बुधवार, फ़रवरी 03, 2010

महिला सशक्तिकरण: गजब हो गया!

नारी सशक्तिकरण-यह आंदोलन और सोच विश्वव्यापी है.

अफगानिस्तान जैसा देश, जहाँ यह एक आम नजारा है कि एक पुरुष आगे चले और उसकी ४-४ बेगमें उस पुरुष का अनुगमन करती उसके पीछे बुरका पहने एक लाईन में चलती दिखें .

महिला अधिकार, महिला सशक्तिकरण, नारी मुक्ति जैसे विषयों की कहानियाँ, कथाओं और ब्लॉग पोस्टों के असर में नहाई हुई एक अमरीकन महिला इसी धुन को गाती जब हाल ही अफगानिस्तान पहुँचीं तो एकदम बदला नजारा देखकर दंग रह गई. बल्कि दंद से भी ज्यादा, सन्न रह गई. ऐसा जबरदस्त बदलाव. इतना असर महिला सशक्तिकरण आंदोलन का कि चार महिलायें आगे आगे और उनका अनुगमन करता उनका पति उनके पीछे पीछे.

ऐसा अद्भुत बदलाव देखकर अमरीकन महिला ने तुरंत तस्वीरें खींची, जो अमेरीका के अखबारों में रातों रात हाथों हाथ छपीं और खूब सराही गई.

अखबारों में सुर्खियाँ थी तस्वीर के साथ, ’जल्द ही एक्सक्लूसिव खुलासा-अफगानिस्तान महिला सशक्तिकरण में अग्रणी-पुरुषों ने महिलाओं की सत्ता स्वीकारी’ इन्तजार करिये और पढ़िये सिर्फ हमारे अखबार में.

वही हाल टीवी का-चिल्ला चिल्ला कर बोले- देखिये, जल्द ही-सिर्फ और सिर्फ हमारे चैनेल पर-एक्सक्लूसिव- वो क्या वजह है जिसने बदल दी महिलाओं की तस्वीर. महिला जाग उठी है-अब महिलायें राज करेंगी. पुरुष हुआ गुलाम’ देखते रहें कल तक.

afg

मीडिया वालों ने उस अमरीकन महिला से निवेदन किया कि क्यूँ न वो ही उन महिलाओं का साक्षात्कार कर इस सुखद परिवर्तन के लिए उठाये गये कदमों के बारे में जानकारी ले ताकि विश्व की अन्य महिलायें भी लाभांवित हों एवं विश्वव्यापी महिला सशक्तिकरण आंदोलन को नई दिशा मिले. मीडिया ने उस महिला को आशांवित किया कि इस साक्षात्कार को मीडिया में बढ़ चढ़ कर उछाला जयेगा. इन कदमों की खूब सराहना होगी, पत्रिकाओं में छपेगा. महिलायें ब्लॉग के माध्यम से इसे प्रचारित कर अन्य बहनों को सशक्त करने में साहयता प्रदान करेंगी. विश्व बदलाव का साक्षी बनेगा.

अमरीकन महिला बहुत उत्साहित हुई और अगले दिन ही ऐसे एक काफिले को देख साक्षात्कार के लिए निवेदन किया.

उसने काफिले में सबसे आगे चलती महिला से प्रश्न किया कि आप से पूरे विश्व की महिलायें प्रभावित हुई है. वो महिलाएँ आपको अपना नेता मानने लगी हैं एवं महिला सशक्तिकरण की दिशा में उठाये गये आपके कदमों एवं प्रयासों को जानना चाहती है जिससे कि इतना विस्मयकारी बदलाव इतने कम समय में आपने अफगानिस्तान जैसे देश में कर दिया. कृप्या मार्गदर्शन करें. अपना संदेश दें.

उस महिला ने मात्र एक वाक्य में अपना जबाब दिया और उसका काफिला आगे बढ़ चला.

उसने कहा कि ’लैण्ड माईन्स याने बारुदी सुरंगें इस पू्रे परिवर्तन के लिए जिम्मेदार हैं.’

कहते हैं इसके बाद अफगानिस्तान में महिला सशक्तिकरण के बारे में न तो अखबारों में कुछ ही छपा और न टीवी पर कुछ सुनाई दिया. ब्लॉग तो खैर कुछ पुरानी कविताएँ छापने में व्यस्त हो गये.

यही तो खराब आदत है मीडिया की-स्टोरी पूरी नहीं करती. सनसनी मचाकर भाग जाते हैं.

चलते चलते:

आप तो पहचान लोगे, मैं यही हूँ जानता
बारुद को बारुद से बेहतर नही हूँ जानता.
आप आगे चल रही हैं गर फटी कोई सुरंग
बारुद में मिल जायेगी बारुद के जैसी तरंग.

-समीर लाल ’समीर’

(नोट: ईमेल में एक चुटकुला प्राप्त हुआ था, उसी के आधार पर)

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87 टिप्‍पणियां:

दीपक 'मशाल' ने कहा…

सच हमेशा आँखें खोल देता है... लेकिन इस सच ने तो आँखें फाड़ने पर मजबूर कर दिया समीर सर...
जय हिंद...

Arvind Mishra ने कहा…

सच्चीमुच्ची मैं भी तो बेहद चौक गया ......मगर असलियत यह है -मुझे भी मीडिया वालो से बड़ी कोफ़्त होती है वे समाचारों का फालो अप नहीं करते .
समीर टी वी को फालो अप करना पड़ता है .वैसे हमारे यहाँ ब्लागजगत के कुछ घोषित नारीवादी नर नारियों को अफगानिस्तान भेजने की मुहीम होनी चाहिए ,शायद ये कुछ कारगर हो सकें !

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } ने कहा…

महिला सशक्तिकरण ........ आप को महिला विरोधी ना घोषित कर दे कोइ नारी

M VERMA ने कहा…

बारूदी सुरंगे ही तो परिवर्तन के लिये जिम्मेदार होती हैं. यह अलग बात है कि ये बारूदी सुरंगें अस्तित्व पर प्रहार करती हैं या कुछेक शरीरों पर.
बदलाव तो होगा ही चाहे मीडिया फालो करे या न करे.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

सही नब्ज पकड़ी है साहिब!
मीडिया चाहे कहीं का भी हो!
वाहवाही बटोर कर चलता बनता है!

उसे इस गाने से क्या मतलब-

"भुला नही देना जी!
भुला नही देना!!
ज़माना खराब है!
दगा नही देना जी!
दगा नही देना!!"

विवेक रस्तोगी ने कहा…

आतंकवाद और डर ने बड़े बड़े बदलाव कर दिये हैं इस दुनिया में..

Neeraj Singh ने कहा…

ऊई माँ - ये तो एक सिरे से आपने चंद लाइनों में मीडिया की ऐसी बघिया उधेड़ी है, कि आज मेरी सुबह की चाय का मजा ही १० गुना बढ़ गया. वाह!! रे समीर जी वाह!! सुना है - 'रण' सिनेमा कुछ इसी तरह के मुद्दे पे है, मैंने सोचा था कि देखेंगे.. पर आपने तो ट्रेल्लर ऐसा दिखाया है कि मैं तो बस आपके लेखन शैली का मुरीद ही हो गया.

वैसे मजे की बात ये है, कि बहुत से लोग आज भी इस तरह टीवी के न्यूज़ में डूबे हुए हैं, कि सुबह मैदान जाने (अंगरेजी में बोले तो - टोइलेट जाने ) से पहले अगर टीवी में न्यूज़ न सुने - या फिर सोने से पहले एक बार १० तक न देखें तो सुबह बदहजमी हो जाती है. शायद उनको इसका मर्म समझ में नहीं आएगा.. जो कि आपने लिखा है. क्योंकि हमारे वो भाई बंधू, उसी न्यूज़ को सच maan के दिल पे लगा लेते हैं. फिर उसकी चर्चा ऑफिस में करते हैं - उसकी चर्चा ब्लॉग में करते हैं - कि ये हुआ.. वो हुआ.. काश उनको आपका ये मेसेज समझ में आ जाता.. तो उनका भी कुछ समय टीवी न्यूज़ की बकवास न देखने से बच जाता.

मैंने २ महीने से अपने टीवी से केबल का तार ही अलग कर दिया है.. बड़ी शांति है.. पर जिनके घर में और भी लोग है, वो कृपया ऐसा न करे.. वरना घर में दंगा शुरू हो जाएगा.

महिला sashaktikaran - ये thoda bada mudda है - ispe bade लोग ही tippadee karen तो मजा है.. मैं chota muh बड़ी baat.. hee hee hee

Kulwant Happy ने कहा…

ऐसी जानकारियाँ अद्भुत होती हैं, फैलाओ इतर की तरह हवाओं में, हवाओं की सरहदें नहीं होती।


लेकिन अभी भी थोड़ा बदलाव बाकी, जिस दिन एक पत्नि के पीछे एक पुरुष चलेगा वहाँ स्थिति और भी बदलेगी।

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

मीडिया जो ना करा दे.... मीडिया भी Goeble हो गया है.... झूठ को इतना बोलो कि सच लगने लगे...

सच को उजागर करती बहुत अच्छी पोस्ट...

सादर

महफूज़....

वाणी गीत ने कहा…

बारूदी सुरंगें ....चेतावनी ....!!

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

"उस महिला ने मात्र एक वाक्य में अपना जबाब दिया और उसका काफिला आगे बढ़ चला.

उसने कहा कि ’लैण्ड माईन्स याने बारुदी सुरंगें इस पू्रे परिवर्तन के लिए जिम्मेदार हैं.’ "

हा-हा-हा.. पते की बात कही समीर जी , आपकी उड़नतश्तरी टीवी को बहुत बहुत शुभकामनाये !
ये कायर मुल्ले इससे बेहतर अपने लिए सोच भी नहीं सकते !

ढपो्रशंख ने कहा…

आप तो पहचान लोगे, मैं यही हूँ जानता
बारुद को बारुद से बेहतर नही हूँ जानता.
आप आगे चल रही हैं गर फटी कोई सुरंग
बारुद में मिल जायेगी बारुद के जैसी तरंग.


बारूद से बारुद का संभावित मिलन बडा मार्मिक लगा.

सादर

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

आजकल यही हालात है मिडिया के. आपने सही खबर निकाली, और अरविंद मिश्र जी की बात पर ध्यान दिया जाये.

रामराम.

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

आप तो पहचान लोगे, मैं यही हूँ जानता
बारुद को बारुद से बेहतर नही हूँ जानता.
आप आगे चल रही हैं गर फटी कोई सुरंग
बारुद में मिल जायेगी बारुद के जैसी तरंग.


बेहद सटीक लाइने हैंं, शुभकामनाएं.

रामराम.

seema gupta ने कहा…

यही तो खराब आदत है मीडिया की-स्टोरी पूरी नहीं करती. सनसनी मचाकर भाग जाते हैं.
"बेहद रोचक खबर मगर अंत में वही सनसनी हा हा हा हा ..."

regards

Prem Farukhabadi ने कहा…

sameer Bhai ,
apke is sach ne chounka hi diya.
Jaankari ke liye.Badhai!

बेनामी ने कहा…

behan kisko bola rae !!!!!!!!!!!!

सुशीला पुरी ने कहा…

यथार्थ को बेनकाब किया है आपने ........

अजय कुमार ने कहा…

भयावह स्थिति

Khushdeep Sehgal ने कहा…

गुरुदेव,
छोड़िए सारे टंटे, उड़न तश्तरी न्यूज़ चैनल खोल ही लीजिए...बस नारी अधिकारों की एक्सपर्ट किसी जानी-मानी वकील को ज़रूर चैनल का सलाहकार बना लीजिएगा...मुझे इस नए सेट-अप में वॉचमैन की नौकरी भी चलेगी...बस वॉच किन्हें करना है, ये मेरी मर्ज़ी पर छोड़ दीजिएगा...वैसे फॉलोअर भी बन सकता है...अब आगे चलकर अफगानिस्तान की तरह अपने चीथड़े कोई उड़वाने हैं...

जय हिंद...

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

मुस्लिम देशों में महिलाएँ हमेशा आगे चलती मिलेंगी और पुरुष पीछे क्यों कि पुरुष उन्हें हाँकता है और वे हँकती हैं। वैसे ही जैसे भेड़ों के रेवड़ को हाँका जाता है। लेकिन स्थितियाँ बदल रही हैं और बदलेंगी। स्त्रियाँ इस स्थितियों को स्वीकारने से इन्कार कर रही हैं। यही कारण है कि उन पर अत्याचार के मामले बढ़ रहे हैं। लेकिन यह बदलाव की पूर्ववेला है।

सदा ने कहा…

बहुत ही सही एवं सत्‍यता के निकट ।

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

अल्लाह महान हैं! नारी को सशक्त बना रहे हैं।

निर्मला कपिला ने कहा…

ये पोस्ट तो बहाना है आप दुनिया को महिला सश्क्तिकरण का सच बताना चाहते हैं और यही सच भी है ये सशक्तिकरण का भूत मेडिया का छोदा हुया ही है वर्ना नारी आज भी अबला ही है कुछ एक को छोद कर बहुत अच्छी पोस्ट धन्यवाद्

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

अमेरिका और अफगानिस्‍तान दोनों का ही सच आपने ला दिया। एक गडरिया भेड़ों को हांक रहा है और पत्रकार समझ रहा है कि भेड़ें आगे हैं। अरे ये सब कटने के लिए ले जायी जा रही हैं। लेकिन अमेरिकी पत्रकार इसे कैसे समझेंगे? उन्‍होंने कभी ऐसा देखा भी तो नहीं। यहीं आकर मानवता अपने आँसू बहाती है। हमेशा की तरह ही अपनी बात कहने का बेहद प्रभावी तरीका। अभिनन्‍दन।

संजय बेंगाणी ने कहा…

अधूरा सच झूठ के बराबर होता है.

Razi Shahab ने कहा…

media ka to yahi haal hai bhayyia ...aaq laga do aur phir kahien chup kar tamashaa dekho... thanx 4 this post

P.N. Subramanian ने कहा…

परदे में रहने दो पर्दा न हटाओ.

शशांक शुक्ला ने कहा…

समीर जी अब क्या कहे इस सच्चाई पर, लेकिन इतना है कि इतने दिनों तक महिलाएं पुरुषों से दबती रही है कि पता ही नहीं चलता होगा की आजादी कैसी होती है

Akanksha Yadav ने कहा…

Nari-sashaktikaran ke bahane ek sarthak post...badlav ki jarurat hai.

रंजना ने कहा…

वही तो कहूँ...महिला सशक्तिकरण....और वह भी अफगानिस्तान में ???? झन्नाटेदार वाक्य से आपने शंका समाधान कर दिया....

और मिडिया....हा हा हा...
हाँ यह जानकारी नयी अवश्य लगी कि केवल भारती मिडिया का ही यह हाल नहीं...ग्लोबल विलेज के सभी गाँव और ठांव एक जैसे ही हैं...

लाजवाब पोस्ट....आभार..

Sulabh Jaiswal "सुलभ" ने कहा…

सनसनी है सनसनी

रश्मि प्रभा... ने कहा…

kya? ........

के सी ने कहा…

कोई उपयुक्त मुहावरा नहीं मिला एक दूर के रिश्तेदार मुहावरे से काम चला लेता हूँ "आवश्यकता आविष्कार की जननी है". बढिया पोस्ट, आप तो एक संवेदनशील कहानी भी लिख सकते थे इस चुटकले पर.

संगीता पुरी ने कहा…

यही तो खराब आदत है मीडिया की-स्टोरी पूरी नहीं करती. सनसनी मचाकर भाग जाते हैं
और फिर रिपोर्टिंग आपको करनी पडती है .. हा हा हा !!

shikha varshney ने कहा…

jabardastt post sameer ji ! dil khush ho gaya.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सही कहा समीर भाई ......... मीडीया ऐसा ही है .......... खुद ही खबर बनता है ...... तहकीकात करता है फिर फैंसला भी दे देता है .......... फिर खबर को बारीकी से बाहर भी कर देता है .........

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

1.मीडिया-प्रपंच
2.महिला सशक्तिकरण--उससे भी बडा प्रपंच

:)
हाँ आपकी कविता बहुत अच्छी लगी.....

अमिताभ श्रीवास्तव ने कहा…

कुछ जानकारी मै भी देता चलू-
आपको पता होगा जब अमेरिका में वुदुदा नामक महिला ने नमाज़ अता कराई तो उसके पीछे पुरुष रहे. बस इस परिवर्तन ने महिलाओ को थोड़ा ताकतवर बनाने के प्रति अपना कदम रखा. और अब तो जब चार पति रखने की बात सउदी में उठी तो मनो भूचाल आ गया . विचार गलत नहीं था. मगर यह उस देश में था जहा पुरुषो का अधिकार है. बहरहाल, उस महिला का नाम है नदीन बेदार. जिसने इस तरह की बहादुरी भरा फैसला लेने की ओर रुख किया. आपको बता दू कि बेदार का अर्थ ही जगाना होता है. सो इस तरह की जागरूकता ने पुरुषो के होश उड़ा दिए है. नदीन बेदार का आलेख क्या छपा पुरुषो ने कहना शुरू कर दिया कि उस महिला ने जागरूकता के बहाने अपनी काम वासना को संतुष्ट करने के लिए बेतुकी बात का सहारा लिया है. आपको बता देता हूँ कि बेदार का यह लेख मिस्त्र के प्रसिद्ध अखबार अल मिस्त्री अल योम में ' फॉर हस्बेंस एंड आई' शीर्शकाधीन छपा .इसीलिए पहली प्रतिक्रिया इजिप्त में ही हुई. नदीन बेदार सउदी नागरिक है सो हंगामा ज्यादा मचा.
फिलहाल यह मामला तीव्र आलोचनाओ, हंगामे से भरपूर चल रहा है. किन्तु यह सच है कि बदलाव ने पेर पसारने शुरू कर दिए है.

प्रवीण शुक्ल (प्रार्थी) ने कहा…

हाँ हाँ हाँ बहुत ही सही नारी सशक्ति करण
सादर
प्रवीण पथिक
9971969084

उम्मतें ने कहा…

मारक पोस्ट :)

naresh singh ने कहा…

आपका यह टीवी चैनल काफी आगे तक जाने वाला है |

Parul kanani ने कहा…

sir,bade hi rochak andaz mein likha,
iske hi hum kayal bhi hai

नीरज गोस्वामी ने कहा…

ये महिलाओं और मीडिया वालों के लिए ही नहीं हम सभी का-पुरुषों के लिए भी डूब मरने की बात है...आपकी शाशाक्त लेखनी को सलाम
नीरज

kshama ने कहा…

Hairat andez duniya hai.. mai ek adnasi blogger aur kya kah sakti hun?

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

अब लोग तो वही देखते हैं जो मीडिया दिखाता है....जक्रूक करता लेख...बहुत बढ़िया

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

आप आगे चल रही हैं गर फटी कोई सुरंग
बारुद में मिल जायेगी बारुद के जैसी तरंग.
अच्छी पंक्तियां।

मीडिया वाले तो कई बार हास्यास्पद स्थिति पैदा कर देते है। अब बताईए क्या करे?
अच्छी पोस्ट के लिए आभार्।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

भारत में यही होने वाला है. मतलब बुर्के का सौ प्रतिशत प्रचलन.

संजीव गौतम ने कहा…

padhate hi ek dam sann.
vakai aadhi aag to media hi lagaaye hue hai. mere ek patra mitra ka kahanaa hai ki aaj ke samwaaddata ki mansik haalat ye hai ki vo raste men ye sochta jata hai ki kaash ye saamne vali building gir pade, kaash ismen aag lag jaaye. mere haath aaj ki sansani lag jaaye.
he prabhu kya hoga?

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

bahut rochak lekh..............aur uspar char lainen.....................wah ...........kamal.

गिरिजेश राव, Girijesh Rao ने कहा…

nice.
उत्तम
आप ऐसे ही प्रयास कर हिन्दी ब्लॉगरी को समृद्ध करते रहें। शुभकामनाएँ।

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रंग है।

Mansoor ali Hashmi ने कहा…

आगे चलती हुई ला- चारी[४] दिखी,
पीछा करती हुई बीमारी दिखी,
समझे अमरीकी तरक्की जिसको,
रोती मानवता बेचारी दिक्खी.

--
mansoorali hashmi
http://mansooralihashmi.blogspot.com

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

अब शायद अमेरिका भी इस पहलू पर विचार करें.....वैसे महिलाएँ तो हर जगह राज कर रहीं है अपने भारत में....

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

आप तो पहचान लोगे, मैं यही हूँ जानता
बारुद को बारुद से बेहतर नही हूँ जानता.,.
यही सार्थक है वरना -सार सार को गहि रहे -थोथा देई उड़ाई .

chandan pandey ने कहा…

सुबह से इस टाईटिल को देख रहा था पर कुछ व्यस्तताओं तथा कुछ पूर्वाग्रहों के कारण देख नही पा रहा था, जैसे लग रहा था कि वही कोई मामूली बात होगी कि कैसे (आधी आबादी) में से कोई एक स्त्री कोई सम्मान पा गई या कोई रण जीत लिया। पर अभी जब पोस्ट देखा तो फिर.....

दुखद खबर को शानदार तरीके से पेश किया है आपने। आपने ब्लॉग जगत पर अच्छी टिप्पणी कसी है। धन्यवाद।

ओम आर्य ने कहा…

बड़ी ख़राब बात है भाई..यहाँ कुछ भी हो जाता है!!!

अर्कजेश ने कहा…

गज्‍जब है

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` ने कहा…

बहुत खूब !!
समीर भाई ,
ये जोक सुना था --
Lady डायना जी का उद्देश्य
[ लैंड माइन हटवाने के प्रयास ]
आज भी अफघानिस्तान की महिलाओं ने
जारी रखें हैं ..
ये बहादुरी का काम है

" उड़न तश्तरी टी वी " को
फ़ौरन एक्सक्लुसीव कोपी राईट के साथ
कानूनन दर्ज किया जाए ..
वरना पाबला जी की तरह ...
आप भी कहीं ..?? ;-)
warm rgds,
- Lavanya

शरद कोकास ने कहा…

मीडिया वाले इस से प्रेरना प्राप्त करें ..बस्तर जाकर देखें वहाँ क्या हाल हैं ।

राजीव कुमार ने कहा…

मीडिया पर प्रहार जरूरी है... कभी कभार उसे भी खुद को आंकना चाहिए। वैसे कुछ लोग आज भी जिम्मेदार हैं और ब्रेकिंग न्यूज और टीआरपी के बीच ख़बरों को बचाने की जद्दोजहद में लगे हैं।

mukti ने कहा…

खूब व्यंग्य किया आपने. ऐसे ही हमारे देश में लोग कभी-कभी बिना जाने सुने कहने लग जाते हैं कि नारी-सशक्तीकरण हो चुका है...जब औरतों को न चाहते हुये भी कमाने जाना पड़ता है, ताकि उनका पति वो पैसे शराब में उड़ा सके, जब बीमारी में भी औरतें खटती रहती है, और कहा जाता है कि कितनी मेहनती है बेचारी, जब अपने फायदे के लिये पति उन्हें नुमाइश बनाकर पार्टियों में घुमाते हैं और लोग ये सोचते हैं, कि इनका शोषण कैसे हो सकता है, ये तो पार्टियों में जाने वाली हाइ-प्रोफ़ाइल औरतें हैं. बहुत गहरी बात कही आपने. आप जैसे संवेदनशील व्यक्ति से ही ऐसी आशा की जा सकती है. आभार.

mukti ने कहा…

अपि च, शायद मैं यह पोस्ट पढ़ती नहीं, अगर आपकी नहीं होती तो.

नीरज दीवान ने कहा…

ekdam bhayankar sach saabit kiya hai.

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

समीरलाल जी आदाब
खुशी हुई कि आप अपने रंग में लौट आये.
’उन्हें’ अपना काम करना है, सब चलता है
कोई बदलेगा, उम्मीद करना फ़िजूल है

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…

बहुत गहरी बात कही आपने...
महिला सशक्तिकरण....और वह भी अफगानिस्तान में ????

Rajeev Nandan Dwivedi kahdoji ने कहा…

दूसरों की गलतियों से सीखें। आप इतने दिन नहीं जी सकते कि आप खुद इतनी गलतियां कर सके।

Yashwant Mehta "Yash" ने कहा…

उड़न तस्तरी टीवी पर एक सनसनीखेज खबर के साथ
फिर आये है समीर लाल.............
......सच से उठाने पर्दा.....

Gyan Darpan ने कहा…

मिडिया की हरकत पर बढ़िया रहा व्यंग्य |

नीरज मुसाफ़िर ने कहा…

समीर जी,
नारी सशक्तिकरण तो वाकई अद्भुत है...

Abhishek Ojha ने कहा…

ओहो ! वैसे कई जगह आगे करने का राज ऐसा ही है कुछ.

अबयज़ ख़ान ने कहा…

बेहतरीन पोस्ट है.. आखिर बदलाव की बयार को एक दिन तो बहना ही है...

Pushpendra Singh "Pushp" ने कहा…

समीर साहब
बहुत अच्छे तरीके से अपने इतनी बड़ी समस्या
को पेश किया |
और साथ में मिडिया को भी बेनकाब किया
बहुत बहुत आभार......

प्रिया ने कहा…

Sameer sir,

aapki post jo media padh le...to 1 hrs ka prog. to ban hi jaayega....24hsrs channel chalana koi mamooli baat hai kya...aur han..Amitabh Shrivastava ji ka comment bahut accha hai..bahut informative

amit ने कहा…

लैण्ड माईन्स..... हा हा हा हा हा!! :D

वाकई, मीडिया के बारे में तो आप सत्य लिख गए, पूरी खबर जाने बिना ही उसको ब्रेकिंग बना दिया जाता है!! ;)

नीलिमा सुखीजा अरोड़ा ने कहा…

कमाल की नजर रखते हैं आप मानना होगा

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

महिला शक्ति, जय हो।
--------
ये इन्द्रधनुष होगा नाम तुम्हारे...
धरती पर ऐलियन का आक्रमण हो गया है।

admin ने कहा…

उड़नतश्तरी टीवी ने तो कमाल कर दिया
हम तो आसरा लगाए थे धोती का
उसे फाड़कर आपने रुमाल कर दिया

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

जब तक पोस्ट लैंडमाइन तक नहीं पहुंची थी तो मैं समझ रहा था कि शायद पति नज़र रखना चाह रहा होगा...

कार्तिकेय मिश्र (Kartikeya Mishra) ने कहा…

छोटे से काल्पनिक वाकये का सहारा लेकर मीडिया की कार्यशैली पर अच्छा सवाल खड़ा किया है आपने.. मजा आ गया..

Satish Saxena ने कहा…

महाराज ! आपकी उड़नतश्तरी की जरूरत है ...
http://lightmood.blogspot.com/2010/02/approximately-250-very-well-as-well-as.html

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

pooआप तो पहचान लोगे, मैं यही हूँ जानता
बारुद को बारुद से बेहतर नही हूँ जानता.
आप आगे चल रही हैं गर फटी कोई सुरंग
बारुद में मिल जायेगी बारुद के जैसी तरंग.
Aadarniya sir
Mahila sshktikaran bahut hii lajawabab lekh hai.
. halaanki aajkal har chhtrr me purush aur .mahila saath saath aage badh rahen . fir bhi kaheen na kahin kisi mod par aage sthhiti
Llaur bhi badal shkti hai.

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

आप तो पहचान लोगे, मैं यही हूँ जानता
बारुद को बारुद से बेहतर नही हूँ जानता.
आप आगे चल रही हैं गर फटी कोई सुरंग
बारुद में मिल जायेगी बारुद के जैसी तरंग.
Aadarniya sir
Mahila sashktikaran bahut hii lajawabab lekh hai.
. halaanki aajkal har chhetr me purush aur mahila saath saath aage badh rahen fir bhi kaheen na kahin kisi mod par aage sthhiti
aur bhi badal shkti hai.
Poonam

Urmi ने कहा…

सच्चाई को आपने बखूबी प्रस्तुत किया है! एकदम जानदार और शानदार पोस्ट! बहुत खूब लिखा है आपने !

Rohit Singh ने कहा…

दो पोस्टों में मेरे ब्लॉग पर उड़न तश्तरी उतरी, बो भी सबसे पहले दिल खुश हो गया.....

जहां तक अफगानिस्तान की बात है..वहां नारी सशक्तिकरण इसी तरह का होंगा....भले ही आज वहां संसद में महिलाएं कम नहीं...

Rohit Singh ने कहा…

खैर हमारे देश में भले लोग महिलाआं के पीछे कम लोग नहीं चलते...दिल्ली गवाह है....

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

उसने कहा कि ’लैण्ड माईन्स याने बारुदी सुरंगें इस पू्रे परिवर्तन के लिए जिम्मेदार हैं.’ "

समीर जी , सोचने के लिए मजबूर कर दिया आपकी पोस्ट ने...चंद शब्दो मे मीडिया का असली रंग दिखा दिया.;)

Manjit Thakur ने कहा…

चचा, क्या कहूं इसे तथ्यपरक या व्यंग्य लेखन... जो भी है गुस्ताख़ सलाम करता है आपको।