रविवार, अप्रैल 06, 2008

अपनी औकात में रहो तुम!!!

महेन्द्र मिश्र जी के ब्लॉग पर इस समाचार को पढ़ता था: कम्प्यूटर वाइरस ने ३९ अपात्रो को सरकारी नौकरी दिलवाई ?

बड़ा गुस्सा आया. ये मजाल एक कम्प्यूटर वाइरस की? एक तो हम कुछ बोल नहीं रहे उससे. सरकारी कम्प्यूटर मे रहने दे रहे हैं. एक से एक उम्दा फाईलें खिलवा रहे हैं. जो किसी को नहीं पता वो खाते बही दिखा रहे हैं. फिर भी ये जुर्रत?

मियाँ वायरस, मैं जानता हूँ कि तुम सरकारी लेपटॉप में रहने लगे हो. लाल बत्ती की गाड़ी में घूमने लगे हो. एक चपरासी तुम्हें उठाये घूमता है. कम से कम इस्तेमाल होता है तुम्हारे आवास का, लगभग न के बराबर. अधिकतर तो मॉडल होम टाईप ही सजा रहता है फिर भी?

यूँ तो अर्दली और गार्ड भी पूरे समय मंत्री जी के साथ ही चलते हैं, इसका क्या मतलब वो भी मंत्री हो गये और वैसा ही बिहेव करें जैसा मंत्री जी करते हैं? गलत बात है न!! ऐसा कहाँ होता है?

अपनी औकात पहचानों, वत्स!!

computer-virus

अभी भी वक्त है संभल जाओ वरना पछताओगे. अपने आप को मंत्री समझने की भूल न करो. यह अपात्रों को सरकारी नौकरी वगैरह दिलवाना मंत्रियों के काम हैं और उन्हीं को सुहाते हैं. तुम क्यूँ पड़ते हो इन सब लफड़ों में? देखो, आ गये न सुर्खियों मे, अब??

हालांकि स्वभाव से तुम दोनों एक से हो. एक आम आदमी तुम्हारे और उनके द्वारा पहूँचाये नुकसान को जब तक पहचान पाता है, तब तक देर हो चुकी होती है. सब कुछ तबाह. सामने मची तबाही देखने के सिवाय कोई रास्ता नहीं बचता. आखिर हमने खुद ही तो चुना: उनको भी और तुमको भी, क्लिक करके. किसको दोष दें? बस यही मान कर संतोष कर लेते हैं कि शायद किस्मत में यही तबाही बदी थी.

एक तबाही के बाद जब फिर से जमने की तैयारी करो. तुम दोनों ही तो दूसरे रुप में चले आते हो. कैसे पहचानें? कैसे बचें?

बस, एक अंतर है उनमें और तुममें. वह यह कि तुममे से जो पहचाने जा चुके हो, उन्हें रोकने के रास्ते हैं. लगा देंगे कोई बेहतरीन एन्टी वायरस वेक्सीन..अब रुप बदल कर ही तुम आ पाओगे मगर उन्हें-उनके लिये तो कोई परमानेन्ट एन्टी वायरस ओह!! सॉरी-एन्टी नेता या एन्टी मंत्री वेक्सीन भी नहीं. पूरे ढ़ीट है-वैसे ही फिर चले आयेंगे हाथ जोड़े और हम मूर्ख-उन्हें फिर क्लिक कर देंगे.

इसीलिये वह तुमसे वरिष्ट कहलाये. समझे मियाँ वायरस?

आ जा बेटा औकात में. ज्यादा मंत्री बनने की कोशिश न कर वरना सरकारी आवास से भी हाथ धो बेठेगा और लाल बत्ती से भी. आखिर सारे कार्पोरेशनों के अध्यक्ष भी तो हैं. वो भी तो बिना मंत्री हुए तुम्हारी तरह जी ही रहे हैं. कुछ तो सीखो उनसे! Indli - Hindi News, Blogs, Links

36 टिप्‍पणियां:

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

पहले चिठ्ठी नहीं आती थी - लोग डाक विभाग पर मढ़ देते थे दोष। अब मेरी सवेरे की पोजीशन लेट आती है तो ट्रेंन-क्लर्क कहता है - साहब वाइरस आ गया है। कम्प्यूटर धीरे चल रहा है! :-)
कल वाइरस उत्तर को जाने वाली गड़ियाँ दक्षिण न भेज दे!

Pramendra Pratap Singh ने कहा…

वाईरसवा भी बन्‍दा तो आप का ही है :)

Satyendra Prasad Srivastava ने कहा…

आपका गुस्सा अच्छा लगा। मैं भी परेशान हूं। देखिए आपकी चेतावनी पर ध्यान देता है या नहीं ये कंप्यूटर वायरस। वैसे अपने कंप्यूटर की सुरक्षा का इंतजाम पहले से ही कर लीजिए, कहीं बुरा न मान गया हो

अनूप शुक्ल ने कहा…

वायरस डर गया होगा।

Reetesh Gupta ने कहा…

"हालांकि स्वभाव से तुम दोनों एक से हो. एक आम आदमी तुम्हारे और उनके द्वारा पहूँचाये नुकसान को जब तक पहचान पाता है, तब तक देर हो चुकी होती है"

बहुत अच्छे लालाजी ...क्या बात है ...मजा आ गया...वायरस और नेता ...अच्छा मिलाया है दोनो को....बधाई

RC Mishra ने कहा…

मज़ेदार है।

सुजाता ने कहा…

हें हें हें ....वाइरस अंतत: डर ही जायेगा मंत्री एक दिन उसे औकत बतायेगा ...

संजय बेंगाणी ने कहा…

वाइरस पुराण का विधिवत कथा-पाठ करवाया जाय.

rakhshanda ने कहा…

iteresting..

Arun Arora ने कहा…

आप भी क्या वाईरसियाय गये है का..? जैसे बिहार मे नरभसियाय जाये है वैसे..:)

मीनाक्षी ने कहा…

हम मूर्ख-उन्हें फिर क्लिक कर देंगे.-----फिर भी अपने आप को बुद्धिजीवी मानते हैं :)

डॉ .अनुराग ने कहा…

मत गुस्सा कीजिये हजूर ,ऐसी ही कुछ वायरस हमारी भी रोज़ी - रोटी चलाते है

समय चक्र ने कहा…

ndra सारे काम तो आजकल कम्प्यूटर से हो रहे है सभी लोग कम्प्यूटर पर निर्भर हो गए है . सरकारी मुहकामा वाले यदि चाहते तो नियुक्ति सूची का एक प्रिंट निकालकर सुरक्षित सेफ कर सकते थे परन्तु सरकारी लापरवाही का फायदा वाइरस ने उठाया और उसने अपने प्रिय आपात्र जनों को नियुक्ति आदेश दिलवा दिए है और उन्हें एक माह सरकारी नौकरी भी करवा दी और बेचारे मेरिट सूची के प्रत्यासी जिन्हें नियुक्ति मिलना थी वे टापते रहे . फ़िर सरकारी कार्यप्रणाली को क्या कहे अपने कम्प्यूटर को वाइरस से मुक्त रखना भी शायद नही जानते है सिर्फ़ कम्प्यूटर चलाना जानते है . गलती एक माह बाद मे पकड़ मे आने पर सारा दोष वाइरस महोदय पर जड़ दिया गया . मुझे तो यह भी समझ मे नही आ रहा है कि कम्प्यूटर से मेरिट सूची के नामो पर वाइरस ने क्यो अटैक किया पूरी पर क्यो नही ? सारी जानकारी डिलीट हो जाना चाहिए थी आधी क्यो ? मैं भी एक सरकारी कार्यालय मैं हूँ जहाँ सारे काम कम्प्यूटर से किए जाते है . मुझे अपने कार्यालय मे महत्वपूर्ण न्यायालय का काम आवंटित है पर मैं कम्प्यूटर के माध्यम से प्राप्त जानकारी पर भरोसा नही करता हूँ . हमेशा लिखित जानकरी की प्रति सुरक्षित रखता हूँ . यदि मैं मैनुअल काम न करू और जानकरी बार बार चेक न करू तो तो शायद अभी तक मेरी लुटिया डूब जाती .

रवीन्द्र प्रभात ने कहा…

आपका गुस्सा जायज है !

Sanjeet Tripathi ने कहा…

साहेब कम्प्यूटर वायरस से तो बच ही जाएंगे न लेकिन हमारे आसपास के वायरसों से कैसे बचेंगे इनका तो कोई इलाज़ नही है हजूर!!

राज भाटिय़ा ने कहा…

वाय्रस बनाने बाले कया तेरे मन मे समाई, तुने कहे को वायरस बनाई, तुने कहे को वायरस बनाई, निकम्मो को नोकरी दिलाई ( लेकिन यह निकम्मे कही इन नेताओ के रिस्तेदार ही तो नही)समीर जी जहां तक मे समझता हु दुनिया का सब से बडा वायरस हमारे देश का एक अदद नेता हे,क्यो की उस मे वायरस से भी ज्यादा खुबिया हे.

ALOK PURANIK ने कहा…

पूरा मुल्क ही अपन को वायरस लगता है,खुद समेत

mamta ने कहा…

नेता और वाइरस दोनों ही खतरनाक ।

सॉरी-एन्टी नेता या एन्टी मंत्री वेक्सीन भी नहीं. पूरे ढ़ीट है-वैसे ही फिर चले आयेंगे हाथ जोड़े और हम मूर्ख-उन्हें फिर क्लिक कर देंगे।

बिल्कुल सही फरमाया है आपने।

Pankaj Oudhia ने कहा…

वाइरस की महिमा ही न्यारी है। कुछ एक चुटीली पंक्तियाँ भी जोडिये ताकि इसे हिन्दी के वाइरस पुराण का प्रथम अध्याय माना जा सके। :)

नीलिमा सुखीजा अरोड़ा ने कहा…

ऐ वायरस, जा और जाके समीर जी के कम्पूटरवा में घुस जा, आजकल ये टिप्पणीयां भी नही करते हैं। हम जैसे नए लोगों को टिप्पणीयां कर करके इन्होंने ही आगे बढ़ाया है ।

समीरजी, आप तो एक शब्द ही लिख दें बस लिखने का हौसला हो जाता है। पर आप जो भी लिखते हैं बहुत अच्छा लिखते हैं।

नीरज गोस्वामी ने कहा…

वाह...क्या चुभता हुआ व्यंग है.....क्या बात है.
सुना है आप अप्रिल माह के अंत में मुम्बई आ रहे हैं और यहीं से वापस विदेश के लिए उड़ान भरेंगे अगर ऐसा है तो सूचित करें ताकि मिलने का कार्यक्रम बनाया जाए कुछ स्वागत सत्कार टाइप चीज़ की जाए...
नीरज

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

आज राजस्थान सरकार की जारी एक पाइल डाउन लोड करता था। वायरस देख नहीं की। कोई जानकारी नहीं देना हो और नेट पर डालना भी जरुरी हो तो वायरस साथ में नत्थी कर दो।
वैसे यह नवरस के बाद दसवाँ रस है क्या जी?

Dr. Chandra Kumar Jain ने कहा…

सचमुच लाज़वाब है आपकी शैली.
बात से बात और बाल की खाल
निकलती जाती है और शल्य-क्रिया
जैसे बगैर निश्चेतक के संपन्न हो जाती है.
ऐसे सर्जक-सर्जन की समाज को बड़ी ज़रूरत है.

ऑपरेशन जारी रहे यही अपेक्षा है .

Manish Kumar ने कहा…

धारदार व्यंग्य !

Alpana Verma ने कहा…

हालांकि स्वभाव से तुम दोनों एक से हो.

wah bahut badiya lekh hai.bahut hi sadhaa hua vyangy bhara.

पंकज सुबीर ने कहा…

लालू जी की भाषा में बालें तो ई जो भइरसवा है काफी ही तंगियाता है रबड़ी को ई ही कारण रबड़ी सत्‍ता से बाहर हो गई हैं

SahityaShilpi ने कहा…

अच्छी तुलना की है. मज़ा आ गया!

- अजय यादव
http://merekavimitra.blogspot.com/
http://ajayyadavace.blogspot.com/
http://intermittent-thoughts.blogspot.com/

Laxmi ने कहा…

वायरस ते मंत्री भला हाड़माँस की देह
स्तुति करियो वाहि की करियो नाहिं सनेह

बढ़िया लिखा है।

Admin ने कहा…

काश इसी बहने हमें भी नोकरी मिल जाती

Batangad ने कहा…

जय हो वाइरस महाराज की।

कुन्नू सिंह ने कहा…

वायरस तो डर ही गए हैं क्यो की आपने ईंक्वायरी जो बीठा दी।

कुश ने कहा…

अपनी औकात पहचानों, वत्स!!

is ek pankti mein bahut hi badhiya baat kahi hai aapne..

aapki rachna ne gudgudaya.. badhai swikar kare

राकेश खंडेलवाल ने कहा…

हम क्या बोलें और क्या लिखें
हम पर भी कुछ असर हुआ है
लगता है की बोर्ड हमारा
उसने आकर आज छुआ है
तभी समय पर नहीं लिखा
जाता है कुछ भी औना पौना
वाज़िब ही कर रहे शिकायत
टिप्पणियाँ क्यों हुईम धुआं हैं

Manjit Thakur ने कहा…

सरकार में वायरस के साथ बैक्‍िटरिया भी है। सड़न पैदा करने के लिए...

samagam rangmandal ने कहा…

वायरस तो करप्ट करता है,नेता का क्या कर लेगा वो तो पहले ही.............

Manish ने कहा…

एक सुन्दर बीवी हैं आपकी , दो जवान बेटे हैं. कहीं ऐसे सोच खुद एक वायरस तो नहीं . राह चलते सुन्दर नारी के हाथ की अंगूठी और काफी पीने की इच्छा एक स्पाईवेयर तो नहीं .
मक्खी को चाय मे डूबा कर मारना , और उसपर एक व्यंग लिखना , hard disk मे खराबी तो नहीं .
वायरस हर जगह हो सकता ... बगल मे बैठी औरत जो ब्लूटूथ से बाते कर रही हो वो एक हैकर से कम् नहीं ...
एक सुन्दर व्यंग !!