहे मेहमान ब्लागिंग की दुनिया को असमय हड़काते रहते है ....
बेहद अफसोस है। हमारी भी श्रधांजलि....
आपके इस दुःख के घडी में अपनी कुछ पंक्तियाँ भेट करना चाहूँगा ,शायद आपको थोडा आराम मिले
जीवन दीपक जलते जलते
थक कर एक दिन बुझ जायेगा
अन्धकार जो मिट न पाया
अंत प्रकाश में मिट जायेगा
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छन्भंगुर एहसास
नित नए रंगों में
बनते टूटते नए नए
जाने कितने ख़वाब
राजा बन मन गढ़ंत
न तख़्त न ताज
रंक रंक के शोर में
दबते सब आवाज़
प्रतीक्षा जीवन से लम्बी
पर्वत सा बिश्वास
सब खोया एक एक कर
फिर भी मन को आस .
sameer ji laptop aapke sahare tha aap nhi ....rchnayen to aap me feed hi hain ...shuru kariye udan tashtri ki udan ...nmskar
जो चला गया है उसकी हरदम करना याद समीर / याद हरेगी अंतर्मन की, सोई है जो पीर /
श्रद्धांजली कबूल करें, ये पहला मौका है obatury का किसी कंप्युटर का.
padte padte pura pada.....samj me nahi aaya kaun gaya....phir laga saath rahane wala bafadaar dost gaya....(priya kukar.kuta kahan shyad log bura maan le)....phir laga sahar sahar kaun ho sakta hai...nahi samjha...ek saaath kai vichaar aaye dimmag me....end me jab pada to samjha....
Magar Guru Laptop ke bahane kisi or ki yaad to nahi aai....sachcai baata de to bhala hoga..hamara bhi.....
मेरी तरफ से भी आपके लेप टॉप को अश्रुपूर्ण श्रृद्धांजलि.
अफ़सोस पिछले सप्ताहांत ठीक इसी तरह की दुर्घटना मेरे साथ भी हो गई थी इसलिए मैं आपका दर्द भली भांति समझ सकता हूँ.
एक लेपटॉप से ऐसा मोह!ओह हमारे तो आँखें भर आई।
भगवान आपके लेपी की आत्मा को शान्ति दे, और आपको इस कठिन दुख, विपत्ति को सहन करने का संबल दे।
जाने वाले कभी नहीं आते, जाने वाले की याद आती है बस अब तो सद्गत लेपी की यादों का के सहारे ही जीना होगा आपको।
आपके लैपटॉप को मेरी भी मार्मिक श्रद्धांजली :)
बहुत दिनो बाद आया हूँ तो यह दुखद समाचार मिला ।
चलिये इस 100 वीं टिप्पणी से टिप्पणी का यह शतक पूरा कीजिये और ... मै अभी भी सोच रहा हू आपकी लैप मे लैपटोप की लाश कैसी लग रही होगी !!!
ab
अन्तम संस्कार में आना था, अब तो लेट हो गया. कोई बात नहीं ऐसे मौके आते ही रहेंगे.
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