अरे साहब, आज की इस भागती दौड़ती जिन्दगी में सुकून कहाँ? समय ही नहीं मिल पाता.
आजकल यह जुमला बड़ा आम हो गया है और सभी को अपनी नाकामियों और गल्तियों को छुपाने में साहयक सिद्ध हो रहा है.
मैं समझ नहीं पाता कि फिर इतनी भागती दौड़ती जिन्दगी में इन्सान लड़ने झगड़ने को समय कैसे निकाल लेता है, क्या यह इसी असुकून का परिणाम है कि झुंझलाये आये और जो सामने पड़ा, उस पर बरस पड़े.
ब्लॉगजगत भला इससे कैसे अछूता रहे, जब वही लोग यहाँ भी बस रहे हैं. सहिष्णुता और सहनशक्ति तो मानो दुर्लभ वस्तु हो गई है.
किसी ने पोस्ट लिखी, किसी ने टिप्पणी और निकल आई नई पोस्ट कि ऐसी क्यूँ टिप्पणी की. ऐसा नहीं कि आपने उनको टिप्पणी की लेकिन भागते दौड़ते उनको चिपक गई, तो उन्होंने ने पोस्ट तान दी. अब आप उनको सफाई दिजिये तो तीसरे उस पर लिखेंगे. पूरा चेन रियेक्शन है.
इस ब्लॉगजगत में बम फोड़ना बहुत सरल हो गया है. और कुछ नहीं मिले तो हिन्दु मुसलमान पर लिख दो, मोदी पर लिख दो, ठाकरे पर लिख दो, शाहरुख पर लिख दो. बस, फिर देखो धमाका.
चलो, इन के कारण धमाका तो फिर भी समझ आता है कि ब्लॉगजगत के नहीं है. जरा, किसी को सम्मानित घोषित कर दो, किसी को इनाम दे दो, बस, धम्म!!
ये भी कोई बात हुई. ब्लॉगर की हालत जानते हुए भी, जरा सा सम्मानित नहीं होने देते. कितनी तकलीफों से ब्लॉगर गुजरता है और कोई इस दुखी आत्मा को सम्मानित करे तो बाकी जल भुन जाते हैं कि हम कैसे रह गये.
क्या कहा जाये इन हालातों का. हमारा तो किसी को सम्मानित करने का मन कर रहा है, चाहे वो कोई सा भी ब्लॉगर हो. देखिये:
आओ तुम्हें इक नाम दिला दूँ
ब्लॉगिंग का सम्मान दिला दूँ.
जगते हो तुम बड़े सबेरे
सन्नाटे जब जग को घेरे
कुर्सी से तुम चिपक गये हो
कम्प्यूटर पर आँख तरेरे.
इसका कुछ इनाम दिला दूँ
आओ तुम्हें इक नाम दिला दूँ
ब्लॉगिंग का सम्मान दिला दूँ.
बीबी जब सोकर उठती है
तेरी हालत पर कुढ़ती है
ब्लॉगिंग की लत देख सोचती
इससे बेहतर तो सुरती है.
आज तुम्हें इक जाम पिला दूँ
आओ तुम्हें इक नाम दिला दूँ
ब्लॉगिंग का सम्मान दिला दूँ.
चाय चाय रटते जाते हो
कुर्सी में धंसते जाते हो
कोई काम नहीं करते हो
जाने क्यूँ हँसते जाते हो.
चलो तुम्हें कुछ काम दिला दूँ
आओ तुम्हें इक नाम दिला दूँ
ब्लॉगिंग का सम्मान दिला दूँ.
बच्चों से अब बात न होती
रिश्तों में मुलाकात न होती
सोने भी तुम कभी न जाते
गर कमर दर्द से मात न होती.
आह! दर्द निवारक बाम दिला दूँ
आओ तुम्हें इक नाम दिला दूँ
ब्लॉगिंग का सम्मान दिला दूँ.
सुबह शाम तुम खूब लिखे हो
टिप्पणी में हर ओर दिखे हो
ब्लॉगिंग से क्या हासिल होगा
जाने क्या तुम सोच टिके हो.
चल खुशियों की शाम दिला दूँ
आओ तुम्हें इक नाम दिला दूँ
ब्लॉगिंग का सम्मान दिला दूँ.
बात बात पर अकड़ रहे हो
इससे उससे झगड़ रहे हो
टिप्पणी उसकी पोस्ट तुम्हारी
नाहक मुद्दे पकड़ रहे हो.
चल इससे आराम दिला दूँ
आओ तुम्हें इक नाम दिला दूँ
ब्लॉगिंग का सम्मान दिला दूँ.
-समीर लाल ’समीर’
106 टिप्पणियां:
अरे साहब, आज की इस भागती दौड़ती जिन्दगी में सुकून कहाँ? समय ही नहीं मिल पाता. आजकल यह जुमला बड़ा आम हो गया है और सभी को अपनी नाकामियों और गल्तियों को छुपाने में साहयक सिद्ध हो रहा है.
ये बवाल वाली बात आखिर उजागर हो ही गई
main aapki baat se purntah sehmat hu Sameerji. mujhe samajh nahi aata log apne liye blog likhte hain ya dusro ke liye. aur pjir kuch log toh sirf comment tang kheechne ke liye hi karte hain, arey pasand nahi aya to na kariye comment. No comment is better than bad comment(Though exceptions are there). Kya karein apni apni samajh.
रूह काप गयी है किस मरदूद को बैठ्या हुआ है कुर्सी पर आपने -
फिर ये कविता -नहीं लेना कोई इनाम तोबा तोबा
समीर भैया-ये कंकाल किसका है?
अब समझा डराने के लिए लगाया है।
ब्लागर का अंतिम हाल यही होने वाला है।:)
हा हा हा
हमे तो अब सम्मानित कराय ही दो।
क्या पता कब इस परि्णाम तक पहुँच जाएं।:)
हा हा हा
श्रद्धेय, बात तो आप सच ही कहते है ...सोहाद्रता से भी ब्लोगिंग की जासकती है. किसी के सम्मान से जल कर भला क्या मिल सकता है. सम्मान पाने के लिए सम्मान देना पड़ता है. बड़ो का बद्द्पन विनम्रता में भालिभातीं दिखाई देता है. छींटा कशी की बजाए विचार विमर्श होना चाहिए !!
लेकिन एक ब्लोगर की जो दुर्दशा होती है आपने बहुत सही बखानी है :D
सामयिक और अच्छी पोस्ट के लिए ..आभार !!
सादर
सम्मान दिला रहे हैं या धमका रहे हैं ...:):)
मुझे भी, मुझे भी.
सुभान अल्लाह! नेकी और पूछ पूछ!
AAENA DIKHA DIYA BOSS. KYA SABKA HAL MERE JAISA HI HAI.
बाप रे बाप,इस पोस्ट के बाद , कोई इनाम नहीं लेने वाला .
लोंगो को हश्र सामने ही चित्र में दिख रहा है.
BOSS
DEVNAGRI KO UNICOD ME NAHI BADAL PA RAHA
KOI UPAY BATAEA.
BAHUT PRESAN HUN.
इससे बेहतर तो सुरती है. nice
Bahut sundar sir.. pahle laga ki 'aao tumhe main pyar sikha doon' ki parody hai fir laga ki nahin hai... naya hai kuchh.. :)
Jai Hind...
बहुत अच्छा, वाह हमने सम्माने के सारे सपने आज ही देखे थे...
ओर हाँ ये ब्लॉगर का फ़ोटो लगाकर डराना अच्छी बात नहीं है...
meri photo lagaane ke liye aabhaar...:)
....सुन्दर रचना, बहुत बहुत बधाई!!
उम्मीद है की ये सम्मान निर्विघ्न हो पायेगा :)
हा हा हा ! समीर जी , बहुत सही लिखा है आपने।
वैसे भाग दोड की जिंदगी की वजह से ही लड़ाई झगडे की उत्पत्ति होती है ।
यही हाल ब्लोगिंग में है।
एक भाग दोड ही तो है।
कविता तो गज़ब, आनंद आ गया।
sir photo dekh kar dar gaya...
हा हा हा हा बहुत खूब फोटो देख कर कौन लेगा इनाम???????? हमे तो नही चाहिये। धन्यवाद
HA HA HA BAHUT BADHIA , BLOGGERS KI SAHI STHITI BAYAN KI HAI. HALAT AISE HI HOTE HAIN.
सुबह शाम तुम खूब लिखे हो
टिप्पणी में हर ओर दिखे हो
ब्लॉगिंग से क्या हासिल होगा
जाने क्या तुम सोच टिके हो.
बस यही लोग सोचते नही सार्थक लिखने की बजाय झूठी वाहवाही के लिए लिखते है दंगा-फ़साद पर लिखते है और एकदुसरे की टांग खींचने में लगे रहते है..सम्मान तो मिलना ही चाहिए आख़िर इतनी मेहनत जो करते है....मजेदार कविता...सुंदर प्रस्तुति समीर जी बहुत बहुत धन्यवाद..अच्छा लगा..
आओ तुम्हें इक नाम दिला दूं,
ब्लॉगिंग का सम्मान दिला दूं,
बिन मौसम के आम दिला दूं,
देवता बनाने की दूकान दिखा दूं,
रावणयुग में नया राम बना दूं,
खाली पीपा मंदिर का नाद बना दूं,
भगवान नहीं बस अदना आदमी हूं,
इनसानों की बस्ती में आग लगा दूं,
आओ तुम्हें इक नाम दिला दूं,
ब्लॉगिंग का सम्मान दिला दूं...
जय हिंद...
आओ तुम्हे मैं प्यार सिखादूँ ..की तर्ज़ पर इसे गाकर देखा ..बहुत मज़ा आया ।
इस ऊहापोह में लोगों को पोस्टे निकालने का काम तो मिल ही जाता है.:)
और आपको हमको सम्मानित करिये, हमसे ज्यादा योग्य आपको कोई नही मिलेगा. मेरी दावेदारी पर विचार किया जाये.
रामराम.
लोगबाग खासकर सम्मान को लेकर धूम मचा देते है आपने तो इस पर कविता रच दी .वाह गजब .
टिप्पणी करो और भागो - कहीं सम्मान न चिपक जाये! :-)
(बढ़िया और बेबाक पोस्ट अच्छी लगी।)
बहुत खूब ........सटीक व्यंग्य किया आपने .
सुबह शाम तुम खूब लिखे हो
टिप्पणी में हर ओर दिखे हो
ब्लॉगिंग से क्या हासिल होगा
जाने क्या तुम सोच टिके हो.
कविता के साथ फोटो भी शानदार-जानदार है समीर जी. बधाई.
समीर जी, बहुत खूब और भागमभाग की जिंदगी पर स्टिक लिखा है. कुछ और भी टिपण्णी पढ़ी है. पता नहीं किसकी बात सही हो जाये. की एक दिन ब्लोगिंग करते हुए यही हाल होना है या कोई सम्मान ना ले इसलिए डराने के लिए इस भूत कोयहाँ बैठाया है. लेकिन इतना जरुर है की आपकी इस बात में दम है की आज जलने-भूनने की आदत लोगो में दिन-प्रतिदिन बढ़ने लगी है. कारण वही की प्यार-प्रेम के लिए तो समय निकालना पड़ता है लेकिन जलने के लिए नहीं. रही बात ब्लोगिंग में किसी बड़े नेता पर लिख कर धमाका करने की तो समीर जी हम तो गुफ्तगू करते है. धमाका करना तो आप जैसे बड़े लोगो का काम है. अच्छी पोस्ट लिखने के लिए बधाई. समय-समय पर मेरी गुफ्तगू में शामिल होते रहिये.
www.gooftgu.blogspot.com
यह तो नया फैशन सा हो रहा है....सम्मान देने-लेने का........समीर जी उम्दा फ़रमाया आपने....! वैसे लेखन आत्मिक सुख के लिए हो तो बेहतर.....कहाँ हम लोग इस सम्मान वगैरह के चक्कर में पड़ गए.
sir,baat jordaar tarike se keh di hai.. hehehe :))))))
हमें भी तो चाहिये सम्मान :)
blog jagat ke logo ko samman dilane ke liye aap ka aabhar achha likha hai aap ne
एक गाना या आ गया...आओ तुम्हें मैं प्यार सिखा दूँ...सिखला दो ना ...कहीं उसी की तर्ज़ पर तो आप नहीं गा रहे हैं...??
आओ तुम्हें सम्मान दिला दूँ ..
दिलवा दो ना...
फिर तुम्हें शमशान पहुंचा दूँ ...
कोई मोटा ताज़ा कंकाल नहीं मिला आपको...
हा हा हा हा....
पर समीर भाई किसको दिला रहे हो ये सम्मान ..... भैया हमें न भूल जाना ........
वैसे इतनी लजवाब रचना पर तो ये पुरूस्कार आपको मिलना चाहिए.....
वैसे कई भाई लोग बगैर पढ़े टिप्पड़ी कर देते हैं ये खेल भी खूब चल रहा है
बात बात पर अकड़ रहे हो
इससे उससे झगड़ रहे हो
टिप्पणी उसकी पोस्ट तुम्हारी
नाहक मुद्दे पकड़ रहे हो.
बहुत सामयिक और सुन्दर पोस्ट
कविता में यथार्थ चित्रण किया है
-
-
आपकी हर पोस्ट गहरा विमर्श लिए होती है
शुभ कामनाएं
bahut badhiya hai...bilkul khari baat!
वाह...बिलकुल सही नब्ज़ पकड़ी है...सच है की ना जाने खान से इतना वक्त निकल आता है तर्क वितर्क के लिए....और टिप्पणी पर नयी पोस्ट की बात तो बहुत ज़बरदस्त कह दी है....
कविता ने सारे भाव कह दिए हैं....पुरुष ब्लोगिंग में रूचि रखते हैं तो पत्नियाँ परेशान हैं और स्त्रियां रूचि रखती हैं तो पति परेशान हैं >>:):):)
बहुत उम्दा पोस्ट...
तस्वीर काफी सजीव है ! कही सम्मान पाने के इंतज़ार में कही .......???
हा हा हा
हाहा क्या बात है!!
बात बात पर अकड़ रहे हो
इससे उससे झगड़ रहे हो
टिप्पणी उसकी पोस्ट तुम्हारी
नाहक मुद्दे पकड़ रहे हो.
चल इससे आराम दिला दूँ
आओ तुम्हें इक नाम दिला दूँ
ब्लॉगिंग का सम्मान दिला दूँ.
--..--..--..--..--
मत हमको ईनाम दिलाओ
अगर हो सके काम दिलाओ
फिर क्यों हम आँखे फोड़ेंगे
व्यर्थ नही कुर्सी तोड़ेंगे
मुद्दों को नही पकड़ेंगे हम
आपस में नही झगड़ेंगे हम
.......
कैसी रही टिप्पणी?
आपका व्यंग्य मीठे जहर के समान होता है। पता ही नहीं चलता, कब अपना काम कर गया।
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
च्चों से अब बात न होती
रिश्तों में मुलाकात न होती
सोने भी तुम कभी न जाते
गर कमर दर्द से मात न होती
ekdam sachchi baat...bahut khoob andaj main
:) skeleton ki ye picture bahut hi badhiya hai...
[suna tha bloggers overweight ho jate hain ye bechara to skeleton rah gya!]
--kavita mazedaar hai!
bahut hi badhiyaa
इस कविता गीत पर तो आपको ही सम्मानित किया जाना चाहिए। आपने अपने सम्मान के रास्ते खोल लिए हैं।
क्या खूब और सटीक लिखा है आपने!
बिलकुल सही खाका खींचा है ब्लॉगजगत का...और बचे खुचे सच कविता उजागर कर गयी...
चलो कोई तो है जो ब्लोगरों के दुख दर्द में हमसफर है.
आपने कहा और समझिये सम्मान मिल गया.
इतना मधुर शब्द न बोलो
आदत नही है
कानो को यकीन हो कैसे
सुमधुर मिश्री न घोलो
आदत नही है
Dukhati rag pe haath rakh diya!
अजी साहब, अजीब बात है
कोई महाराष्ट्र के बारे में लिख दे तो बवाल हो जाता है.
लेकिन मैं तो कभी जम्मू कश्मीर, कभी हिमाचल, कभी उत्तराखण्ड के बारे मे लिखता हूं तो सभी ये कहते हैं कि बहुत खूब, कोई बवाल नही होता.
लगता है कि कुछ ब्लोगर कुछ ब्लोगरों के ही पीछे पडे हुए हैं.
बीबी जब सोकर उठती है
तेरी हालत पर कुढ़ती है
ब्लॉगिंग की लत देख सोचती
इससे बेहतर तो सुरती है.
हाहााहाहाहा क्या खूब वर्णन किया है आपने ।
बाबा रे यह सम्मान है या डरने का सामान :)
वैसे इस को पढ़ कर एक और गाना गाने का दिल कर रहा है ..जरा नजर उठा कर देखो सम्मान की इस भीड़ में सबसे पीछे हम खड़े :)
ब्लॉगिंग की लत देख सोचती
इससे बेहतर तो सुरती
आपकी पोस्ट का चित्र और ये कविता दोनों धाँसू है...जोरदार...होली का आनंद आना शुरू हो गया है अभी से...
नीरज
दादा मेरी ये भचिष्य की फोटो चोरी हो गयी थी. मेरे पास इस और ऐसी अनेक फोटो के प्रूफ़ भी है. आपको इसे लगाने का शुक्रिया, पर इसके साथ हमारा नाम भी देना था. वैसे मै भचिष्य की फोटो मे कितना सुन्दर लगता हू.
कविता बहुत बढिया है लेकिन यहा मेरी सुन्दर फोटो के साथ लगकर बहुत बढिया हो गयी है.
चल खुशियों की शाम दिला दूँ
आओ तुम्हें इक नाम दिला दूँ
ब्लॉगिंग का सम्मान दिला दूँ...
वाह वाह बहुत सुन्दर पंक्तियाँ! आपने उम्दा रचना लिखा है! बधाई!
ब्लोगर की रामकहानी
सब पोस्ट और टिप्पणी का खेल है बाबा
.
.
.
नाहक मुद्दे पकड़ रहे हो.
चल इससे आराम दिला दूँ
आओ तुम्हें इक नाम दिला दूँ
ब्लॉगिंग का सम्मान दिला दूँ.
आदरणीय समीर जी,
दिलवा ही दीजिये न,
हम भी नाहक मुद्दे पकड़ने की बजाय थोड़ा आराम कर ही लें...
. ;)
bahut badhiya likha aapne...inaam naa mile to bahut dukh hota hai....hum to padmshree na milne se abhi tak dukhee hain...
बहुत बढिया :-)
मुझे तो यह फ़ोटो उसी की लगत है जिस के पास लडने झगडने के लिये इतना समय है.... हमारे पास तो प्यार करने के लिये ही समय है, भाग दोड से बचे समय मै ओर उस के सदुप्योग के लिये, ईनाम भी दो ओर सम्मान भी जो एक दुसरे की टांग खींचे.....
बहुत सुंदर जनाब
mujhe bhee mujhe bhee
भीतर के हालातों का इतना तर चित्रण
जरूर सबके घरों में घुस कर निकाला है
वैसे हर घर का अब तो इसी तरह समझें
निकलते दिवाले से न बचा कोई दिलवाला है।
सबको सम्मान मिल रहा है, मुझे भी दिलवा दिजिये.
Bahut sundar sir.. pahle laga ki 'aao tumhe main pyar sikha doon'
बहुत खूब, लाजबाब !
गूगल पर देख कर खुद को,
जो फूटें गुलगुले दिल में |
बताऊँ हाल क्या अपना,
लगे हफ्तों उबरने में |
abhi kuch hi samay pahale ubara hun kripya kar samman ke gulgule se door hi rakkhen..
bahut hi karara vyang hai jhelna muskil ho raha hai .. :-)
लेखनी प्रशस्त है, बांधती है, भाषा पठनीय है। रचना को पूरी पढ़ने की रुचि जगाती है। आपको साधुवाद।
आप नाम, ईनाम और सम्नमा के हक़दार हैं!!
कऊन है भाई ई ...कुर्सी पर बैठा हुआ नरकंकाल ....ई एलियन जईसन तो नहीं लगता , मुदा ई सिगरेटवा तो उहे पी रहा है जी विल्स वाला ...ओ तभिए आप ईनाम शिनाम का बात कर रहे हैं ...राम राम राम ..इनाम का नामे सुन कर तो नहीं ..हडिया गया भाई ई बिलागरवा ....मुदा बकिया सबसे हम एकदम इत्तेफ़ाक रखते हैं ...अरे ई हड्डी पहलवान से नहीं ....आपका लिखा से जी ..ओईसे कंप्यूटर कौन कंपनी का यूज़ कर रहा है ई ..खतरे का निशान वाला खोपडी
अजय कुमार झा
बहुत खूब! सचमुच दूसरों के सम्मान पर इतनी हाय तौबा मचाते हैं ये ब्लागर?
कविता बड़ी ही मारू है..............मारू तो समझे ही होंगे................
आपका यही लेखन तो क़त्ल करता है...............बहुत आहें भरते हैं और बहुत इसी कविता की बीवी की तरह कुढ़ते हैं.
अब जिसे जो करना है सो करे................
जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड
बात बात पर अकड़ रहे हो
इससे उससे झगड़ रहे हो
टिप्पणी उसकी पोस्ट तुम्हारी
नाहक मुद्दे पकड़ रहे हो.
बिलकुल सही कहा आपने.....
बहुत अच्छी लगी यह पोस्ट....
सादर
आपका
महफूज़...
मुझे तो लगता है साहब कि मुद्दे बिना जग सुना होता है। जीवन को जीने के लिये भी तो सांस का मुद्दा होता है। उसे लेने में भी एक प्रकार का संघर्ष ही तो है। खैर..सुकून आदि महज़ मन बहलाने का कथ्य है, जीवन का हर पल संघर्ष है। जो जिस तरह करे...उसे करना बस संघर्ष ही होता है।
हर बार की तरह उम्दा।
जय हो जय हो
वाह बहुत उम्दा सोच है
बिलकुल दिल की बात हम भी सोच रहे थे आप नाहक इतना खोपडीभंजन कर रहे है :):)
हमारा तो किसी को सम्मानित करने का मन कर रहा है, चाहे वो कोई सा भी ब्लॉगर हो
मन में आशाओं के कुछ दीप जगने लगे है :)
बहुत अच्छी लगी कविता और भाव
दोनों ही समीर भाई
अब किसे भी इनाम मिले
हम तो प्रसन्न ही होते हैं
स स्नेह,
- लावण्या
हा हा... बहुत बढिया..
अच्छा लगा आपको ऎसे मुद्दे को आपकी अपनी शैली मे उठाते हुये..
जय हो...
गुटबंदियों तथा राजनीती साधने वालों पर करारा व्यंग्य किया है आपने...
बहुत सुन्दर कविता और लेख.
बहुत बहुत शुक्रिया समीर जी ! आपके सुझाव से मैंने आखरी पंक्ति से "तक" हटा दिया है और अब बिल्कुल सही लग रहा है!
Bahut badhiya...
Jindagi mein sukun kahan........
Bahut badhai...
Kam se kam padhte samay sukun to mila......
ब्लॉग का भविष्य तो फोटो में दिख रहा है, लेकिन वर्तमान आपकी कविता में।
बस आप ही से मिलते जुलते सेन्टीमेन्ट हैं अपने भी :)
क्या बढि़या हाले दिल लिखा है ब्लागरों का आपने।
क्या बढि़या हाले दिल लिखा है ब्लागरों का आपने।
सब कुछ सीखा हमनें ना सीखी होशियारी,
सच है दुनियावालों कि हम हैं अनाडी ब्लोगर.
समीरलाल जी, आदाब
हमें भुला तो नहीं देंगे आप
(हमारा नामांकन अवश्य करा दीजियेगा)
हा..हा..हा
मज़ा आ गया आपके व्यंग्य में
bhaag dau ke chalte to roz hi prof. saheb se daant milti hai....sammaan to door ki baat hai.....
vo aksar mujhse kahte hain...ब्लॉगिंग से क्या हासिल होगा..
ab apni koi hobby bhi to honi chahiye...
vaise ye jo....kavita hai... kis par likhi gayi hai...??
hai bahut majedaar.... :) :) kya sach me aisa hotaa hai....?? :) :)
ब्लॉग भी अब कविता के विषय वस्तु है और बहुत ही सटीक व्यंग बन पड़ा है । इसी पर कुछ सीरियस भी लिखियेगा ।
उड़न तश्तरी पै आकर कौन है जो सो सकता है,अब तो और भी मुश्किल हो गई,इस धूम्रपायी विद्युत्वल्लरी से तो स्वप्न भी स्पैमी हो जायेंगे। एक ओर आप द्वारा सम्मान के लिये तैयार नामावली में अपना अपना अस्तित्त्व आँकना और दूसरी तरफ टिप्पणी पढ़ पढ़ कर हालत पतली हो जाना ये क्या कर डाला आपने समीर जी!फोटो में लगाया हैड्फोन क्या संकेत नहीं करता कि सम्मान ब्लोग पर लिखने पढ़ने या टिपियाने की बजाय skype जैसी सुविधा के सदुपयोग से ही मिलेगा?
जहाँ सरे-आम सम्मान बिक रहे हों, आपकी यह पोस्ट बड़ी प्रासंगिक हो जाती है. ब्लागिंग से परे भी यही राम-राज है.
sameer Bhai,
kavita sachmuch jaandaar hai.Badhai!!
आप भी अच्छी चुटकी लेते रहते हैं. :) मजेदार कविता.
sriman! mere mitra manish ne mujhe apke blog ko padhne ka pramarsh diya aur kaha ki blog lekhan k kshetra mein apko padhkr main kafi sikh sakta hoon...
uski baten yahan aker purnatah satya lagti hai....
shabdon ka uchit prayog ,aur uske sath hi vartmn se jodkr rakhna keval virle logon ka hi kam hota hai..
app ke sanidhya mein ake mujhe awasya bahut kuchh sikhne ko milega....main apka chota sa prasansak hoon..apko chahne wale to anek hain........unmein mera sthan sabse ant mein ata hai
main apse vinamr nivedan karunga ki kripya mera margdarshan karen aur khud se sikhne ka awsar pradaan karen... dhanyaddd aur sadhuwaad............
sriman ! sadhuwad ......
mujhe mere mitra manis ne ye blog adres diya aur kaha ki ise padhkr tum bahut sikh jaoge
main uske bat se purn sahmat hoon
ek blogger ke bhavanon ke bare mein itna satik chitran likher apne hamen ek kadam age sochne ke liye vivash kar diya hai.....
apke bahut se chahne wale hain,,,,unmein se ek apka chhota sa abhodh bhi hai...
meri apse vinamra prathna hai ki kripya mera margdarshan karen
main apke blog ko pura padhne ki koshish karunga taki main apse adhik se adhik sikh sakon.......
majakiya lahje mein gambhir baat kahne ki kala apse sikhna hai mujhe.........
दिलाइये अब तो :)
Sameer sir,...hamko bhi inaam dilwa digiye....Jab obama pa sakte hai...saif ali paa sakte hai to ham kyo nahi
बहुत ही बेहतरीन संदेश देती हुई यह पोस्ट, महारज, बहुत बहुत आभार और सम्मानवाद। थोड़ा थोड़ा भूतवाद भी।
बहुत दिलचस्प लिखते हैं आप , सम्मान दिला दें , दिल को बहलाने को ग़ालिब ख्याल अच्छा है !
kindly get me one so called 'sammaan'
but do not forget to attach the list of favours that i am supposed to do in return.
bahut hee badiyaa
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