होली आई रे कन्हाई, होली आई रे....
...बरसे गुलाल रंग मोरे अंगनवा
अपने ही रंग में रंग दे मोहे सजनवा....
जैसे ही वो दरवाजे के पास आईं, हमने गैरेज पेंट होने आया नेरोलेक का काले पेंट का पूरा डब्बा उन पर उडेल दिया. मैडम का पारा सांतवे आसमान पर और आवाज डोल्बी साऊंड ट्रेक पर. 'ये क्या तरीका है, होली खेलने का!! उम्र बढ़ गई है और दिमाग वहीं का वहीं. '
हमने कहा, 'अरी भागवान, हम तो अबीर-गुलाल ही लगाने वाले थे, मगर उसमे तो काला रंग था नहीं, और तुम्हीं तो गा गा कर डिमांड कर रही थी " अपने ही रंग में रंग दे मोहे सजनवा...." तो क्या करते, तुम्हीं बताओ. होली के शुभ दिन पर भी तुम्हारी बात न रखें.
खैर, हम सफाई देते और करते रहे. टुन्नू टुन्नी में ही घबरा कर भाग गया, चिल्लाते हुये: बुरा न मानो, होली है. सब चिट्ठाकारों से होली भेंटने. उनके दरवाजे पहूँचा तो सबकी नेमप्लेट (चिट्ठों की टैग लाईन) देखकर उसके मन में अजब अजब विचार आये. आप भी देखें कि क्या सोचता है टुन्नू भांग के नशे में:
गीत कलश , राकेश खंडेलवाल
काव्य का व्याकरण मैने जाना नहीं छंद आकर स्वयं ही संवरते गये
टुन्नू-अगर स्वयं ही संवरते हैं तो हम क्या पाप किये हैं, हमारे काहे नहीं संवरते??
उन्मुक्त
भारत के एक कसबे से, एक आम भारतीय।
टुन्नू-बाकि सब क्या खास भारतीय हैं??
ई-पंडित, श्रीश शर्मा
ई-पंडित की ई-पोथी
टुन्नू-अच्छा बता दिये कि ई-पोथी है, नहीं तो हम तो कागजी समझते!!! वैसे जो लोग किताबें निकालते हैं, वो क्यूँ नहीं कहते, कागज की किताब. :)
गिरिराज जोशी "कविराज"
एक खण्डहर जो अब साहित्यिक ईंटो से पूर्ननिर्मित हो रहा है...
टुन्नू-पूर्ननिर्मित?? काहे फिर से मेहनत कर रहे हो, इसे पुरात्तव विभाग को दे देते हैं...वहीं ठीक रहेगा!! क्या सोचते हो??
पूनम मिश्रा
कुछ खट्टी ,क़ुछ मीठी ,कुछ आम सी दिनच्रर्या,क़भी कुछ खास पल ...इन सबका नाम है ज़िन्दगी .और उसी का निचोड है यह फलसफा .
टुन्नू-खट्टा मीठा तो ठीक है..मगर निचोड से फलसफा निकले तो रस कहाँ गया??
प्रत्यक्षा
कई बार कल्पनायें पँख पसारती हैं.....शब्द जो टँगे हैं हवाओं में, आ जाते हैं गिरफ्त में....कोई आकार, कोई रंग ले लेते हैं खुद बखुद.... और ..कोई रेशमी सपना फिसल जाता है आँखों के भीतर....अचानक , ऐसे ही
टुन्नू-हवा में टंगे शब्द को पकड़ने का हुनर हमऊ के सिखाये दो, ठकुराईन!!
अनूप शुक्ला
उम्र: २५० साल
(चाहो तो यहाँ क्लिक करके प्रोफाईल पर देख लो)
टुन्नू-हम पहिले ही समझ गये थे कि यह वैदिक कालिन हैं, २५० साल पुराने!! वरना इतनी कम उम्र में लेखन की इतनी ऊँचाईयां...वाह वाह!!
फुरसतिया
हम तो जबरिया लिखबे यार हमार कोई का करिहै
टुन्नू-जब तक जबरिया ना पढ़वाओ तब तक कोई कछू न करिहे!! काहे परेशान हो??
जोगलिखी
संजय बेंगाणी द्वारा कम शब्दों में खरी-खरी बात
टुन्नू- शब्द थोड़े ज्यादा भी हों तो भी चलेगा मगर खरी खरी बात न सुनाओ, दिल दहल जाता है, भाई!!! (भाई, बम्बई वाले), थोड़ा लाग लपेट कर सुनाओगे क्या?
मंतव्य
पंकज बेंगानी का हिन्दी चिट्ठा बेबाक सोच : बेबाक लेखन : बेबाक मंतव्य
टुन्नू-अच्छा किया बता दिया कि पंकज बेंगानी का हिन्दी चिट्ठा --वरना हम तो सोचते ही रह जाते कि कौन सी भाषा में लिखा है???
शुऐब
हिन्दी हैं हम .....................
टुन्नू-हिन्दी हैं हम...!! और संस्कृत, अंग्रेजी और उर्दू नहीं हो??
Divyabh Aryan
The Only Thing I Know About Myself Is That I Know Nothing... :
टुन्नू-ऐसा लगता तो नहीं, आपको पढ़कर?? अंग्रेजी भी लिख लेते हो. :)
मेरा पन्ना
चौकस निगाह,पैनी कलम और हास्य व्यंग के साथ भारत के राजनीतिक माहौल,देश की समस्याओ और राष्ट्रीय विषयो पर मेरी बेबाक राय ……… जगह नयी….पर.कलम वही
टुन्नू-चौकस निगाह......कहाँ कहाँ लगी हैं यह निगाह......हमें भी तो बताओ!! चौधरी जी महराज!! और यह जगह नयी कब तक रहेगी??
मनीषा
अच्छी चीजों का हिन्दी ब्लाग
टुन्नू-नहीं बतातीं तो हम समझते कि खराब चीजों का अंग्रेजी ब्लाग!!! :)
निठल्ला चिंतन
थोड़ी मस्ती थोड़ा चिंतन
टुन्नू- यार भाई, हर पोस्ट पर लिख दिया करो टैग के साथ कि कौन सी वाली मस्ती है और कौन सी चिंतन-बड़ा मुश्किल होता है छांटने बीनने में!!!
दस्तक, सागर चन्द नाहर
गिरते हैं शहसवार ही मैदाने जंग में वो तिफ़्ल क्या गिरेंगे जो घुटनों के बल चलते हैं
टुन्नू-आप तो सबसे बड़े शहसवार हैं, कितनी बार गिरे??
इन्द्रधनुष, नितिन बागला
जिन्दगी के अनगिनत रंगों का संकलन; हँसी-मजाक, सुख-दुःख, यारी-दोस्ती,भूली बिसरी यादें, आस-पास के विभिन्न मुद्दों पर मेरे विचार...और भी ना जाने क्या-क्या.....
टुन्नू-और भी ना जाने क्या-क्या.....थोड़ा तो खुलासा करो, मेरे भाई...क्या सब कुछ यहीं लिख डालोगे!!! हूम्म्म्म!!
रचनाकार
इंटरनेट पर हिन्दी साहित्य के दस्तावेज़ीकरण का एक सार्थक प्रयास...
टुन्नू- सार्थक प्रयास,,,न आप बताते, न हम समझ पाते!! :)
की-बोर्ड का रिटायर्ड सिपाही, नीरज दीवान
ख़बरों की लत ऐसी कि शायद छुटाए नहीं छूटेगी.
टुन्नू- और बाकि की लतें, वो छूट गईं?? :)
आलोक, नौ दो ग्यारह
दिल तो है दिल, दिल का ऐतबार क्या कीजे आ गया जो किसी पे प्यार क्या कीजे
टुन्नू- जिस हिसाब लिखना स्थगित है, उससे लग ही रहा है..कि आ गया जो किसी पे प्यार क्या कीजे!! थोड़ा प्यार चिट्ठे पर भी आये तो बात बनें.
सृजन शिल्पी
अपनी मुक्ति के लिए प्रयत्नशील प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक के रूप में निरंतर उपलब्ध।
टुन्नू- जब भी मुक्ति के लिये प्रयत्नशील होंगे, आपसे संपर्क साधा जायेगा. तब तक ऐसे ही ठीक है!!
एक शाम मेरे नाम, मनीष
जिन्दगी यादों का कारवाँ है.खट्टी मीठी भूली बिसरी यादें.क्यूँ ना उन्हें जिन्दा करें अपने प्रिय गीतों ,गजलों और कविताओं के माध्यम से! अपनी एक शाम उधार देंगे ना उन यादगार पलों को बाँटने के लिये ..
टुन्नू- यार, उधार प्रेम की कैंची है, ऐसा पान वाले ने बताया है. आप ऐसे ही ले जाओ एक शाम!!
दुनिया मेरी नज़र से!!
ये ब्लॉग एक प्रयोग है जहाँ मैं हिन्दी में लिखूँगा। यदि आपको हिन्दी नहीं आती तो मैं माफ़ी चाहूँगा, या तो आप हिन्दी सीखिए अथवा केवल देख कर ही खुश हो ली जिए।
टुन्नू- यह नोटिस बोर्ड उसके लिये जिसे हिन्दी आती ही नहीं!! उन्हीं के लिये तो लगाया है, न??
अभय तिवारी, निर्मल-आनन्द
कानपुर की पैदाइश, इलाहाबाद और दिल्ली में शिक्षा के नाम पर टाइमपास करने के बाद कई बरसों से मुम्बई में टेलेविज़न की दुनिया में मजूरी कर के जीवनयापन।
टुन्नू- शिक्षा के नाम पर टाइमपास-पढ़ कर तो नहीं लगता ऐसा!!
दिल का दर्पण-परावर्तन, मोहिन्दर सिंग
एक सामान्य परन्तु संवेदनशील व्यक्ति हूं
टुन्नू- दोनों एक साथ- सामान्य और संवेदनशील- वाह, यह तो कमाल हो गया!!
पाण्डेय जी के मधुर वचन
बनारस वाले अभिषेक पाण्डेय जी के मधुर वचन - ब्लॉग के रूप मे
टुन्नू- स्व-सम्मान में आत्मनिर्भरता का अनुपम उदाहरण, अपने नाम के साथ जी?? आपका साधुवाद!!
दिल के दरमियाँ, भावना कँवर
मुझे साहित्य से बहुत प्यार है। साहित्य की वादियों में ही भटकते रहने को मन करता है। ज्यादा जानती नहीं हूँ.........
टुन्नू- भटकते रहने को मन करता है और ज्यादा जानती भी नहीं हैं- कहीं गुम ही न जायें, बड़ी चिंता सी लग गई है??
ई-स्वामी
यहां पर "कुछ" लिखा है!
टुन्नू- देखा, हाँ!! कुछ तो लिखा है.
बिहारी बाबू कहिन
फिलहाल जिंदगी से सीखते हुए आगे बढ़ने की कोशिश जारी है...
टुन्नू- फिलहाल?? आगे क्या बिल्कुल बंद कर दोगे सीखना??
क्या करूँ मुझे लिखना नहीं आता..., गुरनाम सिंह सोढी
ये blog मैने अपनो मित्रों की सलाह पर प्रारंभ किया है। इसमे मेरी कुछ रचनाएँ प्रस्तुत हैं। आशा है कि आपको ये पसंद आएँगी। पिछलो दस मास की मेहनत के उपरांत ये संभव हुआ है। यदि कोई त्रुटि हो जाए तो क्षमा किजीएगा। आपकी किसी भी प्रकार की टिप्पणी का हार्दिक स्वागत है। धन्यवाद
टुन्नू- दस माह की मेहनत-बहुत भयंकर मेहनत की यार ब्लाग प्रारंभ करने में. क्या करते रहे, जरा स्टेप बाई स्टेप समझाना!!
अंतर्मन
देश से बाहर रहने वाला एक भारतीय युवक। अंतरजाल का प्रेमी। हिन्दी लेखन-पाठन में रुचि ।
टुन्नू- हिन्दी लेखन-पाठन में रुचि -अच्छा, लगा लिख दिया वरना लगता कि कोई कार्य बिना रुचि का मजबूरीवश कर रहे हो!!
इधर उधर की
कुछ इधर की, कुछ उधर की, कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा। या यूँ कहें, विचारों का बेलगाम प्रवाह…
टुन्नू- कुछ इधर की, कुछ उधर की-यह तो नाम से भी समझ आ गया था- इधर उधर की !!
उडन तश्तरी, समीर लाल
--ख्यालों की बेलगाम उडान...कभी लेख, कभी विचार, कभी वार्तालाप और कभी कविता के माध्यम से......
टुन्नू- अरे भई!! कुछ तो लगाम दो, ज्यादा ही बेलगाम है, यह अच्छी बात नहीं!!
मुझे भी कुछ कहना है..., रचना बजाज
आप खुद तय कर लीजियेगा कि ये लेख, निबन्ध है या कि कोई कविता है, मेरे लिये तो ये मेरे विचारों की अभिव्यक्ति और शब्दों की सरिता है!!
टुन्नू- अरे, लिखें आप तो आपको तो मालूम ही होगा बस थोड़ा सा लेबल लगा दें कि लेख, निबन्ध या कविता है - सब को आराम हो जायेगा!!
खाली पीली, आशीष श्रीवास्तव
कभी कभार कवितायें लिख लेता हुं. लोगो को अपनी बातो मे बांधे रखने मे मेरा जवाब नही है, बिना किसी विषय के घंटो बोल सकता हुं.
टुन्नू- अच्छा है, पॉडकास्ट वाला ब्लाग नहीं है वरना तो घंटो बोलते रहते!!!
भावनाऐं, रीतेश गुप्ता
इस ब्लाँग के माध्यम से मैं अपनी भावनाओं को व्यक्त कर रहा हूँ ।
टुन्नू- चाहो तो डायरी में भी व्यक्त कर सकते हो या दोस्तों को फोन करके!! सारी नाराजगी क्या ब्लागरों से ही है??
आवारा बंजारा, संजीत त्रिपाठी
कुछ अपनी, कुछ अपने आसपास की, युं कहें कि मैं और मेरी आवारगी
टुन्नू- कुछ अपने आसपास की-वाह भई, वाकई!! मेरी आवारगी!! बहुत सच सच कहते हो!
कुछ विचार, मृणाल कांत
हिन्दी ब्लागि॑ग का एक प्रयत्न - विभिन्न विषयो॑ पर मेरे विचार, आदि। आपकी टिप्पणिया॑ आमन्त्रित है॑।
टुन्नू- टिप्पणियाँ तो सभी के यहाँ आमंत्रित हैं वरना ब्लाग काहे खोलते?
प्रतिभास, अनुनाद सिंग
अकस्मात , स्वछन्द एवम उन्मुक्त विचारों को मूर्त रूप देना तथा उन्हे सही दिशा व गति प्रदान करना - अपनी भाषा हिन्दी में ।
टुन्नू- उद्देश्य तो जबरदस्त हैं- कब दोगे मूर्त रुप और सही दिशा व गति ?
मेरी कठपूतलियाँ, बेजी
POEMS IN HINDI moments....thoughts....emotions....analysis..... descriptions...reflections....expressions....impressions.....my words....my feelings
टुन्नू-बिल्कुल, आपकी ही अनुभूति और आपके ही शब्द. बाकि सारे ब्लागों में दूसरों के शब्द??
॥शत् शत् नमन॥, गिरिराज
दिल मे है कुछ तो गुनगुनाकर देखो … ग़ज़ल अपनी भी कहाँ “ग़ालिब” से कम है …
टुन्नू- देखा गुनगुना कर, गालिब टाइप ही लग रही है. कैसे लिख लेते हो ऐसा??
आईना, जगदीश भाटिया
??
टुन्नू- उद्देश्यविहिन यात्रा-कहाँ जा रहे हैं?
आओ कि कोई ख्वाब बुनें.., अनूप भार्गव
न तो साहित्य का बड़ा ज्ञाता हूँ, न ही कविता की भाषा को जानता हूँ, लेकिन फ़िर भी मैं कवि हूँ, क्यों कि ज़िन्दगी के चन्द भोगे हुए तथ्यों और सुखद अनुभूतियों को, बिना तोड़े मरोड़े, ज्यों कि त्यों कह देना भर जानता हूं ।
टुन्नू- बिना तोड़े मरोड़े, ज्यों कि त्यों कह देना भर जानता हूं - कभी इस कला के बारे लिख कर हम सबको भी सिखाईये न!! प्लीज़!!
महाशक्ति, प्रमेन्द्र प्रताप सिंह
जो हमसे टकरायेगा चूर-चूर हो जायेगा
टुन्नू- धमकी दे रहे हो कि सूचना??
होम्योपैथी-नई सोच/नई दिशायें , डॉ.प्रभात टंडन
‘डा प्रभात टन्डन की कलम से’
टुन्नू- भईये, जब ब्लाग आपका है, तो कलम तो आपकी ही रहेगी, हम तो आकर लिखेंगे नहीं??
मानसी
कुछ दिल से...
टुन्नू- बस, दिल से-दिमाग से नहीं ? काहे??
मेरी कवितायें, शैलेश भारतवासी
हर बार समय से यही सवाल करता हूँ "मैं कौन हूँ,मुझे बनाने की जरूरत क्या थी?"
टुन्नू- क्या इसी जवाब की तलाश में ब्लागजगत में भटक रहे हैं? गौतम बुद्ध तो इसी तलाश में जंगल गये थे.
नुक्ताचीनी, देबाशीष
तकनीकी मसलों पर बिना लाग-लपेट बेबाक नुक्ता चीनी, और इसके अलावा भी बहुत कुछ!
टुन्नू- इसके अलावा भी बहुत कुछ ?? थोड़ा खुलासा तो करें कभी!!
निलिमा
बहते बदलते समय में......
टुन्नू-बहते बदलते समय में...... क्या कुछ नया होने वाला है??
---चलो, अब बुरा न मानो, होली है!! अगर किसी को बुरा लगा हो तो टुन्नू को पकड़ना. अभी तो सोया है, इतने चिट्ठे घूम कर आया है कि थक गया और उपर से ये भांग!!
सबको होली की शुभकामनायें!!!!
41 टिप्पणियां:
अरे भई समीरलाल जी,
अब तो टुन्नू का भी चिट्ठा बनवा दो। काहे से इतना गहन अध्य्यन और विश्लेषण जो कर लेता है। बहुत ठीक-ठीक शीर्षकों का विच्छेदन (post-mortem) किया है।
बुरा न मानो होली है
नुमा स्माईली बिलकुल सिगरेट की डिब्बी पर लिखी वैधानिक चेतावनी की तरह है जो आपको और टुन्नू को वांछित सुरक्षा भी प्रदान करती है।
समीर भाई,
लगता है कि सभी को टुन्नू ने अच्छा खासा टिपीया है…गहरी सोंच में बड़ा हास्य है…।
मन किया तो दो-चार बार फिर पढ़ लिया…
क्या विनोद उभरा है…होली की इससे अच्छी सौगात
क्या हो सकती है…
:) :) :) :)
उत्तम!!!
बुरा न मानो होली है :-)
प्रयास सराहनीय पर मजा कम आया,:)
टिप्प्णी को अन्यथा मत लिजियेगा,
पूरे चिट्ठा जगत से मुलाकात करवा दी :D
अरे हम त्तो पढ़ते पढ़्ते थक गये, आप नहीं थके इतनी मेहनत करने में :)
बहुत खूब, जैसे मस्तों की टोली घर घर जा कर होली खेलती है, आपने हर चिट्ठे पर जा कर उसका टिक्का कर दिया।
(अनूप जी के २५० साल वाले प्रोफाईल में लिंक गलत लग गया है ठीक करलें और बाद में मेरी टिप्पणी का यह हिस्सा मिटा दें)
हम तो कहेंगे कि आप लिखना छोड के ईहां पर टून्नू से लिखवा दिया करो, अब टून्नू तो भांग ने नशे में लिखेगा उसे क्या पता चलेगा लेख के नीचे टून्नू लिखा है या समीर..... होली है
बढ़िया है। सबका पोस्ट मार्टम कर दिया। हमारी उमर वाला लिंक बताओ फिर जायें गिनीज बुक आफ वर्ड रिकार्ड में दावा ठोंके!
अनूप भाई का लिंक गलत लग गया था, अब ठीक कर दिया है!! पूरे २५० साल वाला!! :)
समीरजी,
पढ़ के मज़ा आ गया...बहुत ही मज़ेदार तरीक़े से आपने सबके बारे मे बता दिया :):)
ये भी खूब रही ! :)
Happy holi
good, v. good.
yogesh Samdarshi
http://ysamdarshi.blogspot.com/index.html
बहुत बढ़िया।
सबकी खाल उधेड़ दी।
मनीषा
एकदम मस्त. होली का असली माहौल बना.
खुब मेहनत की है टून्नू ने. मजा आया.
जबर्दस्त, धुंआधार पोस्ट. अब आप चाहे साल भर भी न लिखो, चलेगा - चिट्ठालेखक पाठक रोज इस पोस्ट को पढ़ा करेंगे. पढ़ पढ़ कर सिर धुनेंगे और अपनी टैगलाइन बदलने की नाकाम कोशिश करेंगे.
सचमुच होली का मजा आया - भांग समेत. पर थोड़ा इक्स्टेसी का मिश्रण भी दीखता है!
इसके अलावा भी बहुत कुछ ?? थोड़ा खुलासा तो करें कभी!!
क्या शॉमीर दा, शोब चीज का खुलाशा कोरना नोई चाईये, आपने फाईन प्रींट पोड़ा नोई, काँडीशान आप्लाई। व्यावाशाईक चिट्ठाकारी की तोरोफ बाढ़ाया कोदोम हाय, जो शाला पोएशा देगा उशी को "और बाहुत कूछ मिलेगा" ;) आमार पेपॉल का खाता नोंबोर भेजूं?
टुन्नू मियां का विश्लेष्ण पढ़कर यही लगा कि "गुरु गुड़ ही रह गया और चेला शक्कर हो गया"।
शीर्षकों में छुपे बैठे अर्थों को बढ़िया बाहर निकाला है,
मस्त।
होली की शुभकामनाएं
:-))))
समीर जी मेरा काम आप काहे करे देते हो हमें भी तो जरा मौका दे के देखो खैर जब आप इत्ता किए ही हो तो टुन्नु को हमारे यहां भेज देओ हम थोडा आराम उरूम करि लें
पुराने हिन्दी चलचित्र "Around the world in eight doller" की याद आ गयी । आपने एक पोस्ट से पूरे चिट्ठा जगत की सैर करवा दी । धन्यवाद एवं आपको भी होली मुबारक ।
संकलन
बढ़िया, समीर जी। घर घर घुमा दिया टुन्नू को। विश्लेषण के लिए उसे हमारी ओर से धन्यवाद दें। अब की बार शीर्षक या टैगलाइन बदलेंगे तो टुन्नू से ज़रूर पूछेंगे।
PS: "मेरी कठपूतलियाँ" का लिंक ठीक कर दें।
समीर जी अच्छा हुआ आपने बता दिया ये सब। टुन्नू को लगता है कुछ ज्यादा ही भाँग पसन्द है जब उसका नशा ढीला हो गया तो और नशा करने को जब पैसा चाहिये था तो कुछ और नहीं मिला बेचने को तो मेरी (कँवर) मात्रा ही बेच डाली और 'अ' को गिरवी रखकर सस्ता सा 'व' उठा लाया अगर वो आपको मिले तो आप उसकी पकडना नाक (शायद आप यही कहना चाहते थे) (अगर किसी को बुरा लगा हो तो टुन्नू कि (की) पकड़ना) मुझे मिलेगा तो मैं खुद ही निबट लूँगी कि मुझे नम्बर वन से उठाकर नम्बर बाईस पर क्यों ला पटका, मेरा गुनाह यही था ना कि मैंने उसके साथ होली खेलने से मना कर दिया था, खेलती भी कैसे वो तो टुन था न? <:)> <:)>
बुरा न मानो होली है:):):)
रमण भाई
धन्यवाद, "मेरी कठपूतलियाँ" का लिंक ठीक कर दिया है. :)
टुन्नू मैं जंगल नहीं जाऊँगा, इन प्रश्नों के उत्तर कम्प्यूटर जगत से खोजूँगा। तुम अपना उपकार अपने पास रखो।
वाह जी वाह, मजा आ गया।
और मेरे ब्लॉग के उस पन्ने की गलती की ओर ध्यान दिलाने का धन्यवाद, भूल सुधार ली गई है!! :)
राजीव भाई
आपका स्नेह और वैधानिक चेतावनी ही बचा कर ले गई, वरना टुन्नू ने तो कहीं का नहीं छोड़ा था. :)
दिव्याभ भाई
आपका स्नेह है, जो टुन्नू भी कुछ सिखा वरना तो बस चरसी ही समझो उसे!! :)
उन्मुक्त जी
यही हम कह रहे हैं, आपके साथ होली खेल बड़ा मजा आया!! :)
प्रमेन्द्र भाई
अब मजा तो मजा है, कम भी तो मजा ही है. कम आया इसके लिये क्षमापार्थी हूँ, गल्ति टुन्नू की ज्यादा है कि आपको गुदगुदा नहीं पाया, वैसे है बेचारा बड़ा क्यूट!!
आगे से उसको समझाया जायेगा कि जब तक आप हंस न दो, गुलाटी लगाता रहे! अब खुश? :)
पुनः, प्रमेन्द्र भाई
:) स्माईली तो लगा दिये हो, अन्यथा किस बात की!! कुछ कहने को रह गया है क्या?? ;)
अरे वाह, जगदीश भाई
सच, आपका प्यार जो उर्जा देता है कि थकने का सवाल ही नहीं. आपके आदेशानुसार लिंक ठीक कर दिया था, आपको मजा आया, हमारा लिखना सिद्ध हुआ!! :)होली का आनन्द आ गया. :)
तरुण
काहे भाई, हमसे भर पाये का?? क्यूँ अपनी कुर्सी टुन्नू को दें. उसका अलग से चिट्ठा खुलवाये दे रहे हैं, उसे सपोर्ट करते रहना. वो भी तरुण भईया, तरुण भईया करता रहेगा, और आप टुन्नू टुन्नू , खेलते रहना उसके साथ और हमारे चिट्ठे पर तारीफी पूल दोनों बांधना!! ठीक है. :)
अनूप भाई
जाये करवाओ आओ गिनीज बुकवा मा, लिंक ठीक कर दिये हैं. तारीफ और आशीष के लिये बहुते धन्यवाद. आप का जानो, ई कित्ते मायने रखे है हमार लिये!!. :)
रंजू
मजा आया!! :) यही उद्देश्य था. ऐसे ही आती जाती रहें, मेरा उत्साह बना रहेगा. आप लोगों का स्नेह ही उर्जा देता है, वरना तो सब बेकार है!! होली मुबारक!! :)
मनीष भाई
मजा आया न!! मुझे अच्छा लगा. भाई, ऐसे ही उत्साह बनवाये रहो. आप तारीफ कर दो तो लोग समझते है कि वाकई ठीक ठाक लिखे होंगे..ऐसे ही करते रहना भाई!! :)
योगेश भाई
उत्साहवर्जन के लिये बहुते धन्यवाद..बस यूँ ही स्नेह बनाये रहो. :)
मनीषा
खाल उधेडना उद्देश्य नहीं था, बस मौज मस्ती..वही आपके साथ भी की गई है. सिर्फ रंग गुलाल...बहुत धन्यवाद आपको अच्छा लगा. वैसे भी आप तो मेरी तारीफ हर समय कर देती हैं...और सच बतायें तो अच्छा भी लगता है, आती जाती रहा करें, हम नाचीजों का उत्साहवर्धन करने :)
अरे मेरे संजय भाई
मजा आया!! :) आप आते हो, चिट्ठा हरा हो जाता है, और वो गुलाबी करने वाला अपना पंकज नही आया, दिखे है आपसे और हमसे नाराज है. कल उसकी परेड ली जायेगी. टुन्नू को आपकी सेवा मे दिया जाता है आज से. होली मुबारक!! :)
रवि भाई
मजा आया न!! अच्छा पल्ला झडा रहे हो भाई. काहे न लिखें?? सिर्फ यही गल्ती है न कि ईंडी ब्लागिज जीत गये हैं?? हम तो जबरिया लिखबे!! हाँ.. :)
इक्स्टेसी का मिश्रण...काहे का मिश्रण.. यह तो हम प्यूर लिये थे..भांग तो सेफ्टी को लिखे थे. भांग क्या होती है???
देबु भाई
अच्छा, भेजिये पे पाल...एक बार हो ही जाये इस पार उस पार....आपने टीपा, मेरा सम्मान..आगे भी आते रहिये :)
संजीत भाई
मजा आया न!! :) गुरु चेला तो निपट लेंगे, आपको अच्छा लगा तो लिखना सफल, होली मुबारक!! :)
प्रत्यक्षा जी
आप मुस्कराईं, होली हो गई..काफी है. बहुत मजा आ गया, वाह क्या होली रही, अहा, आनन्दम आनन्दम!! :)
निलीमा जी
टुन्नू को खरीद लो, बिकाऊ है नालायक..जब से आपका कमेंट पढ़ा है, चिल्ला रहा है कि मुझे निलीमा जी की गोद में जाना है. मैने उसे बहुत डॉटा. तब से बेचारा, उदास बैठा है. थोड़ा तो तरस खाओ उसकी हालत पर. जल्दी बतायें कब भेजा जाये उसे??:( . :)
हर्ष भाई
:) चलो, कुछ तो याद दिला पाये, होली आपको भी मुबारक . ;)
रमण भाई
टुन्नू को आपका धन्यवाद पा कर आनन्द आ गया. अब वो आपसे मिलना चाहता है. कहता है कि भाई जी का साक्षात्कार लूँगा फुरसतिया टाईप :)
भावना जी
आपके चक्कर में टून्नू बहुते डांट खाये, हम तो थप्पड़ जड़ देते मगर रोने लगा तो छोड़ दिये. हम कहे काहे १ नम्बर को २२ पर ला दिये. नालयक नशे मे जवाब ही नहीं दे पाया..खैर उसे कल देखेंगे मगर हमारी तरफ से आप एक नम्बर अपने से शुरु करें. और होली मुबारक :)
शैलेष भाई
यह टुन्नू की नालायकियत है..अरे, हम आपको जाने भी नहीं देंगे जंगल...यहीं ढ़ूंढ़ा जायेगा जवाब.टुन्नू कहता है वो मजाक कर रहा था और भाई साहब उसे उपकार समझ गये..:) आगे भी आते रहिये :)
अमित भाई
मजा आया न!! :) बस उद्देश्य पूरा हुआ. गल्ती की तरफ ध्यान दिलाना उद्देश्य नहीं था.. यह तो होली की मौज मस्ती थी. आपने इस ओर ध्यान दिया, बहुत धन्यवाद!! आते जाते रहें :) होली मुबारक!! :)
उडन तश्तरी जी एक बात समझ नही आई कि सब पुरुशो को तो आपने बनया है भाई पर स्त्रियो को बहन कहते लजाते क्यो है उन्होने क्या बिगाडा है.
आलोचक महोदय
सर्वप्रथम आप पधारे, बहुत आभार और धन्यवाद.
अब मुद्दा, तो आपको थोड़ा सा गलत समझ आया. ये सारे बम्बई वाले भाई की तर्ज पर चिट्ठाजगत के भाई लोग है. महिलाओं के लिये इससे मिलता जुलता शब्द सुझाईये न!! प्लीज!! हम काहे लजायेंगे :) बुरा न मानें, होली वाली पोस्ट का होरियाया जवाब है!!
मजा आया न!! :) बस उद्देश्य पूरा हुआ.
बिलकुल आया जी, तभी तो टिप्पणियाए!! ;)
गल्ती की तरफ ध्यान दिलाना उद्देश्य नहीं था.. यह तो होली की मौज मस्ती थी. आपने इस ओर ध्यान दिया, बहुत धन्यवाद!!
अरे कोई नहीं, इसी मौज मस्ती में ही सही, गलती की ओर ध्यान तो गया। दरअसल मैंने वह शायद अंग्रेज़ी में लिखा था पहले और फिर उसका अनुवाद हिन्दी में कर छाप दिया था। अब क्या करें, उस समय तो वैसे भी बहुत अरसे बाद हिन्दी में लिख रहा था, इसलिए ऐसी गलतियाँ स्वभाविक थी!! ;)
आते जाते रहें :) होली मुबारक!! :)
बिलकुल। पहले आया था और टिप्पणी कर चला गया था। अब पुनः आया हूँ और पुनः टिप्पणी कर जा रहा हूँ। फिर आऊँगा और जाऊँगा लेकिन टिप्पणी की कोई गारण्टी नहीं है!! ;) :P
टुन्नू को आपका धन्यवाद पा कर आनन्द आ गया. अब वो आपसे मिलना चाहता है. कहता है कि भाई जी का साक्षात्कार लूँगा फुरसतिया टाईप :)
टुन्नू से तो कभी भी मिल लेंगे, पर आप से हम नाराज़ हैं। आप वाशिंगटन में कवि सम्मेलन वग़ैरा कर के चले गए, और हमें बाद में पता चला।
रमण भाई
उस पर तो मुझे आपको और अतुल दोनों को पेनाल्टी भरना है. अब आप ही कवि सम्मेलन रखो, पक्का आयेंगे...अतुल को भी बुलवा लेंगे. सबके गिले शिकवे दूर और हमारा भी काम बन गया कि एक और कवि सम्मेलन में पढ़ने मिला. हा हा!! उसी समय टुन्नू को भी ले आयेंगे!! :)
बहुत खूब समीरजी.आपकी इस होली की टोली में हमारा दरवाज़ा भी शामिल था जानकर अच्छा लगा.यू ही हंसते हंसाते रहिये और रसास्वादन करते रहिये.
वाह समीर जी खूब मौज ली सब चिट्ठाकारों की। इसे पढ़कर पंजाब केसरी में बहुत पहले आने वाले एक कॉलम की याद आ गई - खबरों की मुरम्मत।
टुन्नू तो बहुत दिमाग वाला बंदा लगता है जी, ब्लॉग कब खुलवा रहे हैं उसका। :)
यार पिछली बार टिप्पणी किए थे, आप शायद ब्रेकफास्ट मे खा लिए। खैर चलो दोबारा करते है।
बहुत सही धोया, लेकिन ये बताया जाए "भला उसकी कमीज मेरी कमीज से सफ़ेद कैसे?"
काफी लोगों को छोड़ दिए हो, कुछ महिला ब्लॉगरों को देखो बुरा ना मान जाएं।
वाह समीर जी, खूब मज़ा आया । ऐसे काफ़ी लेट पढ़ा मैने इसे, लेकिन आपके टुन्नू ने मेरे बारे मे भी कुछ कहा, इससे बहुत आनंदित हूँ । शायद यह "स्व-सम्मान मे आत्मनिर्भरता" का ही परिणाम था ।
हा! हा! हा!
सधन्यवाद
-अभिषेक
1. n=0
2. n=n+1
3. टिप्पणी :
"गज भर का लेख और दो गज की टिप्पणियां हैं. जरूर कुछ बुद्धिमानी का लेख होगा."
4. If n<10; Go To 2 Else To 5.
5. End.
देखा! हम भी थोड़े-थोड़े स्मार्ट हैं. 10 टिप्पणियां ठोक दीं.
वाह। आपका यह लेख आज ही देखा। मज़ा आ गया।
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