एक कोशिश करता रहता हूँ
मैं बस.. मैं.. नहीं
कुछ और हो जाऊँ
उलझन उलझन तैर रहा हूँ
जाने क्या से क्या हो जाऊँ
कभी सोचता धूप बनूँ मैं
या पेड़ों की छाया हो जाऊँ..
कभी लगा कि बनूँ आसमां
या फिर धरा हरी हो जाऊँ..
लू के मैं बनूँ गरम थपेड़े
या सौंधी सौंधी नमीं माटी की हो जाऊँ...
नदिया बन झर झर बहूँ
या पहाड़ एक बुलन्द हो जाऊँ
कहानी लिखूँ, कविता रचूँ
या तुकबंदी कर कवि हो जाऊँ...
सोचा कि कोयल हो जाऊँ
या कोयल की धुन में खो जाऊँ
सीना मानिंद फौलाद रखूँ
या मोम सरीखा दिल रख कर
पर पीड़ा पर रो आऊँ...
कुछ राज दफन कर लूँ दिल में
या बिगुल बजा आह्वान करुँ
या बदलूँ इन हालातों को
और नैतिकता का सम्मान करुँ
कि भीड़ अकेला बन जाऊँ..
अनशन कर अभिमान करुँ...
फिर तुम आना और कह देना
ये कौन मसीहा निकसा है
जब दमित करें आवाज मेरी
हो मौन-फकीरा फिरता है...
यूँ याद रखेगा जग मुझको
कि आने वाली नस्लों को
मैं याद बना भयभीत करुँ
समझौता करना जीवन है..
ऐसा कानों में गीत भरुँ...
फिर कौन मसीहा जागेगा..
षड़यंत्रों के इस जाले में..
घिर करके यूँ डर जाने को....
यूँ मौन धरे मर जाने को...
-समीर लाल ’समीर’
चित्र साभार: गुगल
84 टिप्पणियां:
Kya gazab kee rachana likhee hai aapne!
bahut badhiyaa...
Sir ji toooo good awesome line.
Best wishes.....
अन्ना की तस्वीर के साथ मनोभावों को व्यक्त करती ज़बरदस्त अभिव्यक्ति.यही कहने का मन करता है कि "अन्ना तुम संघर्ष करो,हम तुम्हारे साथ हैं".
अपना अस्तित्व व्यर्थ न जाने देने की मन की पीड़ा को बड़ी ही गम्भीरता से प्रस्तुत करती आपकी रचना। सारगर्भित और पुनरपि पठनीय।
कुछ राज दफन कर लूँ दिल में
या बिगुल बजा आह्वान करुँ
या बदलूँ इन हालातों को
और नैतिकता का सम्मान करुँ
जो भी राह चुनी जाएगी भविष्य की दिशा वही तय करेगी...... समसामयिक विचार लिए पंक्तियाँ
शानदार !
वाह, एक समीर की साध
कुछ राज दफन कर लूँ दिल में
या बिगुल बजा आह्वान करुँ
या बदलूँ इन हालातों को
और नैतिकता का सम्मान करुँ
कि भीड़ अकेला बन जाऊँ..
अनशन कर अभिमान करुँ...
फिर तुम आना और कह देना
ये कौन मसीहा निकसा है
जब दमित करें आवाज मेरी
हो मौन-फकीरा फिरता है...
ye tukda bahut accha laga ..behatriin rachna bandhai swikaren
फिर कौन मसीहा जागेगा..
षड़यंत्रों के इस जाले में..
घिर करके यूँ डर जाने को....
यूँ मौन धरे मर जाने को..
.
कविता ही नहीं है यह .... आपने जीवन के बहुत से सत्यों को उद्घाटित किया है इस रचना के माध्यम से ..और जो कुछ होने की कल्पना है वह सच में प्रेरक है ...!
...फिलहाल तो सरकार ही मसीहा बनी हुई है !
बहुत प्रभावशाली रचना...
एक अच्छी रचना
कभी सोचता धूप बनूँ मैं
या पेड़ों की छाया हो जाऊँ..
कभी लगा कि बनूँ आसमां
या फिर धरा हरी हो जाऊँ..
शब्द-शब्द जहां जीवंत हो उठा है ...बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
बहुत खुबसूरत रचना , बिलकूल रणभेरी से जज्बात उमड़ने लगते हैं पड़ते वक़्त .बहुत संतुलित और दमदार पोस्ट .
Messiha kaun hai ?
फिर कौन मसीहा जागेगा..
षड़यंत्रों के इस जाले में..
घिर करके यूँ डर जाने को....
यूँ मौन धरे मर जाने को... -
बहुत सुन्दर रचना ...
कुछ राज दफन कर लूँ दिल में
या बिगुल बजा आह्वान करुँ
या बदलूँ इन हालातों को
और नैतिकता का सम्मान करुँ
बहुत ही अर्थपूर्ण रचना...
सब कुछ बनने की चाह छोड़ अगर पहले सब इनसान ही बन जाएं तो ये दुनिया बेहतर न हो जाए...
जय हिंद...
बढ़िया लयबद्ध गीत ..
मसीहा तो शहर इसी लिउए काम कर रहा है ... और ये सरकार भी इसी लिए काम कर रही है की एक तो ठीक अब आगे कोई और मसीहा पैदा ही न हो सके ....
हमेशा की तरह आपकी रचना जानदार और शानदार है।
गुरदेव
बेहद सुन्दर अर्थपूर्ण रचना...
nice..
सामयिक और सच-बयानी से युक्त !
फिर कौन मसीहा जागेगा..
षड़यंत्रों के इस जाले में..
घिर करके यूँ डर जाने को....
यूँ मौन धरे मर जाने को...
एक आम आदमी की संवेदनाओं को सुंदर गीत के माध्यम से अभिव्यक्त किया है. सुंदर प्रस्तुति के लिए बधाई.
अन्ना के प्रति समर्पित अद्भुत रचना ।
सारगर्भित एवं सटीक!
ख्यालों की बे-लगाम उड़ान...
सोचता हूं उडन खटोला या उडन तश्तरी बन जाऊं :)
खुशदीप भाई की टिप्पणी से सहमत हूँ।
अब भी न जगे तो न जाने फिर जाग भी सकेंगे.
bahot achchi......
wah!
Bahut gahri soch se rachi basi ye rachna man ko bahut bhai..bahut2 badhai..
शाश्वत की काव्यात्मक अभिव्यक्ति...गहरी सोंच//
चाहतों के ढेर में एक चाहत बस यही,
कुछ बनूँ न बनूँ बस, इंसा अदद बन जाऊँ।
bahut achche man ke bhaav ko darshati kavita.insaan ka astitv kabhi vyarth na jaaye uttam kaarya me apna yogdaan de inhi sab bhaavon ko samjha rahi hai kavita.bahut sundar.
mazedar hai .
मन की पीडा के साथ सत्य को उद्घाटित कर दिया।
प्रेरक शब्द...
या बदलूँ इन हालातों को
और नैतिकता का सम्मान करुँ
कि भीड़ अकेला बन जाऊँ..
अनशन कर अभिमान करुँ...
फिर तुम आना और कह देना
ये कौन मसीहा निकसा है
जाने हालात बदले कि न बदले पर चेतना तो जाग रही...शुभकामनाएं.
चचा, हम आपकी तारीफ कैसे करें, तारीख में किसी भतीजे ने चचा की ऐसी तारीफ न की होगी..मेरे पास शब्दों भंडार बहुत छोटा सा है, किसी गरीब की जमा-पूंजी सी...सूरज को जुगनू क्या रौशनी दिखाए...
बहुत ही अच्छी लगी ..... कई बार पढी ... अभी फ़िर से पढने जा रही हूँ ..............
बहुत ही सुन्दर रचना सर...
सादर बधाई...
फिर कौन मसीहा जागेगा..
षड़यंत्रों के इस जाले में..
घिर करके यूँ डर जाने को....
यूँ मौन धरे मर जाने को...
bahut hi sunder bhav badhai
saader
rachana
बेहतरीन रचना.
२ रचनाये पढ़ी आप के ब्लॉग पर ,दोनों ही बेहतरीन थी..,एक तो काफी दिन पहले पढ़ी थी और एक आज, कितने ही ब्लॉग पर कितना कुछ लिखा जाता है ,पर आप के शब्द याद रह जाते है ....प्रभावित करने वाले शब्द लिखते है आप.....बधाई स्वीकारें.......
फिर कौन मसीहा जागेगा..
षड़यंत्रों के इस जाले में..
घिर करके यूँ डर जाने को....
यूँ मौन धरे मर जाने को...
...लाज़वाब...बहुत सारगर्भित और प्रेरक प्रस्तुति...आभार
सारगर्भित पठनीय बेहद खुबशुरत रचना,...
मेरे पोस्ट के लिए "काव्यान्जलि" मे click करे
फिर कौन मसीहा जागेगा..
षड़यंत्रों के इस जाले में..
घिर करके यूँ डर जाने को....
यूँ मौन धरे मर जाने को..
सुन्दर रचना, समीर जी
सार्थक रचना....
नमन !!!
ख़ूबसूरत शब्दों से सुसज्जित उम्दा रचना के लिए बधाई!
क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनायें !
सीना मानिंद फ़ौलाद रखूं
या मोम सरीखा दिल रख कर
पर पीडा पर रो आऊं
एक कोशिश करता रहता हूं
मैं बस मैं नहीं—
कुछ और हो जाऊं—
वैसे तो सभी नुक्ते दिल को छूते हैं,परंतु उपरोक्त नुक्ता मन को विचलित करता हुआ निकल गया.
बहुत गहन अभिव्यक्ति.
Badi sundar kavita..Badhai ho apko Uncle ji.
आप सभी को क्रिसमस की बधाई ...हो सकता है सेंटा उपहार लेकर आपके घर भी पहुँच जाये, सो तैयार रहिएगा !!
पता नहीं, यह आपके कहने का कमाल है या गान्धी टोपी का! पर हवा बदली बदली सी है जरूर।
बहुत लोग इस तरह सोच ते हैं समीर जी आपने उनके भावों को शब्द दे दिये । अण्णा को सफलता मिले यही चहते हैं हम सब । उनका प्रयास व्यर्त ना जाये ।
बहुत लोग इस तरह सोच ते हैं समीर जी आपने उनके भावों को शब्द दे दिये । अण्णा को सफलता मिले यही चहते हैं हम सब । उनका प्रयास व्यर्त ना जाये ।
वाह! गज़ब
बहोत अच्छा लिखा है आपने समीर जी ।
बहुत बढ़िया
बहुत बढ़िया..
बहुत बढ़िया
बहुत सुन्दर समसामयिक रचना ...
bahut sundar tashtari ji ...
bahut jabardast rachna.... is sanghrsh ka kya anjaam ho.. ab dekhna hai...aane vale samay me koi Masiha hoga ki nahi.. ya log sabhi masiha ho jayege.. behad alag rang me likhi yah kavita bahut achhi lagi..
अति सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति है आपकी.
शब्द नही हैं मेरे पास प्रशंसा के लिए.
समीर जी, आपसे ब्लॉग जगत में परिचय होना मेरे लिए परम सौभाग्य की बात है.बहुत कुछ सीखा और जाना है आपसे.इस माने में वर्ष
२०११ मेरे लिए बहुत शुभ और अच्छा रहा.
मैं दुआ और कामना करता हूँ की आनेवाला नववर्ष आपके हमारे जीवन
में नित खुशहाली और मंगलकारी सन्देश लेकर आये.
नववर्ष की आपको बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ.
समय मिलने पर मेरी पोस्ट 'हनुमान लीला भाग-२' पर भी आईयेगा.आपके सुवचन
मुझमें उत्साह का संचार करते हैं.
सुंदर अभिव्यक्ति बेहतरीन पठनीय रचना,.....
नया साल सुखद एवं मंगलमय हो,....
मेरी नई पोस्ट --"नये साल की खुशी मनाएं"--
आपको सपरिवार नववर्ष २०१२ की हार्दिक शुभकामनायें..
bahut hi sundar prastuti... dheron saraahna..!
yahi tho aagaz bhi aur aahas hbi ho duniya ko bahut sunder.
नव-वर्ष आपको व आपके समस्त परिवार के लिये मंगलकारी हो इसी शुभकामना के साथ।
आज आपकी पोस्ट की चर्चा की गई है अवश्य पढ़ियेगा... आज की ताज़ा रंगों से सजीनई पुरानी हलचल बूढा मरता है तो मरे हमे क्या?
आपको नव वर्ष 2012 की हार्दिक शुभ कामनाएँ।
सादर
आपको व आपके समस्त परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !!!
नए वर्ष की हार्दिक बधाई.
नव वर्ष के शुभ आगमन अवसर पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं...
समीर जी, बहुत सुंदर रचना.आपको सपरिवार नव वर्ष की ढेरों शुभकामनायें.
समीर जी,आपके नए पोस्ट क इंतजार...
नया साल सुखद एवं मंगलमय हो,..
आपके जीवन को प्रेम एवं विश्वास से महकाता रहे,
मेरी नई पोस्ट --"नये साल की खुशी मनाएं"--
आप को सपरिवार नव वर्ष 2012 की ढेरों शुभकामनाएं.
नव वर्ष पर आपको और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनायें।
वाह बहुत खूब ....अन्ना जी अगर पढ़ ले तो गद् गद् हो जायेंगे ...
happy new year
समीर भाई और भाभी को नया साल बहुत बहुत मुबारक ...
आपको एवं आपके परिवार के सभी सदस्य को नये साल की ढेर सारी शुभकामनायें !
देर से आने के लिए क्षमा...बेहद धांसू उदगार हैं...यहाँ पर...मै हूँ अन्ना...दोहराने की ज़रूरत है...कितने मसीहाओं का दमन कर सकती है...सत्ता...
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