पिछले दिनों फुरसतिया जी परेशान दिखे. पूछने पर पता चला कि शौकिया परेशान है और वो ऐसे बहुत सारे लोगों को जानते हैं जिन्हें परेशान रहने का शौक है और ऐसा शौक कि आदत कहें तो बेहतर.
किन्तु हमेशा ऐसा नहीं होता. बहुत से प्रसन्न चित्त लोग इठलाते मिल जायेंगे जो गर्व से कहते हैं कि यार हमें परेशान रहना पसंद नहीं. हम तो परेशानी में भी मस्त रहते हैं. उनसे मेरा कहना है कि मित्र वक्त से डरो. कब कौन परेशानी चली आयेगी बिन बुलाए, जान भी न पाओगे.
इन्हें देखिये, ऐसे ही ये भाई साहब प्रसन्न चित्त ऑफिस से घर कार में चले आ रहे थे. अमरीका में रहने वाले भारतीय हैं, अतः कार में हिन्दी गाना बज रहा था.( इस बार भारत गया था, अधिकतर भारत में रहने वाले अभिजात्य भारतियों की गाड़ी में अंग्रेजी गाने बजते दिखे और उसे भी बड़ी बात, वो साथ में गुनगुना भी रहे थे).
सुनसान रास्ता, विचार चल रहा था, घर जा कर बीयर पी जायेगी, लज़ीज खाना खाया जायेगा, इत्मिनान से बच्चों के साथ खेलेंगे और पत्नी से बात करते करते सो जायेंगे.
एकाएक एक लड़की अपनी खराब हो गई कार से निकल कर लिफ्ट मांगने लगी. इसमें क्या परेशानी है, रास्ते में उतार देंगे, तो बैठा लिया. लड़की गर्भवति थी तो कहने लगी, अस्पताल तक छोड़ दिजिये. अस्पताल घर से दूसरी दिशा में. थोड़ी परेशानी होगी मगर किसी गर्भवति कन्या को मना कैसे करें. तो हाँ कर दिया.
रास्ते में, शायद हल्की फुल्की परेशानी की वजह से, स्पीड ब्रेकर पर कार कूद गई. अब कन्या को पेट में दर्द होने लगा. परेशानी बढ़ी. हाथ पकड़ा कर अस्पताल के अन्दर ले गये.
टेस्ट हुए. पता चला कि तुरंत डिलेवरी करनी होगी. फार्म भरा जाने लगा. गर्भवति से उस बच्चे के पिता के बारे में पूछा गया. जाने क्या सुना उसने. कह दिया ये हैं और बेहोश हो गई. लो, भाई साहब तो सकपका गये. बड़ी परेशानी लद गई. बहुत समझाया डॉक्टरों को कि मैं तो बस इन्हें लिफ्ट देकर लाया हूँ. मगर माने कौन?
आखिर में तय पाया गया कि मेडीकल टेस्ट कर लो. डी एन ए कर लो और अगर मेरा निकला तो मान लूँगा.
टेस्ट हुए. भाई साहब परेशान रेजल्ट आने के इन्तजार में बाहर वेटिंग रुम में यहाँ से वहाँ टहलते रहे.
घंटे भर में रेजल्ट आया. डॉक्टर ने बुलवाया. बधाई दी कि आप सच कह रहे थे कि बच्चा आपका नहीं है. अब आप परेशान न हों और घर जायें. आपके रेजल्ट में हमने पाया है कि आपमें जन्म जात वो सेल्स ही नहीं बनते जिससे बच्चे पैदा होते हैं.
अब तो भाई साहब की परेशानी का चरम देखिये-तब फिर वो दो बच्चे किसके हैं जिनसे घर जाकर वो खेलने वाला था?
तो परेशानी का तो ऐसा है कि वही वजह किसी की परेशानी का निवारण कर सकती है तो किसी को और ज्यादा परेशान कर सकती है. गोया परेशानी न हो वाईन हो. दो पैग गुड और ज्यादा....!!
चलते चलते आदतन एक क्षणिका इस मौके पर भी :
देख कर
दुनिया की हालत
अक्सर
परेशान हो जाता हूँ मैं!!!
नाहक
ही
बदनाम हो जाता हूँ मैं!!
-समीर लाल ’समीर’
(हाल में सुने एक चुटकुले के आधार पर तैयार आलेख)
(चित्र साभार: गुगल)
112 टिप्पणियां:
उफ़्फ़ ....आज मैं समझ ही गया कि ये परेशानी आखिर कहां से आती है....
यानि कि ....अब कभी भी किसी को ..अपने सायकल पर(अब जिसके पास जो होगा वो उसी में तो देगा) लिफ़्ट न दो.....यदि दो तो पहले ही पता कर लो कि वो महिला/कन्या.....चलते चलते ही आपको पिता बनने का सुख तो नहीं प्रदान कर देगी...इसके बाद ही लिफ़्ट देना चाहिये...
और एलियन जी...शुक्र मनाइये...भारत नहीं था...वर्ना क्या मज़ाल कि बंदा टेस्ट के रिज़ल्ट से बच के निकल जाता...यहां तो साबित करवा लेते हम..कि लिफ़्ट लेने-देने के दौरान ही कुछ ऐसा हुआ...कि हालात यहां तक आ पहुंचे....लो जी आपको नहीं पता ..अभी आरुषि वाले केस में भी तो ..एक रिज़ल्ट का बेडा गर्क किया गया है..
देखिये अब नहीं कहियेगा कि टिप्पणी कम दिख रही है...काहे से कि जब उडन तशतरी पर आपको बैठ कर कम दिखेगी तो बकिया लोगों को तो....
परेशानी से डरो परेशान से नहीं!
मजेदार किस्सा |
वो तो अमेरिका था जो टेस्ट आदि कुछ घंटो में आ गया यदि भारत होता तो उन भाई साहब के साथ क्या होता ?
पुलिस आती वह जबरदस्ती उनसे कबुलवा लेती कि बच्चा उनका ही है उसके बाद भारतीय मीडिया थोड़े ही ना पीछे रहता डा. की रिपोर्ट आने से पहले ही उस होने वाले बच्चे को भाई साहब की अवेध औलाद बातकर दिन भर चटखारे लेकर ब्रेकिंग न्यूज़ चलती रहती |
"अब तो भाई साहब की परेशानी का चरम देखिये-तब फिर वो दो बच्चे किसके हैं जिनसे घर जाकर वो खेलने वाला था?"
वाह...वाह...!
समीर जी।
बहुत बढ़िया पोस्ट लगाई है, आपने।
पोस्ट की पोस्ट और चुटकला का चुटकला,
यानि डबल मज़ा।
चिंता की बात नहीं ..भारत का जैसा उन्नतीकरण हो रहा है इंडिया के रूप में ...ऐसे हादसों से दो चार होते रहेंगे ...पर आप परेशान ना हो ...तब तक आपके शहर का आशोधन हो चुका होगा ..
बदनाम और परेशान है तब तो सेहत का ये हाल है कुछ परेशानी दूसरो को उधार भी दे दीजिये ..!!
नाहक न कहिए
बदनाम होंगे तो नाम भी होगा
इसलिए हक है पहला आपका
बदनाम होने का
परेशान हो होता है उसे होने दो
आप तो मजे के घूंट मजे ले लेकर पीते रहो।
परेशान में समझो अपनी शान
परे मत करो साथ रखो शान।
क्षणिका पसंद आयी । हैरानी परेशानी तो जीवन में चक्रानुक्रम में रंग दिखाती रहती है ।अगर फुरसतिया जी परेशान हॊंगे संभव है कुछ नया होगा ।
आभार ।
भई, किस्सा तो बड़ा मजेदार रहा. वैसे बन्दा गर भारत में होता तो रिजल्ट आने तक दो तीन साल तीन बच्चों के साथ खेल रहा होता.
हिंदी के १०००० ब्लोग्स में टॉप पांच में उड़नतश्तरी का नाम देखकर बेहद प्रसन्नता हुई. बधाई
(दैनिक जागरण १४ सितम्बर पर ब्लॉग चर्चा )
ये चुटकुला किसी ने हमें भी एस एम एस किया था....लेकिन तब उतना मज़ा नहीं आया था! आपके आलेख में रूपांतरित होकर ज्यादा मस्त बन गया है!
घंटे भर में रिज़ल्ट !!??
भारत में होता तो पिंडदान करवा चुका होता अपने आधा दर्जन बच्चों से :-)
बी एस पाबला
वाह बहुत खूब बात डी.एन.ए. तक आ पहुँची, बहुत ही चिरौरी करते हैं पर चलो अच्छा है, कम से कम सुबह ही समझ में आ गया कि किसी को भी लिफ़्ट नहीं देना है, किसी को भी नहीं भले ही वो कोई सुन्दर कन्या ही क्यों न हो। :)
फुरसतिया जी की परेशानी का आपने ध्यान रखा:)
आभार
कीती साफ़ सुथरी पोस्ट है जी.. इत्ती सफाई भी अच्छी नहीं.. हम कोई मेहमान थोड़े ही है आपके अपने है.. :}
सच को बहुत ज़्यादा न ही कुरेदें तो मस्त रहा जा सकता है. सच ही परेशान करता है इंसान को. इस वाहियात चीज़ से बचो.
गुरुदेव, ये कॉमेडी ऑफ एरर्स भी इंसान के साथ क्या क्या नहीं कर देती...वैसे जिन सज्जन की परेशानी का आपने ज़िक्र किया कि उनके घर में जो दो बच्चे हैं,वो किसके हैं, तो उन्हें वही वाला रोबोट ले आना चाहिए जो झूठ बोलने पर तड़ाक से धर देता है...इस रोबोट महोदय की महिमा का बखान मैं अपने किसी स्लॉग ओवर के दौरान पहले कर चुका हू...वैसे गुरुदेव,अपनी पोस्ट का नाम मेरे से जोड़ने के वादे का क्या हुआ...
Ha-ha-ha... kya dimaag paayaa hai sameer jee aapne, waah !!!
इब जमाना यो आगया. शादी का लिफ़ाफ़ा लौटाना एक नैतिक दायित्व हुआ करता था. हम यही समझ कर लौटा दिया करते थे. हमको क्या मालूम कि सामने वाला शादी मे मिठाई चोरी की खिलवा रहा है या साहुकारी की?
पर भाई लोग इस बात को भी ले उडे. क्या जमाना आगया? हे ब्लाग मैया तू फ़ट जा.................................और....:)
रामराम.
बड़ा परेशान रहता हूँ, इसलिए दिल बहलाने के लिए टिप्पणी कर देता हूँ. चिट्ठाकार टिप्पणी न मिलने की परेशानी से बच जाता है :)
चुटकुला जोरदार था.....
बहुत बातें ऐसी हैें जिन्हें जानना ही नहीं चाहिए। वहाँ एक ही सलूक ठीक रहता है -परदे में रहने दो....
aap ke suzaw ka palan kiya hai.2satahiyo ko blog ke liye protsahit kiya hai.
eak ka blog hai "janranjan" aur dusre ka hai "jeevan jine ki kala"
aap ki tippani ke liye aabhar
परेशान होने की बात तो है साहब !!
क्या करना चाहा, क्या हुआ ??
बढ़िया लतीफा सुनाया आपने |
अच्छा आलेख, बेचारा नाहक ही परेशान हो गया। चुटकुला जो भी हो पर आलेख में मजा बहुत आया। एक परेशानी से बच गया बेचारा पर दूसरी परेशानी ने तो आजीवन पेशानी पर शिकन रख छोड़ी।
अच्छा लगा.
परेशान की परेशानी देख कर परेशान हो गया।
इस लेखक के लेखन को देखकर हैरान हो गया:)।
परेशानी ऐसे ही आती है कि आदमी परेशान पे परेशान हो जाता है
sahi hai.. :D
बेहतरीन प्रस्तुति....बहुत बहुत बधाई...
मैनें अपने सभी ब्लागों जैसे ‘मेरी ग़ज़ल’,‘मेरे गीत’ और ‘रोमांटिक रचनाएं’ को एक ही ब्लाग "मेरी ग़ज़लें,मेरे गीत/प्रसन्नवदन चतुर्वेदी"में पिरो दिया है।
आप का स्वागत है...
मजेदार, बहुत बढ़िया.
वह समीरजी... चुटकले से कह दी बात पत्ते की
दो पैग मारो! फ़िर देख लेंगे परेशानी को भी।
समीर जी, आपकी इस पोस्ट से समाज में गलत सन्देश जा रहा है.....अब पता नहीं कित्ते लोग ये पोस्ट पढकर लिफ्ट देना ही छोड देंगे:)
टेस्ट में कुछ गड़बड़ झाला लग रहा है -जब भाई साहब के बच्चों का भी डीएनए टेस्ट हो जाय तो बताईयेगा की किस भाई साहब के निकले !
मजेदार किस्सा
वाह बहुत बढ़िया! उम्दा पोस्ट है! चुट्कुल्ले पढ़कर तो मज़ा आ गया! इस बेहतरीन पोस्ट के लिए ढेर सारी बधाइयाँ !
हे भगवान् !! ऐसी परेशानी से बचाना !!
ha ha ye uljhane bhi na,ho tho pareshani ,nahi ho tho bhi parenshani,shandar lekh:)
आपने तो डरा ही दिया :)
अरे बाप रे.... यह परेशानी नही परेशानी की मां है,समीर जी कहां कहा से ऎसी बाते आप के दिमाग मै आ जाती है, चलिये अब शादी के लिये नये इस्तेहार बनेगे, दहेज मै बच्चे, लडकी लो बच्चे मुफ़्त मै, एक के साथ दो फ़्रि,रेडी मेट....
चलिये जनाब अब करे भी तो क्या, गले बंधी घंटी को निकालने के लिये भी तो हिम्मत चाहिये, अच्छा है अब खुब वीयर पिया करे.
राम राम जी की, आप तो डरा दे ते है.
परेशान आदमी बस एक बात सोचे- 'ये दिन भी नहीं रहेगा।' और ख़ुश आदमी भी यही सोचे।
बाक़ी आपकी क़िस्सागोई वाला बेचारा घर जाके एकाध क़त्ल कर देगा।
बहुत ही मज़ेदार किस्सा...
बाबा रे... ये चुटकुला था या परेशानी पर दर्शन.... अद्द्बुध...!!!!
www.nayikalam.blogspot.com
नमस्कार समीर जी,
ये परेशानी भी बड़ी अजीब होती है, सामने से एक ही दिखती है मगर सब परेशानियाँ एक लाइन में सीधी खड़ी होती हैं, उन्हें तिरछा देखने पे दीखता अरे ये तो बहुत हैं. अच्छा आलेखहै
मजेदार पोस्ट .. लिफ्ट देने के साथ ही परेशानी शुरू जो हुई तो खत्म होने का नाम ही नहीं .. आगे कुछ हो तो खबर कीजिएगा !!
हंसते-हंसाते अपनी परेशानी कह देना तो कोई आपसे सीखे। :)
ये परेशानी मुझे SMS से मिली थी अब आपके ब्लोग पर भी मिल गयी...
ये परेशानी तो बहुत परेशान कर रही है....
बाबा खड़कसिंह और सुलताना डाकू!
PARESHAAI KA SABAB PATA CHAL GAYA SAMEER BHAI ... DNA TEST MEIN KYA NIKLA ......
wah , katha aur kavita ki jugalbandi lajawaab.
बढ़िया रहा यह भी परेशान को परेशान करने वाले किस्सा :)
समीर भाई आइडिया किसी का भी हो लेकिन आपने जिस तरह द्रष्य खींचा है वह अद्भुत है । यह सूक्ष्म से दिखाई देने वाले विवरण और उनके पीछे छुपे ध्वन्यार्थ तो अद्भुत हैं जैसे -अभिजात्य भारतीय कार मे अंग्रेजी गाना सुनते है और गुनगुनाते भी हैं - यहाँ अभिजात्य शब्द काबिले गौर है । मध्यवर्गीय तो अंग्रेजी गाने के साथ सिर्फ अं आं उंउंउंउं करता है गाना समझ मे आये तब ना - खैर कुल मिलाकर मज़ा आया ।
अच्छा लगा पढकर। मजेदार रहा यह किस्सा।
bahut acche samir sahab
SMS joke ko badha ke likh diya gaya hai.. any way.. nice post!!!!!
एक पल तो सकपका गए, अब यही सब दिन देखने को बांकी रहा था... शुकर है हमारे निराकरण का भी डिलीवरी हो गया अब...:):):)
ab DNA test ki suvidha to har jagah hoti nahin khaskar bharat mein tab to aisa waqya really pareshani ka sabab ban jayega :)
tragedy mein comedy dhood li aapne :-)
अरे बाप रे बाप !!!!!!!!! ऐसी परेशानी भी आती है आप लोगों के पास ????
मज़ा आ गया भाई साहेब.................
परेशानी इतनी हसीं हो तो
परेशान रहने को मैं सदैव तत्पर हूँ............
__अभिनन्दन !
'गाड़ी में अंग्रेजी गाने बजते दिखे और उसे भी बड़ी बात, वो साथ में गुनगुना भी रहे थे). !'
ha ha ha!kya observation hai!wakayee!
परेशानी का तो ऐसा है कि वही वजह किसी की परेशानी का निवारण कर सकती है तो किसी को और ज्यादा परेशान कर सकती है.
waah ! kya khoob!
मजेदार किस्सा |
अत्यंत रोचक किस्से का शानदार प्रस्तुतीकरण
जो है गुण पराई पीर में
तो दे हाथ गर्म खीर में
ना माने तो जाके देखले
जो लिखा है पोस्ट समीर में
Main to ghbra rahi thi kahin D.N.A. test report bhi match n kar jay ....Bharat hota to kuch bhi sambhav tha .....khair aapki lekhni ki dad deti hun .....post bhi itani jaldi badalte hain ki mere sochte sochte dusari aa jati hai ....!!
वाह-वाह बहुत खुब, मजा आ गया।
ही ही ही, किस्सा पढ़ के तो खूब हंसी आई, पाँच गिलास पानी पीना पड़ा तब जाकर कठिनाई से हिचकी काबू में आई, ही ही ही!! :D
सही फरमाया आपने, वाकई जानते बूझते हुए परेशानी मोल नहीं लेनी चाहिए और उसका निरादर नहीं करना चाहिए, जाने कब किस रूप में घेर ले! :)
दूसरों को परेशानी में पड़ा देख मैं भी परेशान रहा करता आया था ।
नतीज़न हर रोज एक नई परेशानी आकर रास्ता रोक लेती थी,
लगा कि मैं स्वयँ ही इन्हें न्यौत लेता हूँ ।
सो, इन परेशान अली साहब को हज़ करने भेज दिया है,
बोला जाओ, पहले हज़ कर आओ, कितने चूहे रहे.. यह हिसाब किताब बाद में
कर लिया जायेगा ।
अब वह वहाँ परेशान हैं कि, वह तो हज़ पर हैं, तो... मुआ यह कौन से अमर कुमार हर जगह टिप्पणी ठोंके पड़े हैं ?
वाह बहुत बढ़िया! उम्दा पोस्ट है! चुट्कुल्ले पढ़कर तो मज़ा आ गया! इस बेहतरीन पोस्ट के लिए ढेर सारी बधाइयाँ !
जन्म के बाद बच्चे ने किसको पापा बोला ये तो बताया ही नही आपने !!
badi hi aadhyatmik post hai...
...jab vastvikta ka parichay hota hai to beer, 2 bacchon ke saath khelna...
aadi sab dhara reh jaanta hai.
jagat mithya hai !!
:)
समीर भाई ,
वाह !वाह !बहुत खूब बधाई!!
क्या कहूँ...हंसने से फुर्सत मिले तब न कुछ कहूँ...
आप भी ना...सच में बड़े वो हैं....नाटी.
नीरज
हमेशा की तरह शानदार पोस्ट। सादर नमन।
बहुत ही अच्छे शब्दों में व्यक्त यह परेशानी का हाल आभार ।
कौन कम्बखत परेशान होने के लिए लिखता है ......आप को परेशानी सूट नहीं करती .....मस्त रहिये
आघे से ध्यान रखा करें
गर्भवती को कभी भी लिफ्ट ना दें ।
chutkule ko apani lekhni me dhhalne ki bhi vidhaa chahiye/ aapne jis andaaz aour jis privesh me yah kiya usane jeevan me aane vaali baadhaye-pareshaniyo ko svistaar darshaa diya/ aap shaandaar lekhak he, aour utane hi kavi bhi..jo dil me bas jaane vaale he/ "duniya ki haalat dekhakar....vichaarvaan ho jaata hu me, blog par use samet kar fir be fikra ho jaataa hu me/"
ye sahi rahegaa..kyoki badnaam aap nahi ho sakte/
अच्छी लगी आपकी यह पोस्ट्…
हेमन्त कुमार
कोई जरूरत नहीं परेशान होने की।
वैसे भी सुना है, परेशान होने से सेहत गिर जाती है।
बहुत परेशान कर देने वाली पोस्ट है। पता चला वह लड़की कौन थी और ये दो बच्चे किसके हैं? अगली पोस्ट में बता दीजियेगा जरूर से! :)
;-))
Bechare mahashay ....
Sir moondate ole pade ;)
Lift dete hee , aisee buree khabar sunee
Padh ker hansee aayee Sameer bhai ....
लोड मत लो समीर जी। ऐसे लोड तो आते ही, जाने के लिए हैं। बात जो कहना चाहते थे, पूरी तरह सफल रहे हैं इस किस्से में। परेशानी आपको परेशान करे, तो समझिए अब परेशानी परेशान होने वाली है।
समीर जी, बस आप मस्त रहिए।
किस्सा बहुत मज़ेदार है क्षणिका तो सुबहान अल्ला बधाई
:-)
pareshaniyaan to mehmaan ki tarah hoti hai aati hai bin bulaaye jaati bhi apni marzi se .kabhi ek do nahi kai mushibaton me daal deti hai .lift dene me isliye log ghabraate hai .aapki rachana is ghatna se jude pahluo par achchha prakash daal rahi hai .umda .
aapki pareshani ko dekhkar main bhi pareshan ho gaya........
(1)घर का जोगी जोगड़ा बाहर का जोगी सिद्ध...दूसरे की थाली ज्यादा आकर्षित करती है...
(2)ओरीजिनल चुटकुले वाले बाबू जी की भी जय हो .
bahut khoob .....
:) मजेदार किस्सा था | वर्ड वेरिफिकेशन कैसे हटाते है , यह बताने के लिए धन्यवाद् | हटा दिया है |
अरे बाप रे !!!! हम तो बहुते परेसान हो गए अब...
लेकिन इ बहुत अच्छी परेसानी रही हजूर...
Aadmi ko chahiye ki wakt se dar kar rahe
Kaun jane kis Ghadi wakt ka badale mijaj ?
Waise Ratna Sing jee se sahmat.
देख कर
दुनिया की हालत
अक्सर
परेशान हो जाता हूँ मैं!!!
नाहक
ही
बदनाम हो जाता हूँ मैं!
क्षणिका में बड़ी बात कह दी आपने .............भाई वाह
आपका धैर्य, आपकी सहिष्णुता हैरान करती है सरकार कई बार तो...
शारदीय नवरात्र की हार्दिक शुभकामनायें !!
हमारे नए ब्लॉग "उत्सव के रंग" पर आपका स्वागत है. अपनी प्रतिक्रियाओं से हमारा हौसला बढायें तो ख़ुशी होगी.
वाह परेशानी से परेशां न होते हुए भी आप परेशानी से मुक्त क्षणिका लिख दी ! वो भी बहुत शानदार
Wah
chutkule ki achhi gat banai...
समीर सा,
भाई लोगो की पोस्ट पर आखिर उड़न तश्तरी की टिप्पणी आगयी है.भाई सर्किट पकिया उसको जेल में सेलिब्रेट कर रहे है....
और भाई लोगों का ब्लॉग अभी भी लोगों के सर पर घोड़ा रख कर चलाया जा रहा है...लिंक है...
http://bhaailog-pkbhide.blogspot.com/2009/07/blog-post_30.html
आप देख सकते है..
(पुरानी पोस्ट पर आपकी टिप्पणी बहुत सुखद लगी-शुक्रिया)
प्रकाश
इस कथा से हमें सीख मिलती है कि किसी परेशान लड़की को रास्ते मे लिफ़्ट नही देना चाहिये..और अस्पताल की तरफ़ भूले से भी नही झाँकना चाहिये..और ईश्वर प्रदत्त उपहारों को बिना कोई सवाल किये स्वीकार करना चाहिये..ऊपरवाले (बिल्डिंग वाले नही) को धन्यवाद देना चाहिये..कि वो हमें ऐसे उपहार भी दे डालता है हम जिनको deserve नही करते हैं ;-)
आत्मकथात्मक क्षणिका बेहतरीन लगी..
ise khte hai ungli pkdte pkdte pocha pkdna .unmhashay ke liye to ye bhjan shi hai vaishnv jan to tene khiye je peed parai jane re .
apki post shandar rhi svsth mnoranjan
abhar
ये तो बड़ा ही मजे दार किस्सा रहा.
समीर भईया
शायद आज मेरा ही १०० वां कमेंट हो. बड़ा हँसाया आपने आज.
गुरु माँ को फोन कर लिजियेगा. बहुत दिन से बात हुई नहीं है. चिन्ता करती हैं. गुरु जी भी कुछ बात करना चाहते हैं.
वैसे सब ठीक है. आश्रम में पीछे आपके बताये के मुताबिक बदलवा दिया है.
भारत कब आयेंगे? साधना भाभी तो एक दिन गुरु माँ को बात की थीं. आप बाहर गये थे.
सब जल्दी आईये.
बेचारे ! अब जिसके भी हों खैरियत घर जाकर उनसे खेलने में ही है।
घुघूती बासूती
ये लेख आपने क्यों लिखा ? ज़रूरी था ?
ये लेख आपने क्यों लिखा ? ज़रूरी था ?
परेशां हो जाता हूँ. क्या बात है समीर साहब. वैसे फुरसतिया जी का अब क्या हाल है.
good one!
antim chanika ne behad kaam ki baat kah di
majedar hai ji
बहुत बेहतरीन पोस्ट।
बड़ी गंभीरता से लिखते आ रहे थे, अचानक आपने हँसाकर गंभीरता तोड़ डाली, उड़नतश्तरी से दूरी, हमारी मजबूरी नहीं बन सकती, शायद डॉक्टरों की लापरवाही से सेंपल अदल बदल होगे हों, मर्दानगी पर शक कैसा।
मै रतन सिँह जी की बात से सहमत हूँ ।
"सावधानी हटी दुर्घटना घटी " अच्छी लम्बी उडान भरी है आपने डीएनए टेस्ट के बारे में शायद इसीलिए नाम उड़न तस्तरी रखा है ;) :):):)
वह समीरजी... चुटकले से कह दी बात पत्ते की
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