नारियल का भी निराला स्वरुप
है.
दुकानदार के पास नारियल
खरीदने जाओ तो वो बोरा भर नारियल में से पहला उठा कर कान के पास ले जाकर उसे
हिलायेगा और जाने क्या सुन कर उसे उसी बोरे में वापस रख कर दूसरा नारियल उठाकर
सुनेगा और कहेगा, हाँ ये ठीक है बाबू जी, इसी ले लिजिये. ऐसे छांट कर शायद वो आपको
कान्फिडेन्स देता हो कि मैं आपका कितना ख्याल रखता हूँ. आगे से भी मुझसे ही
खरीदना. मगर इसी तरह कान के पास ले जाकर सुनते सुनते शाम तक वो सारे नारियल बेच कर
मुस्कराते हुए घर निकल लेता है.
उधर भगवान को नारियल चढ़ाओ
और यदि फोड़ने पर खराब निकल जाये तो कहा जाता है कि भगवान प्रसन्न हो गये, उन्होंने खा लिया इसलिए तुम्हारे हिस्से कुछ नहीं आया. अब तुम्हारी मनोकामना अवश्य पूरी होगी.
जाने किसने यह मान्यता बनाई
होगी किन्तु यह तो तय है कि इसके पीछे नारियल चढ़ाने वाले की आस्था न टूटे, दिल न बैठ जाये और आगे से नारियल चढ़ाना ही न बंद कर दे आदि
किसी सोच का समर्थन रहा होगा.
जब कोई मंदिर आता है और
नारियल चढ़ाता है तो सिर्फ नारियल भर तो चढ़ाता नहीं. साथ में मंदिर की बाहर की दुकान से खरीदे फूल माला, कपूर अगरबत्ती, पेड़ा मिठाई भी तो
चढ़ाता है. दान पेटी से लेकर पंडित जी
के चरणों में नगद दान की परम्परा भी रही है.
एक खराब नारियल के पीछे
पूरी व्यवस्था चरमरा जाये, ऐसा कैसे होने दिया जाये
भला.
आप तो बस इन्तजार करिये कि
जल्द ही मनोकामना पूरी हो जाये.
मगर ऐसा कभी नहीं सुना कि
१०० मे से जिन ९९ के नारियल सही निकल रहे हैं और वो उसे प्रसाद के रुप में खा बांट
रहे हैं, उनसे पंडित कह रहा हो कि
भक्त, तुम्हारा नारियल सही निकल
गया मतलब प्रभु ने उसे स्वीकार नहीं किया. अब इसे तुम ही खाओ
और भागो यहाँ से, तुम्हारा काम नहीं बन
पायेगा.
मगर ये नारियल का कमाल ही
है कि चाहे नारियल की दुकान हो या मंदिर में भगवान, नारियल सभी खप जाते हैं.
मुद्दा बस एक ऐसा माहौल और
मान्यता रच देने का है कि किसी भी हाल में नारियल कभी निराश नहीं करता.
यह बात हमारे नेता बखूबी
समझते हैं.
-समीर लाल ’समीर’
भोपाल के सुबह सवेरे में प्रकाशित:
6 टिप्पणियां:
अपना अपना व्यवसाय जो ठहरा
बहुत खूब
नए साल की हार्दिक शुभकामनाएं
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (03-01-2017) को "नए साल से दो बातें" (चर्चा अंक-2575) पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
नववर्ष 2017 की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (03-01-2017) को "नए साल से दो बातें" (चर्चा अंक-2575) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
नववर्ष 2017 की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
ठीक है-किसी को क्यों निराश किया जाय -पैसा तो उतना ही खर्च किया है !
बहुत खूब :)
अच्छा लेखन है ।
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