रविवार, जून 07, 2015

परदे के उस पार!!

मंच प्रस्तुति-

नगर की एक नौटंकी मे...

चक्रवर्ती सम्राट अशोक!!

परदा गिरा और सम्राट अशोक भागा चेंज रुम की तरफ..

कपड़े बदले और लग गया लाईन में..

आज का मेहताना मिले तो खरीदे बीमार बीबी की दवा

और

बच्ची के लिए ..क्या?

सोचा और सर झटकार दिया..

न! उतना सारा पैसा थोड़ी न मिलेगा!

गुड़िया अगली बार!!

जब एक जंग और जीतेगा...

चक्रवर्ती सम्राट अशोक!!

और गिरेगा परदा...

तब!

-समीर लाल ’समीर’

 

उपरोक्त लघुकथा को ’गागर मे सागर’  लघु कथा ग्रुप के ’परदा’ विषय पर आयोजित प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ और विशेषज्ञों के आंकलन और अन्य जानकारी के लिए कृप्या नीचे दिये लिंक पर जायें:

 

parda_Certificate

लिंक

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19 टिप्‍पणियां:

दिगम्बर नासवा ने कहा…

संवेदनशील ... गहरे असर करती हुयी रचना ... बधाई पुरूस्कार की ...
इसे तो मिलना ही था ...

मन के - मनके ने कहा…

आज के चक्रवर्ती सम्राट अशोक की यही दुर्दशा है---क्या करें??
कलिन्ग के नरसंहार एक नहीं--अनेक हो गये है---
विचारा अशोक--बोद्ध हो जाता,नहीं तो?

PRAN SHARMA ने कहा…

Zabardast Rachna Hai .Aakee Sashakt Lekhni ko Salaam .

सुनील गज्जाणी ने कहा…

hardik hardik badhai aur shubh kamnaye aap ko , nansmakr

जितेन्द़ भगत ने कहा…

👍

ब्लॉग बुलेटिन ने कहा…

ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, मंदी की मार, हुआ बंद व्यापार - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

vijay kumar sappatti ने कहा…

dada,
sabse pahle to badhayi purskar ki
uske baad mai ye kahna chahunga ki aapki laghukatha ke ant par jab mai pahuncha to ronghte khade ho gaye the......
dada , you are amazing as always ...

bas ek baar jadli aayiye to
milna hai aapse

aapka apna
vijay

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति ने कहा…

Jabardasht

Ankur Jain ने कहा…

संक्षिप्त पर अपने में गहरे अर्थ संजोये सुंदर प्रस्तुति।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

देखन में 'लघु' है, घाव किया गंभीर।
बधाई, समीर जी

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

sundar prstuti...

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

Bahut khub! hardik badhai...

Ashi ने कहा…

सरल शब्दों में सुंदर कविता। सचमुच आपका जवाब नहीं।
............
लज़ीज़ खाना: जी ललचाए, रहा न जाए!!

Asha Joglekar ने कहा…

आज के नौटंकी नायकों की कथा व्यथा।

अंजना ने कहा…

सुंदर कविता....

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

चेंज-रूम ही जीवन का सार है! :-(

dj ने कहा…

चन्द लाइनों में परदे के पीछे की सम्पूर्ण व्यथा को बखूबी चित्रित कर दिया आपने आदरणीय

dj ने कहा…

चन्द लाइनों में परदे के पीछे की सम्पूर्ण व्यथा को बखूबी चित्रित कर दिया आपने आदरणीय

रचना दीक्षित ने कहा…

एक गहरी अभिव्यक्ति लाजवाब
आभार