इधर मैं कुछ लिख नहीं रहा हूँ. बिल्कुल चुप!
मैं तब भी चुप था, जब उसकी शादी होना तय हुआ था.
उस रात चाँद खामोश था और मैं अपनी छत से कूद उसके छतरी वाले कमरे में उसका हाथ थामें बस उसे मौन देखता रहा था.
हमारे बीच एक घुप्प सन्नाटा पसरा था और उस छतरी वाले कमरे में रखा वह पुराना पियानो-सफेद कफन की मानिंद चादर ओढे जाने कौन सी मौन धुन छेड़ रहा था अपनी टूटी हुई बीट्स से.
वो मौन संगीत, मुझमें बसा है आज भी. हर धडकन के साथ कानं में गूँजता है. धड़कन रुके तो इस गूँजार से छुटकारा मिले.
वह शादी के बाद चली गई और मैं..वहीं रुका हूँ, उस छतरी वाले कमरे में, उस मौन पियानो के संगीत के साथ-सोचता हूँ शायद मेरा फैसला ही सही था जो उसकी अगली शाम मैने उससे उस कोने वाले पार्क में सुनाया था और फिर....कल उसको देखा.....
कल शाम
बरसों बाद
जब तुम्हें देखा
अपने साजन के साथ
खिलखिलाते...
तो
मुझे याद आये
न जाने कितने
तुम्हारे चेहरे
रोते....
एक वो
जब तुम मेरे काँधे पर सर रख
रोती रही थी घंटो
एक वो
जब मेरी पीठ से पीठ टिकाये
तुम्हारी सिसकियाँ नहीं थमती थी..
एक वो
जब तुम अपने ही धुटनों में
मूँह छिपाये
आँसू बहाती रही...
एक वो
जब तुम मुझे देखती रही
और
आँसू गिराती रही...
और
एक वो
जब तुमने आँसू बहाये थे
उस खत पर
जिस पर मैने लिखा था..
अलविदा....
मुझे वो चेहरे याद आये,
न जाने क्यूँ!!!
-समीर लाल 'समीर'
-उधेड़ बून बनी हुई है, वक्त उलझा है जाने किन व्यस्तताओं में और इस बीच कब मेरी जिन्दगी की डायरी, मेरे भावों का साक्षी, यह ब्लॉग अपनी चार साल की उम्र पूरी कर गया..गुजरे २ मार्च को, बता ही नहीं पाया. बहाव बना है तो आता रहेगा.
आपकी शुभकामनाओं और स्नेह का आकांक्षी बना रहूँगा.
77 टिप्पणियां:
कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है,
के जैसे तुझको बनाया गया है मेरे लिए,
मैं जानता हूं के तू गैर है मगर यू हीं,
कभी कभी मेरे दिल में...
ब्लॉगिंग के चार साल की स्वर्णिम यात्रा के लिए बधाई...बस साल दर साल ऐसे ही
मील के पत्थर छोड़ते रहें, हम जैसे रंगरूटों को रास्ता दिखाने के लिए...
जय हिंद...
ब्लागीरी में पाँचवाँ वर्ष मुबारक हो!
कविता सुंदर है, महिला दिवस के अवसर पर खूब स्मरण कराया कि स्त्री बहुरूपा भी है।
ये तो कोई छिपी सी चाह है जो समय बीतने का भेष धारण किये हुए है :)
चार वर्ष पूर्ण करने की बधाई !!
समीर भाई
प्रेम / विरह और ऐसी दीगर अनुभूतियां स्थायी भाव लेकर नहीं आया करती ! इन्हें समय के साथ बदलना और बहना होता है पर हम हैं कि इनके इतिहास से चिपक जाते हैं !
हँसते हुए चेहरे को देखकर रोते हुए चेहरे याद आये...न जाने क्यूं !
...वाह!
...चार वर्षों से लगातार लिखना बड़ी बात है. बहुत बधाई.
आप भी न बस
उड़ते तो हैं
पर उड़ते नहीं हैं
पांचवां बरस आपकी कायमता का सफर
यादों में छिपा हुआ
सच उगल देता है।
ब्लागिंग के चार सुनहरे , सारगर्भित रचनाओं वाले वर्ष पूर्ण होने पर बधाई । ऐसे ही बहुत से खूबसूरत पल याद आते हैं और जिंदगी को खुशनुमां बना जाते हैं ।
मुझे याद आये
न जाने कितने
तुम्हारे चेहरे
रोते....
" न जाने कितनी भावनाओ को समेटे ये पंक्तियाँ क्या क्या नहीं व्यक्त कर रही....." ब्लाग के चार साल पुरे हुए हार्दिक बधाई और शुभकामनाये ..
regards
बहुत गर्म वातावरण था, आपकी पोस्ट आयी तो सावन का झोंका आया। कल से ही इंतजार था आपकी पोस्ट का। सबसे पहले तो चार साल के लिए बधाई। फिर आपके अहसासों के लिए बधाई। आज दिन अच्छा निकलेगा, अब उम्मीद बनी है। पहली पोस्ट ही जो पढ़ रही हूँ।
ब्लोगिंग के सफल चार वर्षों की ढेरो बधाई और शुभकामनायें .....!!
कृपया रुलाइये मत.
panchven varsh ke liye dheron shubhkaamnayen.
kavita dilko chhoo gai.
पांचवें साल की शुरुआत मुबारक हो. वाकई ऐसे स्वर्णिम चार साल हिंदी ब्लागिंग में एक रिकार्ड रहेगा जिसको तोडने की सोचना भी मुश्किल है.
आपने इस सफ़र मे हिंदी ब्लागिंग में अनेकों लोगों को प्रेरणा और मार्गदर्शन दिया जिसके लिये यह ब्लाग जगत आपका आभारी रहेगा.
आज महिला दिवस पर भूतपूर्व सखी की यादें आना स्वाभाविक ही है.
रामराम.
सबसे पहले तो शुभकामनाएं चार वर्ष पूरे होने की.
आपकी आज की पोस्ट पर एक गीत के बोल याद आ गए..............
वो जब याद आये, बहुत याद आये...............
यादें ही हैं जो हमारे साथ हैं वरना छोड़ कर तो हमारा साया भी चला जाता है.
जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड
ब्लॉग के चार साल पूरे होने की ढेरों बधाई और भविष्य के लिए शुभकामनाएं।
रचना ही कह गयी कथा अतीत के रुदन की !
चित्र भी क्या खूब है !
आभार ।
चार सुनहरे वर्षों के लिये बधाई !
कल शाम
बरसों बाद
जब तुम्हें देखा
aap ko blog ki duniya me 4 baras pure karne ki bahut bahut badhai......
aur is rachna ka kya kahna dil ko chhoo gayi mere....
'शब्द-शिखर' पर पढ़ें 'अंतरराष्ट्रीय नारी दिवस' पर आधारित पोस्ट. अंतरराष्ट्रीय नारी दिवस के 100 साल पर बधाई.
४ साल का सफ़र पूरा हुआ..बधाई. आपकी अभिव्यक्ति लाजवाब है..बधाई.
बहुत सी दर्द भरी संवेदनाओं को समेटे रचना बहुत अच्छी लगी ब्लागिन्ग के चार साल पूरे होने पोार बहुत बहुत बधाई।
आदरणीय समीरजी....
आपको ब्लॉग जगत में ४ वर्ष पूरे करने पर बहुत बहुत बधाई.....
न जाने कितने
तुम्हारे चेहरे
रोते....
एक वो
जब तुम मेरे काँधे पर सर रख
रोती रही थी घंटो
इन पंक्तियों ने मन मोह लिया.... बहुत सुंदर रचना....
सादर
आपका
महफूज़...
Haan...aisehee beet jata hai samay...lekin aapne in salon me behad sarthak lekhan kiya hai..ham jaison kee rahnumayi kee hai...
मुझे वो चेहरे याद आये,
न जाने क्यूँ!!!
समीर भाई ... लगता है दिल का की कोना उघड़ गया है ... ४ साल पूरे हो गये ..... भई वरिष्ठ ब्लॉगेर बन गये हो ...... बधाई ...
दर्द को बयान.. इस कदर किया आपने..
मैं फ़िदा हो gaya..
४ साल पूर्ण होने पर बधाई..
waqt ka parivartan aur yaaden......inhe yun hi aankhon se dil tak mahsoos kar sakte
ब्लॉग के चार वर्ष पूर्ण करने पर बधाई!
-उधेड़ बून बनी हुई है,
वक्त उलझा है
जाने किन व्यस्तताओं में
और
इस बीच कब मेरी जिन्दगी की डायरी,
मेरे भावों का साक्षी,
यह ब्लॉग अपनी चार साल की उम्र
पूरी कर गया..
गुजरे २ मार्च को,
बता ही नहीं पाया.
बहाव बना है तो आता रहेगा.
आपके इस आशावादी दृष्टिकोण के
हम भी कायल हैं!
ब्लोगिंग के सफल चार वर्षों की ढेरो बधाई और शुभकामनायें ...
आपकी कविता आज गुलज़ार की याद दिया रही है...बेहद खूबसूरत.न जाने कितनी बार पद गई एक ही सांस में.
चौथी वर्षगांठ की हार्दिक शुभकामनाएं... मैं तो अभी दो साल का ही हुआ हूं। आपसे आधी उम्र का... आपका ब्लॉग देखकर महसूस होता है कि एक ब्लॉग कम से कम चार साल में जवान होता है...
जवानी और रवानी बनी रहे... इसी आशा के साथ...
समीर जी हार्दिक बधाई ,ब्लॉग का आपका बच्चा चार वर्ष का हो गया है ...अब पाँचवे वर्ष मे आपका स्वागत है .आपके जैसा धुरंधर ब्लॉगर जब अभी नन्हा मुन्ना है....तो उज्ज्वल जीवन की मंगल कामना के साथ ब्लॉगिंग सहचर के रूप मे हम सब
आपके साथ हैं और आपकी सवेदनाओं के भी सहचर हैं .
जब तुमने आँसू बहाये थे...उस खत पर
जिस पर मैने लिखा था.......अलविदा....
अतीत की स्मृतियां सुख भी देती हैं, और पलकें भी भिगो जाती हैं.....
ब्लॉगिंग के चार साल पूरे करने पर शुभकामनाएं.
बहुत बहुत बधाई आपको...इन चार सालों की सफल और सुखमय यात्रा के लिए....आगे की यात्रा भी कंटक विहीन हो...शुभकामनाएं..
कविता बहुत अच्छी बन पड़ी है..
आप का लेख पढ कर मुझे खिलोना फ़िल्म का एक गीत याद आ गया..... तेरी शादी दुं.....
बहुत सुंदर कविता, ओर पप्पू जी चार साल के होगये जन्म दिन की बहुत बहुत बधाई, पांचबा साल भी खुशियो भरा हो.
राम राम
कुछ लम्हें यूँ दिमाग के कैनवास पर गहरा रंग छोड़ जाते हैं...
ब्लॉग सालगिरह पर बधाई!
वक़्त के ऐसे तमाम चेहरे होते हैं , सलवटें उधड़तीं हैं तो नमूदार होते हैं |
bhalaa ese bhi koi apnaa ateet yaad dilaataa he????
waah saahab bahut dilchhuaa likhaa he...kyaa kahe.../
chaar saal kaa yah safar..shbdo kaa mahakumbh..., badhaai bhi aour shubhkamnaye bhi ki yah kumbh kabhi samapt na ho..
साजन के साथ खिलखिलाती रहे , महिला दिवस पर यही शुभकामना।
चार साल का सफर तय करने पर ढेरों बधाईयाँ।
समीर जी , आप नए पुराने सभी ब्लोगर्स के लिए प्रेरणाश्रोत हैं।
blogging ke 4 varsh poore hone par bahut badhaiyan,aane vale samay ke liye shubhkamnayen.
एक वो
जब तुमने आँसू बहाये थे
उस खत पर
जिस पर मैने लिखा था..
अलविदा....
इसी तरह का लेखन अगले साल-सालों साल बना रहे यही कामना,आमीन.
सफलतापूर्वक चार वर्ष पूर्ण करने पर हार्दिक शुभकामनाये और बधाई .... भाव रचना के माध्यम से बहुत बढ़िया लगे ... आभार
ब्लाग के चार साल पुरे हुए हार्दिक बधाई और शुभकामनाये!
चार साल पूरा करने के लिए हार्दिक बधाई ! करीब करीब आपके साथ ही ये सफ़र तय किया है मैंने भी। इससे याद आ जाता है कि अपने चिट्ठे की सालगिरह करीब आने वाली है।
badhai chaar saal ke liye.. aap kaa blog aabaad rahe ye kaamanaa he!!
blog ke char varsh pure karne par bahut bahut badhai sir aur hamesha aise hi hum aapke is safar ke humsafar bane rahe.shubkamnaayen :)
जज़्बात को बहुत खूबसूरत शब्दों में उतारा है....सुन्दर भावाभिव्यक्ति
ब्लॉगिंग के चार साल पूरे होने के लिए बधाई...बस साल दर साल ऐसे ही अच्छी-अच्छी रचनाएं पेश करते रहें।
अब क्या कहूं कि आप हर पोस्ट से तडपाने , रुलाने लगे हैं ...क्या करूं जो अपना ही भूला वक्त , कुछ मिले , कुछ बिछडे याद दिला देते हैं आप .....सुंदर कविता कैसे कहूं ...दिल के कोने में एक टीस सी उठ गई है ....जब बंद होगी...यदि हुई तो ......फ़िर बताऊंगा कि कैसी लगी ....आप तो ऐसे न थे ...क्या हम ........आपके अपने.. सचमुच ..ही इतने याद आ रहे हैं ...
अजय कुमार झा
Lines have come from very deep and memories often mesmerize. Congrats.
Blogging ke 4 varsh pure hone par hardik shubkamanae...5 ve varh me bhi aapke prakashan ka yahi star apekshit rahega ....bahut bahut badhaiya!
Aaj ki aapki rachana ke liye kahane ko shabd kam hai bas itana kah sakati hun behad ruhani abhivyakti hai yah jo dil ki gaharai se nikal gahrai me hi samati hai ....Dhanywaad!
वो मौन संगीत, मुझमें बसा है आज भी. हर धडकन के साथ कानं में गूँजता है. धड़कन रुके तो इस गूँजार से छुटकारा मिले.
पूरी पोस्ट में ये सतरें सबसे ज्यादा पसंद आयी
बहुत दिलकश (लव यू टाईप )
बिलाग का बड्डे गुजर गया खबर नहीं हुई :)
हम भी आपका बिलाग बुहत दिन बाद पढ़ रहे हैं
कोई बात नहीं जी बड्डे तो आते जाते रहेंगे हमने आपकी भावनाओं को समझ लिया
४ साल पूरे होने की हार्दिक बधाई :):)
हा हा हा
kavita to hamesha ki tarah khoobsoorat... blog ke 4 saal ke hone par badhai.. ab school me daal dijiye.. :)
Jai Hind...
सफेद कफन की मनिन्द चादर ओढ़े पुराना पियानो ..मै तो इस बिम्ब मे ही अटका हूँ समीर भाई ... यह कविता तो बहुत पहले शुरू हो गई थी .. बाद मे पता चला ।
ब्लोगिंग के सफल चार वर्षों की ढेरो बधाई और शुभकामनायें ..
हम खड़े रहे वहीं जहां कि तुम थे रह गये
तुम उड़ाते धूल, फूल रथ चढ़े चले गये
पर तभी हवा की झोंक झालरी उड़ी
तुम्हारी थरथराती दॄष्टि मेरी छांह पर पड़ी
हम समझ गये कि राम राम हो गई
समय के पहिये कभी नहीं रूकते. उम्र भी बस ही गुज़र जाती है
अब तक याद थे तुम्हे
उसके चेहरे
रोते हुए
आंसू की अविरल बहती धाराएं गालों पर
और सिसकियाँ गूंजती थी अनथमे उसकी
तुम्हारे कानों में
एक पल भी नही भुलाया तुमने
लादे रहे हर पल को
किसी शव की तरह
किसने कहा 'वैताल बन जाने को
कब तक नही समझोगे कि
कितनी सहजता से भुला देतीं है हम
पुराने सारे प्रसंग
समा देती हैं अपना सब उसमें जो 'आज ' हमारा है
पति,परिवार, घर, बच्चे ही बन जाती है हमारी दुनिया
सिसकियों,आंसुओं से भीगे चेहरे को याद रखने वाले
देख , सुनी खिलखिलाहट तुने ?
कब सीखेगा तु जीना वर्तमान में
मैंने ,उसने,हमने तो सीखा है बर्तमान में जीना
तभी तो दिल के मरीज तुम-से नही होते
अपनी लाश अपने कन्धों पर नही ढ़ोते
अरे ये चौथी सालगिरह चुपके से बीत गयी ! हंगामा होना था न और अप न जाने किन गलियों में लौट गए .....
यह ठीक बात नहीं है !
आंसू आये आँखों में गिर जाने के लिए,
प्रीत बनी है दुनिया में तड़पाने[?] के लिए.
न जाने कैसे-कैसे दर्द आप छुपाये बैठे है!
ब्लोगरी पांचवे वर्ष में भरपूर शबाब को पहुँच गयी है, देखिये अब क्या-क्या गुल खिलते है, ख़ामोशी तौडिये....एक खुश मिजाज़ समीरलाल ब्लोगिंग दुनिया की रौनक है.
--
mansoorali hashmi
समीर जी, ब्लाग के चार साल पूरे होने पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाये। मै तो बस इतना कहूंगी कि....
दर्द दिल मे छुपा कर मुस्कराना सीख ले
गम के पर्दे मे खुशी के गीत गाना सीख ले
तू अगर चाहे तो तेरा गम खुशी हो जायेगा
मुस्करा कर गम के कांटो को जलाना सीख ले ।
चतुर्वर्षीय भव्य सुखद भावयात्रा (ब्लॉग यात्रा) के लिए बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं...अबाध गति से निरंतर निष्कंटक यह यात्रा यूँ ही चलता रहे...
lo ji apan der aaye but durust aaye aapko badhai.
badhai aur shubhkamnayein, udan tashtari yu hi bhraman karti rahe...viraajti rahe jagah jagah
वाह वाह .................
समीर जी
कविता तो अच्छी है ही.............ब्लोगिंग के चार साल पूरे करने की हार्दिक बधाई.
चार वर्ष होने की बहुत बहुत शुभकामनायें ।
सरल मानवीय भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति
कई मोड़ों की है ये जिन्दगानी
हर मोड़ की है अपनी कहानी।
भावनाओं के मंद समीर के साथ
बीते पलों को फिर से जीना
वे पल,
जो हर किसी के जीवन का अंग रहे हैं
कभी ना कभी ..
धडकन रुके तो इस गुंजार से छुटकारा मिले
यह बात धडकन में बस गयी.
आपको चौथी वर्षगांठ पर बधाई
अल्लाह करे ज़ोरे कलम और ज़ियादा..
भावपूर्ण...... ब्लॉग लेखन के चार वर्ष का सफर पूरा होने पर बधाई...आगामी यात्रा के लिए शुभकामनाएँ
मन को छू गयी आपकी ये कविता ।
"मुझे याद आये
न जाने कितने
तुम्हारे चेहरे
रोते.... "
बहुत भावपूर्ण, दर्द भरे शब्द ।
ब्लागिंग के जगत मे पाँचवे वर्ष मे प्रवेश करने के लिये बधाई ।
बहुत-बहुत बधाई, ब्लागिंग जगत में चार वर्ष पूरे होने पर, हमेशा की तरह बेहतरीन प्रस्तुति ।
देरी से आने के लिए क्षमा....कई बार बिना सोचे समझे लिए निर्णय आगे चल कर बहुत फायदे का सौदा साबित होते हैं...राजेश रेड्डी का एक शेर है...
अजब कमाल है अक्सर सही ठहरते हैं
वो फैसले जो कभी सोच कर नहीं करते.
आपकी रचना हमेशा की तरह...लाजवाब है...और हाँ ब्लॉग जगत के शीर्ष पर लगातार चार साल तक बने रहने के लिए ढेरों बधाईयाँ...लोगों के दिल पर तो ना जाने आप कब से राज़ कर रहे हैं...
नीरज
बताइये चार साल हो गए, आपको चौपट हुए.... और अब तो आप पंचम सुर में गायेंगे.
बधाई...
आप की भी कहानी मेरे से मैच करती है, सो इन शब्दों को कौन नही समझेगा।
मुझे तो यही समझ मे आया, कोई और अर्थ हो इसका (हाई लेवल का) तो बताये।
चार साल हो गये, इतने साल बाद फिर से उनसे आँखे चार हो गयी।
बधाइयाँ सभी दिये हैं मैं भी दे देता हूँ :)
मौन धुन की गूंज बहुत तेज है....बहुत कोशिश करता हूं अनसुना करने का..लेकिन..बेबस
कुछ कहने की हालत में नहीं छोड़ा आपने। सोच रहा हूँ-
जिसने सहा, उसी ने कहा; बाक़ी ने क्या ख़ाक़ कहा?
ज़ख़्म सिएँ या दामन देखें,अपना क्या-क्या चाक रहा…
बरसों हम भी रहे प्रवासी, सपने भी निर्वासन में;
दिल की ग़द्दारी, मैं गुमसुम, फिर कल शाम अवाक् रहा…!
Samir Bhai,
Apne sath to ulta hua. koi hamen hi alvida kah gaya.Kismat ki baat hai.
I wonder why all the images that lasted in your mind have tears in her eyes?.....Didn't she smile at you ever ?
Smiles..
बहुत बहुत आभार जी .....
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यादो का सफ़र यूँ कलम के जरिये ढलता है बहुत बहुत बधाई चार साल पूरे होने की ..
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