आज स्वामी समीरानन्द द्वारा जनहित में २३ दोहे जारी किये जा रहे हैं एक सुक्ति गान के रुप में प्रस्तुत किये जा रहे हैं. नीचे प्लेयर पर क्लिक करके आप हमारी पत्नी साधना जी की आवाज में कुछ दोहे सुन भी सकते हैं. बहुत मशक्कत के बाद उनकी आवाज मिल पाई. फुरसतिया जी और राकेश भाई के निवेदन से लेकर हमारे जुड़े हाथ उनको किसी तरह तैयार कर पाये. अब तारीफ वारिफ हो जाये तो आगे और कोशिश की जयेगी.
सुनने के लिये यहाँ क्लिक करें.
कहे समीरानन्द जी, सुन लो चतुर सुजान
जो गाये यह स्तुति , हो उसका कल्याण.
गुरुवर हमको दीजिये, अब कुछ ऐसा ज्ञान
हिन्दु-मुस्लिम न बनें, बन जायें इन्सान.
वाणी ऐसी बोलिये, हर एक कर्ण सुहाये
मिलिये ऐसे प्रेम से, मन से मन मिल जाये.
मतभेदों की बात पर, बस उतना लड़िये आप
लाठी भी साबूत रहे, और मारा जाये साँप.
पीने जब भी बैठिये, बस इतना रखिये ध्यान
सब साथी हों होश में और न ही बिगड़े शाम.
नेता जी से पूछिये, जब भी हो कुछ बात
देश तुम्हारा भी यही, क्यूँ करते आघात.
पुस्तक ऐसी बाँचिये, जिससे मिलता ज्ञान
कितना भी हो पढ़ चुके, नया हमेशा जान.
लेखन लेखन सब करें, लिखे नहीं है कोय
जब लिखने की बात हो,गाली गुफ्ता होय.
उल्टी सीधी लेखनी, एक दिन का है नाम
बदनामी बस पाओगे, नहीं मिले सम्मान.
शंख बजाने जाईये, मन्दिर में श्रीमान
यह गीतों का मंच है, बंसी देती तान.
कविता में लिख डालिये, अपने मन के भाव
जो खुद को अच्छा लगे, जग के भर दे घाव.
समीरा इस संसार का, बड़ा ही अद्भूत ढंग
वैसी ही दुनिया दिखी, जैसा चश्में का रंग.
नदियों से कुछ सिखिये, इनकी राह अनेक
सागर में जब जा मिलें, हो जाती सब एक.
ऐसा कुत्ता पालिये, जो भौंके औ गुर्राये
न काटे मेहमान को, चोर न बचने पाये.
दान धरम के नाम पर, लाखों दिये लुटवाये
क्षमादान वो दान है, जो महादान कहलाये.
गल्ती से भी सीख लो, आखिर हो इन्सान
जो गल्ती को मान लें, उनका हो सम्मान.
कौन मिला है आपसे और कितना लेंगे जान
जो कुछ भी हो लिख रहे, उसी से है पहचान
सब साथी हैं आपके, कोई न तुमसे दूर
अपनापन दिखालाईये, प्यार मिले भरपूर.
जरा सा झुक कर देखिये, सुंदर सब संसार
तन करके जो चल रहे, मिलती ठोकर चार.
मौन कभी रख लिजिये, थोड़ा कम अभिमान
जितना ज्यादा सुन सको, उतना आता ज्ञान.
बुरा कभी मत सोचिये, न करिये ऐसा काम
दिल दुखता हो गैर का, किसी का हो अपमान.
साधु संत औ’ महात्मा, सब गाते हैं दिन रात
सुक्ति समीरानन्द की , जय हो उनकी नाथ.
जो स्वामी जी कह रहे, नहीं आज की बात
जीवन का यह सार है, हरदम रखना साथ.
--जोर से बोलो-जय स्वामी समीरानन्द की
यहाँ डाउनलोड करें.
कोई भक्त पॉड कास्टिंग में मदद कर दे, तो भगवान उसका भला करे. :)
गुरुवार, जून 21, 2007
कहत समीरानन्द स्वामी जी...
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38 टिप्पणियां:
सवेरे सवेरे आनन्द आ गया पढ़ने में. जीवन आचार संहिता में सभी दोहे उपयुक्त हैं. जब जवान ब्लॉगर आपको श्रद्धा से गुरूजी कहते हैं तो उसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होती.
सुकुल जी से ईर्ष्या है और आज यह पढ़ कर आपसे भी दूनी हो रही है.
बहुत ही बढिया समीर भाई और भाभीजी ! आखिरकार आप भाभी जी को भी खसीट ही लाये !चलिये इसी बहाने आगे भी मुलाकात होती रहेगी ।
गुरुदेव दोहे मस्त है पर इन्हे भी ध्यान रखे:-
"समीरा बाबा चेतिये,चेले चतुर सुजान
मौका जरा ना दीजीये ,काट भाग ले कान"
"बाबा जिन्हे समझाय रहे,समझदार है सब
सोच संमझ गरियाते है,काह करोगे अब"
"वाणी ऐसी बोले ये,जो सुनै भग जाये
गर कोई समझाई करै,जूता लेके धाय"
"पीने जब भी बैठिये,बस इतना रखिये ध्यान
बाकी सारे नाले मे,खम्बे पर हो आप"
" कुकुर ऐसो पालिये ना भौके ना गुर्राये
काटे बस उस शक्स को ,जिस से हम चिढ जाये"
बाकी गुरुदेव फ़िर किसी रोज
पढ़ समीरानंद के दोहे मुस्कान चेहरे पर आ जाए
दिन बीते सुंदर जब इतना मीठा पढ़ने को मिल जाए
साधना की वाणी ने दिल लिया चुराए
जल्दी ही कुछ और सुनने को हमे और मिल जाए:)
समीरा बाबा हो गये, मन है अब घबराय
कोई बाबी ना इसे अब ले के उड़ जाये
आपके जनहित पर जी भर आया मित्र.और भाभी जी तो काफी अच्छी आवाज की मलिका हैं.एक हाथ हमारी ओर से भी जोड़ दीजिये आगे से गाते रहने के लिये.
मस्त है गुरुवर!!
गुरुआईन की आवाज़ में दोहे सुनने में मजा आ गया!
वाह समीर जी, मान गए आपको। क्या पेशकश है!! :)
पॉडकास्टिंग में क्या मदद चाहिए यह भी तो बताएँ। आपने MP3 तो रिकॉर्ड कर ही ली है। बस एक प्लेयर में लगाईये और बाकिया काम आपका टका-टक। :)
एक एक दोहे सुन्दर मोती हैं। कुछ जो मुझे विषेश पसंद आये वे उद्धरित कर रहा हूँ:
गुरुवर हमको दीजिये, अब कुछ ऐसा ज्ञान
हिन्दु-मुस्लिम न बनें, बन जायें इन्सान.
मतभेदों की बात पर, बस उतना लड़िये आप
लाठी भी साबूत रहे, और मारा जाये साँप.
कविता में लिख डालिये, अपने मन के भाव
जो खुद को अच्छा लगे, जग के भर दे घाव.
नदियों से कुछ सिखिये, इनकी राह अनेक
सागर में जब जा मिलें, हो जाती सब एक.
जरा सा झुक कर देखिये, सुंदर सब संसार
तन करके जो चल रहे, मिलती ठोकर चार.
मौन कभी रख लिजिये, थोड़ा कम अभिमान
जितना ज्यादा सुन सको, उतना आता ज्ञान.
बहुत बधाई आपको।
*** राजीव रंजन प्रसाद
बहुत खूब स्वामी जी ! हम तो प्रवचन रस में डूब उतरा रहे हैं ! दोहे अच्छे बन पडे हैं साधूवाद ! ;)
पोस्ट और टिप्पणी दोनो ही मज़ेदार हैं।
नित्य पाठ करेंगे,
जय गुरुदेव।
इंटेर्नेट के घाट पर ,भई ब्लौगर की भीर ,
भाभी जी चन्दन घिसें ,तिलक लगायें समीर.
पाठक तो वाह वाह करें,मित्र बलैंया लेय
दोहा दोहा सब पढे, कोऊ 'चन्दा' ना देय्.
अच्छा खासा आदमी, दोहा क्यों लिख जाय
दोहा पढते ,वांचते,पाठक "दोहा" जाय.
दोहे इतने अच्छे हैं कि हम तो 'दोहे' जाने के लिये भी तैयार हैं.
बहुत खूब, समीर भाई.
http://bhaarateeyam.blogspot.com
बोले तो, झक्कास!
वैसे, आजकल ऐसा करना ज्यादा फायदेमंद होता है -
ऐसा कुत्ता पालिये, जो भौंके औ गुर्राये
काटे तो मेहमान को, चोर को दुम हिलाये.
पुनश्च:
इसी तेवर के दोहे यहाँ पढ़ें -
कवि कुटिलेश की कुटिलताएँ
ऐसी कुटिल कविताओं - दोहों की और मांग है.
"मतभेदों की बात पर, बस उतना लड़िये आप
लाठी भी साबूत रहे, और मारा जाये साँप."
majaa aa gaya.
aur guruji! podcast hetu www.mypodcast.com pe chatkaa lagayiye. (bahut easy interface hai.)
लगता है "समीरा सतसई "बनने वाली है ।कित्ते दोहे लिख लिये हो महाराज !
देखो दो ही लिख रहे अच्छी बातें आज
दोहा लिये समीरजी, नीति ज्ञान सरताज
दूजा लिखता कौन है खुद से पूछें आप
आईना दे जायेगा उत्तर फिर चुपचाप
वाह सर , आप ही तो हैं इस युग के कबीर
"दोहो की क्या बात है लिखे हाथ के हाथ
अच्छे अच्छे लिखन लगे जब पगेबाज हो साथ"
कैसी कही गुरूजी
:)
दोहे तो जैसा आप लिखते हैं वैसे ही हैं। भाभीजी ने इनमें से कुछ को अपने वाणी स्पर्श से चमका दिया। बाकी दोहे बेचारे बैठे हैं अपनी बारी के इंतजार में। :)
स्वामी समीरानन्द जी की जय हो! :)
बहुत ही बढिया लिखते रहिये।
बहुत ही बढिया लिखते रहिये।
blogging ae sae hee karyee
man ko dhandhak dae
साधना भाभी जी, "श्रीमान समीरानँद जी " की वाणी का अमृत आपके स्वरोँ मेँ ढल कर सीधा ह्रदय तक आ पहुँचा !
आप दोनोँ के इस साझे प्रयास को बनाये रखेँ -- आगे भी प्रतीक्षा रहेगा और सुनाइयेगा
स्नेह सहित
-- लावण्या
जय गुरुदेव समीरानन्द जी की
समीरानन्द जी के दोहे पढने का मिला पहला अवसर
जिसका स्वाद दुना करे भाभी जी का ओजस्वी स्वर
टेंशन न लें हे गुरुदेव , पंडित जी करेंगे सब मदद,
पॉडकास्ट अपलोड कर चुके, लगाएं प्लेयर एक अदद।
प्लेयर लगाने के लिए पिकल प्लेयर आजमाएं,
विधि जानने के लिए पंडित जी की पाठशाला में जाएं।
पंडित जी की पाठशाला में पॉडकास्टिंग की क्लास लगाएं,
दोहें लिखें समीरानंद, साधना भाभी पॉडियाएं।
समीर जी बहुत अच्छे दोहे हैं और उस पर मधुर सी आवाज़ के तो क्या कहने बहुत खूब। बधाई आपको भी और साधना जी को भी।
ज्ञानदत्त जी
जो ईर्ष्या हमें आपसे है वो ही आपको हमसे, आपस में कट्ट्म कट्टा. अब बराबर. बाकि आपको आनन्द आया, हमें भी आनन्द आ गया.
डॉ साहब
भाभी जी आपको धन्यवाद कह रही हैं हमारे साथ. जरुर होगी मुलाकात आगे भी. :)
अरुण
मजा आ गया तुम्हारे दोहे पढ़कर..५१ दोहे की संहिता काहे नहीं निकालते ईबुक के जरिये. :)
रंजू जी
अरे, उसी वाणी पर तो हम बरसों से दिल चुरवाये बैठे हैं. :)
चलो, आप के चेहरे पर मुस्कान आई इस जमाने में, हम तो सफल हो गये.
आलोक भाई
देखो भाई, शायद बाबी मिल ही जाये. आप हमारे शुभेक्षु हैं..उम्मीद लगवा गये बस्स!!! :)
हमारे मित्र काकेश भाई
आशा है अब तक जी भरन से उतर गया होगा....अब तो भाभी तो हमारे दिल की भी मल्लिका है..आवाज से उपर,,बावजूद उसके हमने तुम्हारी तरफ से हाथ जोड़ दिया है..और वो बहुत खुश नजर आ रही हैं न जाने क्या बात है..हा हा :)
संजीत
वाह, तुम्हारे पसंदगी के हम कायल हुये और गुरुआईन खुश.. :)
अमित
चलो, माने तो!! :)
आभार, मदद हासिल कराने की.
राजीव भाई
आपने तारीफ कर दी, बस काम बन गया...बस यूँ ही परखते रहें.
निलिमा जी,
अरे, ज्यादा न डूबे,,आगे भी सुनना है...आभार!!
राम चन्द्र जी
आभार
अतुल
जय हो.
अरविंद जी
दोहे बेहतरीन हैं, मजा आ गया हमारे लिखने का.आप खुले...आभार!! :)
बस तैयारी रखिये.
रवि भाई
सही कह रहे हैं, बहुत आभार
विकास भई
वाह, आपको मजा आया, तो हमें भी...मदद भेजने का शुक्रिया. तुम्स तो हमारी हमेशा तारीफ कर ही देते हो..अच्छा लगता है.
सुजाता जी
बस नजर बनाये रहो, जल्द ही आयेगी समीरा सतसई..तुम्हारी मदद भी लेंगे न!! :)
राकेश भाई
आपसे तो हरी झंडी है वरना कहां हम और काहे के दोहे..बस ऐसा स्नेह बनाये रखें :)
सजीव भाई
आपने कबीर डिक्लेयर किया...अब हम गौरवांन्वित हुये. आते रहने,,,ऐसा ही.
अरुण
बहुत बढ़िया कहा, मित्र...तुमसे और पंगा..अच्छे अच्छे चुक गये..हम कहां :)
अनूप भाई
आप सच कह रहे हैं..हम फिर से मैडम के हाथ जोडे खडे हैं. :)
सिंधु
अरे, हमारी बिटिया जय करे..ऐसा क्यूँ?? तुम्हारे कारण तो हमार जय है...अच्छा लगा मगर :)
अंश जी
आभार...आदेश का पालन होगा.
अंश जी (फिर से)
आभार...आदेश का पालन होगा.
लावन्या दी
आपका आशीष पा साधना भी अपने प्रयास से खुश हो गई..बस यही स्नेह बनाये रखें...हम दोनों धन्य हुये कि आपने देखा. :)
मोहिन्दर भाई
लो आप भी हमें काट के भाभी के पाले मेम जा मिले..ठीक है भाई, महिला शक्ति का जमाना है और देवर से कौन बहस करे..ज्यादा पावर आपका ही है :)
श्रीश भाई
आपने ट्रेनिंग क्या दे दी आपकी भाभी ने हमारी नाक में दम कर दी है सीखने की...कहती हैं कि जब मास्स्साब भईया सिखा दिये है तो काहे नही करते..अब आज मजबूरी में करेंगे..मेहरबानी, भाभी को अपनी तरफ कर लेने का आभार..और तो क्या कहें :)
भावना जी
आपके पसंद करने का आभार. साधना भी आपको धन्यवाद कह रही है, :)
समीर जी.. बहुत मनमोहक हैं आपके दोहे..
शंख बजाने जाईये, मन्दिर में श्रीमान
यह गीतों का मंच है, बंसी देती तान.
दान धरम के नाम पर, लाखों दिये लुटवाये
क्षमादान वो दान है, जो महादान कहलाये.
आपके ब्लाग पर अच्छा समय बीतता है।
कलयुग के हो तुम कबीर,
तुम ही हो रहीम,
दोहे तुमरे सुनके,
सीना होगया भीम,
एसे ही रचते रहें,
होगा जन कल्याण,
नाज़ हैं हमको आप पर,
बड़ रहा हैं ज्ञान।
जय बोलो विश्व ज्ञाता, जग व्याख्याता, कथाकार, कहानी संसार, चंचल ह्रदय, भारी भरकम चिटठाकार, स्वामी समीरानन्द की जय...
पुराने पोस्ट के लिंक के लिए धन्यवाद .. भाभी जी की आवाज भी अच्छी लगी .. लेकिन पांच ही दोहे गाए हैं उन्होने !!
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