मंच प्रस्तुति-
चक्रवर्ती सम्राट अशोक!!
परदा गिरा और सम्राट अशोक भागा चेंज रुम की तरफ..
कपड़े बदले और लग गया लाईन में..
आज का मेहताना मिले तो खरीदे बीमार बीबी की दवा
और
बच्ची के लिए ..क्या?
सोचा और सर झटकार दिया..
न! उतना सारा पैसा थोड़ी न मिलेगा!
गुड़िया अगली बार!!
जब एक जंग और जीतेगा...
चक्रवर्ती सम्राट अशोक!!
और गिरेगा परदा...
तब!
-समीर लाल ’समीर’
उपरोक्त लघुकथा को ’गागर मे सागर’ लघु कथा ग्रुप के ’परदा’ विषय पर आयोजित प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ और विशेषज्ञों के आंकलन और अन्य जानकारी के लिए कृप्या नीचे दिये लिंक पर जायें:
19 टिप्पणियां:
संवेदनशील ... गहरे असर करती हुयी रचना ... बधाई पुरूस्कार की ...
इसे तो मिलना ही था ...
आज के चक्रवर्ती सम्राट अशोक की यही दुर्दशा है---क्या करें??
कलिन्ग के नरसंहार एक नहीं--अनेक हो गये है---
विचारा अशोक--बोद्ध हो जाता,नहीं तो?
Zabardast Rachna Hai .Aakee Sashakt Lekhni ko Salaam .
hardik hardik badhai aur shubh kamnaye aap ko , nansmakr
👍
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, मंदी की मार, हुआ बंद व्यापार - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
dada,
sabse pahle to badhayi purskar ki
uske baad mai ye kahna chahunga ki aapki laghukatha ke ant par jab mai pahuncha to ronghte khade ho gaye the......
dada , you are amazing as always ...
bas ek baar jadli aayiye to
milna hai aapse
aapka apna
vijay
Jabardasht
संक्षिप्त पर अपने में गहरे अर्थ संजोये सुंदर प्रस्तुति।
देखन में 'लघु' है, घाव किया गंभीर।
बधाई, समीर जी
sundar prstuti...
Bahut khub! hardik badhai...
सरल शब्दों में सुंदर कविता। सचमुच आपका जवाब नहीं।
............
लज़ीज़ खाना: जी ललचाए, रहा न जाए!!
आज के नौटंकी नायकों की कथा व्यथा।
सुंदर कविता....
चेंज-रूम ही जीवन का सार है! :-(
चन्द लाइनों में परदे के पीछे की सम्पूर्ण व्यथा को बखूबी चित्रित कर दिया आपने आदरणीय
चन्द लाइनों में परदे के पीछे की सम्पूर्ण व्यथा को बखूबी चित्रित कर दिया आपने आदरणीय
एक गहरी अभिव्यक्ति लाजवाब
आभार
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