खैर, जाने दो. इन सब बातों में क्या रखा है?
मूड दुरुस्त करने बैठक जमीं फिर बवाल के साथ. खूब सुनी और खूब सुनाई गई. देर रात महफिल सजती रही और फिर बैठे हम और बवाल कुछ शेरो शायरी के दौर पर और जो गज़ल निकल कर आई, वो ही पेश कर देते हैं. जरा गहरा उतरियेगा तो मजा आयेगा.
लाल संग बवाल की तस्वीर:
गर दुआ उनकी है, तो असर देखिए
रह गई हो कहीं कुछ, कसर देखिए
इसमें उसमें सभी में नज़र आएँगे
आप अपनी यहाँ पर बसर देखिए
भूल सा ही गया है, वो इस गाँव को
देगा कैसी सज़ा, अब शहर देखिए
आबे-ज़म-ज़म* को पीकर मेरे सामने
मुझपे उगला है, कितना ज़हर देखिए
काटे कटती नहीं थी कभी रात वो
हो रही है उधर, इक सहर देखिए
ये तमाशा सही, फिर भी रखने को दिल,
मेरे दर पे ज़रा सा, ठहर देखिए
कह गया हूँ ग़ज़ल, मैं ज़रा झौंक में
गिरती-पड़ती, सँभलती बहर देखिए
--लाल एण्ड बवाल
* आबे-ज़म-ज़म=मक्का के पवित्र कुँऐं का जल
73 टिप्पणियां:
पहले तो बेहद उम्दा ग़ज़ल पर बधाई और फिर यह बतायिए कि खलनायक जैसे फोटो बनाने का कारण मैं तो डर गया
---मेरा पृष्ठ
चाँद, बादल और शाम
अरे विनय भाई
मेरे हाथ में क्या है. ये तो भगवान ने बवाल को बनाया ही ऐसा है. :) अब गज़ल दोनों की मिली जुली मेहनत है तो अकेले अपनी हीरो वाली कैसे छापता. हा हा!!
आपका आभार गज़ल पसंद करने का. स्नेह बनाये रखिये.
वाह वाह ,ज़रा तरन्नुम में हो जाए -देंखे तो कितना स-सुर हुए हैं आप ? शुक्रिया !
अब पेशे खिदमत है (बावल भाई ख़ास तौर पर आपका तवज्जो चाहता हूँ -(डिटेल समीर भाई बताएँगे )
तरन्नुम में जो सुनाये वो आईंदा अगर
फिर गजल कहने वाले का जिगर देखिये
भूल सा ही गया है, वो इस गाँव को
देगा कैसी सज़ा, अब शहर देखिए
बढ़िया है लालाजी ...लाल संग बवाल और फ़ोटो भी धमाल..जमे रहिये...बधाई
अरे नहीं दायीं तरफ़ ओटवा वाली फोटों में कितने भोले लग रहे हैं आप?
---मेरा पृष्ठ
गुलाबी कोंपलें
bach gaye,hath kya hathoda padta uske.vaise aapne khub kahai. subah subah. narayan narayan
बवाल के ऊँचे मकान से , उड़नतश्तरी ने मारी तान !
ग़ज़ल जों लिखी ,टिप्पणीयों से भर जाए मकान !!
सच्ची बड़ी बढ़िया लगी!!! तभी तो मास्टर ने ठेल दी दो-लाइना!!
ये तमाशा सही, फिर भी रखने को दिल,
मेरे दर पे ज़रा सा, ठहर देखिए
कह गया हूँ ग़ज़ल, मैं ज़रा झौंक में
गिरती-पड़ती, सँभलती बहर देखिए
क्या बात है समीर भाई साहब .....कमाल हो गया है .....
क्या बात है....
क्या खूबसूरत बात कही है-
आबे-ज़म-ज़म* को पीकर मेरे सामने
मुझपे उगला है, कितना ज़हर देखिए
काटे कटती नहीं थी कभी रात वो
हो रही है उधर, इक सहर देखिए
और...
कह गया हूँ ग़ज़ल, मैं ज़रा झौंक में
गिरती-पड़ती, सँभलती बहर देखिए
दोनों बहुत खूब हैं। हम कल बवाल भाई से पूछ रहे थे आज कल लाल साहब क्या कर रहे हैं? जवाब आप से मिल गया है।
'भूल सा ही गया है…'
'ये तमाशा सही…'
बहुत ख़ूब! आपकी महफ़िलें यूं ही जमती रहें और हमें ऐसी बेहतरीन ग़ज़लें मिलती रहें।
आबे-ज़म-ज़म* को पीकर मेरे सामने
मुझपे उगला है, कितना ज़हर देखिए
"बहुत गहरे भाव लिए ये ग़ज़ल , एक एक शब्द अपनी बात कहता हुआ .....ये शेर कुछ खास पसंद आया .... शायद इसलिए क्युंकी जहर उगलना इंसान की फितरत है...."
regards
आबे-ज़म-ज़म*की तासीर ही कुछ ऐसी है. आदाब अर्ज़ है
क्या बात है . झौक मे ग़ज़ल हो गई वह भी बहुत बेहतरीन हो गई .
ये तमाशा सही, फिर भी रखने को दिल,
मेरे दर पे ज़रा सा, ठहर देखिए
वाहजी, सुर मे स लगते ही क्या मधुर जुगलबंदी हुई है. बधाई आपको और बवाल भाई को. बहुत लाजवाब जी.
रामराम.
प्रथा यह रही है कि एक पंक्ति कॉपी पेस्ट कर लिखा जाता है, कमाल की है. मगर ऐसा न करते हुए कहूँगा, मेरी उर्दू जरा कमजोर है. बाकि गजल या गीत है सुन्दर.
फोटो गोड फादर टाइप काहे लगाए हैं? :)
कविता बढ़िया है।
बाकी, माननीय जेबकतरा जी से ऑटोग्राफ, कार्ड-वार्ड लिया या नहीं? उन्हे नाश्ता ठीक से ही कराया होगा, अगर आप में करेक्ट पोलिटिकल सेंस है तो।
बहुत खूब...लेकिन उस पॉकेट मार को दो-चार हाथ जमा ही देते। शायद उसका ह्दय परिवर्तन हो जाता .....वैसे भी आज युवा दिवस है क्या पता उसे अक्ल आ जाती और वह नेता बनता तो देश को एक सही व्यक्ति मिल जाता।
kaafi badhiyaa gazal aur wo sutra ,jisne aapko aagaami sankat se bacha liya.........desh ke bhawi karndhaar ka achha rup dikhaya........
खुदा कसम .ये बहर जिस तरह गिरती पड़ती संभली है..उसे देख....हमारा भी मन शायरी को उतावला हो बैठा ....काम के सिलसिले में बाहर थे .इसलिए आपको दोनों मुबारकबाद एक साथ दे रहे है......नए साल पर ससुर बनने की ओर दूसरे ...इस बहर के खासा ख्याल रखने की.....जय लाल की जय बवाल की......
जब कभी कोई कदम उठाने जा रहे हो तो बस एक बार, हाँ हाँ सिर्फ एक बार उसका तुम्हारे भविष्य पर अंजाम सोच लो-बस, तुम देखना कि तुम अपने आचरण में कितना बड़ा बदलाव पाओगे....
शब्द गहरे उतर गए...
अच्छी कविता, अच्छी रचना...
---मीत
bahut hi umda gazal sir........
आज रहस्य खुला कि आपकी तरफ़ से टिप्पणियाँ Lal & Baval Bros. दिया करती है !
आठ-दस हज़ार के शेयर इधर भी सरका दें, मेरा भी बेड़ा पार हो जाय !
ये तमाशा सही, फिर भी रखने को दिल,
मेरे दर पे ज़रा सा, ठहर देखिए
कह गया हूँ ग़ज़ल, मैं ज़रा झौंक में
गिरती-पड़ती, सँभलती बहर देखिए
bahut khoob lal sang bavaal ka khoob kamaal
मिल गए हैं 'लाल' संग 'बवाल' के
शायरी पे ढाया क्या कहर देखिये!
बहुत खूब!
जेबकतरों का स्वभाविक रुपांतरण वाया चोर, गुण्डा होकर मंत्री ही तो है.
कितना सही कहा आपने.....सोलहों आने सच !
बहुत बहुत उम्दा जबरदस्त ग़ज़ल है.भगवान् करें ऐसे ही महफिलें सजती रहें ,ताकि हमें ऐसी गज़लें पढ़कर आनंदित होने का अवसर मिलता रहे.
''स्वामी विवेकानंद जयंती'' और ''युवा दिवस'' पर ''युवा'' की तरफ से आप सभी शुभचिंतकों को बधाई. बस यूँ ही लेखनी को धार देकर अपनी रचनाशीलता में अभिवृद्धि करते रहें.
bhoot achha likha h aapne...
काटे कटती नहीं थी कभी रात वो
हो रही है उधर, इक सहर देखिए
बहुत बढ़िया कहा जी .
भूल सा ही गया है, वो इस गाँव को
देगा कैसी सज़ा, अब शहर देखिए.
mujhe tasatari ki udan hamesa man ke aangan tak uda le jati hai...suchmuh gav ka sukh , bas mat puchhiye...degaa kaisi saja ab shar dekhiye...
Regards
लाल और बवाल की जोड़ी कमाल कर रही है.
समीर जी क्या बात है आपने तो जेबकतरे को भी छोड़ दिया लोग तो झूठे एल्ज़ाम में अंदर करा देते हैं ...आपकी गज़ल की तो जितनी तारीफ की जाये कम है... फोटो भी अच्छे लगे आप दोनों को बधाई...
क्या खूब कहा, मजा आ गया।
शाम से ही लगे पढने लाल-ओ-ववाल
हो गये अब तो तीनों पहर देखिये
देख कर उनकी फोटो यूं कहने लगे,
आज पक्का लगेगी नज़र देखिये
वाह वाह समीर भाई!! मज़्ज़ा में?
शाम से ही लगे पढने लाल-ओ-ववाल
हो गये अब तो तीनों पहर देखिये
देख कर उनकी फोटो यूं कहने लगे,
आज पक्का लगेगी नज़र देखिये
वाह वाह समीर भाई!! मज़्ज़ा में?
"गर दुआ उनकी है, तो असर देखिए
रह गई हो कहीं कुछ, कसर देखिए "
बहत बढ़िया गजल शुक्रिया .
ये पन्तियाँ आपकी जोड़ी के लिए
जहाँ है भाई लाल - बबाल
वहां होता है खूब धमाल
खूब महफिले सजती रही
हँसी हंगामा बरसता रहा
जोड़ी ने कर दिया कमाल
हँस कर हम हो गए बेहाल
धन्यवाद.
उस जेबकतरे को भी एक आध गज़ल सुना देते तो शायद .....। खैर लाल, बवाल की यह गजल पसंद आई।
ये तमाशा सही, फिर भी रखने को दिल,
मेरे दर पे ज़रा सा, ठहर देखिए
बहुत उम्दा जी। वाह।
साझा माल तो साझा ब्लॉग पर आना चाहिए .
कृपया लोहे की जेब लगवा लें :)
बहुत-बहुत खूब
'जेबकतरों का स्वभाविक रुपांतरण वाया चोर, गुण्डा होकर मंत्री ही तो है.'- कड़वा सच.
'भूल सा ही गया है, वो इस गाँव को
देगा कैसी सज़ा, अब शहर देखिए' उम्दा लाइनें.
रचनात्मकता पसंद आई
लाल संग बवाल?
होना ही हुआ कमाल.
बढ़िया रही.
Bahut khub.
वाह क्या खूब कही
लाल-बवाल की जोड़ी है कमाल
ढ़ाती है अब क्या कहर,देखिये
लाल और बवाल...याने सोने पे सुहागा...ये जुगल बंदी यूँ ही चलती रहे...और हम सब आनंदित होते रहें...ऐसे ही...
नीरज
बहुत खूब लाल & बवाल साहब
बढ़िया शै'र निकाले है.
""कह गया हूँ ग़ज़ल, मैं ज़रा झौंक में
गिरती-पड़ती, सँभलती बहर देखिए""
ज़ीरो होने लगा है फिगर देखिए,
इसकी,उसकी फिर अपनी कमर देखिए.
म्. हाशमी
क्या बात है समीर भाई व बवाल जी - बहुत अच्छे
वाह क्या गजल है, ओर उस पर यह पोस्टर, किस फ़िल्म का है, लगता ऐ किसी बहुत ही डरावनी फ़िल्म का है, चलिये जब हमारे यहां चले तो दो चार पास हमे भी भेज दे, यार दोस्तो को बताये गे कि यह कलाकार अपनी जान पहाचान के ही है.
धन्यवाद
आबे-ज़म-ज़म* को पीकर मेरे सामने
मुझपे उगला है, कितना ज़हर देखिए
बहुत ही खुब॥।
लिखते रहे,पढते रहे, हसते रहे,
कभी मोका मिले तो हमारे ब्लोग पर भी चाय-नास्ता करने जरुर आये,
बहुत खूब
आपकी महफ़िल के रंग में घुल सा गया मैं
मेरी नज़र है किसपे अभी इतना ना देखिये
बहुत सुंदर धनयबाद
आपका सहयोग चाहूँगा कि मेरे नये ब्लाग के बारे में आपके मित्र भी जाने,
ब्लागिंग या अंतरजाल तकनीक से सम्बंधित कोई प्रश्न है अवश्य अवगत करायें
तकनीक दृष्टा/Tech Prevue
आबे-ज़म-ज़म* को पीकर मेरे सामने
मुझपे उगला है, कितना ज़हर देखिए
ये तमाशा सही, फिर भी रखने को दिल,
मेरे दर पे ज़रा सा, ठहर देखिए
कह गया हूँ ग़ज़ल, मैं ज़रा झौंक में
गिरती-पड़ती, सँभलती बहर देखिए
प्यारे शेर हैं, बधाई स्वीकारें।
बढ़िया है, देश के कर्णधारों में कौन-कौन जुड़ जाए पता नहीं?? अच्छा किया हाथ नीचे आया और बाद में ग़ज़ल के रूप में सामने आया.
बहुत ही सुंदर और खुबसूरत रचना है. नव वर्ष की शुभकामनायें. नया साल आपको शुभ हो, मंगलमय हो सर
समीर जी
गर दुआ उनकी है, तो असर देखिए
रह गई हो कहीं कुछ, कसर देखिए
आपकी shayeri भी उतनी ही खूबसूरत है जितने आपके चिठे, हर शेर तराशा हुवा लगता है. नयेपन लिए dhadekaar ग़ज़ल,
बहुत बहुत बधाई
kya bat hai... bahut hi sundar gajal!
एक अच्छी ग़ज़ल के लिए शुक्रिया .
-विजय
इस प्यारी सी ग़ज़ल के लिए शुक्रिया !
वैसे आपका जवाब नहीं है...चुटकी लेने में....संयत और सरलता से बात कहने की आदत का मैं कायल हूं...छोटे शब्दों में बड़ी काम की बात आपने कही..जेबकतरे और नेता की तुलना..कमाल है..हरिशंकर परसाई हो गए आप..आने वाले वक्त में कनाडा के परसाई कहलाए जांएगे...काला चश्मा उतार कर दुनिया मत देखिएगा...लिखते रहिए..हम पढ़ते रहेंगे
लाल और बवाल............आगे बाप गे.........एगो से तो सक्बे नहीं करते थे....दू-दू गो एके साथ........??बाप ऐ बाप..........हाय मर गया........!!
बहुत उमदा - ज़रा गाकर सुना देते तो अच्छा था :)
आपकी रचनाधर्मिता का कायल हूँ. कभी हमारे सामूहिक प्रयास 'युवा' को भी देखें और अपनी प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करें !!
गजल क्या खूब कही है....
तीन बधाइयाँ एक साथ....
१) आपके स-सुर बनने की
२) नव वर्ष की और
३) मकर संक्रांति की....
चोथी भी स्वीकार ही लीजिये....
गणतंत्र दिवस की भी.....
बहुत ही उम्दा लिखा है....
महफिल का असर देखिये
हम तो बस महफिल का असर देख रहे हैं जो दिख रहा है इस ग़ज़ल में......
अक्षय-मन
Sameer ji,
Mahfilen sajate rahiye.Khoobsoorat gazalen banate rahiye.badhaiyan.mangalkamnayen
BHAI SAMEER JEE,SAUBHAGYA SE AAJ
AAPKE BLOG PAR AANAA HUA HAI.GAZAL
PADH KAR AANANDIT HO GAYAA HOON.
ITNEE RAVAANEE DARIYA KE PANEE MEIN
NAHIN HOTEE HAI JITNEE AAP AUR
BAWAAL DONO KE MILJUL KAR KAHE
SHERON MEIN HAI.BAHUT-BAHUT BADHAAEE,LEKIN BADHAAEE KABOOL
SE PAHLE AAKHREE SHER SAHEE KAR LEN
KAH GAYEN HAIN GAZAL
HUM ZARAA JHAUNK MEIN
PHIR BHEE SEEDHEE
PADEE HAI BAHAR DEKHIYE
Wah
sarakar badhai
...विचार आया कि कहीं ये जेबकतरा कल को मंत्री हो गया तब? जेबकतरों का स्वभाविक रुपांतरण वाया चोर, गुण्डा होकर मंत्री ही तो है. बस, हाथ नीचे आ गया. कितना बड़ा परिवर्तन पाया मैने अपने आचरण में वरना तो मेरा हाथ देश के इस भावी कर्णधार पर उठ ही गया था.
Aap hi likh sakte hain...
Bahut umda.
बहुत बढ़िया गजल! बधाई
बहुत हि अच्छा लगा ।
Badhai Sweekarein Mahoday!
Kafi Behatreen Ghazal! Dil ko Chhookar Paar Nikal gayi!
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